सामाजिक व्यवहार का अर्थ एवं परिभाषा Prosocial Behavior Definition ( 2025 ) Best Guide

Prosocial Behavior Definition: – व्यवहार का अर्थ एवं परिभाषा मनोविज्ञान के छात्रों के लिए आवश्यक हैं परन्तु मनोविज्ञान के अध्ययन के दौरान जब हम समाज मनोविज्ञान पढ़ना शुरू करतें हैं

तब हमें सामाजिक-समर्थक व्यवहार ( Prosocial Behavior Psychology ) का नाम सुनने के लिए मिलता है इनफार्मेशन के लिए बता देना चाहिए कि समाज मनोविज्ञान का स्वरूप का अध्ययन पहले लेख में हम कर चुके हैं

कई बार अध्यापक हमें सामाजिक-समर्थक व्यवहार में उदहारण ( Prosocial Behavior Examples ) का उपयोग करके बेहतर तरीके से सामाजिक जीवन में सामाजिक-समर्थक व्यवहार का महत्त्व नहीं समझा पाते है

कुछ लोगो को यह शक होता है कि क्या दुनिया में इस तरह के व्यक्तित्व वाले लोग भी हैं जिनमे बेहद मददगार विशेषताएँ होती है हाँ, भाई ऐसा होता है परन्तु एग्जाम में कुछ इस तरह प्रश्न पूछे जाते है

  • सामाजिक-समर्थक व्यवहार का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए? 
  • सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक-सांस्कृतिक निर्धारक लिखिए? 
  • सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए?

ऐसी स्थिति में हमे सबसे पहले यह समझना होगा कि सामाजिक-समर्थक व्यवहार क्या है? परन्तु उससे पहले हमें मदद करना या सहायता करना का मतलब समझना होगा जिससे हम इस कांसेप्ट को गहराई से समझ पाए

यहाँ अक्सर हम तीन महत्त्वपूर्ण शब्दों को पढ़ते है परन्तु अधिकतर स्टूडेंट इन तीनों शब्दों का एक मतलब समझने लगते है

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  • मदद करना ( Helping )
  • सामाजिक-समर्थक व्यवहार ( Pro-Social Behaviour )
  • परोपकारिता ( Aktruism ) 

मदद करना किसे कहतें है – Helped Meaning in Hindi – Help Meaning in Hindi – Helping Hindi Meaning.

Table of Contents

मदद या सहायता करना ( Helping ) – यह एक ऐसा शब्द हैं जिसको लाइफ में हर व्यक्ति सुना होगा परन्तु यह एक व्यापक शब्द है जिसमे पारस्परिक समर्थन ( एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति का समर्थन/सपोर्ट करता है ) के सभी प्रकार शामिल होते हैं

मदद करना हर मनुष्य का दायित्व/कर्तव्य होता है इसीलिए एक मनुष्य दुसरे मनुष्य की मदद करता है

सरल शब्दों – मदद करना एक ऐसा कार्य होता है यह कार्य हम किसी जरूरतमंद व्यक्ति की स्थिति को सुधारने के लिए करतें है

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उदहारण के लिए, मान लीजिए कि आप किसी किराना स्टोर ( मार्ट ) में खाने का कुछ समान लेने के लिए जातें है परन्तु आपको वहां पापड़ का पैकिट नहीं मिल रहा होता है ऐसी स्थिति में आप वहाँ विक्रेता ( सेल्स व्यक्ति ) से पूछते है और वह मदद करता है

इस उदहारण में विक्रेता का कर्तव्य था कि वह आपको वो समान निकालकर दें जो आप ढूढ़ रहे हैं

उदहारण के लिए, अगर आप किसी संगठन के लिए काम कर रहे है मतलब वह संगठन ( एनएस फाउंडेशन ) आपको दूसरों की मदद करने के लिए भुगतान करता है तब दूसरों की मदद करना आपका कर्तव्य होता है

ऐसी स्थिति में आपके द्वारा सुनामी पीड़ितों की मदद करना. यह व्यवहार सिर्फ मदद करने वाला व्यवहार कहलाता है इसको हम सामाजिक-समर्थक व्यवहार नहीं कह सकते है 

सामाजिक-समर्थक व्यवहार का अर्थ एवं परिभाषा – Prosocial Behavior Definition – Pro Social Behaviour in Psychology. ( समाज हितैषी व्यवहार ).

अन्य नाम – समाज हितैषी व्यवहार, प्रोसोशल व्यवहार

सामाजिक-समर्थक व्यवहार का मतलब दूसरों को लाभ पहुँचाने या समग्र रूप से समाज की भलाई में योगदान करने के उद्देश्य से की जाने वाली स्वैच्छिक कार्यवाही से होता है

सरल परिभाषा – जब हम समाज की निस्वार्थ भाव से सेवा करते है तथा समाज के कल्याण के लिए कार्य करतें है उस कल्याणकारी कार्य को करने के लिए हम जिस व्यवहार का उपयोग करते हैं उसको सामाजिक-समर्थक व्यवहार या समाज हितैषी व्यवहार कहा जाता है 

बहुत सारें अलग अलग तरह के लोगो से मिलकर एक सोसाइटी का निर्माण होता है यह सभी लोग जरुरत पढने पर दयालुता, सहयोग, परोपकारिता और सकारात्मक कार्य इत्यादि का भाव रखकर सामाजिक-समर्थक व्यवहार करते हैं

सरल शब्दों – प्रोसोशल व्यवहार ( सामाजिक-समर्थक व्यवहार ) में कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से दूसरों की मदद करता है क्योकि इस व्यवहार में व्यक्ति अपनी इच्छा से दूसरों ( जरूरतमंद व्यक्ति ) की मदद करता है

यही कारण होता है कि इसमें कोई संगठन शामिल नहीं होता है यहाँ दूसरों की मदद करना हमारा कर्तव्य नहीं होता है परन्तु कई बार व्यक्ति कुछ आन्तरिक या बाहरी इनाम की उम्मीद ( स्वार्थ ) के कारण दूसरों की मदद कर देता है

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उदहारण के लिए ( Prosocial Behaviour Examples ), एक मनोवैज्ञानिक परामर्श चिकित्सा प्रदान करता है वह अपने रोगियों के प्रति अत्यधिक सहानुभूति और सहज देखभाल के लिए बहुत मशहूर है

वह अपने कौशल और ज्ञान का उपयोग करके रोगियों की मदद करता है चिकित्सा प्रदान करने के अंत में वह अपने रोगियों से अपने समय और ऊर्जा के लिए कुछ राशि चार्ज करते है

ऐसी स्थिति में यह सामाजिक-समर्थक व्यवहार होता है क्योकि यहाँ दोनों पक्षों का फायदा हो रहा है

उदहारण के लिए ( Examples of Prosocial Behavior ), एनजीओ में कार्य करने वाले अधिकतर व्यक्तियों का एक स्वार्थी उद्देश्य होता है ऐसे व्यक्ति दुसरे व्यक्तियों की मदद करतें है

परन्तु उनका स्वार्थी उद्देश्य सिफारिशी पत्र ( Recommendation Letter ) प्राप्त करना होता है जिसको वह अपने सीवी में लगाकर एक अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते है ऐसी स्थिति में यह एक सामाजिक-समर्थक व्यवहार होता है

कैसे हमारा व्यवहार सामाजिक-समर्थक व्यवहार हो सकता है? ( Component )

जरुरतमंदों की मदद करना: – दूसरों की जरुरतों के अनुसार उनकी मदद करना अगर हम जरुरतमंद व्यक्ति की मदद कर सकतें है तब ऐसी स्थिति में हमे हर संभव मदद करनी चाहिए

साझाकरण और सहयोग: – दुसरे व्यक्तियों का सहयोग करना तथा बुरी परिस्थितियों में जरूरतमंद व्यक्ति के साथ वह चीजें शेयर करना जिनकी उसको जरुरत है

दयालुता के कृत्यों: – हमे हमेशा दयालु बनकर रहना चाहिए समाज में किसी भी व्यक्ति के ऊपर अपना रॉब नहीं जमाना चाहिए

सहानुभूति और भावनात्मक समर्थन: – समाज में व्यक्ति को जरुरत पड़ने पर सहानुभूति और भावनात्मक समर्थन ( Empathy and Emotional Support ) देना चाहिए ऐसा करके आप उस व्यक्ति को अत्याधिक तनाव/डिप्रेशन से दूर रखते है

युद्ध वियोजन: – समाज में जब व्यक्तियों के बीच में ग़लतफ़हमी होती है ऐसी स्थिति में आप उसको समझा सकतें है ऐसा करके आप समाज में युद्ध स्थिति बनने से रोकते है

परोपकार और धर्मार्थ दान: – अगर आपके पास परोपकार या दान करने की क्षमता है तब ऐसी स्थिति में आपको समाज में  जरूरतमंद व्यक्तियों की दान एंव परोपकार के रूप में मदद करनी चाहिए

पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारी: – समाज में रहकर हमें हमेशा अपनी पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारी को अच्छे से निभाना चाहिए

सामाजिक-समर्थक व्यवहार सभी मनुष्यों के अंदर नहीं होता है क्योकि सामाजिक-समर्थक व्यवहार सहानुभूति, दूसरों के लिए चिंता और व्यापक भलाई में योगदान करने की इच्छा से प्रेरित होता है

सकारात्मक सामाजिक संबंधों को बनाने और बनाए रखने, समुदाय की भावना को बढावा देने और समाज के समग्र कल्याण में योगदान देने के लिए सामाजिक-समर्थक व्यवहार आवश्यक होता है

यह दूसरों के कल्याण के प्रति चिंता और व्यापक सामाजिक सन्दर्भ में हमारे अंतसंबंध की मान्यता को दर्शाता है

परोपकारिता किसे कहते हैं ( परोपकारी सामाजिक व्यवहार क्या है ) – Altruist Meaning in Hindi – Meaning of Altruism in Hindi – Altruistic Meaning in Hindi.

जब हम दुसरे व्यक्तियों की मदद कर रहे हैं तब हमारा शुद्ध उद्देश्य सिर्फ दुसरे व्यक्तियों की मदद करना होता है ऐसी स्थिति में हम किसी पुरस्कार, गिफ्ट या अन्य आन्तरिक या बाहरी इनाम इत्यादि मिलने की उम्मीद नहीं रखते है इसीलिए परोपकारिता एक निस्वार्थता का कार्य होता है

सरल शब्दों – ऐसा व्यवहार जो किसी भी प्रकार के पुरस्कार की आशा के बिना दुसरे व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने के लिए किया जाता है यह पुरी तरह से सहानुभूति से प्रेरित होता है क्योकि हमें पीड़ित व्यक्ति का दर्द महसूस होता है

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इसीलिए हम उसकी मदद करतें है परोपकार में दुसरे व्यक्ति की भलाई और उनकी समस्या का समाधान खोजने पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है परोपकारी व्यवहार में मुख्य रूप से चार चीजें होना आवश्यक है 

  • दुसरे व्यक्ति को किसी न किसी तरह लाभ पहुँचाना
  • स्वेच्छा ( खुद अपनी इच्छा ) से मदद किया जाना
  • जानबूझ कर प्रदर्शन किया जाए
  • किसी भी प्रकार की फल प्राप्ति या पुरस्कार की आशा के बिना कार्य किया जाना चाहिए

उदहारण के लिए, एक भूखा भिखारी सड़क के किनारे जा रहा है तब यहाँ आप उस व्यक्ति को भोजन करवाते है ऐसी स्थिति में आपके द्वारा किया गया कार्य परोपकारिता या सामाजिक-समर्थक व्यवहार हो सकता है

अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसको दुसरे व्यक्तियों की मदद बिना किसी स्वार्थ की उम्मीद किए करने में ख़ुशी मिलती है तब आपके द्वारा किया गया यह कार्य परोपकारिता कहलाता है

परन्तु अगर आपने किसी स्वार्थ के कारण उस भूखे व्यक्ति को भोजन करवाया है

तब ऐसी स्थिति में यह सामाजिक-समर्थक व्यवहार होता है क्योकि यहाँ दुसरे लोग मेरी सराहना करेंगे, अगर मैंने मदद किया तब वह मेरे मुश्किल समय में मेरी मदद करेगा इत्यादि उद्देश्य इस कार्य को सामाजिक-समर्थक व्यवहार का रूप देते है

उदहारण के लिए, अगर आप किसी गरीब व्यक्ति की मदद इसीलिए कर रहे हैं कि आपको बाद में अपराध ( Guilt ) बोध नहीं होना चाहिए कि मैंने उस व्यक्ति की मदद नहीं किया ऐसी स्थिति में यह परोपकारिता नहीं बल्कि सामाजिक-समर्थक व्यवहार होगा क्योकि हमें यहाँ आंतरिक लाभ हो रहा है

परन्तु हम किसी गरीब व्यक्ति की मदद इस उद्देश्य से करतें है कि यह मेरा कर्तव्य हैं क्योकि आप किसी ऐसे संगठन का हिस्सा है जो आपको दुसरे व्यक्तियों की मदद करने के लिए भुगतान करता है ऐसी स्थिति में यह सिर्फ मदद करने वाला व्यवहार होगा 

लेकिन जब हम किसी गरीब व्यक्ति की मदद बिना किसी स्वार्थ के करते है तब यह परोपकारिता होगा यह परोपकारी मनुष्य ( लोग ) दुसरे व्यक्तियों की शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मदद करने के लिए हरसंभव प्रयास करते है

कोई व्यक्ति सामाजिक-समर्थक व्यवहार क्यों करता है?

यह समाज हितैषी व्यवहार या सामाजिक-समर्थक व्यवहार उन कार्यों से सम्बंधित होता है जिन्हें सहायक, सकारात्मक और सकारात्मक मानवीय संबंधों को बढ़ावा देने वाला माना जाता है

सामाजिक-समर्थक व्यवहार व्यक्तियों में जन्म से पाया जाता है हमें यह पता होना चाहिए कि सामाजिक उन्मुख और सहकारी व्यवहार मानव के विकास का आधार होता है इसीलिए सामाजिक उन्मुख व्यवहार यह सुनिश्चित करता है कि

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जीन के माध्यम से मानव वंश हमेशा आगे बढे ताकि समाज में मानव जाति जीवित रह सकें

दर्शक प्रभाव किसे कहतें है? – दर्शक प्रभाव क्या है? – Bystander Effect in Hindi – Bystander Theory.

हम सबको यह पता होना चाहिए कि दर्शक ( Bystander ) किसी आपात स्थिति के दौरान उस भीड़ या अत्यधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने को कहा जाता है जो उस समय उस आपात स्थिति को देख रहे हैं 

दर्शक प्रभाव कहता है कि  किसी आपात स्थिति को देखने वालो की संख्या जितनी अधिक होगी उनमे से किसी के द्वारा मदद करने की संभावना उतनी ही कम होगी

सामान्यत: हर मनुष्य यह समझता है कि अगर किसी जगह पर एक व्यक्ति का एक्सीडेंट हो गया है और लगभग 25 या उससे अधिक दर्शक ( Bystanders ) वहां मौजूद हैं उनमे से कोई न कोई व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति ( जिसका एक्सीडेंट हो गया )

उसकी मदद करेगा परन्तु अध्ययनों के आधार पर यह पता चलता है कि जितना अधिक लोग वहां मौजूद होंगे उतनी कम संभावना होती है कि उनमे से कोई एक व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति की मदद करता है

न्यूयॉर्क सिटी में बहुत अधिक पोपुलर मर्डर किट्टी जेनोविस हत्या ( पूरा नाम – कैथरीन सुसान जेनोविस ) हुआ था

किट्टी जेनोविस न्यूयॉर्क सिटी के क्वींस के क्यू गार्डन अनुभाग में रहती थी यह वर्ष 1964 में 13 मार्च का दिन था किट्टी जेनोविस सुबह लगभग 3 बजे के आस-पास अपने घर के सामने कुछ सामान लेने के लिए गई थी

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उस दौरान उनके ऊपर हलमावर ( नाम – विंस्टन मोसली, पता – मैनहट्टन, उम्र – 29 वर्ष ) ने हमला किया हमले के दौरान उसने  चाक़ू मारा और यौन उत्पीडन किया था 

जब उनके साथ यह हादसा हो रहा था तब उनके आस – पडोस में लोग थें जोकि उसको देख और सुन पा रहे थें उस दौरान किट्टी जेनोविस ने मदद लेने के लिए शोर भी मचाया था

परन्तु कहा जाता है कि लगभग सैंतीस ( 37 ) गवाहों ने इस हमलें को ( दर्शक ) के रूप में देखा था लेकिन उनकी मदद करने के लिए कोई भी नहीं आया उस दौरान किट्टी जेनोविस हमलावर के पहले वार से बचकर छुप गई थी

लेकिन हमलावर ने उनको दुबारा ढूंढा और उनके ऊपर हमला और यौन उत्पीडन किया इस हादसे को बहुत अधिक उछाला गया था क्योकि इसको देखने वाले इतने सारे लोग होने के बाद भी किसी ने भी मदद नहीं किया

उस समय के सबसे अधिक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक बिब लैटेन और जॉन डार्ले ने इस हादसे का ध्यानपूर्वक अध्ययन करके पाया कि विरोधाभासी रूप से हत्या के गवाहों की बड़ी संख्या के कारण ही मदद करने में विफलता हुई होगी

मतलब इतने सारे लोग इस हादसे को देख रहे थे यही कारण था कि किसी भी व्यक्ति ने मदद नहीं किया क्योकि सभी लोग यह सोचते रहे कि कोई ओर मदद करेगा

इस बात या दर्शक प्रभाव ( Bystander Effect ) को साबित करने के लिए बिब लैटेन और जॉन डार्ले के द्वारा किया गया प्रयोग ( 1968 ) उन्होंने कुछ प्रतिभागियों को इकट्ठा किया और उनको दो अलग-अलग बूथों ( टेलीफोन बूथ ) क्रमश: A तथा B पर बैठा दिया

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उसके बाद प्रतिभागियों को एक दुसरे के साथ टेलीफोन बूथ के माध्यम से बात करवाया उस दौरान जब प्रतिभागी एक दुसरे की बातें सुन रहे थे तब किसी एक प्रतिभागी ने ऐसा रियेक्ट किया कि उनमें से एक को दौरा पड़ गया है 

ऐसी स्थिति में दौरा पड़ने वाले प्रतिभागी को बचाने के लिए दूसरा प्रतिभागी तुरंत चला गया

फिर बिब लैटेन और जॉन डार्ले ने यहाँ कुछ बदलाव किया उन्होंने उन दो बूथों ( टेलीफोन बूथ ) क्रमश: A तथा B में बैठे प्रतिभागी को एक सूचना दिया उन्होंने टेलीफोन बूथ A में बैठे प्रतिभागियों से कहा गया कि

आप जिस प्रतिभागी से टेलीफोन बूथ B में बात कर रहे है वहां सिर्फ एक प्रतिभागी हैं तथा टेलीफोन बूथ B में बैठे प्रतिभागी से कहा गया कि आप जिन प्रतिभागियों से टेलीफोन बूथ A में बात कर रहे है वहां चार से पाँच प्रतिभागी का समूह हैं

उस दौरान जब दोनों टेलीफोन बूथ क्रमश: A तथा B बातें हो रही थी उस दौरान एक प्रतिभागी के दौरा पड़ने वाले रियेक्ट पर यह परिणाम प्राप्त हो गया कि बूथ A के प्रतिभागी ने तुरंत एक्शन लिया

परन्तु बूथ B के प्रतिभागी को यह पता था कि बूथ A में चार से पाँच प्रतिभागी हैं इसीलिए उसने कोई एक्शन नहीं लिया

इसीलिए यह परिणाम मिला कि विषय के अनुसार जितने अधिक लोग वहां मौजूद थें उनकी मदद करने की संभावना उतनी ही कम थी और वे ऐसा करने में उतने ही धीमे थे

Determinants of Prosocial Behavior: Personal, Situational and Socio-cultural.

सामाजिक-समर्थन व्यवहार जिसमे दूसरों या समाज को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से की जाने वाली गतिविधियाँ शामिल होती है व्यक्तिगत, स्थितिजन्य और सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों के संयोजन से प्रभावित होता है

जब हम निस्वार्थ भाव से समाज के लिए कोई कार्य करतें है उस स्थिति में जिस व्यवहार को हम अपनाते है वह सामाजिक-समर्थन व्यवहार कहलाता है इसके कुछ निर्धारक इस प्रकार है

  • व्यक्तिगत निर्धारक ( Personal Determinants )
  • परिस्थितिजन्य निर्धारक ( Situational Determinants )
  • सामाजिक-सांस्कृतिक निर्धारक ( Socio-Cultural Determinants ) 

व्यक्तिगत निर्धारक ( Personal Determinants )

व्यक्तिगत निर्धारक वह निर्धारक होते है जिनको व्यक्ति के व्यवहार से लिया जाता है यह इस प्रकार है –

सहानुभूति – उच्च स्तर की सहानुभूति, दूसरों की भावनाओं को समझने और साझा करने की क्षमता वालें व्यक्ति, सामाजिक-समर्थक व्यवहार में संलग्न होने की अधिक संभावना रहती है

एक ऐसा व्यक्ति है जो दुसरे व्यक्तियों की भावनाओं को समझता है उसमे सामाजिक-समर्थन व्यवहार होने की संभावना होती है

परोपकारिता – दूसरों की भलाई के लिए निस्वार्थ चिंता व्यक्तियों को बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना दयालुता के कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकती है जब व्यक्ति के अंदर यह होता है कि वह समाज को आगे बढ़ते हुए देखना चाहता है

ऐसे व्यक्तियों में एक दयालुता या परोपकारिता का भाव होता है जिसके कारण वह सामाजिक-समर्थन व्यवहार करते है जिसके बाद वह समाज के अंदर दुसरे व्यक्तियों की मदद करने तथा नयी नयी चीजों के लिए प्रेरित होते है जिससे सामाजिक विकास हो

नैतिक विकास – मजबूत नैतिक आधार और नैतिक मूल्यों वाले व्यक्ति सही और गलत की भावना से निर्देशित सामाजिक समर्थक कार्यों में संलग्न होने के लिए अधिक इच्छुक हो सकते है

जिस मनुष्य या व्यक्ति में सही/गलत की समझ होती है और उनका नैतिक विकास अधिक है ऐसी स्थिति से यह व्यक्ति समाज में अन्य व्यक्तियों की मदद के लिए प्रेरित होते है

परिस्थितिजन्य निर्धारक ( Situational Determinants )

दर्शक प्रभाव – दूसरों की उपस्थिति सामाजिक समर्थक व्यवहार को प्रभावित कर सकती है कुछ स्थितियों में यदि व्यक्तियों को एक समूह के बीच जिम्मेदारी का प्रसार महसूस होता है तो उनकी मदद करने की संभावना कम हो सकती है

लागत और पुरस्कार – अनुमानित लागत और पुरस्कार निर्णय लेने को प्रभावित करते है यदि सामाजिक समर्थक व्यवहार के अनुमानित लाभ लागत से अधिक है तो व्यक्तियों के ऐसे कार्यों में संलग्न होने की अधिक संभावना होती है

जब व्यक्तियों को कार्य करने के लिए लगत से अधिक पुरस्कार मिलता है ऐसी स्थिति से लोगो में दुसरे व्यक्तियों की मदद करने की भावना बढ़ती है

मनोदशा और उत्तेजना – सकारात्मक मनोदशा और उत्तेजना का स्तर सामाजिक समर्थक व्यवहार को बढ़ा सकता है अच्छे मूड वाले या भावनात्मक उत्तेजना का अनुभव करने वाले व्यक्तियों में दूसरों की मदद करने की अधिक संभावना हो सकती है

जब कोई व्यक्ति सकारात्मक मनोदशा में होता है तब वह दुसरे व्यक्तियों की मदद करने की संभावना अधिक रखता है इसीतरह व्यक्ति के नकारात्मक मनोदशा में होने पर व्यक्ति दूसरों की मदद करने से दूर भागता है

सामाजिक-सांस्कृतिक निर्धारक ( Socio-Cultural Determinants )

सांस्कृतिक मानदंड – सांस्कृतिक मूल्य और मानदंड सामाजिक समर्थक व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है जो सांस्कृतियाँ सहयोग, परोपकारिता और समुदाय पर जोर देती है वे अधिक सामाजिक समर्थक कार्यों को बढ़ावा दे सकती है

कुछ सांस्कृतियाँ कल्चर ऐसे होते है जहाँ पर लोगो की मदद की जाती है वहां सहानुभूति की भावना ज्यादा होती है उस कल्चर में व्यक्तियों के अंदर सामाजिक-समर्थन व्यवहार अधिक उत्पन्न होता है

समाजीकरण – परिवारों, समुदायों और शैक्षणिक संस्थानों के भीतर समाजीकरण की प्रक्रिया सामाजिक समर्थक दृष्टिकोण और व्यवहार के विकास में योगदान करती है

मतलब जहाँ हम रहतें है वहाँ रहने वाले लोगो का व्यवहार कैसा है?, समाज से लगाव है या नहीं?, समाज के बारे में क्या दृष्टिकोण बताये जाते है यह सभी चीजें हमारे सामाजिक-समर्थन व्यवहार पर असर डालती है

सामाजिक शिक्षा – दुसरो के व्यवहार विशेष रूप से रोल मॉडल का अवलोकन और नकल करना, सामाजिक समर्थक व्यवहार को प्रभावित कर सकता है सामाजिक समर्थक कार्यों के लिए सकारात्मक सुद्दढ़ीकरण उनकी पुनरावृत्ति को प्रोत्साहित करता है

जब हमारे रोल मॉडल समाज के प्रति सामाजिक-समर्थन व्यवहार करतें है उसको देखकर भी हमारे अंदर सामाजिक-समर्थन व्यवहार अधिक प्रेरित होता है उसके बाद हम दूसरों की मदद करके समाज को आगे बढाते है

ये निर्धारक जटिल तरीकों से परस्पर क्रिया करते है और प्रत्येक का सापेक्ष महत्त्व व्यक्तियों और संस्कृतियों में भिन्न हो सकता है इसके अतिरिक्त सामाजिक समर्थक व्यवहार की प्रकृति विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकती है

उदहारण के लिए, मदद करना, साझा करना, सहयोग और दयालुता के कार्य इत्यादि सामाजिक समर्थक व्यवहार व्यक्तिगत विशेषताओं, स्थितिजन्य कारकों और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभावों के संयोजन से प्रभावित होता है

इन निर्धारकों की परस्पर क्रिया को समझने से इस बात का व्यापक दृष्टिकोण मिलता है कि व्यक्ति ऐसे कार्यों में क्यों संलग्न होते है जो दूसरों और समाज की भलाई में योगदान करते है

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FAQ

सामाजिक समर्थक व्यवहार क्या है?

प्रोसोशल व्यवहार ( सामाजिक-समर्थक व्यवहार ) में कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से दूसरों की मदद करता है क्योकि इस व्यवहार में व्यक्ति अपनी इच्छा से दूसरों ( जरूरतमंद व्यक्ति ) की मदद करता है

यही कारण होता है कि इसमें कोई संगठन शामिल नहीं होता है यहाँ दूसरों की मदद करना हमारा कर्तव्य नहीं होता है परन्तु कई बार व्यक्ति कुछ आन्तरिक या बाहरी इनाम की उम्मीद ( स्वार्थ ) के कारण दूसरों की मदद कर देता है

दर्शक प्रभाव क्या होता है?

दर्शक प्रभाव कहता है कि  किसी आपात स्थिति को देखने वालो की संख्या जितनी अधिक होगी उनमे से किसी के द्वारा मदद करने की संभावना उतनी ही कम होगी

परोपकारिता क्या है? परोपकार से आप क्या समझते हैं?

ऐसा व्यवहार जो किसी भी प्रकार के पुरस्कार की आशा के बिना दुसरे व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने के लिए किया जाता है यह पुरी तरह से सहानुभूति से प्रेरित होता है क्योकि हमें पीड़ित व्यक्ति का दर्द महसूस होता है इसीलिए हम उसकी मदद करतें है

परोपकार में दुसरे व्यक्ति की भलाई और उनकी समस्या का समाधान खोजने पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है

मदद करना क्या है?

मदद करना एक ऐसा कार्य होता है यह कार्य हम किसी जरूरतमंद व्यक्ति की स्थिति को सुधारने के लिए करतें है मदद करना हर मनुष्य का दायित्व/कर्तव्य होता है इसीलिए एक मनुष्य दुसरे मनुष्य की मदद करता है

निष्कर्ष

यह लेख विशेष रूप से सामाजिक समर्थन व्यवहार को परिभाषित करने के उद्देश्य से शेयर किया गया है अक्सर स्टूडेंट के बीच में सामाजिक समर्थन व्यवहार, मदद करना और परोपकार को लेकर बहुत कंफ्यूजन देखने को मिलती है

परन्तु इन सभी चीजों को थोडा बहुत फर्क होता है जिसको हमने समझाया है

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

लेखक – नितिन सोनी 

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