आक्रामकता क्या है – Meaning of Aggression in Hindi ( 2025 ) Best Guide

Meaning of Aggression in Hindi: – हम सभी व्यक्तियों के जीवन में कभी कभी ऐसा होता है जब हमारे साथ हिंसक व्यवहार होता है यह जीवन में एक ऐसी स्थिति होती हैं जो हर मनुष्य कभी न कभी देखता है

अत्यधिक क्रोध वाली स्थिति में हमारा खुद के ऊपर कण्ट्रोल ( नियंत्रण ) नहीं होता है तथा हम आक्रामक व्यवहार करने लग जातें हैं मैं जानता हूँ कि बहुत सारें स्टूडेंट अत्यधिक गुस्सा करने से परेशान रहते है यह हमारी पढाई पर भी असर करता है

परन्तु अधिक गुस्से वाली स्थिति में गुस्सा कंट्रोल कैसे करें? सवाल का उत्तर अंत में दिया हैं लेकिन मैं गुस्सा शायरी फॉर गर्लफ्रैंड नहीं दूंगा उसके लिए फिर कभी बात करेंगें क्योकि अभी हमारे लिए आक्रामकता का अर्थ जानना बहुत जरुरी है

आक्रामकता क्या है - Meaning of Aggression in Hindi ( 2025 ) Best Guide

अक्सर एग्जाम उद्देश्यों के लिए आक्रामकता के विषय पर कुछ इस तरह के प्रश्न उपयोग में लाये जातें है

  • आक्रामकता का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए?
  • आक्रामकता को परिभाषित कीजिए आक्रामकता के निर्धारकों का वर्णन कीजिए?

इसीलिए आक्रामकता को बेहतर समझने के लिए हमें यह समझना होगा कि आक्रामकता किसे कहतें है?

Meaning of Aggression in Hindi – Aggression Meaning in Hindi – Hindi Meaning of Aggression.

Table of Contents

आक्रामकता ( Aggression ) का शाब्दिक अर्थ आक्रामकता, गुस्सा करना, अतिक्रमण, क्रोध करना, प्रचंडता, चढाई, आक्रमण करना, घृणा की भावना रखना इत्यादि होता है

क्रोध ( गुस्सा ), घृणा की भावना या धमकी भरा व्यवहार/भावना जिसके परिणामस्वरूप अक्सर शत्रुतापूर्ण या हिंसक व्यवहार होता है तथा हमला करने या हमले का सामना करने की तैयारी करने को भी आक्रामकता ( Aggression ) कहा जाता है

आक्रामकता एंव हिंसा एक ऐसा व्यवहार होता हैं जो व्यक्तियों के लिए मानसिक और शारीरिक नुकसान ( क्षति ) का कारण बनता है यह मनुष्य तथा पशुओं दोनों में पाया जाता है आक्रामक व्यवहार एक सार्वजानिक घटना होती है

जो किसी प्रतिशोध ( बदला ) की भावना या बिना किसी उत्तेजना के हो सकती है 

भारतीय साहित्य – भारत के पारंपरिक साहित्य में सिर्फ दूसरों को नुकसान या चोट पहुँचाना ही नहीं बल्कि जानबुझकर मानसिक और शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से खुद या

दूसरों के आंतरिक वातावरण में अशांति का कारण बनना भी आक्रामकता कहा गया है जयराम का कहना है कि दूसरों को चोट या नुकसान पहुँचाने के लिए विचारों, इच्छाओं और शब्दों का उपयोग आक्रामकता कहलाता है

आक्रामकता क्या है - Meaning of Aggression in Hindi ( 2025 ) Best Guide

बैरन एंव रिचर्डसन ( 1994 ) – आक्रामकता एक ऐसा व्यवहार होता है जिसका उद्देश्य किसी ऐसे व्यक्ति को नुकसान पहुँचाना है जो किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं देना चाहता है

बर्कोविट्ज़/Berkowitz ( 1975 ) – आक्रामक व्यवहार उस व्यवहार को कहा जाता है जो दूसरों को सिर्फ हानि या क्षति ही नहीं पहुँचाता है बल्कि हानि या क्षति पहुँचाने का उद्देश्य भी रखता हैं

बरोन एंव बर्न ( 1987 ) – आक्रामकता एक ऐसा व्यवहार होता है जिसका लक्ष्य दूसरों को क्षति पहुँचाना या घायल करना होता है तथा जिससे बचने के लिए वह ( दुसरा व्यक्ति ) प्रेरित होता हैं

मायर्स ( 1988 ) – आक्रामकता एक ऐसा शारीरिक या शाब्दिक व्यवहार होता है जिसका उद्देश्य दूसरों को चोट पहुँचाना होता है

कई बार एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति को शारीरिक क्षति नहीं पहुँचाता हैं बल्कि दुसरे व्यक्ति को कुछ अपशब्द कहकर, कमीयाँ बताकर, गाली-गलोज करके उस व्यक्ति के प्रति अपने आक्रामक व्यवहार को प्रदर्शित करता है

एटकिंसन, हिलगार्ड एंव स्मिथ ( 1987 ) – आक्रामकता एक ऐसा व्यवहार होता है जिसका उद्देश्य दूसरों को शारीरिक रूप या शाब्दिक रूप से घायल करना होता है या दुसरो के जायदाद को बर्बाद करना होता है

उदहारण के लिए, मान लीजिए कि एक व्यक्ति के पड़ोस में कोई दुसरा व्यक्ति नयी गाड़ी लेकर आया है परन्तु पहला व्यक्ति जलन के कारण दुसरे व्यक्ति की गाड़ी में स्क्रेच मारकर निकल लेता है

बुशमैन एंड एंडरसन ( 2001 ) – आक्रामक व्यक्ति को यह विश्वास होता है कि उसका व्यवहार लक्ष्य को नुकसान पहुंचाएगा और लक्ष्य आक्रामक व्यवहार से बचने के लिए प्रेरित होता है

आक्रामकता की प्रकृति – Nature of Aggression.

आक्रामकता नुकसान करने या हानि पहुँचाने की अभिव्यक्ति होती हैं और यह किसी व्यक्ति ( प्राणी ), वस्तु को लक्ष्य ( टारगेट ) बनाकर की जाती है किसी मनुष्य को आक्रामकता से शारीरिक और मानसिक नुकसान पहुँचता है

आक्रामकता एक मानव व्यवहार होता है जिसको एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है हर उम्र के व्यक्ति में आक्रामकता का व्यवहार पाया जाता है

Meaning of Aggressive in Hindi – Aggression Hindi Meaning. ( गुस्सा का पर्यायवाची शब्द ).

आक्रामक ( Aggressive ) का अर्थ क्रोधी, अति महत्वाकांक्षी, बहस करने वाला, लड़ाका या लड़ाकू इत्यादि होता है गुस्से ( Anger ) का पर्यायवाची शब्द रोष, आक्रोश, नाराजगी, रुष्ट, खीझ, क्रोध, कोप, रिस, खफा, नाखुश, इत्यादि होता है

परन्तु सिर्फ क्रोध का पर्यायवाची शब्द खीझ, रोष, गुस्सा, कोह, प्रकोप, आक्रोश, कोप, रिष, अमर्ष, प्रतिघात इत्यादि होता है

निष्क्रिय आक्रामकता – Passive Aggression.

निष्क्रिय आक्रामकता मनुष्य के द्वारा किये जाने वाला वह मानव व्यवहार होता है जिसमे एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति का बुरा करता है परन्तु उसको दिखाता नहीं हैं मतलब ऐसी स्थिति में आक्रामक व्यवहार करने वाला व्यक्ति खुलकर सामने नहीं आता है

परन्तु वह मनुष्य लक्षित व्यक्ति का बुरा कर देता है जिससे उस मनुष्य के मन को शांति भी मिल जाती है जो आक्रामक व्यवहार करना चाहता है

आक्रामकता क्या है - Meaning of Aggression in Hindi ( 2025 ) Best Guide

उदहारण के लिए, मान लीजिए कोई एक महिला है जिसकी अपने सास-ससुर से नहीं बनती है इसीलिए वह उनको चाय में कुछ गलत पदार्थ मिला दिया करती थी

इसका मतलब सास-ससुर यह पता नहीं होता हैं कि उनके चाय में कुछ है और उनकी बहु के मन को शांति भी मिल जाती हैं

नोट – यह सिर्फ भारत के मध्यप्रदेश का एक केस हैं जिसको सिर्फ समझाने के उद्देश्य से उदहारण के रूप में दिया गया है सभी यूजर से निवेदन है कि किसी प्रियजन या अन्य व्यक्ति के साथ ऐसे कार्य न करें 

आक्रामकता की विशेषता – Characteristics of Aggression.

आक्रामकता की विशेषताएँ एग्जाम में लिखने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण हैं इसीलिए यहाँ कुछ विशेषताओं को बताया गया है –

  • आक्रामकता एक ऐसा व्यवहार होता है जो जानबूझकर दूसरों या उनकी जायदाद को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से किया जाता है परन्तु बिना उद्देश्य की परख किये किसी व्यवहार को आक्रामक नहीं कहा जा सकता है

उदहारण के लिए, एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को हानि या चोट पहुँचा देता है परन्तु उसका ऐसा करने का कोई उद्देश्य नहीं था ऐसी स्थिति में यह आक्रामक व्यवहार नहीं होगा

  • यह उत्तेजना की एक उच्च स्थिति होती है क्योकि जब कोई व्यक्ति आक्रामक व्यवहार करता है तब वह भावनात्मक और संवेगात्मक रूप से उत्तेजित रहता है
  • आक्रामक व्यवहार में अभिप्राय ( भाव ) प्रकट और अप्रकट हो सकता हैं क्योकि कई बार किसी मनुष्य का उद्देश्य किसी दुसरे व्यक्ति को हानि पहुँचाने का होता है परन्तु वह उसको दिखाता नहीं है

उदहारण के लिए, एक राजनैतिक नेता अपने विरोधी नेता के प्रति तटस्थता का भाव रखतें हुए भी इस ढंग ( तरह ) से प्रचार कर सकता है जिससे वह अपने विरोधी नेता को हराकर चुनाव जीत सकें

यहाँ अभिप्राय छुपा होता हैं ऐसे आक्रामकता को साधनात्मक आक्रामकता ( Instrumental Aggression ) कहा जाता है

  • आक्रामकता की अभिव्यक्ति किसी हिंसक कार्यवाही ( कदम ) से पहले होती है क्योकि व्यक्ति आक्रामक व्यवहार करने के बाद हिंसक कार्यवाही करता है और यह प्रत्यक्ष एंव अप्रत्यक्ष होती है
  • आक्रामकता में पीड़ित या लक्ष्य व्यक्ति आक्रामक व्यवहार से बचने की कोशिश करता है परन्तु यदि पीड़ित व्यक्ति उस आक्रामक व्यवहार से बचने की प्रेरणा नहीं रख सकता है तब उसको आक्रामक व्यवहार नहीं कहा जायेगा

उदहारण के लिए, अगर एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति पर शारीरिक या शाब्दिक रूप से आक्रमण कर रहा है तब ऐसी स्थिति में दुसरा व्यक्ति हमेशा बचने का प्रयास करता है

  • आक्रामकता मौखिक, शत्रुतापूर्ण, शारीरिक एंव सक्रिय रूप में हो सकती है क्योकि कोई व्यक्ति आक्रामक व्यवहार करने के दौरान ताने मारना, अपशब्द ( चुबने वाले शब्द का उपयोग ), हाथापाई करना, दुश्मनी के उद्देश्य रहता है 

आक्रामकता के सिद्धांत – Theories of Aggression.

मनोवैज्ञानिकों एंव समाजशास्त्रियों ने मिलकर तीन महत्त्वपूर्ण सिद्धांत का वर्णन किया है जो इस प्रकार हैं –

  • मूलप्रवृतिक सिद्धांत ( Instinct Theory )
  • प्रणोद सिद्धांत – कुंठा-आक्रामकता प्राक्कल्पना ( Drive Theory: Frustration-Aggression Hypothesis )
  • सामाजिक-सीखना सिद्धांत ( Social Learning Theory )

मूलप्रवृतिक सिद्धांत ( Instinct Theory )

मूलप्रवृतिक सिद्धांत ( Instinct Theory ) के मुताबिक़, मनुष्य या पशु में आक्रामकता एक जन्मजात व्यवहार होता है जो मूलप्रवृति के कारण उत्पन्न होता है

मूलप्रवृति से मतलब किसी उद्दीपक के प्रति एक ख़ास तरह की अनुक्रिया करने की एक जन्मजात प्रवृति से होता है मूलप्रवृतिक सिद्धांत के अंतर्गत मूलत: दो व्यक्तियों के सिद्धांतों को रखा गया है

  • फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत ( Freud’s Psychoanalytical Theory )
  • लोरेन्ज का अचारशास्त्रीय सिद्धांत ( Lorenz’s Ethological Theory ) 

फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत ( Freud’s Psychoanalytical Theory )

इस सिद्धांत का प्रतिपादन साइमंड फ्रायड के द्वारा किया गया है फ्रायड के मुताबिक, प्रत्येक व्यक्ति में दो तरह के मूलप्रवृति पायी जाती है जीवन मूलप्रवृति व मृत्यु मूलप्रवृति.

जीवन मूलप्रवृति ( Life Instinct ) – यह व्यक्ति के द्वारा किये गए सभी रचनात्मक कार्य करने के लिए उत्तरदायी होती है या यह व्यक्ति को सभी तरह के रचनात्मक कार्य करने का पर्याप्त प्रेरणा देती है जीवन मूलप्रवृति को इरोस ( Eros ) भी कहा जाता है

मृत्यु मूलप्रवृति ( Death Instinct ) – व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला आक्रामक व्यवहार मृत्यु मूलप्रवृति के द्वारा नियंत्रित होता है या यह सभी तरह के विध्वंसात्मक तथा आक्रामक कार्य करने की प्रेरणा देती है

आक्रामकता क्या है - Meaning of Aggression in Hindi ( 2025 ) Best Guide

जब किसी व्यक्ति में मृत्यु मूलप्रवृति की प्रबलता होती है तो वह व्यक्ति आक्रामकता अधिक करते देखा जाता है मृत्यु मूलप्रवृति को थैनेटोस ( Thanatos ) भी कहा जाता है

जीवन मूलप्रवृति और मृत्यु मूलप्रवृति में एक संतुलन बना रहता है जिससे व्यक्ति का समायोजन वातावरण के साथ भी ठीक होता है

साइमंड फ्रायड के अनुसार मृत्यु मूलप्रवृति को दो प्रकारों में बताया है – अंतर्मुखी तथा बहिर्मुखी.

अंतर्मुखी – मृत्यु मूलप्रवृति की अंतर्मुखी दिशा होने पर व्यक्ति अपने आप के प्रति आक्रामकता दिखलाता है तथा अपने आप को ही क्षति पहुँचाने की कोशिश करता है ऐसे व्यवहार का एक चरम उदहारण – आत्महत्या का प्रयास करना होता है

बहिर्मुखी – मृत्यु मूलप्रवृति की बहिमुर्खी दिशा होने पर व्यक्ति दूसरों को क्षति पहुँचाकर या सामाजिक रूप से स्वीकार योग्य दलीले देकर अपनी आक्रामकता की अभिव्यक्ति करता है

लोरेन्ज का अचारशास्त्रीय सिद्धांत ( Lorenz’s Ethological Theory )

इस सिद्धांत का प्रतिपादन प्रसिद्ध अचारशास्त्री एंव नोबुल पुरुस्कार विजेता कौनरेड लोरेन्ज के द्वारा किया गया था लोरेन्ज का विचार फ्रायड के विचार से मिलता जुलता था

लेकिन फ्रायड ने आक्रामक व्यवहार को एक नकारात्मक रूप में परिभाषित किया था क्योकि फ्रायड ने आक्रामक व्यवहार को मृत्यु मूलप्रवृति से जोड़कर देखा था परन्तु लोरेन्ज का कहना है कि आक्रामक व्यवहार अनुकूली होते है

पशुओं पर अपना अध्ययन ( रिसर्च ) करने के बाद लोरेन्ज ने बताया कि पशुओं के अंदर अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए आक्रामक व्यवहार की बहुत आवश्यकता होती है

जिस पशु में आक्रामकता जितनी अधिक होगी उस पशु को अस्तित्व में बने रहने और स्वयं को पुनरुत्पादित ( Reproduced ) करने की संभावना उतनी ही अधिक होगी

सरल भाषा में, जो पशु जितना अधिक आक्रामक होता है वह उतना अधिक लम्बे समय तक अपने जीवन को बचाए रख पाता है क्योकि कम आक्रामक या सीधे पशु अधिक आक्रामक वाले पशुओं का शिकार बन जातें है

परन्तु खुद शिकार होने की स्थिति में अधिक आक्रामक पशु खुद का बचाव करने का प्रयास कर लेता है

लोरेन्ज ने कहा कि पशु आक्रामक व्यवहार के कारण ही अपने क्षेत्र की रक्षा करते है क्योकि जब दुसरे क्षेत्र के पशु उनके क्षेत्र पर हमला करते है तब वह अपने इसी आक्रामक व्यवहार के कारण उनको वहाँ से दूर भगा देते है

तथा अपने एंव जातियों के अन्य सदस्यों के लिए भोजन एंव पानी का प्रबंध कर पाते है

यह पशुओं के आक्रामक व्यवहार का ही परिणाम होता है कि मजबूत पशु ( अधिक आक्रामक ) उनका अस्तित्व अधिक समय तक बना रहता है अन्यथा कमजोर पशुओं का अस्तित्व जल्दी ख़त्म हो जाता है 

प्रणोद सिद्धांत – कुंठा-आक्रामकता प्राक्कल्पना ( Drive Theory: Frustration-Aggression Hypothesis )

जब सामाजिक मनोवैज्ञानिकों ने आक्रामकता से सम्बंधित फ्रायड एंव लोरेन्ज के द्वारा प्रतिपादित मूलप्रवृति सिद्धांत को अस्वीकृत कर दिया तब डोलार्ड (1999 ) तथा उनके सहयोगियों वर्कोविज ( 1989 ), फेश ( 1984 ) ने प्रणोद सिद्धांत का प्रतिपादन किया

इसमें बताया गया कि आक्रामकता के व्यवहार बाह्य कारकों या अवस्थाओं के द्वारा उत्पन्न होतें हैं यह बाह्य कारक व्यक्ति को प्रेरणा देतें है कि व्यक्ति आक्रामक रूप से व्यवहार करें?

आक्रामकता क्या है - Meaning of Aggression in Hindi ( 2025 ) Best Guide

आक्रामकता के प्रणोद सिद्धांत में सबसे महत्वपूर्ण कुंठा-आक्रामकता प्राक्कल्पना है इस सिद्धांत में दो महत्वपूर्ण पद है कुंठा ( Frustration ) तथा आक्रामकता ( Aggression ).

कुंठा ( Frustration ) – जब एक व्यक्ति किसी निश्चित लक्ष्य पर पहुँचना चाहता है परन्तु बीच में ही कोई अवरुद्ध या बांधा उत्पन्न हो जाती है ऐसी स्थिति में व्यक्ति के अंदर एक कुंठा ( Frustration ) का जन्म होता है

उस कुंठा के कारण व्यक्ति आक्रामक व्यवहार करने के लिए प्रेरित होता है उदहारण के लिए, हमारा एग्जाम है जिसके लिए हम घर पर आराम से बैठकर पढाई कर रहें है उसीदौरान कोई हमें डिस्टर्ब करता है जिससे हमारी पढाई में रूकावट उत्पन्न होती है

जिसके कारण हमारे अंदर एक कुंठा ( Frustration ) उत्पन्न हो जाती है कई बार डिस्टर्ब करने वाला व्यक्ति हमसे छोटा होने पर हम उसके ऊपर भड़क जाते है या हमारा व्यवहार आक्रामक हो जाता है

आक्रामकता ( Aggression ) – दूसरों को क्षति पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया शाब्दिक या शारीरिक व्यवहार को डोलार्ड ने आक्रामकता की संज्ञा दी है

सामाजिक-सीखना सिद्धांत ( Social Learning Theory )

इस सिद्धांत का प्रतिपादन बैण्डुरा ( 1973 ) के द्वारा किया गया था बैण्डुरा ने अपने सिद्धांत में बताया कि व्यक्ति अन्य व्यवहारों के समान आक्रामकता के व्यवहार को भी सीखता है

साथ-साथ यह भी सीखता है कि किन-किन अवस्थाओं में ऐसी आक्रामकता की अनुक्रिया वांछित लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करती है इसीलिए इस सिद्धांत के अनुसार आक्रामक व्यवहार एक सीखा गया व्यवहार होता है

उदहारण के लिए, अगर कोई छोटा बच्चा अपने माता-पिता या अन्य आसपास के व्यक्तियों को आक्रामक रूप में देखता है तब वह आक्रामक व्यवहार सीख लेता है

आक्रामकता को उकसाने वाले कारक – आक्रामकता के कारण – Factors Provoking Aggression.

समाज मनोवैज्ञानिकों के द्वारा आक्रामकता तथा हिंसा के चार प्रमुख निर्धारक बताये गए है

  • वैयक्तिक कारण ( Personal Causes ) 
  • सामाजिक कारण ( Social Causes ) 
  • परिस्थितिजन्य कारण ( Situational Causes ) 
  • सांस्कृतिक कारण ( Cuktural Causes ) 

वैयक्तिक कारण ( Personal Causes )

कई बार हम सभी व्यक्ति आक्रामकता का व्यवहार करना नहीं चाहतें हैं परन्तु कुछ ऐसे कारण आ जाते है कि हम खुद के ऊपर कण्ट्रोल नहीं रख पाते है ऐसी स्थिति में हम आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करतें है

वैयक्तिक कारक से मतलब व्यक्ति के शीलगुणों, चितवृति आदि से सम्बंधित कारकों से होता है

सामाजिक कारण ( Social Causes )

सामाजिक कारणों में उन सभी कारकों को रखा जाता है जो अन्य व्यक्तियों के कुछ कहने के कारण या दूसरों के साथ किये गए अंतक्रियाओं से आक्रामकता को उत्पन्न करता है ऐसे कारक इस प्रकार है –

प्रत्यक्ष छेड़-छाड़ – इसमें एक व्यक्ति दुसरें व्यक्ति को डायरेक्ट डिस्टर्ब करता है ओबुची एंव कैमबारा ( 1985 ) ने अपने अध्ययन में पाया है कि जब एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति को प्रत्यक्ष रूप से उसकी आलोचना करता है

व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी या दैहिक ( शारीरिक ) रूप से हमला करता है ऐसी स्थिति में दुसरा व्यक्ति भड़क जाता है फिर उसका व्यवहार आक्रामक व्यवहार के रूप में परिवर्तित हो जाता है

जिसके बाद दुसरा व्यक्ति पहले व्यक्ति के प्रति खुलकर तीव्र मात्रा में आक्रामकता दिखलाता है

उदहारण के लिए, कक्षा में जब आप अपने किसी मित्र के साथ पीछे बैठकर दैहिक या शाब्दिक छेड़-छाड़ करके उसको परेशान करते है तब ऐसी स्थिति में वह आपके ऊपर भड़क जाता है कई बार वह आक्रामक व्यवहार भी करने लगता है

उत्तेजन का स्तर – कई बार व्यक्ति के साथ ऐसी घटनाएं घट जाती है जिसके कारण व्यक्ति का उत्तेजित स्तर अधिक हो जाता है यह स्थिति व्यक्ति को आक्रामकता का व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर देती है

असंबंधित परिस्थितियों में भी सांवेगिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है जिसके कारण आक्रामक व्यवहार उत्पन्न होता है

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उदहारण के लिए, आप अपने किसी मित्र से यह उम्मीद कर रहें है कि वह आपको नोट्स देगा परन्तु वह नहीं देता है इस स्थिति में आपका व्यवहार आक्रमक हो जाता है

परिस्थितिजन्य कारण ( Situational Causes )

समाज मनोवैज्ञानिकों के द्वारा कुछ ऐसी परिस्थितिजन्य कारकों को बताया गया है जो किसी व्यक्ति को आक्रामक व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते है

तापक्रम – बरोन ( 1972 ) तथा लाटोन ( 1972 ) ने कुछ अध्ययन ( रिसर्च ) किये जिसके आधार पर यह देखा कि जब सहभागियों को एक सुखद तापक्रम ( उदहारण – 70°F से 72°F को एक सामान्य या अच्छा तापमान माना जाता है

क्योकि उसमे अधिक ठंडी या अधिक गर्मी नहीं होती है ) में कुछ व्यक्तियों को रखा गया और कुछ व्यक्तियों को काफी अधिक गर्म परिस्थिति या तापमान ( उदहारण – 94 °F से 98°F ) में रखा गया

दोनों व्यक्तियों को आक्रामक व्यवहार दिखाने का मौक़ा प्रदान किया गया परिणामस्वरूप पाया गया कि सामान्य तापमान में रहने वाले मनुष्यों या व्यक्तियों के अंदर आक्रामकता का व्यवहार कम उत्पन्न हुआ हैं

जबकि काफी अधिक गर्म परिस्थिति या तापमान में रहने वाले व्यक्ति में आक्रामकता का व्यवहार अधिक उत्पन्न हुआ

उदहारण के लिए, कई बार जब हम मई-जून के महीने में बाहर से आतें है और बाहर का तापमान बहुत अधिक गर्म रहता है ऐसी स्थिति में अगर आपसे कोई व्यक्ति थोडा सा उल्टा बोल देता है ऐसी स्थिति में बहुत जल्द गुस्सा ( आक्रामक व्यवहार ) आ जाता है

मदिरा एंव औषधी – हमने यह स्थिति कई बार देखी होगी कि लोग शराब पीने के बाद अजीब हरकतें ( उदहारण – गाली देना, मारपीट करना ) करतें है ऐसी स्थिति में अगर कोई व्यक्ति किसी शराबी व्यक्ति या नशे का सेवन करने वाले व्यक्ति से थोडा-सा गलत बोल जाता है

तब वह बहुत जल्द भड़क जातें है और आक्रामक व्यवहार दिखाने लग जाते है क्योकि मदिरापान, ड्रग्स, शराब इत्यादि नशे की स्थिति में व्यक्ति यह सोचना भी बंद कर देता है कि जो व्यवहार वह कर रहा है क्या वह सामाजिक रूप से सही है

बुशमैन तथा कूपर ( 1990 ) के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि पर्याप्त मात्रा में जब व्यक्ति मदिरापान कर लेता है तो वह अधिक मात्रा में आक्रामकता दिखलाता है तथा किसी भी छेड़-छाड़ के प्रति बहुत जल्द आक्रामक व्यवहार कर बैठता है

सांस्कृतिक कारण ( Cuktural Causes )

कई बार सांस्कृतिक कारणों से व्यक्ति आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करता है जब एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा या सम्मान को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है या उसका कोई अपमान करता है

तब दुसरा व्यक्ति इसको अपने अपमान के रूप में लेकर आक्रामक व्यवहार करने लगता है ऐसी स्थिति यह आक्रामक व्यवहार उचित माना जाता है जिसको समाज मनोवैज्ञानिकों ने प्रतिष्ठा की संस्कृति की संज्ञा दी है

वैनडेलो एंव कोहेन ( 2003 ) के अध्ययनों से यह पता चलता है कि आज भी संसार के कई भागों में इस ढंग का सांस्कृतिक मानक मौजूद है जिसमे अपनी इज्जत या सम्मान को चोट पहुँचाने के ख्याल से किसी व्यक्ति के द्वारा किये गए कार्य के प्रति आक्रामकता दिखलाया जाता है

आक्रामकता को रोकने तथा दूर करने के उपाय – Ways to Stop Aggression.

समाज मनोवैज्ञानिकों ने आक्रामकता को रोकने तथा दूर करने के कुछ उपायों का वर्णन किया हैं जो इस प्रकार है –

सामाजिक सीखना उपागम – सामाजिक सीखना उपागम या सिद्धांत के अनुसार जिस तरह से आक्रामक मॉडल को देखकर व्यक्ति आक्रामक व्यवहार को करना सीख लेता है

उसीतरह से व्यक्ति अनाक्रमक मॉडल को देखकर आक्रामकता की मात्रा को कम करना सीख लेता है क्योकि जब व्यक्ति दुसरे व्यक्तियों को देखता है कि वह कठिन परिस्थितियों में भी आक्रामक व्यवहार नहीं करते है

तब वह उनके व्यवहार को देखकर खुद भी सीखता है कि मुझे भी आक्रामक व्यवहार नहीं करना चाहिए

उदहारण के लिए, एक बच्चा अपने घर में यह देखता है कि उसके माता-पिता सभी के साथ अच्छे से बात करते है कभी भी आक्रामक व्यवहार नहीं दिखाते है तब वह भी उनके जैसा व्यवहार सीखता है

प्रतिकार – लक्षित व्यक्ति के प्रति आक्रामकता दिखलाने पर यदि लक्षित व्यक्ति से प्रत्याशित प्रतिकार प्रभावशाली एंव तीव्र होता है तब इससे आक्रामकता की मात्रा में कमी आ जाती है

उदहारण के लिए, अगर हम हमारे मित्र के साथ आक्रामक व्यवहार करते है तब वह उस व्यवहार को बर्दाश नहीं करता है और हमे पलटकर जवाब देता है या भड़क जाता है इस स्थिति में हम शांत हो जातें हैं

परानुभूति – कई बार आक्रामक तथा हिंसक व्यवहार करने वाले व्यक्ति को उस व्यवहार का परिणाम दिखाया जाता है

तब वह हिंसक व्यवहार के कारण पीड़ित व्यक्ति की चीख एंव कष्ट से आत्मा-दोष, सुख, पछतावा जैसी संवेगात्मक अनुभूतियाँ महसूस करता है जिसके फलस्वरूप वह मनुष्य आक्रामक व्यवहार करना बंद या कम कर देता है

उदहारण के लिए, एक छोटा बच्चे के साथ आपने गुस्से में हिंसक व्यवहार किया है और उसको मारा है ऐसा करने के बाद आप कुछ समय के लिए वहाँ से चले जातें है परन्तु कुछ समय बाद जब आपको उस पीड़ित बच्चे के पास लाया जाता है

उस दौरान आपसे कहा जाता है कि देखो आपने इस बच्चे को मारा है तो उसको कितनी चोट लगी हैं, उसको दर्द हो रहा है, वह रो रहा है ऐसी स्थिति में जब आप उसके दर्द को महसूस करते है इसीलिए आगे से वह आक्रामक व्यवहार करने से बचता है

दंड – दंड से भी आक्रामकता को कम किया जा सकता है परन्तु इसे समाज मनोवैज्ञानिकों द्वारा अधिक प्रभावकारी नहीं माना जाता है मैकोवी तथा लेविन ( 1957 ) ने यह बताया है कि जिन बच्चों को घर पर अत्यधिक शारीरिक दंड दिया जाता है

उन बच्चों में घर से बाहर के लोगो में आक्रामकता दिखाने की प्रवृति अधिक होती है और जो बच्चे अधिक आक्रामक प्रवृति के होते है उनके माता-पिटा में दंड देने की प्रवृति अधिक होती है

उदहारण के लिए, एक छोटा बच्चा बहुत अधिक शैतानी कर रहा है तथा अन्य लोगो के साथ आक्रामक व्यवहार कर रहा है ऐसी स्थिति में उसके माता-पिता उसको दंड देतें है जिससे वह शांत हो जाता है

माफ़ी देना – माफी देना वह प्रक्रिया है जिसमे व्यक्ति उस व्यक्ति या व्यक्तियों को दंडित करने के विचार का त्याग कर देता है जो उन्हें चोट पहुँचाया है और उसके बदले में उसके प्रति सहयोग की भाव रखते हुए व्यवहार करता है

उदहारण के लिए, मैं पढाई कर रहा हूँ और मेरा छोटा भाई आया और उसने मेरे द्वारा बनाये गए नोट्स को फाड़ दिया ऐसी स्थिति में मुझे आक्रामक व्यवहार करना था लेकिन मैं उसको माफ़ कर देता हूँ जिससे आक्रामक स्थिति दूर हो जाती है

क्षमायाचना एंव प्राक्गुणारोपण – क्षमायाचना एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमे व्यक्ति अपने गलत व्यवहार या कार्यों को स्वीकार लेता है तथा उसे माफ़ कर देने की प्रार्थना करता है

मतलब जब कोई व्यक्ति आक्रामक व्यवहार करने के बाद अपनी गलती को मान लेता है कि हाँ, मुझसे आक्रामक व्यवहार हुआ है मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था तब वह यह कहता है कि मैं अगली बार ऐसी गलती नहीं करूंगा

उदहारण के लिए, कक्षा में टीचर छात्रों पर इसीलिए गुस्सा है क्योकि छात्रों ने अपना काम नहीं किया है ऐसी स्थिति में छात्र अपनी गलती को स्वीकार करके आगे से ऐसा ना करने की बात कहता है जिसके बाद टीचर छात्रों को माफ़ कर देता है

आक्रामकता के लिए कानून ( All IPC Section in Hindi ) – IPC Dhara List in Hindi – IPC in Hindi.

हमें यह समझना चाहिए कि आक्रामकता एक अपराध होता है जो राज्य ( देश ) के नागरिकों के बीच अशांति की स्थिति को पैदा करता है सिर्फ व्यक्ति नहीं बल्कि राज्य ( देश ) भी आक्रामक स्थिति का निर्माण करता है

परन्तु यह केवल उन मनुष्यों के द्वारा किया जाता है जिनके पास राज्य के आक्रामकता स्थिति को आकार देने की शक्ति होती है

उदहारण के लिए, बमबारी करना, बंदरगाहों या राज्यों की सैन्य रूप से नाकाबंदी करना, किसी राज्य का उसके कुछ भाग पर सैन्य कब्जा करना, किसी मनुष्य या राज्य पर गंभीर आक्रामकता की योजना बनाना इत्यादि

अंतर्राष्ट्रीय सैन्य न्यायाधिकरण ( वर्ष 1946 ) में अपना फैसला सुनातें हुए कहा है कि आक्रामकता में समाज की संचित बुराई समाहित होती है यही कारण है कि यह एक सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय अपराध होता है

सरल भाषा – सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय अपराध के मुताबिक़, जिस राज्य या देश पर हमला होता है यह उस राज्य के खिलाफ एक आक्रामक व्यवहार ( आक्रामकता ) होने के कारण अपराध होता है

अक्सर इस स्थिति में दो राज्यों या देशो के बीच युद्ध स्थिति पैदा होती है इस युद्ध स्थिति के परिणामस्वरूप क्षति पहुँचने वाले व्यक्तियों या मारे गए व्यक्तियों के खिलाफ एक अपराध कहा जा सकता है

हमे समझना चाहिए कि यहाँ न्यायपूर्ण युद्ध सिद्धांत का बहुत अधिक महत्त्व होता है क्योकि इस सिद्धांत के मुताबिक अगर कोई राज्य क्षेत्रीय विस्तार के लिए कोई युद्ध लड़ता है तब इस युद्ध को अन्यायपूर्ण माना जाता है

क्योकि किसी राज्य के लिए एक न्यायपूर्ण युद्ध वह होता है जिसको विशेष रूप से सिर्फ आत्मरक्षा के लिए या आक्रमण के खिलाफ सहयोगियों की रक्षा के लिए किया जाता है परन्तु अगर हम अपने देश भारत के विषय पर चर्चा करें

तब हमे यह पता चलता है कि आक्रामकता ( अपराध ) के लिए भारतीय कानून में कुछ प्रावधान हैं यह इस प्रकार है –

धारा 300 – हत्या/मर्डर

यह एक विशेष धारा होती है भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में हत्या या मर्डर को परिभाषित करते हुए कहती है कि किसी व्यक्ति का मरना हत्या तब बनता है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन जाता है

कभी कभी कोई मनुष्य जानबूझकर किसी ऐसे कार्य को करता है जिसके कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती हैं इस स्थिति में उसको यह पता होता है कि इस कार्य के परिणामस्वरूप व्यक्ति मर भी सकता है परन्तु वह फिर भी उस कार्य पर जोर देता है

इस स्थिति में व्यक्ति को मृत्यु होने का ज्ञान कार्य करने से पहले होता है इसीलिए यह धारा 300 में हत्या का अपराध है

सरल शब्दों – जिस कार्य में मृत्यु का इरादा, जानबूझकर जानलेवा चोट, या यह ज्ञान शामिल है कि उस कार्य को करने से मृत्यु हो सकती है हत्या को परिभाषित कर देती है

अपवाद – जब कोई मनुष्य अपनी सहमति ( इच्छा ) से मृत्यु ( मौत ) का जोखिम उठाता हैं या अचानक लड़ाई में की गई हत्या.

दंड ( सजा ) – आजीवन कारावास, मृत्युदंड या अन्य सजा.

धारा 326 – गंभीर चोट पहुंचाना

यह विशेष धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में गंभीर चोट पहुंचाने को परिभाषित करते हुए कहती है कि किसी मनुष्य को जान-बूझकर किसी संक्षारक पदार्थ का उपयोग करके गंभीर चोट पहुंचाना एक अपराध है

हाँ, यह सच है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के मुताबिक़ हथियारों या कामों ( कार्यों ) से गंभीर चोट पहुंचाने पर आईपीसी धारा 325 लगाई जाती है परन्तु किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाने के लिए खतरनाक पदार्थों या

हथियारों का उपयोग किए जाने पर आईपीसी धारा 326 लगाई जाती है धारा 326 में संक्षारक पदार्थों के अलावा, गर्म पदार्थ, जानवर के ज़रिए चोट पहुँचाना, आग, विस्फोटक पदार्थ से व्यक्ति को चोट पहुंचाना शामिल है और,

एसिड अटैक होने पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के मुताबिक़ धारा 326A के अनुसार दंडित कार्यवाही होती है

सरल शब्दों – जब कोई व्यक्ति कुछ ऐसे पदार्थों का उपयोग करके किसी अन्य व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाता है जो मनुष्य के लिए श्वास लेने, खून में जाने या निगलने पर हानिकारक साबित होता है

दंड ( सजा ) – आज़ीवन कारावास मिलना, जुर्माना भरना, 10 साल ( वर्ष ) तक जेल होना

धारा 328 – जहर/नशीले पदार्थ का उपयोग करना

यह धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में जहर या नशीले पदार्थ के माध्यम से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने को परिभाषित करते हुए कहती है कि जब कोई मनुष्य किसी व्यक्ति को हानि ( नुकसान ), क्षति या धोखा देने के उद्देश्य से होने वाले गुप्त कार्यों को अपराध माना गया है

सरल शब्दों – जब एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को किसी हानिकारक पदार्थ, ज़हर या नशीले पदार्थों के माध्यम से हानि पहुँचाने का कार्य करता है यह एक अपराध होता है जिसके लिए

ज़हर, नशीले पदार्थ या किसी अन्य हानिकारक पदार्थ देने आईपीसी धारा 328 लगाई जाती है कुछ अन्य उदहारण, नशीले पदार्थों का मामला, खाद्य विषाक्तता की घटनाएं इत्यादि है

दंड ( सजा ) – पीड़ित व्यक्ति की चोटों या पीड़ा ( दर्द ) के लिए मुआवज़ा, कारावास, जुर्माना.

धारा 354 – महिला ( स्त्री ) पर हमला

यह विशेष धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में महिला ( स्त्री ) पर हमला करने को परिभाषित करते हुए कहती है कि जब कोई पुरुष किसी स्त्री ( महिला ) पर उसकी लज्जा भंग करने के उद्देश्य से हमला ( अटैक ) करता है वह अपराध होता है

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क्योकि आईपीसी धारा 354 में कई उपधाराएं ( धारा 354-ए, 354-बी, 354-सी, और 354-डी ) शामिल है इस स्थिति में महिला ( स्त्री ) की लज्जा भंग करने के लिए किया जाने वाला हमला आपराधिक बल या कुछ ऐसी स्थिति वाला भी हो सकता है जो इस प्रकार है –

  • किसी पुरुष के द्वारा स्त्री ( महिला ) की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ उसको अश्लील साहित्य दिखाना 
  • किसी पुरुष के द्वारा महिला से शारीरिक संबंध बनाने के लिए माँग करना 
  • किसी पुरुष के द्वारा स्त्री ( महिला ) के लिए लैंगिक टिप्पणी ( Sexual Comments ) करना 

दंड ( सजा ) – एक वर्ष से पाँच वर्ष तक जेल, जुर्माना.

धारा 370 – मानव तस्करी ( यौन शोषण ) करना

यह धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में मानव तस्करी करने को परिभाषित करते हुए कहती है कि किसी मनुष्य को शोषण या कार्य करने के लिए मजबूर करने में बल, धोखाधड़ी, धमकी, शक्ति का दुरुपयोग, अपहरण का उपयोग अपराध है

यह धारा मनुष्य ( व्यक्ति ) के साथ यौन शोषण, शारीरिक शोषण, गुलामी, जबरन अंग निकालना, दासता इत्यादि जैसे सभी शोषण के लिए सजा का प्रावधान आईपीसी में करती है यह मानव तस्करी एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध होता है

इसीलिए पुलिस अधिकारी बिना किसी वारंट के आपको गिरफ्तार करतें हैं और जमानत होने का सपना तो भूल जाए

परन्तु अगर इस कार्य में नाबालिगों को भी अपने साथ शामिल करने पर मिलने वाली सजा एक गंभीर रूप ले सकती है हाँ, ख़ास कर यौन शोषण के लिए आईपीसी धारा 370 की उपधारा 370A बनाई गई है

जिसमे किसी व्यक्ति के द्वारा दुसरे व्यक्ति को नौकरी का बहाना देकर बहकाकर उसको शारीरिक शोषण के लिए मजबूर करना, जबरदस्ती किसी बच्चे को कार्य करने के लिए मजबूर करना एक अपराध होता है

दंड ( सजा ) – सात वर्ष से आजीवन कारावास तक जेल ( बार-बार यह अपराध करने पर सजा आजीवन कारावास मिलेगी )

धारा 376 – बलात्कार का अपराध

यह एक विशेष धारा हैं यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में महिला ( स्त्री ) के साथ बलात्कार करने को परिभाषित करते हुए कहती है कि जब किसी कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह मिलकर किसी स्त्री के साथ बलात्कार करते हैं वह अपराध है

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परन्तु आईपीसी धारा 376 में अपराधों से समझौता नहीं होता है जब इस धारा में किसी अपराधी पर जुर्माना लगाया जाता है तब वह जुर्माना पीड़ित व्यक्ति ( महिला ) को दिया जाता है

  • बलात्कार के दौरान पीड़ित स्त्री मौत या वानस्पतिक अवस्था होने पर सजा में अपराधी को उम्रकैद या मौत मिलती हैं 
  • जब अपराधी किसी बारह ( 12 ) वर्ष तक उम्र वाली लड़की से बलात्कार करता है तब उसको मौत या उम्रकैद के रूप में सजा मिल जाती है 

आईपीसी धारा 376 की उपधारा के रूप में 376डीए, 376डीबी इत्यादि बनाई गई है

उदहारण के लिए, जब सामूहिक बलात्कार किसी बारह ( 12 ) वर्ष से कम उम्र वाली लड़की से होता है तब धारा 376डीबी तथा ब सामूहिक बलात्कार किसी छ: ( 6 ) वर्ष से कम उम्र वाली लड़की से होता है तब धारा 376डीए का उपयोग किया जाता है 

दंड ( सजा ) – मृत्युदंड, कठोर कारावास, जुर्माना, फांसी.

धारा 506 – धमकी देना

यह धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में आपराधिक धमकी को परिभाषित करते हुए कहती है कि जब एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को अगंभीर तथा गंभीर धमकी देता है तब वह अपराध होता है

अगंभीर धमकी – किसी संपत्ति, व्यक्ति ( मनुष्य ) या प्रतिष्ठा को चोट या हानि ( नुकसान ) पहुँचाने के लिए

गंभीर धमकी – किसी व्यक्ति को मौत ( जान से मारने ) की धमकी देना, कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति या उसकी संपत्ति को आग से नष्ट करने की धमकी देता है, किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाने की धमकी देना

अगर कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को गुमनाम होकर या किसी महिला ( स्त्री ) पर व्यभिचार आरोप वाली धमकी देता है तब उसको मिलने वाली सजा बढ़ जाती है

दंड ( सजा ) – लगभग दो वर्ष तक जेल, जुर्माना, कारावास ( गंभीर धमकी के लिए सात वर्ष तक जेल )

गुस्सा शांत करने का उपाय क्या हैं? ( Gussa Control Kaise Kare ) – Gussa Kaise Control Kare.

गुस्सा कम करने का तरीका हर वह मनुष्य जानना चाहता हैं क्योकि अत्यधिक आक्रामक स्थिति में गुस्सा शांत करने का तरीका कई बार हमारी मदद करता है परन्तु कुछ मनुष्य ज्योतिष तंत्र पर अधिक ट्रस्ट करतें है

वह गुस्सा कम करने के ज्योतिषीय उपाय या गुस्सा कम करने का टोटका सर्च इंजन में खोजते रहते हैं क्योकि हम विज्ञान पर अधिक ट्रस्ट करने वाले मनोविज्ञान छात्र है इसीलिए गुस्सा शांत करने के टोटके या गुस्सा कम करने का मंत्र नहीं,

बल्कि कुछ ऐसी स्थिति पर लॉजिकल उपाय बताएँगे जिनपर हमे सबसे अधिक गुस्सा आ जाता है

गुस्सा हमारे जीवन में सबसे बेसिक अनुभवों में से एक है जिसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष होते है क्योकि सकारात्मक पक्ष में किसी मनुष्य को गुस्सा कार्य करने या अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए मोटीवेट कर सकता है

परन्तु नकारात्मक पक्ष में किसी मनुष्य को अत्यधिक गुस्सा आना उसके साथ रहने वाले मनुष्यों का जीवन ख़राब कर सकता है मनुष्य इस इमोशन को तब महसूस करता है जब हमारे सामने कुछ ऐसा होता है जिसको हमने नहीं सोचा था

मनोविज्ञान के अनुसार, अगर किसी मनुष्य का गुस्सा उसके नियंत्रण में नहीं होता है तब इसका मतलब यह होता है कि आपके अचेतन माइंड में कोई ऐसी इनफार्मेशन ( जानकारी ) होती है जिससे आपकी इगो आपके चेतन माइंड में आने से ब्लॉक कर रही है

उदहारण के लिए, अगर आप एक रिलेशनशिप में हैं, आप अपने पार्टनर के साथ खुश हैं, उसकी केयर करते है और अपने पार्टनर से भी यह चाहते हो कि वह आपकी इसी तरह परवाह करें?

तब आप कभी यह नहीं सोच सकती है कि आपका पार्टनर आपको धोखा देगा परन्तु जब आपको पता चलता है कि यह सच है कि आपके पार्टनर ने आपको धोखा दिया है तब एकदम से आपको वह स्थिति मिलती है जिसके बारे में आपने कभी सोचा नहीं था

इस स्थिति को हमारा इमोशनल सिस्टम एक खतरे की तरह देखता हैं जिसके कारण हमारे अंदर इमोशन का एक धमाका-सा होता है जिसके कारण हम यह सोचने पर मजबूर हो जातें है कि मैंने इस रिलेशनशिप को समझने में कहाँ गलती की है?

पहली स्थिति – हमें अपने जीवन में डर और दुःख को भुलाने की जगह उनका सामना करना चाहिए क्योकि ऐसा करने से आप अपने गुस्से को अपनी ताकत के रूप में उपयोग कर सकतें है

ऐसा करने के लिए हमे यह बात जाननी होगी कि हमें गुस्सा किस तरह की बातों पर आता है क्योकि ऐसी स्थिति में आप गुस्से वाली स्थिति को पहचानकर उसका सामना कर सकतें है

उदहारण के लिए, अगर मुझे यह पता चलता है कि जब मुझसे कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तब मुझे बहुत गुस्सा आता है फिर भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर मैं खुद को कण्ट्रोल करने के लिए पहले से खुद को तैयार रखूंगा

दुसरी स्थिति – लाइफ में गुस्सा आने पर हमे कुछ समय के लिए रुक जाना चाहिए क्योकि ऐसा करके हम अपने गुस्से को कण्ट्रोल करने के लिए समय प्राप्त कर सकतें हैं उदहारण के लिए, अगर दो व्यक्ति एक दुसरे को बुरा बोल रहें हैं

तब पहला व्यक्ति बोलता है, फिर दुसरा व्यक्ति बोलता है, फिर पहला व्यक्ति बोलता है इस तरह वहाँ पर एक जंग होती है कि कौन व्यक्ति सबसे अधिक किसको बुरा बोल सकता है परन्तु इसका परिणाम कुछ नहीं होता है

क्योकि अंत में दोनों व्यक्ति हारकर, नाराज होकर अलग हो जाते हैं परन्तु अगर दोनों में से केवल एक व्यक्ति भी अगर खुद को थोडा रोक पायेगा तब वहां समस्या आगें बढ़ने से बच जाती है

तीसरी स्थिति – यह तरिका उस स्थिति में सबसे अधिक कार्य करता है जब हमे यह पता होता है कि आगे कुछ गड़बड़ होने वाली है क्योकि इस तरीकें में हम यह अनुमान पहले लगाते है कि हम किस तरह से बात करनी है?

उदहारण के लिए, मान लेते हैं कि हमे किसी एक मित्र नें, दुसरे मित्र के लिए बताया कि उस दुसरे मित्र ने हमारे लिए कुछ गलत बोला है ऐसी स्थिति में हमें तुरंत गुस्सा आया हमने सोचा कि मैं अपनी तुरंत जाकर उसको ठीक करता हूँ

परन्तु ऐसी स्थिति में अगर हम बिना कुछ सोच-विचार किये चले गए तब शायद लड़ाई हो जायेगी ऐसी स्थिति में आप यह सोच-विचार कर सकतें है कि अगर मैंने अपने मित्र को यह बोला तब उसका क्या परिणाम या उत्तर मिल सकता है? 

ऐसी स्थिति में अगर मैं अपने मित्र पर डायरेक्ट इल्जाम लगाता हूँ तब वह खुद का बचाव करते हुए कहेगा कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है तुम ठीक से बात करों?

परन्तु अगर मैं अपने मित्र के सामने यह बात खुलकर रखता हूँ तब वह मुझे बता सकता है कि सही-सही बात क्या थी?

चौथी स्थिति – हमें दुसरे व्यक्तियों की पोजीशन को समझने का प्रयास करना चाहिए क्योकि कई बार गुस्से वाली स्थिति में हम सिर्फ अपने नजरिये से स्थिति को देख पाते है उसके हिसाब से गुस्सा हो जाते है

उदहारण के लिए, हमने किसी व्यक्ति को किसी कार्य के लिए कहा है परन्तु उस मनुष्य ने उस कार्य को उस समय पर नहीं किया है ऐसी स्थिति में हमें सीधा गुस्सा आयेगा कि उसके कार्य क्यों नहीं किया है?

लेकिन अगर हम इस स्थिति में यह विचार करने का प्रयास करते है कि ऐसा क्या हो गया होगा कि उसने यह कार्य नहीं किया है और अगर मैं उस मनुष्य की जगह होता तब मैं क्या करता.

ऐसी स्थिति में आप अपनी बात को कुछ इस तरह से शुरू करतें हैं कि भाई अभी तक यह कार्य नहीं हुआ है, कुछ कारण रहा होगा परन्तु आगे क्या करना है ऐसा करके हम गुस्से वाली स्थिति से बच जातें हैं

पांचवी स्थिति – हमें खुद के लिए गुस्सा आने के समय को निर्धारित करना चाहिए मतलब आप खुद के लिए यह तय कर सकते है कि हमें गुस्सा सिर्फ 5 से 10 मिनट के लिए ही आना हैं धीरे धीरे आप अपनी समयसीमा को और कम कर सकतें है

उदहारण के लिए, अगर आप एक वेडिंग प्लानर हैं और वेडिंग प्लान करते समय आपके स्टाफ मेम्बर से कोई गलती हो जाती हैं ऐसी स्थिति में आप उसके ऊपर गुस्सा करने वालें है परन्तु अगर हम किसी तरह अपने गुस्से के समय सीमा वाला समय बीता लेते है

तब हम गुस्से के ऊपर जीत हसिल कर लेते है ऐसा करने के लिए इस स्थिति में हम कुछ अच्छा सोचना, मन में उलटी गिनती करना, इत्यादि कार्य करके कुछ समय के लिए अपने ध्यान को भटकाकर रखना हैं

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FAQ

अग्रेशन का क्या अर्थ है?

आक्रामकता ( Aggression ) का शाब्दिक अर्थ आक्रामकता, गुस्सा करना, अतिक्रमण, क्रोध करना, प्रचंडता, चढाई, आक्रमण करना, घृणा की भावना रखना इत्यादि होता है

क्रोध ( गुस्सा ), घृणा की भावना या धमकी भरा व्यवहार/भावना जिसके परिणामस्वरूप अक्सर शत्रुतापूर्ण या हिंसक व्यवहार होता है तथा हमला करने या हमले का सामना करने की तैयारी करने को भी आक्रामकता ( Aggression ) कहा जाता है

आक्रामकता का क्या कारण है?

बहुत सारे कारण आक्रामक स्थिति या व्यवहार को पैदा करतें है उदहारण के लिए, किसी व्यक्ति के द्वारा हमारी बात को न सुनना, हमारे द्वारा किये जाने वाले कार्य में रूकावट पैदा करना, दुर्व्यवहार करना, हमारे मन का निराश होना इत्यादि

बच्चों में आक्रामकता के क्या कारण हैं?

जब बच्चों के आस-पास का वातावरण अत्यधिक आक्रामक स्थितियाँ उत्पन्न करता है तब बच्चा उसको सीखता है उदहारण के लिए, घर पर जब बच्चा अपने परिवार के सदस्यों को अलग अलग स्थितियों में आक्रामक व्यवहार करते हुए देखता है

तब वह बच्चा आक्रामक स्थिति में कैसे व्यवहार करना है यह सीखता है और कई बार जब माता-पिता बच्चे के अधिक शैतानी करने या आक्रामक व्यवहार करने पर उसको दंडित करते है तब वह अक्सर घर के बहार आक्रामक व्यवहार दिखाता है

शारीरिक आक्रामकता क्या है?

जिस आक्रामकता के परिणामस्वरूप एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को शारीरिक रूप से हानि ( नुकसान ) या क्षति पहुँचाता है वह शारीरिक आक्रामकता कहलाती है

इस स्थिति में आक्रामक व्यवहार के दौरान किसी व्यक्ति के द्वारा दुसरे व्यक्ति के साथ मार-पीट करना, काटना, किसी हथियार का उपयोग करके हमला करना, लात मारना इत्यादि शामिल हैं

जिद्दी और आक्रामक बच्चे को कैसे हैंडल करें?

अगर आपका बच्चा जिद्दी और आक्रामक हैं तब ऐसी स्थिति में सबसे पहले आपको खुद को शांत रखना होगा उसके बाद उसको सुने और समझने का प्रयास करें ऐसा करने से आप बच्चे के आक्रामक होने के मुख्य कारण को ख़तम कर सकतें है

उस स्थिति के बाद बच्चे को प्यार माध्यम से सकारात्मक प्रोत्साहन देना शुरू करें क्योकि जब वह पुरे दिन कोई अच्छा व्यवहार करता है उसके लिए उसको सकारात्मक प्रोत्साहन मिलने पर वह उस व्यवहार को दुबारा करने के लिए प्रेरित होता है

आक्रामकता का उद्देश्य क्या है?

हर प्रकार से आक्रामकता का उद्देश्य किसी एक व्यक्ति के द्वारा किसी दुसरे व्यक्ति शाब्दिक, दैहिक ( शारीरिक ) या मानसिक रूप से क्षति पहुँचाना होता है ऐसी स्थिति में अपने उद्देश्य को पूरा करने के बाद आक्रामक व्यक्ति को शांति मिलती है

बच्चों को ज्यादा गुस्सा क्यों आता है?

रिसर्च के अनुसार बच्चों को एक दिन में कम से कम एक बार गुस्सा जरुर आता है परन्तु गुस्सा एक इमोशन है जिसका सकरात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष होता है बच्चे का अत्यधिक गुस्सा करना उसके व्यवहार को ख़राब करने में मुख्य भूमिका निभाता है

बचपन में बच्चे की सभी जिदों का पूरा होना परन्तु कुछ जिदों का पूरा ना होना, बच्चे के मन में गुस्से वाली स्थिति को जन्म देता है माता-पिता के द्वारा एक बच्चे को अधिक प्यार व दुसरे को कम प्यार देना इत्यादि

ऐसी अनेक स्थितियां लाइफ में बच्चे के साथ देखने को मिल जाती है परन्तु माता-पिता को यह बात समझनी चाहिए कि बच्चे में अपनी बात समझाने या बताने के लिए मौखिक कौशल की कमी रहती हैं इसीलिए इस स्थिति को अच्छे से हैंडल करना चाहिए

आक्रामकता को कैसे दूर किया जा सकता है?

आक्रामकता को दूर करने के लिए आप इस लेख में बताये कुछ अच्छे तरीकों का उपयोग कर सकतें है खुद को आक्रामक स्थिति में पहुँचने से रोक सकतें है यहाँ अगर आपको योग करना पसंद है तब आप कोशिश करके देख सकतें है

मनोविज्ञान में आक्रामकता कैसे कम करें?

हमें खुद के लिए आक्रामक स्थिति के समय को निर्धारित करना चाहिए मतलब आप खुद के लिए यह तय कर सकते है कि हमें गुस्सा सिर्फ 5 से 10 मिनट के लिए ही आना हैं धीरे धीरे आप अपनी समयसीमा को और कम कर सकतें है

आक्रामक व्यक्ति से कैसे बात करें?

आक्रामक व्यक्ति से बात करने के लिए हमे आक्रामक व्यक्ति की स्थिति को समझकर उससे बात करनी होगी उदहारण अगर किसी व्यक्ति ने आपका कार्य नहीं किया है

तब उससे कुछ इस तरह से बात की जा सकती है कि भाई अभी तक यह कार्य नहीं हुआ है, कुछ कारण रहा होगा परन्तु आगे क्या करना है यह कार्य पूरा कब तक होगा

आक्रामक व्यक्ति से खुद को कैसे बचाएं?

आक्रामक व्यक्ति से खुद को बचाने के लिए यहाँ कुछ ऐसी धाराओं के बारे में बताया गया है जिनके बारे में आपको पता होने से आप खुद को अत्यधिक गंभीर आक्रामक स्थिति से बचा सकते है

निष्कर्ष

यह लेख विशेष रूप से मनोविज्ञान के छात्रों को आक्रामकता के बारे में बताने के लिए शेयर किया गया है क्योकि आप एक मनोविज्ञान के स्टूडेंट है इसीलिए टॉपिक को हमेशा पाठ्यक्रम से बाहर निकलकर डिटेल में समझना चाहिए

परन्तु याद हमेशा पाठ्यक्रम के हिसाब से अच्छा एग्जाम देने के लिए करना चाहिए आक्रामक व्यवहार हर मनुष्य के साथ दिन-प्रतिदिन के कार्यों में अक्सर देखा जा सकता है इसीलिए इसका अध्ययन हमारे लिए आसान हो जाता है

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

लेखक – नितिन सोनी 

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