साक्षात्कार का अर्थ, साक्षात्कार क्या है? प्रकार, उद्देश्य, गुण, दोष, विशेषताएँ ( 2025 ) Best Guide

Sakshatkar Meaning in Hindi: – साक्षात्कार का अर्थ क्या हैं? मनोविज्ञान पढने वाले स्टूडेंट्स के लिए यह विषय एक महत्वपूर्ण विषय बन जाता हैं साक्षात्कार विधि को समझने के लिए नार्मल इंटरव्यू के कांसेप्ट को अच्छे से समझना होता हैं

हम सब जानते है कि इंटरव्यू दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच में हो सकता है जिसका उद्देश्य किसी लक्ष्य को प्राप्त करना होता है परन्तु, मनोविज्ञान के पाठ्यक्रम में इस विधि को पढने के लिए दिया गया हैं

इन्टरनेट पर हजारों की संख्या में स्टूडेंट पढने के मुख्य उद्देश्य से यह लिखकर सर्च करते हैं कि साक्षात्कार क्या है, इंटरव्यू किसे कहते हैं ( Interview Kya Hai ), साक्षात्कार से आप क्या समझते हैं, Sakshatkar Ko Paribhashit Kijiye,

साक्षात्कार का अर्थ, साक्षात्कार क्या है? प्रकार, उद्देश्य, गुण, दोष, विशेषताएँ ( 2024 )

चलिए अब हम यह जान लेते हैं कि साक्षात्कार विधि क्या है? ( Interview Method Kya Hai ).

साक्षात्कार क्या है? ( Sakshatkar Kya Hai ) – Sakshatkar Meaning in Hindi? – साक्षात्कार का अर्थ एवं महत्व?

साक्षात्कार शब्द इंग्लिश भाषा के Interview शब्द का हिंदी रूपांतरण है जिसका अर्थ होता है “एक-एक करके या एक छोटा समूह बनाकर उनके बीच किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए आपसी वार्तालाप होना

साक्षात्कार दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी निश्चित उद्देश्य ( लक्ष्य ) की पूर्ति के लिए आमने सामने की गयी विचारों का आदान प्रदान हैं साक्षात्कार चयन ( सिलेक्शन ) का प्रमुख साधन हैं मतलब इस विधि के माध्यम से किसी भी चीज में हम सेलेक्ट हो सकते हैं

करलिंगर – के अनुसार साक्षात्कार एक आमने सामने अंतवैयक्तिक भूमिका परिस्थिति हैं जिसमे एक व्यक्ति साक्षात्कारकर्ता ( Interviewer ) साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति ( प्रत्यर्थी ) से शोध समस्या से उत्तरों की प्राप्ति के लिए प्रश्न करता हैं 

सी. ए. मोजर – के अनुसार साक्षात्कार साक्षात्कारकर्ता ( Interviewer ) तथा उत्तरदाता ( प्रत्यर्थी ) के मध्य एक वार्तालाप हैं, जिसका उद्देश्य उत्तरदाता से निश्चित सूचना प्राप्त करना होता हैं 

एम. एन. बसु – के अनुसार एक साक्षात्कार को कुछ विषयों को लेकर व्यक्तियों के आमने सामने का मिलन कहा जा सकता हैं 

पौलिन यंग – के अनुसार साक्षात्कार एक व्यवस्थित विधि मानी जाती है जिसके द्वारा एक व्यक्ति एक अपेक्षाकृत अजनबी के आन्तरिक जीवन से न्यूनाधिक कल्पनात्मक रूप से प्रवेश करता हैं 

विंघम तथा मूर – के अनुसार साक्षात्कार वह गंभीर वार्तालाप हैं जिसका एक निश्चित उद्देश्य होता है न कि केवल संतोष के लिए बातचीत | 

डेजिन – के अनुसार साक्षात्कार आमने सामने किया गया एक संवादोचित आदान प्रदान हैं जहाँ एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से कुछ सूचनाएं प्राप्त करता हैं 

जॉन जी डाली – के अनुसार साक्षात्कार ऐसी परिस्थिति है जिसमे कि ग्राहक अपने आपको और अच्छी तरह समझ सकें 

साक्षात्कार विधि का प्रक्रिया

  • साक्षात्कार एक आमने-सामने की परिस्थिति होती हैं 

साक्षात्कार में आमने सामने की परिस्थिति होती हैं जिसमे एक तरफ साक्षात्कारकर्ता ( Interviewer ) होते है और दुसरी तरफ उत्तर ( साक्षात्कार ) देने वाला उपस्थित होता है

  • साक्षात्कार में प्रश्न पूछे जाते है तथा उनके उत्तर शाब्दिक रूप से दिए जाते हैं

साक्षात्कार में एक साक्षात्कारकर्ता ( Interviewer ) तथा एक प्रत्यर्थी होता है जिनमे शाब्दिक आदान – प्रदान होता हैं परन्तु, साक्षात्कार में व्यक्तियों की संख्या दो से अधिक भी हो सकती है

किसी विशेष साक्षात्कार में एक से अधिक साक्षात्कारकर्ता तथा एक से अधिक प्रत्यर्थी भी हो सकते है

  • साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता द्वारा न कि प्रत्यर्थी द्वारा सूचनाओं को रिकॉर्ड किया जाता हैं

साक्षात्कार की एक विशेषता यह भी है कि उसमे जो सूचनाएं प्राप्त होती हैं उन्हें साक्षात्कारकर्ता द्वारा न कि साक्षात्कार ( उत्तर ) देने वाले व्यक्ति या प्रत्यर्थी द्वारा रिकॉर्ड किया जाता हैं

  • साक्षात्कारकर्ता तथा साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति के बीच का सम्बन्ध विशिष्ट ढंग से संरचित होता हैं

साक्षात्कारकर्ता तथा प्रत्यर्थी के बीच का सम्बन्ध अल्पकालिक होता हैं अवधि के ख्याल से तथा साथ ही साथ प्रश्न – उत्तर के रूप में किये गए संवादोचित आदान प्रदान के ख्याल से साक्षात्कार ( इंटरव्यू ) एक निश्चित बिंदु से शुरू होता है

एक निश्चित बिंदु पर समाप्त हो जाता हैं दोनों ही एक दुसरे के लिए अजनबी होते है

  • साक्षात्कार के प्रारूप में काफी लचीलापन होता हैं

इसमें शोधकर्ता या साक्षात्कारकर्ता जितना अधिक से अधिक प्रश्न पूछना चाहे, पूछ सकता हैं आँकड़े संग्रह करने की कम ही ऐसी विधि हैं जिसमे शोधकर्ता को इतना अधिक लचीलापन आँकड़ों को संग्रहण करने में प्राप्त होता हैं

साक्षात्कार के प्रकार ( Types Of Interview )

संरचना के आधार पर साक्षात्कार के दो प्रकार हैं

  1. असंरचित साक्षात्कार ( Unstructured Interview ) 
  2. संरचित साक्षात्कार ( Structured Interview )

असंरचित साक्षात्कार ( Unstructured Interview )

इसमें साक्षात्कारकर्ता प्रत्यर्थी से जो प्रश्न पूछते हैं वो पूर्वनिर्धारित नहीं होता है और न हो वह किसी एक ख़ास क्रम में ही इन प्रश्नों को पूछता हैं इसमें किस तरह का प्रश्न किस प्रत्यर्थी से पूछा जायेगा यह पहले से निर्धारित नहीं होता हैं

इन सभी चीजों को साक्षात्कारकर्ता की मर्जी पर छोड़ दिया जाता है और वह जैसा उचित समझता है, वैसा ही करता है इस तरह के साक्षात्कार में कोई समय सीमा भी नहीं होती है

किसी – किसी प्रत्यर्थी से कई मिनटों तक तथा किसी से कुछ मिनटों में ही प्रश्न पूछ कर निपट लिया जाता है

संरचित साक्षात्कार ( Structured Interview )

इसमें साक्षात्कारकर्ता विषयी ( उत्तरदाता ) से पूर्व निर्धारित प्रश्नों को एक निश्चित क्रम में पूछता हैं तथा उत्तरदाता द्वारा दिए गए उत्तरों को एक माननीकृत फॉर्म में रिकॉर्ड किया जाता है इसे औपचारिक साक्षात्कार ( Formal Interview )

या प्रतिकृत साक्षात्कार ( Patterned Interview ) से भी जाना जाता है इसमें क्रम प्रशिक्षित साक्षात्कारकर्ता भी इस तरह के साक्षात्कार को आसानी से संचालित कर सकते है इसमें लचीपन के गुण का अभाव होता है  

निदानात्मक साक्षात्कार ( Diagonistic Interview )

इसमें साक्षात्कारकर्ता, साक्षात्कार ( उत्तरदाता ) के अंत:निहित समस्याओं को जानने का प्रयास करते हैं उनके सामाजिक समस्याओं, घटनाओं, गरीबी, अपराध, बाल अपराध आदि समस्याओं को जानने का प्रयास करेगा

उसे ही निदानात्मक साक्षात्कार कहते हैं उदहारण के लिए, डॉक्टर रोग का कारण जानने के लिए रोगी से पूछताछ करता है

उपचारात्मक साक्षात्कार ( Treatment Interview )

जब साक्षात्कारकर्ता, प्रत्यर्थी में उत्पन्न समस्याओं को जान लेता हैं तो उसके बाद, उसके समाधान के लिए लोगो के सुझाव मांगते हैं और जहाँ तक हो सकें वह खुद समस्या का हल करते हैं

अनिर्देशित/अनौपचारिक साक्षात्कार ( Non Directed Interview )

इस साक्षात्कार में किसी कठिन समस्या के बारे में सूचनादाता से स्वतंत्रतापूर्वक प्रश्न पूछते हैं तथा शोधकर्ता और उत्तरदाता दोनों स्वतंत्रपूर्वक होकर बातचीत करते हैं

केन्द्रित साक्षात्कार ( Focussed Interview )

यह साक्षात्कार किसी विषय पर केन्द्रित होता हैं इस साक्षात्कार का सर्वप्रथम प्रयोग “आगबर्न” ने किया था इसमें किसी पूर्व में घटित घटनाओं को जानकार उस पर चर्चा करते है जिसके बाद उसका विश्लेषण करते है

शोध साक्षात्कार ( Research Interview )

इस साक्षात्कार में शोधकर्ता किसी विशेष शोध समस्या से सम्बंधित उनकी जानकारी इकट्ठा करते है और इसमें आंकडों का संगठित करते है

चयन साक्षात्कार ( Selection Interview )

इस साक्षात्कार में जो साक्षात्कारकर्ता करते है और जो साक्षात्कार देते है उनसे उनकी विषयों से सम्बंधित प्रश्न ही पूछते हैं जिससे साक्षात्कार देने वाली की मनोदशा तथा मनोवृति की जांच की जाती हैं

साक्षात्कार के उद्देश्य

  • साक्षात्कार विधि के द्वारा किसी व्यक्ति के जीवन की सभी सूचनाओं को प्राप्त कर लिया जाता हैं
  • साक्षात्कार में दो व्यक्तियों के आमने सामने प्रत्यक्ष संबंधों की स्थापना की जाती है क्योकि इसमें दो व्यक्ति फेस टू फेस प्रत्यक्ष रूप से बातचीत करते हैं
  • साक्षात्कार के द्वारा दुसरे व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं का ज्ञान प्राप्त होता हैं
  • साक्षात्कार में किसी व्यक्ति के वातावरण का अध्ययन किया जाता हैं कि व्यक्ति कहाँ से आया हैं? कैसे माहोल है?
  • साक्षात्कार में ऐसी सूचनाओं को भी प्राप्त किया जा सकता हैं जो केवल उसी व्यक्ति को ज्ञात होते है और किसी अन्य व्यक्ति को नहीं होते हैं

साक्षात्कार विधि के लाभ

  • साक्षात्कार विधि प्रयोग में सरल होती है
  • छात्र ( बच्चों ) की अंतदृष्टि विकसित करने में सहायक हैं क्योकि इसमें बच्चों की अंतदृष्टि मजबूत बनती हैं
  • सम्पूर्ण व्यक्तित्व समझने की उत्तम विधि हैं
  • इसमें छात्र की अपनी समस्याएं प्रकट करने का अवसर मिलता हैं
  • परिस्थितियों के अनुसार साक्षात्कार को लचीला बनाया जा सकता हैं क्योकि इस विधि में साक्षात्कारकर्ता परिस्थितियों के अनुसार प्रश्नों को लचीला बना सकते हैं

साक्षात्कार विधि के गुण

  • साक्षात्कार विधि में पूछे गए प्रश्नों में सरलता पाई जाती हैं
  • साक्षात्कार विधि द्वारा बालकों के व्यवहारों एंव शैक्षिक समस्याओं का प्रत्यक्ष अध्ययन किया जाता हैं इसमें सीधे प्रश्नों को पूछकर बालक के दिए गए उत्तरों का विश्लेषण करके एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचता हैं
  • साक्षात्कार विधि में बालकों का हाव भाव, बोलने की शैली, व्यवहार, शीलगुणों, शारीरिक एंव मानसिक पहलुओं की परख ( जांच ) की जाती हैं
  • इसमें बालकों के शैक्षिक समस्याओं के बारे में सूचनाएं प्राप्त होती हैं
  • साक्षात्कार विधि में विश्वनीयता अधिक होती हैं क्योकि इसमें आमने सामने से प्रश्न पूछे जाते हैं

साक्षात्कार विधि के दोष

  • साक्षात्कार विधि में समय अधिक लगता हैं मतलब एक एक मनुष्य को आमने सामने प्रश्न पूछने में समय लगता हैं
  • साक्षात्कार विधि एक खचीली विधि हैं क्योकि एक एक मनुष्य से प्रश्न पूछने में अधिक खर्चा हो जाता हैं
  • इसमें साक्षात्कार प्राय: एक एक बालक को बुलाकर लेता है जिससे समय एंव श्रम ( मेहनत ) अधिक लगता हैं
  • यदि बालक साक्षात्कारकर्ता द्वारा पुछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाते हैं तो साक्षात्कारकर्ता उस बालक के अन्य कई शीलगुणों एंव व्यवहारों को नाकारात्मक ढंग से ही परख ( जांच ) लेते हैं
  • कभी कभी ऐसा होता है कि बालक साक्षात्कार के परिवेश में अपने आप को घबड़ा जाते है सबकुछ जानते हुए भी उत्तर नहीं दे पाते हैं यह साक्षात्कार विधि का महत्वपूर्ण दोष हैं
  • साक्षात्कार विधि द्वारा आप बालक के कुछ ख़ास शीलगुणों को कुछ मिनट बातचीत करके सही-सही नहीं आँका जा सकता हैं
  • साक्षात्कार में मात्र कुछ मिनटों तक बालकों से प्रश्न पूछकर उसके दिए गए उत्तरों पर जल्दबाजी में मूल्यांकन कर एक ठोस कदम निष्कर्ष पर पहुंचता हैं

बालकों का समस्य मूल्यांकन कुछ मिनटों पर आधारित करना अधिक वैज्ञानिक कदम नहीं माना जा सकता हैं

साक्षात्कार विधि की विशेषताएँ

  • साक्षात्कार में अनुसंधानकर्ता और सूचनादाता के बीच आमने सामने के सम्बन्ध प्रत्यक्ष रूप से स्थापित होते हैं
  • साक्षात्कार सामाजिक अनुसंधान की एक पद्धति होती हैं क्योकि यह समाजिक रूप में पाई जाती हैं
  • साक्षात्कार विधि में दो या दो से अधिक व्यक्तियों का होना जरुरी हैं
  • उद्देश्यों का ज्ञान होना चाहिए क्योकि तभी साक्षात्कार विधि का सही उपयोग किया जा सकता हैं
  • साक्षात्कारकर्ता एंव प्रत्यर्थी आमने सामने बैठकर वार्तालाप किया जाना चाहिए
  • साक्षात्कार में विभिन्न विषयों की जानकारी होनी चाहिए क्योकि तभी वह साक्षात्कार विधि के दौरान, सफलता प्राप्त कर सकता हैं

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निष्कर्ष

यह लेख मुख्य रूप से साक्षात्कार विधि के अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएँ, दोष, गुण, लाभ और उद्देश्य को अच्छे से समझाया गया है ऊपर दिए कंटेंट से यह स्पष्ट होता है कि साक्षात्कार विधि के द्वारा शोधकर्ता के व्यवहारों,

शीलगुणों एंव व्यक्तित्व की जानकारी प्राप्त होती हैं और एक उचित परिणाम पर पहुंचा जाता है

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करे

लेखक – नितिन सोनी 

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