Vayask Matadhikar Kya Hai: – मताधिकार किसे कहते हैं? हर देश में जनता की सहमति सरकार बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं जनता की सहमति इलेक्शन कमिशन के द्वारा आयोजित वोट व्यवस्था में जनता के द्वारा वोट डालने से मिलती हैं
लगभग हर देश में नागरिकों को स्वतंत्रता के साथ अपने पसंदीदा राजनीतिक दल या नेता को वोट डालने का अधिकार होता हैं कुछ स्टूडेंट्स चुनाव क्या है? मताधिकार क्या है? जैसे सवाल पूछते हैं
चुनाव एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसके माध्यम से हमें यह पता चलता है कि देश के अधिकतर लोग किस राजनीतिक दल या प्रतिनिधि को एक अच्छे प्रतिनिधि के रूप में पसंद करते हैं चुनाव में निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से चुनाव होते हैं
कई बार जब हम ग्रेजुएशन के दौरान राजनीतिक विज्ञान के विषय को पढ़ते हैं तो ऐसी स्थिति में हमें यह विषय पढने के लिए मिलता हैं जिसमे से यह प्रशन ( मताधिकार से आप क्या समझते हैं? ) उत्तर देने के लिए एग्जाम में पूछ लिया जाता है
चलिए अब हम यह समझ लेतें है कि सार्वभौमिक मताधिकार क्या है?
व्यस्क मताधिकार का विकास कैसे हुआ?
दुनिया में लगभग 20वीं सदी के शुरुआत तक किसी भी देश में व्यस्क मताधिकार का सिस्टम लागू नहीं था विश्व में सबसे पहले वर्ष 1919 में जर्मनी सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार सिस्टम पूर्ण रूप से देश के सभी नागरिको के लिए लागू किया गया
हाँ, वर्ष 1918 में ब्रिटेन में पुरुषो के साथ साथ कुछ महिलाओ को व्यस्क मताधिकार दिया गया था जिसमे 21 वर्ष से अधिक उम्र वाले पुरुष और 30 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाएं शामिल थी परन्तु, सभी महिलाओ को यह अधिकार नहीं दिया गया था
परन्तु वर्ष 1928 में ब्रिटेन में यह अधिकार सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मिला ब्रिटेन में एडल्ट मताधिकार के लिए निर्धारित उम्र 18 वर्ष हैं इसीलिए पूर्ण रूप से जर्मनी में सबसे पहले सम्पूर्ण नागरिकों को व्यस्क मताधिकार का अधिकार मिला था
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उसके बाद, वर्ष 1936 में सोवियत संघ ( वर्तमान का रूस ) में सभी नागरिकों को व्यस्क मताधिकार का अधिकार दिया वर्तमान समय में रूस में एडल्ट मताधिकार के लिए निर्धारित उम्र 18 वर्ष हैं
उसके बाद फ्रांस में वर्ष 1945 को अपने नागरिकों को देश में व्यस्क मताधिकार का अधिकार दिया
भारत में वर्ष 1950 के दौरान जब भारत का संविधान लागू हुआ था तब उसी समय भारत ने संविधान में नागरिकों के लिए व्यस्क मताधिकार का अधिकार शामिल किया
पहले समय में भारत में एडल्ट मताधिकार के लिए निर्धारित उम्र 21 वर्ष थी परन्तु 61 वें संविधान संशोधन के बाद वर्ष 1988 में एडल्ट मताधिकार के लिए निर्धारित उम्र 18 वर्ष कर दिया गया
व्यस्क मताधिकार क्या होता हैं? ( मताधिकार किसे कहते हैं? ) – Vayask Matadhikar Kya Hai.
व्यस्क मताधिकार को इंग्लिश में Adult Franchise कहा जाता है भारत में एडल्ट का अर्थ 18 वर्ष से अधिक उम्र का मनुष्य माना जाता हैं और Franchise शब्द फ्रांस की फ्रंच भाषा के Franc ( फ्रैंक ) से लिया गया हैं फ्रैंक का अर्थ फ्री मतलब स्वतंत्र होता है
जब एक देश के सभी नागरिकों को बिना किसी भाषा, जाति, लिंग, नस्ल, धर्म, अमीर, गरीब में भेदभाव किये वोट डालने का अधिकार दिया जाता हैं तो उसको हम मताधिकार कहते हैं जब मनुष्य वोट डालने के लिए तय उम्र को पूरा कर लेता हैं
तब वह अपनी इच्छा से वोट डालने के लिए पुरी तरह से स्वतंत्र होता हैं क्योकि देश के नागरिकों को स्वतंत्रतापूर्वक अपने प्रतिनिधि ( नेता ) का चुनाव करने का अधिकार होता हैं इस प्रक्रिया को हम व्यस्क मताधिकार कहते हैं
व्यस्क मताधिकार के लिए शर्त
- व्यस्क मताधिकार बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिको को मिलना चाहिए
- वोट डालने का अधिकार मिलने के लिए एक उम्र निर्धारित होनी चाहिए यह सभी देशो में अलग अलग होता है उदहारण के लिए, भारत में 18 वर्ष हैं, डेनमार्क और जापान में 25 वर्ष, नार्वे में 23 वर्ष, ब्रिटेन अमेरिका और सोवियत संघ ( वर्तमान का रूस ) में 18 वर्ष
- पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से व्यस्क मताधिकार का अधिकार मिलना चाहिए
- व्यस्क मताधिकार देश के नागरिक को मिलता हैं इसीलिए, वह देश का नागरिक होना चाहिए
- नागरिक मानसिक रूप से पुरी तरह स्वस्थ होना चाहिए
- उस नागरिक को न्यायालय के द्वारा दंडित न किया गया हो
चुनाव व्यवस्था के प्रकार?
किसी एक देश में चुनाव की व्यवस्था दो तरीको से की जाती हैं
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व ( Territorial Representation )
- कार्यकारी प्रतिनिधित्व ( Functional Representation )
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व ( Territorial Representation )
जो प्रतिनिधि देश में किसी क्षेत्र के आधार पर चुनाव लड़ते हैं जिसके बाद उस क्षेत्र को चलाने का काम करते हैं मतलब यह चुनाव देश के नेता को चुनने के लिए होता है जो देश को चलाता हैं
क्योकि हर देश में छोटे छोटे निर्वाचन क्षेत्र होतें हैं जिनसे मनुष्य जनता के प्रतिनिधि ( नेता ) के रूप में चुनाव लड़ता हैं जिसके बाद वह मनुष्य उस निर्वाचन क्षेत्र का MP या MLA बनता हैं
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कार्यकारी प्रतिनिधित्व ( Functional Representation )
जो प्रतिनिधि किसी संगठन को चलाने के लिए उस संगठन के सदस्यों के द्वारा चनाव के आधार पर चुने जातें हैं यह मनुष्य उस संगठन का प्रतिनिधि करता है मतलब यह चुनाव किसी यूनियन के मेम्बर को चुनने के लिए होता हैं
उदहारण के लिए, व्यापारिक कर्मचारी, किसान यूनियन
निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रणाली
निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव प्रणाली केवल दो प्रकार से हो सकती हैं
- एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र ( Single Member Constituency )
- बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र ( Multi Member Constituency )
एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र ( Single Member Constituency ) – इसमें एक निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि ( नेता ) चुनाव को जीत सकता है यह प्रणाली भारत, रूस, ब्रिटेन, नेपाल, अमेरिका, पाकिस्तान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया में अपनाया गया हैं
ऐसे सिस्टम में निर्वाचन क्षेत्र छोटे छोटे एरिया में विभाजित होतें हैं जहाँ जिस प्रतिनिधि ( नेता ) को सबसे अधिक वोट मिलती हैं वह चुनाव जीत जाता हैं
बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र ( Multi Member Constituency ) – इसमें एक निर्वाचन क्षेत्र से एक से अधिक प्रतिनिधि ( नेता ) चुनाव को जीत सकता है इस सिस्टम को टिकेट प्रणाली के नाम से भी जानते हैं
ऐसे सिस्टम में निर्वाचन क्षेत्र बड़े बड़े एरिया ( विशाल निर्वाचन क्षेत्र ) में विभाजित होतें हैं यह प्रणाली डेनमार्क, इटली, स्विटजरलैंड, स्वीडन में अपनाया गया हैं
प्रतिनिधित्व की प्रणालियाँ ( चुनावी प्रणालियाँ ) – Electoral Systems
चुनाव में जिन सिस्टम का उपयोग विश्व के सभी देशो में किया जाता है उनके बारे में नीचे बताया हैं
- सामान्य बहुमत प्रणाली ( Simple Majority System )
- अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली ( Proportional Representation )
- एकल संक्रमणीय मत प्रणाली ( The Single Transferable Vote System )
सामान्य बहुमत प्रणाली ( Simple Majority System )
दुनिया के अधिकतर देशो को यह चुनाव सिस्टम अच्छा लगता है क्योकि यह सिस्टम समझना देश के नागरिको के लिए आसान होता हैं इस सिस्टम में जिस मनुष्य ( प्रतिनिधि ) को सामान्य बहुमत मिल गया वह चुनाव जीत जायेगा
मतलब इस चुनाव प्रणाली में सार्वाधिक वोट मिलने वाला प्रतिनिधि ( नेता ) चुनाव जीतेगा इसीलिए इस सिस्टम को फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम ( First Past The Post System ) के नाम से जाना जाता हैं
सामान्य बहुमत प्रणाली ( दोष )
इस सिस्टम में यह कमी होती हैं कि इसमें वोट प्रतिशत कम होने पर सीटें अधिक हो सकती हैं क्योकि एक निर्वाचन क्षेत्र में जिस प्रतिनिधि को सबसे अधिक वोट मिलता है वह चुनाव जीत जाता हैं
वह प्रतिनिधि भी चुनाव जीत सकता है जिसको उसके निर्वाचन क्षेत्र में 50 प्रतिशत से भी कम वोट मिली हो मतलब उस प्रतिनिधि को 50 प्रतिशत से भी कम लोग पसंद करतें हैं परन्तु चुनाव जीतने के बाद वह निर्वाचन क्षेत्र में सभी लोगो पर शासन करेगा
NOTE – भारत में चुनाव व्यवस्था सामान्य बहुमत प्रणाली हैं
चुनाव प्रणाली वाले कुछ देश – भारत, ब्रिटेन, अमेरिका
अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली ( Proportional Representation )
इस चुनाव प्रणाली में राजनीतिक दलों को मिलने वाली वोट के अनुसार, अनुपात के आधार पर राजनीतिक दलों को सीट प्राप्त होती हैं जिसके बाद वह अपने नेता को नियुक्त करतें हैं इस सिस्टम में एक निर्वाचन क्षेत्र से दो नेता भी जीत सकतें हैं
राजनीतिक दलों के नाम | दल को प्राप्त वोट | दल को प्राप्त सीट | दल के पास बची वोट | बची वोट के आधार पर मिली सीट | टोटल प्राप्त सीटें | प्राप्त वोट का प्रतिशत | प्राप्त सीट का प्रतिशत |
बीजेपी | 76000 | 3 | 16000 | 1 | 4 | 38% | 40% |
कांग्रेस | 46000 | 2 | 6000 | 0 | 2 | 23% | 20% |
आम आदमी पार्ट्री | 42000 | 2 | 2000 | 0 | 2 | 21% | 20% |
समाजवादी पार्टी | 24000 | 1 | 4000 | 0 | 1 | 12% | 10% |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी | 12000 | 0 | 12000 | 1 | 1 | 6% | 10% |
क्योकि अधिकतम राजनीतिक दलों को मिलने वाली वोटो की संख्या 20 हजार से ऊपर हैं इसीलिए वोट को 20 हजार पर निर्धारित कर दिया गया कि 1 सीट 20 हजार वोट पर मिलेगी
समाजवादी पार्टी को दुसरी बार अनुपात निकालने पर 1 सीट दे दिया गया क्योकि दुसरी बार अनुपात निकालने पर राजनीतिक दलों का वोट शेयर कम होता हैं
नोट – राजनीतिक थिंकर जे. एस. मिल ने इस चुनाव प्रणाली का समर्थन किया है
अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के दो प्रकार होतें हैं
- सूची प्रणाली ( List System )
- संचित मत प्रणाली ( Axxumulated Vote System )
सूची प्रणाली ( List System ) – इस सिस्टम में पुरे क्षेत्र को कुछ भागो में बाट दिया जाता हैं जिसको हम निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं इन निर्वाचन क्षेत्रों से एक से अधिक प्रतिनिधि ( नेता ) को चुना जाता हैं यह भाग बड़े बड़े होते हैं
इस निर्वाचन क्षेत्र में लोगो की संख्या एरिया के आकार और एरिया की जनसंख्या पर निर्भर करता है परन्तु कम से कम तीन और अधिकतम सात प्रतिनिधि ( नेता ) एक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव में खड़े हो सकतें हैं
राजनीतिक दल अपनी पार्टी से खड़े नेताओ की लिस्ट जारी करती हैं जिसमे यह मेंशन होता है कि मेरे इस निर्वाचन क्षेत्र में यह नेता खड़े हैं उसके बाद लोग अपनी पसंदीदा राजनीतिक दल को वोट डालतें हैं
उदहारण के लिए, मान लेते हैं कि बीजेपी के किसी एक निर्वाचन क्षेत्र से सात नेता चुनाव में खड़े है उसके बाद यह तय किया जाता हैं कि जिसको 2000 वोट मिलती हैं उसका एक नेता जीत जाएगा
चुनाव के बाद बीजेपी को कुल 10000 वोट मिल गई जिसके बाद, बीजेपी के द्वारा सात नेता की लिस्ट में से शुरू के पांच नेता जीत जायेंगे और लिस्ट में लास्ट के दो नेता हार जायेंगे
नोट – अब अगर बीजेपी के अलावा किसी दुसरे राजनीतिक दल कांग्रेस ( उदहारण के लिए ) को उस निर्वाचन क्षेत्र से 4000 वोट मिल जाती हैं तो ऐसी स्थिति में उसकी लिस्ट के शुरू के दो नेता जीत जायेंगे
चुनाव प्रणाली वाले कुछ देश – स्वीडन, इटली, बेल्जियम, पोलैंड
संचित मत प्रणाली ( Axxumulated Vote System ) – इस सिस्टम में जितने नेता किसी क्षेत्र में खड़े होतें हैं उतने वोट एक मनुष्य चुनाव के दौरान डाल सकता हैं मतलब एक मनुष्य चुनाव में जितने नेता खड़े हैं उतने वोट दे सकता हैं
उदहारण के लिए, किसी एक क्षेत्र से तीन प्रतिनिधि ( नेता ) चुनाव में खड़े हैं तब संचित मत प्रणाली होने के कारण जितने प्रतिनिधि ( नेता ) चुनाव में खड़े हैं उतने वोट मैं डाल सकता हूँ वो मेरी इच्छा है कि मैं तीनो वोट केवल एक को दूं या अलग अलग दूं
चुनाव प्रणाली वाले कुछ देश – अमेरिका का राज्य इलिनॉय
एकल संक्रमणीय मत प्रणाली ( The Single Transferable Vote System )
इस सिस्टम में मनुष्य पसंद ( Preference ) के रूप में अपने वोट को ट्रान्सफर कर सकता हैं मतलब एक मतदाता केवल एक वोट डाल सकता हैं
परन्तु उसको यह वोट पसंद ( Preference ) के रूप में डालना होगा मतलब इसमें मनुष्य यह बताएगा कि कौन मनुष्य मेरी पहली पसंद हैं?, कौन दुसरी पसंद हैं? और कौन तीसरी पसंद हैं?
उसके बाद अंत में रह देगा जाएगा कि किसको पहली पसंद के रूप में रखा गया हैं लेकिन इसमें एक मनुष्य अपनी सभी पसंद केवल एक मनुष्य को नहीं दे सकता हैं
इस सिस्टम को हम हेयर सिस्टम और आंदे योजना के नाम से भी जानते हैं आंदे योजना इसके फाउंडर हैं
नोट – भारत में या सिस्टम राज्यसभा और राष्ट्रपति के चुनाव ( Rashtrapati Ka Chunav ) के लिए उपयोग होता हैं
स्थिति – दो प्रत्याशी बराबर मत – अगर किन्ही दो मनुष्यों को बराबर वोट मिल जाएँ तो ऐसी स्थिति में उसका Quota ( कोटा ) निकाला जाएगा जिसके लिए एक फार्मूला का उपयोग होता हैं
Quota = Total Number Of Votes Polled / Total Number Of Seats in The Constituency + 1
हम कह सकतें है कि जिस मनुष्य को टोटल 10001 वोट मिलेंगे वह जीत जायेगा
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निष्कर्ष
हर देश में चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग ( इलेक्शन कमिशन ) होता हैं जो देश में चुनाव करवाता हैं यह चुनाव पुरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष होता हैं क्योकि चुनाव आयोग पर सरकार का अधिकार नहीं होता हैं
इसीलिए चुनाव का रिजल्ट देश के सभी नागरिको को मानना पड़ता हैं जो राजनीतिक दल जीत जाता है वह शासन करता हैं अन्य हारने वाले राजनीतिक दल विपक्ष कहलाता हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें