Nagrik Samaj Kya Hai: – नागरिक समाज क्या है? नागरिको के कल्याण के लिए नागरिक समाज ( सिविल समाज ) का निर्माण होता हैं सिविल सोसाइटी के विषय पर ग्रेजुएशन के दौरान राजनीतिक विज्ञान पढने वाले स्टूडेंट्स को पढ़ना होता हैं
क्योकि बीए प्रथम वर्ष के दौरान यह पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम होता हैं नागरिक समाज का महत्व और नागरिक समाज की भूमिका को समझकर सिविल समाज को समझा जा सकता हैं
क्योकि समाज में नागरिको के कल्याण के लिए सरकार और जनता के बीच में रहकर नागरिक समाज काम करता हैं जिससे सार्वजानिक स्तर पर उत्तपन समस्याओ का समाधान करने में मदद मिलती हैं
चलिए अब हम यह समझ लेते हैं कि नागरिक समाज क्या है?
नागरिक समाज क्या हैं? ( नागरिक समाज का महत्व और नागरिक समाज की भूमिका ) – Civil Society in Hindi?
सिविल समाज, समाज का वह तीसरा क्षेत्र हैं जो अपनी इच्छा से, अपने स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि जनता के कल्याण के लिए, जनता और सरकार के बीच काम करता हैं नागरिक समाज, लोगो के विश्वाश और आपसी सहयोग का प्रतीक होता हैं
इसीलिए जनता के आपसी विश्वास से सिविल सोसाइटी का निर्माण होता हैं इसमें परिवार को छोड़कर अन्य सभी ऐसी संस्था शामिल होती हैं जो जनता के हितों और सुरक्षा के उद्देश्य से बनाई जाती हैं
जरुरत के कारण नागरिक समाज का उदय होता हैं यही कारण है कि इसे नेचुरल समाज भी कहा जाता हैं
नागरिक समाज के शामिल संगठन
- गैर सरकारी संगठन
- युवा संगठन
- समुदाय आधारित संगठन
- छात्र संगठन
- स्वदेशी लोगो के संगठन
- महिला संगठन
- मजदूर संगठन
- किसान संगठन
- पर्यावरण संगठन
- धार्मिक संगठन
- व्यवसायिक संगठन
नागरिक समाज का विकास ( नागरिक समाज की अवधारणा )
हम सब जानतें है कि नागरिक समाज का विकास दुसरे विश्व युद्ध के बाद तेजी से होना शुरू हो गया क्योकि साम्यवादी देशो में शक्तियों का उपयोग राज्य के द्वारा किया जाता था जिसके कारण नागरिक समाज को कार्यों में भाग लेने का अवसर नहीं मिलता था
परन्तु उस दौरान लोकतांत्रिक राज्यों में व्यक्तियों के संगठन समाज में अपनी भागीदारी को सुनिश्चित करते हैं इसीलिए, साम्यवादी देशो में जनता के अंदर असंतोष बढ़ता चला गया जिसके कारण सोवियत संध 16 देशो में बट गया
प्राचीन यूनानीकाल के दौरान सुकरात ने कहा कि द्वंद्वात्मक मेथड के माध्यम से जिस समाज में विचार – विमर्श की छुट मिलती हैं और न्याय पर अधिक ध्यान दिया जाता हैं वह समाज “आदर्श समाज” होता है
उसके बाद, अरस्तु का कहना है कि जिस समाज के अंदर रहने वाले मनुष्य में यूडोमोनिया का लक्षण मिलें अथार्थ वह अच्छा इंसान हो तो वह एक आदर्श समाज होता हैं
प्रचीनकाल के दौरान सबसे पहले नागरिक समाज शब्द का उपयोग सिसरो ने किया और कहा कि – राज्य और नागरिक समाज दोनों एक दुसरे से अलग हैं इन्होने कहा कि राज्य के निर्माण में समाज के हर वर्ग की भूमिका शामिल होती हैं
अब आधुनिक काल के दौरान उदारवाद से नागरिक समाज की शुरुआत हुई जिसमें जॉन लॉक ने अपना सिद्धांत देते हुए कहा
जॉन लॉक कहा कि नागरिको से मिलकर समाज बना हैं और समाज से मिलकर राज्य बना हैं इसीलिए नागरिक समाज और राज्य एक ही अर्थ हैं पहले के समय में हम प्राकृतिक अवस्था में थे जिसमे उपस्थित कुछ कमियों को दूर करने के लिए,
हमने एक समाजिक समझौता किया जिसके परिणाम स्वरूप सिविल सोसाइटी का निर्माण हुआ जो समाज में नागरिको के प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करने का काम करेगी प्राकृतिक अधिकारों में जीवन, स्वतंत्रता और संपति शामिल हैं
यह नागरिक समाज सीमित राज्य का समर्थन करते हुए, निरंकुश राज्य का विरोध करती हैं क्योकि निरंकुश राज्य लोगो के प्राकृतिक अधिकारों को छीनता हैं ( ऐसा इसीलिए कहा गया क्योकि पहले के समय में राज्य के राजा नागरिको को मार दिया करते थे )
रूसो ने कहा कि राज्य में लोगो ने समझौता किया जिससे प्राकृतिक असमानता को नागरिक समानता में बदला जा सकें जिसके बाद सभी मनुष्य नागरिक के रूप में समान हो गए फिर, लोग अपने समान्य इच्छा के लिए सार्वजानिक गतिविधियाँ करने लगें
थॉमस पेन का कहना था कि नागरिक समाज और राज्य दोनों अलग-अलग हैं राज्य एक अनिवार्य बुराई हैं क्योकि सुरक्षा के लिए इसको बनाये रखना बहुत जरुरी होता हैं परन्तु नागरिक समाज ( सिविल समाज ) एक अच्छाई हैं
जब राज्य अपने नागरिको के लिए अच्छे से काम नहीं करता हैं अथार्थ राज्य अपने अधिकारक्षेत्र से बाहर आ जाता हैं तब नागरिको की रक्षा के लिए सिविल सोसाइटी सामने आती हैं
एडम स्मिथ – ने नागरिक समाज में संपति, व्यक्तिवाद और बाजार को अधिक महत्त्व देकर, राज्य की शक्तियों की सीमा को निर्धारित किया हैं
डेविड ह्यूम – नागरिक समाज “समाजिक जीवन” का वह क्षेत्र होता हैं जिसमे सांस्कृतिक क्रियाकलाप, पारिवारिक दुनिया, राजनीतिक वादविवाद और आर्थिक गतिविधियां हैं जो राज्य के सीधे नियंत्रण से बाहर होती हैं यह सभी ऐच्छिक और निजी संगठन के अंदर आते हैं
हेगेल – ने कहा कि नागरिक समाज और राज्य अलग हैं क्योकि राज्य नैतिक और आध्यात्मिक का परिणाम हैं वह कभी गलत नहीं हो सकता हैं यह कहतें है कि राज्य को भगवान् ने बनाया हैं न कि मनुष्य ने राज्य को बनाया हैं
परन्तु, जॉन लॉक, रूसो, हॉब्स का कहना है कि लोगो ने सोशल कॉन्ट्रैक्ट के द्वारा राज्य को बनाया हैं
हेगेल – हेगेल के अनुसार, राज्य और राजनीतिक समाज ( पॉलिटिकल सोसाइटी ) दोनों अलग हैं और यह व्यावहारिक तर्कबुद्धि के रूप में देखा जा सकता है क्योकि राज्य एक नैतिक सता हैं राज्य के ऊपर कोई नहीं हैं और राज्य किसी की बात को फॉलो नहीं करेगा,
राज्य को कोई सीखा नहीं सकता हैं क्योकि राज्य सबसे ऊपर हैं
दुनिया में तीन राजनीतिक तत्व हैं जिनसे होकर एक मनुष्य गुजरता हैं जिसको द्वंद्वात्मक संबंध कहा जाता हैं
- परिवार – मनुष्य के जन्म पर नेचर उसको एक परिवार में भेजती हैं
- नागरिक समाज – मनुष्य जन्म लेने के बाद एक सोसाइटी बनाता हैं जिसको नागरिक समाज कहा गया हैं
- राज्य – राज्य में आने के बाद मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त करता हैं
नागरिक समाज – एक ऐसा समाज जहाँ मनुष्य लोगो के साथ मिलकर काम करता हैं इस स्थिति में मनुष्य स्वार्थ के आधार पर काम करता हैं उदहारण के लिए, कोई मनुष्य जब लोगो की जरुरत को देखता हैं
तब वह अपने स्वार्थ के लिए काम करता हैं क्योकि वह लोगो की जरुरत को पूरा करके उससे पैसा कमाना चाहता हैं
हेगेल – ने अपनी बुक Philosophy Of Rights ( 1821 ) में, कहा कि मनुष्य को मनुष्य के नाते ही एक व्यक्ति माना जाता हैं इसीलिए नहीं कि वह एक ईसाई, हिंदी, मुस्लिम हैं क्योकि मनुष्य एक राज्य में रहता है जिसके कारण,
मनुष्य एक सार्वजानिक व्यवस्था में रहता हैं इसीलिए, सभी लोग आपस में एक दुसरे के साथ जुड़े हुए होते हैं जिससे एक समाज बनाता हैं और समाज से राज्य का निर्माण होता हैं
कार्ल मार्क्स – हेगेल की आलोचना करते हुए मार्क्स का कहना है कि सिविल सोसाइटी एक आर्थिक क्षेत्र हैं जिसमें दो विरोधी वर्ग आपस में उत्पादनों के साधनों के ऊपर स्वामित्व स्थापित करने के लिए संघर्ष करते हैं
अंतोनियो ग्राम्शी ( Antonio Gramsci ) – का कहना है कि बुर्जुआ समाज दो भागो में बट जाता हैं आधार और अधिसंरचनाएँ
आधार – आर्थिक प्रणाली
अधिसंरचनाएँ – ग्राम्शी ने अधिसंरचनाएँ को दो भागो में बाट दिया जिसमें सिविल समाज और राजनीतिक समाज शामिल हैं
सिविल समाज – परिवार, शिक्षण संस्थायें, धार्मिक संस्थायें, साहित्य, कला, संस्कृति यह सभी सिविल समाज की अधिसंरचनाएँ हैं यह निजी अधिसंरचनाएँ होती हैं इनको ग्राम्शी ने वैधता मूलक अधिसंरचनाएँ समझा हैं
राजनीतिक समाज – राज्य, सेना, पुलिस, न्यायालय यह सभी राजनीतिक समाज में शामिल होती हैं यह सार्वजानिक अधिसंरचनाएँ होती हैं इनको ग्राम्शी ने बल मूलक अधिसंरचनाएँ समझा हैं
ग्राम्शी कहते हैं कि बुर्जुआ समाज में जो पूंजीपति लोग होते हैं वह परिवार, शिक्षण संस्थायें, धार्मिक संस्थायें, साहित्य, कला, संस्कृति के माध्यम से गरीबो और मजदूरो के दिमाग पर कब्जा कर लेते है जिसके कारण,.
यह निजी संस्थाएं पूंजीवादी राज्य के लिए गरीबो के मन में वैधता स्थापित कर देती हैं जिसके बाद गरीब लोग क्रांति नहीं करतें हैं
लेकिन राजनीतिक समाज में राज्य केवल तभी काम करता है जब लोगो के दिमाग पर कब्जा करने के बाद भी वह क्रांति ( विद्रोह ) करते हैं जिसमे सेना, पुलिस, न्यायालय सामने आकर बल का प्रयोग करता हैं
नागरिक समाज की विशेषताएं
सिविल सोसाइटी की अनेक विशेषताएँ हैं जिनके बारे में हमने नीचे बताया हैं –
- सरकार और जनता के बीच काम करने वाली संस्था हैं
- इनका फोकस कर्तव्यपालन और बंधुता पर अधिक होता हैं
- नागरिक समाज अपनी इच्छा से काम करता है उदहारण के लिए, NGO
- यह समाज राज्य में स्थित राजनीतिक शक्ति को नियमित करके लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बना देता हैं
- सिविटी सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति की समस्या का समाधान करना होता हैं
- ऐसा समाज लोगो के अंदर राजनीतिक व्यवस्था को समझने और उसमे भाग लेने के लिए उत्त्साह पैदा करता हैं
- नागरिक समाज सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाने का काम करतें हैं
- यह समाज, राज्य के सामने समाज में चल रहे विवादों या मतभेदों के समाधान के लिए उपाय बताता हैं
- नागरिक समाज, राज्य से कोई डिमांड ( रिक्वेस्ट ) करते हैं समस्या का समाधान प्रस्तुत करते हैं और सार्वजानिक कल्याण के लिए काम करते हैं
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निष्कर्ष
यह लेख सिविल समाज ( नागरिक समाज ) के अर्थ, नागरिक समाज क्या है उसके विकास, विशेषता और नागरिक समाज के लिए राजनीतिक थिंकर्स के विचार के बारे में बताता हैं
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लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें
bhai apne yeh topic kitne acche se explain kiyaa hain. hame college me bhi aise nahi batate hain thank you bhai
मैं पोलिटिकल साइंस का हर एक विषय इसी तरह सिर्फ एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर समझाता हूँ यह ब्लॉग आपके लिए बहुत लाभकारी हैं मैं चाहता हूँ कि आप अपनी पढाई में इसका उपयोग करें