Meaning Of Political Obligation: – राजनीतिक दायित्व या राजनीतिक बाध्यता के लिए एग्जाम के प्रशन पूछ लिया जाता हैं जो स्टूडेंट राजनीतिक विज्ञान पढ़ रहे हैं उनके लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण टॉपिक हैं
क्योकि हमें राज्य की आज्ञा का पालन क्यों करना चाहिए? इसके पीछे क्या सिद्धांत हैं
मुख्य रूप से हम ग्रेजुएशन करने के दौरान इस टॉपिक को पहले Semester में पढ़ते हैं राजनीतिक बाध्यता का अर्थ अग्रेजी में ( Political Obligation ) से होता हैं जिसमें हम राज्य की आज्ञा का पालन करने को अपनी नैतिक आवश्यकता समझते हैं
हम राज्य का पालन क्यों करते हैं?
- राज्य एक वैध सत्ता ( Legal Authority ) हैं क्योकि उसको हमने बनाया हैं उसके ऊपर जनता की सहमति हैं यह एक तरह से नैतिक आधार हैं
- डराने या धमकाने तक राज्य का काम नहीं होता हैं स्टेट आज्ञा पालन कराने का काम करता हैं
- क्योकि हम स्टेट में रहते हैं इसीलिए यह हमारा कर्तव्य हैं
- हर स्टेट के पास अपनी एक भूगोलिक सीमा होती हैं जिसको लेकर यह आजाद होते हैं और इनके पास प्रभुसत्ता होने कारण उस सीमा तक इनका राज चलता है
- विदेशियों को किसी राज्य में उस राज्य के नागरिको जितने अधिकार नहीं मिलते हैं परन्तु क्रिमिनल कानून विदेशियों पर भी लागु होते हैं
- राज्य की बाध्यता के कारण हमें राज्य की आज्ञा का पालन करना चाहिए
What is Political Obligation? ( राजनीतिक बाध्यता का अर्थ )
राजनीतिक बाध्यता का अर्थ राज्य के कानून का पालन या राज्य की आज्ञा का पालन करने से होता हैं क्योकि राज्य के पास हमारी सहमति होती हैं इसीलिए हमारा यह कर्तव्य होता हैं कि हम राज्य की आज्ञा का पालन करे
राजनीतिक बाध्यता का एतिहासिक विकास ( Theories Of Political Obligation ) – Theory Of Political Obligation
राजनितिक बाध्यता ( Political Obligation Theory ) को लेकर इतिहास में क्या अवधारणाएँ थी इसको समझने के लिए हमें प्राचीन काल के राजनीतिक लेखक के द्वारा बताये उनके सिद्धांतों को अच्छे से समझना होगा
सुकरात तथा राजनीतिक बाध्यता
सुकरात कौन था (इतिहास ) – यूनान के एथेंस में रहने सुकरात बहुत बुद्धिमान थें यह अपनी बुद्धिमता को आस – पास के लोगो में फैलाने का काम करते थें तभी सुकरात ने सभी लोगो से यह कहना शुरू किया कि जो व्यक्ति शासन चला रहा हैं वह भ्रष्ट व्यक्ति हैं
जिसको देखकर वहां के शासक ने यह निर्णय लिया कि क्योकि सुकरात भोले – भाले लोगो को बहकाने का काम कर रहा हैं इसीलिए उसको म्रत्युदंड की सजा सूना दी गई उसके बाद सुकरात के स्टूडेंट प्लेटो सुकरात से जेल में मिलने के लिए गए
उस दौरान प्लेटो ने कहा कि तुम यहाँ से भाग जाओ परन्तु, यहाँ सुकरात ने प्लेटो से कुछ बात कही
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राजनीतिक लेखक प्लेटो ने अपनी बुक क्रिटो ( 339 ई.पू. ) में बताया कि सुकरात ( यूनान के एथेंस में रहने वाले राजनीतिक लेखक ) ने जेल में रहने के दौरान प्लेटो से कहा कि
समझौता – हमें राज्य के कानून का पालन करना चाहिए क्योकि हमने राज्य को बनाया हैं उसके साथ हमारा एक समझौता हुआ हैं
आभार – इसी राज्य में हम रहते हैं हमारा पालन पोषण इसी राज्य में हुआ हैं तो हमारा यह कर्तव्य हैं कि हम इसका पालन करें क्योकि ऐसा करके ही हम इसका आभार प्रकट कर सकतें हैं
निष्पक्ष – लोगो की सहमति से कानून बनाया गया हैं हमें निष्पक्ष तरीके से नियमो का पालन करना चाहिए
उपयोगितावादी – किसी मनुष्य के लिए जो बेस्ट ( सर्वोत्तम ) होता है राज्य वह आपके लिए करता हैं इसीलिए हमें उसका पालन करना चाहिए
नोट – राज्य की आज्ञा का पालन करने के लिए सुकरात ने यह तर्क दिया और उनको म्रत्युदंड दे दिया गया
राजनीतिक बाध्यता – एक दीवक आदेश
मध्यकाल के दौरान जब राज्य के ऊपर चर्च का बोलबाला होता था उस समय चर्च के फादर ने एक सिद्धांत देते हुए कहा कि राज्य का राजा जो कहता है वह भगवान् कह रहे हैं क्योकि भगवान् ने उसको राजा बनाया हैं
वह भगवान् का प्रतिनिधित्व हैं इसीलिए हमें राज्य के उस राजा के सभी आदेश का पालन करना चाहिए
केवल मध्यकाल में इस सिद्धांत को माना गया क्योकि कुछ समय बाद ईसाई धर्म में धर्म सुधारक आंदोलन हुआ ईसाई धर्म में सुधार चाहने वाले मार्टिन लूथर किंग ने आंदोलन शुरू किया जिसके बाद ईसाई धर्म दो भागो में बट गया
- कैथोलिक – वह लोग जिन्होंने इस बात का समर्थन किया
- प्रोटेस्टेंट – वह लोग जिन्होंने इस बात का विरोध किया
राजनीतिक बाध्यता – सामाजिक समझौता तथा सहमति
हाब्स, लॉक और रूसो के द्वारा सामाजिक समझौता सिद्धांत दिया गया हैं
हाब्स – राजनीतिक लेखक हाब्स ने कहा कि जब राज्य नहीं था तो एक मनुष्य को दुसरे मनुष्य से डर रहता था पुरी तरह से युद्ध का माहोल रहता था इसीलिए सभी लोगो ने मिलकर एक मनुष्य को अपनी सहमति दी वह उस राज्य का राजा बन गया
इसीलिए हमें उस मनुष्य के द्वारा बनाये कानून का पालन करना पडेगा और जिसको एक बार राजा बन गया उसको हटाया नहीं जा सकता
लॉक – लॉक ने राज्य के न होने से पहले लोगो में युद्ध का माहोल रहने की बात का समर्थन नहीं किया परन्तु जब लोगो ने मिलकर एक मनुष्य को अपनी सहमति दी और राजा बन गया
परन्तु राजा का यह अधिकार होता हैं कि वह लोगो के प्राकृतिक अधिकार ( जीवन, स्वतंत्रता और सम्पति ) को प्रोटेक्शन दें अगर वह ऐसा नहीं करता हैं तो लोगो को यह अधिकार होगा कि वह राजा को हटा दें उसके बाद दुबारा से नया राजा बनाया जाएगा
रूसो – यह अपने सिद्धांत में सामान्य इच्छा पर बात करतें हैं कि लोगो की सामान्य इच्छा राज्य के पास होती हैं
कुल मिलाकर हम यह कह सकतें हैं कि सभी लोगो ने मिलकर राज्य को अपनी सहमति दिया इसीलिए राज्य जो कानून बनायेगा हमे उसका पालन करना पड़ेगा क्योकि यह हमारा कर्तव्य हैं
राजनीतिक बाध्यता – स्थापित परम्पराओ के प्रति निष्ट
बर्क, हीगल और ऑकशाट ने इस सिद्धांत को दिया हैं मतलब हम यह कह सकतें हैं कि इस सिद्धांत पर तीनो का यह मानना हैं कि जो स्थापित परम्परायें चली रही हैं हमें उनका पालन करना चाहिए
उदहारण के लिए, हीगल की बुक Philosophy of Rights.
राजनीतिक बाध्यता – एक विवेकशील क्रिया
इस सिद्धांत को प्लेटो, अरस्तू, ग्रीन, बोसाके के द्वारा दी गई हैं जिसमें यह कहते हैं कि जब तक एक मनुष्य अपने स्टेट में नहीं रहेगा तब तक सम्पूर्ण रूप से उसका डेवलपमेंट ( संपूर्णता प्राप्त ) नहीं हो सकता हैं इसीलिए एक स्टेट में रहने के बाद मनुष्य संपूर्णता प्राप्त करता हैं
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निष्कर्ष
क्योकि राज्य एक वैध सत्ता ( Legal Authority ) हैं क्योकि उसको हमने बनाया हैं उसके ऊपर जनता की सहमति हैं यह एक तरह से नैतिक आधार हैं और डराने या धमकाने तक राज्य का काम नहीं होता हैं
स्टेट आज्ञा पालन कराने का काम करता हैं इसीलिए हमें राज्य का पालन करना चाहिए इस लेख में हमने Theory Of Political Obligation पर सरल शब्दों में चर्चा किया हैं
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लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें