Barriers Of Communication in Hindi: – संप्रेषण की बाधाएं अनेक है जिनको दूर करके अपनी कम्युनिकेशन को बेहतर बनाया जा सकता है क्योकि जब हम संचार में उत्पन्न बाधा को समझकर उनको दूर करने के लिए प्रयास करते हैं
तब यह हमारी कम्युनिकेशन स्किल को अधिक मजबूत बनाता हैं विद्यार्थियों के लिए कम्युनिकेशन स्किल के पाठ्यक्रम में संचार के अवरोधों को ( बाधा ) को समझना अति आवश्यक हो जाता हैं इसीलिए प्रभावी संचार के उपाय समझना जरुरी हो जाता हैं
सचार में पैरालैंग्वेज मनुष्य के द्वारा कुछ कहने के टोन और अन्य गैर-मौखिक संकेतों के द्वारा, मनुष्य के बात करने के स्वाभव का पता लगता जाता हैं कई बार कुछ मनुष्य सामान्य बात को कुछ इस टोन में बोलते है जिससे सुनने वाला मनुष्य बुरा मान लेता हैं
परन्तु अगर हम पैरालैंग्वेज के उन सुराग या तत्वों को समझ लेते है जो पैरालैंग्वेज में शामिल है तो ऐसी स्थिति में हम उनको बेहतर बनाकर पैरालैंग्वेज को संचार के लिए बेहतर बना सकते हैं
किसी शब्द को बोलते समय उसमे स्ट्रेस करना मतलब अधिक जोर से और खीचकर बोलना वर्ड स्ट्रेस कहलाता हैं जिसको यहाँ अच्छे से समझाया गया हैं यही कारण है कि यह लेख सभी स्टूडेंट केलिए अत्यंत महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं
चलिए अब हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि संचार बाधा किसे कहते हैं?
संचार अवरोध क्या हैं ( Barriers To Communication )
Barriers का अर्थ अवरोध, बंधाएं या रूकावट से होता हैं इसीलिए संचार अवरोध ( Barriers To Communication ) का अर्थ संचार में आने वाली बंधानों या रूकावट से होता है क्योकि यह बंधाएं या रूकावट संचार प्रक्रिया को डिस्टर्ब करती हैं
मतलब ऐसी स्थिति में संचार सही से नहीं हो पाता हैं प्रेषक ( Sender ) जिस इनफार्मेशन या सन्देश को रिसीवर या लोगो तक पहुंचाना चाहता हैं वह इन रुकावटों के कारण ठीक तरह से नहीं दे पाता हैं या वह अपना सन्देश भेज ही नहीं पाता हैं और,
इन संचार अवरोध के कारण अगर सन्देश रिसीवर तक पहुंच भी जाता हैं तब वह उसको अच्छे से समझ नहीं पाता हैं संचार अवरोध वह चीज है जो हमें दूसरों द्वारा अपनी सूचना, विचार और सोच व्यक्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले संदेशों को प्राप्त करने और समझने से रोकती है।
संचार अवरोध के प्रकार – संप्रेषण की बाधाएं ( Barriers Of Communication in Hindi ) – प्रभावी संचार की बाधाएं
- Physical Barriers ( शारीरिक बाधा )
- Semantic Barriers ( शब्दार्थ बाधा ) या Language Barriers
- Organisational Barriers ( संगठनात्मक बाधा )
- Phychological Barriers या Emotional Barriers ( भावनात्मक बाधा )
- Personal Barriers ( व्यक्तिगत बाधा )
Physical Barriers ( शारीरिक बाधा )
जब अधिक शोर या डिस्टेंस के कारण कोई मनुष्य संचार ठीक से नहीं कर पाता हैं पहला उदहारण, किसी एक संस्था में एक सुपरवाइज़र अपने कार्यकर्ता को कुछ बता रहा है परन्तु वहां शोर अधिक हो रहा हैं
इस शोर का कारण संस्था के अन्य लोग या बाहर कोई स्थिति हो सकती हैं जिसके कारण इन दोनों के बीच संचार सही से नहीं हो पायेगा
दुसरा उदहारण, किसी एक संस्था में एक सुपरवाइज़र अपने कार्यकर्ता को दूर से कुछ बता रहा है ऐसी स्थिति में अधिक संभावना होती हैं कि वह कार्यकर्ता उस बात को अच्छे से समझ न पाए जिसके कारण संचार में अवरोध उत्पन्न होता हैं
बाधा – शोर होना, ख़राब समय होना, दूरी अधिक होना, जानकारी का अपर्याप्त अतिभार |
Semantic Barriers ( शब्दार्थ बाधा ) – ( Language Barriers )
इस अवरोध को Language Barriers भी कहा जाता हैं ऐसा अवरोध या रूकावट जो प्रेषक ( Sender ) और रिसीवर के बीच ग़लतफ़हमी ( Misunderstanding ) के कारण उत्पन होता हैं उसको हम Semantic Barriers कहते हैं
यह शब्दों या भाषा के कारण हो सकतें हैं हमारे शब्दों में एक शब्द के अनेक मतलब ( अर्थ ) होते हैं ऐसी स्थिति में प्रेषक ( Sender ) ने किसी शब्द को किसी उद्देश्य से उपयोग किया हैं परन्तु रिसीवर उसका मतलब कुछ अन्य समझ लेता हैं
इस दौरान प्रेषक ( Sender ) और रिसीवर के बीच ग़लतफ़हमी ( Misunderstanding ) हो जायेंगी भाषा के कारण, एक ऐसा कर्मचारी है जो इंग्लिश नहीं जानता हैं ऐसी स्थिति में अगर सुपरवाइज़र उसको कुछ बता रहा है तो वह नहीं समझ आयेगा
बाधा – भाषा की समस्या, ख़राब शब्दावली, व्याकरण का ख़राब ज्ञान, ख़राब उच्चारण, ख़राब लिखावट |
Organisational Barriers ( संगठनात्मक बाधा
इसमें ऐसे कई अवरोध देखने को मिलते हैं जिनके कारण संचार अच्छे से नहीं हो पाता हैं किसी संस्था की संरचना कभी कभी इतना कठिन होता हैं जिसके कारण किसको किससे संचार करना हैं यह नहीं पता होता हैं
कई बार किसी संस्था के नियम अधिक कठिन होते है जिनके कारण उस संस्था में लोग संचार नहीं कर पातें हैं
इस तरह यह कहा जा सकता है कि ऐसे अवरोध या रूकावट जो किसी संस्था में मेनेजर और कर्मचारियों के बीच उत्पन्न होते हैं वह संगठनात्मक बाधाएं ( Organisational Barriers ) होती हैं
बाधा – संगठनात्मक नियम और विनियम, पदानुक्रमित सम्बन्ध, मीटिंग का अभाव, चैनल की ख़राब पसंद |
Phychological Barriers ( Emotional Barriers ) – ( भावनात्मक बाधा )
इसको हम एमोशल बंधाएं भी कहते हैं कोई व्यक्ति जो इमोशनल रूप से वयस्क ( समझदार ) हैं वह संचार को प्रभावी ढंग से कर सकता हैं मतलब वह अपनी बात सामने वाले मनुष्य को अच्छे से समझा सकता हैं
लेकिन जिन मनुष्यों का खुद के इमोशन पर कण्ट्रोल नहीं होता हैं वह संचार को ठीक तरह से नहीं कर पातें हैं उदहारण के लिए, अगर किसी बिज़नस में दो कर्मचारियों के बीच किसी तरह की बहस हो गई हैं और वह अब एक दुसरे से बात नहीं करते हैं
ऐसी स्थिति में अब किसी कस्टमर को कोई इनफार्मेशन देनी होगी या कुछ बताना होगा तो वह ठीक तरह से उसको एक्सप्लेन नहीं कर पायेंगे या सही इनफार्मेशन नहीं दे पायेंगे
क्योकि उनके अंदर गुस्सा होगा जिसके कारण वह सामने वाले मनुष्य से सही तरह से बात नहीं कर पायेंगे
बाधा – सुनना, अहंकार, गुस्सा, भावनाएं, चयनात्मक धारणा
Personal Barriers ( व्यक्तिगत बाधा )
यह ऐसी बंधनाएं होती है जो हमारे से जुडी होती हैं यह कॉन्फिडेंस की कमी, समय की कमी , ट्रस्ट ( विश्वास ) की कमी, हो सकती है मतलब जब हमारी खुद की बंधाओं के कारण संचार अच्छे से नहीं हो पाता हैं यह पर्सनल बंधाएं कहलाती हैं
उदहारण के लिए, अगर आपके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी हैं तब ऐसी स्थिति में आप संचार अच्छे से नहीं कर पायेंगे यस आपको किसी मनुष्य पर विश्वास नहीं हैं तब ऐसी स्थिति में आप उससे संचार सही से नहीं कर सकते हैं
बाधा – समय की कमी, आत्मविश्वास की कमी, अधिनस्थों के उचित संचार चैनल का अभाव, सुपीरियर से डर, संवादहीनता के प्रति अनिच्छा
संचार बाधा को कैसे दूर करें? – प्रभावी संचार के उपाय? ( संचार की बाधाओं को दूर करने के उपाय ) – Best Ways
संचार बाधा को दूर करने के लिए हमे कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए
- प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करें मतलब जब आप कोई सन्देश भेजते हैं तब उसके फीडबैक का मूल्यांकन जरुर करें
- सुनने के कौशल में सुधार करे मतलब जब भी आप किसी व्यक्ति की बात को सुने तो आपको उसको अच्छे से सुनना चाहिए
- लेखन कौशल में सुधार करें मतलब सन्देश को लिखते समय उसको अच्छा बनाने और दिखाने के लिए हरसंभव प्रयास करें
- विश्वासनीयता की खाई से बचे मतलब संचार करते समय रिसीवर के लिए यह नहीं सोचना चाहिए कि हम उसको अधूरा सन्देश भेजकर यह विश्वास रखे कि वह उसको समझ लेगा ऐसा न करें अपना सन्देश अच्छे से और पूरा भेजें
- संचार से पहले विचारों को स्पष्ट करें मतलब आपको सन्देश भेजने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आप क्या सन्देश भेजना हैं? उसका उद्देश्य क्या है? उसमे किन विचारों को मेंशन करना हैं?
- विचार पर ध्यान दें मतलब अपने सन्देश में आप जिन विचारों को मेंशन करने वाले है उनको बेहतर तरह से दिखाने का प्रयास करें जिससे रिसीवर को अच्छे से बात समझ आ सकें
- भाषा, टोन और सामग्री से अवगत रहें मतलब किसी भी ऐसी भाषा, टोन या सामग्री का उपयोग न करें जिसको आपका रिसीवर समझ ना सकें
Paralinguistics ( पराभाषाविज्ञान ) – पैरालैंग्वेज
यह एक ऐसा स्किल होता हैं जो हर मनुष्य को जन्म से मिलती हैं मतलब जब हम किसी व्यक्ति के साथ संचार करते है तब किसने क्या कहा? से अधिक ध्यान हमारा इस बात पर होता है कि उसने किस तरह से बोला हैं?
शब्द के साथ साथ जब हम मनुष्य के बात करने के तरिका, आवाज की मात्रा, गति, स्वर-शैली को जब हम संचार में शामिल कर लेते हैं तब यह हमारी पैरा लैंग्वेज कहलाती है सरल भाषा में कहा जाए,
पैरा लैंग्वेज ( Paralinguistics ) संचार का एक ऐसा हिस्सा हैं जिसके अंदर हम आवाज की मात्रा, गति, स्वर-शैली, इशारों और अन्य गैर-मौखिक संकेतों को शामिल करते है
यह गैर- मौखिक संचार का हिस्सा हैं जिसमे कोई भाषा शामिल नहीं होती हैं फिर भी संचार किया जाता हैं मतलब पैरालैंग्वेज आवाज के गैर-मौखिक संकेतों का अध्ययन है पैरालैंग्वेज को ग्रीक शब्द पैरा से लिया गया हैं जिसका अर्थ है निकट या बगल में होता हैं
यह सामग्री या मौखिक सन्देश या बोलने की अन्य विशेषता जैसे – पिच, टेम्प्स, आदि से सम्बंधित नहीं है इस तरह इसमें इस बात पर जोर दिया जाता है कि कोई व्यक्ति किस तरह बोलता है?, उसकी आवाज में किस तरह का उतार चढाव हैं
उदहारण के लिए, अगर कोई मनुष्य हमसे यह कहता है कि तुम यहाँ से जाओ? ( यह मनुष्य शांत स्वभाव से कहता है ) परन्तु अगर कोई मनुष्य हमसे यह कहता है कि तुम यहाँ से अभी जाओ? ( यह मनुष्य बहुत गुस्से में कहा )
मतलब शब्द दोनों के एक है लेकिन हमारा फोकस आवाज की मात्रा, गति, स्वर-शैली पर है
Clues Of Paralinguistics ( पराभाषाविज्ञान के सुराग )
आपकी आवाज आपका ट्रेडमार्क हैं इसीलिए आवाज की विशेषताओं को समझना उपयोगी हैं विश्व की सभी भाषाओं में अधिकांशत: समान पारभाषिक विशेषताएँ होती हैं
- आवाज़ का वॉल्यूम ( Volume Of Voice )
- आवाज़ की गति ( Speed Of Voice )
- सुर ( Tone )
- उच्चारण ( Pronunciation )
- अभिव्यक्ति ( Articulation )
- विराम ( Pause )
- पिच ( Pich )
आवाज़ का वॉल्यूम ( Volume Of Voice )
यह पैरालैंग्वेज का सबसे महत्वपूर्ण सुराग हैं क्योकि कभी कभी कुछ लोग बहुत धीरे धीरे बात करके फ़ुसफ़ुसाते हैं तो इसका मतलब यह होता है कि वह कुछ टॉप सीक्रेट बात शेयर कर रहे हैं लेकिन अगर बहुत दूर से चिल्ला चिल्लाकर बात कर रहे हैं तो कुछ तो गड़बड़ हैं
मतलब जब कोई व्यक्ति बोल रहा हैं तब उसने क्या बोला है इसकी जगह यह देखना कि वह कैसे बोला हैं? या उसकी आवाज धीमी है या तेज हैं वॉल्यूम का मतलब आवाज की तीव्रता या कोमलता से होता हैं हमारी आवाज हमेशा ऊँची या धीमी नहीं होनी चाहिए
हमे अपनी आवाज को सुनने योग्य और स्पष्ट बनाने के लिए अपना वॉल्यूम बदलना चाहिए
उदहारण के लिए, मुझसे चिल्लाकर कैसे बात की आपने? इतना धीमी गति से बात क्यों कर रहे हो?,
आवाज़ की गति ( Speed Of Voice )
कुछ लोग बहुत अधिक घबराये हुए होते हैं वह बहुत जल्दी जल्दी बात बोल जाते हैं और कुछ लोग बिल्कुल भी बोलना नहीं होता है बोलने में उनको आलस आ रहा होता है तब ऐसी स्थिति में एकदम धीमी गति से बात करते रहते हैं
मतलब जब कोई व्यक्ति कोई बात कर रहा है तब वह कैसे बोल रहा हैं जल्दी जल्दी बोल रहा है या रुक – रुककर के बोल रहा है हम अपनी जरुरत के अनुसार आवाज की गति को बढ़ा-घटा सकते है
क्योकि एक अच्छी गति वाला सन्देश रिसीवर या दर्शकों को सबसे अधिक प्रभावित करता है यह गति 80 से 250 शब्द प्रति मिनट हो सकता है सामान्य दर 120 से 150 शब्दों तक है
उदहारण के लिए, एक सिंगर की आवाज की गति बहुत अधिक होती हैं लेकिन भजन गाने वाले व्यक्ति की आवाज की गति कम होती हैं
सुर ( Tone )
किसी मनुष्य ने हमसे किस लहजें में बात की हैं मतलब लोग ऐसे कहते है ना कि जो बात बोली उस बात का बुरा नहीं लगा उसने जिस तरीके से बोला उसका बुरा लगा मतलब बात बुरी नहीं थी बात करने का तरिका बुरा था यह Tone ( टोन ) होती है
मतलब बात करने के तरीके को टोन कहा जाता है किसी एक बात को अगर कई मनुष्यों से बोलने के लिए कहा जाए तो ऐसी स्थिति में उस एक बात को बोलने में हर मनुष्य की अलग अलग टोन होगी और
यह टोन ही यह तय करती है कि क्या सामने वाला मनुष्य ( जिसको आप बात बता रहे हैं ) वह आपकी बात को सुनना पसंद करेगा या नहीं
उच्चारण ( Pronunciation )
व्यक्ति किसी शब्द को बोलते समय उसका उचारण किस तरह करते हैं क्योकि जब व्यक्ति किसी भी शब्द को सही तरीके या उच्चारण से नहीं बोलता हैं तब उस मनुष्य को समझ नहीं आता हैं जिसको हम बोल रहे हैं
ध्वनियों को इस तरह से बोलना जो आमतौर पर स्वीकृत हो जिस शब्द के उच्चारण में आपको ज्ञान न हो तब ऐसी स्थिति में किसी अच्छे शब्दकोष से सलाह लेनी चाहिए और उसका सही उच्चारण करने का प्रयास करना चाहिए
उदहारण के लिए, कुछ लोग आतंकवाद को अन्तकवाद कहते हैं
अभिव्यक्ति ( Articulation )
मनुष्य ( बोलने वाला ) को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह शब्दों या वाक्यों के बीच में ध्वनी को खिसकाएँ, कांटें, अपमानित न करें या छोड़ें नहीं | यदि सभी ध्वनियों का उच्चारण ठीक से नहीं किया जाएँ तो समझ का प्रवाह बाधित हो जाता हैं
इससे श्रोता ( सुनने वाला ) को सन्देश का अर्थ समझने में परेशानी होती हैं मतलब जब मनुष्य बोलता है तब कुछ साउंड ( आवाज ) दब जाते हैं ऐसी स्थिति में यह पता नहीं चलता हैं कि यह क्या बोला गया है
उदहारण के लिए, अंग्रेजी सीखना आसान है परन्तु यहाँ सीखना हमे छुपाकर रखा है जिससे यह समझने में आपको मुश्किल होगी
विराम ( Pause )
किसी बात को बताते समय हमे कब रुकना हैं यह भी बात करने के दौरान बहुत महत्त्वपूर्ण होता हैं किसी मनुष्य से बात करते समय यह नहीं होना चाहिए कि लगातार बोलते ही जा रहे हैं लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि बोलने में बहुत अधिक रुक रहे है
सरल शब्दों में, विराम शब्दों या वाक्यों के बीच एक संक्षिप्त मौन हैं बोलने में रुकने से श्रोता ( सुनने वाला ) सन्देश पर विचार करता हैं और उसे समझ सकता हैं यह हमे एक विचार से दुसरे विचार की ओर सरकने में मदद करता हैं यह हमारी वाणी को सुंदर बनाता है
उदहारण के लिए, यह दोनों बातें रुकों, मत जाने दो और रुको मत, जाने दो बिल्कुल एक जैसी हैं लेकिन यहाँ विराम ( Pause ) का अंतर हैं पहले वाक्य में विराम रुकों के बाद हैं परन्तु दुसरे वाक्य में विराम रुकों मत के बाद हैं
पिच ( Pich )
पिच का मतलब मनुष्य की आवाज की मोटे या पतले होने से होता हैं मतलब आपकी आवाज के प्रति सेकंड कंपन की संख्या से है आवाज का उतार चढ़ाव विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करता हैं एक अच्छी तरह से संतुलित पिच का परिणाम स्पष्ट और प्रभावी स्वर होता हैं
उदहारण के लिए, एक पुरुष ( मर्द ) की आवाज कम पिच ( मोटी ) वाली होती हैं लेकिन एक महिला ( औरत ) की आवाज अधिक पिच ( पतली ) होती है
Word Stress ( शब्द तनाव )
जब हम किसी शब्द में किसी एक हिस्से को अधिक जोर से और खीचकर बोलते है उसको Word Stress कहा जाता हैं परन्तु यह नियम केवल सिर्फ दो या दो से अधिक Syllables वाले शब्दों में उपयोग होता है सरल शब्दों में कहा जाए,
जिन शब्द में सिंगल Syllables होता उसमे हमे Word Stress के बारे में बिल्कुल भी स्ट्रेस नहीं करना है परन्तु यह Syllables क्या हैं? हर शब्द के हिस्सों को Syllables कहा जाता हैं मतलब वह विभिन्न भाग जिसमे हम किसी भी शब्द को विभाजित कर सकते है
उदहारण के लिए, Person शब्द को बोलने में यह दो भागों में विभाजित होता है Per और Son. दुसरा उदहारण, मेरा नाम Nitin हैं इसमें दो Syllables हैं क्योकि जब हम यह नाम बोलते हैं तब इसको दो भागो में विभाजित कर दिया जाता हैं Ni + Tin.
Word Stress का उदहारण, Person शब्द को बोलने स्ट्रेस a पर आता हैं और जब हम Nitin नाम बोलते हैं तब स्ट्रेस i पर आता हैं
पहला नियम – दो Syllables वाले वह शब्द जो Noun होते हैं उनमे अधिकतर Stress प्रथम Syllables पर होता हैं उदहारण के लिए, नीचे टेबल में Person और Minute को देखें |
दुसरा नियम – दो Syllables वाले वह शब्द जो Verbs हैं उनमे अधिकतर Word Stress दुसरे Syllables पर आता हैं उदहारण के लिए, नीचे टेबल में Forget, Begin और Decide को देखें |
तीसरा नियम – चार या चार से अधिक Syllables जब किसी शब्द में होते हैं तब उस शब्द में Stress शुरू या अंत में नहीं आता है बल्कि अधिकतर बीच में आता हैं उदहारण के लिए, नीचे टेबल में Communicate, Information और University को देखें |
Note – अगर आप शब्दों में गलत स्ट्रेस करते हैं तो सामने वाला मनुष्य जो आपकी बात सुन रहा हैं वह आपकी बात को अच्छे से समझ नहीं पाता है
Words | Syllables | Word Stress |
Fast | 1 | No |
Person ( Noun ) | 2 | e |
Beautiful | 3 | u |
Information | 4 | a |
Break Fast | 2 | a |
Banana | 3 | a |
Tomorrow | 3 | o |
University | 5 | e |
Today | 2 | a |
Minute ( Noun ) | 2 | i |
Interesting | 3 | i |
Expensive | 3 | e |
Communicate | 4 | u |
Forget ( Verbs ) | 2 | e |
Begin ( Verbs ) | 2 | i |
Decide ( Verbs ) | 2 | i |
Types Of Communication – Assertive, Antagonistic, Passive, Passive Aggressive, Aggressive
हम सभी मनुष्य किसी न किसी तरह से एक दुसरे के साथ बातचीत करते हैं और अपनी बात किसी दुसरे व्यक्ति के सामने व्यक्त करते है मुख्य रूप से यह कम्युनिकेशन स्टाइल कहलाता हैं क्योकि हम सामने वाले मनुष्य के सामने अपनी बात को किस तरह से रखते हैं
यही उस मनुष्य के साथ हमारे संबंधों को प्रदर्शित करता है
- Assertive
- Antagonistic
- Passive
- Passive Aggressive
- Aggressive
Assertive
ऐसे मनुष्यों का आत्मविश्वास बहुत अधिक होता हैं मतलब इन मनुष्यों को अच्छे से पता होता है कि यह क्या चाहते हैं? जिसके कारण यह लोगो के सामने अपनी बात को बहुत अच्छे से व्यक्त कर पाते है और बात व्यक्त करने के बाद इनको कोई पछतावा नहीं होता है
इनके इस स्वभाव के कारण यह लोग अपने जॉब या प्रोफेशन में बहुत अधिक तरक्की करते हैं और घर-परिवार और समाज में सभी लोगो के साथ इनके सम्बन्ध बहुत अच्छे होते हैं और अंदर से यह मनुष्य बहुत खुश होते हैं और लाइफ में यह बहुत कामयाब मनुष्य होते हैं
इसीलिए संचार के इस स्टाइल को कहा जा सकता है कि यह सबसे अच्छा स्टाइल हैं साधारण भाषा में कहा जाए, यह बहुत निष्क्रिय और बहुत आक्रामक होने के बीच संतुलन है।
Assertive होने से आपको कठिन परिस्थितियों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने, अपने आप को अधिक प्रभावी ढंग से व्यक्त करने और स्वस्थ संबंधों का निर्माण करने में मदद मिल सकती है।
Antagonistic
ऐसे मनुष्य बात करने के दौरान सामने वाले मनुष्य के साथ कठोर ( घृणा वाला ) बर्ताव करता हैं Antagonistic का मतलब विरोध होता हैं मतलब ऐसा व्यवहार जो किसी व्यक्ति को अन्य लोगों के साथ असंगत बनाता हैं
Passive
यहाँ मनुष्य काफी दुखी दिखाई देता हैं मतलब यहाँ मनुष्य अपनी बात व्यक्त नहीं कह पा रहा हैं सरल भाषा में कहा जा सकता हैं Passive मनुष्य समय और लोगो के साथ बहाव में बहते रहते हैं
ऐसे लोगो का व्यक्तित्व अधिक स्ट्रोंग ( मजबूत ) नहीं होता हैं और कॉन्फिडेंस लेवल बहुत कम होता हैं यह व्यक्ति अपनी बात को व्यक्त नहीं कर पाते हैं इसी कारण यह मनुष्य अंदर से बहुत दुखी भी रहते हैं यह एक अच्छा संचार स्टाइल नहीं हैं
Passive Aggressive
यह मनुष्य वह होते हैं जो Passive होने के कारण अपनी बात को व्यक्त नहीं कर पातें हैं और बहुत अधिक समय तक दबें रहते हैं जिसके कारण उनके अंदर एक आक्रामकता का जन्म हो जाता है मतलब फिर ऐसे मनुष्यों को गुस्सा आने लग जाता है
कभी कभी किसी मनुष्य के अंदर अधिक समय तक Passive रहने के कारण आक्रामकता ( गुस्सा ) उत्पन्न होना शुरू हो जाता है और यह लोग Passive Assertive हो जाते हैं
ऐसे मनुष्य बातों को घुमाकर बोलने लग जाते है और कभी कभी अचानक से गुस्सा व्यक्त करते हैं क्योकि इनके अंदर गुस्सा होता हैं जिसके कारण गलत समय पर गलत गुस्सा दिखाना इनका स्टाइल होता हैं इसीलिए यह एक अच्छा संचार स्टाइल नहीं होता हैं
Aggressive
ऐसे मनुष्य को अपनी बात को व्यक्त करने का केवल एक तरिका आता हैं कि चलाने लग जाओ | मतलब यह व्यक्ति बहुत गुस्से वाले होते हैं इसी संचार स्टाइल के कारण ऐसे लोग कभी आगे नहीं बढ़ पाते है क्योकि दुसरे मनुष्यों के साथ इनके सम्बन्ध अच्छे नहीं होते है
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- अवलोकन क्या है? प्रयोगात्मक विधि और अवलोकन विधि, गुण, दोष
- जैविक, मनोगतिक, व्यवहारवादी और संज्ञानात्मक दृष्टिकोण ( Approach )
- तंत्रिका तंत्र किसे कहते हैं? व्यवहार के जैविक आधार, न्यूरॉन, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
निष्कर्ष
यह लेख संचार में उत्पन्न बाधा के प्रकारों, दूर करने के उपाय, पैरालैंग्वेज, वर्ड स्ट्रेस और संचार के कुछ महत्वपूर्ण प्रकारों के बारे में अच्छे से समझाया है क्योकि इस लेख में स्टूडेंट के लिए बहुत कुछ हैं इसीलिए यह लेख आप सभी के लिए बहुत उपयोगी हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें