Equality Meaning in Hindi: – समानता प्राचील काल के समय से लोगो के बीच मौजूद है क्योकि पुराने समय में जब राजाओ का शासन होता था तब से दुनिया में समानता की डिमांड होती हैं क्योकि कुछ राजा बहुत अच्छे होते थे लेकिन कुछ राजा अत्याचारी होते थे
जो समाज में पिछड़े लोगो को अधिक पैसे वाले लोगो की तुलना में कम महत्त्व दिया करते थे इस स्थिति से बचने के लिए लोगो में समानता की डिमांड का विकास हुआ था ग्रेजुएशन करने के दौरान, शुरू में हम समानता ( Meaning Of Equality ) के विषय को पढ़ते हैं
इसीलिए राजनीतिक विज्ञान पढने वाले स्टूडेंट्स को अधिकतर पहले सेमेस्टर में समानता पढाया जाता है समानता की परिभाषा ( Equality Definition ) को इस लेख में बताया गया हैं क्योकि एग्जाम में आप इस सरल परिभाषा का उपयोग करेंगे
Samanta Ka Adhikar? – समानता का अधिकार? समानता के सिद्धांत को समझें? ( इंट्रोडक्शन )
प्राचीन काल और मध्यकाल में विशेष अधिकार वाले लोग हुआ करते थे परन्तु उस समय एटिफोन यूरिपाइडस ( सोफिस्ट और स्टोइकवादी चिंतक ) ने लोगो के बीच समानता मिलने की डिमांड किया
क्योकि उस समय लोगो के ऊपर बहुत अधिक अत्याचार किया जाता था जिसके कारण लोगो के बीच समानता की डिमांड कर दी
मध्यकाल में राजा अपनी नहीं चलाते थे जो चर्च के फादर कहते थे वह किया जाता था इस स्थिति में वहां राजनीति + धर्म था इसीलिए, उस समय के दौरान राजनीति के अंदर धर्म को देखकर कानून बनाये जाते थे जिसके कारण लोगो बीच समानता की डिमांड रहती थी
आधुनिक काल में समानता के विचार का प्रारंभ माध्यम वर्ग के उदय के साथ हुआ क्योकि मोर्डेन समय ( आधुनिक काल ) में राजनीति को धर्म से अलग कर दिया गया लोगो के पुनर्जागरण ( फिर से जगाने के लिए ),
सोसाइटी के कुछ बुद्धिमान लोगो ने अपने क्रांतिकारी विचार दिए जिसको उन्होंने लिखना शुरू किया जिससे वह सोसाइटी में अपने विचारो को लोगो तक पंहुचा सकें
नोट – यह एक ऐसा समय तक जब लोगो को जागरूक करने के लिए किताबें और पेंटिंग के माध्यम से सोसाइटी में फैलाना शुरू किया जिसके बाद लोगो में यह समझ पैदा हुई कि हमारे साथ क्या गलत हो रहा हैं जिसके बाद लोगो में बदलाव दिखे
इस दौरान जीन बोदां पुनर्जागरण के पिता कहलाये इसके बाद बहुत सारे राजनीतिक विचारक आये जिनके द्वारा यूरीपीय सोसाइटी में बहुत क्रांतिकारी विचार दिए गए जिन्होंने विश्व के अनेक संस्कृति में फैलाना शुरू कर दिया
इसी तरह से दुनिया में लोगो ने राजनीति और धर्म को अलग अलग किया जिसमें धर्म सुधार आंदोलन का बहुत बड़ा योगदान रहा यह लगभग 1400 ईसवी से 1500 ईसवी के बीच हुई हैं धर्म सुधार आंदोलन मार्टिन लूथर ने किया था
ईसाई धर्म में कैथोलिक चर्च के फादर के खिलाफ मार्टिन लूथर ने धर्म सुधार आंदोलन करके विरोध करना शुरू किया इनका यह आंदोलन प्रोटोस्टेट कहलाया और इस दौरान ईसाई धर्म के दो पक्ष बन गए प्रोटोस्टेट और कैथोलिक |
प्रोटोस्टेट – इसमें वह सभी लोग शामिल थे जो ईसाई धर्म में चर्च के द्वारा होने वाले गलत कामो का विरोध करते थे
कैथोलिक – इसमें वह सभी लोग शामिल थे जो ईसाई धर्म में चर्च के द्वारा होने वाले गलत कामो और बातो का समर्थन करते थे
अगर हम भारत के बारे में बात करे तो भारत में सबसे बड़े धर्म सुधारक स्वामी विवेकानंद जी थे उसके बाद अनेक लोग थे जिसमें धर्म सुधारक के लिए भारत में अपना योगदान दिया जिसमें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम भी आता हैं
इसीतरह, लोगो के अंदर जागरूकता आई जिसके बाद स्वतंत्रता, समानता यह सभी चीजे आई
नोट – समानता शुरू में नहीं थी समानता की डिमांड केवल तब हुई जब सोसाइटी में नकारात्मक भेदभाव देखा गया मतलब समानता इसीलिए आता है कि असमानता को ख़तम किया जा सकें
दुनिया में सबसे पहला कानून ब्रिटेन ( इंग्लैंड ) के अंदर वर्ष 1215 में बना था जिसका नाम मैग्ना कार्टा था इसमें कहा गया कि राजा संसद के अंडर में होगा इससे पहले राजा आजाद होता था
उसके बाद वर्ष 1688 में, अपने राजा जेम्स द्वितीय को हटाने के लिए लोगो ने डिमांड करनी शुरू की क्योकि वह लोगो में भेदभाव करने वाला एक आत्याचारी राजा था इसीलिए वहां गौरवपूर्ण क्रांति हुई
जिसमें स्वतंत्रता और समानता की डिमांड लोगो के द्वारा की गई उसके बाद जेम्स द्वितीय की बेटी मैरी को सत्ता की रानी बना दिया गया उसके बाद American War of Independence हुआ वह 4 July 1776 का दिन था
जब अमेरिका को इंग्लैंड से आजादी मिली इसमें अमेरिका के सभी 13 राज्यों ने इंग्लैंड से स्वतंत्र होने के प्रोटेस्ट किया यहाँ अमेरिका ने यह साबित कर दिया था कि हम गुलाम नहीं रहेंगे हमें समानता चाहिए हमें मौलिक अधिकार चाहिए
उसके बाद वर्ष 1789 में दुनिया में अमेरिका एक ऐसा सबसे पहला देश बना जिसमें सविधान का निर्माण हुआ और उसने सबसे पहले अपने लोगो को मौलिक अधिकार दिए उसके बाद अमेरिका की तरह अनेक देशो ने गुलामी को ख़तम करने के लिए आंदोलन शुरू किया
वर्ष 1789 में फ़्रांस में तीन एक्टेट होते थे जिसमें पहले में चर्च के फादर, दुसरे में अधिक पैसे वाले लोग, तीसरे में आम लोग थे उस समय वहां का राजा लुई सोलहवें था जो अपनी पत्नी के साथ बड़े महल में रहता था
वह केवल आम लोग लोगो से टैक्स लेता था मतलब चर्च के फादर और अधिक पैसे वाले लोगो से वह टैक्स नहीं लेता था जिसके कारण फ़्रांस की मुदा की वैल्यू गिर गई
उसके बाद आम लोगो ने मिलकर अपनी एक सरकार बना ली जिसके बाद लोगो के हाथो में पॉवर आ गई और फ़्रांस में असमानता के कारण संघर्ष ( क्रांति ) हुई जिसमें समानता की डिमांड की गई इस दौरान लोगो के तीन उदेश्य या नारे थे
- स्वतंत्रता ( Liberty )
- समानता ( Equality )
- एकता ( Fraternity )
अरस्तु – राजनीतिक के पापा अरस्तु ने अपनी बुक पॉलिटिक्स में यह कहा था कि विषमता अनेक राज्यों में विद्रोह का कारण सिद्ध होती हैं
Samanta Kya Hai? ( समानता क्या है? ) – Meaning Of Equality in Hindi?
व्यक्तियों को अपने विकास के लिए समान अवसर प्राप्त हो, जिनके द्वारा व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें, उसके मार्ग में कोई रूकावट न आये और सामाजिक और आर्थिक विषमताओ ( नकारात्मक भेदभाव ) को दूर किया जा सकें
समानता का अर्थ विभेदों का अंत होता हैं हर प्रकार के विभेदों को समाप्त करना नहीं क्योकि समानता का अर्थ उन विषमताओ को हटाना होता हैं, जो समाज के द्वारा बनाई गई हैं प्रकृति के द्वारा नहीं ( प्रकृतिक विषमताओ को नहीं )
प्रकृतिक विषमताओ का अंत नहीं किया जा सकता हैं क्योकि वह प्रकृति ( भगवान् ) की देंन हैं परन्तु समाज के द्वारा बनाये गए भेदभाव को ख़तम करना समानता कहलाता हैं
समान लोगो के साथ, समान व्यवहार करना एंव असमान लोगो के साथ, असमान व्यवहार करना समानता हैं
मतलब जो मनुष्य समान हैं उनके साथ हमे एक समान व्यवहार करना चाहिए परन्तु, जो व्यक्ति असमान होता हैं उसके साथ समान वाले मनुष्य की तुलना में हमे बेहतर व्यवहार करना चाहिए
समाज में कब समानता रहेगी? समानता के अर्थ ( Equality Meaning in Hindi )
- समान लोगो के साथ समान व्यवहार – समान लोगो के साथ समान और असमान लोगो के साथ असमान व्यवहार करना
- विकास के लिए समान अवसर – सभी लोगो को विकास के लिए एकसमान अवसर मिलने चाहिए
- सभी व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष आचरण – लोगो के साथ बिल्कुल Fair तरीके से व्यवहार करना
- जाति धर्म भाषा रंग वंश लिंग संपति नस्ल – इन सभी चीजो को लेकर मतलब जाति धर्म भाषा रंग वंश लिंग संपति नस्ल पर चर्चा न की जाए
- राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव नहीं – मनुष्य कहाँ का रहने वाला हैं इसको लेकर भेदभाव न किया जाए मतलब मनुष्य की नागरिकता को लेकर भेदभाव न हो
- मानवीय गरिमा और अधिकारों की द्रष्टि से सभी समान – सभी मनुष्य को एक जैसे अधिकार मिले
- समाज के प्रत्येक व्यक्ति का समान महत्त्व – समाज में हर मनुष्य का समान महत्त्व हैं क्योकि छोटा बड़ा नहीं हैं सब एक समान महत्त्व रखते हैं
- विशेषाधिकार वर्ग की अनुपस्थिति – सोसाइटी में कोई ऐसा मनुष्य न हो, जिसे किसी अन्य मनुष्य की तुलना में अधिक विशेष अधिकार दिए गए हो
राजनीतिक थिंकर्स के द्वारा समानता के लिए परिभाषा ( समानता का अर्थ एवं परिभाषा? )
हेरोल्ड लास्की – समानता का यह अर्थ नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाए यदि ईट ढोने वाले का वेतन एक प्रसिद्ध गणितज्ञ या वैज्ञानिक के बराबर कर दिया जाए तो इससे समाज का उद्देश्य ही नष्ट हो जाएगा
- विशेष अधिकार वाला वर्ग नहीं रहे विशेषाधिकार वर्ग की अनुपस्थिति – जब समाज में विशेषाधिकार वाला वर्ग नहीं होगा तभी वहां समानता होगी
- समान अवसर – समाज में सभी मनुष्य को एसमान अवसर मिलने चाहिए
