विस्मरण का अर्थ, कारण, महत्व, सिद्धांत, स्मृति के प्रकार व मापन विधि ( 2024 )

विस्मरण का अर्थ, कारण, महत्व, सिद्धांत, स्मृति के प्रकार व मापन विधि ( 2024 )

Meaning Of Forgetting in Hindi: – जब हम स्मृति और विस्मरण को मनोविज्ञान में समझने का प्रयास करते हैं तब हमें सरल रूप से चीजो को समझना होता हैं हम सब जानतें हैं कि किसी चीज को याद रखना स्मृति कहलाता हैं 

परन्तु, सीखना स्मृति का पूर्व शर्त होती हैं मतलब स्मृति से पहले किसी कार्य या विषय वस्तु को सीखना होता हैं लेकिन स्मृति के प्रकार या स्मृति मापन की विधियाँ एग्जाम में पूछ ली जाती हैं जिनको स्मृति के इस दुसरे भाग में बताया गया हैं

विस्मरण का अर्थ भूलना होता है मतलब विस्मरण से तात्पर्य धारणा की असफलता या ग्रहण की गई सामग्री की पुन: स्मरण की असफलता से हैं विस्मरण के कारण, महत्त्व, सिद्धांत और विस्मरण को रोकने के उपाय विस्मरण को समझने के लिए जरुरी हैं

चलिए अब हम स्मृति के प्रकार को जान लेते है

स्मृति के प्रकार ( Types Of Memory )

Table of Contents

प्रमुख रूप से स्मृति के तीन प्रकार हैं

विस्मरण का अर्थ, कारण, महत्व, सिद्धांत, स्मृति के प्रकार व मापन विधि ( 2024 )

  1. संवेदी स्मृति ( Sensory Memory ) 
  2. अल्पकालीन स्मृति ( Short Term Memory ) 
  3. दीर्धकालीन स्मृति ( Long Term Memory ) 

संवेदी स्मृति ( Sensory Memory )

वातावरण से प्राप्त सूचनाओं का कुछ क्षण तक ज्ञानेद्रियों में स्टोर ( Store ) रहना संवेदी स्मृति कहलाता है मतलब संवेदी स्मृति में वाह्य उद्दीपकों से जो सूचनाएं प्राप्त होती है

वे अपने मैलिक रूप में विभिन्न ज्ञानेद्रियों के स्तर पर केवल कुछ क्षणों के लिये स्टोर ( Store ) रहती है संवेदी स्मृति की अवधि केवल एक सेकंड की होती है

अल्पकालीन स्मृति ( Short Term Memory )

जब किसी विषय वस्तु की धारणा केवल कुछ सेकंड तक हमारे मस्तिष्क में  रहती हैं तो उसे अल्पकालीन स्मृति कहते है जब किसी विषय सामग्री को सीखने या याद करने के,

कुछ मिनटों बाद ही उसकी धारणा का परीक्षण किया जाए तो उस स्थिति में धारणा की जो मात्रा ज्ञात होगी उसे अल्पकालीन स्मृति होती हैं अल्पकालीन स्मृति की अवधि अधिक से अधिक 30 सेकंड की होती है

मतलब 30 सेकंड के अंदर या तो इसका विस्मरण हो जाता हैं या यह दीर्घकालीन स्मृति में बदल जाती हैं क्योकि अगर हमे 30 सेकंड से अधिक वह चीज याद रहती है तब वह दीर्धकालीन स्मृति में चली जाती हैं अन्यथा इसका विस्मरण हो जाता हैं

उदहारण, किसी व्यक्ति को 10 डिजिट का कोई नंबर चाहिए हमने उसको वह नंबर बताया परन्तु इससे पहले की वह अपने मोबाइल में उस नंबर को सेव कर पाता, उसने वह सूना और सुनने के बीच में ही उसकी मम्मी ने उसको आवाज दिया

तो जो उसने सूना हैं उसमे से कुछ डिजिट उसको याद रह जायेंगी और बाकि सारी डिजिट वह भूल जाएगा मतलब उसका विस्मरण हो जाएगा

अल्पकालीन स्मृति की विशेषताएँ

  • अल्पकालीन स्मृति की अवधि 30 सेकंड की होती है मतलब जो भी सीखा हुआ है वह केवल 30 सेकंड तक हमारे मस्तिष्क में रह सकता है उसके बाद उसका विस्मरण हो जाता हैं
  • अल्पकालीन स्मृति में धारणा का तीव्र ह्रास होता हैं क्योकि इसमें धारणा बहुत मजबूत नहीं होती है इसीलिए उसके स्मृति चिन्ह मिट जाते है जिसके कारण व्यक्ति उसका विस्मरण ( भूल ) कर देता है

ऐसा इसीलिए है क्योकि अधिगम की मात्रा कम होती है सरल शब्द में, जो अल्पकालीन स्थिति में चीज हैं उसको अधिक सीखा नहीं गया हैं अधिक न सीखने के कारण उसके स्मृति चिन्ह मस्तिष्क में मजबूत नहीं होते हैं

  • जो विषय वस्तु है उसको सीखे जाने के 12 सेकंड बाद ही 75% और 18 सेकंड बाद 90% विस्मरण हो जाता हैं
  • अल्पकालीन स्मृति में अधिगम की मात्रा कम होती है जिसके कारण उसके स्मृति चिन्ह मस्तिष्क में मजबूत नहीं होते हैं
  • अल्पकालीन स्मृति पर अग्रोन्मुखी और पृष्ठोंन्मुखी अवरोध का प्रभाव पड़ता है

अग्रोन्मुखी अवरोध “जब हम पहले कोई चीज सीखते है उसके बाद हम जब नयी कोई चीज सीखते हैं तो पुरानी सीखी हुई चीज उसमे बाधा उत्पन्न करती है” जिसको अग्रोन्मुखी अवरोध कहा जाता हैं

पृष्ठोंन्मुखी अवरोध “जब हम कोई चीज पहले सीखते है, उसके बाद जब हम कोई नयी चीज सकते हैं तो वह नयी चीज पहले सीखी गई चीज में बाधा उत्पन्न करती है” जिसको हम पृष्ठोंन्मुखी अवरोध कहते हैं

  • इस स्मृति की क्षमता कम होती हैं मतलब इसमें जो सामग्री सीखी गई है वह बहुत थोड़ी होती है

 अल्पकालीन स्मृति के अध्ययन की विधियाँ

अल्पकालीन स्मृति के अध्ययन की दो विधियाँ हैं 

  1. विक्षेप विधि 
  2. छानबीन विधि
विक्षेप विधि ( Distraction Technique )

इस विधि का मुख्य रूप से अध्ययन पीटरसन तथा पीटरसन नामक मनोवैज्ञानिकों ने किया था इस विधि में प्रयोज्य के सम्मुख ( सामने ) किसी विषय या विषय सामग्री को एक बार प्रस्तुत किया जाता है तुरंत बाद उसको किसी अन्य काम में लगा दिया जाता हैं

जिससे कि जो भी उसे सीखाया गया हैं मतलब जिससे वह सीखे गए विषय को दोहरा ना सकें कुछ समय के बाद उससे जो उसने पहले सीखा था उसका पुन: स्मरण करने के लिए कहा जाता है फिर उसकी धारणा कितनी मात्रा में मौजूद है?

उसको ज्ञात कर लिया जाता हैं पीटरसन तथा पीटरसन ने इसको अपने प्रयोग में दिखाया था उन्होंने 3 अक्षरों वाले शब्द को प्रयोज्य को दिखा कर और तुरंत ही प्रयोज्य को 8 अंकों की एक अन्य संख्या को उलटा करके गिनने के लिए कहा गया

गिनने के बाद, पूर्व में दिखाया गया 3 अक्षरों वाले शब्द का पुन: स्मरण करने के लिए कहा गया और निष्कर्ष में पाया कि धारणा में तेजी से ह्रास हुआ 18 सेकंड बाद ही धारणा घट कर 10% रह गई और 90% धारणा का विस्मरण हो गया

छानबीन विधि

इस विधि में कुछ सार्थक शब्द ( जिनका कोई अर्थ होता हैं ), निरर्थक शब्द ( जिनका कोई अर्थ नहीं होता हैं ), और युग्मित सहचर शब्द या पद, इन तीनों प्रकार के शब्दों को क्रमित रीति से प्रस्तुत किया गया और कुछ समय के बाद जो शब्द पहले दिखाए जा चुके थे

उनमे से कोई एक शब्द दिखाकर प्रयोज्य से उसके बाद आने वाले शब्द का पुन: स्मरण करने के लिए कहा गया और इसके आधार पर उसकी धारणा को ज्ञात कर लिया जाता हैं

दीर्धकालीन स्मृति ( Long Term Memory )

जब किसी सीखी गयी विषय वस्तु की धारणा कुछ मिनटों, घंटों से लेकर जीवन पर्यंत तक की होती है तो इस प्रकार की स्मृति को दीर्धकालीन स्मृति कहते हैं

मतलब कुछ मिनटों तक अगर कोई चीज हमे याद रह गई, मिनटों के साथ साथ वह घंटो या जीवन पर्यंत तक की होती है उसे दीर्धकालीन स्मृति कहा जाता हैं

किसी भी विषय सामग्री को सीखने के बाद जब उसकी धारणा का मापन कुछ समय बाद अर्थात कुछ मिनटों, घंटों महीनों के बाद किया जाता हैं तो प्राप्त परिणाम दीर्धकालीन स्मृति कहलाता हैं

दीर्धकालीन स्मृति की विशेषताएँ

  • दीर्धकालीन स्मृति की क्षमता अधिक होती हैं मतलब दीर्धकालीन स्मृति में बहुत सारी विषय सामग्री रह सकती हैं क्योकि इसमें बचपन की यादों से लेकर अधिकतर पूर्व अनुभव होते हैं इसीलिए इसकी कोई लिमिट नहीं होती हैं
  • इसका स्थायित्व अधिक होता है मतलब दीर्धकालीन स्मृति बहुत लम्बे समय तक टिकती है यह कुछ मिनटों, घंटों, महीनों से लेकर जीवन पर्यन्त तक हो सकती हैं
  • इसमें धारणा का ह्रास होता है परन्तु उसकी दर कम होती हैं
  • इस प्रकार की स्मृति में रचनात्मकता अधिक होती हैं मतलब जिन चीजों को हमने पूर्व में अनुभव किया था जब हम वापस से उनका पुन: स्मरण करते है तो उसकी बहुत सारी क्रिएटिविटी जुड़ जाती हैं

ठीक उसी तरह से हम उनका पुन: स्मरण न नहीं कर पाते है जैसे हमने उनको पूर्व अनुभव में सीखा था उसमे कुछ ना कुछ नयी चीजे जुड़ जाती है

  • इसमें सूचनाओं का संगठित संचय होता है मतलब जो भी इनफार्मेशन होती है वह सब एक संगठित रूप में दीर्धकालीन स्मृति में इकट्ठा रहती हैं

स्मृति ( धारणा ) मापन की विधियाँ

स्मृति मापन से तात्पर्य है कि किसी सीखे गए विषय की कितनी धारणा हमारे मस्तिष्क में हैं मतलब जो कुछ हमने सीखा है वह कितनी मात्रा में हमारे मस्तिष्क में स्थित हैं इस प्रकार का धारणा का प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्मृति से होता हैं

अत: स्मृति मापन के लिए हमें धारणा का मापन करना होगा इसीलिए स्मृति मापन की विधियाँ धारणा मापन की विधियाँ भी हैं 

स्मृति मापन की चार प्रमुख विधियाँ हैं –

  1. स्मृति मापन की पुन: स्मरण विधि
  2. स्मृति मापन की पहचान विधि
  3. स्मृति मापन की बचत विधि
  4. स्मृति मापन की पुनर्रचना विधि

स्मृति मापन की पुन: स्मरण विधि ( Recall Method )

पुन: स्मरण विधि सबसे अधिक सरल, प्रचलित और लोकप्रिय हैं अथार्थ बाकि विधियों की अपेक्षा इस विधि का सबसे अधिक उपयोग किया जाता हैं इस विधि का अन्य नाम “सक्रिय पुन: स्मरण विधि” हैं

इस विधि में किसी विषय सामग्री को सीखने या याद कर लेने के कुछ समय बाद यह देखा जाता हैं कि व्यक्ति याद किए गए विषय के कितने भाग को ज्यों का त्यों लिख कर या बोलकर बता पाता हैं

उदहारण – किसी व्यक्ति को 20 देशों की राजधानियाँ याद करने को कहा गया हैं और एक सप्ताह बाद पुन: स्मरण करवाने पर वह केवल 12 राजधानियाँ ही सुना पाया

पुन: स्मरण प्राप्तांक प्रतिशत = व्यक्ति द्वारा पुन: स्मरण किये गए पदों की संख्या /कुल पदों की संख्या * 100

विस्मरण का अर्थ, कारण, महत्व, सिद्धांत, स्मृति के प्रकार व मापन विधि ( 2024 )

= 12/20 * 100  = 1200/20  = 60%

इस स्थिति में व्यक्ति की धारणा 60% हैं

स्मृति मापन की पहचान विधि ( Recognition Method )

इस विधि में प्रयोज्य को पहले किसी विषय सामग्री का स्मरण करने को कहा जाता है उसके बाद स्मरण की गयी विषय सामग्री में उससे मिलती जुलती विषय सामग्री को, जो सामग्री उसको याद करने के लिए दी गई थी उसमे जोड़ दी जाती हैं

इनको मिलाकर ( सम्मिलित रूप में ) प्रयोज्य के सामने प्रस्तुत किया जाता हैं और प्रयोज्य से कहा जाता है कि जो उसने पहले सीखा था उसको पहचाने, प्रयोज्य जितनी विषय सामग्री को पहचान लेता है उसके आधार पर धारणा का मापन किया जाता हैं

पहचान प्राप्तांक प्रतिशत = R – W / N * 100

  • R = व्यक्ति द्वारा सही पहचाने गए पदों की संख्या
  • W = व्यक्ति द्वारा गलत पहचाने गये पदों की संख्या
  • N = पदों की कुल संख्या

उदहारण,

  • कुल पदों की संख्या N = 100
  • व्यक्ति द्वारा सही पहचाने गए पदों R = 50
  • व्यक्ति द्वारा गलत पहचाने गये पदों W = 15

विस्मरण का अर्थ, कारण, महत्व, सिद्धांत, स्मृति के प्रकार व मापन विधि ( 2024 )

= 50 – 15/100 * 100 = 35/100 * 100 = 35%

यहाँ 50 + 15 = 65 शब्द प्रयोज्य को याद करने के लिए दिए गए थे परन्तु, बाद में उससे मिलते जुलते कुछ शब्द मिला दिए गए जिसके बाद उनकी कुल संख्या 100 हो गई

स्मृति मापन की बचत विधि ( Saving Method )

इस विधि का अन्य नाम “पुन: अधिगम विधि” हैं क्योकि इसमें दुबारा सीखना पड़ता हैं इस विधि में प्रयोज्य को कोई विषय सामग्री पूरी तरह याद करने के लिए कही जाती हैं पूरी तरह याद करने में प्रयोज्य को जितने प्रयास करने पड़े उन्हें नोट कर लिया जाता है

कुछ समय के अंतराल के बाद प्रयोज्य को उसी विषय सामग्री को फिर से याद करने में जितने प्रयास करने पड़े, उनकी संख्या को भी नोट कर लिया जाता है दुसरी बार याद करने में प्रयोज्य को कम प्रयास करने पड़ते हैं

अर्थात् प्रयासों की बचत होती हैं इसीलिए इसको बचत विधि कहा जाता हैं अब दोनों बार किए गए प्रयासों के अंतर को ज्ञात कर लिया जाता हैं इसके लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है –

प्रतिशत बचत =  OLT – RLT / OLT * 100

इस सूत्र में,

  • OLT = मूल अधिगम में लगे प्रयासों की संख्या
  • RLT = दुसरी बार अधिगम में लगे प्रयासों की संख्या

उदहारण,

  • किसी विषय को पहली बार याद करने में कुल 20 प्रयास करने पड़े | मतलब OLT = 20 
  • दुसरी बार याद करने में 8 प्रयास करने पड़े | मतलब RLT = 8

विस्मरण का अर्थ, कारण, महत्व, सिद्धांत, स्मृति के प्रकार व मापन विधि ( 2024 )

प्रतिशत बचत = 20 – 8/20 * 100 = 12/20 * 100  = 60%

यहाँ धारणा की बचत 60% हैं

स्मृति मापन की पुनर्रचना विधि

इस विधि में प्रयोज्य को किसी विषय सामग्री पुरी तरह से याद करने के लिए दी जाती हैं जब वह उसको पुरी तरह से याद कर लेता है तो कुछ अंतराल पर उस सामग्री को प्रयोज्य के सामने उसी रूप में प्रस्तुत ना करके,

अंशो में विभाजित करके ( खण्डों में बाटकर ) और खण्डों को अक्रमिक ( अव्यवस्थित ) रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं प्रयोज्य को अस्त-व्यस्त विषय सामग्री को मूल रूप में व्यवस्थित करना होता है

जिस अनुपात में प्रयोज्य उस विषय सामग्री को व्यवस्थित करने में सफल होता हैं, उतनी ही उसकी धारणा मानी जाती है इस विधि द्वारा केवल उसी विषय सामग्री की धारणा की माप की जा सकती है जिसे सरलता से अंशों में विभक्त किया जा सकता हैं

नोट – अगर कोई विषय सामग्री ऐसी है जिसको खण्डों में विभाजित नहीं किया जा सकता है तब हम इस विधि का उपयोग नहीं करेंगे 

उदहारण, प्रयोज्य को कोई कहानी याद करने के लिए दी जाए और फिर उस कहानी की विभिन्न घटनाओं को अव्यवस्थित रूप में उसके समाने प्रस्तुत किया जाए और उसे व्यवस्थित करने के लिए कहा जाए

वह कहानी की जितने अंशों को व्यवस्थित कर लेता है उतनी ही उसकी धारणा मानी जाती हैं

विस्मरण का अर्थ – Meaning Of Forgetting in Hindi

विस्मरण का अर्थ भूलना होता है किसी भी सीखे गए या याद किए विषय को भूल जाना विस्मरण हैं यह स्मरण के विपरीत मानसिक प्रक्रिया हैं किसी पूर्व अनुभव या याद किये विषय को चेतना में न ला पाना या पुन: स्मरण न कर पाना ही विस्मरण हैं

मतलब अनुभवों एंव सूचनाओं का स्मृति से नष्ट हो जाना ही विस्मरण कहलाता है

विस्मरण का अर्थ, कारण, महत्व, सिद्धांत, स्मृति के प्रकार व मापन विधि ( 2024 )

जेम्स ड्रेवर – ने कहा कि प्रयास करने के पश्चात भी पूर्व अनुभवों का स्मरण न हो पाना ही विस्मरण हैं

इंगलिश तथा इंगलिश – ने कहा कि विस्मरण वह स्थायी या अस्थायी हानि हैं जिसका सम्बन्ध पूर्व सीखी गई सामग्री से रहता हैं यह पुन: स्मरण एंव पहचान जैसी क्षमताओं को नष्ट कर देता हैं

मन – ने कहा कि विस्मरण से तात्पर्य धारणा की असफलता या ग्रहण की गई सामग्री की पुन: स्मरण की असफलता से हैं

विस्मरण के कारण

अभ्यास का अभाव – यदि हम सीखे गए विषय का अभ्यास नहीं करते या उसे दोहराते नहीं हैं तो याद किया गया विषय विस्मृत हो जाता हैं

समय का प्रभाव – एबिंगहॉस के अनुसार, विस्मरण एक निष्क्रिय मानसिक प्रक्रिया हैं समय बिताने के साथ साथ मस्तिष्क के स्मृति चिन्ह क्रमश: धूमिल पड़ने लगते हैं और एक समय आने पर पूर्णत: नष्ट हो जाते हैं

दमन – फ्रॉयड के अनुसार मनुष्य इसीलिए भूलता हैं क्योकि वह भूलना चाहता है व्यक्ति के अप्रिय तथा कष्टदायी अनुभव उसके अचेतन मन में दमित कर दिए जाते हैं जिससे उनका विस्मरण हो जाता हैं

सीखने की दोषपूर्ण विधि – यदि व्यक्ति किसी विषय को दोषपूर्ण विधि से सीखता है क्योकि सीखने की बहुत सारी विधियां होती है और अलग अलग प्रकार की विषय सामग्री को सीखने के लिए अलग अलग विधियों का उपयोग किया जाता हैं

तब यदि व्यक्ति किसी विषय को दोषपूर्ण विधि से सीखता है तो उस विषय के शीघ्र भूल जाने की संभावना होती हैं

निरर्थक विषय सामग्री – निरर्थक विषय सामग्री से तात्पर्य है कि ऐसी विषय सामग्री जिसका हमारे लिए कोई उपयोग नहीं है या फिर ऐसी विषय सामग्री जिसका अर्थं नहीं हैं इस प्रकार की विषय सामग्री के स्मृति चिन्ह मस्तिष्क पर गहरे नहीं बनते हैं

क्योकि हम निरर्थक विषय सामग्री का साहचर्य मस्तिष्क में नहीं बन पाता हैं, पूर्व अनुभवों से भी उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता है ऐसे निरर्थक विषय सामग्री का विस्मरण बहुत तेजी से होता हैं

प्रत्यास्मरण की इच्छा का अभाव – जब व्यक्ति किसी विषय सामग्रीया अनुभव का पुन: स्मरण नहीं करना चाहता है उसको याद नहीं करना चाहता है ऐसी विषय सामग्री को या पूर्व अनुभवों को व्यक्ति बहुत जल्दी भूल जाता हैं

मस्तिष्क आघात – मस्तिष्क में चोट लगने पर अनेक स्मृतियों का विस्मरण हो जाता है कई बार अधिक गहरी चोट से व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण स्मृति भी खो बैठता हैं जिसके बाद उसको कुछ भी याद नहीं रहता हैं

अल्प अधिगम – जब हम किसी विषय सामग्री को कम मात्रा में सीखते है उसका अधिगम कम मात्रा में करते हैं उसके स्मृति चिन्ह हमारे मस्तिष्क में मजबूती से नहीं बन पाते है जिसके कारण उसका शीघ्र विस्मरण हो जाता है

विषय सामग्री का आकार – लम्बी या अधिक मात्रा वाली विषय सामग्री की अपेक्षा छोटे आकार की विषय सामग्री का विस्मरण जल्दी होता हैं क्योकि छोटे आकार की विषय सामग्री को सीखने के लिए हम कम प्रयास ( अधिगम ) करते है

जिसके कारण हमारे मस्तिष्क में उसके स्मृति चिन्ह अधिक मजबूती से नहीं बनते है जबकि लम्बी या अधिक मात्रा वाली विषय वस्तु को सीखने के लिए हम अधिक प्रयास करते है इसीलिए वह हमे याद रहती हैं

प्रबल संवेगों का प्रभाव – प्रबल संवेग व्यक्ति के मन में उथल – पुथल मचा देते हैं जिससे सीखे गए विषय के भूल जाने की संभावना रहती है

मानसिक रोग – मानसिक रोग की अवस्था में व्यक्ति का मस्तिष्क असंतुलित स्थिति में रहता है क्योकि मस्तिष्क से ही शरीर में सभी क्रियाएं संचालित होती हैं ऐसे में असंतुलन स्थिति में सीखे हुए ज्ञान का विस्मरण हो जाता है

निंद्रा एंव विश्राम की कमी – कई बार हम अच्छे से नींद नहीं लेते हैं जिसके कारण हम जो सीखे हुए होते है उसके स्मृति चिन्ह कमजोर पड़ जाते है जिसके कारण उनका विस्मरण हो जाता है इसीलिए निंद्रा एंव विश्राम बहुत जरुरी हैं

सीखने की गति – तीव्र गति से सीखे गए विषय की अपेक्षा मंद गति से सीखे गए विषय का विस्मरण जल्दी और अधिक मात्रा में होता है क्योकि जब हम तीव्र गति से सीखते है तब हम पूरा का पूरा ध्यान लगाकर उस विषय सामग्री को सीखते है

परन्तु जब हम धीरे धीरे मंद गति से सीखते है तब हम उस विषय वस्तु पर पूरा ध्यान नहीं लगा पाते है जिसकी वजह से उसका विस्मरण होता हैं

मादक पदार्थों का सेवन – मादक पदार्थों का सेवन स्मरण शक्ति को क्षीण ( कमजोर ) बनाता हैं मादक पदार्थों ( नशीले पदार्थों ) का सेवन करने वाले व्यक्ति अनेक बातों व विषय सामग्री को भूल जाते हैं

वृद्धावस्था – वृद्धावस्था में व्यक्ति की मानसिक क्षमताएं क्षीण पड़ जाती है जिससे उनकी स्मरण शक्ति कमजोर पड़ जाती है और बहुत सारी चीजो को वह भूल जाते है उनका विस्मरण हो जाता है

प्रष्ठोन्मुख अवरोध – नया ज्ञान, पुराने ज्ञान के पुन: स्मरण में बांधा डालता हैं जिसे प्रष्ठोन्मुख अवरोध कहते हैं इससे पूर्वज्ञान का पुन:स्मरण कठिन हो जाता हैं मतलब

जब हम कोई चीज पहले सीखते है, उसके बाद जब हम कोई नयी चीज सकते हैं तो वह नयी चीज पहले सीखी गई चीज में बाधा उत्पन्न करती है जिसको हम पृष्ठोंन्मुखी अवरोध कहते हैं

अग्रोन्मुख अवरोध – पुरानी क्रियाएँ, नयी सीखी क्रियाओं के पुन: स्मरण में अवरोध डालती है जिसे अग्रोन्मुख अवरोध कहते हैं इसे नये ज्ञान का पुन: स्मरण कठिन हो जाता हैं

मतलब जब हम पहले कोई चीज सीखते है उसके बाद हम जब नयी कोई चीज सीखते हैं तो पुरानी सीखी हुई चीज उसमे बाधा उत्पन्न करती है जिसको अग्रोन्मुखी अवरोध कहा जाता हैं

विस्मरण का महत्त्व

विस्मरण का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान हैं क्योकि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ कटु अनुभव, अप्रिय, दुखद, शत्रुतापूर्ण व जघन्य घटनाएं होती हैं इस प्रकार की घटनाओं व अनुभवों को भूल जाना ही व्यक्ति के लिए हितकर होता हैं

विस्मरण के कारण ही व्यक्ति दुखद घटनाओं को समय के साथ भूल जाता है यदि विस्मरण की क्रिया ना होती तो मनुष्य जीवन पर्यन्त दुखद घटनाओं और अनुभवों की स्मृति के कारण अशांत और विक्षिप्त बना रहेगा

जिसके कारण व्यक्ति अनेक मानसिक रोगों का शिकार हो जाएगा और जो हमारे लिए निरर्थक और महत्वहीन चीजे हैं ऐसे विषय सामग्री को भूल जाना बेहतर होता है क्योकि अगर ऐसी सामग्री को भूल जाए

तो इससे हम नए विचार और आवश्यक चीजों के लिए हमारे मस्तिष्क में जगह होगी जिससे हम अच्छी चीजों को याद रखेंगे जिससे हमारा व्यक्तित्व भी संतुलित होगा और हम विकास करेगे

विस्मरण के सिद्धांत

विस्मरण के कई सिद्धांत हैं जिनमे से केवल चार सिद्धांतों के बारे में यहाँ बताया गया हैं

  • ह्रास सिद्धांत ( Decay Theory )
  • बाधा या हस्तक्षेप सिद्धांत ( Interference Theory )
  • संज्ञानात्मक सिद्धांत ( Cognitive Theory )
  • दमन सिद्धांत

ह्रास सिद्धांत ( Decay Theory )

ह्रास सिद्धांत के प्रतिपादक एबिंगहॉस हैं जिन्होंने विस्मरण के क्षेत्र में बहुत अध्ययन किया हैं इस सिद्धांत का अन्य नाम अनुप्रयोग का सिद्धांत ( Disuse Theory ) हैं एबिंगहॉस के अनुसार विस्मरण एक निष्क्रिय मानसिक प्रक्रिया हैं

क्योकि भूलने के लिए हमे प्रयास नहीं करना पड़ता हैं यह अपने आप होती रहती हैं सीखी गई विषय सामग्री स्मृति – चिन्हों के रूप में मस्तिष्क में अंकित हो जाती है जैसे – जैसे समय बीतता जाता है,

सीखे गए विषय के स्मृति – चिन्हों क्रमश: धूमिल ( कमजोर ) होने लगते है और उनका ह्रास होने लगता है इसका मुख्य कारण अनुप्रयोग है मतलब सीखे गए विषय को न दोहराने के कारण विस्मरण होता हैं

एबिंगहॉस का समर्थन करते हुए थार्नडाईक ने भी कहा कि समय के अंतराल के साथ साथ सीखे गए विषय के स्मृति चिन्ह कमजोर तथा धुंधले हो जाते है, उस स्थिति को विस्मरण कहते हैं

बाधा या हस्तक्षेप सिद्धांत ( Interference Theory )

बाधा या हस्तक्षेप सिद्धांत का प्रतिपादक व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों ने किया था इस सिद्धांत के अनुसार विस्मरण एक सक्रिय मानसिक प्रक्रिया है मतलब व्यक्ति के मस्तिष्क की सक्रिय भूमिका के कारण विस्मरण होता हैं

विस्मरण का कारण  बाधा या हस्तक्षेप होता हैं बाधा या हस्तक्षेप का अर्थ – किसी विषय सामग्री को याद करने से पहले या बाद में घटित होने वाली घटनाओं का प्रभाव बाधा या हस्तक्षेप कहलाती हैं

यह सिद्धांत ये बताता है कि मस्तिष्क में बनने वाले नए स्मृति चिन्ह पुराने स्मृति चिन्हों को ढकते जाते है जिससे पुराने स्मृति चिन्हों के पुन: स्मरण में बाधा आती हैं इसको बाधा या हस्तक्षेप सिद्धांत कहा जाता हैं

पहला उदहारण, किसी विषय को याद करने के तुरंत बाद अगर हम किसी अन्य रोचक विषय को याद करने लगते है तो ऐसी स्थिति में पहले याद किये गये विषय को भूल जाने की संभावना रहती हैं क्योकि नया विषय उसको ढक लेता है

दुसरा उदहारण, यदि कोई व्यक्ति किसी विषय को याद करने के बाद विश्राम कर ले या सो जाएं तो बाधा के अभाव में उस विषय के स्मृति चिन्ह गहरे और स्थायी हो जाते हैं जिनका प्राय: विस्मरण नहीं होता हैं

संज्ञानात्मक सिद्धांत ( Cognitive Theory )

संज्ञानात्मक सिद्धांत के प्रतिपादक कोहलर, कोफ्र्का और लेविन थें इस सिद्धांत के अनुसार याद किये गए विषय के स्मृति चिन्ह समय अंतराल में नष्ट नहीं होते, बल्कि वे समय के अंतराल के कारण पुन: संगठित होकर विकृत रूप ग्रहण कर लेते हैं

स्मृति चिन्हों की विकृति के कारण पहले याद किये गए विषय का Recall ( पुन: स्मरण ) नहीं हो पाता | यह विकृति जितनी अधिक होती हैं विस्मरण की मात्रा भी उतनी ही अधिक होती हैं

दमन सिद्धांत

दमन सिद्धांत के प्रतिपादक फ्रायड ( मनोवैज्ञानिक ) हैं इस सिद्धांत का अन्य नाम “अभिप्रेरणात्मक सिद्धांत” हैं फ्रायड के अनुसार “विस्मरण एक सक्रिय मानसिक प्रक्रिया है हम भूलते है क्योकि भूलना चाहते हैं

इस प्रकार विस्मरण एक सक्रिय मानसिक प्रक्रिया हैं मतलब हमारा मस्तिष्क विस्मरण के लिए सक्रीय भूमिका निभाता हैं और इस विस्मरण के पीछे हमारी अपनी इच्छा और अभिप्रेरणा होती है

हम अपने दुखद और अप्रिय अनुभवों को भूलना चाहते है इसीलिए हम उन्हें अचेतन में दमित कर देते है जिससे वे अनुभव चेतन मन से हट जाते है और उनका विस्मरण हो जाता है इस विस्मरण को अभिप्रेरित विस्मरण कहा जाता है

यह विस्मरण दो तरह का हो सकता हैं पूर्णत; विस्मरण मतलब वह हमें दुबारा कभी याद नहीं होती हैं या कुछ हद तक विस्मरण हो जाता है जोकि प्रसंग छेड़ने पर हमे याद भी आ सकता हैं

विस्मरण को रोकने के उपाय

दोहराना – सीखी गयी विषय सामग्री को नियमित रूप से दोहराते रहने से विस्मरण को रोका जा सकता हैं

स्वास्थ्य का ध्यान रखना – एक अस्वस्थ व्यक्ति की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है इसीलिए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखकर विस्मरण को रोका जा सकता हैं

विश्राम – किसी पाठ को याद करने के उपरांत कुछ देर विश्राम करना अच्छा होता हैं इससे विस्मरण नहीं होता हैं क्योकि विश्राम करने से जो हमने सीखा है उसमे किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं आती है उसके स्मृति चिन्ह मस्तिष्क में काफी मजबूती से स्थापित होते हैं

अति शिक्षण – किसी भी विषय को अच्छी तरह से याद कर लेने पर विस्मरण की संभावना कम होती हैं

इच्छा शक्ति – यदि किसी पाठ या विषय को दृढ इच्छाशक्ति के साथ सीखा या याद किया जाए तो वह मस्तिष्क में स्थायी होगा और उसकी विस्मृति कम होगी

साहचर्य की स्थापना – सीखे गए विषय का किसी अन्य विषयों या तथ्यों से साहचर्य स्थापित कर लेने पर उस विषय को भूलने की संभावना कम हो जाती है क्योकि साहचर्य के कारण जरुरत पड़ने पर वह विषय सामग्री हमे याद आ जाती हैं

सस्वर पाठन – बोल बोलकर ( स्वर ) पाठ याद करने से विस्मरण की प्रवृत्ति कम होती हैं क्योकि इसमें एक्टिव ( सक्रिय ) होकर सीख रहे हैं

निद्रा – याद करने के उपरांत थोड़ी देर सो लेने से विषय के स्मृति चिन्ह मस्तिष्क में गहरे हो जाते हैं और विस्मरण कम होता है

नशे से बचाव – नशीले पदार्थों का सेवन करने से विस्मरण की मात्रा बढ़ती है अत: नशीले पदार्थों का सेवन छोड़ देना चाहिए जिससे विस्मरण की मात्रा कम होगी

लम्बी छुट्टियों में अध्ययन – अधिकांश विद्यार्थी लम्बी छुट्टियों में अध्ययन कार्य बंद कर देते है जिससे वे सीखे हुए विषय को भूल जाते हैं अत; लम्बी छुट्टियों ( जैसे ग्रीष्मावकाश ) में अध्ययन की प्रवृत्ति बनाए रखनी चाहिए

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निष्कर्ष

विस्मरण का अर्थ भूलने से होता हैं परीक्षा के लिए विस्मरण का महत्त्व, विस्मरण के सिद्धांत, विस्मरण के कारण और स्मृति के प्रकार व स्मृति की मापन विधियाँ यहाँ बताई गई हैं

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लेखक – नितिन सोनी 

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