Unitary Method in Hindi: – एकात्मक और संघात्मक शासन व्यवस्था? हर राज्य ( देश ) में एक शासन व्यवस्था होती हैं जिसको सरकार के द्वारा बनाये रखा जाता हैं कुछ देशो में केवल एक लेवल पर सरकार होती हैं जिसको हम केन्द्रीय सरकार कहतें है
वहां एकात्मक शासन व्यवस्था होती हैं परन्तु जिन देशो में एक से अधिक मतलब दो या तीन लेवल पर सरकार देश के शासन व्यवस्था को बनाये रखने के लिए काम करती हैं वहां संघात्मक शासन व्यवस्था होती हैं
बहुत सारे स्टूडेंट्स को यह नहीं पता होगा कि भारत में संघात्मक और एकात्मक शासन में से कौन सा शासन हैं भारत में संघीय शासन व्यवस्था हैं इसीलिए हम Indian Federalism, Federal System in India, Indian Federal System,
जैसे शब्दों को सुनते हैं क्योकि भारत में राज्य और केंद्र सरकार मिलकर देश के शासन को चलातें हैं परन्तु राज्य सरकार की तुलना में केंद्र सरकार के पास अधिक पॉवर होती हैं परन्तु दोनों सरकार अपने अपने एरिया में काम करने के लिए स्वतंत्र होती हैं
ऐसा इसीलिए होता है क्योकि राज्य और केंद्र सरकार दोनों को पॉवर भारत देश के संविधान से मिलती हैं कुछ लोगो का यह सवाल थोड़ा बहुत क्लियर हो गया होगा कि भारतीय संघीय व्यवस्था क्या है?
सरकार किसे कहते हैं? ( Goverment Kise Kahte Hai? )
किसी राज्य ( देश ) में रहने वाले लोगो के द्वारा चुना गया ऐसा समूह जो उस राज्य के अंदर लोगो के ऊपर शासन करके अपना काम करता है उसको सरकार कहा जाता हैं
दुनिया में स्थित सभी देशो का अपना – अपना बॉर्डर हैं जिसके अंदर उस देश की सरकार द्वारा शासन किया जाता हैं
केन्द्रीय सरकार ( Central Government ) – वह सरकार जो किसी पुरे राज्य ( देश ) को चलाने का काम करती हैं उसके हम केन्द्रीय सरकार कहते हैं जिसमे समस्याओ का समाधान करना प्रधानमंत्री के हाथो में होता हैं क्योकि यह देश ( राज्य ) का मुख्या हैं
राज्य सरकार ( State Government ) – वह सरकार जो पुरे देश ( राज्य ) के केवल एक राज्य ( यूनिट ) को चलाने का काम करती हैं उसको हम राज्य सरकार कहतें हैं
यहाँ समस्या का समाधान उस राज्य ( यूनिट ) का मुख्यमंत्री करता हैं क्योकि वह उस राज्य ( यूनिट ) का मुख्या होता है
एकात्मक शासन व्यवस्था क्या है? एकात्मक और संघात्मक शासन व्यवस्था? ( Unitary Method Meaning )
जब किसी देश ( राज्य ) में संविधान के द्वारा सभी शक्तियां केवल एक सरकार ( केन्द्रीय सरकार ) के हाथ में दी जाती है जिससे वह पुरे राज्य ( देश ) में सरकार शासन व्यवस्था को व्यवस्थित कर पायें इसमें राज्य के सभी यूनिट को केन्द्रीय सरकार के द्वारा चलाया जाता है
ऐसी व्यवस्था को हम एकात्मक शासन व्यवस्था ( Unitary System ) कहते हैं
उदहारण के लिए ( Unitary Method Example ), फ़्रांस, चीन, ब्रिटेन, बेल्जियम
सी. एफ. स्ट्रांग ( C.F Strong ) – ने कहा कि एकात्मक शासन में केन्द्रीय सरकार सर्वोच्च ( सबसे ऊपर ) होती हैं और पूरा शासन केन्द्रीय सरकार के अधीन संगठित होता हैं और उसके अंदर जो क्षेत्रीय प्रशासन काम करतें हैं उसकी शक्तियां उनको केद्र सरकार से मिलती हैं
फाइनर ( Finer ) – ने कहा कि एकात्मक शासन वह शासन हैं जिसमे सत्ता ( अथॉरिटी ), शक्ति केंद्र के पास होती हैं जिसकी इच्छा सम्पूर्ण क्षेत्र पर लागू होती है
गार्नर ( Garner ) – ने कहा कि एकात्मक शासन, शासन का वह रूप होता हैं जिसमें संविधान के द्वारा सम्पूर्ण पॉवर केंद्र सरकार को दी जाती हैं और केंद्र एंव स्थानीय सरकार के बीच संवैधानिक शक्ति का विभाजन नहीं होता हैं केंद्र सरकार से ही, स्थानीय सरकार को शक्ति प्राप्त होती हैं
डायसी ( Diacy ) – ने कहा कि एकात्मक शासन में कानून बनाने की सभी शक्तियां केंद्र सरकार के हाथों में निवास करती हैं
विलोबी ( Willoughby ) – एकात्मक शासन में शासन के सभी अधिकार मौलिक रूप से केंद्र सरकार के पास होतें हैं और केंद्र सरकार अपनी इच्छा के अनुसार शक्तियों का विभाजन इकाइयों में करती हैं
एकात्मक शासन की विशेषताएं? ( एकात्मक शासन की विशेषताएँ? )
- शासन की पुरी पॉवर केवल केंद्र सरकार के हाथों में होती हैं इसीलिए सभी काम केंद्र सरकार करेगी
- इसमें नागरिको के पास सिंगल नागरिकता होती हैं जो केंद्र सरकार से मिलती हैं
- एकात्मक शासन व्यवस्था वाले राज्य ( देश ) में केवल एक संविधान होता हैं यहाँ यूनिट ( राज्य ) का कोई संविधान नहीं होता हैं
एकात्मक शासन के गुण बताएं
- पुरे राज्य ( देश ) में एक शासन होने के कारण उसमे एकरूपता होती हैं मतलब हर राज्य ( यूनिट ) में बने कानून को केद्र सरकार के द्वारा बनता जाएगा जो एक जैसा होगा ऐसा इसीलिए होता है क्योकि यहाँ केंद्र सरकार शक्ति संपन्न होती हैं
- ऐसा शासन देश ( राज्य ) में राष्ट्रीय एकता को बढाता हैं क्योकि इस शासन में एकरूपता होती हैं जिसके कारण यहाँ लोग कोई विदोह ( संघर्ष ) नहीं करतें हैं और देश में राष्ट्रीय एकता बढ़ती हैं
- इस तरह के शासन को संकटकाल में अच्छा शासन माना जाता हैं क्योकि ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार तुरंत निर्णय लेकर उसको लागू कर देती हैं
- जिस देश में यह शासन व्यवस्था होती हैं वहां पैसा बचता है मतलब फिजूल खर्चा नहीं होता हैं क्योकि वहां केवल एक सरकार “केंद्र सरकार” हैं इसीलिए वहा केवल एक सरकार के लिए खर्चा होगा
- यह एकात्मक शासन छोटे राज्य ( देशो ) के लिए उपयोगी होता हैं क्योकि उस छोटे देश में ऐसा होने से सभी कानून अच्छे से बन पायेंगे
- ऐसे शासन व्यवस्था में राज्य ( देश ) के नीति सम्बंधित निर्णय को बहुत जल्द ले लिया जाता हैं क्योकि यहाँ केवल एक केंद्र सरकार होती हैं
- छोटे देशों में यह शासन व्यवस्था होने के कारण उसके आर्थिक विकास के लिए यह सबसे अच्छा होता हैं क्योकि जहाँ एक से अधिक लेवल पर सरकार काम करती हैं वहां काम करने में अधिक समय लगता हैं
- इस शासन व्यवस्था वाले राज्य ( देश ) इंटरनेशनल स्थिति पर जल्द अपनी बात को रख सकती हैं
एकात्मक शासन के दोष बताइए? ( एकात्मक शासन प्रणाली के तीन दोष लिखिए? ) एकात्मक शासन व्यवस्था के तीन दोष बताइए?
- जिस राज्य ( देश ) में एकात्मक शासन होता हैं उसके कार्य में कुशलता नहीं होती हैं क्योकि छोटे देश में रहने वाले लोगो अलग धर्म, जाति, भाषा, इंटरेस्ट वाले होते हैं और इन सभी लोगो की जरुरत को ध्यान में रहकर काम करना बहुत मुश्किल होता हैं
- ऐसी शासन व्यवस्था लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध होती हैं क्योकि लोकतंत्र का अर्थ यह होता है कि हर कोने में मनुष्य अपना शासन खुद चलायें परन्तु इस व्यवस्था में सरकार और जनता के बीच कोई डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रिलेशन नहीं होता हैं जिसके कारण वह जनता की राय नहीं ले पाती हैं और एक सरकार होने के कारण वह सम्पूर्ण काम खुद करती हैं
- देश में एकात्मक शासन होने के कारण यह डर रहता है कि वह सरकार तानाशाही न बन जाए क्योकि उस सरकार को पता होता है कि देश में मुझसे ऊपर कोई नहीं हैं इसीलिए वहां निरंकुशता की संभावना होती हैं
- जिन देशों में अलग अलग धर्म, जाति के लोग होतें हैं ऐसी कंट्री में यह एकात्मक शासन व्यवस्था फ़ैल हो जाता हैं क्योकि एक तरह की सरकार अलग अलग लोगो की जरुरत को कैसे समझेगी
- इस शासन प्रणाली में जो स्थानीय सरकार होती है वह काम करने के लिए पुरी तरह से स्वतंत्र नहीं होती हैं क्योकि उसको शक्ति केंद्र सरकार के द्वारा मिलती हैं और जिस सरकार को देश के संविधान से पॉवर मिलती हैं केवल वह सरकार स्वतंत्र होती हैं
- इस शासन व्यवस्था में जनता और सरकार के बीच संपर्क न होने के कारण जनता ऐसी सरकार का सबसे अधिक विरोध करती हैं जिसके कारण उस देश में क्रांति का डर बना रहता हैं
संघीय शासन व्यवस्था क्या है? ( संघीय व्यवस्था क्या है? ) – Federal Meaning in Hindi?
संघीय को इंग्लिश में Federal कहा जाता हैं Federal शब्द लैटिन भाषा के फीयडस से मिलकर बना हैं जिसका अर्थ समझौता करना होता हैं जब किसी देश ( राज्य ) में संविधान के द्वारा सभी शक्तियों को एक नहीं,
दो या तीन लेवल में बाट दिया जाए, जिससे सरकार देश ( राज्य ) में शासन व्यवस्था को अच्छे से व्यवस्थित कर सकें वह संघीय व्यवस्था ( Federal System ) या संघात्मक शासन व्यवस्था होती है
संघीय ( संघात्मक ) व्यवस्था दो प्रकार की होती हैं
एकीकरण ( Integration ) – जब किसी देश में सभी राज्य एक दुसरे के साथ से जुड़े हुए होतें हैं तो ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पॉवर देश के संविधान से मिली हैं परन्तु, देश के संविधान के भविष्य को देखते हुए,
राज्य सरकार की तुलना में केंद्र सरकार को अधिक पॉवर दी हैं जिससे वह राज्य सरकार, पुरे देश से कभी अलग न हो उसके हम एकीकरण संघीय शासन व्यवस्था कहते हैं
नोट – क्योकि यह सभी राज्य अपनी इच्छा से इस देश में शामिल हुए हैं, अब वह इससे अलग नहीं हो सकतें हैं
उदहारण के लिए, भारत में संघीय व्यवस्था
जब भारत ब्रिटिश का गुलाम था तब उस समय के दौरान भारत दो भागो में बटा था जिसके पहले भाग में ब्रिटिश का राज था वह ब्रिटिश इंडिया था और दुसरे भाग पर राजाओ, महाराजाओ का राज था
उस समय अग्रेजों का सभी राजा और महाराजा के साथ यह समझौता हो रहा था कि सभी राजा और महाराजा उनके अंडर में हैं इसके बाद जब भारत अंग्रेजों से आजाद हुआ तब पहला भाग ब्रिटिश इंडिया वाला भाग अंग्रेजों ने भारत को सौप दिया
परन्तु दुसरे भाग ( जिसमे कुल 565 क्षेत्र थे ) के लिए अंग्रेजों ने कहा आप भारत में शामिल हो जाओ, या पाकिस्तान में शामिल हो जाओ, या अपना एक अलग देश बना लो
इस दौरान दुसरे भाग के लोगो ने पाकिस्तान में शामिल होने को मना कर दिया और भारत में शामिल होने के अधिकतर लोग समर्थन में थे और कुछ इसके समर्थन में नहीं थें तब सरदार वल्लभभाई पटेल ने दुसरे भाग से कहा कि हमेशा से हम साथ रहतें हैं
भारत तुम्हारा हिस्सा है नहीं तुम भारत में शामिल रहो इसीलिए वहां कुल 565 क्षेत्र में से लगभग 560 क्षेत्र भारत में शामिल होने के समर्थन में थें परन्तु लगभग 5 क्षेत्र समर्थन में नहीं थे बाद में उनको भी मना लिया गया
उस समय उन सभी 565 क्षेत्र से विलय पत्र पर हस्ताक्षर करा लिये गए जिसके ऊपर यह मेंशन था कि यह सभी क्षेत्र भारतीय संघ का हिस्सा बन जायेंगी जिसके बाद यह भारत के राज्य ( यूनिट ) कहलायेंगे
इसीलिए भारतीय संविधान का आर्टिकल 1 यह कहता है कि भारत एक राज्यों का संघ ( समूह ) होगा इन सभी यूनिट में सरकार अपना शासन खुद चला पायेगी परन्तु, सभी यूनिट विलय पत्र ( समझौते ) से जुड़े होने के कारण भारत से अलग नहीं हो सकतें हैं
इसी कारण, भारत देश में राज्य सरकार की तुलना में केंद्र सरकार को अधिक पॉवरफुल बनाया जाता हैं यही कारण है कि कुछ मामलों में राज्य सरकार, केंद्र सरकार पर निर्भर होती हैं
पृथक्करण ( Disintegration ) – जब किसी देश में सभी राज्य एक दुसरे के साथ से जुड़े हुए होतें हैं तो ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पॉवर देश के संविधान से मिली हैं परन्तु, वहां केद्र सरकार से अधिक पॉवर राज्य सरकार के पास होती हैं
इसीलिए ऐसे देशो में राज्य, जब चाहता है तब वह उस देश से अलग हो सकता हैं ऐसी व्यवस्था को पृथक्करण संघीय व्यवस्था कहते हैं
उदहारण के लिए, अमेरिका
अमेरिका जब वर्ष 1776, 4 जुलाई को आजाद हुआ था तब उस समय अमेरिका के अंदर कुल 13 राज्य ( यूनिट ) थी लेकिन अमेरिका के आस पास जो छोटे छोटे स्टेट थे उन्होंने अमेरिका में शामिल होने के लिए समझौता किया
उसमे यह कहा गया कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों का संविधान अलग अलग होगा और राज्य सरकार, केंद्र सरकार की तुलना में अधिक पॉवरफुल होगी वह राज्य ( यूनिट ) जब चाहे अमेरिका से अलग हो सकती हैं
नोट – अमेरिका से राज्य इसीलिए अलग नहीं होते हैं क्योकि वह एक सुपरपॉवर हैं इसीलिए अमेरिका से अलग होने के बाद राज्य का कोई महत्त्व ( वैल्यू ) नहीं रहेगा
अमेरिका में इसी तरक्की को देखकर वर्तमान समय में अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं और उनमे 51 संविधान हैं और अमेरिका में डबल नागरिकता होती हैं राज्य की अलग और देश की अलग
गार्नर ( Garner ) – का कहना है कि संघात्मक शासन वह पद्दति हैं जिसमे सभी शासन शक्तियों को केद्र सरकार, उनके सभी राज्यों और क्षेत्रीय उपविभाग की सरकार के बीच में विभाजित कर दिया जाता हैं जिसको मिलाकर एक संघ का निर्माण होता हैं
फाइनर ( Finer ) – का कहना है कि संघात्मक शासन में शक्ति और सत्ता का एक भाग ईकाइयों में था एक भाग केन्द्रीय सरकार में बाट दिया जाता है केंद्र का निर्माण स्थानीय क्षेत्रों के द्वारा किया जाता हैं
के. जी. व्हीयर ( Veer ) – का कहना है कि संघात्मक शासन में केन्द्रीय और राज्य सरकार दोनों ही नागरिकों से सीधा संपर्क में रहती हैं और हर नागरिक दो सरकारों के शासन में रहता हैं
डेनियल जे. एलाजारा ( Daniel J. Elazara ) – का कहना है कि संघात्मक शासन ऐसी व्यवस्था प्रदान करता हैं जो अलग अलग राज्य व्यवस्थाओं को बाहर से घेरने वाली राजनीतिक पद्दति में इस प्रकार संगठित करती हैं जिनमे से हर एक अपनी अपनी मूल राजनीतिक अखण्डता को बनायें रखती हैं
कार्ल जे. फ्रीड्रिख ( Carl J. Friedrich ) – का कहना है कि संघवाद का अर्थ है, समूहों का यूनियन वह यूनियन राज्यों का हो सकता हैं अथवा राजनीतिक दलों, मजदुर सभाओं आदि समुदायों का |
कोरी एंव अब्राहा ( Cory and Abraham ) – का कहना है कि संघवाद सरकार का ऐसा दोहरापन है, जो विविधता के साथ एकता का समान्वय करने की दृष्टि से शक्तियों के प्रादेशिक और प्रकार्यात्मक विभाजन पर आधारित होता हैं
संघात्मक शासन की विशेषताएं ( संघीय शासन व्यवस्था की विशेषताएं लिखिए )
- जिन देशो में संघात्मक शासन होता है उन देशों में लिखित संविधान होना जरुरी होता हैं क्योकि लिखित संविधान को एक निश्चित समय में संविधान सभा के द्वारा बनाया जाता हैं उदहारण के लिए, भारत का संविधान निश्चित समय ( 2 साल, 11 महीने, 18 दिन ) में संविधान सभा के द्वारा बनाया गया था जिसके अध्यक्ष डॉक्टर राजेन्द्र प्रासाद थें
- जिन देशो में संघात्मक शासन होता है उनमें संविधान सर्वोच्च ( सबसे ऊपर ) होना चाहिए उदहारण के लिए, भारत में संविधान सर्वोच्च है परन्तु ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है इसीलिए ब्रिटेन में संधात्म्क शासन नहीं हैं
- संघात्मक व्यवस्था होने वाले देशो में दोहरा शासन व्यवस्था होना जरुरी होता है मतलब वहां एक से अधिक सरकार होनी चाहिए
- संघात्मक व्यवस्था होने वाले देशो में शक्तियों का विभाजन देश के संविधान के द्वारा कुछ इस तरह से किया जाता हैं जिससे केंद्र और राज्य सरकार को अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से काम करने का मौक़ा मिले
- जिस देश में संघात्मक व्यवस्था होती है वहां न्यायालय स्वतंत्र सर्वोच्च ( सबसे ऊपर ) होना चाहिए
- संघात्मक व्यवस्था वाले देशो में दोहरी नागरिकता और सिंगल नागरिकता दोनों हो सकती हैं उदहारण के लिए भारत में सिंगल नागरिकता हैं जिसमे भारत में रहने वाले नागरिक केवल भारत के नागरिक हैं और अमेरिका में दोहरी नागरिकता है जिसमे नागरिक ( मनुष्य ) राज्य और देश दोनों का नागरिक होता हैं
- संघात्मक व्यवस्था वाले देशो में दोहरी न्याय व्यवस्था भी हो सकती है क्योकि कुछ देशो में सुप्रीम कोर्ट होती हैं और कुछ देशो में संसद के द्वारा न्याय का काम किया जाता हैं
- जिन देशों में संघात्मक व्यवस्था होती है वहां संविधान में कठोरता होती हैं क्योकि उन देशो में संविधान को बदलने के लिए संसद के दो – तिहाई मेम्बर और कुल राज्यों में से आधे राज्यों की सहमति जरुरी होती हैं
- संघात्मक व्यवस्था वाले देशो में राज्य सरकार की सहमति के बिना, संविधान में संशोधन नहीं हो सकता हैं
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निष्कर्ष
संघात्मक व्यवस्था में एक से अधिक सरकार होने के कारण, सरकार तानाशाही नहीं करती हैं परन्तु एकात्मक व्यवस्था में एक सरकार होने के कारण सरकार के तानाशाही होने की संभावना अधिक होती हैं
लेकिन संघात्मक व्यवस्था वाले देशो में एकात्मक व्यवस्था वाले देशो की तुलना में कानून को बनाने में देर लगती हैं लेकिन संघात्मक व्यवस्था में कानून अच्छे से लागू हो पाता हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें