Meaning Of Perception in Hindi: – पिछले लेख में हमने संवेदना और प्रत्यक्षीकरण को अच्छे से समझा था परन्तु यहाँ हम केवल गेस्टाल्ट ( मनोवैज्ञानिक ) के प्रत्यक्षीकरण सिद्धांत को समझने का प्रयास करेंगे
जिसके बाद हम प्रात्यक्षिक संगठन के नियम को समझेंगे मतलब प्रात्यक्षिक संगठन के नियम को समझने के लिए सबसे पहले हमे गेस्टाल्ट सिद्धांत का अध्ययन करना होगा
अनुभूति का गेस्टाल्ट सिद्धांत ( Gestalt Theory Of Perception )
गेस्टाल्टवादी एक विचारधारा हैं प्रत्यक्षीकरण का गेस्टाल्ट सिद्धांत का प्रतिपादक तीन जर्मन वैज्ञानिकों वोल्फ गैंग कोहलर, कर्ट कोफ्का, मैक्स बरदाईमर के द्वारा 1912 ई में किया गया था
गेस्टाल्ट ( Gestalt ) शब्द जर्मन भाषा के गेस्टाल्टन ( Gestaltan ) से बना है जिसका अर्थ पूर्ण ( Whole ) होता हैं
हम किसी वस्तु का प्रत्यक्षीकरण उसके पूर्ण रूप में करते है मतलब एक यूनिट या इकाई के रूप में करते हैं गेस्टाल्ट सिद्धांत के अनुसार, जब हम किसी वस्तु या उद्दीपक का प्रत्यक्षीकरण करते हैं
तब हम उसके विभिन्न भागों का अलग अलग प्रत्यक्षीकरण नहीं करते हैं बल्कि हम उसे एक इकाई के रूप में प्रत्यक्षीकरण करते हैं अर्थात् प्रत्यक्षीकरण संगठित रूप में होता हैं
उदहारण के लिए – किसी व्यक्ति के चेहरे का प्रत्यक्षीकरण करते समय हम उसके पुरे चेहरे का एक इकाई के रूप में प्रत्यक्षीकरण करते हैं उसके आँख, नाक, होठ का अलग अलग प्रत्यक्षीकरण नहीं करते हैं
प्रात्यक्षिक संगठन के नियम – अवधारणात्मक संगठन के नियम ( Laws Of Perceptual Organization )
गेस्टाल्टवादी मनोवैज्ञानिकों ने उदीपकों या वस्तुओं के प्रत्यक्षीकरण के लिए कुछ नियमों का प्रतिपादन किया जिनको प्रात्यक्षिक संगठन के नियम कहा जाता है
समग्रता का नियम – इस नियम के अनुसार किसी भी वस्तु का प्रत्यक्षीकरण समग्र रूप ( एक यूनिट के रूप ) में होता हैं अर्थात् हम किसी वस्तु के विभिन्न अंगों का अलग अलग प्रत्यक्षीकरण न करके संगठित रूप में उसका प्रत्यक्षीकरण करते हैं
उदहारण के लिए, एक गुलाब के फूल का प्रत्यक्षीकरण फूल के रूप में करते है उसकी पंखुड़ियों, पत्तियों, डंडी का अलग अलग प्रत्यक्षीकरण नहीं करते है
आकृति और पृष्ठभूमि का नियम – आकृति और पृष्ठभूमि के महत्व का वर्णन सर्वप्रथम महत्वपूर्ण वर्णन एडगर रूबीन ने किया था इन्होने कहा था कि प्रत्येक वस्तु का प्रत्यक्षीकरण किसी न किसी पृष्ठभूमि के आधार पर होता है
मतलब हम बिना पृष्ठभूमि के किसी वस्तु का प्रत्यक्षीकरण नहीं कर सकते है
उदहारण के लिए, चंद्रमा का प्रत्यक्षीकरण आकाश की पृष्ठभूमि में और पुस्तक का प्रत्यक्षीकरण टेबल की पृष्ठभूमि में होता हैं
आकृति अधिक प्रभावशाली, सार्थक, स्पष्ट, रंग युक्त, और आकार-युक्त होती है जबकि पृष्ठभूमि आकृति के पीछे फैली हुई होती हैं जो वस्तु एक समय में आकृति होती है वह दुसरे समय में पृष्ठभूमि बन सकती है
उदहारण के लिए, अगर हम एक किताब का प्रत्यक्षीकरण टेबल की पृष्ठभूमि में कर रहे हैं तब टेबल पृष्ठभूमि में पुरी हैं और किताब आकृति हैं लेकिन अगर टेबल का प्रत्यक्षीकरण कर रहे है तब जो जमीन या दीवार पृष्ठभूमि बन जायेगी और टेबल आकृति बन जायेगी
समीपता का नियम – जो वस्तुएँ या उद्दीपक किसी स्थान पर या काल में एक दुसरे के समीप ( पास-पास ) होती हैं वे एक इकाई के रूप में आसानी से प्रत्यक्षीकरण कर लिए जाते है
उदहारण के लिए, अगर किसी जगह पर एक सभा हो रही हैं तब बहुत सारे लोग समूह बनाकर खड़े हैं वही दुसरे लोग भी कही समूह बनाकर खड़े हैं तब ऐसी स्थिति में जो पास पास हैं
उनका एक इकाई के रूप में प्रत्यक्षीकरण किया जाएगा और दुसरे लोग जिन्होंने अलग समूह बनाया हैं उनका वहां प्रत्यक्षीकरण एक इकाई के रूप में नहीं किया जाएगा
समानता का नियम – जो वस्तुएँ या उद्दीपक आकार में या किसी अन्य कारण से एक दुसरे के समान होते हैं उनका एक इकाई के रूप में आसानी से प्रत्यक्षीकरण कर ली जाती हैं
उदहारण के लिए, किसी स्थान पर स्पोर्ट्स का कम्पटीशन हो रहा हैं वहां अलग अलग स्कूल के बच्चे अलग अलग यूनिफार्म पहने हुए बैठे हैं ऐसी स्थिति में एक तरह की यूनिफार्म के सभी बच्चों का प्रत्यक्षीकरण एक इकाई के रूप में किया जाएगा
इसी प्रकार वहां जितनी तरह की यूनिफार्म वाले बच्चे उपस्थित होंगे उनका अलग अलग एक इकाई के रूप में प्रत्यक्षीकरण होगा
निरंतरता – जिन उत्तेजनाओं में निरंतरता होती है तो उनका अपनी निरंतरता के कारण एक इकाई के रूप में सरलता से प्रत्यक्षीकरण कर लिया जाता हैं
ऊपर दिए चित्र में छोटे छोटे गोले लगातार ( निरंतर ) बने हुए है जिसके कारण यह एक चैन के रूप में दिखाई पड़ रहे है तब निरंतरता के कारण यह एक इकाई के रूप में प्रत्यक्षीकरण हो रहा है
आच्छादान या पूर्ति – यह मनुष्य की प्रवृति हैं कि अगर किसी आकृति में कोई अपूर्णता होती है तो व्यक्ति उस अपूर्णता की ओर ध्यान ना देकर उसे एक पूर्ण आकृति के रूप में प्रत्यक्षीकरण करता है
ऊपर दिए चित्र में एक गोला है जिसका आप एक वृत के रूप में प्रत्यक्षीकरण कर रहे हैं परन्तु अगर आप चित्र को ध्यान से देखते हैं तब आपको इस गोले की रेखाएं बीच बीच में से कई जगह से टूटी हुई है
तत्परता का नियम – जिन वस्तुओं के प्रत्यक्षीकरण के लिए हम मानसिक रूप से तत्पर ( तैयार ) होते है उनका प्रत्यक्षीकरण शीघ्र होता है
उदहारण के लिए, किसी रेलवे स्टेशन पर कोई व्यक्ति ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहा है तब वह दूर से आती ट्रेन का प्रत्यक्षीकरण आसानी से कर लेगा, ऐसा तत्परता के कारण होता हैं
प्रेरणा – किसी प्रबल प्रेरणा की स्थिति में उससे सम्बंधित वस्तु का प्रत्यक्षीकरण शीघ्र हो जाता हैं उदहारण के लिए, एक भूखा व्यक्ति जो होता हैं उसे भोजन सामग्री का प्रत्यक्षीकरण शीघ्र हो जाता हैं
मनोवृति – व्यक्ति अपनी मनोवृति ( Attitude ) के अनुकूल ( अनुसार ) ही वस्तुओं का प्रत्यक्षीकरण करता है उसका जिन व्यक्तियों के प्रति सकारात्मक मनोवृति होती हैं
उन व्यक्तियों के गुणों का प्रत्यक्षीकरण वह करता है और जिन व्यक्तियों के प्रति नकारात्मक मनोवृति होती है उनके अवगुणों का प्रत्यक्षीकरण वह शीघ्र करता हैं
परिचय – जिन उद्दीपकों से हम पहले से ही परिचित होते हैं उनका प्रत्यक्षीकरण हम शीघ्र करते हैं उदहारण के लिए, हिंदी बोलने, समझने और लिखने वाला व्यक्ति हिंदी जहाँ लिखी होगी उसका प्रत्यक्षीकरण शीघ्र कर लेगा
परन्तु, अगर एक अपरिचित भाषा, उस मनुष्य को लिखी दिख जाए, तब उस भाषा से परिचित न होने के कारण वह व्यक्ति उसका प्रत्यक्षीकरण नहीं कर पायेगा
चित्तवृति – व्यक्ति अपने मूड के हिसाब से प्रत्यक्षीकरण करता हैं जब एक व्यक्ति खुश होता है तब उसे आस पास का सब कुछ अच्छा-अच्छा लगता है तब उसका प्रत्यक्षीकरण अलग तरह का होता है
लेकिन जब वह व्यक्ति दुखी होता है तब उसको अपने आस-पास का सब कुछ दुखमय लगता हैं
गत अनुभव – जिन उद्दीपकों का पहले व्यक्ति को अनुभव होता है वो उन्हें आसानी से प्रत्यक्षीकरण कर लेता है, जो गत अनुभव से सम्बंधित नहीं होते हैं उनका प्रत्यक्षीकरण करने में मनुष्य को परेशानी होती है
उदहारण के लिए, Child लिखा हैं हम सभी चाइल्ड शब्द को पहले से जानते हैं इसीलिए अपने गत अनुभव के कारण हमे इसका बहुत जल्दी प्रत्यक्षीकरण कर लिया परन्तु अगर Hlidc लिखा हैं
जिसका प्रत्यक्षीकरण करने में हमे समय लग रहा है क्योकि इसको हम जानते नहीं है
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निष्कर्ष
यह लेख मुख्य रूप से गेस्टाल्ट सिद्धांत मतलब गेस्टाल्ट प्रत्यक्षीकरण सिद्धांत को बताता है मनोविज्ञान में प्रत्यक्षीकरण को समझने के दौरान यह समझना बहुत जरुरी होता हैं
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लेखक – नितिन सोनी
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