Manav Vikas Ki Paribhasha: – मानव विकास क्या है? हर बार मानव विकास को लेकर मनुष्य कंफ्यूज अधिक रहता हैं क्योकि मानव के विकास को समझाना एक जटिल कार्य हैं
लेकिन चार्ल्स डार्विन ने मानव विकास को समझाने में अपनी विशेष भमिका निभाई हैं लेटेस्ट शोध ( नयी रिसर्च ) में कई बाते क्लियर हो गई है मानव विकास का महत्त्व जीवन में समझना बहुत जरुरी हैं क्योकि हमे मानव का विकास क्रम पता होना चाहिए
परन्तु सभी मनुष्यों को मानव विकास को अच्छे से समझने के लिए नयी खोज को समझना होगा
नयी खोज क्या हैं? ( Manav Vikas Ko Paribhashit Kijiye )
पहले यह माना जाता था कि स्टेर्कफोंटेन गुफा में मौजूद सभी जीवाश्म ऑस्ट्रेलोपिथेकम युग के अंत से सम्बंधित हैं लेकिन साउथ अफ्रीका ( दक्षिण अफ्रीका ) के जोहान्सबर्ग शहर के पास स्टेर्कफोंटेन गुफा में एक शोध के दौरान पता चला कि
स्टेर्कफोंटेन गुफा में ऑस्ट्रेलोपिथेकम के सभी जीवाश्म लगभग 3.4 से 3.7 मिलियन वर्ष पुराने हैं इसीलिए यहाँ मौजूद सभी जीवाश्म ऑस्ट्रेलोपिथेकम युग की शुरुआत से सम्बंधित हैं इस पुरी खोज से पहले धारणा यह था कि पूर्वी अफ्रीका वह स्थान है
जहाँ पर प्रारंभिक होमिनिड्स, होमो जीनस में बदल गए यह कहा जा सकता है कि यहाँ मानव विकास का एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक चरण देखा गया था उदहारण के लिए, 3.2 मिलियन वर्ष पुराने लुसी नामक जीवाश्म की खोज हैं
यह ऑस्ट्रेलोपिथेकम के एफरेन्सिस प्रजाति से सम्बंधित हैं परन्तु नयी खोज के अनुसार, पूर्वी अफ्रीका में पाए गए लुसी नामक जीवाश्म से भी पुराने जीवाश्म ऑस्ट्रेलोपिथेकम अफ़्रीकैनस के जीवाश्म हैं
कहा जा सकता है कि दक्षिण अफ्रीका के ऑस्ट्रेलोपिथेकम जीवाश्म, पूर्वी अफ्रीका ऑस्ट्रेलोपिथेकम के वंशज नहीं है बल्कि उनके समकालीन हैं मतलब दोनों एक साथ एक ही अवधि में मौजूद थे
इसीलिए दक्षिण अफ्रीकी और पूर्वी अफ्रीकी दोनों के जीवाश्म को संयुक्त तौर पर आधुनिक मानव ( हमारा ) के पूर्वज माना जा सकता हैं
स्टेर्कफोंटेन गुफा क्या हैं?
दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग शहर से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम के पास एक जगह है जिसको मानव जाति का पालना ( Cradle Of Humankind ) कहा जाता हैं इस पूरी जगह में चुना पत्थर की कुछ गुफाएं मौजूद हैं और,
इस सम्पूर्ण क्षेत्र में होमिनिन जीवाश्म बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं क्योकि यह इस जगह की एक मुख्य विशेषता हैं इसीलिए यह पूरा क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं इस जगह गुफाओं की जटिल प्रणाली में एक स्टेर्कफोंटेन गुफा हैं और,
दुनिया में सबसे अधिक ऑस्ट्रेलोपिथेकम के जीवाश्म इस स्टेर्कफोंटेन गुफा में मौजूद हैं इसीलिए ऑस्ट्रेलोपिथेकम के अध्ययन के लिए यह स्टेर्कफोंटेन गुफा बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण हैं
यही कारण है कि अलग अलग शोधकर्ताओं के द्वारा इस क्षेत्र में शोध किया जाता हैंलगभग 47 हजार हेक्टेयर में फैले इस पुरे क्षेत्र को विश्व धरोहर स्थल ( युनेस्को द्वारा ) घोषित किया
ऑस्ट्रेलोपिथेकम कौन हैं?
ऑस्ट्रेलोपिथेकम का अर्थ दक्षिण वानर होता हैं मतलब वह लोग जो ख़ासतौर पर दक्षिण अफ्रीका के क्षेत्रों से थे जिनको वर्तमान समय में विलुप्त हुए प्रारंभिक मनुष्यो का समूह माना जा सकता हैं जो आधुनिक मनुष्यों ( हमारे ) के पूर्वजों से निकटता से सम्बंधित थे
ऑस्ट्रेलोपिथेकम का पहला जीवाश्म वर्ष 1925 में रेमंड डार्ट द्वारा अफ्रीका में खोजा गया था जिससे यह स्पष्ट हो गया कि मानव विकास की शुरुआत अफ्रीका से हुई परन्तु इससे पहले यह माना जाता था कि मानव इतिहास की शुरुआत एशिया और यूरोप से हुई थी
यह पृथ्वी पर लगभग 4.4 से 1.4 मिलियन वर्ष पहले मौजूद थे यह कहा जा सकता है कि हमारे अपने जीनस, होमो की तुलना में लंबी अवधि तक पृथ्वी पर यह मौजूद रहे थे
इस पूरी प्रजाति के जीवाश्म हमे मुख्य तौर पर उत्तरी, पूर्वी, दक्षिण और मध्य अफ्रीका के स्थलों पर पाए गए
हमारी रिसर्च के अनुसार कई बार मनोविज्ञान के एग्जाम में यह प्रश्न पूछ लिया जाता है कि मानव विकास से आप क्या समझते हैं? ( Manav Vikas Se Aap Kya Samajhte Hain ).
लेकिन मानव विकास को समझने से पहले विकास क्या होता हैं? यह समझना होगा
मानव विकास क्या है? ( Manav Vikas Kise Kahate Hain ) – मानव विकास का अर्थ एवं परिभाषा – मानव विकास किसे कहते हैं?
विकास को सरल जीव के जटिल जीव में परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता हैं मतलब जब कोई सरल जीव एक जटिल जीव में बदल जाता हैं इस प्रक्रिया को हम विकास की प्रक्रिया कहते हैं
चार्ल्स डार्विन – के अनुसार विकास प्राकृतिक चयन नामक प्रक्रिया पर निर्भर होता हैं जिसके परिणामस्वरूप जीवों की प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है और वे अपने आस-पास की परिस्थितियों के अनुकूल हो जाते हैं
इस तरह जीव समय के साथ कुछ बदलावों के परिणामस्वरूप विकसित होते हैं
मानव इतिहास की शुरुआत कब? ( Human Development in Hindi ) – मानव विकास का इतिहास
मानव इतिहास लगभग 36 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ था जब पृथ्वी पर एशिया और अफ्रीका में प्राइमेट का उदय हुआ था प्राइमेट स्तनधारियों की एक श्रेणी होती है जिसमे हम बंदरों, वानरों और इंसानों को शामिल कर सकते हैं
प्राइमेट की मुख्य विसेश्ताएं
- शरीर पर बाल होना
- लंबी गर्भधारण अवधि होना
- अलग अलग तरह के दांत होना
- शरीर के तापमान को स्थिर बनाकर रखने की क्षमता होना
लगभग 24 मिलियन वर्ष पहले प्राइमेट का एक उप-समूह विकसित हुआ जिसको होमिनॉइड के नाम से जाना गया होमिनॉइड में मुख्य रूप से वानर शामिल होते हैं उसके बाद लगभग 5.6 मिलियन वर्ष पहले होमिनॉइड का विकास हुआ
उस दौरान होमिनॉइड में भी एक समूह विकसित हुआ इस नए विकसित समूह को होमिनिड के नाम से जाना गया क्योकि होमिनिड, होमिनॉइड से ही विकसित हुआ था इसीलिए होमिनॉइड और होमिनिड में बहुत सारे समानताएं मौजूद थी
परन्तु, दोनों में कई अंतर भी मौजूद थे जो निम्न हैं
- होमिनॉइड की तुलना में होमिनिड के पास अधिक मानसिक क्षमता मौजूद होती थी
- होमिनिड सीधे खड़े रहकर दो पैरों पर चला करते थे लेकिन होमिनॉइड चार पैरों पर चला करते थे
- होमिनिड के पास विशेष प्रकार के हाथ मौजूद थे जबकि होमिनॉइड के पास ऐसे हाथ नहीं थे होमिनिड उन हाथो के माध्यम से औजार बनाने में सक्षम थे
होमिनिड का विकास अफ्रीका से हुआ था क्योकि अफ़्रीकी वानरों की विशेषताएँ, होमिनिड से बहुत अधिक मिलती-झूलती हैं और सबसे प्राचीन होमिनिड जीवाश्म हमे अफ्रीका से ही मिला हैं
इसीलिए यह कहा जा सकता है कि होमिनिड का विकास अफ्रीका से ही हुआ
होमिनिड को भी लगभग 20 शाखाओं में विभाजित किया जा सकता हैं जिसमे प्रमुख शाखाएं ऑस्ट्रेलोपिथेकम और होमो हैं मौजूदा समय के लिए, होमो को समझना बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो जाता हैं क्योकि वर्तमान में मौजूदा मानव प्रजाति का विकास होमो से हुआ
होमो को उनकी विशेषताओं के आधार पर कई प्रजातियों में विभाजित किया जा सकता हैं
- होमो हैबिलिस – यह औजार बनाने में सक्षम थे
- होमो इरेक्टस – यह सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलने में सक्षम थे
- होमो सैपियंस – यह प्रज्ञा ( बुद्धिमान ) और चिंतनशील मनुष्य थे मतलब वह विचार करने में सक्षम थे और यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योकि मौजूदा समय पर पृथ्वी पर हर मनुष्य होमो सैपियंस प्रजाति से सम्बंधित हैं
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निष्कर्ष
यह लेख विशेष रूप से मानव के विकास को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं आपके लिए मानव विकास का इतिहास को समझना आसान बना दिया गया है
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लेखक – नितिन सोनी
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