व्यक्तित्व मापन की विधियां? Self Grooming Meaning in Hindi 2025 ( Best Guide )

व्यक्तित्व मापन की विधियां? ( Self Grooming Meaning in Hindi ) 2024

Vyaktitva Mapan Ki Vidhiyan: – व्यक्तित्व मापन की विधियां? जब मनोविज्ञान पढने के दौरान हम व्यक्तित्व को समझने का प्रयास करते हैं ऐसी स्थिति में कुछ व्यक्तित्व का आकलन करने की विधियां पढने को मिलती है

जिसके कारण शोधकर्ताओं या मनोवैज्ञानिकों के द्वारा किसी मनुष्य के व्यक्तित्व को मापा जा सकता हैं व्यक्तित्व विकास के लिए व्यक्तित्व का मनोवैज्ञानिकों के द्वारा मापन करना महत्वपूर्ण हो जाता हैं

कम्युनिकेशन स्किल के पेपर में व्यक्तित्व का विस्तृत अध्ययन करना पड़ता हैं जिसमे व्यक्तित्व मापन की विधियां भी शामिल हैं इसको अच्छे से समझने के लिए आपको यह लेख अच्छे से पूरा पढ़ना होगा

व्यक्तित्व मापन की विधियां? ( Self Grooming Meaning in Hindi ) 2024

व्यक्तित्व का आकलन ( Assessment of Personality )

रोजाना जीवन में व्यक्तित्व एक ऐसी चीज हैं जिसका हम हर दिन अनौपचारिक रूप से आकलन और वर्णन करते हैं मतलब जब हम अपने और दूसरों के बारे में बात करते हैं, तो हम अक्सर किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की विभिन्न विशेषताओं का उल्लेख करते हैं

यह अच्छाई-बुराई हो सकती हैं मतलब मनुष्य के व्यक्तित्व में अच्छे और बुरे गुणों की विशेषता हो सकती हैं लोगो को जानना, समझना और उनका वर्णन करना एक ऐसा कार्य हैं जो हर किसी व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदिगी में शामिल होता है

जब हम नए लोगो से मिलते है तो हम अक्सर उन्हें समझने की कोशिश करते हैं और उनके साथ बातचीत करने से पहले यह भी अनुमान लगाते हैं कि वे क्या कर सकते हैं? अपने निजी जीवन में, हम अपने पिछले अनुभवों, टिप्पणियों,

बातचीत और अन्य व्यक्तियों से प्राप्त जानकारी पर भरोसा करते हैं दूसरों को समझने का यह दृष्टिकोण कई कारकों से प्रभावित हो सकता हैं जो हमारे निर्णय को प्रभावित कर सकतें हैं और निष्पक्षता को कम कर सकते हैं

लेकिन जब यह कार्य कोई मनोवैज्ञानिक करता हैं मतलब मनोवैज्ञानिक जब व्यक्तित्व का मूल्यांकन करते है तो वह एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक स्तर पर यह कार्य करता है सरल शब्दों में कहा जाए, मनोवैज्ञानिक,

वैज्ञानिक तरीके से व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूल्यांकन करते है जिनमे साइकोमेट्रिक टेस्ट, सेल्फ- रिपोर्ट उपाय, प्रोजेक्टिव तकनीक और व्यवहार विश्लेषण शामिल है यह किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत विशेषताओं के मापन को संदर्भित या केन्द्रित करता हैं

यह बताता हैं कि किसी व्यक्ति में किन गुणों की कमी हैं और किन गुणों की अधिकता है इसमें विशिष्ट विशेषताओं को समझने के लिए साक्षात्कार, अवलोकन और मनोवैज्ञानिक परीक्षण के प्रशासन के माध्यम से जानकारी एकत्र करना शामिल है

यह भविष्यवाणी करने में मदद करता हैं कि लोग अलग अलग स्थितियों में कैसी प्रतिक्रिया देते हैं? 

यह उन व्यक्तियों के लिए कार्यक्रम विकसित करने में सहायता प्रदान करता हैं, जिन्हें समस्याएं हैं या जिन्हें अपने व्यक्तित्व आधारित कुछ कठिनाइयों को दूर करने के लिए सहायता की आवश्यकता होती है

उदहारण के लिए, यदि कोई व्यक्ति बेहद शर्मीला हैं और अन्य सभी पहलुओं में अच्छा व्यवहार करने के बावजूद, दूसरों के साथ घुमने से मना करता है तो यह जानना उचित होगा कि उस व्यक्ति में ऐसा क्या हैं जो उसे इतना शर्मीला बना देता हैं

इसके लिए एक व्यक्तित्व आकलन इस तथ्य को समझने में मददगार होगा कि समस्या कहाँ हैं और किस प्रकार के परामर्श के माध्यम से इस समस्या को दूर किया जा सकता हैं?

व्यक्तित्व आकलन की विधियाँ ( Method Of Personality Assessment ) – व्यक्तित्व मापन की विधियां

महत्वपूर्ण व्यक्तित्व विशेषताओं का आकलन करने के लिए शोधकर्ताओं ने कई तरीकों को अपनाया हैं जिनको नीचे समझा जा सकता है व्यक्तित्व आकलन की तीन विधियाँ हैं

  1. व्यक्तिपरक विधियाँ ( Subjective Method )
  2. वस्तुनिष्ठ विधियाँ ( Objective Method )
  3. प्रक्षेपी विधियाँ ( Projective Method ) 

व्यक्तिपरक विधियाँ ( Subjective Method )

व्यक्तिपरक विधियाँ वह होती हैं जिनमे व्यक्ति को अवलोकन की वस्तु के रूप में अपने बारे में जो कुछ भी पता हैं उसे प्रकट करने की अनुमति होती हैं उदहारण के लिए, अगर व्यक्ति आप हो, तब आपको अपने बारे में शोधकर्ता को सबकुछ बाताना हैं

यह विधियाँ इस बात पर आधारित होते हैं कि व्यक्ति स्वयं अपने लक्षणों, दृष्टिकोणों, व्यक्तिगत अनुभवों, लक्ष्यों, आवश्यकताओं और रुचियों के बारे में क्या कहता हैं कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तिपरक विधियाँ है

  1. आत्मकथा ( Autobiography )
  2. व्यक्ति व्रत ( Case History )
  3. साक्षात्कार ( Interview )
  4. प्रश्वाली ( Questionnaire )

आत्मकथा ( Autobiography )

इस विधि में मनुष्य केवल अपने बारे में बताता हैं या अपने जीवन के बारे में बताता हैं कि वह क्या हैं? क्यों हैं? उसकी लाइफ जर्नी क्या रही? मतलब इसमें मनुष्य अपनी लाइफ के बारे में खुद से बताता हैं

सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि आत्मकथा का मतलब व्यक्ति के खुद के द्वारा लिखी गई कथा होता है क्योकि उसमे व्यक्ति अपने पर्सनल एक्सपीरियंस, घटित घटनाओं, लक्ष्य को लिखकर खुद अन्य लोगो को यह सब इनफार्मेशन देता हैं

बहुत सारे फेमस व्यक्तियो के द्वारा बायोग्राफी लिखी जाती हैं उदहारण के लिए, हमारे लेखक की लोकप्रियता के कारण उनकी बायोग्राफी भी इन्टरनेट पर मौजूद हैं

व्यक्ति व्रत ( Case History )

इस विधि में अलग अलग रिसोर्सेज से मनुष्य के बारे में पता किया जाता हैं कि वह आपके बारे क्या जानतें हैं? 

इस विधि के माध्यम से व्यक्ति के बारे में अनेक इनफार्मेशन जैसे – माता-पिता, बैकग्राउंड, मेडिकल हिस्ट्री, फ्रेंडशिप, प्रोफेशन, शिक्षिक इनफार्मेशन, करियर इनफार्मेशन और अन्य इनफार्मेशन को प्राप्त किया जाता है

उदहारण के लिए, अगर आप वह व्यक्ति हैं, तब आपके माता पिता, भाई बहन, भाभी, दादा-दादी, नाना-नानी, आस पड़ोसी उन सभी से आपके बारे में डाटा इकट्ठा किया जा रहा हैं

साक्षात्कार ( Interview )

इस विधि में इंटरव्यू के माध्यम से शोधकर्ता उस मनुष्य के बारे में इनफार्मेशन प्राप्त कर रहा हैं जो व्यक्ति इंटरव्यू दे रहा हैं यह हमेशा दो या दो से अधिक मनुष्यों के बीच होने वाली एक विधि हैं इस विधि में इंटरव्यू लेने वाले शोधकर्ता, इंटरव्यू देने वाले से,

प्रश्न पूछने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते है इसी तरह इंटरव्यू देने वाला व्यक्ति भी खुलकर शोधकर्ता या इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति के सामने अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र होता है

यहाँ इंटरव्यू लेने वाले मनुष्य के द्वारा, इंटरव्यू देने वाले व्यक्ति की समस्या, दिलजस्पी, सीमाएं, इच्छा के बारे में समझ सकता हैं

प्रश्वाली ( Questionnaire )

इस विधि में प्रश्नों के माध्यम से शोधकर्ता इनफार्मेशन प्राप्त करता हैं जिसमे व्यक्ति से पुस्तक पर कुछ प्रश्नों की एक सूची बनाकार पूछा जाता हैं जिसके बाद वह अपनी जानकारी के अनुसार उन प्रश्नों के उत्तर लिखता हैं और शोधकर्ता को देता है

इस दौरान, उस व्यक्ति के द्वारा दिए गए प्रश्नों के उत्तर के अनुसार, शोधकर्ता द्वारा उस मनुष्य की पर्सनालिटी का मूल्यांकन किया जाता है

वस्तुनिष्ठ विधियाँ ( Objective Method )

इस विधि में मनुष्य के बारे में इनफार्मेशन इनडायरेक्ट तरीके से इकट्ठा की जाती है मतलब वस्तुनिष्ठ विधियाँ व्यक्ति के स्वयं के बारे में दिए गए बयानों पर निर्भर नहीं करती है बल्कि दूसरों के सामने प्रकट किए गए उनके स्पष्ट व्यवहार पर निर्भर करते है

मतलब व्यक्ति का व्यवहार दूसरों के सामने कैसा हैं? अगर मैं किसी व्यक्ति को जानता हैं तो मुझसे उस व्यक्ति के बारे में पता लगाया जाएगा, वह मेरा फ्रेंड, टीचर, पड़ोसी, रिश्तेदार आदि हो सकता हैं कुछ वस्तुनिष्ठ विधियाँ हैं

  • लघु जीवन परिस्थितियाँ ( Short Life Circumstances )
  • अप्राज्य अवलोकन ( Unobserved Observation )
  • रेटिंग स्केल ( Rating Scales ) 
  • Check List ( जांच सूची )

लघु जीवन परिस्थितियाँ ( Short Life Circumstances )

इसमें किसी व्यक्ति से इनफार्मेशन प्राप्त करने के लिए उनको कुछ परिस्थियाँ दी जाती है जिसके बाद, उस परिस्थिति के दौरान हम उस बच्चे को Observe करते हैं

उदहारण के लिए, एक क्लास में किसी बच्चे को हमने कोई सिचुएशन लीड करने के लिए दी हैं अब वह बच्चा उस परिस्थिति को कैसे लीड करता हैं? या उसके अंदर की लीडरशीप क्वालिटी क्या हैं? यह पता चल जाएगा

अप्राज्य अवलोकन ( Unobserved Observation )

इस विधि में किसी व्यक्ति को कुछ भी कार्य करने के लिए दिया जाता है और अलग अलग टूल्स ( उदहारण के लिए, कैमरा ) कमरे में लगा दिया जाता हैं और उस कैमरा के माध्यम से उसको Observe किया जाता हैं कि वह क्या क्या करता हैं?

मतलब इस विधि में Observe तो हो रहा है लेकिन हम सामने से डायरेक्ट उसको Observe नहीं कर रहे हैं उदहारण के लिए, जेल में कैदियों पर CCTV कैमरा में माध्यम से नजर रखी जाती है

रेटिंग स्केल ( Rating Scales )

इसमें किसी दुसरे शोधकर्ता के द्वारा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता हैं कि उस मनुष्य के इमोशन, गुण, समायोजन, इंटरेस्ट क्या हैं?

इस तरीकें में एक स्केल होता हैं जिस पर 5 पॉइंट्स बने होते हैं जब किसी व्यक्ति के बारे में अगर हम कुछ जानना चाहते हैं तब उस व्यक्ति के संपर्क में रहने वाले लोगो से उसके बारे में मत माँगा जाता है जिसके आधार पर उस मनुष्य को रेटिंग दिया जाता है

उदहारण के लिए, अगर अधिक लोगो ने उस व्यक्ति को अच्छा कहा हैं तब हम अच्छी रेटिंग देते हैं और अगर अधिक लोगो ने गलत बताया हैं तब हम ख़राब रेटिंग देंगें

Check List ( जांच सूची )

किसी व्यक्ति के बारे में डाटा प्राप्त करने के लिए इस मेथड के अंदर एक लिस्ट तैयार की जाती हैं जिसके बाद उसका मूल्यांकन किया जाता हैं

प्रक्षेपी विधियाँ ( Projective Method ) – व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियाँ

इन विधियों में परीक्षक व्यक्ति के प्रत्यक्ष व्यवहार का निरीक्षण नहीं करता हैं, न ही वह व्यक्ति से अपने व्यवहार के बारे में अपनी राय या कुछ अनुभवों के बारे में अपनी भावना को बताने के लिए कहा जाता है

बल्कि व्यक्ति से कल्पनाशील तरीके से व्यवहार करने का अनुरोध किया जाता हैं उदहारण के लिए, व्यक्ति के सामने बहुत सारी चीजे रख दी जाती हैं पैन, पंसिल और अन्य चीजें आदि | और उससे कहा जाता है कि तुमको जो अच्छा लगता है तुम इनके साथ करों 

यहाँ मान लेते है कि हमने व्यक्तियों को ड्राइंग दिया उस पर वह कुछ बनाने लग गया तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को प्रोजेक्ट करने या अपने विचारों, भावनाओं, इच्छाओं और अन्य प्रतिक्रियाओं को स्वतंत्र रूप से कुछ स्थितियों में प्रकट के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैं,

जो उसे प्रदान की जाती हैं इस प्रकार, ये विधियाँ अंतनिर्हित लक्षणों, मनोदशाओं, दृष्टिकोणों और कल्पनाओं को प्रकट करने का इरादा रखती हैं जो वास्तविक स्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार को निर्धारित करती है प्रक्षेपी विधियों निम्न हैं

Rorschach Inkblot Test

इसको रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण भी कहा जाता हैं यह Harmann Rorschach के द्वारा दिया गया था इसमें 10 Card होते हैं और एक पेपर में कुछ इंक गिरा दी जाती हैं जिसके बाद इस पेपर को बीच से फोल्ड कर दिया जाता हैं

ऐसी स्थिति में उस फैली हुई इंक से कुछ पेटन बन जाते हैं या इंक के धब्बे से कुछ आकार बन जातें है जिनका कोई विशेष अर्थ नहीं होता हैं इसमें कुछ 10 कार्ड होते है जिसमे से 5 कार्ड वाइट कलर के होतें हैं 2 कार्ड लाल और काले रंग के होतें है और,

3 कार्ड बहुरंगी ( कई कलर के ) होते हैं इस परीक्षण में प्रयोज्य वह व्यक्ति होता हैं जिसके ऊपर इस परीक्षण को किया जाता हैं प्रयोज्य को यह कार्ड बारी-बारी से दिखाएँ जातें है और उनसे यह पूछा जाता है कि उनको इस कार्ड के अंदर क्या दिखाई दे रहा है?

इन कार्ड को दिखाने पर हर मनुष्य के द्वारा अलग अलग उत्तर दिए जातें है या उनको अलग अलग चीजे इसमें दिखाई देती है इसमें इस बात को नोट ( लिखा ) जाता है कि प्रयोज्य के द्वारा किस प्रकार के उत्तर दिए जा रहे हैं

जिसकी व्याख्या इस आधार पर की जाती है कि चित्र के अंदर प्रयोज्य को क्या विषय वस्तु या स्थान दिख रही है 

प्रयोज्य के द्वारा उत्तर का वर्णन समूर्ण चित्र या एक भाग को देखने के बाद किया जाता है वह स्थिर दिख रहा है या गति में, इस परीक्षण को करने के लिए कोई निश्चित समय नहीं होता है

लेकिन फिर भी इस बात को ध्यान में रखा जाता हैं कि कहानी लिखने में कितना समय लिया गया हैं, चित्र किस ओर से देखा जा रहा है इन सभी महत्वपूर्ण बातों के आधार पर विशेषज्ञ द्वारा विश्लेषण किया जाता हैं

यहाँ यह माना जाता है कि प्रयोज्य के मन में जो इच्छाएं, भावनाए होंगी उन्ही को वह उस चित्र में जो दिख रहा है उसको वह बताएगा

TAT: Thematic Apperception Test

इसको प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण भी कहा जाता है इसका निर्माण मॉर्गन व मरे के द्वारा किया गया था इसमें हमारे सामान्य जीवन से सम्बंधित कुछ 30 पिक्चर ( चित्र ) होती है जिनका अपने आप में कोई अर्थ नहीं होता है

इन 30 चित्र में, 10 चित्र पुरुषों के लिए होतें है और 10 महिलाओं के लिए होतें हैं और 10 चित्र ऐसे होते हैं जो पुरुष और महिला दोनों के लिए होते है इस प्रकार एक प्रयोज्य को कुछ 20 चित्र दिखाएँ जाते हैं

यह परीक्षण दो सत्र में आयोजित किया जाता हैं जिसमे एक सत्र में प्रयोज्य को केवल 10 चित्र दिखाए जाते है और प्रयोज्य से यह कहा जाता है कि उसको हर चित्र को देखकर एक निश्चित समय में उसको एक कहानी लिखनी है

प्रयोज्य के द्वारा लिखी गई कहानी, उसकी कल्पना के ऊपर आधारित होगी और प्रयोज्य को यह भी पहले ही बता देते है कि उसका कोई भी उत्तर गलत या सही नहीं है बस उसके दिमाग में चित्र को देखकर जो कहानी आ रही हैं

उसके ऊपर उसको एक शोर्ट कहानी लिखनी हैं जिसका समय निश्चित होगा यह माना जाता है कि प्रयोज्य के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से वह खुद के विचारो, अनुभवों, भावनाओं, इच्छाओं, दमित इच्छाओं,

दमित भावनाओं या कहा जा सकता है कि अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व को कहानी के माध्यम से व्यक्त करता है और इसकी व्याख्या इस आधार पर की जाती है कि प्रयोज्य के द्वारा जो कहानी लिखी गई है उसका मुख्य किरदार, हीरों, मूल विषय,

कहानी में किन बातों को शामिल किया गया है, कहानी में स्थिति कैसी दिखाई गयी है उदहारण के लिए आक्रामक या भय का माहोल हैं, कहानी में सकारात्मक चीजे हैं या नकारात्मक, कहनी के किरदारों सकारात्मक है या नकारात्मक, कहनी का अंत क्या है

परन्तु इन सभी चीजों की व्याख्या करने के लिए परीक्षण का एक्सपर्ट या निपूर्ण होना बहुत आवश्यक हैं

CAT: Children’s Apperception Test

इस परीक्षण का निर्माण Leopold Bellak के द्वारा दिया गया था यह ऊपर लिखे परीक्षण ( TAT ) का एक वर्जन हैं क्योकि ( TAT ) परीक्षण, एडल्ट का परीक्षण था लेकिन यह बच्चों का परीक्षण हैं

इसका प्रयोग 3 से 10 साल के बच्चों ( लड़के और लड़की ) दोनों के ऊपर लागू किया जा सकता है इसमें कुछ 10 कार्ड होतें हैं और इन कार्ड में पशुओं के चित्र होते हैं और यह पशुओ के चित्र हमारे जीवन के कुछ मिलती स्थितियों में होते हैं

यहाँ प्रयोज्य को एक एक करके यह 10 कार्ड दिखाए जातें है और प्रयोज्य से कहा जाता है कि वह उसके ऊपर एक कहानी लिखे लेकिन यह परीक्षण हम बच्चो के साथ कर रहे है तो एक खेल के रूप में इस परीक्षण को कराया जाता है

जिससे बच्चे हमारे साथ कम्फ़र्टेबल होकर हमारे इस खेल में भाग ले सकें और कहानी लिख सके और इसका विश्लेषण भी ( TAT ) परीक्षण के जैसा आधारों को ध्यान में रखकर किया जाता है

Word Association Test

इसको शब्द सहचर्य परीक्षण भी कहा जाता है इसमें शोधकर्ता के पास कुछ चयनित शब्द होते हैं और उनको एक के बाद एक कहा जाता है और प्रयोज्य से कहा जाता है कि शब्द को सुनने के बाद उसके मन या दिमाग में जो भी पहला शब्द आता है

उसको तुरंत बोलना हैं अधिक समय नहीं दिया जाता है उदहारण के लिए सूरज शब्द को सुनते ही प्रयोज्य के मन में उजाला, सुबह, रात, दिन या अन्य शब्द आ सकतें है परन्तु यहाँ प्रयोज्य के द्वारा बोले गए उत्तर को रिकॉर्ड किया जाता हैं

यहाँ यह भी देखा जाता है कि प्रयोज्य को उत्तर देने में कितना समय लग रहा हैं इनके आधार पर वह किस शब्द के साथ कौन सा शब्द चुन रहा हैं इसके आधार पर भी व्यक्तित्व का आकलन किया जाता हैं

Sentence Completion Test

इसको वाक्य पूर्ति परीक्षण भी कहा जाता है इसमें शोधकर्ता के द्वारा अपूर्ण व्याक्य को प्रयोज्य के सामने कहे जाते और प्रयोज्य से कहा जाता है कि इन अपूर्ण व्याक्यों को जो भी उसके मन में विचार आये उसके द्वारा पूरा करना है

यहाँ भी सोचने का समय नहीं दिया जाता है उदहारण के लिए कहा जाए मुझे चिंता होती हैं तब किसकी होती हैं यह तुरंत बोला जाएगा यहाँ एक्सपर्ट्स के द्वारा उत्तर को रिकॉर्ड किया जाता है जिसके बाद व्याख्या करके व्यक्तित्व का आकलन किया जाता है

स्वयं का अंलकरण/संवर्धन – Self Grooming Meaning in Hindi?

स्वयं का अंलकरण या संवर्धन से तात्पर्य व्यक्तित्व अंलकरण के तरीके को सीखना हैं क्योकि इनका प्रयोग अपने जीवन में करके अपने व्यक्तित्व को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा सकता हैं 

हम यह जानते हैं कि व्यक्तित्व केवल बाह्य गुण नहीं बल्कि व्यक्तित्व में हमारे बाह्य गुणों के साथ साथ आन्तरिक गुण भी सम्मिलित होती हैं और व्यक्तिव को निर्धारित करने वाले दो कारक अनुवांशिक गुण ( Heredity ) और वातावरण ( Enviroment ) होता हैं

व्यक्तिव को निर्धारित करने में अनुवांशिक गुण या कारक तय ( फिक्स्ड ) होता हैं मतलब उसमे परिवर्तन करना संभव नहीं हैं जबकि वातावरण ( Enviroment ) को बेहतर बनाना हमारे हाथ में होता हैं

मतलब व्यक्तित्व को हम उचित वातावरण देकर अपनी पर्सनालिटी ( व्यक्तित्व ) को बेहतर बना सकते हैं या संवर्धन कर सकते हैं  उदहारण के लिए, अगर  अनुवांशिक और वातावरण फैक्टर 10 हैं तब अगर हम 10* 10 करते हैं तब 100 आता हैं

परन्तु अगर इस वातावरण को हम 100 बना देते हैं तब हमे रिजल्ट 1000 मिलेगा साधारण भाषा में कहा जाए, हम अपने वातावरण को जितना बेहतर बनायेंगे उतना हम अपनी पर्सनालिटी ( व्यक्तित्व ) को बेहतर बना सकते हैं या संवर्धन कर सकते हैं

निष्कर्ष – व्यक्ति के व्यक्तित्व को इम्प्रूव ( बेहतर ) बनाने में वातावरण की  बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं और यह वातावरण ही वो कारक है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को एक विशिष्ट पहचान प्राप्त होती हैं

बाहरी रूप से इसमें कुछ महत्वपूर्ण चीजे सम्मिलित होती हैं 

  • सफलता के लिए तैयार होना/पोशाक ( Dress For Success )
  • श्रृंगार व त्वचा की देखभाल ( Make Up & Skincare )
  • बालों की देखभाल व औपचारिक रूप की शैलियाँ ( Hair Care & Styles For Formal Look )
  • सहायक सामग्रियों के प्रयोग की कला ( Art Of Accessorizing )
  • मौखिक स्वच्छता ( Oral Hygiene )

आंतरिक रूप से यह जरुरी हैं कि हम अपना सम्मान करें प्राय: यह देखा जाता है कि लोग अपने बारे में नकारात्मक सोचते हैं जिसका मतलब हम अपने ऊपर विश्वास नहीं करते हैं अपने कौशल, गुण, योग्यता पर संदेह ( शक ) हैं

लेकिन होना यह चाहिए कि अपनी कौशल, गुण, योग्यता को हम किसी से कम न समझें और खुद को पहचाने, अपने सकारात्मक पहलू पर हम जोर दें और हमारी एक सेल्फ रिस्पेक्ट होनी चाहिए मतलब अपने बारे में हमे हमेशा पॉजिटिव सोचना चाहिए

दुसरे या भिन्न भिन्न प्रकृति के लोगो के साथ कैसे बातचीत करें, कैसे अपनी बातों को दूसरों के सामने रखा जाए, तर्क के साथ कैसे बातचीत किया जाए यह भी देखा जाता हैं

प्राय: यह भी देखा जाता है कि जब लोग एक साथ बैठते हैं तब वह दूसरों की बुराई करते हैं लेकिन यदि हम दूसरों के गुणों को पहचान करना सीखे और उनके अच्छे कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा करें तब हम स्वयं को एक बेहतर दिशा दे सकते है

जब कोई व्यक्ति अच्छा कार्य करता है तब हम उसके प्रति या तो संवेदनहीन हो जाते हैं मतलब हमे उससे कोई मतलब नहीं होता है कि वह क्या कर रहा है? या फिर हम उससे ईर्ष्या ( Jealous ) करने लगते है

परन्तु ईर्ष्या ( Jealous ) हमे कभी नहीं करनी चाहिए और यह प्रयास करना चाहिए कि हम कैसे दूसरों के द्वारा किये जा रहे अच्छे कार्यों से, हम भी एक बेहतर कार्य करने का प्रयास करें या कोशिश करें और यदि हमारी खुद के अंदर कुछ कमियाँ हैं

तब हमे अपनी कमियों को पहचान कर, उनको स्वीकार करना चाहिए और उनके सुधार के लिए कार्य करना चाहिए मतलब कैसे हम अपनी कमियों को दूर कर सकतें है इसके लिए मेहनत करें

स्वामी विवेकानंद का एक कथन है कि मनुष्य में अंतनिर्हित पूर्णता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा हैं 

पूर्णता से तात्पर्य समस्य शक्तियों और ज्ञान से होता है मतलब मनुष्य में पहले से पूर्णता निहित होती है तो जितने भी हम काम देखते हैं उन सभी कार्यों को करने की क्षमता हमारे अंदर हैं स्वामी विवेकानंद ने यह समझाने के लिए उदहारण दिया हैं 

उदहारण, जिस प्रकार चकमक पत्थर में अग्नि होती हैं जब पत्थर को घर्षण ( रगड़ना ) किया जाता है वह तब प्रकट होती हैं जिस प्रकार से एक बीज के अंदर एक विशाल वृक्ष होता हैं तब हमे भी इस बात का बोध ( जानकारी ) होना चाहिए कि

हमारे अंदर अन्नत शक्तियां और क्षमताएं हैं और जब हमे इसकी जानकारी होगी और हम इसके ऊपर विश्वास करके कार्य करेंगे तब हम इसको प्रकट भी कर सकते हैं मतलब जो भी हम सीखना चाहते हैं उसको सीखकर हम वास्तविकता बना सकते है

यह कैसे होगा?

  • इसके लिए हमे एकाग्र होने की शक्ति होनी चाहिए कि हम जिस कार्य को कर रहे है हम उस कार्य को एकाग्र होकर ( बिना ध्यान को भटकाए ) करें
  • हमे इच्छा शक्ति की पॉवर डेवलप करनी चाहिए मतलब हमारी इच्छा शक्ति प्रबल होनी चाहिए कि हम जो समस्याएं आयेंगी उन पर ध्यान न देकर अपने कार्य पर फोकस कर सकेंगे

प्रत्येक व्यक्ति भिन्न है उसके गुण, योग्यताएं, स्वभाव अलग हैं परन्तु लोग दूसरों को देखकर, जो वह कर रहे हैं वो स्वयं भी करने लगते हैं बल्कि ऐसा होना चाहिए कि हम अपनी जन्मजात शक्तियों का विकास करे, हमारे अंदर जो गुण और योग्यताएं है

उनको पहचान कर, उनका विकास करें और वह न करे जो दुसरे कर रहे है बल्कि वह करे जो हम कर सकतें हैं या जो करने की योग्यता हमारे पास हैं यदि हम इन सभी बातों पर ध्यान देकर इन पर कार्य करेंगे

तब हम निश्चित रूप से अपने व्यक्तित्व संवर्धन की दिशा में हम बहुत आगे बढ़ सकतें हैं

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निष्कर्ष

यह लेख मुख्य रूप से व्यक्तित्व मापन की विधियां को अच्छे से समझाया गया हैं स्वयं का संवर्धन को समझाने के लिए यहाँ कुछ महत्वपूर्ण चीजे बताई गयी हैं टिप्स नेक्स्ट आर्टिकल में मिल जायेंगी

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

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