Bhartiya Rajnitik Vyavastha: – राजनीतिक व्यवस्था क्या है? किसी देश ( राज्य ) में कानून व्यवस्था को बनाये रखने और मूल्यों का आधिकारिक आवंटन करने के लिए उस राज्य में राजनीतिक व्यवस्था होना बहुत जरुरी होता है
क्योकि राजनीतिक व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था हैं जो किसी राज्य में राजनीति के माध्यम से, राज्य मे व्यवस्था को बनाये रखने का कार्य करती है राज्य में नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने में राजनीतिक व्यवस्था विशेष रूप से सहायक होती हैं
एग्जाम में उत्तर लिखने के लिए कभी कभी राजनीतिक व्यवस्था से सम्बंधित प्रश्न को पूछ लिया जाता हैं हाँ, बीए प्रथम वर्ष में भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की विशेषताएं? जैसे उत्तर नहीं आयेंगे क्योकि यह अगले वर्ष का पाठ्यक्रम है
परन्तु राजनीति क्या है? राजनीतिक व्यवस्था क्या है? राजनीतिक व्यवस्था के प्रकार? इस तरह के प्रश्न एग्जाम में आपसे पूछे जा सकते है चलिए अब हम राजनीतिक व्यवस्था किसे कहते हैं? समझ लेते हैं
नोट – डेविड ईस्टन ऐसे पहले राजनीतिक विचारक हैं जिन्होंने सबसे पहले राजनीतिक व्यवस्था शब्द को चिन्हित करके व्यापक रूप दिया हैं
राजनीतिक व्यवस्था क्या है? भारतीय राजनीतिक व्यवस्था है?
राजनीतिक व्यवस्था दो शब्दों ( राजनीतिक + व्यवस्था ) से मिलकर बना हैं राजनीतिक का मतलब “ऐसे सभी क्रियाएं जिसमे शक्ति, प्रभाव और सत्ता का प्रयोग किया गया हो, उसको हम राजनीतिक कहते हैं, राजनीतिक निर्णय समस्त समाज पर लागू होते हैं
अरस्तु ( यूनानी विचारक ) के मुताबिक़ राजनीतिक संघ अति प्रभुसत्ता संघ होता हैं क्योकि अरस्तु का यह मानना है कि राजनीतिक संघ के पास सर्वोच्च होती है जो राजनीतिक संघ को अन्य संघों से भिन्न करती है
मैक्स वेबर – का मानना है कि जब किसी संघ के आदेशों का पालन, एक निश्चित स्थान ( क्षेत्र ) पर प्रशासनिक स्टाफ के द्वारा शारीरिक शक्ति के डर और प्रयोग के द्वारा करवाया जाता हैं उसको हम राजनीतिक संघ कह सकते हैं
- संविधान क्या है? संविधान और संविधानवाद में अंतर?
- संसदीय प्रणाली क्या है? राष्ट्रपति शासन क्या है?
- सामाजिक नीति क्या है? विशेषताएँ, निर्माण, कार्य?
- लोकतंत्र क्या है? लोकतंत्र का महत्व, परिभाषा, विशेषताएं?
व्यवस्था का अर्थ अंत:क्रियाओं का समुच्य होता हैं व्यवस्था में व्यापकता, अन्योन्याश्रय, सीमाएं, वैध बाध्यकारी शक्ति का गुण पाया जाता हैं मतलब जिस व्यवस्था में शक्ति, प्रभाव और सत्ता का प्रयोग किया गया हो, उसको हम राजनीतिक व्यवस्था कहते है
डेविड ईस्टन के अनुसार किसी समाज में अंतरक्रियाओं की ऐसी व्यवस्था को राजनीतिक व्यवस्था कहा जाता हैं जिससे उस समाज में मूल्यों का आधिकारिक आवंटन किया जाता हैं
डहल – का मानना है कि राजनीतिक व्यवस्था, शक्ति, नियन एंव सत्ता हैं मतलब राजनीतिक व्यवस्था में शक्ति का प्रयोग, नियमों का पालन और सत्ता का प्रयोग अवश्य होता हैं
मैक्स वेबर – का मानना है कि राजनीतिक व्यवस्था, भौतिक अवपीडक बल हैं
आमड और पावेल – का मानना है कि राजनीतिक व्यवस्था, वैधानिक एंव भौतिक सत्ता का प्रयोग हैं
सरल शब्दों में कहा जा सकता हैं कि किसी समाज में संसाधनों का स्वतंत्र और निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक रूप से स्थापित विभिन्न संस्थाओं का समूह राजनीतिक व्यवस्था कहलाता है
किसी राज्य में राजनीतिक व्यवस्था क्यों जरुरी हैं?
दुनिया भर में विभिन्न सरकार और राज्य अपने राज्य के लोगो के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मामलों का प्रबंधन राजनीतिक व्यवस्था के द्वारा करती हैं क्योकि ऐसा करके राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखा जाता हैं
किसी राज्य ( देश ) में कानून और व्यवस्था के बिना, संघर्ष उभरने की संभावनाएं होती हैं जिसके कारण, उस राज्य में किसी भी सरकार के लिए प्रभावी ढंग से कार्य ( शासन ) करना बहुत मुश्किल हो जाएगा
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इसीलिए राज्य में राजनीतिक व्यवस्था होने के कारण राज्य में सभी मनुष्य सुरक्षित रहते हैं और राज्य को आंतरिक और बाहरी खतरों से सुरक्षा मिलती है उदहारण के लिए, पुलिस व्यवस्था का उपयोग कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता हैं
राजनीतिक व्यवस्था की विशेषताएं? राजनीतिक आधुनीकृत व्यवस्था की विशेषताएं बताइए
- राजनीतिक व्यवस्था, राज्य के पास एक ब्लात शक्ति होती हैं जिसका उपयोग करके वह राज्य में कानून का निर्माण करती हैं और इसका प्रयोग करके राज्य अपने अधिकार क्षेत्र में, सभी मनुष्यों से अपनी इच्छा का पालन करवाता हैं
- राजनीतिक व्यवस्था बहुत अधिक विशाल ( व्यापक ) होती हैं क्योकि इसमें राज्य के लिए कार्य करने वाले समूहों ( न्यायपालिका, विधानमंडल, कार्यपालिका, सरकारी संस्थाएं ) को ही नहीं, बल्कि उन औपचारिक – अनौपचारिक संगठन को भी लिया जाता हैं
जिनके द्वारा राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित किया जा सकता हैं उदहारण के लिए, दबाब समूह, हित समूह, राजनीतिक दल, धार्मिक संगठन, प्रदर्शन, सांस्कृतिक संगठन |
- क्योकि राजनीतिक व्यवस्था में अनेक उप-प्रणालियाँ होती हैं यह एक दुसरे पर निर्भर होती हैं जिसके कारण, एक प्रणाली में परिवर्तन होने से, दुसरी प्रणाली मे परिवर्तन आना एक स्वभाविक बात होती हैं
- राजनीतिक व्यवस्था में स्थिति और समय के अनुसार ढलने की क्षमता का गुण होता हैं उदहारण के लिए भारत में अगर किसी कारण राष्टपति हट जाता हैं तो ऐसी स्थिति में सम्पूर्ण कार्य मौजूदा सरकार करती हैं
- हर तरह के समाज में राजनीतिक व्यवस्था होती है क्योकि प्रत्येक समाज के लिए राजनीतिक व्यवस्था का होना जरुरी होता हैं क्योकि राजनीतिक व्यवस्था कानून व्यवस्था को लागु करती हैं जिसके कारण राज्य में सभी मनुष्य सुरक्षित रहते हैं
राजनीतिक व्यवस्था का कार्य, राज्य को आंतरिक और बाहरी खतरों से बचाना भी होता हैं परन्तु हर समाज या राज्य में राजनीतिक व्यवस्था का स्वरूप अलग – अलग हो सकता हैं
- राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक संरचना अनेक प्रकार के कार्य करती हैं उदहारण के लिए, कार्यपालिका का कार्य केवल कानून बनाना ( निर्माण ) करना ही नहीं, बल्कि न्यायिक कार्य और कार्यपालिका पर नियंत्रण करना भी होता हैं
राबर्ट ए डाहल – के अनुसार राजनीतिक व्यवस्था की विशेषताएँ
- राजनीतिक व्यवस्था में कुछ मनुष्यों में राजनीतिक शक्ति पाने की लालसा ( इच्छा ) अधिक होती हैं ऐसे मनुष्य राजनीतिक शक्ति को पाकर अपने और अपने साथियों के हितों की रक्षा करके राज्य का विकास करते हैं
- राजनीतिक व्यवस्था में, राजनीतिक साधनों पर असमान नियंत्रण होता हैं क्योकि राजनीतिक साधन जिन मनुष्यों के पास अधिक होते हैं उनके पास राजनीतिक प्रभाव अधिक होता हैं
परन्तु जिन मनुष्यों के पास कम, राजनीतिक साधन होते हैं उनके पास राजनीतिक प्रभाव भी कम होता हैं
- कोई भी सरकार अपनी शक्तियों का प्रयोग, किये गए कार्यों को सही कहकर या जनता की भलाई के लिए कहकर करती हैं जिसके कारण राज्य में जनता उनकी बातों का पालन करती हैं
- राजनीतिक व्यवस्था में राजनेता अपनी बातों को सही सिद्ध करने के लिए किसी विचारधारा का निर्माण करते है क्योकि इस आधार पर प्रयोग की गई शक्ति में औचित्य का गुण अधिक होता हैं इसीलिए ऐसा शासन एक अच्छा शासन होता हैं
राज्य में ऐसे शासन के उचित होंने के कारण, जनता के द्वारा यह शासन अधिक स्वीकार किया जाता हैं
राजनीतिक व्यवस्था के प्रकार ( Types Of Political System )
- Monarchy ( राजतंत्र )
- Dictatorship ( तानाशाही )
- Oligarchy ( कुलीनतंत्र )
- अधिनायकवाद ( Authoritarianim ) और सर्वसत्तावाद ( Totalitarianism )
- शिष्टजन ( Aristocracy )
- साम्यवाद ( Communism )
- प्रजातंत्र ( Democracy )
Monarchy ( राजतंत्र )
राज्य में एक ऐसा परिवार होता हैं जिसके पास सत्ता होती हैं यह एक पीढी तक शासन करता हैं इस राजनीतिक व्यवस्था में परिवार को जो शक्ति प्राप्त हैं वह उसका पारंपरिक अधिकार होता हैं
इस राजतंत्र सिस्टम में उस परिवार को राज्य की जनता सामान देती है जिसके पास सत्ता का पारंपरिक अधिकार होता हैं क्योकि उनकी प्रजा उन्हें इस प्रकार का अधिकार प्रदान करती हैं
परन्तु, राज्य में अन्य राजाओं ने मनमानी शक्ति और यहाँ तक कि आतंक के माध्यम से सम्मान सुनिश्चित किया है मतलब राजतंत्र सिस्टम एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था होती हैं जहां राजा बहुत शक्तिशाली होता हैं और सरकार उसे विरासत में मिलती हैं
उदहारण के लिए, सऊदी अरब और जॉर्डन |
यह दो प्रकार के होते हैं
- निरंकुश राजतंत्र ( Absolute Monarchies )
- संवैधानिक राजतंत्र ( Constitutional Monarchies )
निरंकुश राजतंत्र ( Absolute Monarchies )
जहाँ शाही परिवार शासन करने के दैवीय अधिकार ( Divine Right ) का दावा करता हैं मतलब उनको भगवान् ( God ) ने शासन करने का अधिकार दिया हैं ऐसी स्थिति में यहाँ राजा की शक्ति अचिह्नित होती हैं और अपने राज्य पर काफी शक्ति का प्रयोग करता हैं
मतलब उस राजा के निर्णय पर कोई भी मनुष्य प्रश्न नहीं कर सकता हैं क्योकि उस राजा को यह शक्ति ( शासन करने की शक्ति ) भगवान् ( God ) से मिली हैं ऐसे राज्य में जनता यह मानकर चलती है कि राजा ( किंग ) कभी गलत नहीं कर सकता हैं
उदहारण के लिए, मिस्र ( प्राचीनकाल में ), इंग्लैंड ( मध्यकाल में ), चीन ( मध्यकाल में ) |
संवैधानिक राजतंत्र ( Constitutional Monarchies )
इस सिस्टम में शाही परिवार शासन के अधिकार को सिमित कर दिया गया इन राजतंत्रों में शाही परिवार एक प्रतीकात्मक और औपचारिक भूमिका निभाता हैं और वास्तविक शक्ति, यदि कोई हो, तो बहुत कम प्राप्त करता हैं
उदहारण के लिए, डेनमार्क, ग्रेट ब्रिटेन, नॉर्वे, स्पेन और स्वीडन |
Dictatorship ( तानाशाही )
राज्य में एक शासन व्यक्ति होता है जिसका राज्य, संस्थाओं और सम्पूर्ण समाज पर पूर्ण नियंत्रण होता हैं ऐसे राज्य में मानवाधिकार और स्वतंत्रता की कभी उम्मीद नहीं होती है
तानाशाही को कठोर चुनावों के माध्यम से और सरकारों को उखाड़ फैककर राज्य की शक्तियाँ प्राप्त की जाती हैं इनमें राज्य के राजनीतिक मामलों में नागरिकों की भागीदारी की अनुमति नहीं होती हैं
देश ( राज्य ) की मीडिया, तानाशाही सरकार के मुख्यपत्र के रूप में कार्य करती हैं मतलब जो इनफार्मेशन तानाशाही सरकार राज्य में लोगो तक पहुंचाना चाहती है वह इनफार्मेशन, मीडिया के द्वारा राज्य में फैलाई जाती हैं
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता हैं कि तानाशाही में एक व्यक्ति को अनियंत्रित शक्ति दी जाती हैं जिसका उपयोग करके वह सम्पूर्ण राज्य को चलाता है तानाशाहों के उदहारण, एडॉल्फ़ हिटलर, जोसेफ स्टालिन, नेपोलियन और किम जोंग-उन ( नार्थ कोरिया ) |
Oligarchy ( कुलीनतंत्र )
एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था जिसमे सम्पूर्ण सरकार लोगो के एक छोटे समूह ( अभिजात वर्ग ) के द्वारा शासित और संचालित होती हैं कुलीनतंत्र कहलाती हैं इसमें लोगो का यह समूह एक विशेष वर्ग से सम्बंधित होता हैं
कुलीन वर्ग अपने धन को बनाए रखने और उसकी सुरक्षा करने पर ध्यान कैन्द्रित करता है कुछ शासक अधिकतर भ्रष्ट होते है और नागरिकों द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त पदों पर निर्वाचित नहीं होते हैं
उदहारण के लिए, स्पार्टा शहर |-
एक राजशाही ( राजतंत्र ) के विपरीत कुछ कुलीनतंत्र के सदस्य आवश्यक रूप से कुलीन वंश से जुड़े अपने दर्ज को प्राप्त नहीं करते है मतलब कुलीनतंत्र में उस विशेष वर्ग को शासक पारंपारिक अधिकार के कारण प्राप्त नहीं होता हैं जो राज्य में शासक करता हैं
बल्कि सैन्य शक्ति, आर्थिक शक्ति या इसी तरह की परिस्थितियों के माध्यम से यह सत्ता के पदों को प्राप्त करते है
कुछ राजनीतिक विश्लेषको का कहना है कि सभी लोकतंत्र वास्तव में केवल निर्वाचित कुलीनतंत्र है या ऐसी प्रणालियाँ हैं जिनमे नागरिकों को एक ऐसे व्यक्ति को वोट देना चाहिए जो समाज के कुलीन शासक वर्ग से आने वाले उम्मीदवारों के समूह का हिस्सा हैं
अधिनायकवाद ( Authoritarianim ) और सर्वसत्तावाद ( Totalitarianism )
एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह सत्ता पर कब्जा रखता है मतलब जनता की यहाँ कोई भागीदारी नहीं होती हैं अथार्थ यह सिस्टम शासन में लोकप्रिय भागीदारी को प्रतिबंधित या निषिद्ध करता है और असहमति को दबाता है
इस सिस्टम को गैर-लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था कहा जाता हैं क्योकि यहाँ किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा शासित शासक ( राजा ), राज्य में आबादी ( जनता ) द्वारा स्वतंत्र रूप से नहीं चुना जाता है
कहा जा सकता है कि इस सिस्टम में सरकारों को कोई वैध अधिकार प्राप्त नहीं होता हैं इसके बजाय उनकी शक्ति भय और दमन पर टिकी हुई होती हैं
परन्तु सर्वसत्तावाद राजनीतिक प्रणाली से तात्पर्य उस राजनीतिक प्रणाली से है जिसमें अधिनायकवाद की सभी विशेषताएं शामिल हैं, लेकिन सर्वसत्तावाद राजनीतिक प्रणाली अधिक दमनकारी हैं
क्योंकि वे नागरिकों के जीवन और भाग्य के सभी पहलुओं को विनियमित और नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं
शिष्टजन ( Aristocracy )
ऐसी राजनीतिक व्यवस्था जहाँ अधिक पैसे वाले लोग ( धनि जमींदार ) सरकार और राज्य सत्ता पर नियंत्रण रखते हैं इस व्यवस्था में शासको को उनकी बौद्धिक क्षमता के कारण ही शासन करने के लिए सबसे अच्छा और सबसे योग्य माना जाता हैं
अधिकांश अभिजात वर्ग एक पीढी से दुसरी पीढी को हस्तांतरित होती हैं उदहारण के लिए, यूनाइटेड किंगडम ( राजा हेनरी तृतीय के अधीन ), फ्रांस ( मध्य युग के दौरान एक अभिजात वर्ग ) |
साम्यवाद ( Communism )
साम्यवादी सरकार एक वर्गहीन समाज के विचारों से प्रेरित होती है, जहाँ हर नागरिक की बुनियादी ज़रूरतें होती हैं और उत्पादन के साधनों को साझा किया जाता है। पूरी अर्थव्यवस्था और राज्य के संसाधनों को शासक वर्ग द्वारा वितरित और नियंत्रित किया जाता है
उदहारण, क्यूबा ने फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में साम्यवाद का अभ्यास किया। सोवियत संघ भी साम्यवाद की विचारधारा के अनुसार चलाया गया था।
प्रजातंत्र ( Democracy ) भारतीय राजनीतिक व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
इस आधुनिक युग में यह एक पोपुलर राजनीतिक व्यवस्था हैं क्योकि इस व्यवस्था में सरकार स्वतंत्र एंव निष्पक्ष चुनाव से बनती हैं और नागरिकों को प्रमुख सरकारी निर्णयों में भाग लेने की अनुमति हैं
इस सिस्टम में मानवाधिकारों और उनकी स्वतंत्रताओं की रक्षा की जाती हैं और उनका सम्मान किया जाता है, प्रजातंत्र को लोकतंत्र भी कहा जाता हैं लोकतांत्रिक समाजों में, नागरिकों को चुनाव में भाग लेने और सरकार बदलने का अधिकार होता है,
जब उन्हें लगता है कि उनकी चिंताओं का उचित प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है। क्योकि प्रजातंत्र का मतलब है “लोगो का शासन’
उदहारण, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, फ्रांस और जर्मनी |
प्रजातंत्र को दो भागो में विभाजित किया जा सकता हैं
- डायरेक्ट प्रजातंत्र
- इनडायरेक्ट प्रजातंत्र
डायरेक्ट प्रजातंत्र – इसमें राज्य की जनता डायरेक्ट निर्णय निर्माण में भाग लेती हैं और राज्य के नियमों को बनाने में अपनी भूमिका निभाते हैं
इनडायरेक्ट प्रजातंत्र – इसमें राज्य की जनता इनडायरेक्ट निर्णय निर्माण में भाग लेती हैं मतलब जब किसी राज्य में जनसंख्या अधिक बढ़ जाती है तो ऐसी स्थिति में निर्णय निर्माण में जनता का डायरेक्ट भाग लेना मुश्किल हो जाता हैं
ऐसी स्थिति में इनडायरेक्ट प्रजातंत्र सिस्टम को अपनाया जाता हैं जिसमे जनता के द्वारा अपना एक प्रतिनिधि चुन लिया जाता हैं
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निष्कर्ष
यह लेख मुख्य रूप से विश्व में राजनीतिक व्यवस्था को अच्छे से समझने के लिए लिखा गया हैं परन्तु कुमाऊँ यूनिवर्सिटी सहित अन्य सभी यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान पढने वाले विषयों के स्टूडेंट्स के लिए यह लेख महत्वपूर्ण हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें