Conformity, Compliance Meaning Hindi: – अनुपालन अर्थ को समझना एग्जाम ( परीक्षा ) की दृष्टि से स्टूडेंट के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है यह सामाजिक प्रभाव प्रक्रिया है अनुरूपता तथा अनुपालन से सम्बंधित प्रश्न एग्जाम में आते है
इसीलिए हमें पता होना चाहिए कि किसी समूह के मानदंडों या अपेक्षाओं के अनुरूप अपने व्यवहार या विश्वास को समायोजित करना अनुरूपता कहलाता है यह टॉपिक थोडा मुश्किल लगता है
लेकिन हमारे द्वारा बताये उदहारण के माध्यम से स्टूडेंट इनको अपने सामान्य जीवन से जोड़कर अच्छे से एग्जाम के लिए समझ सकतें है सामाजिक प्रभाव प्रक्रियाओं के माध्यम से लोग ही एक दुसरे के दृष्टिकोण, विश्वास और व्यवहार को बदलते है
चलिए अब हम सबसे पहले यह समझने का प्रयास करते है कि सामाजिक प्रभाव किसे कहतें है?
सामाजिक प्रभाव प्रक्रियाएँ ( Social Influence Processes )
सामाजिक प्रभाव उन तरीकों को संदर्भित करता है जिनमे लोग दूसरों के वास्तविक या काल्पनिक प्रभाव के जवाब में अपने द्रष्टिकोण, विश्वास या व्यवहार को बदलते है
जब हम किसी दुसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को देखकर सामाजिक रूप से अपनी मनोवृति, विश्वास और विचार प्रक्रिया में परिवर्तन लाते है ऐसी स्थिति में यह कहा जाता है कि हम उस दुसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह से प्रभावित होते है
जिस समाज में व्यक्ति रह रहा है उसकी मांगों को पूरा करने के लिए वह अपना व्यवहार बदलता हैं समाज में लोग एक दुसरे से प्रभावित होते है लोग एक दुसरे के कार्यों को देखते है
तथा महसूस करते है कि जिस तरह का व्यवहार दुसरे व्यक्ति कार्य करने के लिए कर रहे है वह सही तरिका है अगर हम उसीतरह व्यवहार करतें है तब हम विशेष समूह का हिस्सा होंगे अन्यथा हम उस विशेष समूह के लिए योग्य नहीं होंगे
सामाजिक प्रभाव में लोग ही एक दुसरे के दृष्टिकोण, विश्वास और व्यवहार को बदलते है
उदहारण के लिए, सोसाइटी में जब कोई सफल व्यक्ति होता है उसको एक संघर्ष करने वाला व्यक्ति देखता है तब वह उस व्यक्ति से प्रभावित होकर अपने द्रष्टिकोण, मनोवृति, विचारों, विश्वास या व्यवहार में परिवर्तन करता है
सामाजिक प्रभाव के अंतर्गत दो प्रमुख प्रक्रियाएं आती है
- अनुरूपता ( Conformity )
- अनुपालन ( Compliance )
केनारिक ( 2012 ) – सामाजिक प्रभाव को उन विभिन्न तरीकों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिनसे लोग एक दुसरे को प्रभावित करते है
सियालडिनी ( 2006 ) – सामाजिक प्रभाव में वे अनेक तरीके शामिल होते है जिनसे लोग किसी दुसरे व्यक्ति के व्यवहार, दृष्टिकोण या विश्वासों में परिवर्तन लाते है
अनुरूपता किसे कहतें है? ( Meaning of Conformity in Hindi )
अनुरूपता ( Conformity ) का शाब्दिक अर्थ समनुरूपता, स्वीकार, अनुकूलता इत्यादि होता है अनुरूपता से मतलब किसी समूह के मानदंडों या अपेक्षाओं के अनुरूप अपने व्यवहार या विश्वास को समायोजित करने से होता है
इसमें व्यवहार को संशोधित करना शामिल है जिसमे व्यक्ति सामाजिक मानदंडों का पालन करने के लिए अपने दृष्टिकोण या व्यवहार को बदलते है
सरल शब्द – जब हम किसी विशेष समाज में फिट होने के लिए उस समाज या समूह के नियम और मानदंडों के अनुसार अपना व्यवहार बदलते हैं मतलब यदि आप किसी विशेष समूह में रहना चाहते है
तब आपको उस समूह के अनुसार व्यवहार करना होगा यह अनुरूपता कहलाता है
उदहारण के लिए, मान लेना है कि एक कक्षा में एक मनोवैज्ञानिक छात्रों को मनोविज्ञान पढ़ा रहा है उस दौरान वह एक साधारण सवाल पूछता है कि फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक की प्राथमिक भूमिका क्या है?
उस सवाल के उत्तर में मनोवैज्ञानिक ने छात्रों को चार विकल्प दिए है
- मानसिक विकार वाले व्यक्तियों के लिए चिकित्सा आयोजित करना।
- संचार विकारों का आकलन और उपचार करना।
- कानूनी मुद्दों पर मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों को लागू करना।
- कार्यस्थल प्रभावशीलता को बढ़ाना।
उस कक्षा में बहुत सारे छात्र अध्ययन कर रहें है लेकिन मनोवैज्ञानिक ने कक्षा में सभी छात्रों से यह सवाल पूछा है और उनका कहना है कि सभी छात्रों को एक-एक करके इस सवाल का उत्तर देना है
कक्षा में एक पहला छात्र खड़ा होता है और उत्तर देता है कि इसका उत्तर विकल्प 1 हैं उसके बाद इस तरह से अध्यापक ने कुछ अन्य छात्रों से यह सवाल पूछा जिनमे कुल दस छात्रों ने इसका उत्तर विकल्प 1 को बताया है
कुल दो बच्चों ने इस सवाल का उत्तर विकल्प 2 को बताया है उस दौरान किसी एक बच्चे को यह लगता है कि इस सवाल का उत्तर विकल्प 3 हैं परन्तु कक्षा में अधिकतर छात्रों के द्वारा विकल्प 1 को सही उत्तर बताने पर उसके मन में एक शक पैदा हो जाता है
ऐसी स्थिति में वह छात्र यह सोचता रहता है कि क्या वह सभी छात्र सही हैं और मैं गलत हूँ इस शक के कारण वह छात्र विकल्प 3 को सही उत्तर बताने वाला था परन्तु उसने विकल्प 1को सही उत्तर बता दिया
जिसके बाद उसका यह उत्तर गलत हो गया यहाँ छात्र ने अधिकतर छात्रों के द्वारा बताये गए सही उत्तर के अनुरूप अपना उत्तर बताया है परंतु अगर वह अपने द्वारा सोचा गया विकल्प 3 को सही उत्तर बता देता तब उसका उत्तर सही हो जाता
परिणाम – अनुरूपता किसी समूह में होने वाली व्यक्तियों की संख्या तथा अधिकतर व्यक्तियों के द्वारा चुने गए विकल्प से प्रभावित होती है मतलब किसी व्यक्ति के द्वारा उस विकल्प के चुनने की संभावना अधिक होती है
जिस विकल्प को अधिकतर व्यक्तियों के द्वारा चुना गया है क्योकि ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के अनुरूप खुद को या अपने विचार, मनोवृति, व्यवहार, विश्वास या जवाब को बदल लेता है
सोलोमन एश का प्रयोग ( Solomon Asch Experiment )
अनुरूपता के ऊपर वर्ष 1951 में सोलोमन एश ( Solomon Asch ) ने क्लासिक अध्ययन में एक प्रयोग किया इस अध्ययन में कुछ आठ ( 8 ) व्यक्तियों को शामिल किया गया था
परन्तु इन सभी आठ ( 8 ) प्रतिभागियों में से केवल एक प्रतिभागी मुख्य प्रतिभागी था जिसको प्रयोग के बारे में कुछ नहीं पता था, उसको कैसा व्यवहार करना है, प्रयोग क्या है इत्यादि कुछ नहीं बताया गया था
अन्य सात प्रतिभागी ( Confederates – वह सभी लोग जो प्रयोगकर्ता या एश के साथ पहले से प्रयोग में मिले हुए हैं उनको प्रयोगकर्ता या एश के द्वारा पहले से बताया गया होता है कि प्रयोग में क्या करना है? )
एश ने अपने प्रयोग के लिए सभी आठ प्रतिभागियों को एक गोलाकार टेबल पर बैठाया उस घेरे में पहले वह सात प्रतिभागी ( Confederates ) उसके बाद अंत में मुख्य प्रतिभागी बैठा था
प्रत्येक प्रतिभागी ने एक सफेद कार्ड देखा जिस पर एक लाइन थी और प्रत्येक प्रतिभागी ने एक अन्य सफेद कार्ड भी देखा जिस पर ए ( A ), बी ( B ) और सी ( C ) लेबल वाली तीन लाइने थी
इस दौरान प्रयोग में सभी सात प्रतिभागी ( Confederates ) को यह पता था कि हमें यह क्या दिखाया जा रहा है और इसका हमें क्या उत्तर देना है परन्तु मुख्य प्रतिभागी को सिर्फ यह कहा गया था कि यह एक साधारण प्रयोग है
जिसमे यह देखा जा रहा है कि आप अपनी आँखों से देखकर कितना अच्छा उत्तर ( Judgment ) दे सकतें है
प्रयोगकर्ता ने उन सभी सात प्रतिभागियों से यह प्रश्न किया कि दुसरे सफ़ेद कार्ड पर वह कौन-सी लाइन है जो पहले कार्ड पर दिखने वाली लाइन से मिलती जुलती है
हम सभी मनुष्य चित्रों में देखकर यह बता सकतें है कि यह दुसरे सफ़ेद कार्ड पर लाइन B, पहले सफ़ेद कार्ड पर दिखाई देने वाली लाइन X के जैसी है परन्तु प्रयोग में प्रयोगकर्ता या एश ने प्रत्येक प्रयोगकर्ता से एक-एक करके यह प्रश्न पूछना शुरू किया
अत: उन सभी सात प्रतिभागी ( Confederates ) में से कुछ ने कहा कि दुसरे सफ़ेद कार्ड पर लाइन A, पहले सफ़ेद कार्ड पर दिखाई देने वाली लाइन X के जैसी है और कुछ ने कहा कि दुसरे सफ़ेद कार्ड पर लाइन C,
पहले सफ़ेद कार्ड पर दिखाई देने वाली लाइन X के जैसी है परन्तु किसी भी प्रतिभागी ने लाइन B को अपना उत्तर नहीं बताया उस दौरान प्रयोग में जब हर प्रतिभागी गलत उत्तर दे रहा था
ऐसी स्थिति में उस मुख्य प्रतिभागी को भी अपने मन में सोचे उत्तर लाइन B पर शक होने लगा इसीलिए उसको लगा कि शायद मैं गलत हो सकता हूँ ऐसी स्थिति में उस मुख्य प्रतिभागी ने अन्य प्रतिभागियों में अधिकतर प्रतिभागियों के द्वारा दिए गए
जवाब के अनुरूप अपना उत्तर “लाइन A” दिया जिसके कारण उसका उत्तर गलत हो गया बाद के अध्ययन या प्रयोग में कुछ बदलाव करके एश ने यह पाया कि
उन सभी सात प्रतिभागी ( Confederates ) में से किसी एक प्रतिभागी ने भी अगर सही उत्तर दिया ऐसी स्थिति में मुख्य प्रतिभागी के मन में अपने उत्तर के जवाब को लेकर आशा जग जाती है जिसके कारण वह अपना उत्तर लाइन B बताता है
क्रचफील्ड ( Crutchfield ) ने सोलोमन एश के इस प्रयोग में कुछ बदलाव करके उनका अध्ययन किया और पाया कि प्रयोग में प्रतिभागियों के फिजिकल रूप से एक साथ उपस्थित होने का प्रभाव भी उनके जवाब पर पड़ता है
क्योकि एश के प्रयोग में सभी आठ प्रतिभागी एक साथ एक टेबल पर बैठे थे जिसके कारण प्रयोग के दौरान वह एक दुसरे को देख और सुन सकते थें इसीलिए क्रचफील्ड ने सभी आठ प्रतिभागियों को एक-साथ फिजिकल रूप से नहीं बैठाया
बल्कि प्रत्येक प्रतिभागी को एक-एक व्यक्तिगत कक्ष दिया गया था उन व्यक्तिगत कक्ष में एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले लगा था जो यह दिखाता था कि दूसरे प्रतिभागी क्या जवाब देते हैं?
उसके बाद प्रत्येक प्रतिभागी से यह सवाल किया गया कि दुसरे सफ़ेद कार्ड पर वह कौन-सी लाइन है जो पहले कार्ड पर दिखने वाली लाइन से मिलती जुलती है
इस दौरान अलग अलग व्यक्तिगत कक्ष होने के कारण मुख्य प्रतिभागी पर यह प्रेशर नहीं था कि अगर मैं गलत जवाब दूंगा तब अन्य प्रतिभागी मेरे बारे में क्या सोचेंगे?
इसीलिए अधिकतर प्रतिभागियों ने सही जवाब देते हुए लाइन B को अपना उत्तर बताया कि दुसरे सफ़ेद कार्ड पर लाइन B, पहले सफ़ेद कार्ड पर दिखाई देने वाली लाइन X के जैसी है
अनुपालन का अर्थ क्या होता है? अनुपालन अर्थ ( Compliance Meaning in Hindi ) Meaning of Compliance in Hindi.
अनुपालन ( Compliance ) का शाब्दिक अर्थ अनुकूलता, सम्मति, स्वीकृति, आज्ञापालन, कबूल, अनुवृत्ति इत्यादि होता है अनुपालन का पर्यायवाची आज्ञापालन, स्वीकृति, पालन, सहमति, विनम्रता, अनुसरण, अनुरूपता, समर्पण, रक्षण, आदर इत्यादि होता है
जब हमारे आस-पास के व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह सीधें हमारे किसी व्यवहार को बदलने के लिए अनुरोध ( Request ) करता है या सुझाव देता हैं और हम उनकी इस बात से सहमत होकर अपना व्यवहार बदल देते है वह अनुपालन कहलाता है
इसीलिए, अनुपालन में किसी अन्य व्यक्ति या समूह से सीधे अनुरोध या आदेश पर अनुकूल प्रतिक्रिया देना अथवा अनुपालन में दूसरों के अनुरोध या सुझाव पर सहमत होना शामिल होता है
सरल भाषा – अनुपालन तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति या समूह द्वारा परिवर्तन करने के लिए कहने या निर्देश देने के परिणामस्वरूप अपना व्यवहार बदलता है व्यवहार में परिवर्तन करने के कहने या निर्देश देने वाले व्यक्ति या समूह के पास आमतौर पर परिवर्तन करने का कोई वास्तविक अधिकार या शक्ति नहीं होती है
उदहारण के लिए, मान लीजिए कि आप अपने घर में आराम या रिलैक्स स्थिति में म्यूजिक सुन रहें है तभी एक विक्रेता आपके दरवाजे को नोक-नोक करता है या घंटी बजाता है उस विक्रेता के पास सफाई का कोई सलूशन हैं
जिसको बेचने के लिए वह आपके पास आया है कम्युनिकेशन के दौरान विक्रेता आपको अपने प्रोडक्ट की सही जानकारी देता है, उसके लाभ बताता है अंत में वह यह पूछता है कि क्या आप मेरे प्रोडक्ट को खरीदना चाहेंगे
इस स्थिति में विक्रेता ने आपसे अपना उत्पाद ( प्रोडक्ट ) खरीदने का सीधा अनुरोध किया है सामाजिक मानदंडों और विनम्रता के कारण, आप उनके अनुरोध का अनुपालन कर सकते है
हो सकता है कि जब विक्रेता आपके पास आया था तब आपको शुरू में सफाई समाधान में कोई दिलजस्पी नहीं थी क्योकि उस समय आप घर पर रिलैक्स ( आराम ) मोड में थे
परन्तु उसके द्वारा प्रोडक्ट के बताये गए लाभ तथा विनम्र भाव को देखकर आपके द्वारा उसके प्रोडक्ट को खरीदने की संभावना बढ़ती है इस दौरान विक्रेता आपके अनुपालन की संभावना बढाने के लिए अच्छी तकनीकों या प्रोत्साहनों का उपयोग कर सकता है
अनुपालन की तकनीक – Techniques of Compliance.
अनुपालन के लिए कुछ तकनीक इस प्रकार है –
- दरवाजे में पैर डालने की तकनीक ( Foot in the Door Technique )
- दरवाज़ा मुँह पर रखने की तकनीक ( Door in the Face Technique )
- लो बॉल तकनीक ( Low ball technique )
दरवाजे में पैर डालने की तकनीक ( Foot in the Door Technique )
इसमें सबसे पहले एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति से छोटी प्रतिबद्धता ( Commitment ) की मांग करता है और अनुपालन प्राप्त करने के बाद वह व्यक्ति किसी बड़ी प्रतिबद्धता ( Commitment ) की मांग करता है
क्योकि अक्सर व्यक्ति किसी छोटी प्रतिबद्धता ( Commitment ) के लिए हाँ कहने के बाद बड़ी प्रतिबद्धता ( Commitment ) के लिए भी हाँ बोल देता है क्योकि इस स्थिति में हमें पहली प्रतिबद्धता के साथ बने रहने का दबाब महसूस होता है
उदहारण के लिए, हमारा पडोसी हमे यह कहता है कि मै कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूँ आप प्लीज मेरे घर पर थोड़ी नजर बनाये रखना या देखभाल रखना क्योकि यह आस-पड़ोस में एक छोटी बात होती है
अक्सर अधिकतर पडोसी इसके लिए मान जातें है मना नहीं करतें है उसके बाद वह पडोसी थोड़ी बड़ी प्रतिबद्धता ( Commitment ) भी माँग लेता है वह कहता है कि मैंने अपने घर के बाहर एक छोटा-सा गार्डन बना रखा है
अगर आप उस गार्डन में लगें पौधों में हर रोज या दो-दो दिन में एक बार पानी डाल देंगे तो इन पौधों के लिए मेरी मेहनत ख़राब नहीं होगी
दरवाज़ा मुँह पर रखने की तकनीक ( Door in the Face Technique )
इसमें एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति से बड़ी प्रतिबद्धता ( Commitment ) के लिए पूछता है और उसके बाद मना कर दिए जाने पर वह व्यक्ति छोटी प्रतिबद्धता ( Commitment ) के लिए पूछता है
इस तकनीक में छोटी प्रतिबद्धता ( Commitment ) व्यक्ति की मुख्य प्रतिबद्धता ( Commitment ) होती है ऐसा होता है कि जब कोई एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति से किसी बड़ी प्रतिबद्धता ( Commitment ) के लिए पूछता है
तब वह उसको तुरंत मना कर देता है क्योकि उसको पता होता है कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी या कार्य है परन्तु उसके बाद जब दुसरा व्यक्ति किसी छोटी प्रतिबद्धता ( Commitment ) के लिए पूछता है
तब वह व्यक्ति सोचता है कि मैंने एक प्रतिबद्धता ( Commitment ) के लिए पहले ही मना कर दिया है लेकिन वह प्रतिबद्धता ( Commitment ) बहुत बड़ी थी और यह छोटी प्रतिबद्धता ( Commitment ) हैं इसीलिए वह उसके लिए हाँ बोल देता है
यहाँ पारस्परिकता का सिद्धांत ( पारस्परिक रियायतें ) काम करता है
उदहारण के लिए, एक बच्चा अपने माता-पिता के पास जाकर कहता है कि मार्किट में यह एक बहुत महँगा फ़ोन आया है मुझे यह चाहिए ऐसी स्थिति में माता-पिता की नजरों में यह एक बड़ी डिमांड हो जाती है
माता-पिता बच्चे से कहते है कि नहीं बेटा यह बहुत महँगा फ़ोन हैं आपकी अभी उम्र नहीं है कि आप इतना महँगा फ़ोन यूज़ करें उसके बाद बच्चा कहता है कि अच्छा अगर आप मुझे यह महँगा फ़ोन नहीं दिला रहे है
तब मुझे यह कम महँगा वाला फ़ोन दिला दो ऐसी स्थिति में माता-पिता विचार करतें है कि बच्चा एडजस्ट कर रहा है थोडा बहुत एडजस्ट हमें भी करना चाहिए और वह बच्चे को सस्ता फ़ोन दिला देतें है परन्तु बच्चे का मुख्य उद्देश्य वह सस्ता वाला फ़ोन लेना था
लो बॉल तकनीक ( Low ball technique )
इसमें पहले एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति से प्रतिबद्धता ( Commitment ) प्राप्त करता है उसके बाद वह उस प्रतिबद्धता ( Commitment ) की लागत बढ़ा देता है जो व्यक्ति किसी चीज या प्रोडक्ट को बेचते है
वह सबसे अधिक इस तकनीक का उपयोग करते है यह लगत पैसा, समय या किसी भी प्रकार का त्याग इत्यादि हो सकता है मतलब यहाँ व्यक्ति को अपेक्षाकृत प्रस्ताव पर सहमत होने के लिए धोखा दिया जाता है
उदहारण के लिए, कोई महिला कार खरीदने के लिए कार शोरूम में जाती है जहाँ पर वह बहुत सारी कारें देखती है उसके बाद उसने कार खरीदने के लिए उन सभी कारों में से किसी एक पसंदीदा कार का चुनाव किया
उसके बाद वह अपनी पसंदीदी कार की कीमत को पूछती है जिसके बाद विक्रेता उस कार की कीमत 50 लाख बताता है महिला कहती है कि ठीक है यह कार मेरे बजट में हैं और मुझे पसंद है मैं इसे खरीदना चाहती हूँ
परन्तु अंत में जब वह बिलिंग करती है तब उसको पता चलता है कि उस समय विक्रेता ने जो कार की कीमत 50 लाख बताई थी उसमे बहुत सारी चीजें ( एडिशनल चार्ज ) शामिल नहीं थी जिसमे टैक्स, कार के सामान ( Car Accessories ) इत्यादि शामिल है
अनुपालन के कारक या फैक्टर्स ( Factors Influencing Compliance )
रॉबर्ट सियालाडिनी द्वारा वर्ष 2006 में 6 प्रमुख अनुपालन के लिए सिद्धांत या कारक को बताया गया है
- अधिकार – लोग अधिकार प्राप्त व्यक्तियों की आज्ञा का पालन करने के लिए प्रवृत्त होते है चाहे उनसे आपत्तिजनक कार्य करने के लिए कहा जाए
- कमी – अनुमानित कमी मांग उत्पन्न करेगी
- पारस्परिकता – लोग बदलने में एहसान करते है
- पसंद – लोग आसानी से दुसरे लोगो से प्रभावित हो जाते है जिन्हें वे पसंद करते है या जिनके प्रति वे आकर्षित होते है
- सामाजिक प्रमाण – लोग वही कार्य करते है जो वे अन्य लोगो को करते हुए देखते है
- प्रतिबद्धता – यदि लोग किसी विचार या लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध होते है वे अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप बने रहने और उसका पालन करने की अधिक संभावना अखते है
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निष्कर्ष
यह लेख अनुरूपता तथा अनुपालन को मनोविज्ञान स्टूडेंट्स के लिए परिभाषित करता है हमें बहुत ख़ुशी होती है जब मनोविज्ञान के छात्र हमारे लेखो के माध्यम से अपनी स्टडी करके अच्छे अंक प्राप्त करते है
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें