ध्यान क्या है? प्रकार, विशेषताएं, निर्धारक ( 2025 ) Attention in Hindi Best Guide

ध्यान क्या है? प्रकार, विशेषताएं, निर्धारक ( Attention in Hindi ) 2024

Attention Meaning in Hindi: – ध्यान क्या है? अपनी दिनचर्य लाइफ में हर मनुष्य ध्यान का उपयोग करता है क्योकि जब हम लाइफ में किसी लक्ष्य को निर्धारित करते हैं तो उसके पाने के लिए हमे फोकस करना होता हों सरल शब्दों में यह ध्यान हैं

ध्यान का अर्थ और महत्व को समझने के लिए यह लेख अच्छा है क्योकि आप ध्यान को अपनी लाइफ से जोड़कर उसको अच्छे से समझ सकते हैं बीए प्रथम वर्ष में एग्जाम में आने के कारण हजारों स्टूडेंट इस टॉपिक को इन्टनेट पर जगह जगह खोजते रहते हैं

परन्तु, नितिन सोनी के द्वारा यहाँ आपको अच्छे से सभी चीजो को समझाया गया हैं एग्जाम में कुछ इस तरह से प्रश्न पूछ लिया जाता है कि ध्यान किसे कहते हैं? ( Dhyan Kise Kahate Hain ), अवधान क्या है और अवधान का अर्थ,

पहले ध्यान को एक मानसिक शक्ति के रूप में देखा जाता था परन्तु, वर्तमान वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि ध्यान ( अवधान ) एक मानसिक शक्ति नहीं बल्कि यह एक मानसिक प्रक्रिया हैं

ध्यान क्या है? प्रकार, विशेषताएं, निर्धारक ( Attention in Hindi ) 2024

ध्यान की परिभाषा के अनुसार, जब हम किसी काम को करने में अपना मन लगाते है उसको ध्यान ( अवधान ) कहा जाता हैं इसको अच्छे से समझने के लिए हमे यह पढ़ना होगा कि ध्यान क्या है? ( Dhyan Kya Hai ) 

नोट – इन्टरनेट पर कुछ जगह ध्यान का उपयोग न करके अवधान का उपयोग किया जाता हैं परन्तु, अवधान और ध्यान दोनों एक बात हैं एग्जाम में भी ऐसा हो सकता है कि ध्यान की जगह अवधान लिखकर प्रश्न दिया जाए 

ध्यान क्या है? ( Attention in Hindi ) अवधान क्या है? ( Attention Meaning in Hindi )

किसी वस्तु पर चेतना केन्द्रित करना ध्यान हैं – मनोवैज्ञानिकों का कहना था कि ध्यान ( अवधान ) एक मानसिक शक्ति हैं लेकिन वर्तमान मनोवैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट कर दिया कि ध्यान ( अवधान ) एक मानसिक शक्ति नहीं हैं बल्कि एक मानसिक प्रक्रिया है

चेतना व्यक्ति का स्वाभाविक गुण हैं चेतना के कारण ही उससे विभिन्न वस्तुओं का ज्ञान होता हैं सामान्य रूप से अवधान ( ध्यान ) का अर्थ हैं “किसी काम में मन लगाना” किसी कार्य या क्रिया पर अपनी विभिन्न मानसिक शक्तियों को केन्द्रित करना ध्यान कहलता हैं

वातावरण में अनेक उत्तेजनाएं रहती हैं, लेकिन हम अपनी रूचि और आवश्यकता के अनुसार किसी एक उत्तेजना को चुनकर उस पर ध्यान केन्द्रित करते हैं और उसके प्रति प्रतिक्रिया करते हैं

उदहारण के लिए, आप इस समय हमारा लेख पढ़ रहे हैं और आप इसमें बताई मेरी बातों को समझ रहे है आपके मोबाइल स्क्रीन पर यह लेख खुला है और आप इसमें लिखी चीजो को अभी आप जान रहे हैं मतलब यह जानकारी आपके मस्तिष्क में जा रही हैं

यहाँ आप इस इनफार्मेशन को स्वीकार कर रहे है इसका मतलब यह होता है कि आपका ध्यान इस लेख पर केन्द्रित हैं परन्तु, अगर इस दौरान आपके किसी मित्र का फ़ोन आपको आ जाता है तब आपका ध्यान इस लेख से हटकर, दोस्त की बातों पर पहुँच जाएगा

मन – ध्यान को चाहे जिस दृष्‍टिकोण से समझा जाए, विश्लेषण के अंत में यह एक प्रेणनात्मक प्रक्रिया हैं

डम्बिल – अवधान किन्ही अन्य वस्तुओं की अपेक्षा किसी एक वस्तु पर चेतना का केंद्रीकारण है

मॉर्गन – जब व्यक्ति अपने वातावरण के किसी विशेष तत्व की ओर सक्रियता का प्रदर्शन करता है तो उसे अवधान कहते हैं यह अनुक्रिया के सन्दर्भ में पूर्व संयोजन प्रकट करता हैं

जे. एस. रॉस – ने कहा कि ध्यान मन में किसी विचार की वस्तु को स्पष्ट रूप से प्राप्त करने की प्रक्रिया हैं मतलब अवधान विचार की किसी वस्तु को मस्तिष्क के सामने स्पष्ट रूप से उपस्थित करने की प्रक्रिया हैं

ध्यान की विशेषताएं ( ध्यान की विशेषताएँ ) – Characteristics Of Attention – Meaning Of Attention in Hindi

  • ध्यान ( अवधान ) चयनात्मक हैं क्योकि मनुष्य एक समय पर अधिक चीजो पर ध्यान नहीं दे सकता हैं उसको अपनी इच्छा और जरुरत के हिसाब से किसी एक उद्दीपक को चुनकर उसपर ध्यान केन्द्रित करता हैं
  • ध्यान में परिवर्तनशील प्रकृति होती हैं उदहारण के लिए, मैं पढने के लिए बैठा लेकिन कुछ समय बाद मेरा ध्यान फिल्म देखने में लगा ( हाँ, भाई मन चंचल होता हैं इसीलिए इसमें चंचलता का गुण पाया जाता है )
  • ध्यान या अवधान एक मानसिक प्रक्रिया है क्योकि इसमें मनुष्य का मस्तिष्क सक्रिय होता है
  • ध्यान एक त्रिपक्षीय प्रक्रिया है क्योकि इसमें संज्ञानात्मक ( ज्ञानात्मक ), भावात्मक और रचनात्मक ( क्रियात्मक ) पहलू हैं
  • ध्यान में मानसिक तत्परता का गुण पाया जाता हैं क्योकि जब तक मनुष्य अपने मस्तिष्क से किसी उद्दीपक पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए तैयार नहीं हैं तब तक मनुष्य ध्यान केन्द्रित नहीं कर सकता है
  • ध्यान की सीमा संकीर्ण है मतलब ध्यान अधिक विस्तृत नहीं होता है एक समय में हम कम चीजो पर ध्यान दे सकते हैं इसीलिए ध्यान ( अवधान ) का विस्तार सीमित रहता हैं
  • ध्यान में अन्वेषणात्मक का गुण होता है क्योकि जब हम किसी वस्तु की ओर ध्यान देते है तो हम उसमे कोई चीज खोजते हैं
  • यह उत्तेजना की स्पष्टता का ध्यान ( अवधान ) बढ़ता हैं मतलब हमारे सामने उद्दीपक जितना स्पष्ट होगा, उतना हमारा ध्यान ( अवधान ) उसके ऊपर जाता हैं
  • ध्यान मोटर समायोजन की जरुरत है मतलब जब मनुष्य ध्यान देता है तब उसकी बॉडी ( शरीर ) गति करती हैं
  • ध्यान में विश्लेषणात्मकता और संशेषणात्मकता का गुण पाया जाता हैं विश्लेषणात्मकता मतलब जब हम किसी वस्तु पर ध्यान लगातें हैं तब हम निश्चित रूप से उसका विश्लेषण करते हैं और साथ हम विभिन्न कड़ियों को जोड़ने का काम करते हैं जिसको संशेषणात्मकता कहा जाता हैं
  • ध्यान ( अवधान ) व्यक्ति की मानसिक स्थिति और अन्य मनोवैज्ञानिक चरो पर भी निर्भर करता हैं

उदहारण के लिए, कोई मनुष्य बीमार है और वह अपने घर पर हैं परन्तु घर के बाहर एक आइसक्रीम वाला आ जाता हैं ऐसी स्थिति में हमारा ध्यान उसके ऊपर नहीं जाएगा क्योकि बीमार अवस्था में हमारा आइसक्रीम खाने का मन नहीं होता हैं

  • वस्तुनिष्ठ परिणामों के साथ ध्यान ( अवधान ) व्यक्तिपरक और अमूर्त घटना है क्योकि किसी मनुष्य को कुछ दिखाई देता हैं और किसी मनुष्य को कुछ दिखाई देता हैं मतलब किसी मनुष्य का ध्यान कही जाएगा और किसी का कही जाएगा
  • उत्तेजना के आधार पर ध्यान आकर्षक होने के साथ साथ प्रतिकारक भी हैं क्योकि कोई वस्तु कितनी उत्तेजित ( चमक वाली ) हैं ऐसे में यहाँ मनुष्य का ध्यान ऐसे चीज पर जा भी सकता है और ध्यान हट भी सकता हैं
  • ध्यान प्रक्रिया जागरूकता की घटना से निकटता से सम्बंधित हैं मतलब कोई मनुष्य किसी चीज के प्रति कितना जागरूक है उससे उसका ध्यान ( अवधान ) प्रभावित होता हैं
  • रूचि ध्यान के प्रमुख निर्णायक कारकों में से एक हैं मतलब किसी मनुष्य का इंटरेस्ट ( दिलजस्पी ) यह बताती हैं कि वह कितना ध्यान देगा इसीलिए कहा जाता है कि जिस विषय में हमे इंटरेस्ट होता है हमे उसको पढ़ना चाहिए क्योकि ऐसा करने से हमारा ध्यान उसके ऊपर अच्छा लगता हैं
  • इसकी अवधि लक्ष्यों की पूर्ति तक सीमित हैं मतलब मनुष्य का ध्यान ( अवधान ) किसी चीज पर कब तक रहेगा यह उसके लक्ष्य पर निर्भर करता है

उदहारण के लिए, अगर मैं बजार में नया फ्रिज लेने जाता हूँ तब ऐसी स्थिति में मेरा ध्यान फ्रीज की दूकान पर अधिक जाएगा और जब मैं अपने लिए नया फ्रिज खरीद लूंगा उसके बाद मेरा लक्ष्य पूरा हो जाएगा और फिर मेरा ध्यान फ्रिज पर नहीं जाएगा

  • इसमें स्थानांतरण प्रकृति हैं जिसके लिए मोटर समायोजन की आवश्यकता होती हैं मतलब मनुष्य का ध्यान इधर – उधर भटकता रहता हैं और जब हम ध्यान ( अवधान ) को बदलते है तो हमारे शरीर में बदलाव होते हैं
  • ध्यान उद्देश्यपूर्ण हैं और मनो-जैविक आवश्यकताओं द्वारा निर्देशित हैं मतलब, मनुष्य की शारीरिक आवश्यकता के द्वारा हमारा ध्यान चीजों को निर्देशित करता हैं और जब हमारी आवश्यकता पुरी हो जाती है तब वह ख़तम हो जाता है
  • ध्यान के तीन प्रमुख घटक हैं अथार्थ संज्ञानात्मक, भावात्मक और रचनात्मक

ध्यान के प्रकार या अवधान के प्रकार ( Types Of Attention & Kinds Of Attention )

मनोवैज्ञानिकों ने ध्यान ( अवधान ) को तीन प्रकार ( भागों ) में बांटा हैं

  1. ऐच्छिक ध्यान ( Voluntary Attention )
  2. अनैच्छिक ध्यान ( Involuntary Attention )
  3. स्वभाविक ध्यान ( Habitual Attention )

ऐच्छिक ध्यान ( Voluntary Attention )

ऐच्छिक ध्यान ऐसा ध्यान है जिसमे मनुष्य ( व्यक्ति ) की इच्छा होती हैं मतलब जब मनुष्य अपनी इच्छा या आवश्यकतानुसार किसी वस्तु या उद्दीपक पर ध्यान देता हैं उसको हम ऐच्छिक ध्यान कहते हैं

ऐच्छिक ध्यान में तीन मूल तत्व शामिल होते हैं 

  1. इच्छा या आवश्यकता का होना
  2. स्पष्ट लक्ष्य का होना
  3. बाधक वस्तुओं से ध्यान हटाना

पहला उदहारण – मैं ढोसा खाना चाहता हूँ तो मैं ढोसा वाली की दूकान पर जाऊं

दुसरा उदहारण – परीक्षा के दिनों में ध्यान स्टूडेंट का पुस्तक पर ध्यान केन्द्रित करना

अनैच्छिक ध्यान ( Involuntary Attention )

अनैच्छिक ध्यान ऐसा ध्यान है जिसमे मनुष्य ( व्यक्ति ) की इच्छा नही होती हैं बल्कि वस्तु के गुण की प्रधानता होती हैं मतलब जब व्यक्ति की इच्छा के बिना उसका ध्यान किसी वस्तु या उद्दीपक पर चला जाता हैं

वह अनैच्छिक ध्यान कहलाता हैं परन्तु, इसमें मनुष्य अपनी इच्छा या आवश्यकता से प्रेरित नहीं होता, बल्कि उस उद्दीपक या वस्तु में ऐसा गुण होता है जो उस मनुष्य के ध्यान को खीच लेता हैं

उदहारण के लिए, मैं ढोसा नहीं खाना चाहता हूँ परन्तु, ढोसा का जो HD क्वालिटी का बैनर है वह मेरा ध्यान खीच रहा हैं यहाँ ढोसा के गुण की प्रधानता देखकर, न चाहते हुए भी मेरा ढोसा खाना का मन करने लगा

स्वभाविक ध्यान ( Habitual Attention )

स्वभाविक ध्यान में मनुष्य ( व्यक्ति ) का ध्यान किसी वस्तु की ओर आदत ( Habit ), प्रशिक्षण ( Training ) व अभ्यास ( Practice ) आदि के कारण चलता हैं मतलब,

जब किसी आदत, प्रशिक्षण या अभ्यास के कारण बिना प्रयास के ही व्यक्ति का ध्यान किसी वस्तु या उद्दीपक की ओर चला जाता हैं तो उसे स्वभाविक ध्यान कहते हैं

पहला उदहारण, अगर कोई मनुष्य किसी चीज के बारे में प्रशिक्षण ( Training ) करके आया है तो उससे सम्बंधित चीजों पर उसका ध्यान चला जाएगा

दूसरा उदहारण, पान खाने वाले व्यक्ति का ध्यान पान की दूकान की ओर, शराबी का ध्यान शराब की दूकान की ओर स्वाभाविक रूप से चला जाता हैं

रूचि की परिभाषा? रुचि का अर्थ? ( Ruchi Meaning in Hindi )

अवधान और रूचि का गहरा मेल हैं और दोनों ही विचार एक-दुसरे की परिपूर्ति करते हैं जिन कार्यों में हम रूचि लेते हैं उन्हें करने में हमे सुख और संतोष मिलता हैं आनंद की प्राप्ति होती हैं

ऐसे कार्यों को करने के लिए हम प्रेरित होते हैं और ध्यान लगाकर अथुक रूप से उन्हें पूरा करते है हम उन्ही वस्तुओं या कार्यों की ओर उन्मुख होते हैं जो हमारे भीतर रूचि उत्पन्न करते हैं

कुछ विद्वानों के अनुसार, रूचि किसी उत्तेजना, वस्तु, व्यक्ति अथवा परिस्थिति की ओर आकर्षित होने की प्राकृतिक, जन्मजात या अर्जित प्रवृत्ति हैं लैटिन भाषा में रूचि शब्द का अर्थ हैं यह आवश्यक होती हैं या यह सम्बंधित होती हैं 

दुसरे शब्दों में हमारे अंदर रूचि पैदा करने वाली वस्तु हमारे लिए आवश्यक होती हैं और हमसे सम्बंधित भी होती है

जेम्स ड्रेवर – ने कहा कि रूचि अपने में ही एक गत्यात्मक वृत्ति हैं

क्रो एंव क्रो – ने कहा कि रूचि उस प्रेरक शक्ति को कहते हैं जो हमे किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा क्रिया के प्रति ध्यान देने के लिए प्रेरित करती हैं

रूचि और अवधान का संबंध

अवधान ( ध्यान ) रूचि पर आधारित हैं – सामान्य रूप से व्यक्ति उन्ही घटनाओं, पदार्थों या कार्यों पर ध्यान देता हैं जिनमे उसकी रूचि होती हैं यदि किसी व्यक्ति की संगीत में गहरी रूचि हैं

तो अन्य क्रियाओं में व्यस्त रहते हुए भी उसका ध्यान दूर से सुनाई पड़ रहे संगीत की और चला जाएगा

अवधान ( ध्यान ) रूचि को प्रभावित करता है – एक ओर यदि अवधान ( ध्यान ), रूचि पर आधारित हैं तो दुसरी ओर रूचि अवधान ( ध्यान ) पर आधारित होती हैं मतलब अवधान ( ध्यान ), रूचि को प्रभावित करता है

किसी वस्तु के प्रति ध्यान केन्द्रित करने से उसके प्रति रूचि स्वत: बढ़ जाती हैं

समन्वयवादी विचारधारा – का कहना है कि रूचि और अवधान दोनों एक दुसरे पर आश्रित हैं यह दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों एक दुसरे को समान रूप से प्रभावित करते हैं

ध्यान के कारण अथवा निर्धारक ( अवधान की मुख्य सहायक दशाएं ) Determinants Of Attention.

वह दशाएं या कारक जो ध्यान को केन्द्रित करने में सहायता प्रदान करते हैं उनको ध्यान के निर्धारक या सहायक दशाएं कहते हैं यह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं

  1. अवधान की बाहय या वस्तुगत दशाएं
  2. अवधान की आंतरिक या आत्मगत दशाएं

अवधान की बाहय या वस्तुगत दशाएं

बाहय निर्धारकों से तात्पर्य उद्दीपक से सम्बंधित कारकों से हैं जिनके कारण व्यक्ति का ध्यान किसी ख़ास वस्तु पर चला जाता हैं

उत्तेजना का व्यवस्थित रूप – अनिश्चित एंव अस्पष्ट रूप वाली वस्तुओं की अपेक्षा निश्चित तथा व्यवस्थित रूप वे आकार वाली वस्तुएँ हमारे ध्यान को जल्दी और अधिक आकर्षित करती है

उदहारण के लिए, किसी कूड़े सड़क पर फैक दिया जाए तो हम उसको कूड़ा समझकर निकल जाते हैं परन्तु उस कूड़े को व्यवस्थित तरह से रखा जाए तो हमारा ध्यान उसके ऊपर जाता हैं

तीव्रता – अधिक तीव्रता वाले उत्तेजक कम तीव्रता वाले उत्तेजक की अपेक्षा हमारा ध्यान शीघ्र ही आकर्षित करती हैं

उदहारण के लिए, आप मार्किट जा रहे हैं किसी जगह दो मॉल हैं परन्तु एक त्योहारों का समय हैं पहले मॉल के बाहर कम आवाज में म्यूजिक बज रहा है और दुसरे मॉल के बाहर अधिक आवाज में म्यूजिक बज रहा है

तो यहाँ कम आवाज वाले मॉल की अपेक्षा अधिक आवाज वाली मॉल पर हमारा ध्यान चला जाता हैं

स्थिति – उत्तेजना की स्थिति हमारा ध्यान आकर्षित करने में एक महत्त्वपूर्ण दशा है किसी विशेष स्थान अथवा स्थिति में उपस्थिति उत्तेजना अपनी ओर हमारा ध्यान शीघ्रता से खींच लेती हैं

उदहारण के लिए, HD बैनर को ऐसे जगह पर लगाया जाता है जहाँ पर आपका ध्यान उसके ऊपर चला जाए

गति – स्थिर वस्तुओं की तुलना में गतिशील वस्तुओं की ओर जल्दी ध्यान जाता है

उदहारण के लिए, किसी दूकान पर सिंपल लिखा हुआ बोर्ड हैं परन्तु एक दूकान पर डिजिटल लिग्टिंग में नाम चलने वाला बोर्ड हैं जिसमे दूकान का नाम चलता रहता हैं ऐसे बोर्ड पर हमारा ध्यान एक सिंपल बोर्ड की तुलना में जल्दी जाता है

अवधि – जिस उद्दीपक की अवधि जितनी अधिक होगी वह ध्यान को उतना ही अधिक आकर्षित करता हैं

उदहारण के लिए, कोई वाहन चालक एक बार हॉर्न बजाता हैं तो उस तरफ ध्यान नहीं जाता लेकिन अगर वह लगातार हॉर्न बजाता ही जाए तो निश्चित ही ध्यान उस ओर चला जाएगा

स्वरूप – ध्यान केन्द्रित करने में उत्तेजना का स्वरूप भी अपनी विशेष भूमिका निभाता हैं जब उत्तेजक अथवा वस्तु के स्वरूप में कोई विशिष्टता होती है तो इससे हमारा ध्यान जल्दी आकर्षित होता है लेकिन साधारण स्वरूप की वस्तुओं पर अधिक ध्यान नहीं जाता

मतलब उद्दीपक के स्वरूप से तात्पर्य है कि उद्दीपक दृष्‍टि ( Visual ) है या श्रवण ( Auditory ). समान्यता श्रवण उद्दीपक की तुलना में दृष्‍टि उद्दीपक ध्यान को अधिक आकर्षित करता हैं

दुर्लभता – जो उद्दीपक कभी कभी ही देखने में आते हैं वह दुर्लभता के कारण हमारे ध्यान को आकर्षित करते हैं

उदहारण के लिए, किसी पिछड़े हुए गाँव में कोई कार चली जाए तो निश्चित ही लोगो का ध्यान उस ओर चला जाता हैं

नवीनता – नवीनता ध्यान की अत्यधिक अनुकूल दशा हैं पुरानी पृष्ठभूमि में किसी नवीन वस्तु या परिस्थिति की ओर अनायास ही ध्यान चला जाएगा मतलब कोई वस्तु अगर नई हैं तो उसके ऊपर ध्यान जाता हैं

उदहारण के लिए, किसी बच्चे के पास बहुत सारे पुराने खिलोने हैं परन्तु, नया खिलौना अपनी नवीनता के कारण बच्चे के ध्यान को अपनी ओर खिचता हैं

एकांतता ( अलगाव ) – जब कोई उद्दीपक अन्य उद्दीपकों से अलग, पृथक या दूर होता है तो वह ध्यान को अधिक आकर्षित करता हैं

उदहारण के लिए, किसी पार्टी में कोई व्यक्ति सबसे अलग होकर अकेला चुपचाप खड़ा हो जाता है तो सभी का ध्यान उस ओर आसानी से चला जाएगा

परिवर्तनशील – वस्तु या उत्तेजना के परिवर्तन के कारण भी सहज ही ध्यान आकर्षित होता हैं मतलब किसी वस्तु में परिवर्तन किया जाता है तो उसके ऊपर ध्यान जाता हैं

उदहारण के लिए, यदि चलता हुआ पंखा अचानक बंद हो जाए तो निश्चित ही उस ओर ध्यान चला जाएगा

रहस्यमयता – साधारण उत्तेजनाओं की अपेक्षा रहस्यमय उत्तेजनाओं की ओर हमारा ध्यान शीघ्र चला जाता है

उदहारण के लिए, यदि किसी सड़क पर दो-तीन लोग सामान्य स्वर में बात कर रहे हो, तो उनकी ओर कम ही ध्यान जाएगा लेकिन अगर वे आपस में कानाफूसी करना प्रारंभ कर दें तो निश्चित ही ध्यान उस ओर चला जाएगा

विषमता ( विरोध ) – विषम या विरोधी गुण वाली वस्तु सहज ही हमारा ध्यान आकर्षित कर लेती हैं मतलब कोई ऐसी वस्तु जो अलग हटके हो उसके ऊपर हमारा ध्यान जाता है

उदहारण के लिए, बहुत सारे काले लोगो के बीच में किसी एक व्यक्ति का खड़ा होना

आकार ( साइज़ ) – छोटे आकार की वस्तुओं की अपेक्षा बड़े आकार की वस्तुएं ध्यान को अधिक आकर्षित करती है उदहारण, किसी किताब में लिखे शीर्षक, अन्य पंक्तियों की तुलना में बड़े आकार में लिखे शीर्षक पर ध्यान जल्दी जाता हैं

पुनरावृत्ति – जब कोई उत्तेजना बार बार प्रकट होती है और जिन वस्तुओं के वातावरण में पुनरावृत्ति होती रहती है, उनकी तरफ तत्काल ही ध्यान आकृष्ट हो जाता है मतलब किसी चीज का बार बार हमारे सामने आना, उसकी तरह हमारा ध्यान खीचता हैं

रंग – रंगहीन वस्तुओं की अपेक्षा रंगीन वस्तुएं ध्यान को अधिक आकर्षित करती हैं क्योकि काले- संफेद रंग के विज्ञापन की अपेक्षा रंगीन अक्षरों या चित्रों में किया गया विज्ञापन ध्यान को अधिक आकर्षित करता हैं

अवधान की आंतरिक या आत्मगत दशाएं

ध्यान देने वाले मनुष्य के अंदर ऐसे कौन से गुण हैं जिनकी वजह से वह किसी उद्दीपक या वस्तु की ओर आकर्षित होकर ध्यान देता हैं ऐसे निर्धारक को हम आंतरिक निर्धारक होते हैं

मनोवृत्ति ( Attitude ) – प्रत्येक व्यक्ति के मन की एक वृत्ति होती हैं यह अवधान ( ध्यान ) की आंतरिक दशाओं में से एक महत्वपूर्ण दशा है जिस वस्तु के कारण हमे मूल-प्रवृत्तात्मक उत्तेजना प्राप्त होती है, उस वस्तु की ओर हमारा ध्यान आकर्षित हो जाता है

उदहारण के लिए, अपने मित्रों के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति होने के कारण उनमे गुण देखते हैं और शत्रुओं के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति के कारण उनके दुर्गुणों पर अधिक ध्यान देते हैं

रूचि – जिस व्यक्ति की जिस वस्तु में रूचि होती है उस वस्तु की ओर उसका ध्यान जल्दी चला जाता हैं

उदहारण के लिए, खेलों में रूचि रखने वाले एक व्यक्ति का ध्यान टीवी पर आ रहे खेल पर आसानी से चला जाएगा

संवेग ( इमोशन ) – संवेग का अवधान पर काफी प्रभाव पड़ता हैं अन्धकार में जब हम भयकी संवेगावस्था से प्रेरित होते हैं तो साधारण सी आहट भी हमे अपनी ओर आकर्षित करती हैं

आदत – आदत के कारण व्यक्ति का ध्यान उन वस्तुओं की ओर अधिक जाता है जो उसकी आदत से सम्बंधित होती हैं

उदहारण के लिए, एक व्यक्ति को सुबह चाय के साथ अखबार पढने की आदत हो, तो चाय के समय अखबार की ओर ध्यान जल्दी जाएगा

जिज्ञासा – जिज्ञासा भी अवधान की एक आंतरिक दशा हैं मतलब किसी चीज के बारे में जानने के लिए जिज्ञासा होना अथार्थ जिन व्यक्तियों में किसी उद्दीपक के प्रति जिज्ञासा होती है वे उस उद्दीपक की छोटी से छोटी चीज पर भी ध्यान देते हैं

उदहारण के लिए, जिज्ञासा के कारण एक छोटा बच्चा नया खिलौना मिलने पर उसको बहुत ध्यान से उलट-पुलट कर देखता हैं

प्रशिक्षण – विशेष प्रशिक्षण के कारण व्यक्ति का ध्यान वस्तुओं की ओर अपने आप चला जाता हैं

उदहारण के लिए, नाई का ध्यान हेयर स्टाइल की ओर

स्वभाव – व्यक्ति अपने स्वभाव के अनुसार, वह उद्दीपक पर ध्यान देता हैं उदहारण के लिए, धार्मिक व्यक्ति का ध्यान धार्मिक उद्दीपक के ऊपर जल्दी चला जाता हैं

अनुभव – अनुभव का आधार से गहरा सम्बन्ध हैं विगत अनुभव के आधार पर हमारा ध्यान उस वस्तु की ओर चला जाता हैं

उदहारण के लिए, किसी गली में जाते समय पूर्व में कभी किसी कुत्ते के काटने का अनुभव के कारण व्यक्ति उस गली में जाते समय कुत्ते पर ध्यान अवश्य देगा

आवश्यकताएँ – आवश्यकता व्यक्ति के अवधान की मुख्य सहायक दशा है इस द्रष्टि से ये दो प्रकार की होती हैं मानसिक और शारीरिक | मतलब जो वस्तुएं हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है वह हमारे ध्यान को जल्दी आकर्षित करती हैं

उदहारण के लिए, एक भूखे व्यक्ति का ध्यान भोजन सामग्री की ओर जल्दी चला जाता है

उम्मीद ( प्रत्याशा ) – उम्मीद के कारण भी व्यक्ति का ध्यान किसी उद्दीपक की ओर चला जाता हैं उदहारण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को अपने मित्र के आने की उम्मीद है तो वह बार बार रास्ते की ओर ध्यान देता हैं

उद्देश्य या लक्ष्य – हम प्राय: उन्ही वस्तुओं या व्यक्तियों की ओर ध्यान देते हैं जिनसे हमारा उद्देश्य या लक्ष्य पूरा होता है परन्तु जो हमारे उद्देश्य की पूर्ति में सहायक नहीं हैं उनकी तरफ ध्यान भी आकृष्ट नहीं होता है

उदहारण के लिए, परीक्षा के दिनों में स्टूडेंट पाठ्य पुस्तकों पर अधिक ध्यान देता है क्योकि उनका उद्देश्य परीक्षा में पास होना होता हैं

अर्थ – सार्थक विषय-वस्तुओं की ओर हमेशा ध्यान जल्दी आकर्षित होता है, परन्तु जिन चीजों के अर्थ का हमे ज्ञान नहीं होता है उनकी ओर हमारा ध्यान भी नहीं जाता हैं मतलब कुछ उद्दीपकों के अर्थ को व्यक्ति समझता हैं और,

कुछ उद्दीपकों के अर्थ को व्यक्ति नहीं समझता | जिस उद्दीपक के अर्थ को व्यक्ति समझता है उस पर उसका ध्यान अधिक तेजी से चला जाता है

उदहारण के लिए, एक हिंदी भाषी व्यक्ति विभिन्न भाषा की पुस्तकों की तुलना में हिंदी में लिखी पुस्तक पर आसानी से ध्यान देगा

मानसिक तप्तरता – मानसिक तप्तरता से अभिप्राय है व्यक्ति के मन का झुकाव मतलब जब हम किसी वस्तु की ओर ध्यान देने के लिए मानसिक रूप से तत्पर यानी तैयार होते हैं तो हम उस वस्तु पर अधिक ध्यान देते हैं

उदहारण के लिए, आकाश में किसी खगोलीय घटना घटित होने का समाचार सुनकर हम आकाश की ओर ध्यान देता है

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निष्कर्ष

इस लेख में हमने बीए के पाठ्यक्रम में ध्यान को अच्छे से समझाने का प्रयास किया हैं बीए में पढने वाले सभी स्टूडेंट के लिए यह लेख और मंच दोनों महत्वपूर्ण हैं इसीलिए हमारी नई अपडेट से जुड़ें रहने के लिए अभी सब्सक्राइब करें

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

लेखक – नितिन सोनी 

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