- वंशानुगत पर आधारित असमानताए गलत है – पिता के बाद बेटा राजा बनेगा वह मरेगा तो उसका बेटा राजा बनेगा ऐसे असमानताए जहाँ होती है वहां समानता नहीं है
- आर्थिक और समाजिक शोषण का अंत – जब आर्थिक और समाजिक शोषण का अंत होगा तभी सोसाइटी के अंदर समानता आयेगी
अरस्तु – न्याय ही समानता हैं
बार्कर का विचार – परिस्थितियों की गारंटी होनी चाहिए बार्कर ने अपनी बुक Equality में कहा कि
- मानव होने के नाते मौलिक समानता होनी चाहिए
- अवसर की समानता होनी चाहिए मतलब जो अवसर मुझे मिलती है वह दुसरो को मिलनी चाहिए
- परिस्थितियों की समानता होनी चाहिए मतलब एक परिस्थिति में जो मुझे मिलता है वह दुसरो को मिलना चाहिए
- परिणामो की समानता होनी चाहिए मतलब हर कानून सभी के लिए समान होने चाहिए
अप्पादोराय – के शब्दों में यह कहना कि सब मनुष्य समान हैं ऐसे ही गलत हैं जैसे यह कहना कि प्रथ्वी समतल है क्योकि हर मनुष्य के अंदर योग्यता अलग होती हैं
लेनिन – जब तक एक वर्ग का दुसरे वर्ग द्वारा शोषण किए जाने की सारी संभावनाएं बिल्कुल नष्ट नहीं कर दी जाती तब तक वास्तविक व सही समानता नहीं हो सकती मतलब जब तक एक वर्ग के द्वारा, दुसरे वर्ग का शोषण करने की संभावना ख़तम नहीं हो जाए तब तक वास्तविक समानता को स्थापित नहीं किया जा सकता हैं
अरस्तु ने समानता का अर्थ अनुपातिक समानता के अवधारणा के रूप में व्यक्त किया है इसका अर्थ हैं समकक्षो के मध्य समानता मतलब मेरे जैसा समान ही समानता किसी दुसरे को मिले
प्लेटो तथा अरस्तु ने समानता का विरोध किया हैं
रूसो – ए डिस्कोर्स ऑन द आरिजन औफ़ इनइक्वैलिटी ( 1755 ) बुक के अंतगर्त दो प्रकार की विषमता में अंतर किया है और असमानता को संपति तथा सभ्यता के साथ जोड़ा
- प्रकृतिक विषमता
- समाजिक विषमता
हमें किस चीज की समानता चाहिए?
डाकिन – डाकिन का कहना है कि तीन संसाधन की समानता होनी चाहिए अथार्थ संसाधन का समान वितरण होना चाहिए जिसका मुझे मिले उतना दुसरे को मिले
- आय – इनकम में
- संपति – प्रॉपर्टी में
- आराम मुक्त समय – एकसमान टाइम
आलोचना – इस बात पर डाकिन की आलोचना हुई क्योकि अगर हम आय और इनकम जैसे संसाधन सभी मनुष्यों में समान रूप से बाट देंगे तो ऐसी स्थिति कमजोर स्थिति वाले लोग ( जो बीमार हैं ),
अच्छी स्थिति वाले लोगो ( जो स्वस्थ हैं ) की तुलना में गरीब रह जायेंगे क्योकि जो मनुष्य बीमार हैं वह सबसे पहले अपनी बीमारी पर पैसा लगाएगा जिससे वह अच्छी स्थिति वाले लोगो की तुलना में गरीब ही रहेगा
उसके बाद डाकिन ने अपने विचारों को बदल दिया अब उन्होंने कहा कि सोसाइटी में समानता तभी स्थापित हो पायेगी जब हम संसाधन को मनुष्य की सन्तुष्टि के अनुसार बाटा जाएगा अथार्थ यह संतुष्टि पर निर्भर करता हैं
आलोचना – डाकिन की इस बात को लेकर भी बहुत आलोचना हुई क्योकि सोसाइटी के सभी वर्ग के लोगो को एक एक करके सन्तुष्ट करना असम्भव है तो ऐसे में सोसाइटी के अंदर कैसे समानता आयेगी
यह एक तरह से नीलामी की बात थी हर मनुष्य के अंदर अलग अलग योग्यता होती हैं मनुष्य उस योगता के लिए लोगो से पैसे ले सकता हैं अथार्थ खुद को नीलम करने की बात हुई जिससे यह एक तरह से तानाशाही की बात होगी
जॉन रॉल्स – यह एक उपयोगितावादी हैं इन्होने कहा कि वस्तुओं का बटवारा व्यक्तियों की इच्छाओ की सन्तुष्टि पर निर्भर करता हैं
अमर्त्य सेन – ने रॉल्स के ऊपर दिए सिद्धांत की आलोचना करते हुए कहा कि हम मनुष्य को योग्य ( आत्म निर्भर ) बनना सिखायेंगे क्योकि हम हर मनुष्य की सन्तुष्टि का पता कहा से लगायेंगे इसीलिए हमें मनुष्य की योग्यता ( क्षमता ) के आधार पर संसाधन को बाटना चाहिए
माइकल बाल्जर – ने अपनी बुक Spare Of Justice ( 1983 ) में इन्होने समानता को दो भागो ( रूप ) में बाट दिया
- साधारण समानता ( Basic Equality )
- जटिल समानता (Complex Equality )
साधारण समानता ( Basic Equality ) – इसमें कहा कि राज्य सभी मनुष्य को साधारण समानता देगा
जटिल समानता (Complex Equality ) – इसमें माइकल बाल्जर एकाधिपत्य का समर्थन तथा प्रभुत्व का विरोध करते है मतलब एकाधिपत्य होगा तब समानता होगी परन्तु अगर प्रभुत्व होगा तो समानता नहीं होगी
समानता के विभिन्न आयाम समानता ( Different Dimensions Of Equality )
यहाँ समानता को दो भागो में बाट दिया गया हैं
- औपचारिक समानता
- तात्विक समानता
औपचारिक समानता
इसमें पूर्ण समानता स्थापित करने वाले सिद्धांत की बात होती हैं
- क़ानूनी समानता – प्रत्येक नागरिक के लिए क़ानूनी समानता बराबर हैं
- राजनीतिक समानता – हर मनुष्य को चुनाव में वोट डालने और चुनाव लड़ने के लिए समानता हैं
तात्विक समानता
इसमें प्रचलित विषमताओ को ख़तम करने की बात होती हैं
- सामाजिक समानता – सोसाइटी में धर्म, जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता हैं
- आर्थिक समानता – मनुष्य को अपना बिज़नस ( व्यापार ) करने के लिए समानता हैं
समानता के प्रकार ( Kinds Of Equality )
- लीगल – कानून की नजरों में समानता होना
- नेचुरल – प्राकृति समानता होना
- सिविल – नागरिकता में समानता होना
- पॉलिटिकल – राजनीति में समानता होना
- सोशल – सामजिक रूप से समानता
- Economic – आर्थिक रूप से समानता
- इंटरनेशनल – अंतर्राष्ट्रीय रूप से समानता
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निष्कर्ष
इस लेख में समानता क्या हैं, समानता का अधिकार, समानता के सिद्धांत, परिभाषा, अर्थ और समानता के प्रकार के ऊपर चर्चा किया हैं यह लेख उन स्टूडेंट्स के लिए बहुत उपयोगी रहेगा जो अपनी पढाई के दौरान समानता के बारे में पढ़ रहे हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि Equality Meaning in Hindi कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें