Adhikar Kya Hai: – अधिकार किसे कहते हैं? बीए में पढाई करने के दौरान हमें अधिकार को समझना होता है क्योकि ग्रेजुएशन के एग्जाम में कई बार स्टूडेंट से यह सवाल पूछ लिया जाता है कि अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार को परिभाषित करें?
उस स्थिति में आपको अपने एग्जाम में अधिकार का अर्थ, अधिकार का प्रकार सहित सभी इतिहासिक बातों को एग्जाम में लिखना होता है जिसमें अधिकार के लिए राजनीतिक थिंकर्स के विचार सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं
परन्तु स्टूडेंट्स के लिए इन्टरनेट पर यह टॉपिक समझना मुश्किल हो जाता है क्योकि वहां कठिन भाषा का उपयोग होता है लेकिन हमारे लेखक नितिन सोनी स्टूडेंट की सुविधा के लिए मुफ्त में सभी इनफार्मेशन इस एनएस न्यूज़ ब्लॉग मंच पर शेयर करते हैं
इन्टरनेट पर जब से हमारे लेखक ने राजनीतिक विज्ञान के टॉपिक्स को पकड़ा हैं तभी से वह बहुत सारे स्टूडेंट के लिए बहुत सरल बन गई हैं अब हम अधिकार क्या है? समझना शुरू करते है
अधिकार किसे कहते हैं? अधिकार क्या है? ( Adhikar Kise Kahate Hain? )
मनुष्य की ग्रोथ के लिए वह सभी अधिकार जिनके ऊपर मनुष्य अपना क्लेम करता है और सोसाइटी ऐसे अधिकारों को पहेचान देती है और स्टेट ( सरकार ) इसे अपना प्रोटेक्शन देकर सुरक्षित बनाती है
कानून और सरकार का अस्तित्व एक दुसरे के बिना असंभव है किसी मनुष्य को कानून और नेचर के द्वारा दिए गए सभी अधिकार, अधिकार की श्रेणी में आते है मतलब, अधिकार वह सभी काम होते है जिनको मनुष्य स्वतंत्रता से कर सकता है
उदहारण के लिए, स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार
- राज्य की उत्पत्ति के सिद्धांत, राज्य निर्माण महत्वपूर्ण चार तत्व?
- लोकतंत्र क्या है? लोकतंत्र का महत्व, परिभाषा, विशेषताएं?
- संविधान क्या है? संविधान और संविधानवाद में अंतर?
- संसदीय प्रणाली क्या है? राष्ट्रपति शासन क्या है?
- सामाजिक नीति क्या है? विशेषताएँ, निर्माण, कार्य?
नोट – अधिकार की परिभाषा अनेक नहीं है परन्तु प्राचीन काल में राजनीतिक थिंकर्स के द्वारा अधिकार के ऊपर जो विचार दिए गए वह उसको थिंकर्स के विचारो के अनुसार परिभाषित करते हैं
स्टूडेंट्स केवल परिभाषा के लिए ऊपर दी गई अधिकार की परिभाषा का उपयोग कर सकते हैं
अधिकार के लिए राजनीतिक थिंकर्स के विचार ( अधिकार का अर्थ एवं परिभाषा )
लास्की – “अधिकार समाजिक जीवन ( सोशल लाइफ ) की वे परिस्थितियां है जिनके बिना आमतौर पर कोई मनुष्य पूर्ण आत्म – विकास की आशा नहीं कर सकता है”
मतलब अधिकार मनुष्य के सोशल जीवन में एक ऐसी परिस्थिति है जिसके बिना मनुष्य अपना विकास का डेवलप नहीं कर सकता है
बोसाकें – “अधिकार का दावा ( क्लेम ) है जिसे समाज स्वीकार करता है और राज्य लागु करता है” अथार्थ अधिकार का मतलब वह क्लेम है जिसके ऊपर मनुष्य अपना दावा करता है और समाज उसको स्वीकार करके, सरकार ( राज्य ) उसको लागु करता है
ग्रीन – “अधिकार वह शक्ति है जिसकी मांग और मान्यता लोक-कल्याण के लिए होता है” मतलब अधिकार की मांग मनुष्य इसीलिए करता है जिससे वह अपना विकास कर सकें
बार्कर – “अधिकार न्याय की उस सामान्य व्यवस्था का परिणाम है जिस पर राज्य और उसके कानून आधारित है” मतलब अधिकार के ऊपर राज्य का कानून सिस्टम चल रहा होता है
- मताधिकार किसे कहते हैं? चुनावी प्रणालियाँ?
- मानव विकास क्या है? सम्पूर्ण सच्चाई?
- मौलिक अधिकार और कर्तव्य?
- राजनीति दर्शन पर एक डिटेल टिप्पणी लिखें?
- राजनीतिक दल किसे कहते हैं?
- राजनीतिक व्यवस्था क्या है? विशेषताएँ और प्रकार?
अधिकार का विकास कैसे हुआ? अधिकार कैसे उत्तपन हुआ
प्राचीन काल में सभी लोग एकसमान तरीके से रहते थे परन्तु, धरती पर जैसे जैसे पापुलेशन बढना शुरू हुई जिसके बाद, एक वर्ग ऐसा बनने लगा जिससे अन्य लोगो को डर लगना महसूस होने लगा,
उस डर के कारण मनुष्य ने अधिकार की डिमांड करना शुरू किया जिसके बाद राज्य के द्वारा लोगो को अधिकार दिए गए क्योकि लोगो ने अपनी सहमति देकर राज्य को बनाया था जिससे वह मनुष्य के अधिकारों को सुरक्षित रख सकें
जॉन लॉक कहते है कि अधिकार नेचुरल है मतलब प्राकृति ( भगवान् ) ने हमें दिए है जिसमें जीवन, स्वतंत्रता और संपति शामिल है
वर्ष 1215 में दुनिया का सबसे पहला कानून इंग्लैंड में बना था जिसका नाम मैग्ना काटा था जिसके बाद इंग्लैंड के किंग के द्वारा किये गए काम को संसद के अनुसार करने को कहा गया जिससे,
इंग्लैंड में तानाशाही खतम हो सके पुरी दुनिया में इंग्लैंड से कानून का उदय हुआ है इसीलिए इंग्लैंड को कानून को जननी कहा जाता है वर्ष 1628 में इंग्लैंड के द्वारा मन की भावनाओ को Petition के रूप में देने का अधिकार मिला
- उदारवादी लोकतंत्र का विकास, विशेषताएं?
- एकात्मक और संघात्मक शासन व्यवस्था?
- कानून क्या है? कानून के प्रकार, स्त्रोत, लक्षण?
- दबाव समूह क्या है? विशेषताएं, प्रकार, महत्त्व?
- प्रक्रियात्मक और विमर्शी लोकतंत्र क्या हैं?
वर्ष 1776 में 4 जुलाई को ब्रिटिन से अमेरिका आजाद हुआ जिसमें Thomas Jefferson के द्वारा यह कहा गया कि पुरी दुनिया में लोगो के पास स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए इसीलिए, अमेरिका ने आजाद होने के बाद, वर्ष 1789 में लोगो को मौलिक अधिकार दिए गए
वर्ष 1789 में फ्रेंच क्रांति हुई जिसमें समाज को तीन भागो में बाटा गया जिसमें पहले भाग में चर्च के फादर, दुसरे में अमीर लोग और तीसरे में आम व्यक्ति थे उस दौरान पहले और दुसरे भाग वाले लोगो से टैक्स नहीं लिया जाता था और,
आम मनुष्य ( गरीब ) लोगो से टैक्स लिया जाता था इससे आजादी के लिए लोगो ने फ्रेंच क्रांति करके अधिकारों की डिमांड की उसके बाद फ्रेंच क्रांति से तीन अधिकार निकले
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- बंधुत्व का अधिकार
जब 1945, 24 अक्टूबर को दुनिया में दूसरा वर्ल्ड वार ख़तम हुआ उसके बाद UNO बनाया गया जिसमें पुरी दुनिया के अंदर स्थित सभी लोगो को अधिकार मिलने की बात कही मतलब लोगो को मौलिक अधिकार मिलने चाहिए
इस दौरान वर्ष 1948, 10 दिसम्बर को में यूनिवर्सल डिक्लेरेशन किया गया इसीलिए पुरी दुनिया में 10 दिसम्बर को अधिकारदिवस बनाया जाता है इसके बाद पुरी दुनिया में अधिकार की डिमांड हुई
नोट – जब लोग ऐसी स्थिति में फस जाते है जब उनको लगता है कि इस स्थिति में मैं नहीं जी सकता है तब लोग अधिकार की मांग करते है
अधिकार का प्रकार? ( Adhikar Ke Prakar? )
नकारात्मक अधिकार – नकारात्मक अधिकार वह अधिकार होते है जिसमें राज्य दखल नहीं देती है इसीलिए, इसमें मनुष्य को अपनी इच्छा के अनुसार हर काम करने के लिए पुरी तरह से स्वतंत्र होता है
सकारात्मक अधिकार – सकारात्मक अधिकार वह अधिकार होते है जिसमें मनुष्य को अपनी इच्छा के अनुसार हर काम करने की पुरी स्वतंत्रता होती है परन्तु उसके द्वारा किये गये काम से किसी अन्य मनुष्य को परेशानी न हो
प्राकृतिक अधिकार का सिद्धांत
हॉब्स – प्राकृतिक अधिकार को सबसे पहले हॉब्स के द्वारा दिया गया था जिसमें हॉब्स ने कहा कि अधिकारों के मिलने से पहले स्टेट ( राजा ) नहीं था और एक मनुष्य को – दुसरे मनुष्य से डर महसूस होता था जिसके बाद,
लोगो ने आपस में समझौता करके राज्य को बनाया जिससे राज्य उनके प्राकृतिक अधिकारों को सुरक्षा दे सकें उसके बाद हॉब्स ने कहा कि राज्य में एक बार राजा बन जाने के बाद उसे हटाया नहीं जा सकता है क्योकि वह राजा लोगो की सहमति से बना है
प्राकृतिक अधिकार यह तीन अधिकार होते है
- जीवन – जीवन जीतने का अधिकार
- स्वतंत्रता – आजदी का अधिकार ( स्वतंत्रता का अधिकार )
- संपति – संपति का अर्थ प्रॉपर्टी से नहीं बल्कि मनुष्य के शरीर से हैं
जॉन लॉक – लॉक ने कहा कि प्राकृतिक अधिकार मिलने से पहले लोगो के पास अधिकार नहीं थे प्राचीनकाल में जब मनुष्य प्राकृतिक अवस्था में था तब मनुष्य शांति से रहते थे उनके बीच एक दुसरे को लेकर डर नहीं था
परन्तु, लोगो ने आपस में समझौता किया और कुछ लोगो को अपनी सहमति दी, उन लोगो ने मिलकर स्टेट बनाया इस दौरान लोगो के प्राकृतिक अधिकारों को सुरक्षा देने के लिए स्टेट को बनाया गया था
लेकिन अगर स्टेट ( राजा ) लोगो को उनके प्राकृतिक अधिकार देने में असमर्थ हो जाता है तो लोगो को ऐसे राजा को स्टेट से हटाकर किसी दुसरे मनुष्य को राजा बनाने का अधिकार होगा
नोट – इसीलिए, जॉन लॉक को उदारवादी का पिता कहा जाता है
महत्वपूर्ण प्रशन – लॉक के अधिकारों पर विचार = जॉन लॉक के अनुसार मनुष्य प्राकृतिक अवस्था में अपनी गतिविधियों ( इच्छा के अनुसार काम ) करने का अधिकार रखता है परन्तु, प्राकृतिक कानून सीमा के अंदर ही वह अपने काम को कर सकता था
क्योकि यह समानता की अवस्था होती है यहाँ सभी मनुष्यों के अधिकार क्षेत्र और शक्ति एकसमान होती है परन्तु वह अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी काम नहीं कर सकता है क्योकि वह सभी लोग प्राकृतिक कानून में बंधे हुए है
अधिकार का उपयोगितावादी सिद्धांत
जेरमी बैंथम – कहते है कि मनुष्य को अधिकतम ख़ुशी ( सुख ) देने के आधार पर सिद्धांतों का विकास हुआ है मतलब, अधिकार वह होगा जो मनुष्य को अधिकतम ख़ुशी दे सकें बैंथम ने इस सिद्धांत की आलोचना करते हुए कहा कि
कानूनों में जरुरी और प्रमाणिक सुधार के लिए पारपारिक विचारो का सहारा लेना चाहिए और सभी मनुष्य तक सुख, ख़ुशी और फायदा पहुँचना चाहिए जिससे लोगो को दुःख, बुराई या नाखुशी से दूर रखा जा सकें
जेरमी बैंथम की मान्यताएँ
- जेरमी बैंथम यह मानते हुए चलते है कि मनुष्य ख़ुशी – दुःख में अंतर का मूल्यांकन कर सकता है
- राज्य की हर नीति ( कानून ) को तय करने वाले लोग भी इस तरह से ख़ुशी – दुःख में अंतर का मूल्यांकन कर सकते है
- ख़ुशी – दुःख का मूल्यांकन मात्रात्मक होता हैं क्योकि यह मनुष्य के अंदर एक ऐसी चीज है जिसको मापकर एक संख्या ( Quantity ) में पेश कर सकते है मतलब ख़ुशी को मापा जा सकता है
- बैंथम का सिद्धांत यह मानते हुए चलता है कि हर मनुष्य को दुःख से दूर करने के लिए ख़ुशी से जोड़ना चाहिए
जेरमी बैंथम की आलोचना – जेरमी बैंथम की आलोचना इसीलिए होती है क्योकि उन्होंने ख़ुशी को मात्रात्मक बताया है परन्तु ख़ुशी को मापा नहीं जा सकता है
अधिकार के संबंध में जॉन रॉल्स के विचार
जॉन रॉल्स ने अपनी बुक A Theory Of Justice ( 1971 ) में अधिकारों के लिए अपने विचारों में कहा है कि सोसाइटी में हर मनुष्य को सबसे विस्तृत स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए और सोसाइटी में आर्थिक और समाजिक ( सोशल ) विषमताएं नहीं होनी चाहिए
महत्वपूर्ण प्रशन – ( तीन पीढी ) अधिकार का विकास
तीन पीढी के अंदर विकास को 18वी. सदी, 19वी. सदी, 20 वी. सदी, को रखा जाता है क्योकि इस समय के दौरान किन अधिकारों का विकास हुआ इसमें हम यह बताते है
18वी. सदी – जब लोगो ने नागरिक और राजनीतिक अधिकार की डिमांड की वह हमारा 18वी. सदी के अंदर था क्योकि इस समय दुनिया के ताकतवर देशो ने कमजोर देशो पर कब्जा करके उन्हें गुलाम बना रखा था इसीलिए इसमें नागरिक और राजनीतिक अधिकार,
क़ानूनी मादा पाने का अधिकार, समझौता करने, उन्हें लागु करने का अधिकार शामिल है
19वी. सदी – इस युग के दौरान अधिकतर कंपनी में कम्पटीशन होना शुरू हुआ जब ताकतवर देशो ने कमजोर देशो को अपना गुलाम बनाया जिससे उन्हें वहां से कच्चे माल मिल सकें इसीलिए इसमें आर्थिक कल्याणकारी अधिकरो की डिमांड हुई
जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और क़ानूनी अधिकार की सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी शामिल था
20 वी. सदी – इस दौरान लोगो को अपने कल्चर के प्रति अधिकार चाहिए थे क्योकि भूमंडलीकरण ( Globalization ) के आने के बाद दुसरे देशो का कल्चर हमारे देश में आने का खतरा था
जिससे हमारा कल्चर ख़तम हो जाता और हम विदेशी कल्चर को अपनाने लग जाते इसीलिए इस दौरान सांस्कृतिक सदस्यता के अधिकार, सांस्कृतिक भाषा और परम्पराओ की सुरक्षा का अधिकार की डिमांड हुई
ह्यूमन अधिकार किसे दिए जाते है?
मुझे, तुम्हे, देश के नागरिको, विदेशियों, क्रिमिनल्स, माइनर ग्रुप, कंपनी को अधिकार दिए जाते है इन सभी के पास अपने अपने अधिकार होते है मानव होने के नाते मनुष्य के अपने अधिकार है
अधिकार की विशेषता और प्राकृति क्या है? ( अधिकार की विशेषताएं? )
- समाज में रहने वाले लोगो के लिए अधिकार हैं
- एक मनुष्य के रूप में अधिकार को क्लेम किया जाता है
- अधिकारों को स्टेट के द्वारा स्वीकार और लागू किया जाता है
- अधिकारों के ऊपर भी प्रतिबंध होते है क्योकि कोई मनुष्य किसी अन्य मनुष्य को जान से मारने का अधिकार नहीं रखता है
- अधिकार सभी मनुष्यों के लिए समान होते है
- अधिकार मनुष्य को दिए है तो उनसे अधिक लिए भी है अथार्थ अगर हमारे पास अधिकार है तो हमारे कुछ कर्तव्य भी होते है
- अधिकार बदलते रहते है क्योकि अधिकारों की डिमांड बदलती रहती है
- अधिकार एक वस्तु है जिसकी सोसाइटी डिमांड करती है
अधिकार का प्रकार? अधिकारों के प्रकार कितने है? – ( Kinds Of Rights )
- Natural Rights ( प्राकृतिक अधिकार )
- Moral Rights ( नैतिक अधिकार )
Legal Rights ( क़ानूनी अधिकार )
लीगल अधिकार को मुख्य रूप से तीन भागो में बाटा गया है
- Civil Rights ( नागरिक अधिकार )
- Political Rights ( राजनीतिक अधिकार )
- Economic Rights ( आर्थिक अधिकार )
Civil Rights ( नागरिक अधिकार )
एक नागरिक होने के कारण हमें कुछ अधिकार मिले हुए है
- जीवन का अधिकार
- परिवार के अधिकार
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
- शिक्षा का अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- समानता का अधिकार
- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
- आंदोलन की स्वतंत्रता का अधिकार
- प्रेस के अधिकार
- न्याय सुरक्षित करने का अधिकार
- एसोसिएशन से अधिकार
- अनुबंध के अधिकार
- घरेलू मामलों में स्वतंत्रता का अधिकार
- सामाजिक सुरक्षा के अधिकार
Political Rights ( राजनीतिक अधिकार )
पॉलिटिक्स को लेकर मनुष्य को कुछ अधिकार दिए हुए है
- मत देने का अधिकार
- चुनाव लड़ने का अधिकार
- सार्वजनिक पद धारण करने का अधिकार
- राजनीतिक दलों और एसोसिएशन आदि से अधिकार
- याचिका का अधिकार
- सरकार की आलोचना करने का अधिकार
- अन्य देशों में सुरक्षा का अधिकार
- सूचना का अधिकार
Economic Rights ( आर्थिक अधिकार )
मनुष्य को कुछ आर्थिक अधिकार दिए है
- काम करने का अधिकार
- पर्याप्त वेतन का अधिकार
- संपत्ति का अधिकार
- आराम और फुरसत के अधिकार
- आर्थिक सुरक्षा का अधिकार
- काम के निश्चित घंटों का अधिकार
Fundamental Rights ( मौलिक अधिकार )
दुनिया के हर मनुष्य के पास मौलिक अधिकार हैं जिनको अमेरिका के द्वारा दुनिया के सभी देशो में फैलाया गया था साधारण शब्दों में हम कह सकते है कि यह सभी अधिकार दुनिया में स्थित हर देश के अंदर मनुष्य को मिले हुए है
मौलिक अधिकार का Voilance होने पर मनुष्य सीधा सुप्रीम कोर्ट जा सकता है परन्तु, अन्य अधिकारों में ऐसा नहीं होता है
- हमारे पास समानता का अधिकार है
- हमें स्वतंत्रता ( आजादी ) का अधिकार है
- हमारे पास शोषण के विरुद्ध अधिकार है
- हमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है
- हमारे पास सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार है
- हमें संवैधानिक उपचारों के अधिकार मिले है
अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक व्यवस्था
- संविधान में अधिकारों का समावेश मतलब अधिकार संविधान के द्वारा दिए गए है इसीलिए यह पुरी तरह से सुरक्षित है क्योकि संविधान हमें वह अधिकार देता है जिसको वह सुरक्षित रखता है और सभी मनुष्य उसका पालन करने का अधिकार रखते है
- संविधान में संशोधन करने की कठिन विधि मतलब क्योकि संविधान में कोई संशोधन करना बहुत कठिन है इसीलिए हम अपने अधिकारों को सुरक्षित रख सकते है
- संविधान उपचार का प्रावधान मतलब हमारे अधिकारों का Violence होने पर सुप्रीम कोर्ट जा सकते है
- स्वतंत्र न्यायपालिका
- अधिकारों के प्रति जागरूक नागरिक के विरुद्ध कानून बनाने का नहीं
- लोकतांत्रिक सरकार
- शक्तियों का पृथक्करण मजबूत विपक्षी दल ( देश में तानाशाही न आ सके और देश में विपक्षी दल भी हैं )
- स्वतंत्र और ईमानदार प्रेस ( मीडिया ईमानदार और आजाद है )
- सूचना का अधिकार
Read More Articles: –
- संप्रभुता का अर्थ, संप्रभुता क्या है?
- पॉलिटिकल साइंस क्या है?
- नागरिक समाज क्या है? विकास और विशेषताएं
- राष्ट्र क्या है? समाज, संगठन, सरकार
- न्याय क्या है सिद्धांत, अवधारणा
- राज्य का पालन क्यों? राजनीतिक दायित्व
- लिबर्टी क्या है? पूरा कांसेप्ट
- समानता का अधिकार सिद्धांत समझें
- राजनीतिक सिद्धांत क्या है? अर्थ, विशेषताएं
- राजनीति क्या है? राजनीति से आप क्या समझतें हैं?
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में अधिकार किसे कहते हैं? अधिकार का अर्थ, अधिकार का प्रकार, थिंकर्स के विचार और आलोचना के ऊपर मुख्य रूप से चर्चा किया गया हैं इसीलिए, यह उन स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी हैं जो अधिकार को समझना चाहते हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें