Western Political Philosophy: – राजनीति दर्शन को समझना स्टूडेंट्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि पिछले वर्ष उत्तराखंड में ग्रेजुएशन के दौरान इससे सम्बंधित प्रश्न को पूछा गया हैं
परन्तु राजनीतिक विज्ञान के इतिहास में राजनीतिक दर्शनशास्त्र और राजनीतिक सिद्धांत में कोई अंतर नहीं समझा जाता था लेकिन 19वी सदी में प्रत्यक्षवाद के उदय के दौरान राजनीतिक दर्शनशास्त्र और राजनीतिक सिद्धांत में अंतर स्पष्ट किया गया
राजनीतिक दर्शनशास्त्र में मुख्य रूप से सुकरात, प्लेटो और अरस्तु को ( Political Philosophers ) कहा जाता है इन सभी राजनीतिक दार्शनिकों ने राजनीति ( Philosophers On Politics ) में अपना विशेष योगदान दिया है
चलिए अब हम राजनीतिक दर्शन में समझ लेते है कि राजनीतिक दर्शन किसे कहते है?
राजनीति दर्शन क्या है? ( What is Political Philosophy )
राजनीति दर्शन दो शब्दों ( Political + Philosophy ) से मिलकर बना हैं पॉलिटिकल एक ग्रीक शब्द हैं राजनीति ( Political ) का मतलब कोई भी वह चीज जो राज्य, सरकार या जनता से सम्बंधित होती हैं और
दर्शन ( Philosophy ) का मतलब सत्य की बात करना होता हैं साधारण भाषा में कहा जाए, राज्य, सरकार या जनता से सम्बंधित कुछ मूल प्रश्नों को ज्ञान के माध्यम से हल करना राजनीति दर्शन के अंतर्गत आता हैं
मतलब राजनीतिक दर्शन सरकार का दार्शनिक अध्ययन है, जो सार्वजनिक एजेंटों और संस्थानों की प्रकृति, दायरे और वैधता और उनके बीच संबंधों के बारे में प्रश्नों को संबोधित करता है उदहारण, समाज के साथ एक व्यक्ति का रिश्ता कैसा होना चाहिए?
राजनीतिक दर्शन, सबसे अमूर्त स्तर पर, राजनीतिक राय में शामिल अवधारणाओं और तर्कों से संबंधित है। कुछ ग्रीक दार्शनिकों ने, राजनीतिक दर्शन को डेवलप करने में बहुत अधिक भूमिका निभाई हैं
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उदहारण के लिए,
Socrates – सुकरात ( 470 – 399 B.C ), Plato – प्लेटो ( 428 – 348 B. C ), Aristotle – अरस्तु ( 384 – 322 B.C )
प्लेटो एथेंस और स्पार्टा के बीच महान पेलोपोनेसियन युद्ध के दौरान बड़े हुए और कई राजनीतिक दार्शनिकों की तरह, उन्होंने प्रचलित राजनीतिक अन्याय और गिरावट के लिए उपाय खोजने की कोशिश की |
यहाँ प्लेटो ने आदर्श राज्य की अपनी अवधारणा दी उन्होंने कहा कि एक आदर्श राज्य होना चाहिए और उस आदर्श राज्य में सर्वोत्तम शासन प्रणाली होनी चाहिए, प्लेटो ने कहा कि हमे राजनीतिक समुदाय को तीन भागों में विभाजित करना होगा |
दार्शनिक ( Philosopher )
सैनिक ( Soldiers )
कर्मचारी ( Workers )
- दार्शनिक ( Philosopher ) – ये शासन करेंगे। इन्हें व्यवस्था और न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा।
- सैनिक ( Soldiers ) – राज्य की रक्षा करें |
- कर्मचारी ( Workers ) – राज्य के लिए आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करें |
सरल शब्दों में यह कहा जा सकता हैं कि राजनीतिक दर्शन में एक विचार होगा, आलोचनात्मक चिंतन होगा और फिर एक लक्ष्य होगा |
राजनीतिक दर्शनशास्त्र ( Political Philosophy ) – वह कथन जो हमारे मूल्यों ( मूल्यांकनात्मक दृष्टिकोण ) पर आधारित होतें हैं जिसमें हम जिन चीजो को देखते हैं उनमे क्या होना चाहिए? इसका वर्णन करते हैं
हम यह कह सकतें हैं कि यह वैल्यू पर आधारित होती है जो मूल्यांकनात्मक कथन पर बात करती हैं इसीलिए राजनीतिक सिद्धांत में मूल्यांकनात्मक दृष्टिकोण राजनीतिक दर्शनशास्त्र का पार्ट होते हैं क्योकि क्या होना चाहिए? पर ध्यान दिया जाता हैं
उदहारण के लिए, अगर किसी मनुष्य को राजनीति के ऊपर सिद्धांत देना हैं तो ऐसी स्थिति में वह मनुष्य सबसे पहले राजनीति में क्या चल रहा हैं? इसका अध्ययन करेगा जिसके बाद वह क्या होना चाहिए? यह बताएगा
उदहारण के लिए, प्लेटो की बुक “Political Philosophy” में, आप देख सकते हैं कि प्लेटो ने संवाद की मदद से न्याय की अवधारणाओं को एक – एक करके रिजेक्ट किया उसके बाद, प्लेटो ने अपना न्याय का कांसेप्ट दिया
यहाँ प्लेटो का लक्ष्य एक आदर्श राज्य की स्थापना करना था
जॉर्ज कैटलिन – का कहना है कि राजनीतिक सिद्धांत स्वयं राजनीति विज्ञान और राजनीतिक दर्शन में विभाजित है
एंड्रयू हैकर – का कहना है कि राजनीतिक सिद्धांत में मूल्य और तथ्य होते हैं। यह एक दूसरे पर निर्भर हैं
राजनीतिक दर्शन निम्न लिखित चीजों से सम्बंधित है
- अनुशासन में अध्ययन का सबसे पुराना क्षेत्र।
- मानक (क्या होना चाहिए) अवधारणाओं से संबंधित।
- स्वतंत्रता, न्याय, समानता, मानव स्वभाव और राजनीतिक जीवन के उद्देश्य जैसी प्रमुख राजनीतिक अवधारणाओं के अर्थ के स्पष्टीकरण से संबंधित।
- यूनानी सभ्यता के शास्त्रीय काल में, राजनीतिक दर्शन का मुख्य ध्यान इस बात पर था कि आदर्श समाज कैसा था और राज्य, व्यक्तियों और शासन के बीच संबंध क्या थे। (प्लेटो और अरस्तू)
- पुनर्जागरण के बाद ध्यान राजनीतिक दायित्व की प्रकृति को शामिल करने के लिए विस्तारित हुआ। (हॉब्स, लॉक)
राजनीतिक सिद्धांत और राजनीतिक दर्शन में अंतर
पारम्परिक दृष्टिकोण का समर्थन करने वाले राजनीतिक वैज्ञानिकों के अनुसार, राजनीतिक सिद्धांत और राजनीतिक दर्शन पर्यायवाची थे परन्तु, 19वी सदी के शुरुआत तक राजनीतिक सिद्धांत और राजनीतिक दर्शन के बीच कोई अंतर नहीं किया गया था
मतलब उस समय, सिद्धांत को राजनीतिक दर्शन में शामिल किया गया था परन्तु राजनीतिक सिद्धांत और राजनीतिक दर्शन के बीच अंतर का मुख्य कारण 19वी सदी में प्रत्यक्षवाद का उदय था
इस दौरान राजनीतिक विज्ञान का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक विधियों का उपयोग आया क्योकि यह माना जाने लगा कि राजनीतिक दर्शन वैल्यू पर आधारित हैं और राजनीतिक सिद्धांत फैक्ट्स पर आधारित हैं
इस दौरान, दार्शनिक विचारकों को अस्वीकार करते हुए, यहाँ फैक्ट्स पर आधारित चर्चाएँ होंगी इसका उद्देश्य मुख्य रूप से राजनीति विज्ञान को प्राकृतिक विज्ञान में बदलना था
मतलब यहाँ ऐसे वास्तविक राजनीतिक सिद्धांत बनाना चाहते थे जिनका दर्शन से कोई लेना देना न हो
राजनीतिक दर्शन ( Political Philosohy ) | राजनीतिक सिद्धांत ( Political Theory ) |
राज्य दर्शन में सिद्धांत का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता हैं, | राजनीतिक सिद्धांत निर्धारक, स्वतंत्र शक्ति हैं |
राजनीतिक दर्शन रीति रिवाजों, परम्पराओं और मूल्यों पर निर्भर करता है | सिद्धांत, स्थापित मान्यताओं से आगे नहीं जा सकता हैं |
राजनीतिक दर्शन में दर्शन प्रधान हैं | राजनीतिक सिद्धांत में राजनीति अपनी भूमिका से अभिषिक्त हैं |
राजनीतिक दर्शन का मुख्य लक्ष्य जीवन का एक सार्वभौमिक और सामान्य सिद्धांत विकसित करना हैं जो प्रकृति में आदर्श होना चाहिए | परन्तु, राजनीतिक सिद्धांत किसी घटना के घटित होने का कारण खोजने का प्रयास करता हैं |
राजनीतिक दर्शन का उद्देश्य एक आदर्श राज्य स्थापित करना होता हैं मतलब राजनीतिक दर्शन कुछ लक्ष्यों के रास्ते खोजने में व्यस्त रहता हैं | जबकि राजनीतिक सिद्धांत के मुद्दों के विश्लेषण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण लागू किया जाता हैं |
राजनीतिक दर्शन की वैधता का आकलन नहीं किया जा सकता हैं | लेकिन राजनीतिक सिद्धांत की वैधता का अंदाजा लगाया जा सकता हैं |
राजनीतिक विचार और राजनीतिक दर्शन में अंतर
राजनीतिक विचार ( Political Thought ) | राजनीतिक दर्शन ( Political Philosohy ) |
राजनीतिक विचार राजनीति के बारे में विचारों और सिद्धांतों को संदर्भित करता है | राजनीतिक दर्शन राजनीतिक व्यवस्था के पीछे के मौलिक प्रश्नों और सिद्धांतों की खोज करता है। |
राजनीतिक विचार राजनीति के व्यावहारिक पहलुओं पर केंद्रित है | राजनीतिक दर्शन राजनीति के सैद्धांतिक पहलुओं पर केंद्रित है |
मैकियावेली और रूसो जैसे विचारक राजनीतिक विचार के उदाहरण हैं | प्लेटो और जॉन लॉक जैसे विचारक राजनीतिक दर्शन के उदाहरण हैं |
यह विशिष्ट नीतियों और रणनीतियों पर जोर देता है | यह व्यापक अवधारणाओं और सिद्धांतों की खोज करता है |
राजनीतिक विचार अधिक व्यावहारिक है | राजनीतिक दर्शन अधिक सैद्धांतिक है |
राजनीतिक विचार मौजूदा राजनीतिक प्रणालियों को देखता है | राजनीतिक दर्शन आदर्श प्रणाली स्थापित करना चाहता है |
राजनीतिक विचार विशिष्ट नीतियों पर जोर देता है | राजनीतिक दर्शन मौलिक प्रश्नों की जांच करता है |
राजनीतिक विचार अक्सर नीति-निर्माण में उपयोग किया जाता है | राजनीतिक दर्शन गहन समझ और आलोचनात्मक विश्लेषण का मार्गदर्शन करता है |
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निष्कर्ष
यह लेख मुख्य रूप से राजनीतिक दार्शनिक का सम्पूर्ण कांसेप्ट स्टूडेंट को समझने के लिए शेयर किया गया हैं
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लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें