Sanchar Kise Kahate Hain: – संचार प्रक्रिया क्या है? अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए कम्युनिकेशन स्किल के बारे में लगभग हर स्टूडेंट को समझाया और पढ़ाया जाता हैं अक्सर ग्रेजुएशन इसका अलग पाठ्यक्रम देखने को मिलता है
परन्तु संचार प्रक्रिया को अच्छे से समझने के लिए उसको खुद के अंदर डेवलप करना बहुत जरुरी होता हैं संचार की प्रक्रिया के कुछ आवश्यक कदम होते हैं जब हम संचार का मतलब समझने का प्रयास करते हैं तब हमे पता चलता है कि
संचार प्रक्रिया सफलतापूर्वक संचार करने के लिए उठाए गए किसी कार्य या कदम को संदर्भित ( एक्सप्लेन ) करती है। इसमें कई घटक शामिल होते हैं चलिए हम इसको अच्छे से एक्सप्लेन करते हुए समझाते हैं
संचार प्रक्रिया क्या है? ( Sanchar Kya Hai ) – संचार की प्रक्रिया को समझाइए? ( Sanchar Kise Kahate Hain )
किसी भी बिज़नस को अच्छे से चलाने के लिए या अपनी कम्युनिकेशन स्किल को बेहतर बनाने के लिए कम्युनिकेशन प्रक्रिया ( संचार प्रक्रिया ) को समझना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं क्योकि किसी बिज़नस को चलाने के लिए अलग अलग लोगो से कांटेक्ट करना पड़ता हैं
अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचाना और समझाना होता है ऐसी स्थिति में हमे संचार प्रक्रिया को समझना जरुरी हैं
संचार प्रक्रिया सफलतापूर्वक संचार करने के लिए उठाए गए किसी कार्य या कदम को संदर्भित ( एक्सप्लेन ) करती है। इसमें कई घटक शामिल होते हैं उदहारण के लिए, संचार करने वाला, वह सन्देश जो भेजा जा रहा हैं,
संदेश का अपनी भाषा में बदलकर उसको समझने योग्य बनाना, सन्देश को प्राप्त करने वाला और संदेश का समझना।
संचार करने के कुछ साधन ( माध्यम ) होते हैं मतलब संचार को कई तरह से किया जा सकता हैं उदहारण के लिए, बोलकर, ऑडियो, विडियो, लिखकर, ईमेल, फैक्स या बॉडी लैंग्वेज |
संचार प्रक्रिया को सफलतापूर्वक चलाने के लिए प्रेषक ( सन्देश देने वाला ) को सबसे उपयुक्त माध्यम चुनना होगा साधारण शब्दों में कहा जाए, संचार प्रक्रिया में प्रेषक ( Sender ) और रिसीवर ( Receiver ) दोनों महत्वपूर्ण होते है
परिभाषा – संचार प्रक्रिया एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमे प्रेषक ( Sender ) के द्वारा अपने विचारों को एक सन्देश के रूप में, किसी चैनल के माध्यम से रिसीवर ( Receiver ) तक पहुंचाया जाता है इस भेजे गए सन्देश का उत्तर प्रतिक्रिया के रूप में रिसीवर प्रेषक को देता है
यह एक चक्रिय प्रक्रिया हैं क्योकि यह प्रेषक से शुरू होकर, रिसीवर के द्वारा प्रेषक के पास ही ख़तम होती हैं
संचार की प्रक्रिया ( Sanchar Ki Prakriya ) – Communication Process ( स्टेप बाई स्टेप )
संचार प्रक्रिया को कुछ स्टेप्स के माध्यम से समझा जा सकता हैं
- पहला कदम – Sender
- दुसरा कदम – Message
- तीसरा कदम – Encoding
- चौथा कदम – Medium
- पांचवा कदम – Decoding
- छठा कदम – Receiver
- सातवा कदम – Feedback
पहला कदम – Sender
संदेश भेजने वाले व्यक्ति को प्रेषक के रूप में जाना जाता है मतलब जब कोई व्यक्ति किसी सन्देश या इनफार्मेशन को किसी दुसरे व्यक्ति को भेजा हैं उसको हम Sender ( प्रेषक ) कहते हैं यह व्यक्ति वक्ता ( स्पीकर ), लेखक ( राइटर ), अभिनेता आदि हो सकता है।
यह व्यक्ति मतलब प्रेषक ही वह स्रोत होता है जो संचार को शुरू करता है, यह व्यक्ति संदेश को तैयार करता है जिसे वह व्यक्त ( भेजना ) करना चाहता है और इसे भेजने के लिए माध्यम का चयन भी करता है।
दुसरा कदम – Message
संदेश ( मेसेज ) संचार का मुख्य विषय होता है। प्रेषक ( Sender ) जब किसी व्यक्ति को कोई सन्देश भेजता हैं तब वह उस सन्देश में अपने मन में उत्पन्न विचारों को भेजता हैं मतलब सन्देश प्रेषक के मन में मौजूद होता है यह विचार या राय किसी भी तरह का हो सकता हैं
मतलब यह कोई आदेश, दिशा-निर्देश या अन्य इनफार्मेशन हो सकती हैं यह सन्देश लिखित या मौखिक ( Oral ) हो सकता हैं
तीसरा कदम – Encoding
जब कोई प्रेषक ( Sender ) अपने सन्देश को उन शब्दों, संकेतों या अन्य फॉर्म ( रूप ) में बदलता है जिससे उस सन्देश को वह मनुष्य अच्छे से समझ सकें जिसको वह सन्देश भेजना है यह पूरी प्रक्रिया Encoding ( एन्कोडिंग ) कहलाती है
चौथा कदम – Medium
माध्यम वह तरिका या रास्ता ( पथ ) या साधन होता हैं जिसके माध्यम से एन्कोडेड संदेश रिसीवर तक भेजा जाता हैं यह माध्यम ( साधन ) लिखित रूप में हो सकता हैं, आमने सामने बात करके हो सकता है या टेलीफोन, पत्र, इंटरनेट आदि के माध्यम से हो सकता है
पांचवा कदम – Decoding
डिकोडिंग की प्रक्रिया रिसीवर के द्वारा की जाती है। जिसका मतलब यह होता है कि किसी सन्देश को अपनी भाषा में समझना, अपनी नॉलेज और अनुभव के आधार पर, सन्देश को उसी रूप में समझना जिस तरह प्रेषक ( Sender ) उस सन्देश को समझाना चाहता हैं
छठा कदम – Receiver
जिस व्यक्ति के लिए सन्देश भेजा जाता है या जो व्यक्ति किसी सन्देश को प्राप्त करता है वह रिसीवर ( Receiver ) कहलाता हैं मतलब रिसीवर का कार्य, प्रेषक ( Sender ) के द्वारा भेजे गए सन्देश को प्राप्त करना और उसको अच्छे से समझना होता है
सातवा कदम – Feedback
फीडबैक संचार प्रक्रिया का अंतिम और महत्वपूर्ण भाग हैं संचार प्रक्रिया का पूरा होने के लिए फीडबैक बहुत जरुरी होता हैं बिना किसी फीडबैक के संचार प्रक्रिया पुरी नहीं होती हैं
इस तरह, किसी सन्देश के लिए रिसीवर के द्वारा इस बात की पुष्टि करना कि उसने सन्देश को प्राप्त कर लिया हैं और उसको अच्छे से समझ लिया है और वह रिसीवर उस सन्देश पर कोई उत्तर देता हैं उसको हम फीडबैक कहते हैं
Verbal and Non-Verbal Communication
लोगो से संचार करने के बहुत सारे मेथड होते हैं परंतु यहाँ विशेष रूप से केवल दो तरीको को अच्छे से समझेंगे
- Verbal Communication ( शाब्दिक संचार )
- Non Verbal Communication ( अशाब्दिक संचार )
Verbal Communication ( शाब्दिक संचार )
इस संचार में हम किसी भी इनफार्मेशन को शेयर ( साझा ) करने के लिए शब्दों का उपयोग करते हैं यहाँ शब्दों का उपयोग बोलकर और लिखकर दोनों तरह से किया जा सकता हैं यहाँ बोलकर और लिखकर सन्देश भेजने वाले माध्यम का,
उपयोग करके सन्देश भेजा जाता हैं यह पूरी प्रक्रिया Verbal Communication कहलाती हैं इसमें बोलना ( Speaking ), सुनना ( Listening ), लिखना ( Writing ) और पढ़ना ( Reading ) शामिल हैं
उदहारण के लिए, आपसे आपका कोई मित्र यह बोलता है कि क्या आप शाम को मूवी देखने के लिए चलोगें आप उससे कहोगे कि नहीं आज शाम मुझे एग्जाम की तैयारी करनी हैं और मैं मूवी देखने नहीं जाऊंगा यह एक Verbal Communication का Oral हैं
Types Of Verbal Communication ( शाब्दिक संचार के प्रकार )
यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता हैं
- Oral Communication ( मौखिक संचार )
- Writen Communication ( लिखित संचार )
Oral Communication ( मौखिक संचार )
यह संचार का सबसे पोपुलर और सामान्य तरिका हैं जिसमे मनुष्य बोलकर संचार करता हैं सामान्य जीवन में इस तरीके का उपयोग लगभग सभी लोग करते हैं इस संचार में फेस टू फेस कम्युनिकेशन, विडियो कांफ्रेंसिंग,
वौइस् चैट, टेलीफोन और मोबाइल फ़ोन आदि शामिल हैं यह फॉर्मल और इनफॉर्मल दोनों हो सकतें हैं क्योकि जब एक कर्मचारी अपने उच्च अधिकारी को बोलकर कोई इनफार्मेशन देता है वह फॉर्मल हैं और,
जब एक कमर्चारी किसी अन्य कर्मचारी से अपनी पर्सनल इनफार्मेशन को बोलकर बता रहा हैं तब यह इनफॉर्मल होता हैं
उदहारण के लिए, आपसे आपका कोई मित्र यह बोलता है कि क्या आप शाम को मूवी देखने के लिए चलोगें आप उससे कहोगे कि नहीं आज शाम मुझे एग्जाम की तैयारी करनी हैं और मैं मूवी देखने नहीं जाऊंगा यह एक Verbal Communication का Oral हैं
उदहारण के लिए, अगर मुझे किसी लड़की से प्यार हैं तब मैं अपने प्यार को बोलकर उससे कह दूंगा यह एक मौखिक संचार का उदहारण हैं
Writen Communication ( लिखित संचार )
यह एक ऐसी संचार प्रक्रिया होती है जिसमे मनुष्य लिखकर संचार करता हैं मतलब जब कोई व्यक्ति अपने सन्देश को किसी दुसरे मनुष्य के पास लिखकर भेजता हैं सरल शब्दों में यहाँ शब्दों का प्रयोग संचार करने के लिए लिखकर किया जाता हैं
उदहारण के लिए, बिज़नस में किसी कर्मचारी के द्वारा उच्च अधिकारी को अपनी रिपोर्ट को दिखाकर कोई इनफार्मेशन देना होता हैं
इस संचार का प्रभाव अधिक होता है क्योकि यहाँ मनुष्य बोलने की जगह लिखकर कम्युनिकेशन ( संचार ) करता हैं और इसका उपयोग एविडेंस के रूप में भी किया जा सकता हैं इसमें लेटर्स, डाक्यूमेंट्स, ईमेल, SMS चैट, रिपोर्ट्स, बुक्स शामिल हैं
उदहारण के लिए, अगर कोई व्यक्ति आपको लिखकर देता हैं कि हाँ मैं वह काम कर दूंगा? तब आप उस लिखित को एक एविडेंस के रूप में उपयोग कर सकते हैं
उदहारण के लिए, अगर मुझे किसी लड़की से प्यार हैं और मैं उसको बोलकर नहीं बता पा रहा हूँ तो ऐसी स्थिति में मैं उसको अपने दिल की बात एक लव लैटर लिखकर बताने का प्रयास करता हूँ यह एक लिखित संचार का उदहारण हैं
Non Verbal Communication ( अशाब्दिक संचार )
यह संचार की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे शब्दों का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाता हैं मतलब इसमें व्यक्ति न कुछ बोलता हैं और न कुछ लिखता हैं इसमें इशारों, बॉडी लैंग्वेज या अन्य संकेतों के माध्यम से लोगो के साथ संचार किया जाता हैं
इसमें सिम्बल्स और Sign का उपयोग किया जाता हैं यह संचार दिखाकर या सुनाकर दोनों तरह से किया जा सकता हैं
उदहारण के लिए, अगर आप किसी फ्रेंड के साथ चाय पीने के लिए जा रहे हैं तब इस स्थिति में आप चाय वाले को दो ऊँगली दिखाकर ( इशारा ) करके यह सन्देश दे सकते हैं कि दो चाय बनानी हैं
Types Of Non Verbal Communication ( अशाब्दिक संचार के प्रकार )
- Kinesics
- Sign Langauge
- Proxemics
Kinesics
इसका मतलब किसी मनुष्य की फिजिकल मूवमेंट से होता हैं मतलब किसी व्यक्ति के फिजिकल मूवमेंट का अध्ययन Kinesics कहलाता हैं मनुष्य किस तरह चल रहा हैं, उसका हाथ कहाँ मूव कर रहा हैं, चेहरे का एक्सप्रेशन कैसा हैं?
मतलब संचार की इस प्रक्रिया में हम मनुष्य के चेहरे का एक्सप्रेशन, आँखों के संपर्क, हाथ पैरों की गतिविधि के आधार पर यह समझा जाता है कि कोई मनुष्य हमसे क्या कह रहा है इसमें हम अपनी प्रतिक्रिया बॉडी लैंग्वेज या अन्य संकेत का उपयोग करके करते हैं
उदहारण के लिए, मुझसे एक फ्रेंड ने पूछा कि क्या आप मेरे साथ कॉफ़ी पीने के लिए चलोगें? मैंने उसको सिर हिलाकर हाँ या ना में उत्तर दिया
इसमें कुछ चीजे शामिल होती हैं
- Physical Appearance – इस मतलब कोई मनुष्य कैसा दिख रहा हैं? आपका हेयर स्टाइल कैसा हैं?, कपड़ों आपने कैसे पहने हैं?, आपका परफ्यूम कैसा है? यह सभी चीजे Physical Appearance में शामिल हैं
उदहारण, एक डॉक्टर के पौशाक से हम पता लगा सकते हैं कि वह डॉक्टर है
- Posture – यह मनुष्य के उठने-बैठने और बोलने का तरिका होता हैं, किस तरह से आप खड़ें हैं, किस तरह से आप बोल रहे है, किस तरह से आप बैठते है, यह सभी चीजे Posture में शामिल होता है
- Gestures – यह मनुष्य के चेहरे और सिर का मूवमेंट होता हैं
- Facial Expressions – यह मनुष्य के चेहरे के हाव भाव होते है
- Eye Contact – यह मनुष्य के आँखों का संपर्क होता है
Sign Langauge
इसमें व्यक्ति किसी भी शब्द का उपयोग नहीं होता हैं बल्कि यहाँ केवल Sign ( चिन्ह ) का उपयोग किया जाता हैं उदहारण के लिए, ऑडियो का उपयोग, चित्र दिखाकर, चित्र दिखाने के साथ साथ ऑडियो सुनाकर |
बॉडी लैंग्वेज, चेहरे का एक्सप्रेशन और चेहरे के मूवमेंट यह सभी Sign लैंग्वेज के भाग हैं
Proxemics
इसमें दो व्यक्तियों के बीच में फिजिकल स्पेस को देखा जाता हैं मतलब जब दो या दो से अधिक लोग संचार करते हैं तब उनके बीच में एक स्पेस होता है जिसके आधार पर इस संचार को समझा जा सकता हैं
Edward T. Hall – के अनुसार लोगों के बीच आपसी संबंधों के आधार पर बातचीत के दौरान लोगों के बीच के स्थान को चार क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है
- Intimate
- Personal
- Social
- Public
Intimate
इसमें व्यक्तियों के बीच कम से कम स्पेस होता हैं यह लगभग 45 cm ( 1.5 Feet ) का स्पेस होता है यह माता पिता, करीबी परिवार के सदस्य, जीवनसाथी और रिश्तेदार होते हैं
सरल शब्दों में, यह स्पेस मुख्य रूप से करीबी मित्र और प्यार करने वालो के बीच होता हैं उदहारण के लिए, किसी ने आपको Hug किया, हाथ पकड़कर चलना, नजदीक बैठे हुए है |
Personal
इसमें व्यक्तियों के बीच लगभग 46 Cm से 120 Cm तक होता हैं यह मनुष्य अच्छे मित्र, एक कक्षा के छात्र, रिश्तेदार होते हैं जिनके बीच यह स्पेस मेन्टेन किया जाता हैं अगर व्यक्तियों के बीच में इतना स्पेस हैं
तो ऐसी स्थिति में हम यह समझ सकते हैं कि यह व्यक्ति एक दुसरे को जानते है
Social
यह मुख्य रूप से फॉर्मल या ऑफिसियल होता है यह लगभग 1.21 मीटर से 3.60 मीटर तक होता हैं उदहारण के लिए, अगर रास्ते में कोई जा रहा हैं उसने आपसे रास्ता पूछ लिया, आप अपने डायरेक्टर से मिलने जाते हैं
Public
यह संचार सार्वजनिक क्षेत्र से सम्बंधित होता है यह लगभग 3.61 मीटर से 7.5 मीटर तक होता हैं या जितनी दूर तक हमे दिखाई देता है उतनी दूर तक हो सकता है यह कक्षा में लेक्चर, सेमिनार, ट्रेनिंग सेशंस होते है
7 C’s Of Effective Communication ( प्रभावी संचार )
इसमें सात पॉइंट्स होते हैं जो C से शुरू होते हैं इसीलिए इनको 7 C’s कहा गया हैं मतलब यह संचार को अधिक प्रभावी बनाते है क्योकि इनका उपयोग करके प्रेषक ( Sender ) अपनी बात को रिसीवर तक अच्छे से पहुंचा सकता है और,
रिसीवर भी उस बात को अच्छे से समझ सकता हैं सरल शब्दों में, संचार के यह 7 C’s लिखित और मौखिक संचार के लिए सिद्धांतों की एक सूची होती है, जिसका कार्य संचार को अधिक प्रभावी बनना होता हैं
यह एक दिशानिर्देश है जो चेकलिस्ट के रूप में कार्य करके प्रभावी संचार सुनिश्चित करता है
Principles Of Effective Communication
संचार के कुछ सिद्धांत है जो आपके द्वारा किये गए संचार को अधिक प्रभावी बनाने में सक्षम है
- Clarity
- Completeness
- Conciseness
- Consideration
- Correctness
- Concreteness
- Courtesy
Clarity – इसका मतलब जिस सन्देश को आप किसी व्यक्ति को भेजना चाहते है या कोई बात बताना चाहते हैं तो आपके सन्देश का लक्ष्य क्या है? यह क्लियर होनी चाहिए मतलब आपको यह पता होना चाहिए कि आपको क्या सन्देश देना हैं
तभी आपका संचार अधिक प्रभावी होगा और रिसीवर आपके सन्देश या बात को आसानी से समझ सकता हैं इस दौरान आपके सन्देश में उपयोग की गई भाषा सरल होनी चाहिए जिससे उसको समझना रिसीवर के लिए आसान हो सकें
Completeness – जो संचार हो रहा है वह पूरा होना चाहिए मतलब आप अपने रिसीवर को सन्देश में फैक्ट्स बता रहे है या इनफार्मेशन दे रहे हैं वह पूरी दें जिससे रिसीवर उसको अच्छे से समझ पाए और आपका संचार अधिक प्रभावी बन जाए
ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप आधी अधूरी इनफार्मेशन देकर ऑडियंस या रिसीवर को कंफ्यूज कर दे क्योकि जब आपका सन्देश कम्पलीट होगा तभी आप रिसीवर से एक सकारात्मक फीडबैक प्राप्त कर सकते हैं
Conciseness – संचार के दौरान अपने सन्देश में आपको कम से कम शब्दों का उपयोग करना चाहिए जिससे रिसीवर उसको अच्छे से पढ़ पाए, समझ पाए | मतलब अगर आपका सन्देश शब्दों में हैं
तो आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि आप कम से कम शब्दों का उपयोग करके एक्सप्लेन करें यदि आप कोई लेक्चर या स्पीच देना चाहते हैं तो आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि वह बहुत अधिक लम्बी नहीं होनी चाहिए
जिससे उस स्पीच को सुनने वाली ऑडियंस ( लोग ) उससे बोर होने लग जाए या उसको अधिक ध्यान से न सुने | अगर आप शोर्ट में एक्सप्लेन करते है तो ऐसा करने से प्रेषक ( Sender ) और रिसीवर दोनों का समय बचता है
Consideration – आप जिस भी सन्देश को भेजना चाहते है वह रिसीवर के अनुसार ही भेजना हैं मतलब आप अपने सन्देश में जो भी इनफार्मेशन देना चाहते है वह रिसीवर ( सुनने या पढने वाले ) को ध्यान में रखकर ही संचार करना चाहिए
इसीलिए सन्देश के माध्यम से इनफार्मेशन देते समय आपको कुछ ऐसा नहीं बोलना है जिससे उसको बुरा लग जाए यहाँ आपको रिसीवर के नजरिये से भी सोचना चाहिए कि क्या बोलना उनके लिए सही है? और क्या नही?
Correctness – आप दूसरों को जो भी इनफार्मेशन द्देना चाहते हैं वह बिल्कुल सही होनी चाहिए मतलब आपको कोई भी ऐसी इनफार्मेशन नही देनी चाहिए जिसके बारे में आपको खुद यह नहीं पता है कि क्या वह सही हैं या नहीं?
यहाँ आपके सन्देश को लिखने या बोलने में कोई गलती नहीं होनी चाहिए क्योकि ऐसा करने से आपका संचार अधिक प्रभावशाली होता है और आपका कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है
Concreteness – जब आप किसी व्यक्ति के साथ संचार कर रहे हैं या कोई इनफार्मेशन दे रहें हैं इस दौरान आपको बात को घुमाते हुए नहीं बताना हैं क्योकि ऐसा करने से संचार अधिक प्रभावी नहीं बनता है
अगर आप कोई भाषण दे रहे है तो ऐसी स्थिति में कुछ फैक्ट्स का उपयोग कर सकतें हैं जिससे आपका संचार अधिक प्रभावी बनेगा
Courtesy – जब आप किसी मनुष्य के साथ कोई संचार करते हैं तब आप जिस भी सन्देश या इनफार्मेशन को शेयर कर रहे हैं वह लाईट वे में होना चाहिए आपका स्वभाव मददगार ( फ्रेंडली ) होना चाहिए
जब भी आप संचार ( कम्युनिकेशन ) करेंगे तब आपके रिसीवर को भी यह लगेगा कि आप उनकी रिस्पेक्ट कर रहे हैं जिसके बाद वह आपकी बात को ध्यान से सुनेगा
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- जैविक, मनोगतिक, व्यवहारवादी और संज्ञानात्मक दृष्टिकोण ( Approach )
- तंत्रिका तंत्र किसे कहते हैं? व्यवहार के जैविक आधार, न्यूरॉन, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
निष्कर्ष
यह लेख संचार और प्रभावी संचार को अच्छे से समझाने के लिए शेयर किया गया है यहाँ हमने संचार के लगभग शाब्दिक और अशाब्दिक प्रकारों का विशेष और विस्तृत वर्णन किया है साथ में संचार को प्रभावी बनाने के लिए 7 C’s सिद्धांत भी बताया हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
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