Fundamental Rights in Hindi: – मौलिक अधिकार और कर्तव्य? मौलिक अधिकार का महत्व हर मनुष्य के जीवन में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होता है मौलिक अधिकारों का महत्व मनुष्य के लिए उतना जरुरी होता हैं
जितना मनुष्य के साँस लेने के लिए ऑक्सीजन जरुरी हैं क्योकि इन अधिकारों के बिना जीवन जीना बहुत मुश्किल रहता हैं यह मौलिक अधिकार की विशेषता होती हैं हम सब जानतें हैं कि दुनिया में भारत देश का संविधान सबसे बड़ा सविधान हैं
वर्तमान समय में उसके अंदर लगभग 468 आर्टिकल्स हैं भारत में जब संविधान को लागू किया गया तब उसमें लगभग 395 आर्टिकल्स को डाल दिया गया दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका से तुलना करने पर,
अमेरिका को वर्ष 1776 में आजादी मिल गई थी परन्तु भारत को वर्ष 1947 में आजादी मिली लेकिन अमेरिका में सबसे पुराना लोकतंत्र हैं अमेरिका के संविधान में केवल 7 आर्टिकल्स हैं भारत में 1947 के अंदर हमारा संविधान बनाना शुरू हो गया
जिसमे 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय और 6396729 रुपए खर्च हुए जिसके बाद हमारा संविधान पूर्ण रूप से बनकर 26 जनवरी 1950 में लागू कर दिया गया स्टूडेंट्स संविधान को कुछ ऐसे सामझ सकतें है कि किसी राज्य का संविधान
एक ऐसा नियम होता हैं जिसके अनुसार राज्य के लोग चलते हैं संविधान हमें मौलिक अधिकार ( Fundamental Rights ) देता हैं और संविधान हमसे मौलिक कर्तव्य लेता हैं
कर्तव्य और अधिकार एक सिक्के के दो पहलू होते हैं कर्तव्य के बिना अधिकार और अधिकार के बिना कर्तव्य नहीं होते हैं
मौलिक अधिकार क्या है? मौलिक अधिकार और कर्तव्य ( Fundamental Rights in Hindi? )
किसी राज्य के द्वारा, राज्य में रहने वाले मनुष्य को संविधान के द्वारा दिए गए अधिकार मौलिक अधिकार होतें हैं इन अधिकार को इसीलिए मौलिक अधिकार कहा जाता हैं क्योकि संविधान ने डायरेक्ट जनता को यह अधिकार दिए हैं जिनका उल्लघन होने पर,
जनता सीधे कोर्ट जा सकती हैं जिसके बाद, कोर्ट इन अधिकार को अपडेट करने के लिए आर्डर भी दे सकती हैं राज्य में मौलिक अधिकार मनुष्य के पास होना महत्त्वपूर्ण हैं क्योकि इसके बिना मनुष्य का जीना संभव नहीं हैं
भारत के संविधान के कुल 22 पार्ट्स हैं जिसके 3rd पार्ट में मौलिक अधिकारों के बारे में बताया गया हैं आप मौलिक अधिकार कितने हैं? मौलिक अधिकार के प्रकार को नीचे पढ़ सकतें हैं
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार
- संवैधानिक उपचार का अधिकार
समानता का अधिकार ( Article 14 to 18 )
Article 14 – हर कोई मनुष्य क़ानूनी की नजरों में समान हैं
Article 15 – मनुष्य में जाति, धर्म, नस्ल, जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं होगा मतलब हर मनुष्य सार्वजानिक दूकान, मनोरंजन स्थल में प्रवेश करने और सार्वजानिक कुओ, स्नान घाटों, सड़कों का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं
Article 16 – हर मनुष्य के लिए गवर्मेंट जॉब को पाने का अवसर समान रूप से मिलेगा परन्तु पिछड़े वर्ग के लोगो को स्पेशल प्रोटेक्शन दिया जाएगा
Article 17 – हमारा संविधान घोषित करता है कि अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया है और किसी भी रूप में इसका अभ्यास अपराध माना जाएगा
Article 18 – हमारे संविधान ने राय बहादुर और खान बहादुर जैसी उपाधियों को ख़त्म कर दिया है
स्वतंत्रता का अधिकार ( Article 19 to 22 )
Article 19 – भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, हथियारों के बिना शांति से इकट्ठा करने की स्वतंत्रता, फॉर्म एसोसिएशन के लिए स्वतंत्रता, स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने का अधिकार, भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता, किसी भी पेशेवर व्यवसाय का अभ्यास करने का अधिकार
Article 20 – किसी मनुष्य को अपराध करने से पहले रोकने के लिए उस मनुष्य को निवारक हिरासत ( Preventive Detention ) में लिया जा सकता हैं परन्तु न्यायलय से आर्डर लिए बिना मनुष्य को 3 महीने से अधिक
हिरासत में नहीं रखा जा सकता हैं मनुष्य को यह जानने का पूरा अधिकार होता हैं कि उसे हिरासत में कब तक और क्यों रखा जाएगा वह मनुष्य अपनी हिरासत के खिलाफ अभ्यावेदन करने का अधिकार रखता हैं
Article 21 – देश में 6 से 14 साल की उम्र के बच्चो को फ्री शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार हैं यह नियम देश में वर्ष 2010, 1 अप्रैल को लागू किया गया इसमें मेंशन उम्र के बच्चो की शिक्षा का खर्चा केंद्र और राज्य द्वारा रखने को कहा गया
इसमें निजी और अल्पसंख्यक स्कूल में सोसाइटी के कमजोर वर्ग के लिए 25% सीटें दी जायेंगी
Article 22 – इसमें हर मनुष्य को सार्वजानिक प्रधिकारणों, सरकारी ऑफिस, या सरकार से कोई भी इनफार्मेशन प्राप्त करने का पूरा अधिकार हैं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2005 में इस अधिकार को दिया गया था
शोषण के विरुद्ध अधिकार ( Article 23 to 24 )
Article 23 – इस आर्टिकल में जो मनुष्य से जबरजस्ती ( उसकी इच्छा के बिना ) काम करवाया जाता हैं जो लोग मनुष्य की तरस्करी ( स्त्री और पुरुष को समान की तरह बेचने ) करतें हैं उसके ऊपर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं
Article 24 – फैक्ट्री में बच्चो के द्वारा काम करवाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार ( Article 25 to 28 )
Article 25 – इसमें मनुष्य को स्वतंत्र रूप से धर्म का प्रचार करने का अधिकार मिला हैं
Article 26 – मनुष्य को धार्मिक मामलों को मैनेज करने के लिए पुरी स्वतंत्रता हैं
Article 27 – किसी विशेष प्रकार के धर्म के लोगो से कोई विशेष कर नहीं लिया जाएगा
Article 28 – किसी संस्थान में किसी विशेष धार्मिक निर्देश को नहीं दिया जाएगा
सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार ( Article 29 to 30 )
Article 29 – मनुष्य को भाषा, संस्कृति, को बचाए रखने का अधिकार हैं
Article 30 – मनुष्य को धर्म से सम्बंधित शिक्षण संस्था खोलने का पूरा अधिकार हैं
संवैधानिक उपचार का अधिकार ( Article 32 )
Article 32 – मनुष्य को यह अधिकार होता है कि वह मौलिक अधिकार का उल्लंघन होने पर डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट जा सकता हैं सुप्रीम कोर्ट जाने पर मनुष्य के पास कुछ अधिकार होतें हैं जिनके बारे में नीचे बताया है
Habeas Corpus ( बन्दी प्रत्यक्षीकरण ) – कोई ऐसा मनुष्य जिसको जबरजस्ती गिरफ्तार कर लिया गया हो या बंदी बना लिया हो तो ऐसी स्थिति में उस मनुष्य को रिहा करने ( बेल ) देने का अधिकार मिल सकता हैं
Mandamus ( परमादेश ) – निचले कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आदेश दिया जाता है काम न करने का कारण पूछ लेती हैं
Writ of Prohibition ( प्रतिषेध ) – अगर निचले कोर्ट ने किसी केस में कोई ऐसा आदेश जारी कर दिया हैजिसको जारी करने का अधिकार उसको नहीं हैं तो ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट मना कर सकती हैं
Writ Of Certiorari ( उत्प्रेषण ) – इसमें निचले कोर्ट को यह आदेश जारी किया जाता हैं कि जो उनके पास पेंडिंग केस हैं उनको वह सुप्रीम कोर्ट ट्रान्सफर करें
Quo- Warranto ( अधिकार पृच्छा ) – किसी गवर्मेंट अधिकारी से यह पूछना कि वह किस कारण से अपना कोई आदेश दे रहा हैं और वह किस कारण इस पोस्ट पर बैठा हैं जिसके बाद उसकी जांच की जाती हैं
मौलिक कर्तव्य क्या हैं? ( Meaning Of Duty in Hindi )
राज्य में रहने वाले लोग जो काम देश के लिए करतें हैं वह हमारे मौलिक कर्तव्य होते हैं क्योकि देश के नागरिक होने के कारण हमारा कर्तव्य होता हैं कि हम उसका पालन करें भारत के सविधान को वर्ष 1950 में लागू करने के दौरान,
उसमें मौलिक कर्तव्यों पर चर्चा नहीं की गई थी लेकिन मौलिक कर्तव्यों को वर्ष 1976 में इंद्रा गाँधी के द्वारा रूस के सविधान से लिया गया था जिसके बाद इसे 42वें संशोधन के द्वारा भाग 4 में धारा 51A में जोड़ दिया गया था
भारत के मौलिक कर्तव्य क्या है?
मौलिक कर्तव्य कितने है? एग्जाम में ऐसे सवाल पूछ लिए जातें हैं यह कर्तव्य हमें यह बताते हैं कि देश के प्रति हमारा कर्तव्य क्या है? मौलिक कर्तव्यों का पालन करना देश के नागरिक होने के कारण हमारा कर्तव्य होता हैं
भारत के मौलिक कर्तव्यों में कुल 11 अधिकार हैं जिनके बारे में सरल भाषा में नीचे बताया गया हैं
- हमें अपने संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए और संविधान की आज्ञा का पालन करना चाहिए
- हमे उन महान आदर्शों का पालन करना चाहिए जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित किया
- हमे आवश्यकता पड़ने पर देश की रक्षा करना और अपने देश और सरकार के साथ खड़ा होना
- हमे राज्य में सभी लोगो के साथ भाईचारे के साथ रहना चाहिए और महिलाओं के प्रति जो अपमानजनक प्रथा हैं उनको त्याग देना चाहिए
- हमे सभी संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए
- हमे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना और उसकी रक्षा करनी चाहिए
- हमें वनों, झीलों, नदियाँ और वन्य जीवनसहित राष्ट्रीय पर्यावरण की रक्षा, सुधार और उसके प्रति दया भाव रखनी चाहिए
- हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण में जांच एवं सुधार की भावना का विकास करके उसके डेवलपमेंट में अपना योगदान रखना चाहिए
- हमें हिंसा को छोड़कर सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करनी चाहिए
- हमे देश को आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान देना चाहिए
- देश में सभी माता-पिता ( अभिभावक ) को 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे को मुफ्त में शिक्षा के अवसर प्रदान करने चाहिए
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निष्कर्ष
हर देश के नागरिको को उनके मौलिक अधिकार मिलना बहुत जरुरी होता हैं यह मौलिक अधिकार मनुष्य के जीवन को सरल बनाने का काम करते हैं भारत में हर नागरिक के पास उसके मौलिक अधिकार हैं
जिनका उलंघन होने पर मनुष्य सीधा सुप्रीम कोर्ट जा सकता हैं भारत में नागरिकों के लिए कुछ मौलिक कर्तव्य भी हैं जिनका पालन करना देश के नागरिक होने के कारण सभी लोगो का कर्तव्य होता हैं
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लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें