Attraction Meaning in Hindi: – अट्रैक्शन का मतलब मनोविज्ञान के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय हैं क्योकि आकर्षण का अर्थ एग्जाम के उद्देश्य से समझना आवश्यक हैं हम सभी लोग अपने जीवन में अट्रैक्शन शब्द का उपयोग नहीं करतें हैं
परन्तु अट्रैक्शन ( क्रिया ) हमारे साथ लाइफ में हमेशा होती है क्योकि हम सभी मनुष्य अपने जीवन में कभी ना कभी, किसी न किसी चीज से आकर्षित होतें हैं उदहारण के लिए, जब हम बच्चें थें तब हम खिलोनों के प्रति आकर्षित रहते थें
परन्तु ध्यान देनी वाली बात यह हैं कि जब हम किसी चीज के प्रति आकर्षित होतें हैं तब क्या होता हैं? अक्सर जब हम आकर्षित होतें हैं तब हम लगातार उस चीज को देखते रहते है और उस चीज में एक अजीब-सा खिचाव होता है
जिसके कारण हम बार-बार उस चीज के पास जाना चाहतें हैं मतलब हमें वह चीज चाहिए होती हैं इसीतरह हम अच्छी गाड़ी, खुबसूरत लड़की, हैंडसम लड़का, सुंदर बँगला आदि को देखकर आकर्षित होने लगते है
परन्तु लड़की के प्रति आकर्षण को अंतवैयक्तिक आकर्षण ( Interpersonal Attraction ) कहा जाता है मनुष्य के दिमाग को समझना बहुत मुश्किल होता है
लेकिन विज्ञान व मनोविज्ञान ने मनुष्य के दिमाग के कार्य करने को सरलता के साथ समझाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है दुनिया में हर मनुष्य एक दुसरे से अलग होता है परन्तु फिर भी कुछ चीजों के कारण मनुष्यों के व्यवहार समान होता है
एग्जाम में अक्सर कुछ इस तरह सवाल पूछ लिए जातें हैं –
- अंतवैयक्तिक आकर्षण से आप क्या समझते हैं? इसकी पूर्ववर्ती स्थितियों की व्याख्या कीजिए?
- आकर्षण का अर्थ सहित परिभाषा लिखिए?
- अंतवैयक्तिक आकर्षण किसे कहतें है? इसके कारकों का वर्णन कीजिए?
हमारा दिमाग हमे यह बताता है कि हमें किस व्यक्ति को पसंद करना है और किस व्यक्ति को पसंद नहीं करना है इसको अच्छे से समझने के लिए सबसे पहले हमें अट्रैक्शन किसे कहतें है? अट्रैक्शन कैसे होता है? को समझना होगा
अट्रैक्शन का मतलब ( Attraction Ka Matlab ) – Attraction Meaning in Hindi – Attractions Meaning in Hindi.
आकर्षण ( Attraction ) शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों Ad एंव Trahere से मिलकर बना हैं जहाँ Ad का मतलब “को” तथा Trahere का मतलब “खीचना” से होता हैं इसीलिए दूसरों के प्रति खिचाव को आकर्षण कहा जा सकता है
आकर्षण का विलोम शब्द ( Aakarshan Ka Vilom Shabd ) विकर्षण ( Distractions ) होता है
आकर्षण एक प्रकार का खीचाव या मोह होता है जिसके ऊपर हम काबू नहीं कर पाते है यह किसी व्यक्ति, वस्तु, सामान इत्यादि के लिए हो सकता हैं जिस मनुष्य, वस्तु, सामान इत्यादि के प्रति हम आकर्षित होतें है
उसको पाने के लिए सभी हदों को पार कर सकतें है क्योकि हमें लगता है कि ऐसा करने से हमे सुख प्राप्ति होगी उदहारण के लिए, किसी छोटे बच्चे के पास कोई एक ऐसा खिलोना हैं जो किसी दुसरे बच्चें को बहुत अच्छा लग रहा है
तब ऐसी स्थिति में दुसरा बच्चा उस खिलोने के प्रति आकर्षित होगा उसके बाद उस खिलोने को प्राप्त करने के लिए वह अपना पूरा प्रयास करता है इसीलिए हर उम्र का व्यक्ति आकर्षित होता है
राथस ( 1981 ) – समाज मनोविज्ञान में आकर्षण को पसंदगी/नापसंदगी की एक मनोवृति के रूप में परिभाषित किया गया हैं मतलब जिस मनुष्य के प्रति हम आकर्षित होतें है उसको हम पसंद करतें हैं और जिस मनुष्य के प्रति हम आकर्षित नहीं होतें है उसको हम नापसंद करतें है
Attract Meaning in Hindi – Attracting Meaning in Hindi – Meaning of Attraction in Hindi -Love Attraction Meaning in Hindi.
अट्रैक्शन ( Attraction ) का शाब्दिक अर्थ आकर्षण, खिचाव, लुभाव मोह, कोशिश, प्रलोभन, विकर्षण हो सकता है परन्तु अट्रैक्ट ( Attract ) का मतलब आकर्षित करना, मोह लेना, खीचना, ध्यान आकर्षित करना, लुभाना इत्यादि होता है
इसीतरह अट्रैक्टिंग ( Attracting ) का मतलब मोह लेना, लुभाना, मन हर लेना, आकर्षित करना, खींचना इत्यादि होता है परन्तु लव अट्रैक्शन ( Love Attraction ) का मतलब प्रेम आकर्षण होता है
क्योकि लव ( Love ) का मतलब प्रेम और अट्रैक्शन ( Attraction ) का मतलब आकर्षण से होता है जिस चीज को देखकर आपको अच्छा लगता है और आप उसकी तरफ खीचे चलें जातें है तब यह उसके प्रति आपका आकर्षण होता है
उदहारण के लिए, आप एक युवा हैं और आपको कोई लड़की बहुत अच्छी लगती है तब उस लड़की के प्रति आप आकर्षण हैं परन्तु इस स्थिति में अगर आप उस लड़की से प्यार करतें है तब यह आपका प्रेम आकर्षण बन जाता है
सरल भाषा में, जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, वस्तु, गाड़ी इत्यादि के प्रति प्रेमपूर्वक ( प्यार भावनाओं से निर्मित ) आकर्षित होतें है तब उसको लव अट्रैक्शन ( Love Attraction ) कहा जाता है
अट्रैक्शन कैसे होता है? क्यों होता है आकर्षण? ( Attraction Hindi Meaning – अट्रैक्शन मीनिंग इन हिंदी )
किसी मनुष्य की तरफ आकर्षित होने का राज हमारे दिल में नहीं बल्कि दिमाग में छुपा होता है जब हम किसी मनुष्य से पहली बार मिलतें है तब हमें उसमे क्या अच्छा लगता है उसका व्यक्तित्व ( पर्सनालिटी ), उसका चेहरा, उसकी आवाज या उसकी मुस्कान.
मनोवैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार इन सभी बातों का प्रभाव हमारे दिमाग पर पड़ता है हमारे दिमाग में कुछ ख़ास हिस्सें होतें है जो आकर्षण को नियंत्रण करतें है उदहारण के लिए, जब हम किसी मनुष्य के सुंदर चेहरे को देखतें है
तब हमारे दिमाग का एक हिस्सा उस चेहरे का विश्लेषण करता है अगर वह चेहरा हमें खुबसूरत लगता है तब हमारे दिमाग में डोपामाइन ( हार्मोन ) रिलीज होता है यह हार्मोन हमें खुश और उत्सुक महसूस कराता है
इसीतरह जब हम किसी मनुष्य की आवाज सुनते है तब हमारे दिमाग का एक हिस्सा उस आवाज की क्वालिटी का विश्लेषण करता है अगर वह आवाज हमे अच्छी लगती है
तब हमारे दिमाग में ऑक्सीटोसिन ( हार्मोन ) रिलीज होता है यह हार्मोन हमें दूसरों के साथ जुड़ाव महसूस कराता है इसीलिए लाइफ में जब आपको किसी खुबसूरत लड़की या हैंडसम लडकें पर क्रश आता है तब आप उसको सीधा दिल से जोड़कर न देखें
अंतवैयक्तिक आकर्षण से आप क्या समझते हैं? – Interpersonal Attraction in Hindi.
पारस्परिक आकर्षण एक जटिल मनोवैज्ञानिक अवधारणा है जो उन सकारात्मक भावनाओं और द्रष्टिकोणों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों को एक-दुसरे की ओर आकर्षित करती हैं मतलब जब कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति के प्रति आकर्षित होता है
तब वह स्थिति अंतवैयक्तिक आकर्षण या पारस्परिक आकर्षण कहलाती है यह दोस्तों, रोमांटिक साझेदारी और यहाँ तक कि पेशेवर ( प्रोफेशनल ) कनेक्शन सहित सामाजिक रिश्तों को बनाने और बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है
पारस्परिक आकर्षण विभिन्न कारकों से प्रभावित एक बहुआयामी निर्माण है
- शारीरिक आकर्षण ( Physical Attractiveness )
- समानता ( Similarity )
- निकटता ( Proximity )
- भावनात्मक आकर्षण ( Emotional Attraction )
- समान द्रष्टिकोण और मूल्य ( Similar Attitudes and Values )
- संचार और पारस्परिक कौशल ( Communication and Interpersonal Skills )
- हास्य ( Humor )
- पूरकता ( Complementarity )
- स्व-प्रकटीकरण ( Self-Disclosure )
- शारीरिक और भावनात्मक समर्थन ( Physical and Emotional Support )
पारस्परिक आकर्षण एक ऐसी अवधारणा नहीं है जो सभी के लिए उपयुक्त हो, यह व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, सांस्कृतिक मानदडों और पिछले अनुभवों से प्रभावित होकर एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में काफी भिन्न हो सकता है
पारस्परिक आकर्षण समय के साथ-साथ बदल सकता है क्योकि व्यक्ति एक-दुसरे को बेहतर तरीके से जानने लगते है और रिश्ते विकसित होने लगते है यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पारस्परिक आकर्षण एक शक्तिशाली शक्ति हो सकता है
रिश्तों की दीर्धकालिक सफलता अक्सर विश्वास, संचार और अनुकूलता जैसे अन्य कारकों पर निर्भर करती है जब कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति की सुंदरता, रंग, शरीर को देखकर आकर्षित होता हैं तब वह हमेशा के लिए नहीं होता है
क्योकि जब व्यक्ति एक दुसरे को जानना शुरू करतें हैं तब वह भिन्न कारकों के द्वारा तय होगा कि आपका रिलेशनशिप कैसा रहने वाला हैं? यह आगे बढेगा या यही ख़तम होगा.
उदहारण के लिए, किसी खुबसूरत लड़की के प्रति लडकें को आकर्षण होने पर वह उससे मिलता हैं, बातें करता है, उसके साथ समय बिताता हैं परन्तु इस दौरान अगर लड़की का व्यवहार आपके प्रति अच्छा नहीं हैं
तब आपके मन में जो उसके लिए आकर्षण या प्यार था उसके ऊपर इसका बुरा प्रभाव पड़ता हैं क्योकि यह अभी शुरुआत हैं लड़का-लड़की एक दुसरे को अच्छे से जानतें नहीं हैं ऐसी स्थिति में बुरा व्यवहार आपके बेहतर रिलेशनशिप के लिए सही नहीं होगा
बेरोन, बर्न एंव बैनस्कोम्ब ( 2006 ) – किसी दुसरे व्यक्ति को स्वीकारात्मक/अस्वीकारात्मक ढंग से मूल्यांकन करना अंतवैयक्तिक आकर्षण कहलाता हैं
बेरोन एंव बर्न ने अपने शोधों के आधार पर यह स्पष्ट कर दिया कि लोगो के आकर्षण संबंधों का निर्धारण अंतवैयक्तिक मूल्यांकनों की दशा ( धनात्मक/ऋणात्मक ) और तीव्रता ( कम/अधिक ) के आधार पर होता है
अंतवैयक्तिक आकर्षण के निर्धारक – Determinants of Interpersonal Attraction. ( Attraction in Hindi Meaning ).
समाजमनोवैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे निर्धारक/कारकों को बताया है जो यह निर्धारित करते है कि क्यों कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को पसंद कर रहा है और क्यों कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को नापसंद कर रहा है
- आन्तरिक निर्धारक ( Internal Determinants )
- बाह्य निर्धारक ( External Determinants )
- अंत:क्रियात्मक कारक ( Interactive Determinants )
आन्तरिक निर्धारक ( Internal Determinants )
इनमे उन कारकों को रखा जाता है जो व्यक्ति के भीतरी मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं ( अभिप्रेरण, भाव, संवेग ) से सम्बंधित होते है और व्यक्ति की पसंदगी या नापसंदगी को प्रभावित करते है
भाव – बेरी एंव हानसेन ( 1996 ), फोरगास ( 1995 ) के अध्ययनों के आधार पर यह पता चलता है कि व्यक्ति का संवेगिक या भावनात्मक अवस्था ( ख़ुशी, उदासी, डर ) से उनकी निर्णय क्षमता के साथ-साथ अंतवैयक्तिक आकर्षण भी प्रभावित होता है
उदहारण के लिए, जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक खुश होता है तब वह कुछ ऐसे निर्णय लेता है जिनका परिणाम बाद में दुखदायी होता हैं दुसरा उदहारण, कई बार हम कुछ ऐसे व्यक्तियों के साथ दोस्ती करतें हैं जो बाद में हमे नुकसान पहुँचातें हैं
गोअक्स ( 1971 ) एंव ग्रिफिफ्ट्ट ( 1970 ) के अध्ययनों के आधार पर यह पता चलता है कि घनात्मक संवेग एंव भाव ( उदहारण – सुख की अनुभूति ) उत्पन्न होने पर व्यक्ति दुसरे व्यक्तियों के प्रति आकर्षित होता है
उसी तरह से कष्टकर संवेग या भाव ( उदहारण – विषाद ) उत्पन्न होने पर व्यक्ति में अन्य व्यक्ति के प्रति अकर्षकता में कमी आ जाती है इसीलिए धनिष्ठ संबंधों के विकास के लिए भावनात्मक अनुकूलता, सहानुभूति और भावनात्मक स्तर पर जुड़ने की क्षमता आवश्यक होती है
संबंध आवश्यकता – बाल्डविन ने अपने अध्ययन के आधार पर यह बताया है कि मानव शिशु में जन्म से ही दुसरे व्यक्तियों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने की अभिप्रेरणा होती है जिसके कारण व्यक्ति एक उत्तम अंतवैयक्तिक सम्बन्ध बनाकर रख पाता हैं
जिस व्यक्ति में यह सम्बन्ध आवश्यकता से अधिक होते है उसमे दुसरे के प्रति अंतवैयक्तिक आकर्षण भी अधिक होता है
उदहारण के लिए, हम सभी मनुष्य दुसरें व्यक्तियों के साथ बेहतर संबंध बनाना ( घुलना-मिलना ) चाहतें है और हमे दूसरों का साथ अच्छा लगता है
बाह्य निर्धारक ( External Determinants )
इस तरह के निर्धारक में उन गुणों/विशेषताओं को रखा जाता है जो लक्षित व्यक्ति में होने से प्रत्यक्षणकर्ता उसके प्रति आकर्षित हो जाता है
शारीरिक आकर्षकता – यह कहा जाता है कि सुंदर चेहरे को किसी प्रशस्ति पत्र की आवश्यकता नहीं होती है सुंदर चेहरा खुद एक प्रशस्ति पत्र होता है जब लोग सुंदर चेहरे या रूप वाले व्यक्ति को देखतें है
तब अधिकतर लोग उस व्यक्ति को अधिक समायोजित, सद्गुणी और प्रतिभा संपन्न मानते हैं और उसके प्रति आकर्षित हो जाते है इसीलिए प्रारंभिक आकर्षण में शारीरिक उपस्थिति अक्सर एक प्राथमिक कारक होती है
लोग उन लोगो के प्रति आकर्षित होतें है जिन्हें वह शारीरिक रूप से आकर्षक पाते है जिसमे चेहरे की समरूपता, शरीर का आकार और समय आकर्षण जैसी विशेषताएं शामिल हो सकती हैं
हालाँकि शारीरिक आकर्षण का महत्त्व व्यक्तियों और संस्कृतियों में भिन्न हो सकता है Umberson & Hughes ( 1984 ) के अध्ययनों के आधार पर यह पता चलता है कि शारीरिक आकर्षकता का संबंध कुछ ख़ास-ख़ास चरों जैसे शैक्षिक उपलब्धि,
आय, व्यावसायिक प्रतिष्ठा तथा मानसिक स्वास्थ्य के साथ धनात्मक ( पॉजिटिव ) होता है कुछ अध्ययनों से यह पता चलता है कि विषमलिंगी आकर्षण में शारीरिक आकर्षकता की अहमियत काफी होती हैं
उदहारण के लिए, एक लड़का किसी खुबसूरत लड़की के प्रति जल्दी आकर्षित होता है या फिर एक लड़की किसी हैंडसम लडकें को देखकर आकर्षित होती हैं
अंत:क्रियात्मक कारक ( Interactive Determinants )
इसमें उन कारकों को रखा जाता है जो प्रत्यक्षणकर्ता तथा लक्ष्य व्यक्ति दोनों से सम्बंधित होते है तथा दोनों इसके आधार पर एक-दुसरे के प्रति अंतक्रिया करते है
समानता – यह प्रारंभ से ही माना जाता है कि दो व्यक्तियों में परस्पर आकर्षण होने का एक मुख्य कारण दोनों के बीच समानता होती हैं समानता का सिद्धांत बताता है कि लोग उन लोगो के प्रति आकर्षित होते है
जो समान द्रष्टिकोण, मूल्य, रुचियाँ और पृष्ठभूमि समझा करते है साझा हित और मूल्य समानता के लिए आधार प्रदान करते हैं और तालमेल की भावना पैदा कर सकतें हैं
समाज मनोवैज्ञानिकों ने अंतवैयक्तिक आकर्षण में समानता के तीन विमाओं को महत्वपूर्ण बताया है
- मनोवृति की समानता ( Attitude Similarity )
- व्यवहारगत समानता ( Behavioural Similarity )
- व्यक्तित्व की समानता ( Personality Similarity )
मनोवृति की समानता ( Attitude Similarity ) – यह देखा जाता है कि कोई भी व्यक्ति उन व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षित होता है जिनकी मनोवृति, उसकी मनोवृति के समान होती है
साझा विश्वास, मूल्य और द्रष्टिकोण अनुकूलता और समझ की भावना प्रदान करके पारस्पारिक आकर्षण को बढ़ा सकते है किसी ऐसे व्यक्ति से जुड़ना आसान है जो दुनिया को समान तरीके से देखता है
एण्डरसन एंव काप्लान ( 1973 ) के अध्ययनों के मुताबिक़ कॉलेज छात्रों में एक-दुसरे के प्रति उस परिस्थिति में आकर्षकता बढ़ जाती है जब उनकी मनोवृति किसी एक विषय या घटना के प्रति समान होती है
व्यवहारगत समानता ( Behavioural Similarity ) – किसी परिस्थिति में एक ही समान व्यवहार करने वाले व्यक्तियों में परस्पर आकर्षकता अधिक होती हैं
उदहारण के लिए, दो छोटे बच्चें खिलोनो से खेलकर एक ही कार्य कर रहें हैं ऐसी स्थिति में उन दोनों बच्चों में एक अच्छी दोस्ती हो जाती है दूसरा उदहारण, ऑफिस में साथ में कार्य करने वाले दो व्यक्तियों के बीच में अंतवैयक्तिक आकर्षण बढ़ जाता है
व्यक्तित्व की समानता ( Personality Similarity ) – समाज मनोवैज्ञानिकों ने यह दिखाया कि अधिकतर लोग अपने व्यक्तित्व के शीलगुणों के समान शीलगुणों की ओर आकर्षित होते है
व्यक्तित्व शीलगुणों से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ व्यक्तित्व शीलगुण सभी के लिए आकर्षक होते है चाहे वे प्रत्यक्षणकर्ता के व्यक्तित्व शीलगुण के समान हो या नहीं हो
उदहारण के लिए, किसी मनुष्य का व्यक्तित्व हमारे जैसा है तब ऐसी स्थिति में हम उस व्यक्ति के साथ रहना पसंद करतें है, उसके साथ दोस्ती करना पसंद करतें है और हमारे बीच अंतवैयक्तिक आकर्षण बढ़ता है
शारीरिक और भावनात्मक समर्थन ( Physical and Emotional Support )
किसी मनुष्य के प्रति सहायक होने व भावनात्मक देखभाल प्रदान करने से वह मनुष्य आकर्षित होता है क्योकि ऐसा करने से हम उस व्यक्ति को शारीरिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करतें है
रोमांटिक साझेदारी और दोस्ती जैसे गहरे रिश्तों में यह अधिक देखा जाता है कि जब हम अपने लाइफ पार्टनर या मित्र को लाइफ में शारीरिक और भावनात्मक रूप से सपोर्ट करतें है तब ऐसी स्थिति में आकर्षित होता है
पारस्परिक पसंदगी – पारस्परिक पसंदगी अंतवैयक्तिक आकर्षकता का एक दुसरा प्रमुख अंत:क्रियात्मक निर्धारक है वर्न ( 1971 ) का कहना है कि एकतरफा आकर्षक बहुत दिनों तक नहीं चलता है
आकर्षक को कायम रखने के लिए यह आवश्यक होता है कि वह पारस्परिक और एक दुसरे पर आश्रित हो मतलब दोनों में ही पारस्परिक स्नेह का होना अनिवार्य हैं
उदहारण के लिए, एकतरफा प्यार अधिक लम्बें समय तक नहीं चलता है जब तक दोनों व्यक्तियों की तरफ से आकर्षण या प्यार न हो लेकिन अगर दोनों व्यक्ति एक दुसरे को पसंद या प्यार करतें है तब ऐसे रिलेशन अधिक समय तक चलते है
स्व-प्रकटीकरण ( Self-Disclosure ) – व्यक्तिगत जानकारी और अनुभव साझा करने से विश्वास की भावना पैदा होकर आकर्षण को बढ़ावा मिलता हैं लोग अक्सर उन लोगो की ओर आकर्षित होते है जो खुले होते है और अपने विचारों और भावनाओं को बिना किसी झिझक के साझा करने के इच्छुक होते है
चाटुकारिता ( Ingratiation ) – अंतवैयक्तिक आकर्षकता का एक निर्धारक चाटुकारिता या चापलूसी हैं किसी भी समाज में कुछ लोगो को चाटुकार, चापलूस और जी-हुजूरी करने वाला माना जाता है
ऐसे लोगो के प्रति लोग निषेधात्मक ( नकारात्मक ) मत व्यक्त करते है परन्तु कुछ ख़ास परिस्थिति में इनकी चाटुकारिता आकर्षकता बढाने में सफल हो जाती है मतलब कई बार किसी एक मनुष्य को यह पता होता है
कि वह दुसरा मनुष्य पहले मनुष्य की चापलूसी कर रहा है लेकिन फिर भी हम उसकी बातों में आ जातें है अध्ययनों से यह पता चला है कि यदि चाटुकारिता के लिए लक्षित व्यक्ति खुद निम्न स्तरीय सम्मान वाला है और,
वह चाटुकारिता के वास्तविक उद्देश्य ( चापलूसी क्यों हो रही है? ) को नहीं समझता है तब उसके लिए चाटुकारिता आकर्षण उत्पन्न करती है उदहारण के लिए, अगर कोई व्यक्ति आपकी झूठी तारीफ करता है
आपको यह पता नहीं है कि वह व्यक्ति आपकी झूठी तारीफ इसीलिए कर रहा है क्योकि उसका आपसे कोई काम हैं और आप उसकी बातों में आ रहे है परन्तु यदि चाटुकारिता के लिए लक्षित व्यक्ति उच्चस्तरीय सम्मान वाला है और,
चाटुकारिता के पीछे छिपे मतलब को वह समझता है तब ऐसी परिस्थिति में चाटुकारिता आकर्षण उत्पन्न करने में सफल नहीं हो पाती है ऊपर दिए उदहारण में, अगर आपको पता है कि वह व्यक्ति आपकी झूठी तारीफ कर रहा हैं
ऐसी स्थिति में आप उसकी बातों में नहीं आतें हैं और आकर्षकता उत्पन्न नहीं हो पाती है
हास्य ( Humor ) – हास्य की भावना और एक दुसरे को हँसाने की क्षमता पारस्परिक आकर्षण का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है साझा हँसी अक्सर सकारात्मक भावनाओं और जुडाव की भावना पैदा करती है
उदहारण के लिए, जब एक व्यक्ति तनाव में होता है तब उससे कोई दुसरा व्यक्ति मिलता है और वह उसको हँसाने का प्रयास करता है ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति हँसने लगता है उस व्यक्ति को आप एक अच्छे व्यक्ति बनते है और वह आकर्षित होता है
निकटता ( Proximity ) /सन्निकटता ( Propinquity ) – स्थानिक सन्निकटता अंतवैयक्तिक आकर्षकता का एक प्रमुख निर्धारक माना गया है उदहारण के लिए, दो छात्र कक्षा में एक साथ बैठते हैं
तब ऐसा करने से भी उनके बीच में आकर्षण बढ़ जाता है इसीलिए अधिकतर अंतवैयक्तिक संबंधों की शुरुआत स्थानिक सन्निकटता या निकटता से होती है व्यक्तियों के उन लोगो के प्रति आकर्षित होने की अधिक संभावना है
जिनके साथ वे अक्सर संपर्क मे आते हैं अक्सर यही कारण है कि लोगो में सहकर्मियों, सहपाठियो या पड़ोसियों में एक दुसरे के प्रति धनात्मक अभिरुचियाँ एंव भावनाएं विकसित कर लेते है फलस्वरूप इसमें अंतवैयक्तिक आकर्षण विकसित हो जाता है
संचार और पारस्परिक कौशल ( Communication & Interpersonal Skills )
अच्छा संचार और पारस्परिक कौशल जैसे – सक्रिय सुनना, सहानुभूति और प्रभावी मौखिक और गैर-मौखिक संचार, सम्बन्ध और समझ की भावना पैदा करके आकर्षण को बढ़ावा दे सकतें है
जब आप किसी मनुष्य के साथ अच्छे से बातचीत करतें है उस दौरान आप उस व्यक्ति को पहले अच्छे से सुनतें है उसके बाद अपना रिस्पांस करते है ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति आपको एक अच्छा व्यक्ति समझता है और आकर्षित होता है
आकर्षण का नियम – Law of Attraction in Hindi – Law of Attraction Hindi. ( Hindi Meaning of Attraction ).
हमेशा से आकर्षण का नियम सफलता की कहानियां रहा हैं अक्सर लोग इन्टरनेट पर आकर्षण का नियम इन हिंदी को सर्च करके यह जानने का प्रयास करते रहें है कि लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन कैसे काम करता है?
कहा जाता है कि आकर्षण के नियम जो जिंदगी बदल दे? देता है
हमारा मानना यह है कि आकर्षण का नियम हमेशा से रहा है एक डायलॉग बहुत पोपुलर हैं कि जब आप किसी चीज को बहुत शिद्दत के साथ पाने की चाहना रखतें हैं तब पुरी कायनात उसको आपसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है
सरल शब्दों में इसको आकर्षण का नियम ( लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन ) कहा जाता है आकर्षण का नियम कहता है कि आपके विचार ( जो आप सोचतें है ) वह रियलिटी बन सकता है
उदहारण के लिए, अगर आप यह सोच रखतें है कि भविष्य में आपके पास बहुत अधिक पैसा होगा तब सच में भविष्य में आपके पास अत्यधिक धन होगा उसीतरह अगर आप सोचतें है कि आप गरीब है तब आप पूरी जिंदिगी गरीब रहने वाले है
- भगवान् बुद्ध का कहना है कि हम आप जो हैं वह इस बात का परणाम हैं कि हमने आजतक क्या सोचा है
- स्वामी विवेकानंद का कहना है कि हम वही है जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है
सरल शब्दो – हम अपनी लाइफ में उस पर आकर्षित होतें है जिसके बारे में हम सोचतें है हमारे दृढ विचार रियलिटी बनने का मार्ग हमेशा खोज ही लेते है इसीलिए हम जिस भी चीज पर ध्यान केन्द्रित करतें है वह रियल लाइफ में प्रकट होता है
आकर्षण साइकोलॉजी फैक्ट्स इन हिंदी – Psychology Facts in Hindi – Psychological Fact in Hindi.
हर मनुष्य अधिकतर किशोरावस्था में आकर्षण को अच्छे से समझना पसंद करता है क्योकि यह उम्र अंतवैयक्तिक आकर्षण या पारस्परिक आकर्षण के लिए ख़ास होती हैं
कहा जाता है कि किशोरावस्था में सबसे अधिक लडकें और लड़कियों में प्रेम भावना का निर्माण होता हैं परन्तु हम अक्सर इस बात में उलझें रह जाते है कि हमारे अंदर जो भावनाएं है वह प्यार हैं या सिर्फ अकर्षण?
परन्तु आपको समझना चाहिए कि लाइफ में अकर्षण हमें प्यार की ओर लेकर जाता हैं जिसके बाद हमें सच्चा प्यार होता है
नोट – आकर्षण, प्यार और कुछ अन्य ऐसे मनोवैज्ञानिक फैक्ट्स को समझना महत्वपूर्ण हैं जो हमारे जीवन में आकर्षण, प्यार को लेकर ज्ञान को सही दिशा में आगे बढाने का प्रयास करतें हैं
१. लड़कियाँ अपने पहले प्यार को कभी नहीं भूलती हैं, मतलब पहले प्यार के बाद उनके जीवन में कोई भी आ जाए उसको भूलना लड़कियों के लिए बहुत आसान होता है
२. अगर आप किसी व्यक्ति से प्यार करतें है तब वह व्यक्ति देख-रेख में जैसा भी होता है परन्तु आपके लिए वह हमेशा परफेक्ट होता है
३. लाइफ में जब हमे किसी मनुष्य से प्यार होता है तब हमे उस स्थिति से बाहर निकालने के लिए जिस शक्ति ( ताकत ) की आवश्यकता होती है वह शक्ति ( ताकत ) वो होती है जो नशे को छोड़ने के लिए लगाई जाती है
४. अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ लम्बे समय तक बात करतें है जिसको आप शुरुआत में पसंद नहीं करतें है तब धीरे-धीरे समय बीतने के साथ साथ वह व्यक्ति आपको पसंद आने लग जाता है
५. हम किसी मनुष्य/व्यक्ति का दिल तब तक दुखा सकतें हैं जब तक वह मनुष्य हमसे प्यार करता रहता है क्योकि प्यार ख़तम होने के बाद उसको आपके दुःख देने से कोई फर्क नहीं पड़ता है
६. प्यार बिल्कुल नशें की तरह होता है जब आप किसी मनुष्य से प्यार करने लगते है तब हमारे दिमाग में कोकिन के समान न्यूरोलॉजिकल प्रभाव पड़ता है इसीलिए प्यार हमे परम सुख का अनुभव प्रदान करता है
७. जब जीवन में दो व्यक्ति एक दुसरे के प्यार में पड़ने लगते है और उनके बीच सच्चा प्यार होता है तब ऐसी स्थिति में उन दोनों व्यक्तियों की पसंद/नापसंद समान ( एक जैसी ) होने लग जाती हैं
८. लडकें लड़कियों के ऊपर लाल रंग के वस्त्र देखकर अधिक आकर्षित होते हैं क्योकि लाल रंग को प्यार का रंग माना जाता है
९. वह दो व्यक्ति जो एक-दुसरे से सच्ची महोब्बत करतें है वह लाइफ में एक दुसरे के साथ बहुत लड़ाई-झगड़े करतें है परन्तु फिर भी वह दोनों एक दुसरे की जान रहते है
मतलब अपने प्यार को हर्ट करके उनको अच्छा नहीं लगता है इसीलिए वह लड़ाई-झगड़े जल्द से जल्द ख़तम हो जाते है
१०. कहा जाता है कि लडकें लड़कियों की तुलना में प्यार के भाव को जल्द महसूस करतें है परन्तु महिलायें प्यार महसूस करने में अधिक समय लेती है मनोवैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, लड़कों में प्यार का भाव मात्र 8 से 10 सेकंड में आ जाता है
परन्तु लड़कियाँ किसी लडकें से प्यार करने के लिए लगभग 15 दिन का समय लेती हैं हाँ, यह सच है कि लड़कियाँ, लड़कों से अधिक भावुक होती हैं परन्तु लडकियों की भावनाएं बहुत नियंत्रित रहती है
जबकि लडकें अपनी भावनाओं पर अधिक समय तक नियंत्रण बनाकर नहीं रख सकतें है
११. अगर कोई पुरुष ( लड़का ) किसी स्त्री ( लड़की ) के साथ सच्ची महोब्बत करने लग जाता है तब वह लड़का उस लड़की की हर पसंद को अपना लेता है मतलब वह लड़का लाइफ की हर परिस्थिति में लड़की को सिर्फ प्यार करता है
१२. ज्यादा बोलने वाली लड़कियों और कम बोलने वाले लड़कों में बहुत अधिक गहरा प्यार होता है और इस तरह के कपल्स की जोड़ी सबसे अधिक मजेदार होती है यह एक मनोवैज्ञानिक फैक्ट है कि लड़कों को अधिक बोलने वाली लड़कियाँ पसंद आती है
परन्तु लड़कियों को अधिकतर कम बोलने वालें लडकें अच्छे लगते है
१३. अपनी लाइफ में हम जिस मनुष्य के साथ सच्ची महोब्बत करतें हैं, किसी से सच्चा प्यार हैं तब ऐसी स्थिति में उस मनुष्य की मात्र आवाज सुनकर हम खुद मुस्कुराने लग जाते है
१४. जीवन में जब हम प्यार शब्द को सुनतें है तब उसी समय हमारे प्यार की छवि हमारे मन में बनती है
१५. वह सभी लडकें जो अपने जीवन में किसी के प्रेम में नहीं पड़े होते है उनको जीवन में एक खुबसूरत बीवी ( पत्नी ) मिलने की संभावना सबसे अधिक होती है क्योकि ऐसे लडकें अधिक कामयाब, लाइफ को लेकर जिम्मेदार होते हैं
१६. जब कोई दो प्यार करने वाले व्यक्ति ( लड़का-लड़की ) एक दुसरे की आँखों में कुछ देर तक देखते हैं तब उन दोनों प्यार करने वालों के दिलों की धड़कन एक साथ चलने लग जाती है
१७. अधिकतर लड़कियों को यह बात बहुत अधिक परेशान करती है कि किसी लडकें ने उनको क्यों नजरअंदाज किया हैं परन्तु यह भी एक मनोवैज्ञानिक फैक्ट हैं कि प्यार में जब आप प्यार करने वाले व्यक्ति को नजरअंदाज करतें है
तब ऐसी स्थिति में वह आपकी तरफ अधिक आकर्षित होता है
१८. कोई लड़की जब अपनी लाइफ में किसी लडकें से प्यार करती है तब वह उस लडकें को अपने परिवार से मिलाने के लिए बहुत उत्सुक रहती है परन्तु लड़कों के मामलें में ऐसा नहीं होता है क्योकि जब लडकें किसी लड़की से प्यार करने लग जातें है
तब वह उसको अपने परिवार, दोस्तों से मिलवाने के लिए जल्दी उत्सुक नहीं होते है
१९. हर लड़का ( पुरुष ) स्त्री ( लड़की ) के जिस्म की चाहत नहीं रखता हैं ठीक उसी तरह लाइफ में हर लड़की सिर्फ पैसों पर नहीं मरती हैं कुछ रिश्तें लाइफ में ऐसे होतें हैं जो लोगो की सोच से अत्यधिक पवित्र होतें हैं
२०. असामान्य परिस्थितियों में होने वाला प्यार, किसी सामान्य परिस्थिति में होने वाले प्यार की तुलना में अधिक मजबूत होता है इसीलिए ऐसा प्यार जिंदिगी भर चलता है
२१. लड़कियाँ अधिकतर उन लड़कों को अधिक पसंद करती हैं जो उनके कद ( हाईट ) से लम्बें होते है और जिन लड़कों की सोच में महत्वकांक्षा होती हैं इसीलिए अधिक महत्वकांक्षी सोच वालें लडकें लड़कियों को अधिक आकर्षित करतें है
२२. मनोविज्ञान का मानना है कि अधिकतर मामलों में कम उम्र में हमे प्यार नहीं हो सकता है वह केवल आकर्षण होता है क्योकि सच्चा प्यार परिपक्वता ( maturity ) के बाद होता है
२३. अगर कोई लड़का अमीर ( अधिक पैसा वाला ) हैं और लड़की अधिक खुबसूरत हैं तब ऐसी स्थिति में उन दोनों के बीच महोब्बत होने में अधिक समय नहीं लगता है
२४. कई सारें मनोवैज्ञानिको का मानना है कि आकर्षण, कामुकता को जन्म देता है जबकि प्यार कामुकता ( Sexuality ) के भाव का दमन करता है यही वजह होती है कि लाइफ में जो व्यक्ति अपने पार्टनर से अधिक प्यार करतें है
वह उनके बारे में अधिक कामुक नहीं होतें है परन्तु वह मनुष्य जो किसी मनुष्य के प्रति आकर्षण होतें है वह उस मनुष्य के प्रति बहुत अधिक कामुक भावनाए रखते है
२५. जब व्यक्ति प्यार में टूट जाता है मतलब प्यार में दिल टूटने वाली स्थिति में व्यक्ति प्यार के प्रति अधिक भावुक रहते है और ऐसे व्यक्ति बात-बात पर भावुक होने लगते है
२६. अधिकतर लोग उस व्यक्ति के साथ बहुत गहरा प्यार करतें है जो लाइफ में उनको कभी नहीं मिल सकता है ( यह कोई गलत बात नहीं है हमारे लेखक नितिन सोनी जी के साथ भी ऐसा है इसीलिए होता रहता है यह सब )
२७. लाइफ में व्यक्ति जब किसी लडकें/लड़की से प्यार करने लगता है तब धीरे-धीरे सुंदर चीजों के प्रति हमारा आकर्षण कम होने लगता है क्योकि ऐसी स्थिति में हम जिस व्यक्ति को प्रेम करतें है वह आपके लिए दुनिया में सबसे अधिक आकर्षण होता है
२८. यह एक मनोवैज्ञानिक फैक्ट है कि जब हम किसी व्यक्ति को पुरे दिल से पसंद करने लग जातें है तब ऐसी स्थिति में उसके सामने झूठ बोलना हमारे लिए लगभग असंभव हो जाता है
२९. जब हम किसी व्यक्ति ( लड़का या लड़की ) से प्यार करने लग जातें है तब हमारी नजर खुद उनको ढूढ़ लेती हैं
३०. साइकोलॉजी के अनुसार, हमारी सबसे अच्छी दोस्त ( स्त्री ) हमारी प्रेमिका ( प्यार ) बन सकती है परन्तु वही प्रेमिका वापस आपकी मित्र नहीं बन सकती है
३१. अगर कोई लड़का किसी लड़की को देखता है, उसको पसंद करने लगता है तब यह बात उस लड़की को बहुत जल्द ( आसानी से ) पता चल जाती है हाँ, यह बात किसी को दिखाई नहीं देती हैं
३२. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, हर लड़की को यह पता होता है कि लड़का उससे क्या बात करना चाहता है परन्तु प्यार के मामलें में वह ऐसा व्यवहार करती है जैसेकि उसको कुछ पता नहीं है
३३. यह बात में सच्चाई है कि लड़कियाँ उन लड़कों को अधिक पसंद करने लगती है जिनका स्वभाव केयर करने वाला होता है कई बार लडकियां अच्छे स्वभाव वालें लड़कों के साथ सिर्फ दोस्ती का रिश्ता रखती हैं और उनको Bad बॉय अधिक पसंद आते है
३४. अधिकतर लड़कियाँ, मात्र लड़कों के पैसे ( बैंक-बैलेंस ) से आकर्षित नहीं होती हैं बल्कि उनके व्यवहार और स्मार्टनेस से आकर्षित होती हैं
३५. मनोवैज्ञानिक फैक्ट्स के अनुसार कई मामलों में लड़कियाँ अपनी भावनाओं का इजहार अपनी मुस्कान और इशारों से करती है और जो व्यक्ति ( स्त्री और पुरुष ) बहुत जल्द शरमातें है वह लोग धोखा नहीं देते है ऐसे व्यक्ति पर विश्वास किया जा सकता है
३६. साइकोलॉजी कहता है कि अगर आप अपने पार्टनर को भूलना चाहते है तब इसके लिए आपको अपने जीवन में दुबारा किसी मनुष्य से प्यार करना होगा तभी आप अपने पहले प्यार को भुला सकतें है
३७. जब कोई व्यक्ति आपसे बहुत अधिक प्यार करता है परन्तु किसी कारण से आप उसको हर्ट ( दिल दुखाना ) करते है तब वह व्यक्ति खुद के साथ नफरत करने लग जाता है
३८. आप जिस मनुष्य/व्यक्ति से सच्चा प्यार करते है उस मनुष्य की थोड़ी-सी आवाज मात्र से ही आप कितनी भी समस्या या तनाव से घिरे होने पर आपका तनाव या समस्या लगभग 70 प्रतिशत तक कम कर सकती है
क्रश का मतलब क्या होता हैं? ( Meaning of Crush in Hindi ) – Crush Meaning in Hindi – क्रश मीनिंग इन हिंदी.
मनोवैज्ञानिक रूप में किसी एक व्यक्ति का किसी दुसरे व्यक्ति के ऊपर क्रश ( दिल ) आना, व्यक्ति की इच्छाओं और कल्पनाओं का एक प्रतिबिंब ( Reflection ) होता है जब हमारा किसी व्यक्ति के ऊपर क्रश आता है
तब हम उस व्यक्ति के अंदर वह सबकुछ देखना चाहतें है जो हम खुद में चाहतें है उदहारण के लिए, अगर हमें किसी खुबसूरत और आकर्षक लड़की के ऊपर क्रश आता है
तब इसका मतलब केवल यह नहीं होता है कि हम उस लड़की को सिर्फ इसीलिए चाहतें है क्योकि वह खुबसूरत और आकर्षक हैं बल्कि आप खुद भी खुबसूरत होना चाहतें हैं
दुसरा उदहारण – हैंडसम और सफल लडकें के ऊपर अगर किसी लड़की को क्रश आता है तब उसका मतलब सिर्फ यह नहीं होगा कि वह लड़की उस लडकें को इसीलिए चाहती है
क्योकि वह एक सफल व्यक्ति है बल्कि इसका मतलब यह होता है कि वह लड़की खुद भी सफल होना चाहती है
किसी मनुष्य पर क्रश आना एक बहुत सामान्य बात हैं हर कोई व्यक्ति कभी ना कभी किसी ना किसी व्यक्ति पर क्रश करता है लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है कि क्रश हमेशा सच्चाई ( वास्तविकता ) नहीं होता है
जिस व्यक्ति को हम पहले से जानते है उसके ऊपर हमारा क्रश आने की संभावना सबसे अधिक होती है वह आपका कोई मित्र, स्कूल या कॉलेज में साथ पढने वाला, आस-पास रहने वाला कोई पडोसी हो सकता है
ऐसा इसीलिए होता है क्योकि आप उस व्यक्ति को बहुत अच्छे से जानते हो और उसकी पर्सनालिटी ( व्यक्तित्व ) और आदतों को अच्छे से समझते हो इसीलिए उसके प्रति आकर्षण आपको होने की संभावना अधिक होती है
जब किसी के ऊपर क्रश होता हैं तब हमारी दुनिया बदल सी जाती है क्रश आने वाले व्यक्ति की हर बात, कार्य हमे अच्छा लगने लगता है यह फर्क नहीं पड़ता है कि उसमें कितनी बुराईयाँ हैं हम उन सभी बुराईयों को नजरअंदाज करते है
बस उस व्यक्ति के अंदर स्थित खूबियों में खोने लगते है ऐसा इसीलिए होता है कि क्रश के दौरान हमारा दिमाग कुछ ख़ास हार्मोन बनाता है जो हमें खुश और उत्साहित महसूस कराने लगते है यह हार्मोन हमारी सोच को प्रभावित करतें है
जिसके कारण हम अपने क्रश में सिर्फ अच्छाई देखते है परन्तु धीरे-धीरे जब हम अपने क्रश को बेहतर जानने लगते है तब हमें उसकी कमीयाँ भी नजर आने लग जाती है और यह सब नार्मल होता है
क्योकि हर मनुष्य में कुछ न कुछ कमी होती हैं कोई व्यक्ति बिल्कुल परफेक्ट नहीं होता है सच्चा प्यार हमेशा खूबियों और कमीयों के साथ स्वीकार किया जाता है
कैसे पता करें कि आप किसी से प्यार करते हैं या उसका सिर्फ आकर्षण?
लाइफ में आकर्षण के इस खेल में पुरुष और स्त्री दोनों थोडा अलग-अलग तरीकें से एक दुसरें के साथ खेलना पसंद करतें है मनोवैज्ञानिक फैक्ट्स के आधार अगर कोई लड़का किसी सुंदर लड़की को देखकर पसंद करने लगता है
तब वह उसको कुछ समय तक लगातार देखते रहना पसंद करता है परन्तु जब कोई लड़की किसी हैंडसम लडकें को देखकर उसको पसंद करने लगती है तब ऐसी स्थिति में वह नजरें चुराना अधिक पसंद करती है
इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि लड़कों को अधिक आकर्षण दिखाने में कोई समस्या नहीं होती है परन्तु लड़कियाँ आकर्षण दिखाने में थोड़ी अधिक शर्मीली और जागरूक होती है
कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि लड़कियाँ बहुत अधिक सोच-समझकर किसी हैंडसम लडकें के प्रति अपना आकर्षण दिखाती है वह शायद यह जानना चाहती है कि क्या वह लड़का भी उनको लाइक ( पसंद ) करता है जिसको वह पसंद करती है या नहीं.
इसीलिए इस दौरान लड़कियाँ लडकें की बॉडी लैंग्वेज और आँखों के इशारों को पढने का प्रयास करती है यह बात भी सच है कि लडकें उन लड़कियों को देखकर अधिक आकर्षित होतें है जो खुबसूरत और दयालु होती हैं
परन्तु लड़कियाँ उन लड़कों की तरफ अधिक आकर्षित होती है जो हैंडसम और कॉन्फिडेंस होते हैं
निष्कर्ष – अगर आप लाइफ में किसी खुबसूरत लड़की से मिलतें है और वह आपसे नजरे नहीं मिलाती है तब इसका मतलब यह नहीं होता है कि वह आपको पसंद नहीं करती है हो सकता है कि वह थोड़ा समय लेना चाहती हो या थोड़ी शर्मीली हो.
मनोविज्ञान के अनुसार, यह भी सच्चाई है कि आकर्षण दिखाने का कोई एक तरिका नहीं होता है हर मनुष्य अलग-अलग होता है परन्तु हर मनुष्य की बॉडी लैंग्वेज, इशारों, आँखों का अध्ययन करके पता लगाया जा सकता है कि वह आपके बारे में क्या सोचता है
आँखों का मिलाना आकर्षण का एक महत्वपूर्ण संकेत समझा जाता है जब दो व्यक्ति एक दुसरे की आँखों में अपनी आँखों को डालकर देखते है तब ऐसा करने से उनके बीच का बांड ( Bond ) मजबूत बनता है
आँखें हमारी खूबसूरती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं परन्तु आँखों का रंग हमारी पसंद/नापसंद को प्रभावित कर सकता है ऑस्ट्रिया यूनिवर्सिटी के अध्ययन के अनुसार, जिन व्यक्तियों की आँखों का रंग अलग-अलग होता है
वह मनुष्य एक दुसरे की तरफ अधिक आकर्षित होतें है यहाँ कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अलग अलग रंग वाली आँखें हमारी नजरों में एक अनोखी बात है आँखों का अलग रंग होना हमें दूसरों से अलग बनाता है
यही कारण है कि हम उन व्यक्तियों की ओर जल्द आकर्षित होतें है जिनकी आँखों का रंग हमारी आँखों से अलग होता है
प्रेम और आकर्षण में क्या अंतर है?
प्यार और आकर्षण में अंतर को लेकर युवाओं में बहुत अधिक कंफ्यूजन रहता है परन्तु यहाँ हमारे कुछ अंतर को पढने के बाद आप सिर्फ प्यार और आकर्षण में अंतर ही नहीं बल्कि प्यार और आकर्षण को अच्छे से समझ भी सकतें है
पहला अंतर – आकर्षण मजा होता हैं जो बहुत जल्द ख़तम हो जाता है यह हमें सिर्फ सुख प्रदान करता है परन्तु प्यार में हमेशा हमे ख़ुशी मिलती है जो हमारी लाइफ में हमेशा के लिए होती हैं
इसीलिए प्यार जीवनभर के लिए प्राप्त होता है लेकिन आकर्षण हमें सिर्फ कुछ समय के लिए प्राप्त होता है
दुसरा अंतर – प्यार के मामलें में हम उस व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने में अधिक फोकस नहीं रखते है जिसके साथ हमे सच्चा प्यार होता हैं परन्तु आकर्षण के मामलें में किसी व्यक्ति के प्रति शारीरिक आकर्षण होने पर,
हमारा ध्यान उसके साथ संबंध बनाने पर होता है और संबंध बनाने के बाद हमारा आकर्षण कम होने लग जाता है प्यार होने पर हमें उस व्यक्ति से किसी भी चीज की उम्मीद नहीं होती हैं जिससे हमे प्यार होता है
लेकिन आकर्षण के मामलें में हमे वह चाहिए होता है जिसके प्रति हम आकर्षित होतें है
तीसरा अंतर – आप किसी भी व्यक्ति के लिए आकर्षक महसूस कर सकतें है परन्तु प्यार सिर्फ ख़ास लोगो के साथ होता है इसीलिए प्यार में हमें सिर्फ प्यार की चाहत होती हैं इसीलिए हमें वह व्यक्ति चाहिए होता है जिसको हम बहुत महोब्बत ( प्यार ) करतें है
परन्तु आकर्षण के मामलें में हम किसी ख़ास चीज को देखकर आकर्षित होतें हैं इसीलिए अगर उसकी जगह हमें उसके जैसा या कुछ उससे बेहतर या कम बेहतर भी मिल जाता है तब काम चल सकता है
चौथा अंतर – जब हमें किसी मनुष्य के साथ लाइफ में सच्चा प्यार होता है तब उसके लिए हमारे अंदर गहरा भावनात्मक लगाव होता हैं जिसके कारण हम अपने प्यार के साथ दिल को जोड़तें हैं प्यार के खुश-दुःख होने से हमें फर्क पड़ता है
परन्तु आकर्षण में हमे सिर्फ शारीरिक लगाव, संबंध बनाने के प्रति रूचि इत्यादि हो सकती हैं ऐसी स्थिति में हमारा आकर्षण व्यक्ति के साथ कोई गहरा लगाव नहीं होता है
पांचवा अंतर – प्यार में हमेशा लाइफटाइम सुख के बारे में सोचा जाता हैं इसीलिए जब हमें किसी व्यक्ति से प्रेम होता है तब ऐसी स्थिति में हमें उस व्यक्ति का साथ जीवनभर के लिए चाहिए होता है
लेकिन आकर्षण में जब हमें किसी चीज के प्रति आकर्षण होता है तब हमें वह चीज तभी के लिए चाहिए होती हैं कुछ समय बाद उस चीज के प्रति हमारा आकर्षण लगभग समाप्त हो जाता है
छठा अंतर – प्यार हमेशा समय के साथ-साथ गहरा होता जाता है परन्तु आकर्षण समय के साथ साथ घटता रहता है और प्यार दूर होने पर बढ़ता है परन्तु आकर्षण दूर होने पर कम होने लगता है
सातवाँ अंतर – किसी वस्तु, व्यक्ति या अन्य चीज के प्रति आकर्षण हमारे दिमाग में एक उपज के रूप में होता है परन्तु सच्चा प्यार हमेशा हमारे दिल से होता हैं इसीलिए मनुष्य अपने प्यार के लिए बड़े-बड़े त्याग ( Sacrifice ) कर सकता है
परन्तु आकर्षण की स्थिति में त्याग ( Sacrifice ) करना असंभव होता है
आठवा अंतर – आकर्षण में हम सिर्फ वर्तमान में जीना पसंद करतें है यहाँ उस आकर्षण को लेकर हमारा कोई भविष्य का प्लान, बेहतर भविष्य को लेकर चिंता या जिम्मेदारी नहीं होती है
परन्तु प्यार के मामलें में हमें उस मनुष्य के बेहतर भविष्य, जीवन इत्यादि के प्रति जिम्मेदारी होती हैं इसीलिए प्यार में हम अपने प्यार के साथ भविष्य के विषय पर भी गंभीरता के साथ चर्चा करतें है
नौवा अंतर – आकर्षण में मनुष्य सिर्फ उस व्यक्ति, वस्तु या अन्य चीज को महत्त्व देता हैं जिसके प्रति वह आकर्षित होता है अगर आपको किसी व्यक्ति के प्रति आकर्षण है तब इस स्थिति में आप सिर्फ उस व्यक्ति को महत्त्व देंते है
उस व्यक्ति के आस-पास न होने के कारण हमारा आकर्षण भी ख़तम हो जाता है परन्तु प्यार में हमारे लिए सबसे अधिक जरुरी हमारे प्यार का खुश रहना होता है ऐसी स्थिति में हम जीवनभर उसको खुश देखना पसंद करते है
इस दौरान जब हमारा प्यार हमारे साथ नहीं होता है तब उसकी याद ख्यालों के रूप में हमारा साथ हमेशा देती हैं हम उसके बारे में सोचना पसंद करतें है क्योकि प्यार हमेशा दिल से किया जाता है
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FAQ
आकर्षण क्या होता है?
आकर्षण एक प्रकार का खीचाव या मोह होता है जिसके ऊपर हम काबू नहीं कर पाते है यह किसी व्यक्ति, वस्तु, समान इत्यादि के लिए हो सकता हैं जिस मनुष्य, वस्तु, समान इत्यादि के प्रति हम आकर्षित होतें है
उसको पाने के लिए सभी हदों को पार कर सकतें है क्योकि हमें लगता है कि ऐसा करने से हमे सुख प्राप्ति होगी उदहारण के लिए, किसी छोटे बच्चे के पास कोई एक ऐसा खिलोना हैं जो किसी दुसरे बच्चें को बहुत अच्छा लग रहा है
तब ऐसी स्थिति में दुसरा बच्चा उस खिलोने के प्रति आकर्षित होगा उसके बाद उस खिलोने को प्राप्त करने के लिए वह अपना पूरा प्रयास करता है इसीलिए हर उम्र का व्यक्ति आकर्षित होता है
अट्रैक्शन का क्या मतलब होता है?
आकर्षण ( Attraction ) शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों Ad एंव Trahere से मिलकर बना हैं जहाँ Ad का मतलब “को” तथा Trahere का मतलब “खीचना” से होता हैं इसीलिए दूसरों के प्रति खिचाव को आकर्षण कहा जा सकता है
आकर्षण का विलोम शब्द ( Aakarshan Ka Vilom Shabd ) विकर्षण ( Distractions ) होता है
किसी व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित कैसे करें?
हमारी एक मुस्कान, सामने वाले मनुष्य पर जादू की तरह कार्य करती हैं क्योकि जब कोई व्यक्ति हमारे देखकर मुस्कुराता है तब हमारे अंदर सब कुछ हल्का-हल्का सा लगता हैं और हमारा दिमाग खुश होने लगता है जैसे वह कोई छोटा-सा त्यौहार बना रहा हो
ऐसी स्थिति में हमारे दिमाग में ख़ुशी फैलाने वाले कुछ हार्मोन या केमिकल ( डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन ) हवा में उड़ने लगते है जिससे हमारा दिल हल्का महसूस करने लगता है और मुस्कुराने वाले व्यक्ति के प्रति एक सकारात्मक भावना को जगा देतें है
हर किसी मनुष्य को एक अच्छी मुस्कान बहुत पसंद होती है इसीलिए मुस्कुराने पर व्यक्ति आपकी तरफ आकर्षित होने लगता है
प्यार में आकर्षण क्या है? आकर्षित का मतलब प्यार में क्या होता है?
प्यार के मामलें में हम उस व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने में अधिक फोकस नहीं रखते है जिसके साथ हमे सच्चा प्यार होता हैं परन्तु आकर्षण के मामलें में किसी व्यक्ति के प्रति शारीरिक आकर्षण होने पर,
हमारा ध्यान उसके साथ संबंध बनाने पर होता है और संबंध बनाने के बाद हमारा आकर्षण कम होने लग जाता है प्यार होने पर हमें उस व्यक्ति से किसी भी चीज की उम्मीद नहीं होती हैं जिससे हमे प्यार होता है
लेकिन आकर्षण के मामलें में हमे वह चाहिए होता है जिसके प्रति हम आकर्षित होतें है
निष्कर्ष
प्यार का मामला हो या सिर्फ क्रश आया हो दोनों स्थिति में आकर्षक का मुख्य रोल रहता है आकर्षण और प्यार के बीच हमारे युवा यूजर अक्सर उलझें रहतें है और मनोविज्ञान पढने वालें स्टूडेंट के लिए भी अंतवैयक्तिक आकर्षक को समझना जरुरी होता हैं
क्योकि जब आकर्षण व्यक्तियों के बीच में होता है उसको अंतवैयक्तिक आकर्षक कहा जाता है
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें