उदारवादी लोकतंत्र का विकास, विशेषताएं ( Democracy in Hindi ) Part 1 ( 2024 )

उदारवादी लोकतंत्र का विकास, विशेषताएं ( Democracy in Hindi ) Part 1 ( 2024 )

Democracy in Hindi: – लोकतंत्र का विकास बहुत पुराना है राजनीतिक विज्ञान में लोकतंत्र का विकास ( उदय ) यूनान ( जिसको वर्तमान में ग्रीक कहा जाता है ) के एथेंससे माना जाता है

उस समय के दौरान यूरोप के यूनान के एथेंस में बहुत कम जनसंख्या थी राजनीतिक विज्ञान पढने के दौरान प्लेटो, अरस्तु सहित अधिकतर थिंकर्स यूनान से हैं लोकतंत्र का महत्व वर्तमान समय में पुरी दुनिया में है हमारा भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं

अक्सर ग्रेजुएशन करने के दौरान स्टूडेंट्स से लोकतंत्र किसे कहते हैं?, लोकतंत्र क्या है इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए?, लोकतंत्र का महत्व स्पष्ट कीजिए? सवालों को एग्जाम में पूछ लिया जाता है

उदारवादी लोकतंत्र का विकास, विशेषताएं ( Democracy in Hindi ) Part 1 ( 2024 )

जब हर स्टूडेंट को पूरा कांसेप्ट पता होता है तब वह किसी भी सवाल का उत्तर एग्जाम में लिख सकता है इसीलिए लोकतंत्र के सभी पार्ट में हम इसका कांसेप्ट बताएँगे यह लेख मुख्य रूप से यूरोप में लोकतंत्र के विकास को बताता है

Note – लोकतंत्र के विषय को अच्छे से समझने के लिए इसके कुल दो बनाये गए है यह पहला भाग है दुसरे भाग में लोकतंत्र की परिभाषा सहित उसके प्रकार के विषय पर बताया गया है 

लोकतंत्र का क्या अर्थ है? ( Loktantra Meaning in Hindi? )

लोकतंत्र शब्द लोक + तंत्र से मिलकर बना है जिसमें लोक का अर्थ जनता और तंत्र का अर्थ शासन होता है

उदारवादी सिद्धांत के अनुसार लोकतंत्र का यूरोप में विकास ( Democracy in Hindi )

लोकतंत्र का उदय यूनान ( ग्रीक ) के एथेंस से माना जाता हैं प्राचीनकाल के दौरान एथेंस ( यूनान का नगरराज्य ) में बहुत कम जनसंख्या होती थी जहाँ अरस्तु ( राजनीतिक थिंकर ) रहते थे

इन्होने शासन को चलाने के तरीके को समझने के लिए दुनिया के लगभग 158 संविधान को पढ़ लिया जिनको पढने के बाद अरस्तु को यह समझ आया कि पुरी दुनिया के अंदर केवल तीन प्रकार की शासन व्यवस्था हैं परन्तु यह तीनो शासन स्थर नहीं होते हैं

  1. राजतंत्र ( Monarchy )
  2. कुलीनतंत्र ( Aristocracy )
  3. लोकतंत्र ( Democracy )

राजतंत्र – जिस व्यवस्था में केवल एक मनुष्य ( राजा ) का शासन होता हैं

कुलीनतंत्र – जिस व्यवस्था में कुछ मनुष्य मिलकर राज्य ( देश ) में शासन करते हैं यह मनुष्य अधिक अमीर लोग या बुद्धिमान लोग हो सकतें हैं

लोकतंत्र – जिस व्यवस्था में बहुत लोग मिलकर राज्य ( देश ) में शासन करते हैं क्या कानून बनाना है? इसके लिए बहुत लोग मिलकर उसके ऊपर चर्चा करते है जिसके बाद वह खुद उसको लागू कर देते हैं

इसे डायरेक्ट लोकतंत्र मतलब प्रत्यक्ष लोकतंत्र ( Direct Democracy ) से जोड़कर देखा जाता है प्राचीनकाल में यूरोप के देशो के ऊपर चर्च का अधिकार होता था हम कह सकतें है कि देश ( राज्य ) का राजा चर्च के फादर के अनुसार शासन को चलाता था

इस दौरान धर्म का बोलबाला अधिक था उसके बाद राज्य से धर्म को हटाने के लिए धर्म सुधारक आंदोलन होना शुरू हो गया इस दौरान लोगो को जगाने के लिए पुर्नजागरण किया गया जिससे लोगो राजनीतिक रूप से एक्टिव होना शुरू हो गए

अब यूरोप में लोगो ने राजतंत्र सिस्टम को ख़तम करके प्रजातंत्र सिस्टम को लागू करने की डिमांड शुरू हो गई ऐसा होने से समाज धर्म की जकड़न से मुक्त हो गया उसके बाद सामज में उदारवाद के मूल मंत्र को पाने के लिए लोकतंत्र को एक जरिये के रूप में देखा गया

उदारवाद के मूल मंत्र स्वतंत्रता, समानता, न्याय, अधिकार और धर्म निरपेक्षता हैं 

लोकतंत्र को लागू करने में समस्या 

  1. राज्य ( देश ) के ऊपर राजा या ऐसे लोगो के शासन को ख़तम करना होगा जो किसी विशेष वर्ग या अमीर-गरीब वाले लोग हैं
  2. राज्य में सभी शक्तियां केवल एक मनुष्य के हाथो में नहीं दी जायेंगी इसीलिए शक्तियों को विभाजित करना होगा

लोकतंत्र को लागू करने में समस्या के समाधान के लिए शर्त 

  1. राज्य ( देश ) को धर्म से अलग करना होगा क्योकि जब तक यह साथ होंगे तो राजनीतिक सिर्फ धर्म पर आधारित रहेगी
  2. समान्तवादी व्यवस्था से समझौते करना होगा जिससे कोई अपनी ताकत को दिखाकर लोगो में असामनता न फैलाए
  3. राजनीतिक रूप से लोगो को एक्टिव करना होगा मतलब राजनीति में लोगो की भागीदारी को बढ़ाना होगा

19वी सदी के अंदर उदारवादी लोगो ने दुनिया को लोकतंत्र के बारे में बताया और जब लोकतंत्र को लागू किया गया तब हमें कुछ बदलाव देखने को मिला 

  1. धर्म में सुधार किया गया जिसमे राजनीति और धर्म को अलग कर दिया गया
  2. धर्मं के नाम पर लोगो को अंधकार में रखा जाता था उनको पुर्नजागरण के माध्यम से जगाया
  3. औद्योगिक क्रांति ने दुनिया के कई देशो को आपस में जोड़ने का काम किया गया

मैकफरसन – ने कहा कि पश्चिमी समाजों में उदारवादी प्रजातंत्र तब आया जब उदारवादी समाज एंव उदारवादी राज्य की स्थापना हो चुकी थी

थोमस होब्स – के द्वारा सामाजिक समझौते में प्रत्येक व्यक्ति को समझौते में समान भागीदार माना गया है

जॉन लॉक – ने कहा कि सरकार के पास केवल सीमित शक्तियां होनी चाहिए और लोगो के पास अधिकार होना चाहिए कि वह गलत सरकार ( मनमानी करने वाली सरकार ) को हटा सकें

क्योकि राज्य में सरकार के मुख्य उद्देश्य देश के नागरिको के नेचुरल अधिकार को सुरक्षित रखना होता हैं जिसमे लाइफ, स्वतंत्रता पर प्रॉपर्टी का अधिकार हैं

John Lok – एक अच्छा शासन वह हैं जो सहमति के ऊपर आधारित होता हैं

Adam Smith – ने कहा कि शासन आर्थिक मामलों में कम से कम हस्तक्षेप करेगा क्योकि ऐसा करने से राज्य में तनाहशाही कम होगी और लोगो के बीच कम्पटीशन बढना शुरू हो जाएगा जिससे जिस मनुष्य में योग्यता है वह आगे निकलेगा

19वी सदी में लोकतंत्र का विकास 

Jefferson – ने कहा कि शक्ति को अपने नियंत्रण में रखना चाहिए क्योकि अगर यह शक्ति सरकार अंतिम स्रोत से प्राप्त करती है तो वह तानाहशाही बन सकती हैं

Jeremy Bentham ( एक आधुनिक विचारक ) – ने कहा कि अधिकतम लोगो का अधिकतम सुख होना चाहिए मतलब जब ज्यादा से ज्यादा लोग खुश है तो वह शासन सबसे अच्छा शासन है

जेम्स मिल – James Mill ( J.S. Mill के पिता ) – ने कहा कि स्वतंत्रता और व्यक्तित्व का विकास केवल लोकतंत्र में संभव हैं

Jeremy Bentham ( एक आधुनिक विचारक ) – प्रजातंत्र एक सकारात्मक दृष्टिकोण हैं जो लोगो के ऐसा नजरिया प्रदान करता है जहाँ लोगो का अधिक महत्त्व होता है वह लोग वोटिंग के द्वारा सरकार बनाते है और सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए उनके पास अपनी पॉवर भी होती हैं

Jeremy Bentham & J.S. Mill

Jeremy Bentham &  J.S. Mill को उपयोगितावादी एंव व्यक्तिवादी थिंकर्स के नाम से भी जानते है क्योकि इन्होने समाज को एक कृत्रिम संस्था माना है

लोगो को शासन से सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकारी नीति और कानून को इस तरह से बनाया जाए जो लोगो के विरोधी न हो नीति और कानून बनाते समय बैंथम के सामने कुछ समस्या का हल बताया

  1. हमें प्रतिनिधि और संवैधानिक सरकार बनानी होगी जहाँ लोग अपने देश के संविधान के अनुसार, लोगो अपने प्रतिनिधि का चुनाव करके उस चुने प्रतिनिधि के माध्यम से देश ( राज्य ) का शासन चलवायें
  2. नियमित ( निश्चित समय पर ) चुनाव होना चाहिए और कोई मनुष्य किसको वोट देता है यह गोपनीय होना चाहिए
  3. नेताओं में कम्पटीशन होना चाहिए

राज्य में कानून और नीतियाँ जनता की सहमति से बने इसके लिए चुनाव करवाना जरुरी होता हैं क्योकि राज्य में कानून और नीतियाँ जनता की सहमति से बनाने पर वह कभी गलत नहीं होगा

सुख में वृद्धि का यंत्र लोकतंत्र हैं देश में अगर हमें भ्रष्ट सरकार या भ्रष्ट शासन को ख़तम करना हैं तो प्रजातांत्रिक चुनाव होना जरुरी होता है और जनता के पास यह शक्ति होनी चाहिए कि अगर कोई शासन भ्रष्ट हैं तो उसको हटा सकें

प्रजातांत्रिक वोट के अधिकार पर बैंथम के विचार 

वर्ष 1802 में बैंथम ने कहा कि सीमित लोगो को वोट का अधिकार मिलना चाहिए उसके बाद वर्ष 1809 में यह कहा कि जो सम्पतिशाली लोग हैं केवल उनको वोट डालने का अधिकार मिलना चाहिए

उसके बाद वर्ष 1817 में कहा कि देश में जो एडल्ट पुरुषो हैं केवल उनको वोट डालने का अधिकार मिलना चाहिए

अब 19वी सदी में J.S. Mill आया 

J.S. Mill – ने राजनीतिक व्यवस्था की मांग किया जिसमे प्रतिनिधि सरकार होनी चाहिए परन्तु, सरकार अहस्तक्षपी होगी मतलब सरकार लोगो के मामलों में दखल नहीं देगी और राज्य में लोकतंत्र व्यवस्था होनी चाहिए

राज्य में दमन शासन को हटाने का लोगो के पास अधिकार होना चाहिए लोकतंत्र में लोगो की नैतिक क्षमता का विकास होता हैं 

लोकतंत्र में लोगो का विकास क्यों हो पाता है यह कैसे सहायक होता हैं – J.S. Mill के द्वारा 

क्योकि लोकतंत्र में राजनीतिक जीवन में लोगो की भागीदारी होती है जिसमे वह वोट डालकर अपनी भागीदारी को प्रदर्शित करते है और अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहते हैं 

मैकफरसन – ने कहा कि अगर शासन सत्ता ऐसे प्रतिनिधि के हाथ में है जिसको जनता की सहमति से चुना गया है वह शासन अच्छे से चलता हैं इन्होने मिल के सिद्धांत को विकासीय सिद्धांत बताया हैं

क्योकि मिल का सिद्धांत कहता है कि लोकतंत्र में लोगो का मानवीय विकास होता हैं समाज प्रजातांत्रिक होना चाहिए जिसमे लोगो के बीच भेदभाव न हो और जहाँ प्रगाति हो, समाज पुरी तरह से साधन और साध्य पर आधारित हो

J.S. Mill के द्वारा – का कहना है कि सार्वजानिक कार्य अधिकतम उपयोग के साथ होने चाहिए मिल के अनुसार, मनुष्य के अंदर जो योग्यता है उसको बाहर निकालने के लिए समाज में रहने वाले लोग सपोर्ट करे ऐसा समाज सबसे अच्छा समाज हैं

उस समाज में प्रजातंत्र की उपयोगिता हो सकती हैं क्योकि प्रजातंत्र लोगो को शासन से डायरेक्ट सवाल-जवाब करने का अवसर देता हैं

J.S. Mill का दृढ विश्वाश – प्रजातंत्र व्यक्ति की स्वतंत्रता को सुरक्षित प्रदान करें और हर मनुष्य ( व्यक्ति ) का स्वतंत्र रूप से विकास होना चाहिए कानून को बनाने, विचार, चर्चा, कार्य और तार्किकता का निर्माण करने के लिए लोगो का आपस में जुड़ा होना चाहिए

जे. एस. मिल ने अपनी बुक प्रतिनिधि सरकार ( 1861 ) में कहा कि वोट का अधिकार मनमर्जी की शक्ति से बढ़कर होता हैं क्योकि यह मानसिक प्रगाति और नैतिक स्वायत्तता होता है परन्तु जे. एस. मिल एक व्यक्ति एक वोट को मना करते है क्योकि

  • जिन लोगो के पास संपत्ति नहीं हैं ऐसे लोग समाज में अधिक होते है और जिनके पास संपत्ति हैं उनकी संख्या कम होती हैं ऐसे में अगर जिन लोगो के पास संपत्ति नहीं हैं

उनकी सरकार बन जाती है तो वह जिनके पास संपत्ति हैं उनके लिए कानून नहीं बनायेगें केवल अपने लिए कानून बनायेंगे

  • अगर समाज में पढ़े लिखें लोगो को अनपढ़ लोगो के बराबर दर्जा दिया जाए तो पढ़े लिखे लोगो की क्या वैल्यू रह जायेगी पढ़े लिखे लोगो को वोटिंग का अधिकार अधिक होना चाहिए

जे. एस. मिल के अनुसार किन लोगो को वोटिंग का अधिकार नहीं मिलना चाहिए

  • जिनके पास संपति नहीं हैं
  • जो मनुष्य दिमाग से पागल हैं
  • वह लोग जो सरकार से आरक्षण लेते हैं
  • जो मनुष्य सरकार को टैक्स नहीं देते हैं

जे. एस. मिल के द्वारा बहुल वोट प्रणाली अनुसार किन लोगो को वोटिंग का अधिकार मिलना चाहिए

  • जिन लोगों के पास संपति हैं
  • जो लोग अधिक बुद्धिमान हैं

क्योकि इन लोगो में क्वालिटी होती है और यह लोग राजनीतिक रूप से एक्टिव होते हैं

जे. एस. मिल का कहना कि “यह केवल उपयोगी नहीं बल्कि दुःखदायी होगा की देश का संविधान यह घोषणा करे कि एक अनपढ़ व्यक्ति की भी उतनी राजनीति शक्ति होगी जितनी कि एक पढ़े लिखे की

20वी सदी में लोकतंत्र का विकास 

अब 20वी सदी के दौरान राजनीतिक दल बन गए जिनसे लोकतंत्र को मजबूती मिली क्योकि राजनीतिक दलों ने लोगो को संगठित करने का काम किया जिसके द्वारा लोग संगठित हो गए

जे. एस. मिल ने कहा कि लोगो को व्यस्क मताधिकार ( Adult Franchise ) देना चाहिए मतलब जे. एस. मिल ने यह मान लिया कि सभी मनुष्यों को वोटिंग का अधिकार मिलना चाहिए

मैकाईवर – Maciver ( उदारवादी लेखक ) – का कहना था कि जहाँ लोकतंत्र है वहां राजनीतिक दलों को होना जरुरी होता हैं अन्यथा लोगो को यह नहीं पता होगा कि हमे वोट किसे देना हैं राजनीतिक दल लोकतंत्र की आत्मा है

Dewey’s Thoughts – समाज के अंदर लोकतंत्र लोगो को एक राजनीतिक दल के रूप में संगठित करता हैं जिसके बाद लोग किसी राजनीतिक दल को पसंद करते है जिसके लिए वोटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता हैं

परम्परागत – उदारवादी लोकतंत्र की विशेषताएं ( लोकतंत्र की विशेषताएं क्या है? ) – लोकतंत्र की विशेषताएं लिखिए?

  1. जनता को शक्ति का स्त्रोत मानकर जनता को सबसे ऊपर ( सर्वोच्च ) रखा गया हैं
  2. जनता की इच्छा के ऊपर शासन चलता हैं क्योकि इच्छा के बदलने पर शासन बदल सकता है इसीलिए यह लोगो की इच्छा को महत्त्व देता हैं
  3. लोगो को विवेकशील ( बुद्धिमान ), राजनीतिक रूप से एक्टिव होतें हैं परन्तु लोग आत्म स्वार्थी भी हैं क्योकि वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में लगे रहते है
  4. यह राजतंत्र और कुलीनतंत्र ( अमीर जात वर्ग ) का विरोध करते हैं
  5. यहाँ राजनीतिक भागीदारी की बात होती हैं क्योकि जितना अधिक लोग राजनीतिक में रूचि दिखायेंगे लोकतंत्र का विकास इतना बेहतर होगा
  6. यह सोच विचार में वृद्धि करता हैं संवैधानिक राज्य और स्वतंत्र न्यायपालिका को स्थापित करता हैं
  7. यह बहुमत शासन को लागू करता हैं
  8. इससे प्रतिनिधि और नौकरशाही सभी लोग मिलकर शासन को चलाते हैं
  9. यह लोगो के बीच आर्थिक असमानता को बढ़ावा देता हैं परन्तु राजनीतिक समानता को बढ़ावा देता हैं

परम्परागत – उदारवादी लोकतंत्र की आलोचना

लार्ड ब्राईस और ग्राहम वालास ( व्यवहारवादी लेखक ) – ने कहा कि

परम्परागत उदारवादी लोकतंत्र सिद्धांत का कहना है कि सभी मनुष्य विवेकशील ( बुद्धिमान ) होते हैं परन्तु ऐसा नहीं है मनुष्य विवेकशील ( बुद्धिमान ) नहीं होते हैं उनको नेता पागल बनाकर वोट लेते हैं

उसके बाद देश पर शासन किया जाता है क्योकि अगर मनुष्य बुद्धिमान हैं तब वह राजतंत्र और कुलीनतंत्र को क्यों अपनाते हैं जिससे तनाहशाही व्यवस्था आती हैं

परम्परागत उदारवादी लोकतंत्र सिद्धांत का कहना है कि राजनीतिक दृष्टिकोण से एक्टिव होते हैं परन्तु ऐसा नहीं है क्योकि केवल वोट डालने के दिन लोगो में राजनीति के प्रति जोश रहता है जैसे यह कोई त्यौहार हो

डेविस – ने कहा कि समाजिक और आर्थिक संगठन की वास्तविकता बिल्कुल अलग हैं क्योकि लोगो को यह पता है कि जनमत ( लोगो ) ने मिलकर शासन को बनाया है परन्तु, शासन चलाने वाले नेता जनता को ऐसा बनाते है कि वह उनको वोट दे इसीलिए प्रजातांत्रिक केवल एक मिथन हैं

शुम्पीटर – ने कहा कि समान्य हित के नाम पर जो नीति निर्माण होता है वह सब गलत होता है क्योकि व्यक्ति और समाज की प्रकृति को बिना जाने हम लोगो के बारे में नहीं बता सकते हैं यह परम्परागत उदारवादी लोकतंत्र सिद्धांत केवल काल्पनिक ( कल्पना ) है

आज समाज में केवल विशिष्ट लोगो ( अमीर लोग ) का अधिकार हैं क्योकि राजनीतिक दलों को उन लोगो के द्वारा फण्ड दिया जाता है जो जीतने के बाद उनसे अपना काम करवा लेते है

परम्परागत उदारवादी लोकतंत्र सिद्धांत के द्वारा यह कहा जाता है कि कानून बनाने के लिए जनता की राय या सहमति ली जा रही है यह सिर्फ एक मिथन हैं फिर भी कानून को लागू कर दिया जाता है

लोकतंत्र का दुसरा भाग – लोकतंत्र क्या है? विकास

लोकतंत्र का तीसरा भाग – विमर्शी लोकतंत्र और प्रक्रियात्मक लोकतंत्र?

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निष्कर्ष

परम्परागत उदारवादी लोकतंत्र सिद्धांत का कहना है कि राजनीति में लोगो को समानता और आर्थिक रूप से असमानता के साथ राजतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए जिसमे उदारवाद के मूल मंत्र को स्वतंत्रता, समानता, न्याय,

अधिकार और धर्म निरपेक्षता को प्राप्त करने के लिए आगे प्रोत्साहित करना चाहिए इस सिद्धांत में कुछ कमी होने के कारण हम इस सिद्धांत को अस्वीकार नहीं सकते हैं क्योकि लोकतंत्र को डेवलप करने में इस सिद्धांत ने हमारी बहुत मदद की है

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

लेखक – नितिन सोनी 

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