Buddhi in Hindi: – बुद्धि क्या है? बुद्धि एक ऐसा सामान्य शब्द है जिसका प्रयोग अपने दिन प्रतिदिन के बोल चाल की भाषा में किया जाता है तेजी से सीखने तथा समझने, अच्छे स्मरण तथा तार्किक चिंतन आदि गुणों के लिए,
हम दिन प्रतिदिन की भाषा में बुद्धि ( Budhi ) शब्द का प्रयोग करते है सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि बुद्धि वह शक्ति हैं जो हमे समस्याओं का समाधान करने के लिए तथा उद्देश्य को प्राप्त करने में सक्षम बनाती हैं
परन्तु एग्जाम के उद्देश्य से यह विषय महत्वपूर्ण होने के कारण स्टूडेंट गूगल में यह लिखकर सर्च करते है कि बुद्धि किसे कहते हैं? ( Buddhi Kise Kahate Hain ). क्योकि अक्सर एग्जाम में बुद्धि से सम्बंधित सवाल,
कुछ इस तरह से पूछा जाता है कि बुद्धि क्या है बुद्धि के प्रकार बताएं? इस विषय में बुद्धि-लब्धि के महत्वपूर्ण होने के कारण उसका प्रश्न कुछ इस तरह से लिखा होता हैं कि बुद्धि लब्धि से आप क्या समझते हैं?
अगर आपका एग्जाम MCQ मे होना हैं तब आपको उसमे एक सवाल अवश्य मिलेगा कि बुद्धि लब्धि का सूत्र किसने दिया?, बुद्धि लब्धि सूत्र, भारत में बुद्धि को मापने का वैज्ञानिक प्रयास किसने किया?
बुद्धि की परिभाषा को समझने के बाद अक्सर बुद्धि का मापन और बुद्धि का सिद्धांत पर चर्चा होता है हमने यहाँ स्टूडेंट के लिए सभी महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा किया है
चलिए अब हम यह जान लेते है कि बुद्धि का अर्थ क्या है? बुद्धि की परिभाषाएं ( Buddhi Kya Hai ).
बुद्धि क्या है? बुद्धि का अर्थ? ( Intelligence in Hindi? )
मनुष्य में बहुत सारी विशेषताएं हैं जो अन्य प्राणियों में नहीं पाई जाती हैं इन विशेषताओं में बुद्धि या मानसिक योग्यता का विशेष महत्त्व हैं अन्य प्राणियों में कुछ न कुछ बुद्धि अवश्य पाई जाती हैं किन्तु मनुष्य में यह सर्वाधिक होती हैं
यही कारण है कि मनुष्य को संसार का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है परन्तु किसी भी व्यक्ति को बुद्धिमान तब तक नहीं कहा जा सकता है, जब तक कि उसके व्यवहार में निहित बुद्धि के अनेक गुणों का परीक्षण न किया जाए
बुद्धि में कभी वृद्धि नहीं होती हैं, बुद्धि का केवल विकास होता है बुद्धि अंग्रेजी शब्द Intelligence ( इंटेलिजेंस ) शब्द का हिंदी रुपांतरण है Intelligence लैटिन भाषा के दो शब्द Inter और Legere से मिलकर बना है
फ्रांसिस गाल्टन ने 1885 में सबसे पहले बुद्धि शब्द का उपयोग किया परन्तु, इस विषय पर मनोवैज्ञानिक एकमत नहीं हैं अलग अलग मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को अलग अलग ढंग से परिभाषित किया हैं
इसीलिए एफ. एस. फ्रीमैन ने बुद्धि की परिभाषाओं को 4 वेर्गों में बांटा हैं बुद्धि की परिभाषाएं इस प्रकार हैं
- प्रथम वर्ग – अभियोजना की योग्यता
- द्वितीय वर्ग – सीखने की योग्यता
- तृतीय वर्ग – अमूर्त चिंतन की योग्यता
- चतुर्थ वर्ग – उक्त तीनों वर्गों की परिभाषाओं का समन्वय
प्रथम वर्ग – अभियोजना की योग्यता
प्रथम वर्ग में वह परिभाषा हैं जो हमे यह बताती हैं कि बुद्धि अभियोजना की योग्यता हैं अभियोजन का मतलब समायोजन ( Adjustment ) से है इन सभी परिभाषाओं के अनुसार,
जब मनुष्य नवीन परिस्थितियों में अपने आप को अभियोजन ( Adjust ) कर लेते हैं तो यह क्षमता बुद्धि कहलाती हैं
- स्टर्न – के अनुसार, नवीन परिस्थितियों में अपने विचारों को अभियोजित करने की क्षमता बुद्धि हैं
- क्रूज – के अनुसार, बुद्धि नवीन एंव विभिन्न परिस्थितियों में अच्छी तरह अभियोजन करने की योग्यता है
- बर्ट -के अनुसार, सापेक्षतया नवीन परिस्थितियों में अभियोजन करने की योग्यता को बुद्धि कहते है
द्वितीय वर्ग – सीखने की योग्यता
दुसरे वर्ग में वह परिभाषा हैं जो हमे यह बताती हैं कि बुद्धि सीखने की योग्यता है मतलब हम विभिन्न चीजों को सीख लेते हैं तो हमारी वह क्षमता बुद्धि कहलाती हैं
- बंकिघम – के अनुसार, सीखने की योग्यता बुद्धि हैं
- मैकडूगल – के अनुसार, बुद्धि जन्मजात प्रवृत्ति को अतीत के अनुभवों के प्रकाश में सुधारने की योग्यता हैं
तृतीय वर्ग – अमूर्त चिंतन की योग्यता
तीसरे वर्ग में वह परिभाषा हैं जो हमे यह बताती हैं कि अमूर्त चिंतन की योग्यता को बुद्धि कहा जाता हैं मतलब व्यक्ति अगर अमूर्त चिंतन कर सकता हैं तो वह बुद्धिमान कहलायेगा यहाँ अमूर्त चिंतन से यह तात्पर्य हैं कि
कोई उद्दीपक हमारे सामने न हो लेकिन फिर भी हम उसके बारे में सोच सकते हैं वह अमूर्त चिंतन होता हैं
- बिने – के अनुसार, किसी समस्या को समझना, उसके विषय में तर्क करना तथा निश्चित निर्णय पर पहुंचना बुद्धि की आवश्यक क्रियाएं हैं
- टरमन – के अनुसार, एक व्यक्ति उसी अनुपात में बुद्धिमान हैं, जिसमें कि वह अमूर्त चिंतन करने योग्य है
चतुर्थ वर्ग – उक्त तीनों वर्गों की परिभाषाओं का समन्वय
चौथे वर्ग में वह परिभाषा हैं जिनमे समाकलात्म्क या समन्वय वाली परिभाषाएं कहते हैं उक्त तीनों वर्गों में बुद्धि के किसी एक क्षमता या ख़ास योग्यता को लेकर परिभाषित किया गया हैं लेकिन यहाँ पर बुद्धि की सभी योग्यताओं को परिभाषित किया गया हैं
वह क्षमता हमारी बुद्धि है जिसके द्वारा हम उद्देश्यपूर्ण ( लक्ष्य निर्देशित ) कार्य कर सकतें है, इसके साथ हम तर्क के साथ सोच सकते हैं और वातावरण के साथ हम प्रभावशाली ढंग से समायोजन ( Adjustment ) कर सकतें हैं
इसीलिए बुद्धि केवल एक क्षमता नहीं हैं बल्कि बुद्धि विभिन्न क्षमताओं का योग हैं
- वैश्लर – के अनुसार, बुद्धि व्यक्ति की सम्पूर्ण शक्तियों का योग या सार्वभौमिक योग्यता है जिसके द्वारा वह उद्देश्यपूर्ण कार्य करता हैं, तर्कपूर्ण ढंग से सोचता हैं और वातावरण के साथ प्रभावी ढंग से समायोजन करता हैं
बुद्धि की विशेषताएं
- बुद्धि एक जन्मजात शक्ति हैं क्योकि बुद्धि प्रत्येक प्राणी को जन्म से ही आनुवंशिक रूप से प्राप्त होती हैं मतलब ऐसा नहीं हैं कि मनुष्य के जन्म लेने के बाद उसको बुद्धि वातावरण से प्राप्त होती है यह हर मनुष्य को जन्म से प्राप्त होती है
- बुद्धि सीखने में सहायक हैं विभिन्न ज्ञान, कला कोशल, विषय वस्तु को सीखने में हमारी बुद्धि मदद करती हैं इसीलिए बुद्धि सीखने की क्षमता हैं जो हर मनुष्य के सीखने में सहायक होती हैं
- कठिन समस्याओं के समाधान तथा वातावरण के समायोजन में बुद्धि हमारी मदद करती हैं
- लिंग भेद का बुद्धि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं मतलब ऐसा नहीं होता है कि लडकियों में कम बुद्धि हैं और लडको में अधिक बुद्धि हैं
- बुद्धि अनुकूल और प्रतिकूल वातावरण से निश्चित रूप से प्रभावित होती हैं मतलब अगर हमे सकारात्मक वातावरण ( अनुकूल ) मिलेगा तो निश्चित रूप से बुद्धि विकसित होगी
परन्तु अगर नकारात्मक वातावरण ( प्रतिकूल ) होगा तो हमारी बुद्धि उस मात्रा में विकसित नहीं ही पाएंगी जिस मात्रा में वह सकारात्मक वातावरण में होगी
- बुद्धि पर आनुवंशिकता का प्रभाव निश्चित रूप से पड़ता हैं मतलब बुद्धिमान माता पिता की संताने बुद्धिमान होती हैं हाँ, हर बार ऐसा नहीं होता है लेकिन ऐसा होने की संभावना अधिक होती है
- शिक्षा के द्वारा बुद्धि का विकास किया जा सकता है क्योकि जब हम ज्ञान ( शिक्षा ) प्राप्त करते है तो निश्चित रूप से हमारी बुद्धि विकसित होती हैं
- जो अधिकांश बालक होती है वह मध्यम ( औसत ) बौद्धिक योग्यता के होते हैं
- व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों और विचारों की आलोचना बुद्धि स्वयं करती हैं क्योकि हर मनुष्य उसके द्वारा किये गए कार्य के सही या गलत होने आलोचना स्वयं बुद्धि के माध्यम से कर लेता हैं
- हम अपने पूर्व अनुभवों से बुद्धि के द्वारा लाभ उठा सकते हैं मतलब पुराने समय में जो मनुष्य का पूर्व अनुभव हैं वह अपनी बुद्धि के माध्यम से उन अनुभवों से प्राप्त ज्ञान का लाभ उठा सकता हैं
- जटिल तथा सूक्ष्म समस्याओं के समाधान में बुद्धि निश्चित रूप से सहायता करती है जितनी भी कठिन समस्याएँ होती है उनका समाधान हम बुद्धि के द्वारा ही कर सकते हैं
- बुद्धि किसी समस्या को समझने का प्रयत्न करती है तथा समझकर मस्तिष्क को निर्णय करने के लिए प्रेरित करता हैं
- ज्ञान तथा बुद्धि में अंतर होता है सामान्य रूप से ज्ञान और बुद्धि को एक ही समझ लिया जाता हैं लेकिन दोनों में अंतर होता हैं क्योकि ज्ञान हम अर्जित करते हैं परन्तु बुद्धि मनुष्य को जन्मजात रूप से प्राप्त होती हैं
बुद्धि के प्रकार ( Buddhi Ke Prakar )
थार्नडाइक ने बुद्धि के तीन प्रकार बताएं है
- अमूर्त बुद्धि
- मूर्त बुद्धि
- सामाजिक बुद्धि
अमूर्त बुद्धि ( Abstract Intelligence )
जो चीज हमारे सामने नहीं हैं अगर हम उसके बारे में सोचना या चिन्तन करना प्रारंभ कर रहे हैं तब हम अमूर्त बुद्धि का उपयोग करते हैं परिभाषा के रूप में, अमूर्त बुद्धि व्यक्ति की ऐसी बौद्धिक योग्यता एंव क्षमता हैं
जिसकी मदद से व्यक्ति गणित, शाब्दिक, या सांकेतिक समस्याओं का समाधान करता हैं अमूर्त बुद्धि का प्रयोग करके हम पढने, लिखने एंव तार्किक प्रश्नों में करते हैं इस बुद्धि का सम्बन्ध पुस्तकीय ज्ञान से होता हैं
उदहारण के लिए, कवि साहित्यकार, चित्रकार आदि लोग अमूर्त बुद्धि से ही अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं शिक्षक, लेखक, संगीतकार, वैज्ञानिक |
मूर्त बुद्धि ( Concrete Intelligence )
जो चीज हमे दिखाई दे रही है उसके बारे में तर्क करना, सोचना, चर्चा करने पर हम मूर्त बुद्धि का उपयोग करते हैं परिभाषा के रूप में, मूर्त बुद्धि के द्वारा व्यक्ति विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का व्यवाहरिक एंव उत्तम प्रयोग करने की क्षमता अर्जित करता हैं
मूर्त बुद्धि को यांत्रिक बुद्धि या गायक बुद्धि भी कहा जाता हैं हम अपने दैनिक जीवन के ज्यादातर कार्य मूर्त बुद्धि की ही सहायता से करते हैं क्योकि इस बुद्धि का सम्बन्ध यंत्रों व मशीनों से होता हैं
उदहारण के लिए, आपके सामने एक मोबाइल है, उसमे कुछ कमी होने पर उसको खोल दिया और उसको देखना शुरू कर दिया ऐसे शारीरिक कार्यों में अधिक बुद्धिमान लोगो में मूर्त बुद्धि होती हैं
उदहारण, इंजीनियर, फॉरमैन, कंप्यूटर ऑपरेटर, मैकेनिक |
सामाजिक बुद्धि ( Social Intelligence )
ऐसी बुद्धि जिसके अंदर सामाज के प्रति या सामाजिक कार्य करने की क्षमता हो, वह सामाजिक बुद्धि कहलाती हैं इसीलिए ऐसे व्यक्ति सामाजिक कार्य, समाज सेवा करने, समाज में समायोजन करने, दुसरे व्यक्तियों के हित को समझना,
दुसरे व्यक्तियों के फायदें के बारे में सोचना, लोक कल्याण की भावना जैसे गुण जिनके अंदर होते हैं उनमे सामाजिक बुद्धि होती हैं मतलब सामाजिक बुद्धि से तात्पर्य उन बौद्धिक योग्यताओं से होता है
जिनका उपयोग कर व्यक्ति सामाजिक परिवेश के साथ समायोजन स्थापित करने में करता हैं वंशानुक्रम एंव वातावरण तथा दोनों की अंत: क्रिया बुद्धि को प्रभावित करने वाले कारक हैं इस बुद्धि का सम्बन्ध सामाजिक अनुकूलशीलता से होता हैं
उदहारण के लिए, समाज सेवक, नेता जी, पंडित जी, धर्म गुरु, बीमा एजेंट |
बुद्धि के सिद्धांत ( Buddhi Ke Siddhant ) बुद्धि का सिद्धांत ( Buddhi Ka Siddhant )
यहाँ हम बुद्धि के तीन सिद्धांतों का अध्ययन करेंगे जो अलग अलग मनोवैज्ञानिकों के द्वारा दिए गए हैं
एक-तत्व सिद्धांत ( प्रतिपादक – अल्फ्रेड बिने )
द्वि-तत्व सिद्धांत ( प्रतिपादक – स्पीयरमैन ) – स्पीयरमैन का सिद्धांत
बहु-तत्व सिद्धांत ( प्रतिपादक – थस्र्टन ) – थॉर्नडाइक का सिद्धांत
एक-तत्व सिद्धांत ( प्रतिपादक – अल्फ्रेड बिने )
अन्य नाम – एक सत्तात्मक सिद्धांत, एक कारक सिद्धांत, एकखण्ड का सिद्धांत, निरंकुशवादी सिद्धांत
इस सिद्धांत को एक कारक सिद्धांत भी कहा जाता है इस सिद्धांत का प्रतिपादक अल्फ्रेड बिने के द्वारा 1911 में किया गया था जिन्होंने यह बताया कि बुद्धि में एक ही तत्व या कारक होता हैं जो अखंड और अविभाज्य होता है
मतलब इसको खण्डों में विभाजित नहीं किया जा सकता है और एक समय में बुद्धि के द्वारा किये गए कार्य में हमारी सम्पूर्ण बुद्धि सक्रिय होती है मतलब एक समय में बुद्धि द्वारा एक ही कार्य को किया जा सकता हैं इस सिद्धांत के समर्थक बिने, टरमैं, स्टर्न है
द्वि-तत्व सिद्धांत ( प्रतिपादक – स्पीयरमैन ) – स्पीयरमैन का सिद्धांत
अन्य नाम – द्वितत्वीय सिद्धांत, द्विखंड सिद्धांत, टू फैक्टर थ्योरी, स्पीयरमैन का सिद्धांत
इस सिद्धांत को टू फैक्टर थ्योरी कहा जाता है इसके प्रतिपादक स्पीयरमैन हैं जिन्होंने यह बताया कि बुद्धि के दो तत्व या शक्तियां होती हैं पहली – सामान्य बुद्धि और दुसरी – विशिष्ट बुद्धि
- सामान्य बुद्धि ( G-Factor ) – यह सामान्य कार्यों को पूरा करने में मदद करती हैं और यह सामान्य बुद्धि सभी प्राणियों मतलब मनुष्यों में पायी जाती हैं और यह जन्मजात होता हैं
- विशिष्ट बुद्धि ( S-Factor ) – यह विशिष्ट कार्यों को करने में मदद करती हैं और यह सभी व्यक्तियों में नहीं पायी जाती हैं मतलब जिन व्यक्तियों में विशिष्ट कार्यों को करने की क्षमता ( योग्यता ) होती हैं और हर मनुष्य में इसकी क्षमता अलग होती हैं
बहु-तत्व सिद्धांत ( प्रतिपादक – थस्र्टन ) – थॉर्नडाइक का सिद्धांत
अन्य नाम – बहुकारक सिद्धांत, असत्तात्मक सिद्धांत,
इस सिद्धांत का प्रतिपादक थार्नडाइक के द्वारा किया गया था और थार्नडाइक ने यह बताया कि बुद्धि अलग अलग क्षमताओं का संगठन होता हैं मतलब बुद्धि में एक या दो कारक नहीं बल्कि बहुत सारे कारक होते हैं
उन सभी कारको का संगठन बुद्धि कहलाता है बुद्धि विभिन्न क्षमताओं का योग हैं इसमें व्याकरण सम्बंधित क्षमता, भाषा प्रवाह, तर्क करने की योग्यता, आदि आते है
गार्डन का बहुबुद्धि सिद्धांत
अन्य नाम – मल्टीप्ल इंटेलिजेंस थ्योरी,
इस सिद्धांत का प्रतिपादक गार्डन के द्वारा 1983 में किया गया था और गार्डन ने कहा कि बुद्धि एकाकी न होकर बहुकारकीय होती हैं उन्होंने कहा कि सामान्य बुद्धि में सात तरह की क्षमताएँ या बुद्धि सम्मिलित होती है
इन सात तरह की बुद्धि का विशेष गुण यह है कि प्रत्येक बुद्धि एक-दुसरे से स्वतंत्र होती हैं तथा मस्तिष्क में प्रत्येक के संचालन के नियम अलग अलग होते है
गार्डन द्वारा वर्णित ये सात प्रकार की बुद्धि इस प्रकार हैं –
- भाषाई बुद्धि – भाषाई बुद्धि में वाक्यों तथा शब्दों की बोध-क्षमता, शब्दावली, शब्दों के क्रमों के बीच संबंधों को पहचानने की क्षमता आदि निहित होती हैं उदहारण के लिए, भाषाई बुद्धि कवियों में अधिक होती है
- तार्किक-गणितीय बुद्धि – इस बुद्धि में तर्क करने की क्षमता, गणितीय समस्याओं का समाधान करने की क्षमता, अंकों के क्रम में निहित सम्बन्ध को पहचानने की क्षमता, सद्र्श्यता-क्षमता आदि होती है ऐसी बुद्धि गणितज्ञ, वैज्ञानिकों तथा जासूसों में होती है
- स्थानिक बुद्धि – इसमें स्थानिक चित्र को मानसिक रूप से परिवर्तन करने की क्षमता तथा स्थानिक कल्पना शक्ति की क्षमता आदि इसके अंदर आती है इस प्रकार बुद्धि को आर्ट स्मार्ट या पिक्चर स्मार्ट कहा जाता है
उदहारण के लिए, एक पायलेट में मैप ( लोकेशन ) को देखकर यह समझ जाते है कि हमे कहाँ पर जाना हैं
- शारीरिक-गतिक बुद्धि – ऐसी बुद्धि के अंदर शारीरिक गति पर नियंत्रण रखने की क्षमता तथा वस्तुओं को सावधानीपूर्वक एंव कुशलतापूर्वक घुमाने तथा उपयोग करने की क्षमता होती है इसे बॉडी स्मार्ट या मूवमेंट स्मार्ट कहते है
उदहारण के लिए, एक क्रिकेट खिलाडी के अंदर शारीरिक-गतिक बुद्धि होती है क्योकि वह बहुत अच्छी तरह से अपनी बॉडी को कण्ट्रोल कर लेते है अगर बाउंडरी पर बोल जा रही है तब वह उसको टच नहीं करने देते हैं
- संगीतिक बुद्धि – संगीतिक बुद्धि के अंदर तारत्व तथा लय को सही सही सम्मिलित करने की क्षमता होती है इस प्रकार की बुद्धि में लय, सुर और ताल को पहचानने की शक्ति होती हैं
उदहारण के लिए, एक सिंगर ( गायक ) में संगीतिक बुद्धि होती है
- व्यक्तिगत आत्मन बुद्धि – इस प्रकार की बुद्धि में अपने भावों एंव संवेगों को व्यक्त करने की क्षमता तथा विभेद करने की क्षमता तथा मानव व्यवहार को निर्देशित करने में उन सूचनाओं का उपयोग करने की क्षमता आदि सम्मिलित होती है
- व्यक्तिगत अन्य बुद्धि – इस प्रकार की बुद्धि में दूसरों व्यक्तियों की प्रेरणाओं, इच्छाओं एंव आवश्यकताओं को समझने की क्षमता एंव उनकी मनोदशाओं एंव चित्र-पूर्ति मोनिटर करके किसी नई परिस्थिति में पूर्व कथन करने की क्षमता विकसित की जा सकती है
नोट – हम किसी भी मनुष्य को ट्रेनिंग देकर किसी भी सामान्य व्यक्ति को कोई भी कार्य सिखाया जा सकता हैं
बुद्धि परिक्षण ( Psychological Test ) – Buddhi Parikshan
बुद्धि का मापन करने के लिए बुद्धि परिक्षण की जरुरत होती है मतलब वह मनोवैज्ञानिक परीक्षणों जिनकी सहायता से बुद्धि का मापन किया जाता है उन्हें बुद्धि परिक्षण कहते हैं
बुद्धि परीक्षणों का विकास ( इतिहास )
बुद्धि परीक्षण के इतिहास को तीन भागों में विभाजित करके समझा जा सकता है
- प्राचीन काल में बुद्धि परीक्षण
- मध्यकाल में बुद्धि परीक्षण
- आधुनिक काल में बुद्धि परीक्षण
प्राचीन काल में बुद्धि परीक्षण – प्राचीन काल में बुद्धि का मापन ज्ञान के आधार पर किया जाता हैं जो भी व्यक्ति जितना अधिक ज्ञान अर्जित कर लेता था उसको उतना अधिक बुद्धिमान माना जाता था
ज्ञान के लिए विभिन्न प्रकार के तर्क विर्तक कराये जाते थे और इन तर्क विर्तकों में जो व्यक्ति जीत जाता था उस व्यक्ति को अधिक बुद्धिमान माना जाता था
मध्यकाल में बुद्धि परीक्षण – मध्यकाल में शारीरिक गुणों के आधार पर बुद्धि को मापा जाता था मतलब व्यक्ति के चेहरे के जो उतार चड़ाव ( नैन -नक्ष ) के आधार पर बुद्धि का मापन किया जाता था
लेकिन लैवेल ने मुखाकृति विज्ञान की पुस्तक में चेहरे की आकृति के आधार पर बौद्धिक क्षमता का निर्धारण कियाहै और बर्ट ने 1806 ई में अपनी पुस्तक Anatomy and Philosophy od Expression में चेहरे की आकृति के आधार पर बुद्धि का निर्धारण किया हैं
आधुनिक काल में बुद्धि परीक्षण – 1855 में फ्रांस में गाल्टन ने बुद्धि परीक्षण विधि का प्रयोग किया था 1879 में विलियम वुण्ट ने जर्मनी के लिपज़िक में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला स्थापित करके बालकों की बुद्धि का मापन किया
फ्रांस की सरकार के कहने पर 1905 में अल्फ्रेड बिने ( Alfred Binet ) ने थियोडोर साइमन ( Theodore Simon ) के सहयोग से मानसिक रूप से दुर्बल बच्चो की पहचान करने के लिए एक बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया
बिने के द्वारा 1905 में बने इस बुद्धि परीक्षण को मनोविज्ञान में सबसे पहला बुद्धि परीक्षण माना जाता है हाँ, गाल्टन ने 1855 में बुद्धि परीक्षण बना लिया था लेकिन 1905 में अल्फ्रेड बिने के परीक्षण को पहला बुद्धि परीक्षण माना जाता है
इसका कारण यह है कि अल्फ्रेड बिने के द्वारा जो बुद्धि परीक्षण बनाया गया है वह एक मानकीकृत बुद्धि परीक्षण ( Standardized Intelligence Test ) था
क्योकि 1905 में अल्फ्रेड बिने ने थियोडोर साइमन के सहयोग से यह बुद्धि परीक्षण बनाया था जिसका नाम बिने-साइमन स्केल था इस परीक्षण को कई बार संशोधन ( Revision ) किया गया
1908 में बिने ने जब इसका संशोधन किया तो इसमें इन्होने मानसिक आयु ( Mental Age ) की अवधारणा को डाला, इसके बाद 1911 में इसका संशोधन किया गया और इसका सबसे महत्वपूर्ण संशोधन 1916 में टरमन के द्वारा किया गया था
1916 में टरमन के द्वारा स्टेंनफोर्ड विश्वविद्यालय में किये गए इस संशोधन में टरमन ने बुद्धि लब्धि I.Q की अवधारणा को दिया हाँ यह बात अलग है कि 1912 में बुद्धि लब्धि ( Intelligence Quotient ) के बारे विलियम स्टर्न ने बता दिया था
लेकिन फिर भी मनोवैज्ञानिक परीक्षणों में टरमन ने इसका उपयोग किया इसीलिए 1916 में टरमन के द्वारा किया गया संशोधन महत्वपूर्ण है इस संशोधन को स्टेंनफोर्ड बिने परीक्षण नाम दिया गया बाद में टरमन ने इसमें 1937, 1960 और 1986 में भी संशोधन किया
भारत में बुद्धि परिक्षण कब बने ( भारत में बुद्धि को मापने का वैज्ञानिक प्रयास किसने किया )
भारत में बुद्धि परीक्षण की लिस्ट लम्बी हैं लेकिन हमने कुछ महत्वपूर्ण बुद्धि परीक्षण के बारे में बताया है
भारत में पहला बुद्धि परीक्षण सी.एच. राइस ने 1922 में बनाया था और यह बिने स्केल का भारतीय अनुकूलन था जिसका नाम हिंदुस्तानी बिने परफॉरमेंस पॉइंट स्केल रखा गया उसके बाद 1927 में जे. मनरी ने समूह बुद्धि परीक्षण बनाया
फिर 1933 में डॉ० लज्जाशंकर झा ने सामूहिक द्धि परीक्षण बनाया, फिर 1951 में डॉ० जलोटा ने एक सामूहिक बुद्धि परीक्षण बनाया और 1955 में प्रो० सी.एम भाटिया ( चन्द्र मोहन भाटिया ) ने व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण बनाया
जिसका नाम भाटिया बैटरी परफॉरमेंस टेस्ट ऑफ़ इंटेलिजेंस रखा गया क्योकि यह एक परफॉरमेंस टेस्ट था इसीलिए एक समय में एक ही व्यक्ति के ऊपर किया जा सकता था
बुद्धि लब्धि क्या है? ( Buddhi Labdhi Kya Hai? ) बुद्धि लब्धि से आप क्या समझते हैं – बुद्धि लब्धि ( Intelligence Quotient ) I.Q
किसी भी व्यक्ति या बालक की वास्तविक आयु ( शारीरिक आयु ) तथा मानसिक आयु के आनुपातिक स्वरूप को बुद्धि लब्धि ( I.Q ) कहा जाता हैं I.Q की अवधारणा टर्मन ने 1916 में स्टेंनफोर्ड बिने स्केल में दी थी
सबसे पहले I.Q का कांसेप्ट 1912 में विलियम स्टर्न ने दिया था बुद्धि लब्धि ( I.Q ) निकालने के लिए मानसिक आयु में वास्तविक आयु से भाग देकर 100 से गुणा किया जाता है
वास्तविक/शारीरिक आयु Chronological Age ( C.A )
किसी भी व्यक्ति की आयु, जिसका निर्धारण उसकी जन्मतिथि से किया जाता है
मानसिक आयु Mental Age ( M.A )
मानसिक आयु की अवधारणा अल्फ्रेड बिने ने 1908 में दी | मानसिक आयु का निर्धारण बौद्धिक स्तर ( बुद्धि के लेवल ) के आधार पर किया जाता है इसके लिए एक मापदंड ( Criteria ) तैयार किया जाता हैं,
जिसमें प्रत्येक आयु के लिए कुछ प्रश्न निर्धारित किए जाते हैं बालक जिस आयु के लिए निर्धारित प्रश्नों के उत्तर सही-सही हल कर देता हैं वही उसकी मानसिक आयु मानी जाती हैं
उदहारण के लिए, एक बच्चा 10 वर्ष ( शारीरिक आयु ) का हैं वह 10 साल के बच्चो के लिए तैयार किये गए मापदंड ( Criteria ) वाले प्रश्न को सही सही हल कर देता है तब ऐसी स्थिति में उसकी मानसिक आयु 10 साल मानी जायेगी
लेकिन यह 10 वर्ष ( शारीरिक आयु ) का बच्चा अगर 11 और 12 साल के बच्चो के लिए निर्धारित प्रश्न को हल कर देता हैं तब स्की शारीरिक आयु 10 साल और मानसिक आयु 12 साल मानी जायेगी
बुद्धि लब्धि निकालने का सूत्र ( Buddhi Labdhi Ka Formula ) बुद्धि लब्धि सूत्र ( IQ Formula in Hindi )
बुद्धि लब्धि ( I.Q ) = मानसिक आयु ( Mental Age )/ वास्तविक आयु ( Chronological Age ) * 100
उदहारण के लिए, एक बालक की वास्तविक आयु 5 वर्ष तथा मानसिक आयु 7 वर्ष हैं
( I.Q ) = M.A/ C.A * 100 = 7/5 * 100 = 1.4 * 100 = 140
उदहारण के लिए, एक बालक की वास्तविक आयु 10 वर्ष तथा मानसिक आयु 8 वर्ष हैं
( I.Q ) = M.A/ C.A * 100 = 8/10 * 100 = .8 * 100 = 80
बुद्धि लब्धि के अनुसार वर्गीकरण
टरमन मैरिल के अनुसार वर्गीकरण
क्रम संख्या | बुद्धि लब्धि | बुद्धि वर्ग |
1 | 140 से ऊपर | प्रभावशाली ( Genius ) |
2 | 120 से 140 | प्रखर बुद्धि ( Very Superior ) |
3 | 100 से 120 | तीव्र बुद्धि ( Superior ) |
4 | 90 से 100 | सामान्य बुद्धि ( Normal Intelligence ) |
5 | 80 से 90 | मंदबुद्धि ( Dull ) |
6 | 70 से 80 | निर्बल बुद्धि ( Feeble Minded ) |
7 | 50 से 70 | मुर्ख ( Moron ) |
8 | 20 से 50 | मूढ़ ( Imbecile ) |
9 | 20 से नीचे | जड़ ( Idiot ) |
गैरेट का वर्गीकरण
क्रम संख्या | बुद्धि लब्धि | बुद्धि वर्ग |
1 | 140 से ऊपर | अधिक अत्यंत श्रेष्ठ ( Very Superior ) |
2 | 120 से 139 | श्रेष्ठ ( Superior ) |
3 | 110 से 119 | प्रतिभाशाली ( Brilliant ) |
4 | 90 से 109 | औसत या सामान्य ( Average Or Normal ) |
5 | 80 से 89 | मंद सामान्य या पिछड़ा हुआ ( Dull Normal Or Backward ) |
6 | 70 से 79 | अत्यंत मंद ( Very Dull ) |
7 | 0 से 69 | दुर्बल बुद्धि ( Feeble Minded ) |
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बुद्धि का निष्कर्ष
बुद्धि का अर्थ, परिभाषाएं, प्रकार, मापन, सिद्धांत, बुद्धि परीक्षण, बुद्धि लब्धि और विशेषताओं के बारे में यह लेख लिखा गया हैं बीए में मनोविज्ञान वाले स्टूडेंट्स के लिए यह लेख मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें