मनोविज्ञान क्या है? विकास, अर्थ, क्षेत्र एंव प्रकृति ( मनोविज्ञान की परिभाषा ) 2024

मनोविज्ञान क्या है? विकास, अर्थ, क्षेत्र एंव प्रकृति ( मनोविज्ञान की परिभाषा ) 2024

Psychology Kya Hai: – मनोविज्ञान क्या है? वर्तमान समय में मनोविज्ञान को बहुत सारे स्टूडेंट पढ़ना पसंद करते हैं परन्तु, पहले मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र में गिना जाता था लेकिन समय के साथ साथ मनोविज्ञान का डेवलपमेंट तेजी से बढ़ने लगा

मनोविज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाने का स्टूडेंट सपना देखते हैं इस स्थिति में स्टूडेंट इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के दौरान ग्रेजुएशन के लिए बीए इन मनोविज्ञान का रास्ता चुनते हैं

मनोविज्ञान को पढने में सबसे पहला सवाल यह होता है कि मनोविज्ञान किसे कहते हैं? ( Manovigyan Kise Kahate Hain ).

कहा जा सकता है कि विज्ञान के क्षेत्र में मनोविज्ञान का महत्व अच्छा है जिसको मनोविज्ञान के क्षेत्र का वर्णनकरने पर देखा जा सकता हैं हाँ भाई, मनोविज्ञान की परिभाषा एवं क्षेत्र के बारे में इस लेख में बताया हैं

इन्टरनेट का उपयोग करके सर्च इंजन पर बहुत अधिक मात्रा में लोग कुछ सवाल को सर्च करते हैं और एग्जाम में ऐसे सवाल प्रश्न के रूप में उत्तर लिखने के लिए पूछ लिए जाते हैं कि Psychology Kise Kahate Hain?.

मनोविज्ञान क्या है? विकास, अर्थ, क्षेत्र एंव प्रकृति ( मनोविज्ञान की परिभाषा ) 2024

हर मनुष्य अलग – अलग बर्ताव करता है जिस प्रकार एक छोटे बच्चे, बूढ़े और जवान का व्यवहार अलग अलग होता हैं ऐसे बर्ताव को जांचना मनोविज्ञान हैं परन्तु इन्टरनेट पर कुछ लोग यह सर्च करते हैं कि मनोविज्ञान का पिता कौन है? 

मनोविज्ञान को एक नई दिशा देने वाले वैज्ञानिका का नाम विल्हेम मैक्समिलियन वुण्ट ( Wilhelm Maximilian Wundt ) हैं

परन्तु इस आधुनिक युग में मनोविज्ञान का पिता विल्हेम मैक्समिलियन वुण्ट ( Wilhelm Maximilian Wundt ) को कहा जाता हैं विल्हेम मैक्समिलियन वुण्ट ने वर्ष 1879 में मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला का निर्माण जर्मनी के लिपशिग में किया था

नोट – मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा को समझने के लिए यहाँ ध्यान से पढ़ना शुरू करें क्योकि मनोविज्ञान का अर्थ और परिभाषा एग्जाम के उद्देश्य से महत्वपूर्ण है 

मनोविज्ञान क्या है ( Manovigyan Kya Hai? ) मनोविज्ञान की परिभाषा एवं क्षेत्र? ( Psychology Kya Hai )

मनोविज्ञान शब्द अंग्रेजी के साइकोलॉजी शब्द का हिंदी रूपांतर ( अनुवाद ) हैं क्योकि साइकोलॉजी को हिंदी भाषा में मनोविज्ञान कहा जाता हैं मनोविज्ञान दो ग्रीक ( यूनानी ) शब्द से मिलकर बना है जिसमे पहला शब्द Psyche और दुसरा शब्द Logos होता है

Psyche का अर्थ समय के साथ साथ बदलता रहता हैं हम Psyche का अर्थ मन, आत्मा कह सकते हैं और Logos का अर्थ अध्ययन होता हैं परिभाषा के रूप में, मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान होता है

जो मनुष्य के व्यवस्थित रूप से अवलोकनीय व्यवहार और मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन करता हैं मनोविज्ञान का संबंध मस्तिष्क से हैं

ई. वाटसन ( E. Watson ) – का कहना है कि मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो सम्पूर्ण जीवित प्राणियों के व्यवहार का अध्ययन करने वाला शुद्ध विज्ञान हैं

मैक्डूगल ( अमेरिकन मनोवैज्ञानिक ) – मनोविज्ञान मानव व्यवहार और मानवीय आचरण का यथार्थ अध्ययन है

स्किनर – मनोविज्ञान मानव व्यवहार एंव मानवीय अनुभूति ( अनुभव ) का अध्ययन है और स्किनर का कहना है कि मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान हैं

पिल्सबरी – मनोविज्ञान मानव व्यवहार का अध्ययन है

क्रो एण्ड क्रो – मनुष्यों के आपसी व्यवहार एंव उनके संबंधों का अध्ययन हैं

मन – आधुनिक मनोविज्ञान, मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन करता हैं इसका सम्बन्ध, व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है

मनोविज्ञान का विकास 

प्राचीनकाल के दौरान ( 400 ईसा पूर्व से 1600 शताब्दी ) तक दुनिया में मनोविज्ञान का अध्ययन आत्मा का विज्ञान के रूप में किया गया क्योकि ग्रीक विचारकों ( सुकरात, प्लेटो, अरस्तु, ) ने मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान कहा

इन सभी विचारकों ने आत्मा को महत्त्व दिया हैं इसीलिए इनके सभी सिद्धांत आत्मा के आस पास घूमते रहते हैं मतलब इन विचारकों का उस समय कहना था कि शरीर में सभी प्रकार की शारीरिक और मानसिक क्रिया आत्मा के आस पास घुमती रहती हैं

साधारण शब्दों में कहा जाए, मनुष्य का व्यवहार और उसके विचार आत्मा से नियंत्रित होता हैं परन्तु 16वी शताब्दी में, इटली ( रोमन ) के विचारक पिएत्रो पोम्पोनाज़ी ने सबसे पहले मनोविज्ञान को मन या मस्तिष्क का विज्ञान कहा 

क्योकि पोम्पोनाज़ी का कहना था कि आत्मा अमूर्त ( जिसका कोई स्वरूप न हो ) हैं इसीलिए आत्मा विचार और व्यवहार का केंद्र नहीं हो सकती हैं 

साधारण शब्दों में कहा जाए, मनुष्य का व्यवहार और उसके विचारों का नियंत्रण मनुष्य के मन ( मस्तिष्क ) के माध्यम से होता हैं जिसका समर्थन जॉन लॉक ( ब्रिटिश विचारक ), रूसो ( फ़्रांसीसी विचारक ), हीगल ( जर्मनी विचारक ) ने किया

परन्तु दुनिया में, मनोविज्ञान को मन का विज्ञान कहने वाली अवधारण 16वी शताब्दी में शुरू होने के बाद 18वी शताब्दी तक रही क्योकि आधुनिक युग में नए मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ( अमेरिकी मनोवैज्ञानिक ) आ गए

नोट – विलियम जेम्स ( अमेरिकी मनोवैज्ञानिक ) को मनोविज्ञान का जनक ( पिता ) कहा जाता है

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आत्मा का कोई स्वरूप नहीं है ठीक उसी प्रकार मन का भी कोई स्वरूप नहीं होता है इसीलिए वह मनोविज्ञान का केंद्र नहीं हो सकता हैं विलियम जेम्स ने कहा कि

हर मनुष्य में व्यवहार और विचार प्रक्रिया चेतना से उत्तपन होती हैं चेतना एक दैहिक विज्ञान है जो मनुष्य के शारीरिक संरचना और उसके तंत्रिका तंत्रों ( ज्ञान इन्द्रियां ) से निर्मित होती हैं

जिसका समर्थन फ्रांसिस गैल्टन ( ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक ), टिचनर ( ब्रिटिश मनोविज्ञानिक ) , जी. स्टेनली हॉल ( अमेरिकी मनोवैज्ञानिक ), जेम्स सल्ली ( ब्रिटिश मनोविज्ञानिक ) ने किया

विल्हेम मैक्समिलियन वुण्ट ( जर्मनी विचारक ) ने संरचनावादी अवधारण देते हुए कहा कि मनुष्य में चेतना तीन तत्वों से मिलकर बनती हैं 

  1. प्रतिबिम्ब ( द्रश्य )
  2. संवेग ( इमोशन )
  3. भाव ( संवेदना )

क्योकि जब मनुष्य किसी द्रश्य को देखता हैं, किसी धवनी को सुनता है तो सबसे पहले विचार प्रक्रिया प्रतिबिम्ब ( द्रश्य ) के माध्यम से प्राम्भ होती हैं उसके बाद मनुष्य की ज्ञान इन्द्रिया मस्तिष्क तक सुचना पहुंचाती हैं

प्रतिबिम्ब के मस्तिष्क में आने के बाद तुरंत प्रतिबिम्ब, संवेग में स्थापित हो जाता है क्योकि यहाँ मनुष्य का मस्तिष्क विचार प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिबिम्ब के प्रति विभिन्न विचार उत्तपन करता हैं

उसके अनुसार मनुष्य में भाव का निर्माण होता हैं जिससे व्यवहार का निर्माण होता है

ब्रिटिश मनोविज्ञानिक – टिचनर ( संरचनावादी मनोविज्ञान का जनक ) – मनोविज्ञान में संरचनावादी सिद्धांत को लागू करने का काम टिचनर ने अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय मे सबसे पहले संरचनावादी पाठ्यक्रम को शुरू किया इसीलिए इनको संरचनावादी मनोविज्ञान का जनक कहा जाता है

परन्तु दुनिया में, मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान कहने वाली अवधारण 18वी शताब्दी में शुरू होने के बाद लेकर 19वी शताब्दी तक रही क्योकि 19वी शताब्दी के बाद मैक्डूगल ( अमेरिकन मनोवैज्ञानिक ) ने सबसे पहले वर्ष 1905 में व्यवहार शब्द दिया

मैक्डूगल ने कहा कि चेतना मनोविज्ञान के शब्दकोष का सबसे ख़राब शब्द है इसीलिए इसे मनोविज्ञान से निकालकर समुन्द्र में फैक दिया जाना चाहिए मैक्डूगल ने वर्ष 1905 में अपना मूल प्रवृत्ति सिद्धांत/प्रयोजनवादी सिद्धांत में कहा कि

हर मनुष्य का व्यवहार और विचार चेतना, मन और आत्मा पर निर्भर नहीं करता हैं बल्कि मनुष्य का  व्यवहार उसकी आंतरिक मूल प्रवृत्ति पर निर्भर करता हैं हर मनुष्य जन्म लेने के बाद आंतरिक और जन्मजात रूप से 14 प्रकार की मूल प्रवृत्ति को लेकर आता हैं

जब मनुष्य बाहय वातावरण के साथ क्रिया करता है तब यह मूल प्रवृत्ति संवेग में रूपांतर हो जाती हैं मतलब मनुष्य का व्यवहार उसकी मूल प्रवृत्ति और संवेगों से निर्मित होता है

वाल्टर बोवर्स पिल्सबरी ( अमेरिकन मनोवैज्ञानिक ) – ने अपनी बुक मनोविज्ञान के मूल तत्व ( 1911 ) में सबसे पहले मनोविज्ञान का व्यवहार का विज्ञान घोषित किया

उसके बाद अपनी बुक मनोविज्ञान का इतिहास में व्यवहारवादी अवधारणा को लोकप्रिय बनाने का काम किया

जॉन ब्रॉडस वॉटसन ( अमेरिकन मनोवैज्ञानिक ) ने अपनी बुक व्यवहारवाद में मनोविज्ञान के अंदर व्यवहारवाद को समर्थन देने के साथ इसको स्थापित करने का भी काम किया

वर्ष 1913 में जॉन ब्रॉडस वॉटसन ने व्यवहारवाद का सिद्धांत दिया जिसके कारण जॉन ब्रॉडस वॉटसन को व्यवहारवाद का जनक कहा गया अपने सिद्धांत में वॉटसन ने शब्दों के साथ साथ मनुष्य व्यवहार को गणितीय सूत्र में भी प्रकट किया

व्यवहारवाद का सिद्धांत – हर मनुष्य को बाहय वातावरण से जो उद्दीपन ( प्रेरक ) मिलते है वह उद्दीपन मनुष्य को कोई कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं जिसके बाद मनुष्य के व्यवहार का निर्माण होता हैं

व्यवहार का सूत्र = 

R = F ( SO ) 

R = Response ( अनुक्रिया या प्रतिक्रिया )

F = Function ( कार्य/क्रिया ) 

S = Stimulants ( उत्तेजक/उद्दीपन )

O = Orgenisum ( प्राणी/व्यक्ति )

स्किनर ( अमेरिकन ) – का कहना है कि हर मनुष्य का व्यवहार बाहय वातावरण से प्राप्त उद्दीपन और इसके प्रति की गई अनुक्रिया पर निर्भर करता हैं

S – O – R

S = Stimulants ( उत्तेजक/उद्दीपन )

O = Orgenisum ( प्राणी/व्यक्ति )

R = Response ( अनुक्रिया या प्रतिक्रिया )

क्लार्क लियोनार्ड हल ( अमेरिकन ) – ने कहा कि हर मनुष्य का व्यवहार, मनुष्य की आवश्यकता और आवश्यकताओं की पूर्ति पर निर्भर करता हैंआवश्यकताओं की पूर्ति से मनुष्य को पुनवलन ( प्रबलन ) मिलेगा जिससे मनुष्य में व्यवहार का निर्माण होगा

मनोविज्ञान की प्रकृति एवं क्षेत्र का वर्णन करें? ( मनोविज्ञान के क्षेत्र का वर्णन ) – Scope Of Psychology ( मनोविज्ञान की शाखाएं )

मनोविज्ञान उन जीवविज्ञानों में से एक हैं जिसमे जीव के किसी न किसी पक्ष का अध्ययन किया जाता हैं मनोविज्ञान के अंदर वातावरण में किसी न किसी प्राणी के व्यवहार और अनुभूतियों का अध्ययन होता है तथा उसको समझने का प्रयास किया जाता हैं

बालक, किशोर, वृद्धावस्था, प्रौढ़ अवस्था, समान्य और असामान्य व्यक्तियों का, मनुष्यों और पशुओं का तुलनात्मक अध्ययन मनोविज्ञान करता हैं मनुष्य केवल जैविकीय प्राणी नहीं हैं बल्कि एक समाजिक प्राणी भी हैं

इसीलिए उसका व्यवहार समाज के अन्य सदस्यों द्वारा प्रभावित होता हैं मनोविज्ञान के अंदर सभी मानसिक क्रियाओं का अध्ययन होता है जिसमे संवेदन, स्मरण – विस्मरण, प्रव्यक्षीकारण, संवेग, चिंतन, कल्पना, तर्क, अवधान, रूचि आदि शामिल हैं

Clinical Psychology ( नैदानिक ​​मनोविज्ञान ) – यह मनुष्य का मानसिक मुल्यांकन करके उसके उपचार पर ध्यान देता है जिससे मनुष्य के भावनात्मक और व्यवहार संबंधी विकार का उपचार किया जा सकें

Counseling Psychology ( परामर्श मनोविज्ञान ) – यह मनुष्य के जीवन में चुनौतियों और बदलाव से निपटने में बहुत हेल्प करता हैं इसीलिए हम कह सकते हैं कि यह एक समस्या-समाधान प्रक्रिया हैं जो मनुष्य के जीवन की समस्या और बदलावों का समाधान करने में मदद करती हैं

Educational Psychology ( शैक्षणिक मनोविज्ञान ) – शिक्षण और सीखने में जिस मनोविज्ञान का उपयोग होता है वह शैक्षणिक मनोविज्ञान है यह सीखने के लिए सीखने की प्रक्रियाओं और शैक्षिक प्रणालियों की जाँच करता हैं

Developmental Psychology ( विकासात्मक मनोविज्ञान ) – जीवन में मनुष्य की ग्रोथ और उसके विकास की प्रक्रिया को समझना विकासात्मक मनोविज्ञान हैं इसमें हम शारीरिक, संज्ञानात्मक और सामाजिक भावनात्मक बदलावों पर ध्यान देता हैं

Social Psychology ( सामाजिक मनोविज्ञान ) – यह मनुष्य के विचार, भावनाएं और व्यवहार दुसरो और उनके समाजिक परिवेश से प्रभावित होता हैं मतलब सामाजिक मनोविज्ञान के अंदर हम समाज में मनुष्य के बर्ताव को देखते हैं

इस दौरान हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि समाज का उस मनुष्य पर कैसे प्रभाव पड़ा हैं

Industrial & Organizational Psychology ( औद्योगिक और संगठनात्मक मनोविज्ञान ) – इसमें मनुष्य के कार्यस्थल मुद्दों पर मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो को लागू करना होता है कार्यस्थल मुद्दों में कर्मचारी प्रेरणा, नेतृत्व और संगठनात्मक व्यवहार शामिल हैं

मतलब इसमें कोई मनुष्य कार्यस्थल मुद्दों पर कैसे व्यवहार करता है इसका अध्ययन करना होता हैं

Forensic Psychology ( फोरेंसिक मनोविज्ञान ) – इसमें अपराधिक प्रोफाइलिंग और मुल्यांकन सहित क़ानूनी और अपराधिक न्याय प्रणालियों में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का उपयोग करते हैं मतलब इसमें क्रिमिनल के बर्ताव को समझना होता है

Health Psychology ( स्वास्थ्य मनोविज्ञान ) – स्वास्थ्य मनोविज्ञान में परस्पर क्रिया का अन्वेषण किया जाता हैं जिसमे मनोवैज्ञानिक कारक और शारीरिक स्वास्थ्य, कल्याण को बढ़ावा देने और बीमारी की रोकथाम पर ध्यान दिया जाता हैं

मतलब मनुष्य के सोचने का उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्धयन होता हैं

Sports Psychology ( खेल मनोविज्ञान ) – इसमें मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से एथलीटों के प्रदर्शन और कल्याण को बढाने प ध्यान दिया जाता हैं

Neuropsychology ( न्यूरोसाइकोलॉजी ) – इसमें मस्तिष्क ( दिमाग ) के कार्यों और व्यवहार के बीच संबंधों का अध्ययन किया जाता हैं ज्जिसमे न्यूरोलॉजिकल विकारों और चोटों से निपटा जाता हैं

Experimental Psychology ( प्रायोगिक मनोविज्ञान ) – प्रायोगिक मनोविज्ञान में समझने के लिए अनुसंधान किया जाता है जो मौलिक मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाए, मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के विकास में योगदान करती हैं

मनोविज्ञान की प्रकृति एवं क्षेत्र का वर्णन करें? ( Nature Of Psychology )

मनोविज्ञान के परिभाषा के अनुसार इसकी प्रकृति को वैज्ञानिक कहा जा सकता हैं क्योकि किसी विषय को हम तभी वैज्ञानिक कह सकते है जब उस विषय की विषय – सामग्री में 5 तत्व उपस्थित हो सकते हैं

मनोविज्ञान की परिभाषा, विकास, प्रकृति, क्षेत्र

  1. वैज्ञानिक विधि
  2. वस्तुनिष्ठता
  3. प्रमाणिकता
  4. भविष्यवाणी
  5. सविभोमिकता

मनोविज्ञान की प्रकृति को यह पांच तत्व उपस्थित है जिसके कारण मनोविज्ञान को वैज्ञानिक रूप दिया जा सकता है

मनोविज्ञान की प्रकृति को समझने के लिए आप नीचे बताये विशेष पॉइंट्स को पढ़ सकते हैं एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स यह याद कर सकतें हैं क्योकि कई बार एग्जाम में यह पूछ लिए जाते हैं

  • मनोविज्ञान पुरी तरह से वैज्ञानिक है क्योकि यह हमेशा रहने वाला, फैक्ट्स के आधार होता हैं
  • इसमें मनुष्य के व्यवहार के साथ साथ पशुओ के व्यवहार का भी अध्ययन किया जाता हैं
  • मनोविज्ञान में न केवल मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है इसमें मनुष्य के व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन भी किया जाता हैं
  • यह एक विधायक विज्ञान है क्योकि इसमें क्रिया, प्रतिक्रिया, कार्य, कारण और परिणाम सभी का प्रभाव पड़ता है
  • मनोविज्ञान में ज्ञानात्मक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता हैं
  • इसमें मनुष्य के भौतिक और सामाजिक व्यवहार का अध्ययन होता हैं
  • क्योकि मनोविज्ञान की परिभाषा समय समय पर बदलती रहती है इसीलिए इसकी प्रकृति परिवर्तनशील होती हैं
  • मनोविज्ञान में सुव्यवस्थित प्रकार से सभी चीजों को रखा जाता है
  • मनोविज्ञान के सिद्धांतों को जीवन में अपनाया जाता है क्योकि यह सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक है
  • सत्य के आधार पर मनोविज्ञान में जोर दिया जाता है
  • यह मनुष्य का अध्ययन मनोदैहिक प्राणी के रूप में करता हैं

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निष्कर्ष

इस लेख में मनोविज्ञान का अर्थ क्या है?, उसके प्रकृति, क्षेत्र सहित प्राचीन इतिहास में मनोविज्ञान के विकास पर बात किया हैं यह मनोविज्ञान के उदय को आत्मा, मन, चेतना और व्यवहार में किस तरह बदला गया यह समझाया गया हैं

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

लेखक – नितिन सोनी 

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