श्रवण कौशल का मतलब, प्रकार, बाधाएं, रणनीतियां ( Listening Skill in Hindi ) 2024

श्रवण कौशल का मतलब, प्रकार, बाधाएं, रणनीतियां ( Listening Skill in Hindi ) 2024

How to improve Listening Skills: – श्रवण कौशल का महत्व हर किसी मनुष्य के जीवन में बहुत अधिक हैं क्योकि सुनने की कला लाइफ में हमारी बहुत मदद करती हैं लाइफपार्टनर को समझना हो या,

बिज़नस में बेहतर संचार करना सबके लिए सुनने के कौशल ( श्रवण कौशल ) की भूमिका मुख्य हैं जब भी हम लाइफ में किसी व्यक्ति से बातचीत करते हैं तो इस दौरान हमेशा खुद बोलते रहना संचार का सही तरिका नहीं होता है

परन्तु अगर हमारे अंदर सुनने की कला है तो ऐसी स्थिति में हमारे बीच अच्छा संचार ( कम्युनिकेशन ) हो सकता है  मतलब ऐसी स्थिति से आपकी कम्युनिकेशन स्किल बेहतर बनती हैं यह लेख मुख्य रूप से श्रवण कौशल को समझाने के लिए शेयर किया गया हैं

श्रवण कौशल का मतलब, प्रकार, बाधाएं, रणनीतियां ( Listening Skill in Hindi ) 2024

चलिए अब हम श्रवण कौशल को अच्छे से समझने के लिए यह समझने का प्रयास करते है कि श्रवण कौशल क्या होता है?

श्रवण किसे कहते है? ( सुनना क्या हैं? ) – Listening in Hindi?

Table of Contents

किसी भी सन्देश या इनफार्मेशन को ध्यान से सुनना Listening कहलाता हैं सुनना संचार प्रक्रिया में संदेशों को सटीक रूप से प्राप्त करने और व्याख्या करने की क्षमता है। क्योकि कम्युनिकेशन ( संचार ) अधिक प्रभावी तभी होगा

जब रिसीवर उस सन्देश या इनफार्मेशन को अच्छे से सुनेगा और उसको समझने का प्रयास करेगा मतलब अगर आप अपने कम्युनिकेशन को अधिक बेहतर बनाना चाहते हैं तो सुनना वह कुंजी है जिसके माध्यम से संचार प्रभावी रूप से किया जा सकता हैं

श्रवण कौशल क्या हैं? ( Listening Skill in Hindi ) – सुनने की कला

बातों को ध्यान से सुनना, सुनकर समझना और एक निष्कर्ष तक पहुंचना, श्रवण कौशल ( Listening Skills ) कहलाता है श्रवण भाषा को सीखने का पहला चरण होता है क्योकि छोटे बच्चे जन्म के बाद जब समाज-परिवार में मनुष्यों को बोलते हुए सुनते हैं

तब वह उन सुनी बातों को बोलना की कोशिश करते हैं श्रवण कौशल का सम्बन्ध हमारे कानों से होता हैं क्योकि हम कानों के माध्यम से सुनते हैं सुनने से बालकों का बौद्धिक विकास होता हैं और एक अच्छा श्रोता ( सुनने वाला ) ही अच्छा वक्ता ( बोलने वाला ) बनता हैं

श्रवण कौशल के लिए यह जरुरी होता हैं कि जब हम किसी की बातों को सुनते हैं तो पूर्ण धीरज के साथ अंत तक सुनकर ही निर्णय लेना चाहिए

उदहारण के लिए, स्टूडेंट कविता, कहानी, भाषण, वाद विवाद, वार्तालाप आदि का ज्ञान सुनकर ही प्राप्त करते हैं

Johnson ( जॉनसन ) – के अनुसार सुनना मौखिक संचार को समझने और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने की क्षमता है

Types Of Listening ( सुनने के प्रकार ) – श्रवण कौशल के प्रकार

  1. Active Listening
  2. Empathetic Listening ( समानुभुतिपूर्ण श्रवण )
  3. Sympathetic ( सहानुभूतिपूर्वक श्रवण )
  4. Critical Listening ( गंभीर श्रवण )
  5. Selective Listening – Baised Listening ( पक्षापातपूर्ण श्रवण )
  6. Informational Listening ( सूचनात्मक श्रवण )
  7. Pretending Listening
  8. Suggestive Listening
  9. Comprehensive Listening ( व्यापक श्रवण )
  10. Intuitive Listening
  11. Discriminative Listening ( विवेकपूर्ण श्रवण )

Active Listening

इसका मतलब कोई व्यक्ति ( जो बात कर रहा हैं ) या कोई सन्देश या इनफार्मेशन भेज रहा हैं और हम ध्यान से उस मनुष्य की बात को सुन रहे हैं इस दौरान हम अपना रिस्पांस ( फीडबैक ) उसको दे रहे हैं और,

अपनी बॉडी लैंग्वेज के द्वारा यह दिखा रहे हैं कि आप उस व्यक्ति की बातों को पुरे ध्यान के साथ सुन रहे हैं मतलब वह जो सन्देश या इनफार्मेशन दे रहा हैं आपको उसमे दिलजस्पी हैं यह Active Listening कहलाती हैं

इसीलिए आँखों का सम्पर्क बनाना, अपनी बॉडी को बोलने वाले की तरफ घुमाना या थोडा झुकाना, सर हिलाना यह Active Listening के इशारे होते है मतलब यह दिखाते है कि आप सामने वाले व्यक्ति की बातों में दिलजस्पी रखते हैं

Empathetic Listening ( समानुभुतिपूर्ण श्रवण )

इसमें हम किसी व्यक्ति की बातों को केवल सुन ही नहीं रहे होते है बल्कि अगर वह व्यक्ति आपसे कुछ बता रहा हैं तब ऐसी स्थिति में आप उसकी फीलिंग्स को भी समझते है उस दौरान उसकी जगह पर आप खुद को रखकर उसको समझ रहे है

मतलब समानुभूतिपूर्वक सुनना आपको दुसरें लोगो के दृष्टिकोण से देखने में मदद करने के लिए उपयोगी है इस प्रकार की सुनवाई का उपयोग करके, आप किसी अन्य व्यक्ति के बोलते समय उनके दृष्टिकोण को समझने का प्रयास कर सकते है

इसमें आप खुद को दुसरे व्यक्ति के स्थान पर कल्पना करने का भी प्रयास कर सकते है

Sympathetic ( सहानुभूतिपूर्वक श्रवण )

सहानुभूतिपूर्वक सुनना भावना से प्रेरित होता हैं श्रोता शब्दों के माध्यम से कहे गए सन्देश पर ध्यान केन्द्रित करने के बजाय व्यक्त की भावनाओं और भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित करता हैं

सहानुभूतिपूर्वक सुनने का उपयोग करके, आप वक्ता को आवश्यक सहायता प्रदान कर सकते हैं 

Critical Listening ( गंभीर श्रवण या आलोचनात्मक श्रवण )

जब आपको कोई मनुष्य किसी बात को बताता हैं तब आप उसको सुनते और समझते हैं जिसके बाद आप उस बात का मूल्यांकन करते हैं कि यह बात सच है या नहीं? उसके सकारात्मक और नकारात्मक पॉइंट्स क्या हैं? 

इन सभी बातों को जानने के बाद आप अपनी राय देते हैं इसीलिए यहाँ आप कुछ महत्वपूर्ण नोट्स बना सकते हैं सरल शब्दों में कहा जाए, यहाँ आलोचनात्मक श्रवण द्वारा जानकारी का विश्लेषण किया जाता हैं

आलोचनात्मक श्रवण का उपयोग व्यापक श्रवण से अधिक गहरा होता हैं

उदहारण के लिए, कोर्ट में क्रिमिनल जब अपनी बात बोलता हैं तब ऐसी स्थिति में जज, वकिल और अन्य लोगो उसको बहुत ध्यान से सुनते है जिसके बाद उसकी बातों और अन्य सबूतों का मूल्यांकन करके सही सही न्याय किया जाता हैं

Selective Listening – Baised Listening ( पक्षापातपूर्ण श्रवण )

इसका मतलब यह होता है कि किसी भी सन्देश को पूरा उस तरह से न सुनना जिस तरह से उसको Sender ( भेजने वाले व्यक्ति ) ने भेजा हैं बल्कि उसमे सिलेक्शन करके उसको सुनता है

कोई व्यक्ति उस स्पीकर से वही सुनना चाहता हैं जो उस व्यक्ति के काम की चीज हैं बाकि चीजों को वह छोड़ देता हैं या उसके ऊपर ध्यान नहीं देता है यह हमारी Selective Listening कहलाती है

Comprehensive Listening ( व्यापक श्रवण )

जब छोटा बच्चा धीरे धीरे करके भाषा को सुनना, समझना सीखता हैं तब ऐसी स्थिति में आप जो वाक्य या शब्द बोलते है तब वह उसको समझने का प्रयास करता है अगर उसको वह समझ नहीं आता है तब वह उसको दुबारा पूछता हैं

मतलब व्यापक सुनने के लिए भाषा कौशल की आवश्यकता होती हैं बच्चे यह समझने के लिए व्यापक कौशल का उपयोग करते है कि कोई क्या कह रहा हैं? शब्दों का विश्लेषण करने और सन्देश को समझने के लिए व्यापक श्रवण का उपयोग आवश्यक हैं

Informational Listening ( सूचनात्मक श्रवण )

यह प्रकार स्टूडेंट के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जहाँ वह इनफार्मेशन को प्राप्त करते है मतलब इसमें स्टूडेंट को अपनी राय या फीडबैक देने की जरुरत नहीं होती हैं

मतलब जानकारी को समझने और बनाए रखने के लिए सूचनात्मक श्रवण का उपयोग किया जाता हैं इसमें सुनने के लिए आमतौर पर उच्च स्तर की एकाग्रता की आवश्यकता होती है

उदहारण के लिए, कार्य प्रशिक्षण, एक शैक्षिक ईबुक सुनना, कोचिंग |

Pretending Listening

वह व्यक्ति जो किसी सन्देश को सुन रहा हैं वह सन्देश सुनाने वाले मनुष्य को ऐसे एक्सप्रेशन देता हैं कि वह ध्यान से उस मनुष्य को सुन रहा हैं परन्तु सच्चाई यह होती है कि वह केवल ऊपर ऊपर से उसको सुनता हैं

Suggestive Listening

जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति व्यक्तियों से अपनी समस्या को बताता हैं जिसके बाद वह व्यक्ति ध्यान से उसकी बात को सुनकर, उसके अनुसार उसको सुझाव देकर उसकी मदद करने का प्रयास करते हैं इसीलिए इसको Supporting Listening भी कहते हैं

Intuitive Listening

जब कोई व्यक्ति किसी स्पीकर की बात को सुन रहा होता हैं और उसी समय उसके दिमाग में अलग अलग बातें चल रही हैं जिससे वह व्यक्ति स्पीकर की बात को ध्यान से नहीं सुन पाता हैं

Discriminative Listening ( विवेकपूर्ण श्रवण )

कोई व्यक्ति शब्दों को समझने का तरिका जानने से पहले ही इस प्रकार के सुनने का उपयोग करता हैं क्योकि इसमें शब्दों की बजाय, आवाज के स्तर, मौखिक संकेतों और ध्वनि में अन्य परिवर्तनों का उपयोग किया जाता है

प्रत्येक व्यक्ति में यह विवेकपूर्ण कौशल जन्मजात रूप से होता हैं

उदहारण के लिए, एक छोटा बच्चा जन्म के समय, तुरंत बोलना शुरू नहीं करता है लेकिन वह आपकी बातों को समझने के लिए विवेकपूर्ण कौशल का उपयोग करता हैं क्योकि उस दौरान बच्चें को हिंदी भाषा बोलनी नहीं आती है

इस दौरान जब आप बच्चे को अलग अलग इशारों, चेहरे के एक्सप्रेशन से बच्चे को हँसाने का प्रयास करते हैं मतलब आप कभी बंदर की तरह चेहरा बनाते हैं, कभी रोने का चेहरा बनाना, कभी स्माइल वाला चेहरा बनाते हैं

दूसरा उदहारण – अगर आपने टीवी में कोई तमिल मूवी लगाईं हैं लेकिन आपको तमिल भाषा नहीं आती है तब ऐसी स्थिति में आप उस मूवी में सभी एक्टर की बॉडी लैंग्वेज, हाव भाव से उसको समझने का प्रयास करेंगे

Barriers Of Effective Listening ( प्रभावी सुनने में बाधाएँ )

ऐसे बहुत सारे कारण है जो सुनने में बाधा उत्पन्न करते हैं उनमे से कुछ विशेष कारण को यहाँ बताया गया है क्योकि यह सुनने को अधिक प्रभावी बनाने में रूकावट बनने का कार्य करते है

  1. Noise ( शोर )
  2. Inconvenient Environment ( असुविधाजनक वातावरण )
  3. Length Of The Message ( संदेश की लंबाई )
  4. Lack Of Time ( समय की कमी )
  5. Lack Of Training ( प्रशिक्षण की कमी )
  6. Lack Of Awareness ( जागरूकता की कमी )
  7. Lack of Attention ( ध्यान की कमी )
  8. Language Barrier ( भाषा बाधा )
  9. Cultural Barrier ( सांस्कृतिक बाधा )
  10. Way Of Presentation ( प्रस्तुति का तरीका )
  11. Late Arrival ( देर से आना )
  12. Egotism ( अहंकार )
  13. Premature Response ( समय से पहले जवाब देना )
  14. Speaker’s Body Language ( वक्ता की शारीरिक भाषा )

Noise ( शोर )

जब अधिक शोर होने के कारण हम किसी मनुष्य की बातों को ध्यान से नहीं सुन पातें हैं यह इंटरनल या एक्सटर्नल हो सकता हैं मतलब अगर आप किसी ऑफिस में है तब यह शोर ऑफिस के अंदर और बाहर दोनों जगह हो सकता है

जिसके कारण स्पीकर के द्वारा बात को बताए जाने पर रिसीवर को सुनने में बाधा उत्पन्न हो सकती हैं

Inconvenient Environment ( असुविधाजनक वातावरण )

जब कोई स्पीकर ( बात बोलने वाला ) listener ( बात सुनने वालें ) को कम्फ़र्टेबल वातावरण प्रदान नहीं कर पाता हैं तो ऐसी स्थिति में हम किसी व्यक्ति की बात को अच्छे से नहीं सुन पातें हैं उदहारण के लिए कमरे का साफ़ न होना, कुर्सी का सही न होना |

Length Of The Message ( संदेश की लंबाई )

स्पीकर के द्वारा केवल सन्देश देते रहना ही महत्वपूर्ण नहीं होता हैं बल्कि उस सन्देश को शोर्ट और अच्छे से वह सुनने वाले मनुष्यों को कैसे बता सकता है यह गुण स्पीकर के अंदर होना चाहिए अगर कोई स्पीकर अधिक लम्बे सन्देश देता हैं

तब ऐसी स्थिति में उस सन्देश को सुनने वाले लोग, उसकों सुनने में दिलजस्पी को खो देते है और वह बोर होने लग जायेंगे जिसके कारण उनका माइंड इधर-उधर भटकने लग जाएगा

Lack Of Time ( समय की कमी )

जब कोई व्यक्ति किसी स्पीकर की बात को सुन रहा है परन्तु उस पुरी बात को सुनने का उनके पास पर्याप्त समय नहीं हैं मतलब वह बहुत जल्दी में हैं तो ऐसी स्थिति में सुनने वाले मनुष्य का दिमाग उस बात को सुनने में नहीं लगेगा जिसको स्पीकर सुना रहा हैं

Lack Of Training ( प्रशिक्षण की कमी )

एक अच्छी प्रभावी सुनने के लिए कठिन परिश्रम की जरुरत होती हैं किसी मनुष्य की बात को बैठकर सुनने का हमारे अंदर धर्य होना चाहिए जिसके लिए सुनने वाले मनुष्यों को अच्छे से सुनने की कला सीखना चाहिए

परन्तु इस तरह सभी सुनने वाले मनुष्य सुनने की कला सीख नहीं पाते हैं जिसके कारण सुनने के प्रभाव में बाधा उत्पन्न होती है

Lack Of Awareness ( जागरूकता की कमी )

स्पीकर अपनी ऑडियंस ( सुनने वाले मनुष्यों ) को जो भी इनफार्मेशन या सन्देश दे रहा है अगर सुनने वाले मनुष्य उस विषय से परिचित नहीं हैं मतलब स्पीकर जो बोल रहा है ऑडियंस को यह पता ही नहीं हैं कि वह किस बारे में बात कर रहा हैं?

ऐसी स्थिति में उस सन्देश को सुनने में व्यक्तियों की दिलजस्पी नहीं बनेगी या फिर मनुष्यों को यह नहीं पता है कि सुनने का महत्त्व क्या होता हैं? तब भी वह उस सन्देश को ध्यान से नहीं सुनेंगे

Lack of Attention ( ध्यान की कमी )

रिसीवर ( सन्देश सुनने वाला ) स्पीकर की तरह कोई ध्यान नहीं देता है कि स्पीकर क्या सन्देश या इनफार्मेशन उसको दे रहा हैं? क्योकि रिसीवर को दिन की इधर उधर सपने देखने की आदत हो सकती है

सरल भाषा में, आस पास की चीजो पर रिसीवर के द्वारा अधिक ध्यान देना परन्तु स्पीकर की तरफ न अधिक देखना और न ही उसको सुनने की कोशिश करना Attentivness की कमी कहलाता हैं

Language Barrier ( भाषा बाधा )

कभी कभी स्पीकर की भाषा आसानी से समझ नहीं आती हैं उनका एक्शन और प्रस्तुति अलग अलग होता है जिससे सुनने और सन्देश को समझने में समस्या उत्पन्न होती है हाँ, यह एक ऐसे भाषा हो सकती है जो हमे नहीं आती हैं

परन्तु यह भी हो सकता है कि भाषा हमे आती है लेकिन स्पीकर के प्रस्तुति का तरीका हमे भाषा समझने में बाधा उत्पन्न करता हैं

Cultural Barrier ( सांस्कृतिक बाधा )

स्पीकर ( बोलने वाले ) और रिसीवर ( सुनने वाले ) के बीच जब सांस्कृतिक में अंतर के कारण बाधा उत्पन्न होती हैं जिनके कारण हम स्पीकर के द्वारा दी गई इनफार्मेशन या सन्देश को हम अच्छे से समझ नहीं पाते है उसको हम सांस्कृतिक बाधा कहते है

यह अंतर किसी भी रूप में हो सकता हैं स्पीकर और रिसीवर का सांस्कृतिक बैकग्राउंड अलग हैं, जिसके कारण उनके बात करने के तरीके अलग हैं इसीलिए बात को ठीक तरह से समझ न पाने से भी सुनने में बाधा उत्पन्न होती हैं

Way Of Presentation ( प्रस्तुति का तरीका )

जब स्पीकर अपनी प्रस्तुति ठीक प्रकार से नहीं देता हैं तब ऐसी स्थिति में उसको सुनने वाले व्यक्ति अच्छे से सुन नहीं पाते हैं बेहतर प्रस्तुति के लिए स्पीकर प्रोजेक्टर का उपयोग कर सकता हैं

अलग अलग डाटा को बताकर अपनी बात सुनने वाले सभी मनुष्यों को वह अच्छे से एक्सप्लेन कर सकता हैं अगर वह केवल मुँह से बताकर सभी चीजों को एक्सप्लेन करता है तब हो सकता है कि सुनने वाले मनुष्य उसको लगतार न सुने

Late Arrival ( देर से आना )

अगर कोई स्पीकर किसी स्कूल में जाकर बच्चों को कोई इनफार्मेशन या सन्देश देता हैं और अगर सुनने वाला मनुष्य उस कार्यक्रम में देर से शामिल होता हैं तब ऐसी स्थिति में वह स्पीकर के द्वारा बताई शुरुआती बातों को नहीं सुन पाता हैं

परंतु अधिकतर शुरू में हम बेसिक चीजों को एक्सप्लेन करते है जिससे पूरा विषय बच्चों को आसानी से समझ में आ सकें इसीलिए यह सुनने में एक ख़राब स्थिति पैदा होगी

Egotism ( अहंकार )

अगर कोई स्पीकर कोई सन्देश देता हैं परन्तु उस स्पीकर का ऐसा Attitude हैं कि मैं हमेशा सही हूँ? परन्तु स्पीकर का ऐसा अंदाज सभी सुनने वाले मनुष्यों को पसंद नहीं आता है और यह उसका अंहकार कहलाता हैं

ऐसी स्थिति में सुनने वाले सभी मनुष्य स्पीकर से परेशान हो सकते हैं और उस स्पीकर की बात को सुनने में दिलजस्पी नहीं दिखाते हैं

Premature Response ( समय से पहले जवाब देना )

जब सुनने वाला मनुष्य किसी स्पीकर की बात को पूरा नहीं सुनता हैं मतलब स्पीकर की बात ख़तम होने से पहले बीच में वह स्पीकर से सवाल पूछ लेता हैं और जवाब देने लग जाता है जिसके कारण सुनने में बाधा उत्पन्न होती हैं

क्योकि ऐसी स्थिति में हमारा ध्यान हट जाता हैं इसीलिए यदि कोई स्पीकर कोई सन्देश दे रहा है तब पहले उसको ध्यान से सुनना चाहिए फिर जब वह रुक जाता है तब अपने उन सवालों को पूछना चाहिए जिसमे आप कंफ्यूज हैं

Speaker’s Body Language ( वक्ता की शारीरिक भाषा )

अगर कोई मनुष्य किसी स्पीकर के सन्देश या इनफार्मेशन को सुन रहा हैं तब वह उस स्पीकर से अधिक ध्यान उसके बॉडी लैंग्वेज पर देता हैं परन्तु अगर स्पीकर की बॉडी लैंग्वेज सही नहीं है तब वह सुनने वाला मनुष्य रूकावट का सामना करता हैं

श्रवण कौशल विकसित करने की रणनीतियाँ ( 11 Tips ) – How to Improve Listening Skills

सुनने के कौशल को बेहतर बनाने के बाद हमारे रिलेशनशिप, नेटवर्किंग, सेल्स, को बेहतर बनाया जा सकता हैं

अक्सर स्कूल में बच्चों से बुक्स की रीडिंग करवाई जाती हैं इस दौरान रीडिंग कक्षा में केवल एक बच्चा करता हैं परन्तु कक्षा के अन्य बच्चे उस एक बच्चे को ध्यान से सुनने का प्रयास करते हैं ऐसा करने से हमारे सुनने के कौशल का विकास होता है

सामान्य जीवन में आप नाटक-मंचन, अन्त्याक्षरी, रेडियों, सिनेमा, गीत व कविता पाठ, समाचार पत्र पढ़ना, टीवी को ध्यान से सुनने का प्रयास कर सकते हैं चलिए अब हम कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स अपने सुनने के कौशल को बेहतर बनाने के लिए समझ लेते हैं

  1. बात करना बंद करें ( Stop Talking )
  2. एक्टिव श्रवण का प्रयास करना
  3. स्पीकर से आँखों का संपर्क बनाना
  4. दूसरों की भावनाओं को समझना
  5. धर्य बनाये रखना
  6. गुस्से को काबू में रखना
  7. क्लियर समझने के लिए सवाल पूछना
  8. प्रतिक्रिया देना
  9. नोट्स बनाना
  10. स्पीकर के दिखाने पर फोकस नहीं रखना
  11. विषय के बारे में पहले से जानकारी होना

बात करना बंद करें ( Stop Talking )

अधिकतर लोग सुनने की जगह बातें करना अधिक पसंद करते है लेकिन जब आप किसी मनुष्य से बात कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में आप किसी मनुष्य को अच्छे से नहीं सुन सकते हैं

क्योकि ऐसा करने से हम स्पीकर की महत्वपूर्ण बात या इनफार्मेशन को समझ नहीं पाते हैं इसीलिए अगर आप किसी मनुष्य की बात को अच्छे से सुनना चाहते है तो ऐसा करने के लिए सबसे पहले आपको Stop Talking ( बात करना बंद ) करना होगा

एक्टिव श्रवण का प्रयास करना

आप Active Listening पर ध्यान देना चाहिए मतलब अपनी पाँचों इन्द्रियों का उपयोग करके किसी बात को सुनना चाहिए इस दौरान आप अपने सिर को हिलकार स्पीकर को यह समझा भी देते है कि आप उनकी बात को ध्यान से सुन रहे हैं

जिससे स्पीकर आपको अपनी बात अधिक अच्छे से एक्सप्लेन करने पर दिल से विचार करता हैं अगर इस दौरान आप स्पीकर की बात को सुनकर कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स को उस स्पीकर तक दुबारा पहुंचा देते हैं

यह स्पीकर के ऊपर आपका अधिक पावरफुल इम्प्रैशन बनाता है आपको अपना Eye Contact बनाये रखना हैं यह सभी चीजें स्पीकर को यह बता देती है कि आप एक्टिव होकर स्पीकर की बात को अच्छे से सुन रहे है

स्पीकर से आँखों का संपर्क बनाना

जब स्पीकर हमे कोई सन्देश या इनफार्मेशन दे रहा हैं तो ऐसी स्थिति में ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम बात नहीं कर रहे है लेकिन अपनी गर्दन नीचे करके उसको सुन रहे हैं या उस दौरान इधर-उधर देखकर उनकी बातों को सुनते हैं

ऐसा करने से आप ( रिसीवर ) और स्पीकर के बीच कम्पलीट समझ ( Complete  Understanding ) का निर्माण नहीं होगा मतलब स्पीकर को यह नहीं पता चलेगा कि आप उसकी महत्वपूर्ण बात को ध्यान से सुन रहे है

इसीलिए इस दौरान आपको स्पीकर के साथ हमेशा आँखों का संपर्क बनाये रखना चाहिए और बीच बीच में सिर हिलाकर स्पीकर को  यह सन्देश देना चाहिए कि आप उसकी बात ध्यान से सुन रहे हैं

दूसरों की भावनाओं को समझना

जब हम खुद को सामने वाले मनुष्य की स्थिति में रखकर समझने का प्रयास करते हैं तभी हम अच्छे से उसको सुन सकते है मतलब जब आप स्पीकर की जगह खुद को रखकर स्पीकर के नजरिये से समझने की कोशिश करेंगे

इसीलिए आपको हमेशा दूसरों की भावनाओं को सुनने के दौरान समझना चाहिए जिससे आप अपने सुनने के कौशल को अधिक बेहतर बना सकते हैं

धर्य बनाये रखना

जब स्पीकर अपनी बात को कह रहा हैं तो बिल्कुल धर्य को बनाते हुए उसको अपनी बात को कहने देना चाहिए बीच में उसको डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए अगर स्पीकर ने कुछ कहा हैं तब उस दौरान सुनने वाले सभी मनुष्य एक जैसे नहीं होते है

मतलब कोई सुनने वाला व्यक्ति किसी बात को तुरंत समझ लेता है परन्तु किसी सुनने वाले मनुष्य को कोई बात समझने में समय लगता हैं लेकिन यहाँ आपको रुकना ( धर्य ) बनाये रखना चाहिए

गुस्से को काबू में रखना

अगर आपको पता नहीं है तो मैं बता देता हूँ कि गुस्सा कम्युनिकेशन ( संचार ) का सबसे बड़ा दुश्मन होता हैं जो स्पीकर और रिसीवर के बीच में दीवार खडी कर देता है क्योकि जब कोई मनुष्य गुस्सा करता हैं

तब वह सामने वाले मनुष्य की बातों का गलत मतलब निकाल लेता है इसीलिए अगर आपको किसी बात पर गुस्सा आ रहा हैं तो ऐसी स्थिति में उसको कण्ट्रोल करना चाहिए यहाँ कुछ देर रुकना चाहिए जिसके बाद आपको बोलना या सुनना चाहिए

क्लियर समझने के लिए सवाल पूछना

जब स्पीकर कोई सन्देश या इनफार्मेशन देता है और उसमे आपको कुछ डाउट हैं तो ऐसी स्थिति में आप अपने उस डाउट को क्लियर करने के लिए स्पीकर से प्रश्न पूछ सकते हैं क्योकि ऐसा करना स्पीकर को यह सन्देश देता है कि

आप स्पीकर बात को ध्यान से सुन रहे हैं क्योकि जब आप ध्यान से सुनते है तभी आपके मन में डाउट भी उत्पन्न होते हैं

प्रतिक्रिया देना

सुनने के कौशल को बेहतर बनाने के लिए आपको यह सीखना होगा कि बिना बोले हम एक सकारात्मक फीडबैक कैसे दे सकते हैं? ऐसी स्थिति में आप सिर को हिलाकर अपने स्पीकर को फीडबैक दे सकते हैं

आप उस इनफार्मेशन के अनुसार, स्पीकर से अपने प्रश्न को पूछ सकते हैं, कुलमिलकर फीडबैक देने का यह मकसद होता है कि आप उस स्पीकर की बात को ध्यान से समझ और सुन रहे हैं

नोट्स बनाना

जब आप किसी सन्देश या इनफार्मेशन को सुनने का कार्य कर रहे है तो इस दौरान आपको जहाँ जरुरत दिखती है वहां आपको उसके नोट्स बनाने चाहिए इस दौरान आप स्पीकर से प्रश्न पूछने के लिए उन प्रश्न की लिस्ट भी बना सकते हैं

क्योकि हम तभी नोट्स बना सकते है जब हम उस बात, विषय या इनफार्मेशन को ध्यान से सुन रहे हैं

स्पीकर के दिखाने पर फोकस नहीं रखना

कुछ मनुष्य जब किसी स्पीकर की बात को सुन रहे होते है तब वह ऐसी स्थिति में इस बात पर अधिक ध्यान देने का प्रयास करते हैं कि वह किस तरह का दिख रहा हैं, क्या कहना क्या चाह रहा है, क्या उसने पहना हैं, किस तरह वह सन्देश देता है,

परन्तु इन सभी चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि एक रिसीवर ( सुनने वाला मनुष्य ) होने के कारण हमे इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि स्पीकर क्या कह रहा है? ( उसको ध्यान से सुनना चाहिए )

विषय के बारे में पहले से जानकारी होना

जब हम एक रिसीवर ( सुनने वाला मनुष्य ) के रूप में किसी स्पीकर की बात को सुनने वाले होते है तो इस दौरान हमे स्पीकर जिस विषय पर इनफार्मेशन, मेसेज देने वाला हैं उसके बारे में कुछ पहले से इनफार्मेशन होनी चाहिए

क्योकि अगर इस दौरान स्पीकर के समझाने पर आपको कुछ बेसिक चीजों के बारे में नहीं पता है तो ऐसी स्थिति में एक रिसीवर उस सन्देश को समझ नहीं पायेगा और बोर होने लग जाएगा

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निष्कर्ष

यह लेख श्रवण ( सुनना ) और श्रवण कौशल क्या है, श्रवण कौशल का महत्व, प्रकार, बाधाएं और बेहतर श्रवण कौशल के लिए रणनीतियां बताने के उद्देश्य से शेयर किया है जो स्टूडेंट कम्युनिकेशन स्किल के पाठ्यक्रम को पढ़ रहे हैं उनके लिए यह एक अच्छा लेख है

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

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