Types of Personality in Hindi: – व्यक्तित्व के प्रकार को अलग अलग मनोवैज्ञानिकों ने अलग अलग तरह से बताया हैं जिसका सम्पूर्ण विश्लेषण इस लेख के माध्यम से ग्रेजुएशन करने वाले स्टूडेंट के लिए लिखा गया है
जब हम अपनी पढाई के दौरान कम्युनिकेशन स्किल ( Communication Skills ) के पेपर में इससे सम्बंधित प्रश्न कुछ इस तरह से पूछ लिया जाता है कि व्यक्तित्व क्या है व्यक्तित्व के प्रकार?, पर्सनालिटी के प्रकार पर टिप्पणी लिखियें?
परन्तु ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए आपको यह लेख अच्छे से पढ़ना होगा
व्यक्तित्व के प्रकार? व्यक्तित्व विकास के प्रकार? ( Types of Personality in Hindi )
हम सब जानते है कि अलग अलग वैज्ञानिकों के द्वारा व्यक्तित्व के अलग अलग प्रकारों को बताया गया हैं कुछ वैज्ञानिकों के द्वारा व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण वर्गीकरण को हम यहाँ समझने का प्रयास करेंगे
व्यक्तित्व का सबसे पहला वर्गीकरण हिप्पोक्रेट्स ( Hippocrates ) के द्वारा 400 ईसा पूर्व में बताया गया था इन्होने शरीर द्रव ( Body Fluid ) की बात कही थी उन्होंने कहा था कि चार प्रकार के शरीर द्रव ( Body Fluid ),
वह मनुष्य के शरीर में पाए जाते हैं उनमे से कोई एक शरीर द्रव ( Body Fluid ) प्रधान रूप में मौजूद होता हैं मतलब उसकी मात्रा अधिक होती है तो उसी के आधार पर व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित होता हैं या वह गुण व्यक्ति में पाए जाते है
हिप्पोक्रेट्स ने पीला पित्त, काला पित्त, रक्त और कफ या श्लेष्मा बताया था
पीला पित्त ( Yellow Bile ) – जिस व्यक्ति में इस द्रव की प्रधानता या अधिक मात्रा होती है ऐसे व्यक्ति चिडचिडे, तुनकमिजाज, बैचैन होते हैं इस प्रकार को हिप्पोक्रेट्स ने गुस्सैल प्रकार कहा हैं
काला पित्त ( Black Bile ) – जिस व्यक्ति में इस द्रव की प्रधानता या अधिक मात्रा होती है ऐसे व्यक्ति उदास और डिप्रेस्ड ( चिंताग्रस्त ) होते हैं इस प्रकार को हिप्पोक्रेट्स ने निराशावादी प्रकार कहा है
रक्त ( Blood ) – जिन लोगो में रक्त ( ब्लड ) की प्रधानता या मात्रा अधिक होती हैं ऐसे लोग ( व्यक्ति ) प्रसन्न, उत्साही, खुशमिजाज होते हैं इस प्रकार को हिप्पोक्रेट्स ने आशावादी प्रकार कहा है
कफ या श्लेष्मा – जिन मनुष्यों में इस शरीर द्रव की प्रधानता या मात्रा अधिक होती हैं वह शांत, निष्क्रिय और भावशून्य होते है इस प्रकार को हिप्पोक्रेट्स ने विरक्त प्रकार कहा है
Types of Personality ( व्यक्तित्व का वर्गीकरण )
शुरू में तो हिप्पोक्रेट्स के वर्गीकरण को माना गया परन्तु, बाद में उसको स्वीकार नहीं किया गया, इस दौरान अलग अलग मनोवैज्ञानिकों ने अलग अलग प्रकार से व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया
कुल मिलकर व्यक्तित्व के वर्गीकरण को दो भागों में रखा जा सकता हैं
- भारतीय दृष्टिकोण
- पाश्चात्य दृष्टिकोण
भारतीय दृष्टिकोण
भारतीय दृष्टिकोण में सांख्य दर्शन के आधार पर और आयुवेद के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया गया हैं
- सांख्य दर्शन के आधार पर – कपिल मुनि
- आयुर्वेद के आधार पर
सांख्य दर्शन के आधार पर
सांख्य दर्शन के आधार पर कपिल मुनि ने व्यक्तित्व को तीन प्रकार से वर्गीकृत किया हैं
- सात्विक गुण या सतोगुण प्रधान व्यक्तित्व
- राजसिक गुण या रजो गुण प्रधान व्यक्तित्व
- तामसिक गुण या तमोगुण प्रधान व्यक्तित्व
सात्विक गुण या सतोगुण प्रधान व्यक्तित्व – इस वर्ग में शामिल सभी गुण सकारात्मक होते हैं मतलब ऐसे व्यक्तियों में सज्जनता, संस्कारी, धार्मिक, दूरदर्शी, विवेकी, सरल, नम्र, उदार, संतोषी, कर्तव्यनिष्ठ, न्याय प्रिय, शांत, परोपकारी आदि गुण शामिल हैं
राजसिक गुण या रजो गुण प्रधान व्यक्तित्व – इस वर्ग में वह गुण शामिल हैं जो राजाओं में पाए जातें हैं मतलब ऐसे व्यक्तियों में कर्म प्रधान ( कर्म में विश्वाश रखने ), उत्साही, वीर, क्रियाशील, बातूनी,
चंचल, परिश्रमी, साहसी, आशावादी, विलासी, चालाक, खुदगर्ज, मतलबी आदि गुण शामिल हैं
तामसिक गुण या तमोगुण प्रधान व्यक्तित्व – इस वर्ग में शामिल सभी गुण नकारात्मक होते हैं ऐसे व्यक्तियों में आलसी, अकर्मण्य, निराश, अहंकारी, क्रोधी, क्रूर, कायर, आदि गुण शामिल हैं ऐसे मनुष्यों को दूसरों को कष्ट देने में बहुत मजा आता हैं
आयुर्वेद के आधार पर
आयुर्वेद का मानना यह है कि हमारा शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना हैं जो पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि और आकाश हैं यहाँ आयुर्वेद के आधार पर, इन पांच प्रकार के तत्वों से व्यक्तित्व के वर्गीकरण को तीन प्रकार में रखा गया है
- कफ प्रधान
- पित्त प्रधान
- वात प्रधान
कफ प्रधान – इसका फार्मूला पृथ्वी तत्व + जल तत्व है मतलब जब पृथ्वी तत्व में जल तत्व का मिश्रण होता हैं तब कफ प्रधान व्यक्तित्व का निर्माण होता है ऐसे व्यक्ति मोटे, आसली, आराम व निंद्रा पसंद, निराशावादी, जिद्दी,
बुद्धिमान, सर्दी जुकाम वाले, स्नेही, दूसरों की परवाह करने वाले, भोजन प्रेमी होते हैं
पित्त प्रधान – इसका फार्मूला जल तत्व + अग्नि तत्व है मतलब जब जल तत्व में अग्नि तत्व का मिश्रण होता हैं तब पित्त प्रधान व्यक्तित्व का निर्माण होता है ऐसे व्यक्ति सुगठित ( बैलेंस ) शरीर वाले, सामाजिक, आलसी, सुस्त, संवेगात्मक रूप से मजबूत,
क्रोधी, भोजन प्रेमी, इन्हें तेज भूख लगती है, गहरी नींद, घमंडी, आक्रामक, मेधावी या पढाई में अच्छे और अच्छे वक्ता ( मतलब बातचीत से लोगो को जल्द इम्प्रेस करने ) होते हैं
वात प्रधान – इसका फार्मूला वायु तत्व + आकाश तत्व है मतलब जब वायु तत्व में आकाश तत्व का मिश्रण होता हैं तब वात प्रधान व्यक्तित्व का निर्माण होता है ऐसे व्यक्ति में वायु तत्व की प्रधानता होती हैं ऐसे व्यक्ति दुबले-पतले, कम शारीरिक बल वाले,
चंचल, स्फूर्तिमान, सामाजिक, उदारवादी, अस्थिर, अव्यवस्थित, बातूनी, ईर्ष्यालु, अशांत, संवेगात्मक रूप से अस्थिर, डरपोक और अनिंद्रा ( नींद टूटती रहती है ) |
पाश्चात्य दृष्टिकोण
पाश्चात्य दृष्टिकोण में विभिन्न वैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व को अलग अलग प्रकार से वर्गीकरण किया हैं यह निम्न है –
- शरीर रचना के आधार पर – क्रेशमर, शेल्डन
- मनोवैज्ञानिक गुणों के आधार पर – युंग
- चिंतन के आधार पर – थार्नडाईक
- सामाजिक गुणों के आधार पर – स्प्रेंगर
शरीर रचना के आधार पर – क्रेशमर
शरीर रचना के आधार पर क्रेशमर और शेल्डन ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है क्रेशमर ( जर्मन मनोचिकित्सक ) ने शरीर रचना के आधार पर व्यक्तित्व को तीन प्रकार में विभाजित किया
- पिकनिक ( Pyknic ) – ऐसे व्यक्ति खाने पीने के शौक़ीन और गोलकाय ( गोल मटोल ) होते है ऐसे व्यक्तियों का कद छोटा, शरीर भारी होता हैं यह सामाजिक, खुशमिजाज, आराम पसंद होता है
- एस्थेनिक ( Asthenic ) – ऐसे व्यक्ति लम्बकाय ( शरीर से लम्बे ) होते है मतलब ऐसे व्यक्तियों का कद लंबा, शरीर दुबला पतला, चिडचिडे स्वभाव वाले, काल्पनिक, सामाजिक जिम्मेदारियों से दूर रहने वाले होते है
- एथलेटिक ( Athletic ) – ऐसे व्यक्तियों में खिलाड़ी से सम्बंधित गुण होते हैं मतलब ऐसे व्यक्ति स्वस्थ, सुडौल और संतुलित शरीर वाले, मजबूत मांसपेशियां, शक्तिशाली, क्रियाशील होते हैं
इन व्यक्तियों का विशेष गुण समयोजनशील होती है मतलब यह हर परिस्थिति में एडजस्ट कर लेते है इसी गुण के कारण उनको सामाजिक प्रतिष्ठा या मान सम्मान मिलता हैं डी
नोट – यह चौथा प्रकार क्रेशमर ( जर्मन मनोचिकित्सक ) ने बाद में बताया था क्योकि यह कहा गया कि कुछ व्यक्ति ऐसे भी हो सकते हैं जिनमे ऊपर दिए तीनो वर्गों के गुण शामिल हो
डाइसप्लास्टिक ( Dysplastic ) – ऐसे व्यक्ति जिनमे ऊपर दिए तीनो प्रकारों के मिले जुले गुण शामिल होते हैं उनको इस वर्ग में रखा जाता हैं
शरीर रचना के आधार पर – शेल्डन
शरीर रचना के आधार पर शेल्डन ने भी व्यक्तित्व के वर्गीकरण को तीन प्रकारों में विभाजित किया है
- एण्डोमॉफी ( Endomorphy )
- एक्टोमॉफी ( Ectomorphy )
- मेसोमॉफी ( Mesomorphy )
एण्डोमॉफी ( Endomorphy ) – यह गोलाकार होते है और मोटे, नाटे, आराम पसंद, खुशमिजाज, सामाजिक और खाने-पीने के शौक़ीन होते हैं
एक्टोमॉफी ( Ectomorphy ) – ऐसे व्यक्ति जो लम्बाकार होते है मतलब लम्बे, दुबले पतले इकहरे शरीर वाले, अविकसित मांस पेशियाँ, एकांत प्रिय, संकोची, शर्मीले, असामाजिक ( समाज में न घुलने मिलने ) होते हैं
मेसोमॉफी ( Mesomorphy ) – यह सुडौलकार होते है मतलब यह सुडौल शरीर वाले, विकसित हड्डियाँ व मांसपेशियां, बहादुर, जोखिम उठाने वाले, आक्रामक, नेतृत्व करने वाले और दृढ होते हैं
मनोवैज्ञानिक गुणों के आधार पर – युंग
व्यक्तित्व का यह वर्गीकरण बहुत महत्वपूर्ण वर्गीकरण हैं यहाँ युंग ने मनोवैज्ञानिक आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया हैं युंग ने व्यक्तित्व को मनोवैज्ञानिक गुणों के आधार पर दो प्रकार से बाट दिया है
- बहिर्मुखी ( Extrovert )
- अंतर्मुखी ( Introvert )
बहिर्मुखी ( Extrovert ) – जो व्यक्ति बाह्य समाज ( जगत ) में रूचि रखता है वह व्यक्ति बहिर्मुखी होता हैं ऐसे व्यक्तियों में सामाजिक, आशावादी, यथार्थवादी ( मतलब कल्पना में नहीं जीते ), मित्र बनाने वाले, खुशमिजाज, अच्छे वक्ता ( बातचीत में अच्छे ),
दृढ इच्छाशक्ति, चिंतामुक्त, आक्रामक, अंहकारी ( ईगो बहुत ), नेतृत्व करने वाले ( लीडरशीप ), विपरीत परिस्थितियों में भी न घबराने वाले, तुरंत निर्णय लेने वाले, नवीनता के पोषक होते हैं मतलब यह लोग समाज में नई-नई विचारधाराओं के पोषक होते हैं
इस तरह के वर्ग में राजनीतिज्ञ, समाजसुधारक, शासक, प्रबंधक, व्यापारी, खिलाडी आदि शामिल है
अंतर्मुखी ( Introvert ) – ऐसे व्यक्ति आत्मकेन्द्रित मतलब आपने आप में केन्द्रित या मग्न होते है ऐसे व्यक्ति कम बोलने वाले, एकांतप्रिय ( अकेले रहना पसंन्द ), संकोची, शर्मीले, असामाजिक, मित्रों की कम संख्या,
रुढ़िवादी तथा पुराने रीति-रिवाजों को आदर देने वाले, पुस्तक प्रेमी, चिंतनशील, विचारक ( विभिन्न बातों पर विचार ), व्यावहारिक कार्यों में अकुशल, यह धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक समस्याओं पर बहुत चिंतन करते हैं
लेकिन यह केवल चिंतन करते है आगे आकर इन समस्याओं को दूर करने के लिए कोई भी प्रकार का व्यावहारिक कार्य नहीं करते हैं शक्की, आज्ञाकारी, शीघ्र निर्णय न लेने वाले, यह अच्छे लेखक तो होते है लेकिन अच्छे वक्ता नहीं होते हैं
इस तरह के वर्ग में लेखक, कवि, दार्शनिक आदि शामिल है
नोट – मनोविज्ञान के आधार पर वास्तव में व्यक्तित्व के केवल दो प्रकार है परन्तु, बहुत सारे मनोवैज्ञानिकों ने इनकी आलोचना किया कि व्यक्तित्व के केवल दो प्रकारों में दुनिया के सभी लोगो को वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है
ऐसा भी हो सकता है कि कुछ मनुष्यों में कुछ गुण बहिर्मुखी तथा कुछ गुण अंतर्मुखी के हो, तब व्यक्तिव के एक तीसरे प्रकार का निर्माण हुआ जिसको उभयमुखी ( Ambivert ) कहा जाता हैं
उभयमुखी ( Ambivert ) – सभी लोग इन दो वर्गों मतलब शुद्ध बहिर्मुखी और शुद्ध अंतर्मुखी में आये यह आवश्यक नहीं है अधिकांश लोग एक परिस्थिति में अंतर्मुखी के रूप में व्यवहार करते है और दुसरी परिस्थिति में बहिर्मुखी के रूप में व्यवहार करते है
इसीलिए ऐसे लोगो को उभयमुखी ( Ambivert ) वर्ग में रखा गया है
चिंतन के आधार पर – थार्नडाईक
चिंतन के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण थार्नडाईक के द्वारा दिया गया था थार्नडाईक ने इसको चार प्रकारों में विभाजित किया है
- सूक्ष्म विचारक
- स्थूल विचारक
- प्रत्यय विचारक
- इंद्रिय विचारक
सूक्ष्म विचारक – वह व्यक्ति होते है जो किसी भी बात पर बहुत गहराई से विचार करते हैं और कोई भी काम करने से पहले उसके पक्ष-विपक्ष पर बारीकी से विचार कर लेते हैं इस वर्ग में वैज्ञानिक, तर्कशास्त्री, दार्शनिक, गणितज्ञ आते है
स्थूल विचारक – यह वह व्यक्ति होते है जिनमे सूक्ष्म चिंतन का अभाव पाया जाता है यह केवल उपरी या विशिष्ट जानकारी प्राप्त करके काम चला लेते है उदहारण के लिए, वह स्टूडेंट जो एग्जाम से कुछ दिन पहले थोडा बहुत पढ़कर पेपर देते हैं
प्रत्यय विचारक – ये व्यक्ति प्रत्ययों के माध्यम से चिंतन करते है इस तरह के चिंतन में यह संख्याओं, संकेत, चिन्ह आदि का प्रयोग करते हैं उदहारण के लिए, भौतिक शास्त्री या गणितज्ञ |
इंद्रिय विचारक – यह ज्ञानेद्रियों के माध्यम से विचार करते है उदहारण के लिए, मूकबधिर, दृष्टिहीन व्यक्ति |
सामाजिक गुणों के आधार पर – स्प्रेंगर
सामाजिक गुणों के आधार पर स्प्रेंगर ने व्यक्तित्व को छ: भागो में विभाजित किया है
- सामाजिक
- धार्मिक
- राजनीतिक
- आर्थिक
- सैद्धांतिक
- सौन्दर्य प्रेमी
सामाजिक – सामाजिक कार्यों में रूचि लेने वाले व्यक्ति सामाजिक कहलाते है उदहारण के लिए, समाज सुधारक, नेता |
धार्मिक – ईश्वर के प्रति असीम श्रद्धा रखने वाले व्यक्ति धार्मिक कहलाते है उदहारण के लिए, संत, पंडित, पुजारी |
राजनीतिक – राजनीति में रूचि रखने वाले व्यक्ति और राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले व्यक्ति इस श्रेणी में आते है उदहारण के लिए, राजनेता |
आर्थिक – इस श्रेणी में वह व्यक्ति आते है जो धन को अधिक महत्त्व देते है और अधिक से अधिक धन अर्जित करने में लगे रहते है उदहारण के लिए,उद्योगपति, व्यापारी, दुकानदार |
वैचारिक या सैद्धांतिक – इसमें बुद्धिमान और विचारशील व्यक्ति आते हैं इस वर्ग में मुख्य रूप से दार्शनिक, वैज्ञानिक, अनुसंधान कर्ता शामिल है
सौन्दर्य प्रेमी – सौन्दर्य का बोध रखने वाले सभी व्यक्ति इस श्रेणी में आते है उदहारण के लिए, चित्रकार, कलाकार, साहित्यकार, मूर्तिकार, नाटककार |
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निष्कर्ष
यह लेख विशेष रूप से व्यक्तित्व के प्रकारों को समझाने के उद्देश्य से शेयर किया गया है क्योकि अक्सर मनोविज्ञान और कम्युनिकेशन स्किल के पपेर में ग्रेजुएशन के दौरान इससे सम्बंधित प्रश्न एग्जाम में पूछ लिया जाता हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
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