Rajniti Kya Hai: – जब हम बी.ए ग्रेजुएशन में पोलिटिकल साइंस को समझना शुरू करतें हैं तो इस दौरान राजनीति क्या हैं? टॉपिक सर्वप्रथम होता हैं राजनीति को अच्छे से समझने के लिए यह एक बेसिक टॉपिक होता हैं
जिसको अच्छे से समझना हर स्टूडेंट के लिए जरुरी होता हैं क्योकि इस विषय को समझने के बाद आपके लिए पोलिटिकल साइंस को समझना आसान हो जाएगा
हमने स्टूडेंट्स को इस टॉपिक पर परेशान होते हुए देखा हैं क्योकि उनको यह टॉपिक बहुत Hard लगता है परन्तु, राजनीतिक विचारधारा को समझातें हुए राजनीति की परिभाषा ( Rajniti Ki Paribhasha ) को अच्छे से सरल रूप में समझाया हैं
नए स्टूडेंट्स को राजनीति विज्ञान में स्टेट के मतलब को समझ लेना चाहिए क्योकि राजनीति में स्टेट का मतलब – यूपी, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि से नहीं होता हैं
स्टेट क्या होता हैं? ( State Kya Hai )
आमतौर पर जब हम स्टेट का नाम सुनतें हैं तो इस दौरान हमारे दिमाग में यूपी, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के नाम आना शुरू हो जातें हैं परन्तु राजनीतिक साइंस में स्टेट इंडिया को कहते हैं
मतलब राजनीतिक विज्ञान के क्षेत्र में देशों के नाम को हम स्टेट कहतें हैं उदहारण के लिए, रूस, अमेरिका, चीन, ताइवान, पाकिस्तान, ब्रिटिश, फ़्रांस यह सब राजनीतिक विज्ञान में एक स्टेट हैं
किसी देश के राज्यों को राजनीतिक विज्ञान में हम उसकी यूनिट समझतें हैं अथार्थ यूपी, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश आदि यह इंडिया की यूनिट ( संघ ) हैं राजनीतिक विज्ञान में वह स्टेट हम केवल उसे कहतें हैं
जिसके पास भू भाग ( भूमि ), जनसंख्या, संप्रभुता, सरकार यह सब होता हैं संप्रभुता का अर्थ देश की सरकार के देश के अंदर और बाहर पुरी तरह से इंडिपेंडेंट होने से होता हैं वह किसी के दबाब में रहकर काम न करती हो
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सोसाइटी क्या होती हैं?
राजनीतिक विज्ञान में सोसाइटी का अर्थ किसी स्टेट में रहने वाले उन सभी लोगो से होता हैं जो उस स्टेट के नागरिक है यही कारण होता हैं कि स्टेट के निर्णयों कोसा पालन उस स्टेट में रहने वालें सभी लोग करतें हैं
राजनीति क्या है? राजनीति से आप क्या समझतें हैं? ( पॉलिटिक्स क्या है? ) – राजनीति क्या है परिभाषा?
इस मोर्डेन युग में दुसरे के साथ प्रतिस्पर्थी ( कम्पटीशन ) की स्थिति में, समाज के दुर्लभ संसाधनों पर अपना प्रभुत्व और नियंत्रण स्थापित करने के प्रयास को राजनीति कहा जाता हैं
परन्तु, राजनीति में केवल कूटनीति और ग्रुप निर्णय के माध्यम से समस्या का समाधान किया जाता हैं अथार्थ युद्ध राजनीति नहीं हैं जहाँ युद्ध होता है वहां राजनीति फ़ैल हो जाती हैं
राजनीति में विशेष प्रकार की सत्ता का प्रयोग किया जाता है परन्तु परिवार, मजदुर संध या व्यापारिक संगठन में जिस सत्ता का उपयोग होता हैं वह राजनिती की श्रेणी में नहीं आती हैं
मतलब, राजनीति में केवल उस सत्ता का उपयोग होता हैं जिसका प्रयोग सरकार करती हैं या सरकार को प्रभावित करने के लिए किया जाता हैं इसीलिए राजनीति का सम्बन्ध सत्ता, शासन और शक्ति से होता हैं
एलेन बाल ( राजनीतिक लेखक ) – आधुनिक क्रान्ति और शासन ( 1988 ) बुक, में एलेन बाल ने कहा कि राजनीति में राजनीतिक गतिविधि से मतभेदों की उपस्थिति और मतभेदों का समाधान करने का प्रयास होता हैं
स्टीफ़न एल. वास्बी ( राजनीतिक लेखक ) – राजनीति विज्ञान का परिचय अध्ययन – विषय और उसके आयम ( 1973 ) बुक, में स्टीफ़न एल. वास्बी ने कहा कि जहाँ राजनीति हैं, वहां कोई न कोई विवाद रहता हैं
जहाँ कोई न कोई समस्याएँ होती हैं वहां राजनीति होती हैं जहाँ कोई विवाद नहीं होता हैं वहां राजनीति नहीं होती हैं
जे. डी. बी. मिलर ( राजनीतिक लेखक ) – राजनीति का स्वरूप वर्ष 1962 बुक में, राजनीतिक स्थिति में संधर्ष के समाधान के लिए शासन या सरकार का प्रयोग किया जाता हैं
कुल मिलाकर, सार्वजानिक स्तर पर किन्ही दो पक्षों के बीच कोई मतभेद होने पर सरकार की सत्ता के माध्यम से उस मतभेद का समाधान करने का प्रयास करना राजनीति कहा गया हैं उदहारण के लिए, राम मंदिर विवाद, तीन तलाक विवाद आदि
कुछ स्थिति में कोई घरेलू चीज राजनीति का रूप लेती हैं उदहारण के लिए, एक घर में पति – पत्नी के बीच झगड़ें में पति ने पत्नी को मार दिया ऐसी स्थिति में यह मुद्दा राजनीति में घरेलू हिंसा के रूप में उठ सकता हैं क्योकि इसमें राजनीति समाधान की मांग होती हैं
नोट – राजनीतिक संधर्ष से सरकार का मतलब केवल सार्वजानिक समस्याओ से होता है, निजी समस्याओ से नहीं
प्राचीन युग ( पुराने समय में ) कुछ राजनीतिक लेखको ने राजनीति के विषय पर चर्चा करतें हुए अपने विचारों को बताया हैं सबसे पहले हम आम आदमी के विचारों को समझने पर एलेन बाल के प्राचीन विचार समझ लेतें हैं
एलेन बाल ने मोर्डेन पॉलिटिक्स एंड गवर्मेंट ( 1988 ) बुक, में कहा कि अगर हमने आम आदमी के विचारों को अपना लिया तो दो समस्या उत्तपन होगी क्योकि आम आदमी एक छोटे दायरें तक रहकर ही राजनीति के बारे में सोचता हैं
पहली समस्या – सार्वजानिक क्षेत्र तक ही आम आदमी राजनीति को जोड़कर देखता हैं
दुसरी समस्या – दलगत राजनीति ( राजनीति पार्टी ) से ही आम आदमी राजनीति को जोड़कर देखता हैं
हन्ना आरेंट – मानवीय दशा का विवेचन ( 1959 ) बुक, में कहा कि राजनीतिक होने का अर्थ यह है कि किसी भी बात का निर्णय बल – प्रयोग या हिंसा के द्वारा नहीं होगा इसकी जगह, हर फैसला बातचीत के माध्यम से समझा-भुझाकर किया जाएगा
गार्नर – राजनीति राज्य से आरंभ और समाप्त होता हैं
प्लेटो ( राजनीतिक लेखक ) – जब कोई मनुष्य राजनीति में भाग लेने से इनकार कर देता हैं तो उसे यह दंड मिलता हैं कि उससे हीन मनुष्य उस पर शासन करने लगतें हैं
अरस्तु – मनुष्य स्वभाव से राजनीतिक प्राणी हैं अथार्थ मनुष्य किसी न किसी स्टेट में रहता हैं इसीलिए, उसको राजनीतिक प्राणी कहा जाता हैं राज्य में रहकर ही मनुष्य सही अर्थ में मनुष्य बनता हैं अन्यथा उसे मनुष्य रूप में नहीं पहचाना जा सकता
प्राचीन काल में राजनीतिक विज्ञान के पिता अरस्तु ने राज्य में सद्जीवन की प्राप्ति के लिए मनुष्य जो-जो कुछ करता हैं, जिन-जिन गतिविधियों में भाग लेता हैं या जो-जो नियम, संस्थाए और संगठन बनाता हैं उन सबको राजनीति के अध्ययन का विषय माना हैं
क्योकि प्राचीन समय में राजनीति को केवल स्टेट से जोड़कर देखा जाता था उसके बाद मिडिल युग ( मध्यकाल ) में राजा का शासन हुआ करता था परन्तु, मध्यकाल के बाद आधुनिक काल में राजनीति का नेचर बदल गया और जनता का शासन आता हैं
राजनीति की प्रक्रिया में अन्य समूहों को अपने हितों को संगठित करने और बढ़ावा देने का अवसर मिलता रहेगा जिससे आगे चलकर न्यायसंगत समाधान की संभावना बनी रहेगी
हेरल्ड लासवैल – मोर्डेन युग में इन्होने कहा कि राजनीति में शक्ति का प्रयोग किया जाता है मतलब किसी स्टेट की बात लोग तभी फॉलो करते हैं क्योकि उसके पास पॉवर ( शक्ति ) होती हैं
राजनीति की परिभाषा में राजनीति एक विशेष मानवीय क्रिया हैं जिसमें मनुष्य एक समाजिक प्राणी हैं परन्तु, प्रत्येक गतिविधि राजनीति के दायरे में नहीं आती हैं एक विशेष स्थितियों में मनुष्य के द्वारा किया गया कार्य राजनीतिक स्थिति में आ जाता हैं
राजनीतिक समाधान कैसे होते हैं?
राजनीतिक समाधान केवल बातचीत, समझाने-बुझाने, पंच निर्णय ( सहमति से निर्णय लेना अथार्थ ग्रुप निर्णय ), सुलह – समझौतें, दबाब बनाकर, और वोटों की गिनती से किया जाता है युद्ध या मारपीट से समाधान करना, राजनीति समाधान में नहीं होता हैं
प्रिंस बिस्मार्क – वर्ष 1867 में इन्होने राजनीति को संभाव्य की कला कहा हैं अथार्थ तात्कालिक परिस्थितिओं में कटु संधर्ष से बचते हुए क्या कुछ प्रपात कर सकतें हैं साधारण भाषा में इसका अर्थ हैं कि लाइफ में जो भी परिस्थिति बनी हैं
उसमें संधर्ष से दूर रहो और जिस अवसर का आप फायदा उठा सकते हैं उस अवसर का फायदा उठा लो
क्योकि राजनीति अपनी इच्छाओ के आगे दूसरों को झुकाने की कला नहीं हैं बल्कि यह दुसरो के साथ मिल – जुलकर अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने का साधन है
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David Easton – राजनीति प्रणाली – राजनीति विज्ञान की वर्तमान दशा का अन्वेषण ( 1953 ) बुक, में कहा कि राजनीति का संबंध मूल्यों के अधिकार के अधिकारिक आबंटन से हैं अथार्थ राजनीति समाज में वैल्यू को बाटने का काम करती हैं
जिससे अधिकारिक रूप से स्टेट में रहने वाले सभी लोग उसका पालन कर सकें
- वैल्यू – वैल्यू का अर्थं उस चीज से हैं जो कम हैं परन्तु उसको पाने वाले लोगो की संख्या अधिक हैं उदहारण के लिए, किसी सरकारी क्षेत्र में Jobs की संख्या कम होना, परन्तू उसको पाने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स की संख्या अधिक हैं
- आबंटन – यह निर्णय करना कि किसे क्या मिलेगा? जब राजनीति में लोग मिलकर ( ग्रुप बनाकर ) निर्णय लेतें हैं तो वह एक नीति ( Policy ) बन जाती हैं यहाँ निर्णय का अर्थ, अनेक विकल्पों में से किसी एक को सेलेक्ट करना होगा
- अधिकारिक – अब स्टेट के पास आधिकारिक सत्ता हैं जिसके कारण स्टेट के पास सभी लोगो से आज्ञापालन कराने की क्षमता होती है यह पुरी प्रकिया निरंतर चलती रहती हैं
राजनीति और राजनीतिक में क्या अंतर हैं?
जब हम राजनीति से जुड़े किसी कार्य को एक्शन के रूप में कर रहे होतें हैं तब हम उसके राजनीति कहतें हैं परन्तु जब हम राजनीति को एक सब्जेक्ट के रूप में पढ़ रहें होतें हैं तो इस दौरान हम उसे राजनीतिक कहतें हैं
राजनीतिक शब्द का उपयोग एजुकेशन संस्थान में किया जाता हैं
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निष्कर्ष
राजनीति का अर्थ एवं परिभाषा अच्छे से समझाने के लिए हमने इस लेख में कुछ अच्छे राजनीतिक लेखक के विचारों को रखते हुए साधारण शब्दों में समझाने का प्रयास किया हैं जो राजनीति को समझने वाले सभी स्टूडेंट्स के लिए लाभदायक हैं
यहाँ हमने प्राचीन और मोर्डेन युग में राजनीति की परिभाषा को समझा हैं आधुनिक युग में राजनीति ( पॉलिटिक्स ) में सार्वजानिक क्षेत्र में उत्तपन मतभेदों, संघर्ष के समाधान ढूढने का प्रयास होता हैं जिसमें केवल नियम और कार्यविधि के अनुसार समाधान किया जाता है
ग्रुप में फ़ैसला लेते समय जब हम निर्णय लेने का काम कर रहे होतें हैं जिससे जो विवाद, लड़ाई झगडे या मतभेद है उनको समाप्त किया जा सकें उसको हम राजनीति कहतें हैं
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लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें