Nyaypalika Kise Kahate Hain: – अमेरिकी न्यायपालिका क्या है? जब हम किसी देश में न्यायपालिका पर बात करना शुरू करतें है तब हमारे दिमाग में उस देश के सर्वोच्च न्यायालय को लेकर स्मृति दिमाग में आ जाती हैं
वर्तमान समय में संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया में सबसे बड़ी सुपरपॉवर हैं परन्तु यह सच्चाई है कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली न्यायालय अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय होता है
राजनीतिक विज्ञान में शक्ति पृथक्करण सिद्धांत क्या है? को समझना चाहिए क्योकि अमेरिका के संविधान में शक्तियों के पृथक्करण सिद्धांत के द्वारा सरकार के विभिन्न अंगों में शक्तियों को विभाजित किया गया है
एग्जाम में अमेरिका की न्यायपालिका को लेकर प्रश्न पूछा जा सकता हैं इसीलिए हमारे लेखक नितिन सोनी जी के द्वारा स्टूडेंट्स के लिए एक बेहतर उत्तर लिखने के उद्देश्य को पूरा करते हुए यह लेख शेयर किया गया है
नोट – अमेरिका के संविधान को पढने वाले स्टूडेंट्स को यह पता होना चाहिए कि एनएस न्यूज़ ब्लॉग मंच पर अमेरिका के संविधान का यह दूसरा लेख है प्रथम लेख का लिंक नीचे दिया गया हैं
अमेरिकी न्यायपालिका क्या है? अमेरिकी न्यायपालिका किसे कहते हैं? न्यायपालिका की संरचना संक्षेप में लिखिए? ( Nyaypalika Kya Hai ) Judiciary in Hindi.
न्यायपालिका अमेरिकी सरकार का अंग हैं संघीय न्यायपालिका का प्रावधान, अमेरिका के संविधान में अनुच्छेद 3 के अंदर किया गया हैं कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय एंव उन विभिन्न न्यायालयों में संयुक्त राज्य की न्यायिक शक्ति निहित होगी
जिनको समय-समय पर कांग्रेस विधि के द्वारा स्थापित किया गया है इसीलिए वर्ष 1789 में विभिन्न न्यायालयों ( जैसे – परिभ्रमण न्यायालय, जिला न्यायालय एंव सर्वोच्च न्यायालय ) की स्थापना, न्यायपालिका के अधिनियम के द्वारा हुई हैं
- परिभ्रमण न्यायालय ( Circuit Courts of Appeals )
- जिला न्यायालय ( District Courts )
- सर्वोच्च न्यायालय ( Supreme Court )
परिभ्रमण न्यायालय ( Circuit Courts of Appeals ) – इनका कोई प्रारंभिक क्षेत्राधिकार नहीं होता हैं बल्कि इसका अधिकार क्षेत्र अपील के सम्बन्ध में होता हैं अमेरिका में परिभ्रमण न्यायालयों को सम्पूर्ण 10 क्षेत्रों में बाँट दिया गया है
एक-एक सर्किट का भार, सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को सौंपा गया हैं तथा हर सर्किट न्यायालय में 6 न्यायाधीश है परन्तु अपील का अंतिम न्यायालय, परिभ्रमण न्यायालय नहीं होता है क्योकि परिभ्रमण न्यायालय के निर्णयों के पुनर्विलोकन का,
अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के पास होता है संघीय अभिकरणों के निर्णयों तथा जिला न्यायालयों के विरुद्ध अपील परिभ्रमण न्यायालय में की जाती हैं संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल परिभ्रमण न्यायालयों की संख्या 11 हैं
जिला न्यायालय ( District Courts ) – संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रत्येक राज्य में एक जिला न्यायालय आवश्यक होता हैं कम से कम एक या उससे अधिक न्यायाधीश, प्रत्येक जिला न्यायालय में है
यहाँ सीनेट की सहमति ( स्वीकृति ) के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति होती हैं रिसर्च के अनुसार वर्तमान समय में, संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल जिला न्यायालयों की संख्या 88 हैं
सर्वोच्च न्यायालय ( Supreme Court ) – संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च स्तर वाला न्यायालय होता हैं अमेरिका के अंदर न्यूयॉर्क नगर की बाल स्ट्रीट में, सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय स्थापित किया गया था
परन्तु फिलाल यह अमेरिका की राजधानी वांशिगटन में स्थित है कांग्रेस को सर्वोच्च न्यायालय के संगठन एंव न्यायाधीशों के वेतन को निर्धारित करने का अधिकार अमेरिका में दिया गया है न्यायाधीशों की संख्या वर्ष 1789 में 9 निश्चित कर दी गई थी
जिसमें 8 सह-न्यायाधीश ( वेतन $2,13,900/वर्ष ) तथा 1 मुख्य न्यायाधीश ( वेतन $2,23,500/वर्ष ) शामिल हैं अमेरिका में कांग्रेस के द्वारा, किसी भी न्यायाधीश को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत के साथ पद से हटाया जा सकता हैं
रिसर्च के अनुसार अबतक लगभग 9 न्यायाधीशों के विरुद्ध अमेरिका में लगाया गया जिसमें 4 न्यायाधीशों के विरुद्ध यह सफल हुआ हैं मतलब इस प्रक्रिया के दौरान सर्वप्रथम अमेरिका में दो तिहाई बहुमत के साथ न्यायाधीश पर प्रतिनिधि सभा के द्वारा,
आरोप लगाया जाता हैं जिसके बाद न्यायालय के रूप में सीनेट के द्वारा आरोपों की जाँच की जाती हैं न्यायाधीश पर लगा आरोप सत्य होने पर, सीनेट के द्वारा दो तिहाई बहुमत के साथ न्यायालय को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पास किया जाता हैं
उसके पास संयुक्त राज्य अमेरिका में आरोपी न्यायाधीश को पद से हटाया जाता है यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली न्यायालय अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय होता है
कार्य – प्रणाली – जिस व्यक्ति को देश ( संयुक्त राज्य अमेरिका ) के संविधान एंव कानून का विशेष ज्ञान होता हैं, उसको न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता है तथा अमेरिका में सीनेट की सहमति से, राष्ट्रपति के द्वारा न्यायाधीशों को नियुक्त किया जाता है
संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यायाधीश का कार्यकाल 10 वर्ष का पूर्ण होने पर, वह 70 वर्ष की उम्र में वेतन के साथ कार्यंनिवृत्त हो सकतें हैं परन्तु उनका कार्यकाल जीवनभर के लिए होता हैं तथा अगर कोई न्यायाधीश 65 वर्ष की उम्र में 15 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करता हैं तब वह कार्यंनिवृत्त हो जाता है
हर वर्ष अक्टूबर में, सर्वोच्च न्यायालय का सत्र पहले सोमवार से आरम्भ तथा जून के शुरुआत में समाप्त होता हैं सर्वोच्च न्यायालय में बैठकों की अध्यक्षता एंव आज्ञाओं-निर्णयों की घोषणा मुख्य न्यायाधीश के द्वारा की जाती हैं
मुख्य न्यायाधीश, आवश्यकता होने पर विशेष सत्र को बुला सकता है क्योकि मुकदमें का निर्णय बहुमत के माध्यम से लिया जाता है इसीलिए मुकदमें के निर्णय एंव सुनवाई के लिए छ: न्यायाधीशों की गणपूर्ति जरुरी हैं
अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां और कार्य ( न्यायपालिका की शक्तियां ) न्यायपालिका का कार्य क्या है? न्यायपालिका के कार्य ( Nyaypalika Ke Karya ).
अमेरिका का संविधान, सर्वोच्च न्यायालय को शक्तियाँ देता हैं यही कारण है कि यह विधयिका एंव कार्यपालिका से महत्वपूर्ण हैं
संविधान व्याख्या एंव रक्षक – अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय के, न्यायाधीशों को अमेरिका के संविधान की व्याख्या एंव विकास करने का पूरा अधिकार होता हैं तथा अमेरिका के संविधान का रक्षक सर्वोच्च न्यायालय को कहा जाता हैं
क्योकि यह परामर्श, लेखों एंव विभिन्न आदेशों के माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकारों एंव संविधान की रक्षा करता हैं
प्रारंभिक क्षेत्राधिकार – प्रारंभिक क्षेत्राधिकार में वह समस्त मामलें शामिल होतें हैं जिनकी शुरुआत सीधें सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा की जा सकती हैं अमेरिका के संविधान के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के प्रारंभिक क्षेत्राधिकार कुछ इस प्रकार हैं –
- राजदूतों, वाणिज्य दूतों एंव राज्य के मंत्रियों से सम्बंधित मामला
- राज्य एंव राज्य सरकार का कोई विवादित मामला
- किसी राज्य का एक पक्ष होने से सम्बंधित मामला
- संघीय सरकार एंव राज्य सरकार के बीच कोई विवादित मामला
न्यायिक समीक्षा का अधिकार – अमेरिका में न्यायिक समीक्षा का अधिकार, सर्वोच्च न्यायालय के समस्त अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण हैं जिसके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय राज्यों के विधानमंडलों एंव कांग्रेस के द्वारा बनाई गई विधियों/कानूनों को,
अवैध या वैध घोषित करता हैं और उनकी संवैधानिकता पर विचार करता हैं सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा वैध कानून घोषित करने का निर्णय दो बातों को ध्यान में रखकर लिया जाता है कि
- यह कानून, कानून विधि की उचित प्रक्रिया के द्वारा बनाया गया है या नहीं?
- संविधान के अनुसार, राज्य विधानमंडल को उस कानून विशेष को बनाने या निर्माण करने का अधिकार है अथवा नहीं?
अपीलीय क्षेत्राधिकार – अपीलीय क्षेत्राधिकार में वह समस्त मामलें शामिल होतें हैं जिनकी शुरुआत, सर्वोच्च न्यायालय से नहीं बल्कि किसी अन्य न्यायालय से होती हैं उसके बाद हम उस मामलें को सर्वोच्च न्यायालय में लाने के लिए अपील करते है
कांग्रेस के अधिनियम के द्वारा, वर्ष 1925 में अपील के अधिकार को निमंलिखित तक सीमित कर दिया गया है –
- संविधान के विरुद्ध राज्य के न्यायालय में संधियों एंव संघीय कानूनों को घोषित करना
- राज्यों के उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील करना
- संघ के संविधान, संधि या किसी कानून के विरुद्ध, किसी संघीय न्यायालय में, राज्य के किसी कानून को घोषित करना, जबकि राज्य के उस कानून को, राज्यों के न्यायालय वैध ठहराएं
अमेरिकी संविधान में न्यायिक समीक्षा ( What is Judicial Review – Judicial Review in Hindi )
न्यायालयों की वह शक्ति न्यायिक समीक्षा होती है जिसके द्वारा न्यायाधीश सरकार की अन्य शाखाओं के कार्यों को असंवैधानिक या संवैधानिक घोषित कर सकता हैं जिसके बाद वह लागू किया व नहीं किया जा सकता हैं
यह सच्चाई है कि अमेरिका में संविधान का संरक्षक सर्वोच्च न्यायालय को माना जाता है क्योकि अमेरिका का संविधान, राज्यों और केंद्र सरकारों के बीच शक्ति के विभाजन का पैटर्न निर्धारित ( तय ) करता है
शुरू में अमेरिका के संविधान में न्यायिक समीक्षा का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को नहीं दिया गया हैं परन्तु यह सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा वर्ष 1803 में मार्बरी Vs मैडिसन मामलें के दौरान अमेरिका में प्रतिपादित किया गया हैं
मार्बरी Vs मैडिसन मामलें में मुख्य न्यायधीश जॉन मार्शल के द्वारा न्यायिक समीक्षा का सिद्धांत दिया था परन्तु अपनी पहल के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकता है यह तभी संभव होता है
जब कोई व्यक्ति किसी कानून को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देता हैं
मार्बरी Vs मैडिसन मामला –
यह मामला वर्ष 1803 में 3 मार्च के दिन, रात का हैं जब अमेरिका के जॉन एडम्स ( पुराने राष्ट्रपति ) ने कोलम्बिया जिले का शांति न्यायाधीश विलियम मार्बरी को नियुक्त कर दिया
उस दौरान अधिकांश नव निर्मित पदों को भरने के लिए संघवादियों की नियुक्ति की गई थी जिसके लिए एडम्स ने जल्दबाजी में आयोगों को लिखा और हस्ताक्षर किए परन्तु आदेश जारी करने के पश्चात् उनकी कार्यकाल अवधि समाप्त हो गई
क्योकि उस समय जॉन एडम्स को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान थॉमस जेफरसन ने हराया था थॉमस जेफरसन ने तुरंत अपना पद ग्रहण करके, जेम्स मैडिसन को राज्य के सचिव के रूप में नियुक्त कर दिया
क्योकि जेम्स मैडिसन, विलियम मार्बरी की नियुक्ति के विरुद्ध था जिसके कारण उसने नियुक्ति का आदेश विलियम मार्बरी तक पहुँचने नहीं दिया उसके बाद विलियम मार्बरी ने जेम्स मैडिसन के खिलाफ अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा चलाया
जिसके बाद मार्बरी बनाम ( Vs ) मैडिसन मामलें की सुनवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति व्यक्त किया यहाँ यह समस्याएँ ( सवाल ) थी कि –
- क्या अपने कमीशन का अधिकार मार्बरी को था?
- यदि अधिकार का उल्लंघन हुआ था, तो क्या कानून ने मार्बरी को कोई उपाय सुझाया था?
- यदि कानून ऐसा करता तो क्या उचित उपाय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश द्वारा रिट प्राप्त करना होता?
उस दौरान सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश जॉन मार्शल के द्वारा को अवैध बताते हुए अपने निर्णय में कहा कि अपना कमीशन पाने का अधिकार मार्बरी को है और उसके लिए कानून उपाय प्रस्तुत करता हैं
तीसरे महत्वपूर्ण सवाल पर जॉन मार्शल के द्वारा निर्णय में कहा गया कि न्यायालय को ऐसे मामलें में रिट जारी करने का अधिकार देने वाला कानून का वह प्रावधान असंवैधानिक है इसीलिए यह प्रावधान अमान्य था
इस तरह जॉन मार्शल ने रिट जारी करने एंव उसे अनदेखा किए जाने से बचा लिया वर्ष 1789 के न्यायपालिका अधिनियम की धारा 13 विचाराधीन कानून थी क्योकि जॉन मार्शल ने देखा कि यह संविधान के अनुच्छेद III, धारा 2 के साथ विरोधाभास में हैं
जिसके अनुसार न्यायालय के पास रिट जारी करने का अधिकार नहीं था क्योकि सुप्रीम कोर्ट को इस मामलें में अपीलीय क्षेत्राधिकार प्राप्त था इसीलिए मार्बरी को संविधान ने निचली अदालत में मामला दायर करने की अनुमति दी
उस दौरान जॉन मार्शल के द्वारा न्यायालय के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण न्यायिक समीक्षा शक्ति को प्राप्त किया गया सर्वोच्च न्यायालय संविधान का अंतिम व्याख्याकार होता हैं
उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायालय संविधान के अनुरूप न होने वाले कानूनों और कृत्यों को अमान्य कर सकता हैं यह सिद्धांत सरकार की जाँच और संतुलन की प्रणाली के साथ अच्छी तरह से फिट बैठता हैं
न्यायिक समीक्षा की आलोचना –
कोई संवैधानिक आधार नहीं होना – अमेरिका के संविधान में न्यायिक समीक्षा शब्द का उपयोग नहीं किया गया है बल्कि न्यायालय के द्वारा खुद यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया हैं
निर्णय की त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया होना – सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को, न्यायाधीशों की बहुमत के माध्यम से लिया जाता है यह कहा जा सकता है कि 5:4 की बहुमत के निर्णय से सर्वोच्च न्यायालय में निर्णय लिए जातें है
यहाँ समस्त 9 न्यायाधीशों को कानून एंव संविधान का ज्ञान होता है परन्तु जिस तरफ 5 न्यायाधीशों की बहुमत होती है, उसकी बात को माना जाता है
निर्णय का राजनीति से प्रेरित होना – सर्वोच्च न्यायालय में स्थित न्यायाधीशों की अपनी एक राजनीतिक विचारधारा होती हैं ऐसी स्थिति में न्यायाधीशों के सामने, उनकी राजनीतिक विचारधारा के अनुसार कोई कानून आता है
तब न्यायाधीशों के द्वारा उस कानून को बने रहने दिया जाता है परन्तु जब न्यायाधीशों के सामने, उनकी राजनीतिक विचारधारा के अनुसार विपरीत, कोई कानून आता है तब उस कानून को न्यायाधीशों के द्वारा असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है
कांग्रेस का तीसरा सदन – संयुक्त राज्य अमेरिका में कानून का निर्माण करने का कार्य कांग्रेस के सीनेट एंव प्रतिनिधि सभा के द्वारा किया जाता है परन्तु न्यायिक समीक्षा के आधार पर, सर्वोच्च न्यायालय कांग्रेस के द्वारा बनाये गए कानून को रद्द कर सकता है
इसीलिए यह कहा जा सकता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी कानून के बनने व बने रहने के लिए कांग्रेस के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय की सहमति होनी चाहिए
प्रगतिशीलता में बांधा उत्पन्न होना – कई बार सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ( फैसला ) प्रगतिशीलता में बांधा उत्पन्न करते हैं ऐसा करके वह रुढिवादिता का परिचय देतें है
उदहारण के लिए – संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यूनतम वेतन प्राप्त करने एंव दास-प्रथा को समाप्त करने के लिए बनाये गए कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा रद्द किया गया है
शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत PDF ( Shakti Prithakkaran Ka Siddhant ) Separation of Powers in Hindi.
सरकार की विभिन्न शाखाओं ( कार्यपालिका, विधयिका एंव न्यायपालिका ) में उत्तरदायित्वों का विभाजन करना शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत कहलाता है जिसमें किसी एक शाखा को, अन्य शाखाओं के मुख्य कार्यों को करने से सीमित कर दिया जाता हैं
यह सिद्धांत बैरन डी मोंटेस्क्यू ( ज्ञानोदय दार्शनिक ) के द्वारा दिया गया है यह कहा जा सकता है कि मांटेस्क्यू के शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का उद्देश्य, सरकारी शक्तियों को इस तरह विभाजित करना होता है स्वतंत्रता की रक्षा हो सकें एंव अत्याचार को दूर रखा जा सकें
उदहारण के लिए, अमेरिका के संविधान में अनुच्छेद 1, अनुच्छेद 2 तथा अनुच्छेद 3 में सरकार के तीनों अंगों की शक्तियों का वर्णन किया है यहाँ अनुच्छेद 1 में विधायिका ( कांग्रेस ) की शक्तियों का उल्लेख किया हैं
उसीतरह अनुच्छेद 2 में कार्यपालिका ( राष्ट्रपति एंव उपराष्ट्रपति ) की शक्तियों का उल्लेख किया हैं तथा अनुच्छेद 2 में न्यायपालिका के लिए न्यायिक शक्तियों का उल्लेख किया गया हैं
चेक और बैलेंस का सिद्धांत ( Theory of Check and Balance )
संविधान के निर्माताओं ने शक्तियों के पृथक्करण के अलावा अत्याचार से रक्षा करने के लिए नियंत्रण और संतुलन की एक प्रणाली बनाई हैं जिसके माध्यम से यह देखा जा सकता है कि कोई भी शाखा बहुत अधिक शक्ति हासिल न कर सकें?
- अमेरिका में राष्ट्रपति सैन्य बलों के कमांडर इन चीफ के रूप में कार्य करेगा परन्तु सेना के लिए घन का विनियोजन करने का अधिकार कांग्रेस के पास होता है तथा कांग्रेस के द्वारा मतदान युद्ध की घोषणा करने के लिए किए जाते है और किसी भी शांति संधि की पुष्टि, कांग्रेस की सीनेट के द्वारा की जाती हैं
- राष्ट्रपति के पास कांग्रेस के द्वारा पारित किये गए किसी भी विधेयक को वीटों करने का अधिकार ( शक्ति ) होता हैं परन्तु कांग्रेस के पास राष्ट्रपति के वीटों को दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत ( वोट ) के साथ रद्द करने का अधिकार होता है
- किसी भी कार्यकारी कार्यवाही के लिए कांग्रेस के द्वारा प्रयुक्त धन को नियंत्रित किया जाता है
- कांग्रेस का प्रत्येक सदन, दूसरे सदन के द्वारा सत्ता के संभावित दुरुपयोग पर अंकुश लगाने का कार्य करता है अमेरिका में कानून तब बनता है जब एक ही रूप में सीनेट एंव प्रतिनिधि सभा, विधेयक को पारित करती है
- कानून या राष्ट्रपति के कार्यों को सर्वोच्च न्यायालय और अन्य संघीय न्यायालय के द्वारा असंवैधानिक घोषित करने का अधिकार होता है परन्तु नियुक्ति करने की शक्ति के माध्यम से, राष्ट्रपति न्यायपालिका पर अपना नियंत्रण रखता हैं ऐसी स्थिति में संघीय न्यायालयों की दिशा को बदला जा सकता है
- कांग्रेस के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर संविधान में संशोधन पारित करके प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सकता है
- न्यायपालिका एंव कार्यपालिका शाखाओं के सदस्यों पर कांग्रेस के द्वारा महाभियोग लगाया जा सकता हैं
नागरिक स्वतंत्रता ( अमरीकी संविधान में अधिकार विधेयक )
अमेरिका के संविधान में किये गए प्रथम 10 संशोधनों में से एक अधिकारों का विधेयक हैं जो अमेरिका के नागरिकों के लिए, अमेरिका की सरकार के सम्बन्ध में अधिकारों को स्पष्ट करते हुए नागरिक स्वतंत्रता एंव अधिकार की गारंटी देता हैं
पहला संशोधन –
- प्रथाओं एंव धार्मिक विश्वासों के अधिकारों की रक्षा करना
- धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं के अधिकार की भी रक्षा कर
- किसी धर्म को बनाने एंव उसका पक्ष लेने से सरकार को रोकना
- प्रेस एंव भाषण के द्वारा विचारों को व्यक्त करना
- सरकार से समस्याओं को ठीक करने के लिए कहना
- विरोध करने या अन्य कारणों से समूह के साथ इकट्ठा होना
दुसरा संशोधन – दुसरा संशोधन विशेष रूप से हथियार रखने एंव घारण करने के अधिकार को सुरक्षा प्रदान करता है
तीसरा संशोधन – सैनिकों को अपने घरों का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए घर के मालकों को सरकार के द्वारा मजबूर करने से रोकना क्योकि ब्रिटिश सौनिकों को निजी घरों पर कब्जा करने का अधिकार क्रांतिकारी युद्ध से पहले कानूनों ने दिया था
चौथा संशोधन – किसी व्यक्ति एंव उसकी निजी संपत्ति को सरकार के द्वारा अनुचित जब्ती एंव तलाशी से रोकना हैं
पाँचवाँ संशोधन – यह संशोधन अपराध का आरोप लगाये गए नागरिकों को सुरक्षा देता है
- ग्रैंड जूरी के द्वारा गंभीर आपराधिक आरोपों की शुरुआत होनी चाहिए
- एक ही अपराध के लिए, किसी एक व्यक्ति पर दो बार मुकदमा नहीं चला सकतें है
- नागरिकों के आत्म दोषी ठहराए जाने के खिलाफ यह अधिकार दिया गया है कि कानून की उचित प्रक्रिया के बिना, उनको जेल नहीं भेज सकतें है
छठा संशोधन – यह संशोधन नागरिकों को अत्यधिक ( अतिरिक्त ) सुरक्षा प्रदान करता है
- सार्वजानिक एंव शीघ्र सुनवाई होने का अधिकार मिलना
- निष्पक्ष जूरी के द्वारा आपराधिक मामलों में सुनवाई होना
- आपराधिक आरोपों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होना
- नागरिक को स्वयं के गवाह बनाने एंव वकील के द्वारा उनका प्रतिनिधित्व करने की अनुमति होती है
सातवाँ संशोधन – यह संशोधन जूरी परिक्षण का अधिकार संघीय सिविल मामलों में करता है
आठवाँ संशोधन – यह संशोधन असामान्य एंव क्रूर दंड तथा अत्यधिक जुर्माने एंव जमानत पर रोक लगा देता है
नौवा संशोधन – यह संशोधन यह बात कहता है कि विशिष्ट अधिकारों को संविधान में सूचीबद्ध करने का मतलब यह नहीं होता है कि नागरिकों के पास अन्य अधिकार नहीं है
दसवां संशोधन – यह संशोधन यह बात कहता है कि जिन शक्तियों को संविधान के द्वारा संघीय सरकार को नहीं दिया गया है वह नागरिकों या राज्य की हैं
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निष्कर्ष
यह लेख विशेष रूप से अमेरिका के संविधान में न्यायपालिका के महत्त्व को समझाने के लिए शेयर किया गया है यहाँ अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा प्रतिपादित न्यायिक समीक्षा के बारे में भी बताया गया है
कई बार स्टूडेंट के पाठ्यक्रम में शक्तियों का पृथक्करण सिद्धांत भी दिया होता है इसीलिए यहाँ उसको भी समझाया गया है
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें