Dabav Samuh Kya Hai: – दबाव समूह क्या है? दबाब समूह हर देश में होता हैं क्योकि एक देश ( राज्य ) को हम तभी राज्य कह सकतें है जब उसके पास सरकार, जनसंख्या, भूमि भाग और संप्रभुता हो
दबाब समूह का निर्माण एक विचारधारा के लोगो का समूह बनाने से होता हैं इसीलिए जिस देश में जनसंख्या ( लोग ) होते हैं वहां दबाब समूह होते हैं स्टूडेंट्स ग्रेजुएशन परीक्षा में राजनीतिक विषय के अंदर यह टॉपिक पढ़ते हैं
क्योकि उस दौरान एग्जाम में कुछ ऐसे प्रशन पूछ लिये जाते हैं कि दबाव समूह से आप क्या समझते हैं?, दबाव समूह क्या है कुछ उदाहरण बताइए?,
किसी देश में दबाब समूह उस देश के नागरिकों का एक ऐसा समूह होता है जो उस देश की सरकार के द्वारा गलत नीति लागू करने का विरोध करके सरकार पर दबाब बनाने का काम करता हैं लेकिन दबाब समूह के सभी सदस्यों की विचारधारा एक होती है
क्योकि तभी वह सभी लोग एक दबाब समूह के सदस्य हो सकते हैं दबाब समूह को अच्छे से समझने के लिए दबाब समूह की परिभाषा देखें अब हम यह जान लेते है कि दबाव समूह का क्या अर्थ है?
दबाव समूह क्या है? दबाव समूह किसे कहते हैं? ( Dabav Samuh Kya Hai )
किसी देश में सरकार के द्वारा बनाई गई नीति का विरोध करने के लिए देश के नागरिकों द्वारा एक समूह बनाना, जो सरकार के द्वारा बनाई नीति को बदलने के विरोध में सरकार पर दबाब बनाता हैं वह दबाब समूह कहलाता हैं
परन्तु, नागरिको के द्वारा बनाये गए उस दबाब समूह में लोगो के विचार एक होने चाहिए दबाब समूह को NGO ( नॉन गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशन ) हिंदी में स्वयंसेवी समूह कहतें हैं जिनका काम,
गवर्मेंट की पुरानी नीति को बदलने की डिमांड और गलत नयी नीति की आलोचना करना होता हैं दबाब समूह समाज में बदलाव, आर्थिक बदलाव या संस्कृति बदलाव के लिए भी बनायें जाते हैं
उदहारण के लिए ( दबाव समूह के उदाहरण ), भारत में ब्रिटिश सरकार से आजादी ( स्वतंत्रता ) लेने के लिए सभी लोग एक साथ खड़े हो गए थे उन सभी लोगो का केवल एक उद्देश्य था भारत को आजाद करवाना
उस दौरान ब्रिटिश सरकार के द्वारा लागू होने वाली नीति में भारत के लोगो का हित नहीं था इसीलिए भारत के लोगो ने ग्रुप ( दबाब ग्रुप ) बनाकर ब्रिटिश सरकार के ऊपर दबाब बनाना शुरू किया
नोट – लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करने का अधिकार सभी लोगो को होता हैं क्योकि वहां बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार हमें मिलता हैं परन्तु हमारे बोलने से किसी मनुष्य को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए
दबाब समूह के फीचर
- दबाब समूह में सदस्य बनना हर मनुष्य की इच्छा के ऊपर निर्भर करता हैं
- दबाब समूह को सरकार से कोई मान्यता नहीं मिलती है इसीलिए यह गैर मान्यता प्राप्त होते हैं
- दबाब समूह कभी चुनाव में भाग नहीं लेते है क्योकि इनका काम केवल गवर्नमेंट से अपनी डिमांड को मनवाना होता हैं
- दबाब समूह अलग अलग तकनीकों का उपयोग करते हैं
दबाब समूह के तरीके ( तकनीक )
आंदोलन – चुनाव के दौरान यह चुनाव को प्रभावित करने के लिए आंदोलन करतें हैं
पक्ष – अधिक लोगो को अपने पक्ष में जोड़ना
प्रचार – नीति के ख़िलाफ़ प्रचार करना
लैटर लिखना – गवर्नमेंट को लैटर लिखना
पोस्टर – पोस्टर बनाकर
जनहित याचिका – ऐसी याचिका जारी करना जिसमे जनता का हित हो
मीडिया – मीडिया, न्यूज़चैनेल, न्यूज़पपेर का उपयोग करना
मेल – डायरेक्ट मेल का उपयोग करना
भारत में दबाब समूहों का वर्गीकरण? ( दबाव समूह के प्रकार ) – Pressure Groups in India.
भारत में मुख्य रूप से केवल चार प्रकार के दबाब समूह मिलते हैं
- व्यवसाहिक दबाब ( Profession Pressure Groups )
- समाजिक – संस्कृतिक समूह ( Socio-Cultural Pressure Groups )
- संस्थागत दबाब समूह ( Institutional Pressure Groups )
- तदर्थ दबाब समूह ( Pressure Groups Ad-hoc )
व्यवसाहिक दबाब ( Profession Pressure Groups ) – जिसके अंदर सभी व्यापारिक संगठन शामिल होतें हैं
उदहारण के लिए, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
समाजिक – संस्कृतिक समूह ( Socio-Cultural Pressure Groups ) – यह ग्रुप अपने धर्म और संस्कृति की आवाज को उठाने का काम करते है
उदहारण के लिए, जन सेवा संघ, राम कृषण मिशन, आर्य समाज, जमात-ईस्लामी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्वा हिन्दू परिषद
संस्थागत दबाब समूह ( Institutional Pressure Groups ) – यह ग्रुप एक संस्थागत रूप में होतें है
उदहारण के लिए, सिविल सर्विस एसोसिएशन, पुलिस वेलफेयर आर्गेनाइजेशन, रेड क्रॉस सोसाइटी, आर्मी ऑफिसर्स आर्गेनाइजेशन
तदर्थ दबाब समूह ( Pressure Groups Ad-hoc ) – ऐसे दबाब समूह जो किसी विशेष डिमांड को उठाने के लिए विशेष समय पर बनाये जातें है और डिमांड पुरी होने के बाद यह ख़तम हो जातें हैं
उदहारण के लिए, उड़ीसा रिलीफ आर्गेनाइजेशन, भूटान अनुयोजना, गुजरात रिलीफ एसोसिएशन
दबाब समूहों की भूमिका क्या हैं? ( जनमत की भूमिका क्या हैं? )
अमेरिकन शब्द लॉबी से दबाब समूह का अर्थ निकलता हैं क्योकि लॉबी का अर्थ होता है कि दबाब समूह के द्वारा किये गए कार्य |समाज में दबाब समूह बनना बहुत जरुरी होता हैं क्योकि यह जनता के द्वारा, जनता के लिए बनाया जाता हैं
परन्तु दबाब समूह बनाने वाले लोगो में एकता होनी चाहिए क्योकि दबाब समूह समय समय पर अपनी डिमांड सरकार से करते हैं जिससे वह अपनी डिमांड गवर्नमेंट से मनवा सकें ऐसा करके देश में अपने अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सकता हैं
वर्तमान समय इन्टरनेट और स्मार्टफ़ोन सभी मनुष्यों के पास उपलब्ध होता हैं ऐसे में लोकतांत्रिक संचार के कारण सरकार के ऊपर दबाब बनाना जरुरी हो गया हैं
उदहारण के लिए, अगर किसी लड़की के साथ कुछ गलत घटना ( रैप ) हो जाता हैं तो हम छोटी क्लिप या विडियो बनाकर, सोशल मीडिया पर अपलोड करके दोषी को कठिन सजा देने के लिए सरकार पर दबाब बनातें है एक तरह से गुजारिश करतें हैं
जनमत ( दबाब समूह ) देश में तनाहशाही को ख़तम करने का साधन बन चुका हैं
नागरिको के अंदर किसी विशेष विचार को लेकर जागरूकता फैलाने का एक अच्छा तरीका दबाब समूह हैं
जनमत क्या हैं? जनमत का अर्थ क्या हैं? ( हित समूह और दबाव समूह में अंतर? ) ( Public Opinion In Hindi ) ( लोकमत )
जनमत दो शब्द जन और मत से मिलकर बना हैं जिसमें जन का अर्थ जनता और मत का अर्थ विचार होता हैं जनता समाज का एक ऐसा समूह होता हैं जिसमे सभी लोगो के साथ एक सामान विचार में मिलकर लोग अपने विचार को रखते हैं
ऐसे समूह में सभी लोगो के विचार और जरुरत समान होतें हैं परन्तु, जनता में सभी लोग शामिल हो यह जरुरी नहीं हैं क्योकि किसी एक विशेष धर्म, जाति के लोग हो सकतें हैं जनमत का निर्माण हमारे घर, परिवार या आस पास के लोगो से होता है
उदहारण के लिए, भारत में आजादी से पहले सभी लोगो के विचार आजदी की डिमांड थी उन लोगो में सभी धर्म के लोग शामिल थें हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम सबके एक विचार ( आजाद भारत ) की डिमांड थें
ब्राइस – के अनुसार जनमत मनुष्यों के विभिन्न दृष्टिकोणों के उस समग्रता को कहते है, जो सार्वजानिक हित से सम्बंधित हो |
सोल्टाऊ – के अनुसार जनमत का प्रयोग उन इच्छाओं तथा विचारों के लिए किया जाता है, जो जनता अपने सामान्य जीवन के सम्बन्ध में रखती हैं
जेम्स यंग – के अनुसार जनमत एक आत्मचेतन समुदाय का सामाजिक निर्णय हैं जो सामान्य महत्त्व के विषय पर विचार पूर्वक सार्वजानिक विचार-विमर्श के बाद लिया जाता हैं
जनमत की विशेषताएँ ( दबाव समूह की विशेषताएं )
जनमत की भूमिका हर देश में महत्वपूर्ण होती हैं ऐसे में इसकी विशेषताओ के बारे में समझना जरुरी हैं
- जनमत समूह में एक बात सभी लोगो के द्वारा मानी जानी चाहिए मतलब समूह में आम सहमति होनी चाहिए
- समय और परिस्थितियों के अनुसार विचार बदलते रहतें हैं
- जनमत समूह केवल राजनीतिक रूप में या सरकार के सामने अपनी डिमांड रखने के लिए नहीं होता हैं यह समाज में बदलाव, आर्थिक बदलाव या संस्कृति बदलाव के लिए भी जनमत समूह बनाये जातें हैं
- जनमत समूह का तार्किक ( लॉजिक ) एवं सुविचारित दृष्टिकोण होना चाहिए
- नागरिको के विचार अलग अलग होतें है इसीलिए अलग अलग जनमत समूह के लोग अलग अलग विचार और डिमांड वाले हो सकतें हैं
- जनमत समूह का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं होता है क्योकि दुनिया के हर देश में सरकार हैं और वहां लोग रहतें हैं इसीलिए दुनिया के हर क्षेत्र में लोग सरकार के द्वारा बनायें कानून के विरोध में जनमत समूह बनातें हैं
- जनमत समूह लोकतांत्रिक संचार का साधन होता है जिसके कारण लोग मिलकर शांतिपूर्वक अपनी बात को रखकर सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए उसके ऊपर दबाब बना सकतें हैं
जनमत निर्माण के साधन
जनमत किसी एक निश्चित समय में बैठकर लिया गया निर्णय नहीं हैं यह एक सार्वजानिक विचारधारा है जो किसी सार्वजानिक विषय पर धीरे धीरे पनपता ( फैलता ) हैं, विचार विमर्श के आधार पर पुष्ट होता है और,
एक सामान्य हित के विचार के रूप में स्वीकार किया जाता है ऐसे जनमत के निर्माण में अनेक साधन और कारक सहायक होते है
- विचारों का आदान प्रदान
- प्रेस तथा समाचार पत्र
- रेडियो, टेलीविजन तथा सिनेमा
- मंच या सार्वजानिक भाषण
- शिक्षण संस्थाएं
- धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाएं
- राजनीतिक दल व दबाब समूह
- साहित्यकार लेखक व कवि
- संसद
विचारों का आदान प्रदान
जब किसी विषय पर विचार उत्पन्न होते है वह चर्चा के विषय बनते है इस विषय पर लोगो में परस्पर विचार विमर्श होता हैं इस प्रकार के विचारों के आदान प्रदान से उस विचार पर व्यक्ति अपने अपने विचार पक्ष और विपकक्ष पक्ष में व्यक्त करते हैं और,
धीरे धीरे किसी निश्चित सिद्धांत पर पहुँचते हैं विचारों के आदान प्रदान में सार्वजानिक वाद-विवाद होता हैं और इस वाद-विवाद पर तर्क-वितर्क होते हैं और एक विवेकपूर्ण निर्णय पर पहुँचने का प्रयास किया जाता है
प्रेस तथा समाचार पत्र
समाचार पत्र आज जनमत निर्माण का सबसे शसक्त माध्यम हैं समाचार पत्रों में देश-विदेश की समस्याओं का समाचार छपता हैं इसमें इन समस्याओं के सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार से जागरूक ( अवगत ) होते रहते हैं
इन विचारों के आधार पर समाज में किसी सार्वजानिक विषय या समस्या के सम्बन्ध में जनमत तैयार होता है
रेडियो, टेलीविजन तथा सिनेमा
रेडियो, टेलीविजन तथा सिनेमा जनमत निर्माण में उसी प्रकार सहायक हैं जिस प्रकार से प्रेस तथा समाचार पत्र, क्योकि समय समय पर रेडियो, टेलीविजन पर भी विद्वानों और राजनेताओं के विशिष्ट व्यक्तियों की वार्ता प्रकाशित होती है। और,
लोग उनके विचारों से अवगत होते हैं इन विषयों पर लोग स्वयं विचार करते हैं और इस प्रकार एक जनमत का निर्माण होता हैं
मंच या सार्वजानिक भाषण
वर्तमान लोकतंत्र में सार्वजानिक शभाओं में जन नेताओं के द्वारा भाषण देना सामान्य नहीं होता हैं वर्तमान में माइक के माध्यम से हजारों लोगो तक भाषण देकर नेता अपने विचारों से जनता को अवगत कराते हैं और,
भिन्न भिन्न समस्याओं पर विचार करने के लिए उन्हें प्रेरित करते हैं राजनेता जनता के बीच पहुंचकर सार्वजानिक शभाएँ करते हैं और अपने तथा दल की नीतियों से जनता को अवगत भी कराते हैं
शिक्षण संस्थाएं
यह शिक्षण संस्थाएं, जनमत निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण साधन है शिक्षण संस्थाएं, पढने के कार्य के लिए हैं परन्तु समय समय पर कुछ समस्याओं पर वाद-विवाद प्रतियोगिताएं होती हैं पढने के कार्य के बीच शिक्षक, स्टूडेंट्स को अपने विचार से अवगत कराते है
समय समय पर अनेक बाहरी विद्वान भी विद्यालयों में आते हैं और अपने विचार व्यक्त करते है
धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाएं
अनेक धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाएं समाज सुधार और धार्मिक प्रचार के लिए शभाएँ करती हैं और उनमे अपने विचारों को व्यक्त भी करती हैं यह धार्मिक सार्वजानिक शभाएँ केवल धार्मिक या सामाजिक विचारों तक सिमित नहीं रहती हैं
इन शभाओं में अनेक सार्वजानिक समस्याओं पर भी विचार व्यक्त किया जाता हैं और इस सम्बन्ध में लोग विद्वानों के विचारों से अवगत होते हैं और स्वयं अपने विचार निर्धारित करते हैं
राजनीतिक दल व दबाब समूह
लोकतांत्रिक प्रणाली में राजनीतिक दल महत्वपूर्ण राजनीतिक व्यवस्था के आधार हैं, राजनीतिक दल विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक विषयों पर अपने दल की निति निर्धारित करते हैं और उन्हें जनता तक पहुंचाते हैं
इसी पप्रकार दबाब समूह भी किसी ऐसे मुद्दे पर सरकार पर दबाब बनाने का कार्य करते है जिससे सार्वजानिक हित या कल्याण की प्राप्ति हो, इस प्रकार राजनीतिक दल व दबाब समूह भी जनमत निर्माण के प्रमुख साधन हैं
साहित्यकार लेखक व कवि
साहित्य भी जनमत निर्माण का प्रमुख साधन हैं लेखक, कवि, नाटककार, कहानीकार, अपनी अपनी विशिष्ट विधाओं के माध्यम से जनजागरण करते हैं एक कहावत है कि कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली होती हैं मतलब कार्य सिपाही,
सेना राष्ट नेता या धार्मिक गुरु नहीं कर सकते है वह लेखक या कवि साहित्य विधाओं के माध्यम से करने में सफल हो जाते हैं
संसद
वर्तमान समय में व्यवस्थापिका जनमत निर्माण में सहायक है व्यवस्थापिका के विभिन्न सभाओं में अनेक विषय पर बहस होती हैं और पस्पर विरोधी विचार व्यक्त किये जाते हैं यह विचार समाचार पत्रों में, रेडियों, टेलीविजनों पर प्रसारित होते हैं
जनता इन विचारों से अवगत होती हैं और अपने अपने विचार निर्धारित करती है इस प्रकार जनमत तैयार होता हैं
दबाब समूह का महत्त्व? ( दबाव समूह क्या है इसके महत्व )
- सरकार को गाइड करने में जनता का जनमत सहायक होता हैं
- जब लोग दबाब समूह बनाकर आन्दोलन करते हैं तब सरकार को यह पता चलता है कि जनता क्या चाहती हैं उसके बाद सरकार जनता के लिए कानून बनाने का काम करती हैं इसीलिए जनमत कानून बनाने में सहायक हैं
- सरकार के द्वारा बनाये कानून पर ध्यान रखकर, गलत कानून या नीति के विरोध के लिए जनता दबाब समूह बनाकर प्रहरी के रूप में काम कर सकती है मतलब सरकार पर वह कानून खतम करने के लिए दबाब बना सकती हैं
- दबाब समूह देश में अपने अधिकारों और स्वतंत्रता का रखा करते हैं
- दबाब समूह इंटरनेशनल स्तर पर प्रभावशाली शक्ति के रूप में काम करता हैं मतलब जब किसी एक देश का दबाब समूह किसी अन्य देश के मामलों पर मीडिया का ध्यान खीचने के लिए अपनी आवाज उठाकर प्रभावशाली शक्ति के रूप में काम करती हैं
मनुष्य के विचारों को उठाने के लिए अच्छे साधन
जब मनुष्य अपने विचारो को सरकार के सामने रखने पर विचार करता हैं तो ऐसी स्थिति में उसके लिए कुछ अच्छे साधन नीचे बताये हैं
प्रेस ( Press ) – मीडिया का उपयोग करना एक अच्छा विकल्प है जिसमे डिजिटल मीडिया, न्यूज़पेपर, प्रिंट मीडिया का उपयोग किया जा सकता हैं
Radio & Television ( रेडियो और टीवी ) – इसका उपयोग लोग बहुत हम करतें हैं परन्तु टीवी और रेडियो का उपयोग करके आप अपनी बात को आवाज के रूप में लोगो और सरकार तक पहुंचा सकते हैं
Cinema ( सिनेमा ) – मूवी अपने विचारो को प्रदर्शित करने का अच्छा साधन हैं जिसका उपयोग लोगो को अपने विचार बताकर जागरूक करने के लिए किया जा सकता हैं
Public Meetings ( जनसभा ) – पुराने समय में कुछ लोग मिलकर एक जगह बैठकर सभा में चर्चा करते थे ठीक उसी तरह, कुछ लोगो की सभा में अपने विचार शेयर करना एक अच्छा विकल्प हैं
Political Parties ( राजनीतिक दल ) – राजनीतिक दल अपने विचारों को प्रदर्शित करने और सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अच्छा साधन हैं
Political Socialisation ( राजनीतिक समीकरण ) – राजनीतिक दल लोगो को एजुकेशन देने का काम करते है जिससे लोगो के बीच जागरूकता होती हैं सरकार पर नजर रखने का काम विपक्ष दल और जनता करती हैं
Opinion Polls ( जनमत सर्वेक्षण ) – समय समय पर लोगो के विचारों ( राय ) को लेने के लिए सर्वे होता है जिन बातो को सरकार के सामने रखा जाता हैं यह एक अच्छा विकल्प हैं
Educational Institutions ( शिक्षण संस्थान ) – सभी शिक्षण संस्थान में ऐसे विषयों को पढ़ाया जाता हैं जिसमे लोग अपने विचारो को आगे रख सकें ऐसा करना युवाओ के विचारो को सुनने के लिए अच्छा मेथड हैं
स्वास्थ्य जनमत निर्माण में आने वाली बांधाएं
अच्छी तरह से लोगो के विचारो को बनाने में आने वाली कुछ रूकावट के बारे में नीचे बताया गया हैं
- समाज में उदासीन रवैया के लोग जो यह सोचते है कि राजनीति और देश से हमे कोई मतलब नहीं हैं इसके कारण अच्छे विचारों का निर्माण नहीं हो पाता हैं
लेकिन देश का युवा राजनीति से जितना अलग रहेगा राजनीति उतना कुछ अनपढ़ लोगो के हाथ की कटपुतली बनकर रह जायेगी
- जिन लोगो को राजनीति में क्या चल रहा है? यह समझ नहीं आती हैं और न वह लोग जानना पसंद करतें है जिसके कारण जनमत विचार के निर्माण में बांधा उत्पन्न होती हैं
- कुछ ऐसे लोग होतें हैं जो केवल अपने पेट के बारे में सोचतें है उनको पहले खाना चाहिए बस उनको राजनीति से कोई मतलब नहीं होता हैं जिसके कारण जनमत का निर्माण अच्छे से नहीं हो पाता हैं
- कुछ लोग जनता को केवल धर्म और जाति में उलझाकर रखना चाहतें हैं जिसके कारण देश के मुख्य मुद्दों पर जनता का ध्यान नहीं जाता है और जनमत का निर्माण नहीं हो पाता हैं
- जब स्वतंत्र प्रेस देश में नहीं होती हैं तो जनता के बीच जनमत का निर्माण अच्छे से नहीं हो पाता हैं
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निष्कर्ष
इस लेख में आपको जनमत और दबाब समूह के महत्त्व को समझाने के उद्देश्य से दबाव समूह क्या है?, विशेषताएं, प्रकार, भूमिका, उपयुक्त साधन और वह बांधाएं जो स्वस्थ जनमत निर्माण में आती हैं इन सभी के बारे में बताया हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें