ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide ( 2025 )

Britain Ke Samvidhan Ki Visheshta: – ब्रिटिश संविधान क्या है? हर देश का अपना-अपना संविधान होता है हमारे लिए सिर्फ अपने देश का संविधान जानना महत्वपूर्ण होता है परन्तु राजनीति के क्षेत्र में अध्ययन करने वाले स्टूडेंट के लिए,

ब्रिटेन के साथ साथ अन्य देशो के संविधानों के विषय पर भी एग्जाम के लिए जानकारी होना जरुरी होता हैं ब्रिटिश संविधान का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन के संविधान को सभी संविधानों की जननी कहा जाता है 

आज के समय में भारत के साथ-साथ विश्व के समस्त लोकतान्त्रिक देश संविधान के अनुसार चल रहें हैं 

ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide

ब्रिटिश संविधान की प्रस्तावना करते हुए हमने ब्रिटेन के संविधान को स्टूडेंट के लिए आसान बनाने पर कार्य किया हैं क्योकि गहरी रिसर्च के बाद हमने देखा है कि एग्जाम में कुछ इस तरह के प्रश्नों को पूछ लिया जाता है कि 

  • ब्रिटिश संविधान की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए और ब्रिटिश संविधान में राजमुकुट ( क्राउन ), कार्यपालिका और विधायिका के कार्यों का वर्णन कीजिए?
  • ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियों का वर्णन कीजि? 
  • ब्रिटिश संविधान विकास महत्व और विशेषताएं लिखिए?
  • ब्रिटिश राजनीतिक व्यवस्था की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करे

इसीलिए बिना समय ख़राब किये हमें यह पढ़ना चाहिए कि ब्रिटिश संविधान की परिभाषा क्या हैं? ( Samvidhan Kya Hai ).

ब्रिटिश संविधान क्या है? ( UK – Britain Constitution in Hindi ) Britain Samvidhan Kab Lagu Hua.

Table of Contents

हमें यह बात पता होनी चाहिए कि ब्रिटेन के संविधान ( Constitution ) को सभी संविधानों की जननी कहा जाता है क्योकि दुनिया में यह सबसे पुराना संविधान है ब्रिटेन का संविधान कुलीनवाद से अत्यधिक प्रभावित रहा है 

इसीलिए ब्रिटेन में राजतंत्र के होने के बाबजूद प्रजातांत्रिक संस्थाओं एंव प्रतिनिधि शासन का विकास हुआ था जिसके बाद ब्रिटेन के अलिखित संविधान के ऊपर राजतंत्र, कुलीनतंत्र, जनतंत्र तीनो का प्रभाव पड़ा है 

सच्चाई यह है कि प्राचीनकाल में ब्रिटेन में शासन का स्थान कुलीनवर्ग को दिया जाता था उदहारण – सम्राट ( राजा ) या महारानी.

ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide

  • कुलीनवर्ग ( कुलीनवाद ) – कुलीनवर्ग में ऐसे मनुष्यों को शामिल किया जाता है जो सोसाइटी ( समाज ) में अन्य मनुष्यों की तुलना में उच्च पद रखतें हैं इसीलिए कुलीनवर्ग में सबसे सर्वोच्च ( ऊँचा ) स्थान शासक का होता है 
  • प्रतिनिधि शासन – इसमें जनता के द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव होता है मतलब जनता अपने प्रतिनिधि को सीधा चुनती हैं उदहारण – भारत.
  • प्रजातांत्रिक संस्था – सरकार का वह राजनीतिक रूप होता है जिसमे शासन से सम्बंधित शक्तियाँ लोगो के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा मिलती हैं 

ब्रिटेन खुद अपने देश के कुलीनवर्ग की शासन प्रणाली से प्रभावित रहा हैं ब्रिटेन एक आदर्श प्रजातंत्र हैं क्योकि पुरे विश्व में ब्रिटेन का संविधान अपनी अलग पहचान रखता है

यही कारण है कि समस्त संविधानों की जननी ब्रिटेन संविधान ( British Samvidhan ) को कहा जाता है यह बात सच है कि ब्रिटेन का संविधान विकसित एंव अलिखित हैं यह संविधान समय-समय पर बदलावों के अनुसार धीरे-धीरे विकसित हुआ हैं

रिसर्च के अनुसार,

  • ब्रिटेन में ब्रिटिश राजतंत्र के दौर में आधुनिक संविधान का आधार राजा जॉन के द्वारा वर्ष 1215 में, 15 जून के दिन लंदन में थेम्स नदी के किनारे जारी किया गया मैग्ना कार्टा था 
  • अंग्रेज़ी संसद के द्वारा वर्ष 1689 में अधिकार विधेयक पारित ( पास ) किया जिसने ब्रिटेन में स्वतंत्र चुनाव, संसद, और संसद में अभिव्यक्ति की आज़ादी के सिद्धांतों को निर्धारित किया
  • संघ अधिनियम, अंग्रेज़ी और स्कॉटिश संसदों के द्वारा वर्ष 1707 में पारित ( पास ) किया जिसके बाद वर्ष 1707 में, 1 मई के दिन स्कॉटलैंड और इंग्लैंड मिलकर ग्रेट ब्रिटेन ( Great Britain ) बनें 
  • ह्यूमन राइट्स एक्ट को वर्ष 1998 में पास किया 

अलिखित संविधान वालें देशो में संसद सर्वोच्च ( सबसे ऊपर ) होती है तथा न्यायपालिका की शक्तियाँ सीमित होती हैं ब्रिटिश संविधान का विकास मैग्ना कार्टा से माना जाता है जिसको 13वीं सदी की सबसे बड़ी घटना कहा जाता है 

ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide

क्योकि मैग्ना कार्टा पत्र में लोकतान्त्रिक अधिकारों को अधिक महत्त्व दिया गया था उस दौरान राजा के विरूद्ध, उनके सामंतों ने विद्रोह कर दिया था क्योकि सामंत लोग राजाओं के करों से कष्टो से अत्यधिक परेशान होकर,

यह ऐलान कर दिया कि वह लोग राजा के प्रति अपनी निष्ठा को त्याग देंगें उसके बाद ब्रिटेन में गृह युद्ध के हालात बन गए उस दौरान मैग्ना कार्टा ने उस युद्ध को समाप्त करने में मुख्य भूमिका निभाई थी 

मैग्ना कार्टा में पहली बार यह माना गया कि कानून सर्वोच्च ( सबसे ऊपर ) हैं और राजा भी कानून के दायरें में रहेंगें इसमें सामंतों को कुछ अधिकार दिए गए थें 

इस मैग्ना कार्टा में कुछ 49 समझौतें थें फिर राजा जॉन की मृत्यु के बाद उनके पुत्र हेनरी ने ब्रिटेन में मैग्ना कार्टा को संवैधानिक व्यवस्था एंव लोकतान्त्रिक कानून का आधार बनाया था इसने मानव अधिकारों की नीव को रखा 

यहाँ लिखे मानव अधिकारों को दुनियाभर के कई देशो ने अपनाया था जिसमे हमारा भारत भी शामिल था यह देखा जा सकता है कि भारत की शासन प्रणाली भी ब्रिटेन से प्रभावित हैं क्योकि एकल नागरिकता, विधि का शासन, न्यायालय के अधिकार, 

कानून  निर्माण की प्रक्रिया, मंत्रीमंडल प्रणाली, द्विसदनवाद इत्यादि को भारत ने ब्रिटेन के संविधान से लिया हैं 

ब्रिटेन के संविधान को संवैधानिक राजतंत्र क्यों कहा जाता है? 

संवैधानिक तौर पर ब्रिटेन ( यूनाइटेड किंगडम ) में राजतंत्र लागू हैं क्योकि ब्रिटेन में राजा/रानी को चुनने का फैसला उनका शाही परिवार लेता है क्योकि यह वंशानुगत हैं इसीलिए यह पीढी दर पीढी चलता रहता है 

ब्रिटिश ताज को सँभालने वाला व्यक्ति राष्ट्रमंडल देशों का प्रमुख होता हैं क्योकि उसका देश में संपत्ति, शाही घरानों, महलों इत्यादि का दबदबा होता हैं ब्रिटेन ( यूनाइटेड किंगडम ) में एक संस्थागत राजा होता है

वह एक सत्ताधारी सरकार का प्रतिक होता है जिसको क्राउन ( Crown ) कहा जाता है शुरुआत से ब्रिटेन में निरंकुश राजतंत्र था जिसमे सत्ता या शासन किसी एक शाही परिवार, एक व्यक्ति या एक राजवंश के पास होती थी 

उस दौरान राजा या सम्राट को शासन का सबकुछ माना जाता था इसीलिए राजा के आदेशों को सर्वोच्च ( सबसे ऊपर ) रखा जाता था राजमुकुट ( क्राउन ) राजा की शक्ति का प्रतिक होता था जिसको वह सिंहासन पर बैठते समय पहला करते थें 

परन्तु वर्तमान में राजमुकुट ने एक संवैधानिक दर्जा प्राप्त किया हैं जिसमे संसद, राजा ( सम्राट ), कैबिनेट, लोक सेवायें एंव समस्त वह संस्थाएं शामिल होती हैं जिनके माध्यम से प्रशासनिक सत्ता का प्रयोग किया जाता है 

आमतौर पर वर्तमान समय में भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, श्रीलंका जैसे गणतंत्र देशों में कोई सरकार मान्य कुलीनतंत्र नहीं होता है लेकिन युनाइटेड किंगडम, साउदी अरब जैसे राजशाही देशो में यह आज भी देखने को मिलता है 

यूनाइटेड किंगडम किसे कहते हैं? यूके किसे कहते हैं? ( UK Me Kitne Desh Hai ) – United Kingdom in Hindi.

ग्रेट ब्रिटेन, यूनाइटेड किंगडम, इंग्लैंड इत्यादि अधिकतर स्टूडेंट्स के लिए समानार्थी शब्द (Synonyms) की तरह है परन्तु ऐसा नहीं होता है क्योकि यूनाइटेड किंगडम भारत की तरह एक देश होता है

ब्रिटेन ( यूनाइटेड किंगडम ) एक संप्रभु राज्य ( देश ) होता है जिसमे चार नेशन या यूनिट के रूप में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड शामिल है परन्तु ग्रेट ब्रिटेन एक देश नहीं बल्कि एक भू-भाग ( द्वीप ) है जिसको ग्रेट ( Great ) कहा जाता है

ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide

क्योकि ब्रिटिश द्वीपों में यह सबसे बड़ा द्वीप है यह यूरोप के उत्तर पश्चिमी तट पर स्थित हैं जिसके तटों पर इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स जैसे देश स्थित हैं इसीलिए कहा जा सकता है कि इंग्लैंड ब्रिटेन के अंतर्गत एक देश है

आधिकारिक नाम –  यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंव नॉर्दर्न आयरलैंड
यूनाइटेड किंगडम की राजधानी ( ब्रिटेन की राजधानी ) – लंदन ( London )
क्षेत्रफल –  0.244 मिलियन वर्ग किमी ( तुलना – भारत 3.2 मिलियन वर्ग किमी या भारत का 1/13वां हिस्सा )
धर्म –  ईसाई – बहुसंख्यक ( अधिकतर ) प्रोटेस्टेंट
अर्थव्यवस्था – 
  • जीडीपी 2.83 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर – विश्व में 5वीं सबसे बड़ी जीडीपी ( तुलना – भारत लगभग 2.72 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर )
  • जीडीपी/व्यक्ति लगभग 42558 अमेरिकी डॉलर – 21वां सबसे अमीर देश ( तुलना – भारत 2000 अमेरिकी डॉलर )
  • निर्यात ( Export ) लगभग 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर ( 10वां सबसे बड़ा निर्यात देश ) एंव आयत ( Import ) 617 अमेरिकी डॉलर ( वर्ष 2017 का डाटा )
भूगोल –  यह अटलांटिक महासागर में द्वीप है
यूनाइटेड किंगडम ( यूके ) में शामिल –  इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड
ब्रिटिश द्वीप समूह –  6000 से अधिक द्वीपों का एक समूह, जिसमे ग्रेट ब्रिटेन सबसे बड़ा है
पापुलेशन या जनसंख्या –  लगभग 60 मिलियन ( तुलना – भारत के गुजरात ( राज्य ) की जनसंख्या के बराबर, भारत जनसंख्या लगभग 1300 मिलियन )
राजनीतिक प्रणाली ( व्यवस्था ) –  बहुदलीय लोकतंत्र, संसदीय प्रणाली
अंतर्राष्ट्रीय संगठन का हिस्सा –  जी8, जी20, नाटो, राष्ट्रमंडल, यूरोपीय संघ ( ब्रेक्सिट ) का सदस्य
ऐतिहासिक –  नवपाषाण ( Neolithic ) काल के स्टोनहेंज, रोमन स्नानागार, ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज के प्राचीन विश्वविद्यालय – न्यूटन कॉलेज रहा है

 

ब्रिटिश संविधान की विशेषताएं PDF ( British Samvidhan Ki Visheshta ) – Main Features.

भारत में अधिकतर ग्रेजुएशन लेवल के एग्जाम में ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए? से सम्बंधित एक प्रश्न जरुर दिया जाता है ब्रिटेन के संविधान की विशेषताएं अनेक हो सकती है

परन्तु यहाँ हम एग्जाम के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश संविधान की विशेषता पर सरल चर्चा करेंगें इसीलिए ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है – 

सामान्यत: द्विदलीय पद्दति – ब्रिटेन में सिर्फ दो प्रमुख राजनीतिक दल होते है इसीलिए ब्रिटेन में सामान्यत: द्विदलीय पद्दति पाई जाती है परन्तु ऐसा नहीं है कि ब्रिटेन में कोई तीसरा राजनीतिक दल नहीं हो सकता है

वहाँ जितने चाहे राजनीतिक दल हो सकतें है परन्तु मुख्य रूप से द्विदलीय पद्दति हैं 

अलिखित – यह ब्रिटिश के संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है ब्रिटिश संविधान के लिए लिखित, सटीक और संक्षिप्त दस्तावेज जैसी कोई चीज नहीं होती है क्योकि यह सम्मेलनों और राजनीतिक परम्पराओं पर आधारित होता है

जिनको किसी दस्तावेज में नहीं रखा गया है परन्तु एक लिखित संविधान आमतौर पर संविधान सभा के द्वारा बनाया जाता है

नोट – भारतीय सविधान ब्रिटिश संविधान से कुछ इस तरह अलग है कि यह एक लिखित दस्तावेज है जिसमे सभी प्रावधान अच्छी तरह से परिभाषित हैं 

नोट – हमें पता होना चाहिए कि विश्व के अनेक संविधानों से तुलना करने पर भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा ( बड़ा ) संविधान है जिसको बनने के 2 वर्ष, 11 महीने तथा 18 दिन का समय व 63,96,729 रुपए खर्चा हुआ है 

सिद्धांत और व्यवहार में अंतर – हर संविधान में कुछ न कुछ मात्रा में सिद्धांत एंव व्यवहार में अंतर पाया जाता है परन्तु ब्रिटेन में यह अंतर थोडा अधिक है ब्रिटेन के सिद्धांत और व्यवहार में अंतर को हम तीन पॉइंट्स से समझ सकतें है –

  1. ब्रिटेन में सैद्धांतिक रूप से राजतंत्र तथा व्यवहारिक रूप से लोकतंत्र है क्योकि शासन की रियल शक्तियाँ मंत्रिमंडल और प्रधानमंत्री में निहित होती है 
  2. सैद्धांतिक रूप में संसद अपना नियंत्रण मंत्रिमंडल के ऊपर रखती है लेकिन व्यवहार में मंत्रिमंडल संसद के ऊपर अपना नियंत्रण रखता है 
  3. ब्रिटेन में सैद्धांतिक रूप में शक्ति पृथक्करण पाया जाता है लेकिन व्यवहार में शक्ति पृथक्करण नहीं पाया जाता है जब कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका एक-दुसरे से स्वतंत्र होकर कार्य करतें है उसको शक्ति पृथक्करण कहा जाता है 

विकासवादी – ब्रिटिश संविधान को कभी किसी भी संविधान सभा के द्वारा नहीं बनाया गया है इस संविधान में 1 हजार से अधिक वर्षो की अवधि में विकास की एक अखंड निरंतरता है ऐसा कहा जाता है कि ब्रिटिश संविधान बुद्धि और संयोग का एक परिणाम है

नोट – भारतीय संविधान विकास के लिए खुला हैं लेकिन यह शर्त है कि संशोधन का प्रावधान इस प्रकार रखा जाए कि संविधान को समय की संवेदनशीलता और आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जा सकें 

संसदीय शासन व्यवस्था ब्रिटेन में संसदीय शासन व्यवस्था पाई जाती है जिसके अंतर्गत तीन चीजें महत्वपूर्ण है 

  1. कार्यपालिका ( मंत्रिमंडल, प्रधानमंत्री ) संसद के प्रति उत्तरदायी है 
  2. इसमें मंत्रिमंडल के सदस्य, संसद से चुने जाते है 
  3. यहाँ दो प्रकार के प्रमुख पाए जातें है जिसमे पहला – नाममात्र प्रमुख ( सम्राट ), दुसरा – वास्तविक प्रमुख ( मंत्रिमंडल सहित प्रधानमंत्री ) होता है 

लचीलापन – ब्रिटिश का संविधान लचीले संविधान का एक अच्छा उदहारण है क्योकि इसको संसद में उपस्थित और मतदान करने वालें मात्र 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा बनाया ( पारित ), संशोधन ( करेक्शन करना ) एंव रद्द ( निरस्त ) किया जा सकता है

इस लचीलेपन ने ब्रिटिश संविधान को अनुकूलनशीलता तथा समायोजनशीलता का गुण प्रदान किया है जिसने इस संविधान को समय की जरूरतों के साथ विकसित करने में सक्षम बनाया है

नोट – भारतीय संविधान लचीला एंव कठोर दोनों हैं यह भारत के संविधान की मूल विचारधारा को अच्छे से दर्शाता हैं जिसमें धर्मनिरपेक्षता, गणतंत्र एंव संप्रभुता जैसी कुछ विशेषताओं को पवित्र माना गया है फिर भी भारतीय संविधान संशोधन के योग्य हैं 

मिश्रित संविधान – ब्रिटेन का संविधान एक मिश्रित संविधान होता है क्योकि यहाँ एक से अधिक शासन प्रणाली या व्यवस्था पाई जाती है ब्रिटेन के संविधान में कुछ तीन प्रकार की शासन प्रणालियाँ पाई जाती है 

  1. राजतंत्र ( Monarchy ) – सम्राट/राजा 
  2. लोकतंत्र ( Democracy ) – संसद, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल 
  3. कुलीनतंत्र ( Oligarchy ) – लॉर्ड सभा 

एकात्मक/संघात्मक विशेषता – ब्रिटिश के संविधान में एकात्मक शासन व्यवस्था है इसीलिए सरकार की समस्त ( सभी ) शक्तियाँ संविधान में निहित होती है ब्रिटिश संसद एक संप्रभु निकाय है और देश ( राज्य ) के समस्त कार्यकारी अंग संसद के अधीन होते है

यह प्रत्यायोजित शक्तियों का प्रयोग करते हैं और उसके प्रति उत्तरदायी भी होते है इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड इत्यादि राजनीतिक रूप से स्वायत्त इकाईयाँ नहीं बल्कि प्रशासनिक इकाईयाँ हैं

नोट – भारतीय संविधान संघात्मक ( संघीय ) हैं 

सम्मेलनों की भूमिका – दुनिया के अधिकतर संविधानों में परम्पराएँ होती हैं परन्तु ब्रिटिश राजनीतिक प्रणाली ( व्यवस्था ) में परम्पराओं का एक महत्वपूर्ण रोल होता हैं

उदहारण – सम्राट के पास ब्रिटिश संसद के द्वारा बनाये ( पारित ) किसी विधेयक को मंजूरी देने से इनकार करने का विशेष अधिकार होता है परन्तु परम्पराओं के अनुसार, वह ऐसा नहीं करता है और यह बात संविधान का सिद्धांत बन गई हैं

परन्तु सम्मेलनों की क़ानूनी स्थिति लिखित कानून के अधीन होती हैं

संसदीय कार्यपालिका – ब्रिटेन में संसदीय शासन प्रणाली ( व्यवस्था ) हैं जहाँ राजा ( जो संप्रभु होता है ) को, उसकी समस्त शक्तियों और अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है यहाँ वास्तविक ( असली ) अधिकारी मंत्री होता है

जिसका सम्बन्ध संसद के अंदर बहुमत वाली सरकार ( पार्टी ) से होता है और जबतक वह बहुमत वाली सरकार ( पार्टी ) का विश्वास खुद पर बनाये रखता है तबतक वह अधिकारी अपने पद पर बना रहता है

परन्तु यहाँ प्रधानमंत्री और उनके मंत्री अपनी नीतियों और कार्यों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदायी रहते हैं इस व्यवस्था में कार्यपालिका और विधायिका अलग-अलग नहीं होती है जैसा कि राष्ट्रपति सरकार में होता हैं

राजतंत्र की प्रकृति – ब्रिटेन में संवैधानिक राजतंत्र होता है और एक संवैधानिक राजतंत्र लोकतंत्र के साथ असंगत नहीं है क्योकि राज्य के प्रमुख के रूप में सम्राट की शक्तियाँ होती है

जिसमे संसद के सदस्य द्वारा सरकार बनाने का विकल्प होना सबसे महत्वपूर्ण व्यवहारिक शक्ति हैं 

परन्तु सम्राट हमेशा इस परम्परा का पालन करता है कि यह अवसर उस राजनीतिक दल या गठबंधन के नेता को दिया जाता है जिसका हाउस ऑफ़ कॉमन्स में बहुमत होता है

वास्तविक ( रियल ) शक्ति की कमी के बावजूद राजशाही को समकालीन ब्रिटेन में अभी कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभानी है –

  • देश और विदेश में ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करना
  • मतभेदों के बावजूद लोगो को एकजुट करना
  • ब्रिटिश परम्पराओं की निरंतरता बनाये रखना
  • ईसाई नैतिकता को बनाए रखना
  • नागरिकता और पारिवारिक जीवन के मानक निर्धारित करना
  • सशस्त्र बलों की निष्ठा करना 

संसद की संप्रभुता ( सर्वोच्चता ) – संप्रभुता का मतलब सर्वोच्च शक्ति से होता हैं यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्रिटिश संसद एकमात्र देश की विधायी संस्था हैं जिसके पास कानून बनाने के लिए असीमित शक्ति हैं

जिसके कारण यह कोई भी कानून बना सकती है उसमे संशोधन ( करेक्शन ) एंव उसको निरस्त ( रद्द ) भी कर सकती है

नोट – भारत के पास यह अधिकार नहीं है परन्तु भारत में राज्य स्तर पर विधानमंडलों के पास कानून बनाने का अधिकार हैं 

ब्रिटिश संसद के द्वारा बनाये गए कानूनों की वैधता पर सवाल उठाने का अधिकार न्यायालयों के पास नहीं होता है इसीलिए ब्रिटिश संसद देश के सामान्य कानून की तरह अपने अधिकार से संविधान में संशोधन कर सकती हैं

इसीलिए यह अवैधानिक चीजों को वैध तथा वैधानिक चीजों को अवैध बना सकती हैं

नोट – परन्तु भारतीय न्यायपालिका के पास बनाये गए कानून की वैधता पर नजर रखने तथा उसपर सवाल उठाने की शक्ति होती है इसीलिए भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारतीय संविधान का सर्वोच्च व्याख्याता है 

दो प्रमुखों की आवश्यकता – ब्रिटेन में संसदीय प्रणाली के लिए हमें दो प्रमुखों की जरुरत होती है जिसमे प्रथम प्रमुख वह होता है जो राज्य या देश के प्रमुख के रूप में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है और,

प्रशासन को निरंतरता प्रदान करता है तथा दुसरा प्रमुख सरकार का मुखिया होता है उसके पास वास्तविक ( रियल ) शक्तियाँ होती है क्योकि ब्रिटेन में सदन को प्रधानमंत्री के ऊपर भरोसा होता है, प्रधानमंत्री सदन का नेता होता है

इसीलिए वह सदन के बहुमत का प्रतिनिधित्व करता है राजत्व की संस्था मनोवैज्ञानिक संतुष्टि का स्त्रोत होती है ऐसा कहा जाता है कि “बकिंघम पैलेस में राजा के साथ, अंग्रेज अपने घरों में शान्ति से सोते है”

राजा मुश्किल ( कठिन ) समय में बहुत मददगार होता है आमतौर पर उसके पास बहुत लंबा अनुभव होता है और वह ( राजा ) देश के हित में मूल्यावान ( वैल्यू वाली ) सलाह दे सकता है

बेजहोट के अनुसार, राजा के तीन अधिकार होते हैं

  • चेतावनी देने का अधिकार
  • प्रोत्साहित करने का अधिकार
  • सूचित होने का अधिकार

यहाँ राजतंत्र को समाप्त ( ख़त्म ) करने के लिए निर्वाचित प्रमुख की आवश्यकता होती है निर्वाचित प्रमुख के पास कोई वास्तविक ( रियल ) शक्ति न होने के कारण, उसकी अपनी समस्याएँ होती है 

नोट – भारत के संविधान में राजतंत्र का कोई प्रावधान मौजूद नहीं है राजा इत्यादि जैसी उपाधियाँ धारण करना अनुच्छेद 18 के अनुसार निषिद्ध होता है यह एक मौलिक अधिकार है 

कानून का शासन – सीमित सरकार या संविधानवाद कानून के शासन का सार होती हैं यह कार्यपालिका को मनमानी कार्यवाही करने से रोकती है डाईसी के मुताबिक़, ब्रिटेन में कानून के शासन के मुख्य तीन नियम ( सिद्धांत ) हैं – 

पहला – मनमानी गिरफ्तारी से सुरक्षा तथा आत्मरक्षा का अवसर मिलता हैं

दुसरा ( कानून के समक्ष समानता ) – कानून के लिए सभी व्यक्ति समान हैं व्यक्ति की स्थिति, रैंक इत्यादि से कोई फर्क नहीं पड़ता हैं ब्रिटेन संविधान और मौलिक अधिकारों की अनुपस्थिति में न्यायपालिका इस कानून की रक्षा करती हैं

इसीलिए ब्रिटेन में लोगो के अधिकारों की गारंटी न्यायपालिका द्वारा दी जाती है न्यायपालिका सामान्य कानूनों को मान्यता देती है परन्तु यह देखा गया है कि कानून का शासन वास्तविक अर्थों में लागू नहीं होता है जिसके लिए कुछ कारणों को नीचे बताया गया है –

  • इन घटनाक्रमों को निरंकुशता कहा गया
  • प्रशासनिक कानून का विकास
  • आंतरिक और बाह्य आपातस्थितियाँ
  • प्रत्यायोजित विधान का विकास

तीसरा ( न्यायपालिका की स्वतंत्रता ) – ब्रिटेन में कानून का शासन इस प्रावधान द्वारा सुरक्षित रहता है कि संसद के दोनों सदनों की सहमति की आवश्यकता वाली प्रक्रिया के अनुसार, न्यायाधीशों को केवल गंभीर दुर्व्यवहार के लिए पद से हटाया जा सकता है

इसीलिए ब्रिटेन में न्यायाधीश बिना किसी डर/पक्षपात के अपने फैलसे लेने में सक्षम होता है 

नोट – भारत में भी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संविधान का एक अभिन्न अंग माना गया है 

ब्रिटिश सरकार के अंग ( Organs of The British Government ). Meaning of Constitution in Hindi.

ब्रिटिश सरकार के मुख्य रूप से तीन अंग होतें है यह इस प्रकार है – 

  • कार्यपालिका ( Executive )
  • विधायिका ( Legislature )
  • न्यायपालिका ( Judiciary )

कार्यपालिका ( Executive ) – Crown Meaning in Hindi ( Crown Hindi Meaning ) Crown in Hindi. ( ब्रिटिश कार्यपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए? ).

ब्रिटेन में कार्यपालिका या कार्यकारिणी को क्राउन ( Crown ) कहा जाता है प्रचीनकाल के दौरान ब्रिटेन में सम्राट या राजतंत्र प्रणाली ( Monarch System) था उस दौरान क्राउन का अर्थ राजा होता था 

उस दौरान ब्रिटेन में सारी शक्तियाँ राजा के पास होती थीं और राजमुकुट ( क्राउन ) राज्य की शक्ति का वह प्रतिक था जिसको सम्राट या राजा अपने सिर पर धारण करता था

ब्रिटेन में प्राचीनकाल से यह प्रथा चली आ रही थी कि सम्राट ( राजा ) पदाधिकारी व्यक्ति के द्वारा विधिवत समारोह के बाद जब राजमुकुट धारण कर लिया जाता था तभी उसे शासन की समस्त शक्तियाँ मिल जाती थी 

परन्तु वर्तमान में सत्ता राजा की संस्था से निकलकर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति ( मंत्रीपरिषद – Council Of Ministers ), स्थायी कार्यकारी ( Permanent Executive ) और प्रिवी काउंसिल ( Privy Council ) इत्यादि के पास चली गई है 

सरल शब्द – राजमुकुट सत्ता का प्रतीक हैं जिसे राजा राजपद ग्रहण करते समय अपने मस्तिष्क पर धारण करता है परन्तु वर्तमान में राजमुकुट एक सवैंधानिक संस्था है जिसके अंतर्गत व्यक्ति के रूप में सम्राट ( राजा ), प्रधानमंत्री,

ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide

मंत्रीपरिषद, स्थायी कार्यपालिका, प्रिवी काउंसिल इत्यादि शामिल हैं इसीलिए अब राजा क्राउन का हिस्सा होता है मतलब वर्तमान में क्राउन एक व्यक्ति न होकर एक संस्था है जिसके कई भाग है यह इस प्रकार है – 

  • राजा ( King )
  • प्रधानमंत्री ( Prime Minister ) 
  • मंत्रीपरिषद ( Council Of Ministers – CoM )
  • स्थायी कार्यपालिका ( Permanent Executive ), सिविल सेवक
  • प्रिवी काउंसिल ( Privy Council )

नेविलकर्क – राजा की शक्तियाँ किसी व्यक्ति से निकलकर संस्था में आ गई हैं उसको क्राउन कहते हैं 

प्रो. मुर्नो – क्राउन एक कृत्रिम और न्यायिक व्यक्ति है।

ऑंग – का कहना है कि क्राउन का अर्थ राजा, मंत्रियों और संसद का सम्मिश्रण होता हैं 

राजा ( King ) – ब्रिटिश राजा किसे कहतें हैं? 

सम्राट वह व्यक्ति होता है जो विशेष समय पर ब्रिटिश राज्य के प्रमुख पद पर आसीन होता है जिसका पद निरंकुश होता है लेकिन वर्तमान स्थिति में सम्राट ( राजा ) की समस्त शक्तियाँ मुकुट में चली गई हैं

सम्राट ( राजा ) सिर्फ नाममात्र होता है वास्तविक ( रियल ) प्रशासन में सम्राट शक्तिहीन होता हैं 

राजा और क्राउन/राजमुकुट में अंतर 

राजा या सम्राट ( King ) राजमुकुट या क्राउन ( The Crown )
राजा एक व्यक्ति होता है  राजमुकुट एक संस्था हैं जिसको चलाने के लिए एक व्यक्ति की जरुरत होती है 
राजा राजमुकुट का सिर्फ एक हिस्सा ( पार्ट ) है  लेकिन राजा, प्रधानमंत्री, मंत्रीपरिषद इत्यादि मिलकर राजमुकुट को पूरा करते है 
सम्राट ( राजा ) को फिजिकल रूप से देखा जा सकता है  लेकिन राजमुकुट की आभासी उपस्थिति होती है 
राजा लाइफटाइम ( जीवनभर ) के लिए नहीं होता है क्योकि एक निश्चित उम्र के बाद उसकी मृत्यु हो जाती है  राजमुकुट लाइफटाइम ( जीवनभर ) के लिए होता है 
राजा को बदला जा सकता है  परन्तु राजमुकुट ( क्राउन ) को बदला नहीं जा सकता है 
राजा खुद कार्य कर सकता है  परन्तु राजमुकुट से किसी व्यक्ति के द्वारा कार्य करवाया जाता है 
राजा केवल नामनात्र प्रमुख होता है  राजमुकुट एक रियल ( वास्तविक ) प्रमुख होता है 

 

मंत्रीपरिषद ( Council Of Ministers – CoM ) – ब्रिटिश मंत्रिमंडल की विशेषताओं का वर्णन कीजिए?

ब्रिटेन में कैबिनेट, सामूहिक सरकार का एक रूप होता हैं यहाँ सत्ता सिर्फ एक व्यक्ति में न होकर पूरे मंत्रिपरिषद में निहित होती है इसीलिए कहा जाता है कि सभी मंत्री एक साथ डूबते और तैरते है

मुख्य रूप से यह निचले सदन के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी पर आधारित होता हैं कैबिनेट की उत्पत्ति गठित प्रिवी काउंसिल में राजा को सलाह देने के लिए हुई है कैबिनेट की भूमिकाओं में यह शामिल है – 

  • नीति को मंजूरी देना ( प्रमुख नीति-निर्माण निकाय )
  • प्रधानमंत्री को विवश करना
  • संसदीय दल को एकजुट करना
  • विवादों का समाधान करना 
  • एकजुट करने वाली सरकार

हमें पता होना चाहिए कि ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में कानून बनाने के लिए मंत्रिमंडल ही अंतिम निकाय होता है क्योकि मंत्रिमंडल का गठन उस पार्टी या समूह से होता है जिसको सदन में बहुमत प्राप्त होता है, मंत्रिमंडल की बैठके निजी तौर पर होती है

प्रधानमंत्री ( Prime Minister ) – ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य? ( ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की शक्तियां ).

  • ब्रिटिश प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का मुखिया होता है
  • प्रधानमंत्री राजा और मंत्रिमंडल के साथ-साथ राजा और संसद के बीच संपर्क स्थापित करता है
  • प्रधानमंत्री की पार्टी ( दल ) को सदन में बहुमत प्राप्त होती है
  • सदन का जीवन प्रधानमंत्री पर निर्भर करता है प्रधानमंत्री सदन को भंग करने की सलाह दे सकता है
  • अन्य मंत्रियों का कार्यकाल भी प्रधानमंत्री पर निर्भर करता है
  • अन्य मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है

ऊपर बताये गए पॉइंट्स अन्य मंत्रियों के प्रति प्रधानमंत्री की स्थिति को स्पष्ट करते है परन्तु कैबिनेट प्रणाली में सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत होता है इसीलिए अन्य मंत्री भी महत्वपूर्ण ( आवश्यक ) होते है

ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide

जिस प्रकार राष्ट्रपति प्रणाली में, कैबिनेट के सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा चुना जाता है उसीतरह संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रियों को चुना जाता है 

सैद्धांतिक रूप से प्रधानमंत्री को स्वयं को समानों से प्रथम मानना चाहिए तथा सदन के अन्य सदस्यों को उचित सम्मान देना चाहिए कैबिनेट को उनसे परामर्श करके निर्णय लेने चाहिए परन्तु, प्रधानमंत्री पहले स्थान पर है क्योकि – 

  • वह हाउस ऑफ़ कॉमन्स के नेता है इसीलिए सबसे पहले उनकी नियुक्ति की जाती है
  • अन्य मंत्रियों की नियुक्ति उनकी सलाह पर की जाती है
  • उनकी सलाह पर अन्य मंत्रियों को हटाया जा सकता है

व्यवहार में प्रधानमंत्री को प्रमुखता प्राप्त होती है और वह केवल बराबरी वालों में प्रथम नहीं होता है इसके लिए औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही कारक जिम्मेदार है

  • औपचारिक कारक – वह संसद और विधानसभा के बीच की कड़ी है राजा और मंत्रियों को उसकी सलाह पर नियुक्त किया या हटाया जाता है
  • अनौपचारिक कारक – व्यक्तित्व कारक, उनकी पार्टी की स्थिति, इत्यादि बाह्य/आंतरिक आपातकाल जैसी स्थिति.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य? ( ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की शक्तियां )

ब्रिटेन का प्रधानमंत्री, ब्रिटेन का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं यह कहा जा सकता है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री सरकार एंव देश का प्रमुख होता हैं ब्रिटेश प्रधानमंत्री के पास अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ ( कर्तव्य ) एंव शक्तियाँ होती है यह इस प्रकार हैं –

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संकट प्रबंधन – ब्रिटिश का प्रधानमंत्री ब्रिटेन में संकट प्रबंधन होता हैं जब देश ( ब्रिटेन ) में कोई महामारी, युद्ध, भूकंप, प्राकृतिक तथा आर्थिक समस्या से सम्बंधित संकट आता हैं तब उस समस्या को समाप्त करने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्य करता हैं 

उदहारण – विंस्टन चर्चिल ( ब्रिटेन के दुसरे प्रधानमंत्री ) ने द्वितीय वर्ड वॉर के दौरान ब्रिटेन ( देश ) का नेतृत्व किया तथा ब्रिटेन को उस कठिन समस्या से बाहर निकाला था 

सरकार का नेतृत्व ( कार्यकारी प्रमुख होना )- ब्रिटेश प्रधानमंत्री सम्पूर्ण देश ( ब्रिटेन ) की सरकार एंव मंत्रिमंडल का नेतृत्व करता है ब्रिटेश का प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करता है कि ब्रिटेश सरकार सही दिशा में कार्य कर रही हैं या नहीं.

तथा ब्रिटिश नागरिकों के हितों में निर्णय ( फैसला ) लिया जाता है या नहीं. क्योकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री, ब्रिटेन मंत्रिमंडल का प्रमुख होता हैं इसीलिए ब्रिटेन के समस्त प्रशासनिक कार्यों का संचालन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की देखरेख में किया जाता हैं 

  • किसी भी मंत्री की नियुक्ति से लेकर, मंत्री को पद से हटाने का कार्य ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के द्वारा किया जाता हैं 
  • ब्रिटिश सरकार की समस्त योजनाओं तथा नीतियों का निर्धारण ब्रिटिश प्रधानमंत्री के माध्यम से होता हैं 
  • ब्रिटेन के राष्ट्रीय निर्णयों ( फैसलों ) तथा प्रशासनिक कार्यों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का मुख्य रोल होता है उदहारण के लिए, रक्षा मुद्दों, विदेशी मुद्दों तथा अर्थव्यवस्था मुद्दों इत्यादि.

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व – ब्रिटिश का प्रधानमंत्री अंतर्राष्ट्रीय रूप में देश ( ब्रिटेन ) का प्रतिनिधित्व करता हैं विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर मित्रतापूर्ण सम्बन्ध बनाना ब्रिटिश प्रधानमंत्री का कार्य होता हैं 

तथा ब्रिटिश प्रधानमंत्री शांति वार्ताओं ( बातचीत ), अंतर्राष्ट्रीय समझौतें एंव अंतर्राष्ट्रीय ( विश्व के ) मुद्दों पर कार्य करता हैं 

कैबिनेट ( मंत्रीमंडल ) का नेतृत्व एंव चयन – ब्रिटिश का प्रधानमंत्री कैबिनेट ( ब्रिटिश मंत्रीमंडल ) का चयन ( सलेक्शन ) करता हैं जिसमें अनेक विभागों जैसे – शिक्षा विभाग, वित्तीय विभाग, रक्षा विभाग इत्यादि शामिल हैं 

ब्रिटिश का प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए मंत्रियों की बैठकों का नेतृत्व ( अध्यक्षता ) करता हैं तथा यह सुनिश्चित करता है कि ब्रिटेन में बनाई गई नीतियों को लागू करने का कार्य सफलतापूर्वक किया जा रहा है 

विदेश नीति का नेतृत्व – ब्रिटिश प्रधानमंत्री किसी अन्य देश के लिए ब्रिटेन ( देश ) की विदेश नीति को तय करने में मुख्य किरदार निभाता हैं यह अन्य देशों के साथ विदेशी संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कार्य करता हैं 

नीतियाँ निर्माण एंव लागू निर्णय लेना – ब्रिटिश का प्रधानमंत्री यह निर्णय लेता है कि किन नीतियों को लागू किया जाएगा और ब्रिटिश सरकार की प्राथमिकताएँ क्या होनी चाहिए ब्रिटिश के प्रधानमंत्री के द्वारा,

सरकार की योजनाओं को संसद में प्रस्तुत किया जाता हैं तथा उसके सही होने की देखभाल की जाती हैं 

आर्थिक नियंत्रण – ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के पास ब्रिटेन की आर्थिक नीतियों तथा आर्थिक बजट का ध्यान रखने का अधिकार होता हैं मतलब पुरें देश ( ब्रिटेन ) की अर्थव्यवस्था को सँभालने का कार्य ब्रिटिश प्रधानमंत्री के पास होता हैं.

वह यह देखता है कि सम्पूर्ण देश ( ब्रिटेन ) की अर्थव्यवस्था को समृद्ध तथा स्थिरता के साथ बनाए रखा जा सकें 

ब्रिटिश और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच अंतर बताएं? 

भारतीय प्रधानमंत्री की संवैधानिक स्थिति ब्रिटिश प्रधानमंत्री के समान होती है परन्तु बस एक अंतर होता है कि भारत में प्रधानमंत्री संसद के किसी भी सदन ( लोकसभा या राज्यसभा ) का सदस्य हो सकता है लेकिन ब्रिटेन में ऐसा नहीं होता है

क्योकि ब्रिटेन में यह परम्परा है कि प्रधानमंत्री हमेशा निचले सदन ( हाउस ऑफ़ कॉमन्स ) का ही सदस्य होगा

प्रिवी काउंसिल ( Privy Council )

प्रिवी काउंसिल ( Privy Council ) राजा ( सम्राट ) के लिए सलाहकार निकायों में से एक रहा है परन्तु मंत्रिमंडल के उदय के कारण, प्रिवी काउंसिल ने अपनी प्रासंगिकता ( योग्यता ) को खो दिया हैं 

वर्तमान समय में ब्रिटेन में प्रधानमंत्री एंव मंत्रिमंडल के पास वास्तविक ( रियल ) पॉवर होती है तथा मंत्रिमंडल, प्रधानमंत्री को सलाह देने का कार्य करता है इसीलिए अब राजा ( सम्राट ) की अत्यधिक पावरफुल भूमिका नहीं है 

परन्तु ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज इत्यादि विश्वविद्यालयों के सम्बन्ध में इसकी कुछ पर्यवेक्षी भूमिका है चर्च से सम्बंधित विवादों के समाधान के साथ-साथ कुछ एडमिरल्टी मामलों के अंदर अपील न्यायालय में भी इसकी कुछ भूमिका है

स्थायी सिविल सेवक/ब्रिटिश नौकरशाह

यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय नौकरशाही, ब्रिटिश ( ब्रिटेन ) नौकरशाही पर आधारित है क्योकि – 

  • ब्रिटेन में नौकरशाही सामान्यवादी होती है
  • प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भर्ती करना 
  • ऐसा कहा जाता है कि ब्रिटिश नौकरशाही प्रतिनिधित्वपूर्ण नहीं होती है यह अभी भी अभिजात्यवादी है
  • उनसे राजनीतिक रूप से तटस्थ रहने की अपेक्षा की जाती है
  • यह कहा जाता है कि नौकरशाही मंत्री पद की जिम्मेदारी की आड़ में फलती-फूलती है
  • भरपूर प्रतिरक्षा का आनंद लेना 
  • नौकरशाही को नए तानाशाह के रूप में जाना जाता है
  • इसकी तुलना फ्रेंकस्टीन के राक्षस ( मंत्रियों पर हावी होना ) से भी की गई है

क्राउन का क्या कार्य होता है? ब्रिटिश क्राउन की शक्तियां और कार्य क्या हैं?

ब्रिटिश क्राउन के पास कुछ विशेषाधिकार एंव शक्तियाँ होती हैं जिनके बारे में हमने नीचे बताया हैं – 

मंत्रियों को बर्खास्त करना – क्राउन के पास मंत्रियों को बर्खास्त करने या पद से हटाने का विशेषाधिकार होता हैं परन्तु सच्चाई यह हैं कि अपनी मर्जी के अनुसार, राजा इस विशेषाधिकार का उपयोग नहीं कर सकता हैं

क्योकि ऐसा करने के लिए प्रधानमंत्री की सहमति होना जरुरी होता हैं अन्यथा अगर राजा प्रधानमंत्री की इच्छा के विरुद्ध किसी मंत्री को उसके पद से हटाने का प्रयास करता हैं तब यह प्रधानमंत्री के साथ दुश्मनी ( झगड़ा ) मोल लेने के समान हैं 

कार्यकारी शक्तियाँ ( कार्यपालिका शक्तियाँ ) – क्राउन का मुख्य सम्बन्ध कार्यपालिका से होता हैं ऐसी स्थिति में क्राउन या राजा के पास कुछ विशेष शक्तियाँ होती हैं जैसे –

  • कानूनों को क्रियान्वित करने का कार्य राजा या क्राउन का होता हैं 
  • अन्य मंत्रियों ( मंत्रीपरिषद् ) तथा ब्रिटिश प्रधानमंत्री को नियुक्त करने का कार्य राजा ( क्राउन ) का होता हैं 
  • ब्रिटिश में उच्च अधिकारी या पद पर नियुक्ति एंव पद से हटाने का कार्य राजा ( क्राउन ) का होता हैं 
  • युद्ध की घोषणा करना यह विशेषाधिकार क्राउन की शक्तियों में आता हैं 
  • ब्रिटेन में राजा ( क्राउन ) के द्वारा राजदूतों एंव वाणिज्य दूतों की नियुक्ति की जाती हैं एंव उन्हें स्वीकार किया जाता हैं 
  • क्राउन या राजा आवश्यक कार्यवाही आदेश जारी करता है 
  • ब्रिटेन में क्राउन या राजा के द्वारा अन्य देशों के साथ उसके संबंधों का निर्धारण और सम्पादन किया जाता हैं 
  • अपराधियों को क्षमा ( माफ़ ) करने एंव प्राप्त दंड को कम करने का विशेषाधिकार क्राउन या राजा के पास होता हैं 
  • राजमुकुट या क्राउन के द्वारा स्थानीय स्वशासन की देखभाल का कार्य किया जाता हैं क्योकि एकात्मक शासन व्यवस्था होने के कारण, केन्द्रीय सरकार सम्पूर्ण देश पर नियंत्रण रखती हैं 
  • मंत्रिमंडल के द्वारा किया गया कार्य, राजमुकुट या राजा के नाम पर किया जाता हैं 
  • राष्ट्रीय कोष का संचालन एंव नियंत्रण करने का कार्य राजमुकुट या क्राउन के द्वारा किया जाता है 

अपनी गलतियों के लिए मंत्री स्वयं जिम्मेदार – ब्रिटिश में राजा या क्राउन कोई गलती नहीं कर सकता हैं इससे यह मतलब नहीं होता है कि समस्त मंत्री राजा के आर्डर लेकर अवैधानिक कार्य कर सकतें हैं

बल्कि मंत्री अपनी ( स्वयं ) के कार्यों के लिए खुद जिम्मेदार हैं क्योकि राजा मंत्रियों के अनुसार, कार्य करता हैं ऐसे स्थिति में मंत्री की त्रुटी या गलती के लिए मंत्री स्वयं जिम्मेदार होता हैं 

व्यवस्थापन सम्बन्धी शक्तियाँ ( विधायी शक्तियाँ ) – ब्रिटेन में संसद के साथ-साथ राजा ( क्राउन ) को भी कानून के निर्माण की शक्तियाँ प्राप्त होती हैं व्यवस्थापन सम्बन्धी शक्तियों का उपयोग संसद के साथ मिलकर, राजमुकुट या राजा के द्वारा किया जाता है

यह इस प्रकार हैं – 

  • लॉर्ड सभा ( संसद का दुसरा सदन ) के सदस्यों की नियुक्ति करने का कार्य राजा ( क्राउन ) के द्वारा किया जाता हैं तथा राजमुकुट ( क्राउन ) के द्वारा लोकसदन ( संसद का पहला सदन ) के चुनाव की तिथि की घोषणा भी होती हैं 
  • राजा या क्राउन के द्वारा संसद ( संसद के दोनों सदनों ) के सत्र को बुलाया एंव स्थागित किया जा सकता हैं यह लोकसदन ( संसद का पहला सदन ) का विघटन भी कर सकता हैं 
  • हर साल संसद के उद्घाटन के दौरान सम्राट या राजा, मंत्रिमंडल के द्वारा तैयार किया गया भाषण देता हैं जिसमें मुख्य रूप से ब्रिटेन देश की नीतियों पर प्रकाश डाला जाता हैं 
  • संसद द्वारा पारित ( पास किए गए ) विधेयकों पर राजा ( क्राउन ) का अनुमोदन ( Approval ) महत्वपूर्ण होता हैं मतलब जबतक सम्राट के हस्ताक्षर नहीं होंगे तबतक कानून का रूप कोई भी विधेयक नहीं ले सकता हैं 
  • पीयर्स ( हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के सदस्य ) की नियुक्ति राजा ( क्राउन ) के द्वारा होती हैं 
  • अधिराज्यों के सम्बन्ध में आदेश एंव घोषणाएं करने का अधिकार राजा ( राजमुकुट ) के पास होता हैं 

कानून से ऊपर राजा – ब्रिटेन में हमेशा राजा कानून से ऊपर होता हैं वह कोई गलती नहीं कर सकता हैं क्योकि ब्रिटेन में राजा को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त है जिसके कारण राजा के ऊपर, फौजदारी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता हैं 

यहाँ डायसी का एक कथन बहुत लोकप्रिय हैं कि अगर राजा प्रधानमंत्री को गोली मार देगा तब भी ब्रिटेन में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं हैं कि राजा के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही किया जा सकें 

न्यायिक शक्तियाँ ( न्याय सम्बन्धी शक्तियाँ ) – सम्राट ( क्राउन ) के पास न्यायिक क्षेत्र में कुछ शक्तियाँ प्राप्त हैं हमें यह पता होना चाहिए कि न्याय का स्त्रोत सम्राट को कहा जाता हैं इसीलिए ब्रिटेन के समस्त न्यायालयों को सम्राट के न्यायालय कहा जाता हैं 

  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्राट या क्राउन के द्वारा की जाती है परन्तु संसद की प्रार्थना पर, सम्राट द्वारा नियुक्त न्यायाधीशों को हटाया भी जा सकता हैं 
  • राजा ( क्राउन ) के द्वारा अपराधियों के दंड को कम किया जा सकता हैं एंव उनको न्यायालय के द्वारा दी गई सजा के लिए माफ़ ( क्षमा ) प्रदान भी किया जा सकता है 
  • डोमिनियम और उपनिवेशों के उच्च न्यायालयों के निर्णयों ( फैसले ) के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई सम्राट या राजा के द्वारा की जा सकती हैं 

मंत्रियों के परामर्श पर कार्य होना – राजा को विशेषाधिकार प्राप्त होने के कारण वह समस्त कार्यों को मंत्रियों से परामर्श करने के बाद ही करता हैं इसीलिए राजा अपनी इच्छा से कोई कार्य नहीं करता हैं

ऐसी स्थिति में किसी भी त्रुटी या गलती के लिए राजा को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता हैं

धार्मिक शक्तियाँ – सम्राट ( क्राउन ) के पास धार्मिक शक्तियाँ हैं यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्रिटेन में सम्राट की धार्मिक क्षेत्र के प्रति इस स्थिति के परिणामस्वरूप, राजा को धर्मरक्षक कहा जाता हैं 

हमें यह पता होना चाहिए कि सम्राट या राजा ब्रिटेन के एंग्लिकन चर्च के प्रमुख होतें हैं इसीलिए राजा ( क्राउन ) को यह अधिकार प्राप्त होता है कि वह डीन, आर्कबिशप और केनन को नियुक्त करता हैं 

मुख्य रूप से एंग्लिकन चर्च के प्रबंधन के लिए एक संस्था की स्थापना की गई हैं जिसका नाम नेशनल असेम्बली हैं इस संस्था के द्वारा पास किए गए नियमों पर राजा ( क्राउन ) की सहमति ( स्वीकृति ) होती हैं 

सम्मान का स्त्रोत – राजमुकुट ( क्राउन ) या राजा को यह अधिकार प्राप्त होता हैं कि वह सम्मानसूचक उपाधियाँ ब्रिटेन के नागरिकों को प्रदान कर सकता हैं प्रमुख उपाधियाँ –  वैरन, नाइट, डयूक तथा लॉर्ड.

ब्रिटिश विधानमंडल ( Legislature ) – ब्रिटिश संसद में कितने सदन है? भारतीय संसद और ब्रिटिश संसद में अंतर बताएं? ( Parliament of The United Kingdom ).

यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय संसद, संसदीय संस्थाएं और प्रक्रियाएं वेस्टमिंस्टर प्रणाली की नक़ल नहीं है क्योकि ब्रिटिश प्रणाली और भारतीय प्रणाली में बहुत अंतर हैं 

मौलिक अंतर – लगभग 300 साल के इतिहास में ब्रिटिश संसद विकसित हुई है ब्रिटेन में संसद एकमात्र ऐसी संस्था हैं जिसके द्वारा संप्रभु शक्तियों का प्रयोग किया जाता है और कोई लिखित संविधान न होने के कारण उसपर पर कोई सीमा नहीं है

परन्तु भारत ( देश ) में एक लिखित संविधान होता है इसीलिए यहाँ प्रत्येक पदाधिकारी तथा सरकार के प्रत्येक अंग के अधिकार एंव शक्तियाँ केवल संवैधानिक दस्तावेज के द्वारा सीमांकित और परिभाषित है

भारत में संसद की शक्तियों को भी भारतीय संविधान द्वारा स्पष्ट रूप से परिभाषित और सीमांकित किया गया है परन्तु संसद अपने क्षेत्र में सर्वोच्च होती है और संसद लोगो की प्रतिनिधि संस्था है परन्तु जिस अर्थ में ब्रिटिश संसद संप्रभु है

ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide ( 2025 )

मतलब ब्रिटिश संसद कुछ भी कर सकती है क्योकि उसकी शक्तियाँ किसी संवैधानिक दस्तावेज द्वारा सीमित नहीं है उस अर्थ में भारतीय संसद संप्रभु नहीं है हमारा भारतीय संवैधानिक ( संविधान ) दस्तावेज व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का प्रावधान करता है

जो न्यायालयों में न्यायोचित है अगर संसद के द्वारा किसी ऐसे कानून को बनाया जाता है जो किसी भी मौलिक अधिकार को कम करता है ऐसी स्थिति में वह न्यायालयों द्वारा अधिकार-बाह्य घोषित किया जा सकता है

न्यायालय के द्वारा विवादों को निपटाया जाता है ऐसा करते समय न्यायालय के द्वारा संविधान और कानूनों की व्याख्या भी की जा सकती है भारत में संसद के पास संविधान निर्माण की शक्तियाँ होती है,

कुछ सीमाओं के भीतर संसद संविधान में उचित संशोधन कर सकती है

ब्रिटिश संसद द्विसदनीय – ब्रिटिश में दो सदन हैं यह इस प्रकार हैं – 

  1. हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स ( संख्या निर्धारित नहीं )
  2. हाउस ऑफ़ कॉमन्स ( संख्या 650 सदस्यों पर निर्धारित ) 

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स ( The House of Lords )

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स यूनाइटेड किंगडम की द्वि-सदनीय संसद का दुसरा सदन ( उच्च सदन ) है भारत में उच्च सदन राज्यसभा है

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में वंशानुगत सदस्य होते है तथा इसमें लाइफ पीयर्स, चर्च/धार्मिक पीयर्स ( एक्लेसियास्टिकल पीयर्स ) और ऑफ़ लॉर्ड्स की संख्या सबसे अधिक होती है हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में चार प्रकार के सदस्य होते हैं 

  • आजीवन सहकर्मी ( Life Peers )
  • लॉ लॉर्ड्स ( Law Lords )
  • बिशप ( Bishops )
  • निर्वाचित वंशानुगत सहकर्मी ( Elected Hereditary Peers )

आजीवन सहकर्मी – यह सदस्यों का बहुमत बनाते है नियुक्ति का अधिकार औपचारिक रूप से क्राउन या राजमुकुट के पास होता है लेकिन सदस्यों का सृजन ( Creation ) अनिवार्यत प्रधानमंत्री की सलाह पर सम्राट या राजा द्वारा किया जाता है

आजीवन साथियों की उपाधियाँ मृत्यु पर समाप्त हो जाती है

लॉ लॉर्ड्स – निचली अदालतों से अपील सुनने के लिए 12 लॉर्ड्स ऑफ़ अपील इन ऑर्डिनरी को विशेष रूप से नियुक्त किया जाता है वह वेतनभोगी होते है और 70 वर्ष की आयु तक अपील सुनना जारी रख सकतें है

बिशप – कैंटरबरी और यॉर्क के एंगिलकन आर्कबिशप, डरहम, लंदन और विनचेस्टर के बिशप और चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के अन्य डायोसिस के 21 वरिष्ठ डायोसिस बिशप सदन में सीटें रखते है

ऐसा होता है क्योकि चर्च ऑफ़ इंग्लैंड राज्य का स्थापित चर्च है जब वे सेवानिवृत्त होते है तो बिशप सदन के सदस्य नहीं रह जाते है

निर्वाचित वंशानुगत सहकर्मी – हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स अधिनियम 1999, हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में वोट देने और बैठने के वंशानुगत साथियों के अधिकार को समाप्त कर दिया था तबतक लगभग 700 वंशानुगत सदस्य थे जब विधेयक पर विचार किया जा रहा था

तब एक संशोधन पारित ( पास ) किया गया ( जिसे लॉर्ड वेदरिल के नाम पर वेदरिल संशोधन के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने इसे प्रस्तावित किया था ) जिसने मौजूदा वंशानुगत साथियों में से 92 को सदस्य के रूप में बने रहने में सक्षम बनाया था 

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स संशोधन के रूप में जाने वाले परिवर्तन प्रस्तावित कर सकता है परन्तु इसकी शक्तियाँ सीमित हैं यदि यह किसी कानून को मंजूरी नहीं देता है तो यह कानून बनने में केवल एक वर्ष तक की देरी कर सकता है

उसके बाद यह सुनिश्चित करने के लिए नियम है कि हाउस ऑफ़ कॉमन्स और तत्कालीन सरकार की इच्छाएँ प्रबल हो

सच्चाई यह है कि हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स को दुनिया के सबसे कमजोर ऊपरी सदनों में से एक माना जा सकता है 1919 और 1949 के अधिनियम के पारित ( पास ) होने के बाद से हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स ने अपनी सारी वास्तविक ( रियल ) शक्ति खो दी है

यह अब केवल एक विलंबकारी सदन है तथा यह एक साधारण विधेयक को अधिकतम 1 वर्ष और घन विधेयक को अधिकतम 1 महीने तक विलंबित कर सकता है

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की शक्तियाँ एंव कार्य – 

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के पास कुछ शक्तियाँ एंव उसके कुछ कार्य हैं यह इस प्रकार है – 

परामर्श सम्बंधित कार्य – हमें यह पता होना चाहिए कि पुराने समय में ब्रिटेन में सम्राट ( राजा ) विटन ( नामक संस्था ) से परामर्श ( सलाह करना ) करता था परन्तु वर्तमान समय में ब्रिटेन के अंतर्गत समस्त प्रशासनिक कार्य मंत्रियों के द्वारा किए जातें हैं

उस दौरान हाउस ऑफ़ कॉमन्स का विघटन होने पर, ऐसी स्थिति में सम्राट ( राजा ) लॉर्ड सभा से परामर्श ( सलाह ) ले सकता हैं 

कार्यपालिका पर नियंत्रण – कार्यपालिका पर ब्रिटेन में लॉर्डसभा के पास कोई विशेष नियंत्रण नहीं होता हैं क्योकि रियल ( वास्तविक ) नियंत्रण हाउस ऑफ़ कॉमन्स के पास होता हैं

परन्तु नीतियों की आलोचना करके एंव प्रश्न पूछकर, लॉर्डसभा  कार्यपालिका को प्रभावित कर सकती है 

विधायी शक्तियाँ – वर्ष 1911 में आए अधिनियम के द्वारा यह पता चला था कि साधारण विधेयकों को लॉर्ड सभा सिर्फ 2 वर्षों के लिए रोक सकती हैं परन्तु ब्रिटेन में वर्ष 1949 में हुए अधिनियम संशोधन के द्वारा अवधि को कम करके 1 वर्ष कर दिया गया था 

न्यायपालिका की शक्तियाँ – ब्रिटेन ( देश ) का सर्वोच्च अपील न्यायालय लॉर्डसभा की क़ानूनी लॉर्ड की समिति हैं इसीलिए न्यायालय का कार्य लॉर्डसभा का सबसे महत्वपूर्ण एंव प्रभावपूर्ण कार्य है 

वित्तीय शक्तियाँ – हमें यह बात पता होनी चाहिए कि ब्रिटेन में वित्तीय मामलों में अंतिम शक्ति हाउस ऑफ़ कॉमन्स के पास हैं परन्तु ब्रिटेन में लॉर्ड सभा, इस विधेयक को 1 महीने के लिए रोक सकती है 

साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि ब्रिटेन में लॉर्ड सभा बिल को पास करें या न करें वह बिल 1 महीने बाद ब्रिटेन की दोनों सदनों में पास माना जाता है 

भारतीय राज्यसभा Vs हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स – 

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की तुलना भारतीय राज्यसभा से करने पर, राज्यसभा की तुलना में हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स एक कमजोर सदन है क्योकि –

  • साधारण विधेयक – राज्यसभा को लोकसभा के बराबर अधिकार प्राप्त है
  • संविधान संशोधन – राज्य सभा के पास लोकसभा के बराबर शक्ति है
  • घन विधेयक – राज्यसभा भी हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की तरह विलम्ब करने वाला सदन है राज्यसभा विधेयक को अधिकतम 14 दिनों तक विलंबित कर सकती है

राज्यसभा के पास कुछ विशेष अधिकार है जो लोकसभा के पास नहीं है उदहारण –  अनुच्छेद 249 और 312.

अमेरिका सीनेट Vs हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स – 

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स और अमेरिका के सीनेट के बीच तुलना करने पर, हमें पता होना चाहिए कि सीनेट को सबसे मजबूत ऊपरी सदन कहा जाता है 

सीनेट को सबसे मजबूत ऊपरी सदन कहा जाता है साधारण विधेयक, संवैधानिक विधेयक और धन विधेयक पारित ( पास ) करने के मामलें में इसे प्रतिनिधि सभा के बराबर शक्ति प्राप्त है

धन विधेयक को निचले सदन में पेश करने की प्रथा है सीनेट को कुछ विशेष शक्तियाँ भी प्राप्त है जो प्रतिनिधि सभा को प्राप्त नहीं है उदहारण – अंतर्राष्ट्रीय संधियों का अनुसमर्थन, उच्च नियुक्तियों का अनुसमर्थन इत्यादि 

  • हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स को यह विशेष अधिकार प्राप्त था कि यह ब्रिटेन में अपील का सर्वोच्च न्यायालय हुआ करता था लेकिन अब यह विशेष अधिकार समाप्त हो गया है क्योकि संवैधानिक सुधार अधिनियम 2005 ( SC की स्थापना 2009 में हुई ) के तहत सर्वोच्च न्यायालय ( SC ) का गठन किया गया है

हाउस ऑफ़ कॉमन्स ( House of Commons )

ब्रिटेन में हाउस ऑफ़ कॉमन्स निचला सदन होता है परन्तु हाउस ऑफ़ कॉमन्स की अध्यक्षता, खुद अध्यक्ष के द्वारा की जाती हैं ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स के पास सबसे अधिक अधिकार हैं यहाँ ब्रिटिश स्पीकर का पद गैर-राजनीतिक होता है

ब्रिटेन में यह परम्परा होती है कि व्यक्ति एक बार अध्यक्ष बनाने के बाद हमेशा अध्यक्ष बना रहता हैं परन्तु स्पीकर बनाने के बाद व्यक्ति को अपना औपचारिक इस्तीफा, राजनीतिक दल से देना होता हैं परन्तु अमेरिका अध्यक्ष सिर्फ अपनी पार्टी का पक्ष लेता हैं 

तथा ब्रिटेन कैबिनेट में अधिकतर मंत्री हाउस ऑफ़ कॉमन्स के बहुमत वाले होतें हैं हाँ, हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के सदस्य भी कैबिनेट में मंत्री के रूप में कार्य करतें हैं क्योकि इसमें सदस्य सीधें ब्रिटेन की जनता के द्वारा चुने जातें हैं

यही कारण है कि इसको जनता की सभा भी कहा जाता है इसमें कुल 650 सदस्य, जिनमे प्रत्येक सदस्य एक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हैं जिस उम्मीदवार को, जिस निर्वाचन क्षेत्र में अत्यधिक वोट मिलती हैं उसको सदस्य चुन लिया जाता हैं 

हाउस ऑफ़ कॉमन्स का कार्यकाल 5 वर्षों के लिए होता हैं परन्तु सम्राट ( राजा ) के पास, प्रधानमंत्री की सलाह से इस कार्यकाल को 5 वर्षों से पहले भंग करने की शक्ति होती हैं 

हाउस ऑफ़ कॉमन्स की शक्तियाँ एंव कार्य – 

ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स के पास कुछ विशेष शक्तियाँ होती है जिनके बारे में नीचे बताया गया है – 

विधायी शक्तियाँ – कुछ विधायी शक्तियाँ इस प्रकार हैं – 

  • हाउस ऑफ़ कॉमन्स के द्वारा नए कानूनों के प्रस्ताव तथा उसको पारित ( पास ) करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती हैं 
  • हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा में समस्त महत्वपूर्ण विधेयक, प्रस्तुत एंव पारित होतें हैं 
  • हाँ, उच्च सदन ( हाउस ऑफ़ लॉर्ड ) के पास विधेयकों में संशोधन करने का अधिकार होता हैं परन्तु अंतिम अधिकार सिर्फ हाउस ऑफ़ कॉमन्स को होता हैं 

हाउस ऑफ़ कॉमन्स के विधायी कार्यों में पुराने कानूनों में संशोधन करना, विभिन्न आर्थिक, राजनीतिक एंव सामाजिक क्षेत्रों में कानून बनाना तथा नए विधेयकों का निर्माण एंव उनको पारित करना इत्यादि शामिल हैं 

अंतर्राष्ट्रीय एंव राष्ट्रीय नीति निर्धारण – हाउस ऑफ़ कॉमन्स के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समझौतें एंव संधियों को मंजूरी देने तथा विदेशी एंव घरेलु नीतियों की समीक्षा एंव बहस करने का कार्य किया जाता है 

वित्तीय शक्तियाँ – कुछ वित्तीय शक्तियाँ इस प्रकार हैं –

  • वित्तीय विधेयकों पर हाउस ऑफ़ कॉमन्स का नियंत्रण होता हैं 
  • सिर्फ हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा में टैक्स एंव सरकार के बजट से सम्बंधित प्रस्ताव, प्रस्तुत किया जा सकता है 
  • वित्तीय विधेयकों को स्वीकार उच्च सदन ( हाउस ऑफ़ लॉर्ड ) के द्वारा नहीं किया जा सकता है 

हाउस ऑफ़ कॉमन्स के वित्तीय कार्यों में सरकारी व्यय एंव आय की समीक्षा करना, वार्षिक ( सालभर ) के बजट को पास करना तथा सार्वजानिक व्यय एंव कराधान पर निर्णय लेना इत्यादि शामिल हैं 

प्रतिनिधित्व का कार्य – हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा देश ( ब्रिटेन ) की जनता के हितों एंव विचारों का प्रतिनिधित्व करती हैं और जनता के मुद्दों को उठाने तथा उनके समाधान में सरकार को निर्देशित करने का कार्य करती हैं 

कार्यपालिका पर नियंत्रण – ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा का कार्यपालिका पर नियंत्रण होता है कार्यपालिका ( सरकार ) को ब्रिटेन की हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा जवाबदेह बना देती हैं

तथा हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा के प्रति प्रधानमंत्री एंव उनके मंत्रिमंडल के समस्त सदस्य उत्तरदायी होतें हैं सरकार के कार्यों एंव नीतियों पर, बहस और प्रश्नकाल के माध्यम से सवाल उठाए जा सकतें हैं 

हाउस ऑफ़ कॉमन्स के कार्यपालिका कार्यों में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सरकार को हटाना, सरकार के निर्णयों एंव नीतियों की समीक्षा प्रश्नकाल के दौरान करना तथा विभिन्न मुद्दों पर सरकार की जिम्मेदारी को तय करना इत्यादि शामिल हैं 

आपातकालीन एंव युद्ध शक्तियाँ – सैन्य नीतियों की समीक्षा, युद्ध की घोषणा एंव आपातकालीन परिस्थितियों में निर्णय लेने के लिए हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा की सहमति होना जरुरी होता है 

प्रधानमंत्री का चयन – जिस राजनीतिक दल के पास ब्रिटेन की हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा में बहुमत होता है उसका नेता देश ( ब्रिटेन ) का प्रधानमंत्री बनता है तथा ब्रिटेन में प्रधानमंत्री के द्वारा प्राप्त बहुमत को खो देने पर उसको इस्तीफा देना पड़ जाता हैं 

उच्च सदन पर नियंत्रण – हाउस ऑफ़ कॉमन्स सभा, उच्च सदन ( हाउस ऑफ़ लॉर्ड ) के द्वारा अस्वीकृत विधेयकों को दुबारा पारित करवा सकती हैं विधेयकों को रोकने की सीमित शक्ति, उच्च सदन ( हाउस ऑफ़ लॉर्ड ) के पास,

वर्ष 1911 एंव 1949 के संसदीय कानूनों के अनुसार होती हैं  

भारतीय लोकसभा अध्यक्ष Vs हाउस ऑफ़ कॉमंस अध्यक्ष – 

भारतीय लोकसभा अध्यक्ष से जब हम हाउस ऑफ़ कॉमन्स अध्यक्ष की तुलना करतें हैं तब हमें यह स्थिति ब्रिटिश और अमेरिका मॉडल के बीच में देखने को मिलती हैं यह ब्रिटेन के अधिक करीब हैं परन्तु भारत में ब्रिटेन की तरह कोई परम्परा नहीं हैं 

  • भारत में अध्यक्ष के लिए अपनी पार्टी ( राजनीतिक दल ) से इस्तीफा देना जरुरी नहीं होता है
  • अगर भारतीय अध्यक्ष इस्तीफा देने का निर्णय ( फैसला ) लेता है तब उसको दलबदल विरोधी कानून के अनुसार अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता हैं 
  • भारत में अध्यक्ष के लिए ऐसी कोई परम्परा नहीं होती है कि वह निविरोध निर्वाचित होने चाहिए 

न्यायतंत्र ( Judicary ) – ब्रिटेन की न्याय प्रणाली क्या है? ब्रिटेन में न्यायिक स्वतंत्रता क्या है?

ब्रिटेन में न्यायपालिका के पास संसदीय संप्रभुता सिद्धांत के अनुसार, संसद के किसी भी अधिनियम को रद्द ( ख़त्म ) करने की अंतनिर्हित शक्ति नहीं होती हैं परन्तु ब्रिटेन में न्यायलयों के पास कुछ विशेष शक्तियाँ इस प्रकार हैं – 

ब्रिटिश संविधान क्या है, विशेषताएँ, राजमुकुट, विधायिका, ब्रिटेन का संविधान PDF UK Best Guide ( 2025 )

  • ब्रिटेन में बनाए गए किसी भी कानून के सटीक अर्थों की व्याख्या करना 
  • मंत्रियों एंव अन्य सार्वजानिक अधिकारियों के काम ( कार्यों ) की समीक्षा अल्ट्रा वायर्स सिद्धांत को लागू करके करना 
  • प्राकृतिक न्याय की अवधारणा को मंत्रियों और अन्य लोगो के कार्यों पर लागू करना 
  • ब्रिटेन संसद संप्रभु होती है ऐसी स्थिति में सरकार संशोधन कानून पारित ( पास ) करके अदालतों के फैसलों को पलटने की कोशिश कर सकती हैं 

भारतीय न्यायपालिका Vs ब्रिटिश न्यायपालिका 

ब्रिटिश न्यायपालिका ( British Judiciary )  भारतीय न्यायपालिका ( Indian Judiciary ) 
मूल संरचना की अवधारणा की कमी, ब्रिटेन ( देश ) में ब्रिटिश प्रणाली के अंतर्गत किसी भी न्यायिक घोषणा से संसद की संशोधन शक्ति को अत्यधिक महत्वपूर्ण ( आवश्यक ) बनाती हैं  परन्तु भारत ( देश ) में मूल संरचना की अवधारणा ने भारतीय न्यायपालिका प्रणाली के अंतर्गत न्यायपालिका को एक शक्तिशाली उपकरण प्रदान किया गया हैं जिसके माध्यम से किसी भी विधायी कार्यवाई तथा कार्यकारी को विफल ( असफल ) करने में सक्षम हैं जिसको न्यायपालिका भारतीय संविधान की मूल भावना के विरुद्ध मानती हैं 
ब्रिटेन ( देश ) में कॉमन लॉ सिस्टम पर ब्रिटिश क़ानूनी प्रणाली पूरी तरह से आधारित होती है यहाँ कॉमन लॉ सिस्टम का मतलब उस कानून के विकसित होने से होता है जिसको न्यायाधीशों के द्वारा, उनके आदर्शों तथा निर्णयों के माध्यम से विकसित किया जाता है  भारत ( देश ) में कॉमन लॉ सिस्टम को नियामक एंव वैधानिक कानूनों के साथ-साथ भारतीय प्रणाली में भी शामिल किया गया हैं 

 

ब्रिटिश न्यायपालिका एंव भारतीय न्यायपालिका में कुछ समानताएं इस प्रकार हैं – 

  • ब्रिटेन एंव भारत में संविधान का सर्वोच्च व्याख्याता, न्यायपालिका को माना गया हैं 
  • कार्यपालिका के कार्यों को दोनों प्रणालियों में अधिकार-बाह्य घोषित किया जा सकता है

ब्रिटिश संविधान Vs भारतीय संविधान – 

ब्रिटिश संविधान ( British Constitution )  भारतीय संविधान ( Indian Constitution ) 
ब्रिटिश का संविधान लिखा नहीं हैं मतलब अलिखित हैं  भारत का संविधान लिखा हैं 
यहाँ एकात्मक शासन प्रणाली हैं  यहाँ संघीय शासन प्रणाली हैं 
ब्रिटेन में सत्ता केंद्र के पास होती है भारतीय संविधान केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का बंटवारा करता हैं 
ब्रिटेन में राजा/रानी होतें हैं क्योकि यहाँ राजतंत्र होता हैं  भारत में कोई राजतंत्र/गणतंत्र नहीं होता हैं यहाँ सिर्फ लोकतंत्र या जनता का शासन होता है 

 

भारतीय राष्ट्रपति Vs ब्रिटिश सम्राट –

भारतीय राष्ट्रपति ( Indian President )  ब्रिटिश सम्राट ( British Emperor ) 
भारतीय राष्ट्रपति चुने हुए होतें हैं  परन्तु ब्रिटेन में राजा ( सम्राट ) का पद वंशानुगत होता हैं यह पीढी दर पीढी चलता है 
भारत के अंदर संविधान का उल्लंघन होने पर राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जा सकता है ब्रिटेन में यह माना जाता हैं कि राजा ( सम्राट ) कोई गलत कार्य नहीं कर सकता है इसीलिए ब्रिटेन में राजा को पूर्ण उन्मुक्ति प्राप्त होता है

भारत में भारतीय राष्ट्रपति के लिए यह स्पष्टता का अभाव था तथा इस बात को लेकर असमंजस था कि क्या उनके पास कोई विवेकाधीन शक्ति है या नहीं. परन्तु – 

  • 24वा संशोधन यह स्पष्ट करता है कि उसके पास कोई विवेकाधीन शक्तियाँ नहीं होती है वास्तविक ( रियल ) शक्ति प्रधानमंत्री के पास होती है
  • 44वें संशोधन अधिनियम ने फिर से रुख बदल दिया जिससे राष्ट्रपति के विवेक के लिए कुछ गुंजाइश बनी अब वह केवल एक बार अनुरोध को वापस CoM को भेज सकता था
राजा के पास कोई विवेकाधीन शक्ति नहीं होती है उसे गोल्डन जीरो के नाम से जाना जाता है

 

ब्रिटेन में कौन सी दलीय व्यवस्था है? ( British Political Party – British Political Parties ) – Party System in Hindi.

जिस देश में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र तथा प्रतिनिधात्मक लोकतंत्र पाया जाता हैं उस देश में राजनीतिक दल जरुर होतें हैं परन्तु राजनीतिक दलों का महत्त्व संसदीय शासन व्यवस्था के अंतर्गत अत्यधिक हो जाता हैं क्योकि ब्रिटेन ( देश ) में संसदीय शासन व्यवस्था होती हैं

यही कारण है कि ब्रिटेन में राजनीतिक दलों ( पार्टी सिस्टम ) का महत्त्व अधिक होता हैं 

डब्लू. आई. जन्निंग्स – ब्रिटिश शासन राजनीतिक दलों से ही प्रारंभ होता है और राजनीतिक दलों में ही समाप्त हो जाता है 

ब्रिटिश राजनीतिक व्यवस्था की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें? ब्रिटिश दलीय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन करें PDF.

लूट प्रणाली का आभाव होना – ब्रिटेन के राजनीतिक दलों में लूट प्रणाली का आभाव होता हैं क्योकि जब ब्रिटेन में चुनाव के दौरान किसी राजनीतिक दल की सरकार बनती हैं तब सत्ता प्राप्त करने के बाद वह राजनितिक दल,

पदधिकारियों ( पुराने प्रशासनिक अधिकारियों ) को हटाकर खुद अपने राजनीतिक दल के समर्थक अधिकारियों को नियुक्त करता हैं यह लूट प्रणाली कहलाती हैं 

द्वि-दलीय प्रणाली होना – ब्रिटेन ( यूके ) में सामान्य रूप से हमें द्वि-दलीय प्रणाली देखने को मिलती हैं मतलब ब्रिटेन में प्रभावशाली राजनीतिक दल सिर्फ दो हैं हाँ, ब्रिटेन में अन्य राजनीतिक दल भी उपस्थित हैं

परन्तु वहाँ सिर्फ अनुदार दल तथा मजदूर दल मुख्य रूप से अत्यधिक प्रभावशाली राजनीतिक दल हैं अन्य राजनीतिक दलों का प्रभाव ब्रिटेन में नहीं हैं 

समझौतें एंव संयम की प्रवृति का होना – ब्रिटेन में सत्ता प्राप्त राजनीतिक दल को यह पता होता है कि अन्य राजनीतिक दल ( वर्तमान में विपक्ष दल ) भी एक दिन सत्ता में आ सकता हैं इसीलिए सत्ता प्राप्त राजनीतिक दल,

ब्रिटेन में विपक्ष राजनीतिक दल के साथ सामंजस्य करके चलता हैं एंव विपक्ष दल, सत्ता प्राप्त राजनीतिक दल की आलोचना कर सकता हैं क्योकि ब्रिटेन में सत्ता प्राप्त राजनीतिक दल का यह मानना होता है कि ब्रिटेन में यदि शासन चलाने में कोई कमियाँ रही हैं

तब विपक्ष दल को हमारी तर्क संगत आलोचना करने का अधिकार होता हैं 

सुद्रढ़ संगठन एंव केन्द्रीकरण – ब्रिटेन के समस्त राजनीतिक दलों के अंदर सुद्रढ़ संगठन एंव केन्द्रीकरण होता हैं मतलब ब्रिटेन के राजनीतिक दलों में सम्पूर्ण सत्ता का केंद्र एक जगह ( स्थान ) पर निर्हित होता हैं

जहाँ से उस राजनीतिक दल के समस्त सदस्यों को निर्देश एंव आदेश दिए जातें हैं 

निरंतर सक्रियता – ब्रिटेन में संसदीय शासन व्यवस्था के अंतर्गत राजनीतिक दल निरंतर ( नियमित रूप से ) सक्रिय रहतें हैं क्योकि इस व्यवस्था में सरकार ( मंत्रिमंडल ) का कार्यकाल सामान्य रूप से निश्चित होता हैं

परन्तु वास्तविक रूप में सरकार ( मंत्रिमंडल ) का कार्यकाल निश्चित नहीं होता हैं क्योकि मंत्रिमंडल ( कार्यपालिका ) का कार्यकाल, उस राजनीतिक दल के समर्थन पर निर्भर करता है जिसको लोकसदन में बहुमत प्राप्त हैं 

इसीलिए ब्रिटेन में कार्यपालिका ( मंत्रिमंडल ) के पास लोकसदन में बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल का समर्थन न होने पर कभी भी चुनाव कराये जा सकतें हैं इसीलिए राजनीतिक दलों को जनता के बीच अपनी बातों को रखकर निरंतर सक्रिय रहना पड़ता है 

कठोर अनुशासन का होना – ब्रिटेन के समस्त राजनीतिक दलों के अंदर कठोर अनुशासन देखने को मिलता हैं क्योकि यहाँ सत्ता का केन्द्रीकरण होता हैं हम सब जानतें है कि ब्रिटेन ( देश ) में संसदीय शासन व्यवस्था हैं 

इसीलिए ब्रिटेन में संसद के प्रथम सदन ( लोकसदन के बहुमत या समर्थन ) के विश्वास पर कार्यपालिका ( मंत्रिमंडल ) का अस्तित्व निर्भर करता हैं मतलब ब्रिटेन में जिस राजनीतिक दल का ब्रिटेन के लोकसदन ( संसद ) में बहुमत अत्यधिक होता हैं

उसी राजनीतिक दल की कार्यपालिका बनती हैं इसीलिए ब्रिटेन के लोकसदन ( संसद ) में जिस राजनीतिक दल का बहुमत अत्यधिक हैं उसपर कठोर अनुशासन का होना आवश्यक होता हैं यदि ऐसा नहीं होगा तब वह कार्यपालिका को पद से हटा सकता हैं 

प्रत्येक राजनीतिक दल एक सचेतक ( व्हीप ) को नियुक्त करता हैं यह सचेतक ( व्हीप ) ब्रिटेन के लोकसदन ( संसद ) में राजनीतिक दल के सदस्यों को निर्देश देता हैं जिसको राजनीतिक दल के समस्त सदस्यों के मानना जरुरी होता है

परन्तु अगर सचेतक ( व्हीप ) के द्वारा दिए गए निर्देश का पालन, राजनीतिक दल का कोई सदस्य नहीं करता हैं

तब उसके ऊपर राजनीतिक दल अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकता हैं या राजनीतिक दल के उस सदस्य को, राजनीतिक दल से बाहर निकाला जा सकता है इसीलिए राजनीतिक दलों में सचेतक ( व्हीप ) के माध्यम से कठोर अनुशासन पाया जाता हैं 

नेता की सर्वोच्च ( सबसे ऊपर ) स्थिति का होना – ब्रिटेन में चुनाव के दौरान, हर राजनीतिक दल किसी एक व्यक्ति को अपना नेता को घोषित ( बना ) करता हैं जिसके नाम पर ब्रिटेन में चुनाव को लड़ा जाता हैं जिसके बाद,

ब्रिटेन में जब कोई राजनीतिक दल चुनाव जीतता है तब उस राजनीतिक दल के नेता को ही प्रधानमंत्री बनाया जाता है इसीलिए ब्रिटेन में जनता को तह पता होता है कि अगर हम इस राजनीतिक दल को वोट करतें है तब यह व्यक्ति ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनेगा 

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FAQ

ब्रिटेन का संविधान कब लागू हुआ?

ब्रिटेन में ब्रिटिश राजतंत्र के दौर में आधुनिक संविधान का आधार राजा जॉन के द्वारा वर्ष 1215 में, 15 जून के दिन लंदन में थेम्स नदी के किनारे जारी किया गया मैग्ना कार्टा था 

ब्रिटिश संविधान है?

ब्रिटेन खुद अपने देश के कुलीनवर्ग की शासन प्रणाली से प्रभावित रहा हैं ब्रिटेन एक आदर्श प्रजातंत्र हैं क्योकि पुरे विश्व में ब्रिटेन का संविधान अपनी अलग पहचान रखता है

यही कारण है कि समस्त संविधानों की जननी ब्रिटेन संविधान ( British Samvidhan ) को कहा जाता है यह बात सच है कि ब्रिटेन का संविधान विकसित एंव अलिखित हैं यह संविधान समय-समय पर बदलावों के अनुसार धीरे-धीरे विकसित हुआ हैं

निष्कर्ष

यह लेख विशेष रूप से ब्रिटेन के संविधान को अच्छे से समझाने के लिए लिखा गया है ब्रिटेन के संविधान का प्रभाव दुनिया के कई सारे देशो पर पड़ा हैं यही कारण है कि राजनीतिक विज्ञान के स्टूडेंट के लिए यह टॉपिक महत्वपूर्ण हैं 

यहाँ हमने ब्रिटेन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि नोट्स के साथ-साथ राजमुकुट क्या है? या क्राउन क्या है? को समझाते हुए ब्रिटेन में राजतंत्र किसे कहतें हैं? ( Rajtantra Kise Kahate Hain ) को समझाया हैं 

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

लेखक – नितिन सोनी 

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