Presidential & Parliamentary Government – संसदीय प्रणाली क्या है? हम अक्सर Parliamentary System Of India, Indian Parliament जैसे शब्दों को सुनते हैं परन्तु यह क्या हैं इस लेख में पता चलेगा
राजनीतिक विज्ञान को पढने वाले नए स्टूडेंट को यह नहीं पता होगा कि भारत एक संसदीय प्रणाली ( Parliamentary System ) पर आधारित देश हैं संसदीय प्रणाली का अर्थ राज्य ( देश ) में ऐसी शासन व्यवस्था से होना होता हैं
जहाँ मनुष्य को मंत्री बनने के लिए लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य बनना होता है परन्तु राष्ट्रपति शासन में मनुष्य को मंत्री बनने के लिए लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य नहीं बनाना होता हैं
जब आप संसदीय और राष्ट्रपति शासन की विशेषताएं अच्छे से पढतें हैं तो आपको यह दोनों सही से समझ में आ जातें हैं इसीलिए इस लेख को पूरा ध्यान से पढ़ना जरुरी है
लोकतंत्र क्या होता हैं? ( Democracy Kise Kahte Hai )
लोकतंत्र को अंग्रेजी में Democracy कहते हैं जो डेमो और क्रटेन से मिलकर बना होता हैं जहाँ डेमो का अर्थ लोग और क्रटेन का अर्थ शासन से होता हैं प्राचीनकाल में लोकतंत्र की शुरुआत यूनान के ऐथेंस से हुई जहाँ पर रहने वाले लोगो ने अपने हाथ खड़े करके,
चुनाव के माध्यम से डायरेक्ट लोकतंत्र ( Direct Democracy ) को चलाया गया उस समय वहां लोगो का एक छोटा वर्ग होता था और सरकार नहीं थी लोग खुद अपना शासक चलाया करते थे
उस समय सरकार ( डायरेक्ट लोकतंत्र ) को फ्रीमैन कहते थे जिसका मतलब दासों के समय तक यहाँ रहने वाले लोगो के द्वारा कोई सरकार नहीं थी यहाँ महिलाओ और दासों को नागरिक नहीं माना जाता था
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उन्हें कोई अधिकार नहीं था परन्तु उस दौरान कुछ एक्सपीरियंस वाले लोग शासन को चलाया करते थे जिसके बाद, समय के साथ साथ लोकतंत्र का रूप बदल गया वर्तमान समय में दुनिया के हर कोने में रहने वाला मनुष्य लोकतंत्र में भाग लेता हैं क्योकि यह अनिवार्य हैं
संसद क्या होती हैं? ( Sansad Kise Kahate Hain? )
संसद को अंग्रेजी में Parliament कहा जाता हैं यह फ्रेंच के पाले शब्द से बना हैं जिसका मतलब चर्चा/बोलना होता है इसीलिए, ऐसी जगह जहाँ लोग अपने राज्य ( देश ) के मामलों के बारे में चर्चा करतें हैं उसे संसद कहा जाता हैं
संसदीय लोकतंत्र मुख्य रूप से दो प्रकार का होता हैं
संसदीय गणतंत्र ( Parliamentary Republic ) – इसमें राज्य के प्रमुख पोस्ट का इलेक्शन होता हैं
उदहारण के लिए, भारत, जर्मनी, इटली
संवैधानिक राजतंत्र ( Constitutional Monarchy ) – इसमें राज्य का प्रमुख राजा होता हैं
उदहारण के लिए, ब्रिटेन
कार्यपालिका का अर्थ क्या होता हैं?
कार्यपालिका का अर्थ राज्य के प्रधानमंत्री और उनके मंत्रीमंडल से होता हैं इसीलिए जब कार्यपालिका की बात होती हैं तो वहां प्रधानमंत्री व उनके मंत्रीमंडल के बारे में कहा जा रहा है
संसदीय शासन प्रणाली क्या है? ( संसदीय प्रणाली क्या है? ) – Parliament Meaning in Hindi – Parliamentary Form Of Government
ऐसी व्यवस्था जहाँ संसद की भूमिका अधिक होती हैं इसमें सभी मंत्री का संसद के सदस्य होने चाहिए जिसमें लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं लेकिन अगर कोई मनुष्य संसद का सदस्य नहीं हैं और वह संसदीय शासन राज्य ( देश ) में मंत्री बन जातें हैं
तो ऐसी स्थिति में उनको इस्तीफ़ा देना होगा संसदीय शासन को हम पारमार्थिक प्रणाली या संसदीय प्रणाली ( Parliamentary Government ) कहते हैं
उदहारण के लिए, भारत में सभी मंत्री लोकसभा या राज्यसभा के सदस्य होने चाहिए ( मतलब भारत संसदीय शासन प्रणाली वाले देश में शामिल हैं )
संसदीय शासन प्रणाली की विशेषताएं? ( संसदीय शासन प्रणाली की विशेषता? ) – संसदीय शासन प्रणाली की चार विशेषताएं लिखिए?
एग्जाम में संसदीय प्रणाली की विशेषताएं लिखने के लिए प्रशन पूछ लिया जाता हैं इसीलिए नीचे हमने सभी संसदीय शासन प्रणाली की विशेषता पर कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स बताएं हैं
पहली विशेषता – इस प्रणाली में सर्वोच्च पद पर एक ऐसा मनुष्य होता हैं जिसके पास केवल नाममात्र शक्ति होती हैं उसे राष्ट्रपति कहते हैं यह राज्य ( देश ) के प्रमुख होतें हैं क्योकि संविधान का आर्टिकल 74 कहता हैं कि प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार
राष्ट्रपति काम करेगा और प्रधानमंत्री एक ऐसा मनुष्य होता हैं जिसके पास क़ानूनी बनाने के लिए मुख्य शक्ति होती हैं इसमें प्रधानमंत्री और उनका मंत्री परिषद् शामिल होते हैं प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होतें हैं
दुसरी विशेषता – इसमें सरकार उसकी बनती है जिसके पास बहुमत हैं इसीलिए हम कह सकते हैं कि संसदीय प्रणाली में बहुमत दल का शासन होता हैं उदहारण के लिए, भारत में लोकसभा और राज्यसभा दोनों हैं
तो यहाँ प्रधानमंत्री बनने के लिए लोकसभा में बहुमत की जरुरत होगी बहुमत के बाद मनुष्य को प्रधानमंत्री शपत राष्ट्रपति दिलाता हैं
तीसरी विशेषता – संसदीय प्रणाली में जब प्रधानमंत्री बन जाता हैं तब वह प्रधानमंत्री सभी मंत्री को नियुक्त करता हैं जिसमे नियुक्त हर मंत्री का डिपार्टमेंट अलग – अलग होगा
उदहारण के लिए, शिक्षा मंत्री, सड़क मंत्री, रक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, गृह मंत्री आदि शामिल होते हैं
हर मंत्री अपने डिपार्टमेंट और लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं भविष्य में किसी एक डिपार्टमेंट में कुछ गड़बड़ होने पर, मंत्री को जवाब देना होगा यह सभी मंत्री सामूहिक रूप से भी एक दुसरे के बचाव में आतें हैं
इनके द्वारा किये गए काम को करने के लिए लोकसभा के अंदर सभी मिनिस्टर की सहमति होना महत्वपूर्ण होता है
इसीलिए जब तक इनके पास बहुमत हैं तब तक इनकी सरकार हैं और जब विरोधी दल को यह लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं हैं तो वह अविश्वाश प्रस्ताव का उपयोग करके सरकार को हटा सकतें हैं
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उदहारण के लिए, देश में कोई दंगा हो जाता हैं तो ऐसी स्थिति में देश के गृह मंत्री को जवाब देना होगा
चौथी विशेषता – सभी मंत्री विधायिका ( राज्यसभा और लोकसभा ) के सदस्य होने के साथ साथ कार्यपालिका ( मंत्रीमंडल ) के भी सदस्य होंगें अगर कोई ऐसा मनुष्य जो राज्यसभा या लोकसभा का सदस्य नहीं है
वह मंत्री बन जाता हैं तो ऐसी स्थिति में उसको छ: महीने के बंदर राज्यसभा या लोकसभा का सदस्य बनना होगा अन्यथा उसको इस्तीफ़ा देना होगा
राष्ट्रपति शासन क्या है? ( अध्यक्षात्मक शासन क्या होता हैं? )
ऐसी व्यवस्था में मुख्य अध्यक्ष ( राष्ट्रपति ) की भूमिका अधिक होती है इसमें सभी मंत्री संसद के सदस्य नहीं होने चाहिए लेकिन अगर कोई मनुष्य संसद का सदस्य होने के बाद वह अध्यक्षात्मक शासन राज्य ( देश ) में मंत्री बन जातें हैं तो ऐसी स्थिति में उनको इस्तीफ़ा देना होगा
उदहारण के लिए, अमेरिका में सभी मंत्री लोकसभा या राज्यसभा के सदस्य नहीं होने चाहिए
अध्यक्षात्मक शासन की विशेषता ( राष्ट्रपति शासन की विशेषताएं )
पहली विशेषता – अध्यक्षात्मक प्रणाली में राज्य ( देश ) और सरकार का प्रमुख एक मनुष्य अथार्थ राष्ट्रपति होता है इसीलिए हम कह सकतें है कि इसमें नाममात्र और वास्तविक कार्यकारी एक ही व्यक्ति होता हैं और सभी काम उसके निर्णय के द्वारा होते है
दुसरी विशेषता – अध्यक्षात्मक शासन में विधायिका ( लोकसभा और राज्यसभा ) और कार्यपालिका ( सभी मंत्रीमंडल ) की शक्तियाँ अलग अलग होती हैं इसीलिए कार्यपालिका का सदस्य, विधायिका का सदस्य नहीं हो सकता हैं
विधायिका और कार्यपालिका एक दुसरे से स्वतंत्र रूप में काम करती है इसीलिए कार्यपालिका, विधायिका के किसी भी काम में भाग नहीं ले सकतें हैं
तीसरी विशेषता – राष्ट्रपति, राज्य ( देश ) का प्रशासन चलाने के लिए खुद के अनुसार मंत्रियों को नियुक्त करता हैं इसीलिए यह सभी मंत्री राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं राष्ट्रपति जब तक चाहे उसको मंत्री बना सकता हैं और हटा भी सकता हैं इन सभी मंत्री को कैबिनेट कहते हैं
चौथी विशेषता – संसदीय प्रणाली में सभी मंत्री एक दल के होतें हैं क्योकि जिस दल के पास सबसे अधिक सीटे होती है वह सरकार मुख्य बन जाती हैं गठबंधन सरकार के मामलें में भी जब सरकार बहुमत हासिल नहीं कर पाती हैं
तो वह अलग अलग दलों में बट जाती हैं परन्तु अध्यक्षात्मक प्रणाली में केवल राष्ट्रपति अपनी इच्छा के अनुसार मंत्रियों का चुनाव करता हैं उदहारण के लिए, अगर राष्ट्रपति को लगता है कि यह मनुष्य हेल्थ फिल्ड में बहुत अच्छा है उसको स्वास्थ्य मंत्री बना दिया जाएगा
अमेरिका और ब्रिटेन में लोकतंत्र
अमेरिका ( यूएसए ) | ब्रिटेन ( यूके ) |
अमेरिका में संविधान लिखित है क्योकि अमेरिका में एक निश्चित समय के दौरान, संविधान सभा के द्वारा लिखा गया था | ब्रिटेन में आज तक कोई संविधान नहीं लिखा गया क्योकि ब्रिटेन में न तो कोई निश्चित समय था और न ही ब्रिटेन में संविधान सभा बनाई गयी ब्रिटेन प्रथा, धारण, समय – समय पर बनाये अधिनियम के आधार पर चल रहा है |
यूएस में गणतंत्र लोकतंत्र हैं मतलब यूएस में लोगो का शासन होता है सर्वोच्च पद पर मनुष्य को चुना जाता हैं इसीलिए इस देश में राजा नहीं होता हैं | ब्रिटेन में संवैधानिक राजतंत्र हैं जिसका अर्थ होता हैं कि जो राजा हैं उसकी म्रत्यु के बाद उसका पुत्र राजा बनेगा, उसकी म्रत्यु के बाद, उसका पुत्र राजा बनेगा |
अमेरिका में शक्तियों का बटवारा सेंट्रल और स्टेट लेवल पर हैं | क्योकि यहाँ शक्तियां केवल एक संस्था के पास होती हैं जिसके कारण यह व्यवस्था संसद को शक्तिशाली बना देती हैं ब्रिटेन में संसद ही सब कुछ हैं मतलब यह संविधान से भी ऊपर हैं |
यूएस में अध्यक्षात्मक शासन हैं जिसमें राज्य ( देश ) और सरकार का मुख्य राष्ट्रपति होता है यह अपनी इच्छा के अनुसार प्रशासन को चलाने के लिए मंत्री को नियुक्त करतां हैं |
यहाँ संसदीय प्रणाली हैं जिसमे राज्य ( देश ) का मुख्य राष्ट्रपति और सरकार का मुख्य प्रधानमंत्री होता हैं प्रधानमंत्री को बहुमत के द्वारा चुना जाता हैं जिसको राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की शपत दिलाता हैं उसके बाद प्रधानमंत्री सभी डिपार्टमेंट के लिए अपने मंत्रियों का चुनाव करता हैं जिसके माध्यम से राज्य ( देश ) के प्रशासन को चालाया जाता हैं |
अमेरिका में मंत्री लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य नहीं होने चाहिए अन्यथा वह कार्यपालिका के सदस्य ( मंत्री ) नहीं बन सकतें है | ब्रिटेन में मंत्री लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य होने चाहिए अन्यथा वह कार्यपालिका के सदस्य ( मंत्री ) नहीं बन सकतें है |
यहाँ दो पार्टी प्रणाली हैं | यहाँ मिश्रित दल व्यवस्था हैं |
भारत के संविधान के विषय पर – भारत देश का संविधान बनाने में कुल 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा, उसको सभी संविधान सभा के सदस्यों ने मिलकर बनाया था जिसको आंबेडकर जी के द्वारा लिखा गया था
इसमें 6396729 रुपए खर्च हुए भारत के संविधान को बनाने के लिए 60 देशो के संविधान को पढ़ा और समझा गया
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निष्कर्ष
इस लेख में हमने संसदीय और राष्ट्रपति सरकार के बीच अंतर को समझाते हुए संसदीय प्रणाली और राष्ट्रपति शासन को अच्छे से समझाने का प्रयास किया हैं संसदीय शासन प्रणाली और अध्यक्षात्मक प्रणाली दोनों एक दुसरे से अलग होती हैं
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लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें