Loktantra Kya Hai: – लोकतंत्र क्या है? वर्तमान का युग लोकतंत्र का युग हैं परन्तु भारत में लोकतंत्र का नीव प्राचीन काल से हैं क्योकि यहाँ कई राजाओ का शासन था परन्तु एग्जाम के लिए लोगो का सवाल होता है कि लोकतंत्र किसे कहते हैं?
इस समय के दौरान लोकतंत्र न होने वाला देश यह कहता है कि हम लोकतंत्र है और अन्य देशो को तनाहशाही कहते है
उदहारण के लिए, दुनिया को पता है कि चीन में लोकतंत्र नहीं है परन्तु वह हमेशा यह कहता है कि हम लोकतंत्र है
पुराने समय में लोग लोकतांत्रिक शासन को अच्छा शासन नहीं माना जाता था परन्तु दुसरे वर्ल्ड वार के बाद अधिकतर देशो यह चाहते थे कि हमे स्वतंत्रता मिले और हमारे देश में लोकतंत्र का शासन लागू हो जाए
क्योकि वर्ष 1949 में UNO ने यह कह दिया कि लोकतंत्र से बेहतर शासन कोई नहीं हो सकता है उसके बाद पुरी दुनिया यह मान चुकी थी कि लोकतांत्रिक शासन सबसे अच्छा शासन है
एग्जाम में ऐसे सवाल पूछे जा सकते है कि लोकतंत्र क्या है इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए, लोकतंत्र की परिभाषा किसने दी, लोकतंत्र कितने प्रकार के होते हैं, लोकतंत्र का महत्व स्पष्ट कीजिए,
भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएं, लोकतंत्र को परिभाषित करें, लोकतंत्र को परिभाषित कीजिए
नोट – लोकतंत्र के विकास को अच्छे से पहले भाग में बताया गया है लेकिन यहाँ बताया लोकतंत्र का विकास भी महत्वपूर्ण है पहले भाग में लोकतंत्र के प्रति थिंकर्स की बातो पर अधिक चर्चा हुई है
स्टूडेंट को यह टॉपिक अच्छे से समझाने के लिए लोकतंत्र के विकास पर इस आर्टिकल ( लोकतंत्र के दुसरे भाग ) में भी चर्चा की गई है
अब हम यह समझ लेते है कि लोकतंत्र का विकास कैसे हुआ जिसके बाद हम लोकतंत्र की परिभाषा क्या है? समझेंगे
लोकतंत्र का विकास
लोकतंत्र का उदय यूनान के एथेंस से माना जाता है पुराने समय में जब जनसंख्या बहुत कम होती थी उस समय लोकतंत्र को सम्मान नही मिलता था क्योकि ग्रीक ( यूनान ) के लगभग सभी दार्शनिकों का यह कहना था कि लोकतंत्र बहुमत का शासन है जिसके कारण
यह गरीब लोगो का शासन है उसके बाद यूनान के राजनीतिक थिंकर प्लेटो ( Plato ) ने लोकतंत्र को सबसे घटिया सिस्टम कहा क्योकि लोकतंत्र में स्वतंत्रता स्वच्छन्ता में बदल जाती है क्योकि स्वच्छन्ता में मनुष्य अपनी इच्छा से शासन नहीं कर पाता है
यहाँ केवल कुछ लोगो की इच्छा से शासन को चलाया जाता हैं और समानता भी बतमीजी में बदल जाती है क्योकि जिसके पास पैसा, सत्ता, पॉवर हैं केवल उस मनुष्य की चलती है
उसके बाद यूनान के राजनीतिक थिंकर अरस्तु ( Aristotle ) ने लोकतंत्र को गरीबों का शासन बताते हुए लोकतंत्र के तीन फीचर को बता दिए कि
- बुद्धि के लेवल पर लोकतंत्र का अर्थ समानता से होता है
- संवैधानिक स्तर पर लोकतंत्र में बहुत का शासन है
- समाजिक स्तर पर लोकतंत्र गरीबो का शासन है
क्लियोन ने सबसे पहले लोकतंत्र की यह परिभाषा दी थी लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है परन्तु इस परिभाषा को 18 वी सदी में Abraham Lincoin ने दोहराया
नोट – एग्जाम में आप Abraham Lincoin के द्वारा इस परिभाषा को बताएँगे
मध्यकाल में लोकतंत्र का नाम नहीं था क्योकि उस समय सामंतवादी व्यवस्था थी मतलब वहां वंशानुगत ( पिता के बाद पुत्र राजा, पुत्र के बाद उसका पुत्र राजा ) सिस्टम था परन्तु 17 और 18वी सदी में लोकतंत्र को महत्त्व देना शुरू किया गया
यह एक ऐसा समय था जिससे पुरी दुनिया में लोकतंत्र ली शूरुआत होना शुरू हुआ क्योकि मध्यकाल में पुरी दुनिया में तनाहशाही व्यवस्था थी उस समय धर्म का अधिक बोलबाला था यूरोप के अंदर राज्य ( देश ) में चर्च के फादर के अनुसार काम किया जाता था
ऐसे में वहा धर्म को राजनीति से अलग करने के लिए मार्टिन लूथर के द्वारा धर्म सुधारक आंदोलन शुरू किया गया जिसमे ईसाई धर्म को कैथोलिक धर्म और प्रोटेस्टेंट धर्म में बाट दिया गया
उस दौरान लोगो को राजनीतिक रूप से जगाने के लिए पुर्नजागरण किया गया क्योकि लोगो को राजाओ और चर्च के फादर द्वारा बहुत अधिक अंधविश्वाश में रखा जाता था धर्म सुधारक आंदोलन और पुर्नजागरण काल ने पुरी दुनिया में बदलाव ला दिया
जिसके बाद लोगो ने कहा कि शासन ऐसा होना चाहिए जो राजा नहीं बल्कि जनता की इच्छा के द्वारा चुनी हुई सरकार शासन चलाये साधारण शब्दों में अब हम यह कह सकते है कि 18 और 19वी सदी में जाकर,
सभी देशो को यह महसूस होने लगा कि हमारे देश में लोकतंत्र होना चाहिए उसके बाद वर्ष 1776 में 4 जुलाई को अमेरिका आजाद हुआ था जिसके बाद अमेरिका ने वर्ष 1789 में अपना नया संविधान बना लिया
तो वह पुरी दुनिया में सबसे पहला लोकतांत्रिक देश बना था इसीलिए अमेरिका को दुनिया में सबसे पुराना लोकतंत्र कहा जाता है
नोट – Levellers & Diggers को इंग्लैंड में लोकतंत्र की मांग करने वाले सबसे बड़े क्रांतिकारी कहलाये
आधुनिक काम में जॉन लॉक ( उदारवाद का पिता कहा जाता है ) ने लोकतंत्र का सपोर्ट करते हुए उसको परिभाषित किया जिसमें होब्स को गलत बताया होब्स जॉन लॉक के गुरु थे होब्स पहले उदारवादी माने जाते है
होब्स ने कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता मिलकर एक राजा का चुनाव करती है जो राज्य को चालता है क्योकि वह राजा जनता के द्वारा चुना गया है वह सभी काम जनता के हित में करेगा अब वह राजा को हटा नहीं सकती है
क्योकि राजा को भगवान् ने अदित्य शक्तियां दी है जिसको देव्य सिद्धांत कहा जाता है
यहाँ जॉन लॉक ने इस बात को गलत बता दिया उन्होंने कहा कि जनता मिलकर राजा का चुनाव करेगी और राजा राज्य को चलाने का काम करेगा परन्तु अगर राजा जनता के हित में काम नहीं करेगा
तो जनता के पास यह अधिकार होगा कि वह उस राजा को हटा दें जिससे उस राजा की जगह किसी नए राजा को लाया जा सके
रूसो – ने होब्स के द्वारा कही गई इस बात का अस्वीकार किया कि राजा को भगवान् ने अदित्य शक्तियां दी है रूसो ने कहा कि जनता की इच्छा के द्वारा ही राजा शासन कर सकता है और लोकतंत्र को समतावाद के साथ जोड़ा
अब Jefferson, Jeremy Bantham, James Mill, J.S. Mill, Maciver, Dewey के विचारों ने लोकतंत्र को पूरा सपोर्ट किया जिसको आप हमारे पहले भाग में पढ़ सकतें हैं
20वी सदी में लोकतंत्र को उदारवाद की जगह विशिष्ट वर्गीय और बहुलवादी से जोड़कर देखा गया वर्ष 1980 से 1990 के दौरान विशिष्ट वर्गीय को प्रक्रियात्मक लोकतंत्र और बहुलवादी को विमर्शी लोकतंत्र के नाम से जाना गया
नोट – यहाँ विशिष्ट वर्गीय से मतलब समाज में किसी एक विशिष्ट वर्ग के द्वारा शासन को चालना है और बहुलवादी सिद्धांत ने बहुमत के शासन को सबसे अच्छा बताया
मार्क्सवाद ने विमर्शी लोकतंत्र की आलोचना किया इसमें कार्ल मार्क्स ( साम्यवाद के जनक ) का कहना था कि समाज के अंदर किसानो और मजदूरो का शासन होना चाहिए क्योकि लोकतंत्र में राज्य कुछ लोगो की संस्था बनकर रह जाती है
इस संस्था के लोग मिलकर गरीबों का शोषण करते है अगर मार्क्सवाद सिद्धांत को पुरी दुनिया में लागू किया जाए तभी एक सच्चा लोकतांत्रिक शासन आ सकता है परन्तु, आगे चलकर वर्ष 1991 सोवियत संघ का विघटन के बाद,
साम्यवाद के अंत के बाद इसके इतिहास का अंत हो गया और पूंजीवादी की जीत हो गई
21वी सदी में फ़्रांसिस फ़ुकुयामा ने कहा कि साम्यवाद के अंत और पूंजीवादी की जीत के बाद एक नए युग की शुरुआत हुई क्योकि वर्तमान में पुरी दुनिया पूंजीवाद को फॉलो कर रही है उससे लोकतंत्र का खुद विकास हो रहा है
वर्ष 1970 में फ्रीडम हाउस सर्वे टीम ने अपनी एक रिपोर्ट जारी किया जिसमें उन्होंने बताया कि साम्यवाद के समय में दुनिया में टोटल 2/3 देश ऐसे थे जहाँ तनाहशाही थी परन्तु साम्यवाद के अंत के बाद दुनिया में टोटल 1/3 देश ऐसे हैं जहाँ तनाहशाही है
Three Waves Of Democracy
Samuel Huntington ( सैमुअल हंटिंगटन ) – ने अपनी बुक The Third Wave में बताया कि लोकतंत्र का विकास तीन चरण में हुआ है जिसमे,
First Wave ( पहली लहर ) – 19वी सदी में पश्चिम यूरोप और नार्थ अमेरिका में पहली लहर के अंदर लोकतांत्रिक व्यवस्था आई हैं जो 1920 के समय पश्चिम यूरोप और नार्थ अमेरिका के लगभग 29 राज्य ( देश ) लोकतांत्रिक देश बन चुके थे
उस दौरान वर्ड वॉर शुरू होने पर दुनिया के अधिकतर देशो में लोकतांत्रिक व्यवस्था हटकर तनाहशाही बड़ने लग गई थी जिसके बाद 29 राज्य ( देश ) में से केवल 12 राज्य ( देश ) ऐसे रह गए जहाँ लोकतांत्रिक शासन बचा रहा
Second Wave ( दुसरी लहर ) – दुसरे वर्ल्ड वॉर के बाद दुसरी लहर शुरू होने पर यह लगभग वर्ष 1962 तक चलता है उस दौरान लगभग 100 देश स्वतंत्र हुए थे जिसमे केवल 36 राज्य ( देश ) स्वतंत्र होने के बाद लोकतांत्रिक देश बन जाते है
जिसमे भारत शामिल था परन्तु वर्ष 1962 के बाद लोकतांत्रिक देशो की संख्या घटकर 30 राज्य ( देश ) रह गई
Third Wave ( तीसरी लहर ) – वर्ष 1974 में तीसरी लहर के द्वारा लोकतंत्र का विकास बहुत तेजी से होना शुरू हो गया क्योकि यौरोपिय देशो में फासीवादी शासन को उखाड़कर फेंकना शूरू हो गया
इसीलिए इसमें 193 राज्य ( देश ) में से लगभग 120 राज्य ( देश ) लोकतांत्रिक देश बन जाते है यहाँ इतिहास का एंड हो गया मतलब वर्तमान में यह चल रहा है
लोकतंत्र क्या है? लोकतंत्र किसे कहते हैं? ( Loktantra Kise Kahate Hain ) लोकतंत्र की परिभाषा? Democracy Kya Hai?
लोकतंत्र शब्द लोक + तंत्र से मिलकर बना है जिसमें लोक का अर्थ जनता और तंत्र का अर्थ शासन होता है जब किसी देश में जनता की शक्ति होती है, उस देश की सरकार जनता के हित में रहकर काम करती है और जनता के द्वारा सरकार बनाई जाती हैं वह लोकतंत्र होता है
Abraham Lincoin ( लिंकन ) – ने कहा कि जनता का शासन होगा, जनता के द्वारा शासन होगा, जनता के लिए शासन होगा
Sartori ( सारटोरी ) – ने कहा कि प्रजातांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था वह होती है जो सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी और अनुक्रियाशिलता बनाती हैं इसकी सार्थकता इसके नेतृत्व की कार्यकुशलता और चतुराई पर निर्भर होती है
मैकफरसन ( Macpherson ) – प्रजातंत्र सरकार को चुनने और शासन संभालने या अन्य तरीकों से कानून बनाने तथा राजनीतिक निर्णय लेने का जरिया हैं
शुम्पीटर ( Schumpeter ) – प्रजातांत्रिक तरिका राजनीतिक निर्णय तक पहुँचने का वह संस्थात्मक प्रबंध है जो लोगो को अपने प्रतिनिधि खुद चुनकर अपने सामान्य हित प्राप्त करने का अवसर देता है
लोकतंत्र की विशेषताएं? ( लोकतंत्र की विशेषताएं क्या है ) लोकतंत्र की विशेषताएं लिखिए? लोकतंत्र की मुख्य विशेषता क्या है
- एक मनुष्य केवल एक वोट डाल सकता हैं इसीलिए मनुष्य के हाथ में इंक लगा दिया जाता है
- लोगों के संप्रभुता होती हैं इसीलिए लोग अंदर से लेकर बाहर तक अपनी इच्छा के अनुसार प्रतिनिधि को वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं
लोकतंत्र के लिए जरुरी हैं और लोकतंत्र की विशेषताएं हैं? ( लोकतंत्र की विशेषताएं बताइए? ) लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएं
- लोकतंत्र संवैधानिक राज्य ( देशो ) को सुरक्षित रखता है
- लोगो के मौलिक अधिकार को लोकतंत्र सुरक्षित रखता है ऐसी स्थिति में मौलिक अधिकारों को नुकसान होने पर मनुष्य को सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार हैं
- एक प्रतिनिधि सरकार को उसको निश्चित कार्यकाल तक बनाये रखने का काम लोकतंत्र करता है मतलब जिस देश में किसी एक सरकार के लिए जो निर्धारित समयसीमा है वह ख़तम होने पर दुबारा सरकार के लिए वोट किया जाए
- राजनीतिक सत्ता का विकेंद्रीकरण लोकतंत्र में होता है
- लोकतंत्र में बहुमत का शासन होता है उदहारण के लिए, अगर अधिक लोग सहमत है तो कानून पास हो जाएगा
- लोकतंत्र में लोगो को कुछ अधिकार और देश के लिए कुछ कर्तव्य मिलते हैं उदहारण के लिए, मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य
लोकतंत्र का पहला भाग – उदारवादी लोकतंत्र का विकास, विशेषताएं
लोकतंत्र का तीसरा भाग – विमर्शी लोकतंत्र और प्रक्रियात्मक लोकतंत्र?
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निष्कर्ष
यह लोकतंत्र का दुसरा भाग है जिसमे लोकतंत्र क्या है और उसके विकास पर चर्चा किया गया है लोकतंत्र का अर्थ एवं परिभाषा को आप यहाँ पढ़कर समझ सकते हैं लोकतंत्र के प्रकार को तीसरे भाग में बताया गया है
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लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें