Person Perception in Psychology – व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण क्या हैं? सवाल कम महत्वपूर्ण नहीं हैं क्योकि मनोविज्ञान में व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण की परिभाषा सहित सम्पूर्ण व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण ( Person Perception ) को समझना,
स्टूडेंट के एग्जाम में अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद करता है यही कारण है कि स्टूडेंट व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ समझने के लिए गूगल का उपयोग करके व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण किसे कहते हैं? खोजने लग जाते है
अगर आप मनोविज्ञान पढने वाले स्टूडेंट है तब आपको यह पता होगा कि मनोविज्ञान में हम जिन चीजों को पढ़ते हैं वह हमारी लाइफ में हो रही होती हैं क्योकि मनोविज्ञान में व्यवहार का अध्ययन, मस्तिष्क का अध्ययन होता है
इसीलिए मनोविज्ञान में पढने वाले विषय को खुद से जोड़ने का प्रयास करके आप उसको अधिक सरलता से समझ सकते हैं परीक्षा में व्यक्ति प्रत्यक्षण के विषय से कुछ इस तरह के सवाल दिए जाते है
- व्यक्तित्व प्रत्यक्षीकरण क्या है?
- व्यक्ति प्रत्यक्षण से आप क्या समझते हैं?
- व्यक्ति प्रत्यक्षण की विशेषताएँ लिखिए?
यह एकमात्र ऐसे विषयों में से एक है जिसका उपयोग मनुष्य अपनी लाइफ के हर दिन एक या कई बार करता है इसीतरह दुसरे टॉपिक सामाजिक संज्ञान ( Social Cognition ) के विषय को समझना भी महत्वपूर्ण हैं
अक्सर मनोविज्ञान पढने वाले भारतीय स्टूडेंट्स को सामाजिक संज्ञान के सम्बंधित सवाल एग्जाम में देखने को मिल जाता हैं यह कुछ इस तरह लिखा होता हैं कि
- सामाजिक संज्ञान का अर्थ एंव परिभाषा लिखिए?
- सामाजिक संज्ञान के प्रकारों का वर्णन कीजिए?
- स्कीमा क्या है?
स्टूडेंट को समझना चाहिए कि सामाजिक अनुभूति ( संज्ञान ) उन मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन हैं जिसका उपयोग लोग अपने सामाजिक वातावरण से अर्थ निकालने के लिए करते है
परन्तु सभी चीजों को अच्छे से समझने के लिए सबसे पहले हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि प्रत्यक्षीकरण क्या होता हैं? उसके बाद व्यक्ति प्रत्यक्षण से आप क्या समझते हैं?
प्रत्यक्षीकरण क्या हैं? प्रत्यक्षीकरण किसे कहते हैं? प्रत्यक्षण के स्वरूप को बताइए? – What is Perception in Hindi.
प्रत्यक्षीकरण एक जटिल मानसिक प्रक्रिया हैं जिसमे मनुष्य उद्दीपक का तात्कालिक ज्ञान प्राप्त करता हैं और संवेदना में पूर्व अनुभव के आधार पर सही अर्थ जोड़ देता हैं प्रत्यक्षीकरण प्रक्रिया के दौरान हम नई नई इनफार्मेशन को प्राप्त करते हैं
संवेदना + अर्थ/व्याख्या = प्रत्यक्षीकरण
प्रत्यक्षीकरण के चरण – Stages Of Perception in Hindi.
प्रत्यक्षीकरण के तीन चरणों को समझा जा सकता हैं जो इस प्रकार है –
- चयन ( Selection )
- संगठन ( Organization )
- व्याख्या ( Interpretation )
चयन ( Selection ) – हमारें चारों तरफ दुनिया अनेक उत्तेजनाओं से भरी हुई हैं जिनके ऊपर हम ध्यान दे सकतें है लेकिन हमारे मस्तिष्क में हर चीज पर ध्यान देने के लिए संसाधन नहीं है
इसीलिए प्रत्यक्षीकरण का पहला चरण यह निर्णय लेना होता है कि किस बात पर ध्यान दिया जाए क्योकि जब हम अपने वातावरण में किसी एक विशिष्ट चीज पर ध्यान देतें है
चाहें वह गंध हो, ध्वनी हो, भावना हो, या कुछ ओर हो तब वह ध्यान देने योग्य उत्तेजना बन जाती हैं
संगठन ( Organization ) – व्यवस्थित करना, धारणा या प्रत्यक्षीकरण का दुसरा भाग है जिसमे हम जन्मजात और सीखे हुए संज्ञानात्मक पैटर्न के आधार पर प्राप्त जानकारी को छांटते और वर्गीकृत करते हैं
एक बार जब हम पर्यावरण में किसी उत्तेजना पर ध्यान देने का चुनाव कर लेतें हैं तो यह चुनाव हमारे मस्तिष्क में प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला शुरू कर देता है
यह तंत्रिका प्रक्रिया हमारे संवेदी रिसेप्टर्स ( स्पर्श, स्वाद, गंध, दृष्टि और श्रवण ) की सक्रियता से शुरू होती हैं
व्याख्या ( Interpretation ) – जब हम किसी उत्तेजना पर ध्यान देते है और हमारा मस्तिष्क सूचना प्राप्त कर उसे व्यवस्थित कर लेता है तब हम उसे इस तरह से व्याख्यायित ( Explained ) करते हैं कि वह दुनिया के बारे में हमारी मौजूदा सूचना का उपयोग करते हुए समझ में आएं.
सरल शब्दों में – हम जो सूचना मेहसूस करते हैं उसे व्यवस्थित करते हैं और उसे किसी ऐसी चीज में बदल देतें है जिसे हम वर्गीकृत कर सकते है
व्याख्या और वर्गीकृत आमतौर पर धारणा के सबसे व्यक्तिपरक क्षेत्र है क्योकि इनमे इस बारे में निर्णय शामिल होते है कि श्रोताओं को जो सुनाई दे रहा है वह उन्हें पसंद है या नहीं और क्या वे सुनना जारी रखना चाहते हैं
हम तत्काल मूल्यांकन करते है जिसके कारण दूसरों के प्रति सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का स्वत: निर्णय हो जाता है जो हमारी जानकारी के बाहर होता हैं
व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण क्या हैं? Person Perception in Psychology – Person Perception Psychology.
व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है इसकी सहायता से मनुष्य अंत: क्रियाओं को समझ सकता है क्योकि अंत: क्रियाओं पर व्यक्ति की भावनाओं, विचारों और प्रत्यक्षीकरण का प्रभाव पड़ना ही व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण कहलाता है
जब हम किसी नए मनुष्य/व्यक्ति से मिलते है तब हम सबसे पहले उसको जानने का प्रयास करते है जिसमे वह क्या कार्य करता है, उसके विचार क्या है, उसकी भावनाएं क्या है, उसको क्या चीजें पसंद और नापसंद हैं इसको हम व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण कहते है
परन्तु व्यक्ति प्रत्यक्षण में केवल जीवित व्यक्ति का प्रत्यक्षण किया जाता हैं किसी निर्जीव वस्तु का प्रत्यक्षण व्यक्ति प्रत्यक्षण में नहीं होता है उदहारण के लिए ( Person Perception Examples ) – जब हम किसी व्यक्ति के संपर्क में आते है
तब हम यह जानने की कोशिश करते है कि वह दूसरा व्यक्ति कैसा है, उसकी मनोवृति, विचार क्या है, उसकी विशेषताएं क्या है, उसे कौन-कौन-सी चीजे अभिप्रेरित करती है ऐसा करके हम उस व्यक्ति की एक छवि या विचार अपने मस्तिष्क में बनाते हैं
दुसरे व्यक्ति के बारे में छवि बनाने की इस प्रक्रिया को छवि निर्माण भी कहा जाता है साधारण शब्दों में – व्यक्ति प्रत्यक्षण हमारी उन अनुक्रियाओं को प्रभावित करता है जिसके कारण हमारे प्रति उस व्यक्ति का व्यवहार भी प्रभावित होता है
सीकोर्ड और बैकमैन ( 1964 ) – व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके सहारे अन्य व्यक्तियों के बारे में कुछ विचारों, मतों एंव भावनाओं का निर्माण किया जाता है
फेडमैन ( 1985 ) – दूसरों के सम्बन्ध में समस्त छवि बनाने में विशिष्ट शिलगुणों पर व्यक्ति द्वारा जिस ढंग से ध्यान केन्द्रित किया जाता है उसे व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण कहा जाता है
व्यक्ति प्रत्यक्षण से सम्बंधित कुछ नियम – Perception in Social Psychology – Social Perception Psychology.
व्यक्ति प्रत्यक्षण के लिए छ: सम्बंधित नियमों को बताया गया हैं जो इस प्रकार हैं –
- व्यक्ति दुसरे व्यक्ति के बारे में न्यूनतम ( कम से कम ) सूचना के आधार पर एक छवि का निर्माण करके उसके बारे में कुछ शीलगुणों के होने का अनुमान लगा लेता है
- व्यक्ति प्रत्यक्षण में व्यक्ति, दुसरे व्यक्ति की प्रत्येक विशिष्टता पर ध्यान न देकर उसकी सबसे महत्वपूर्ण विशिष्टता पर ध्यान देता है किसी दुसरे व्यक्ति से मिलने पर हम उसमे सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्या हैं उसके ऊपर ध्यान देतें हैं
क्योकि मनुष्य का वह गुण, उस मनुष्य को अन्य मनुष्यों से भिन्न ( Unique ) करता हैं
- व्यक्ति प्रत्यक्षण में दूसरों के बारे में जिन सूचनाओं को संसाधित ( ग्रहण ) किया जाता है उनके व्यवहार में एक युमगत अर्थ ढूंढा जाता है मतलब प्राप्त सूचनाओं का अर्थ ढूढने का प्रयास करते हैं
- व्यक्ति अपना स्थायी संज्ञानात्मक संरचनाओं का उपयोग करके दुसरे व्यक्ति के व्यवहार को समझने की कोशिश करता है
उदहारण के लिए, किसी व्यक्ति को मेडिकल डॉक्टर के रूप में देखने पर, हम अपने मस्तिष्क या संज्ञान में डॉक्टर के बारे में पहले से संचित सूचनाओं का उपयोग करके उसके गुणों तथा उसके व्यवहार को समझने की कोशिश करते है
- व्यक्ति प्रत्यक्षण में व्यक्ति दुसरे व्यक्ति को समूहीकृत करके उसके बारे मे एक छवि निर्माण करता है यहाँ व्यक्ति जिस दुसरे व्यक्ति के बारे में छवि का निर्माण करता है उसे वह एक अलग व्यक्ति के रूप में प्रत्यक्षण न करके किसी समूह के सदस्य के रूप में प्रत्यक्षण करता है
उदहारण के लिए, हम किसी रेलवे स्टेशन पर हैं जहाँ हमने किसी व्यक्ति को काला कोट और उजला पैट पहने देखते हैं तब हम उसका प्रत्यक्षण एक टीसी के रूप में करते है
- व्यक्ति की अपनी आवश्यकता तथा वैयक्तिक लक्ष्य इस बात को प्रभावित करता है कि वह दूसरों को किस तरह से प्रभावित करता है आप किसी मनुष्य का प्रत्यक्षण करते है वह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी आवश्यकता क्या है?
व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण की विशेषताएँ – Characteristics of Person Perception.
व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण की विशेषताएँ निमंलिखित हैं जो इस प्रकार है –
- प्रत्यक्षीकरण एक सक्रिय, रचनात्मक और व्यक्तिपरक मानसिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम खुद को और दूसरों को समझने के लिए संवेदी जानकारी को अर्थ प्रदान करतें हैं
- प्रत्यक्षीकरण पुरे चेहरे के रूप में एक इकाई के रूप में होता है
- प्रत्यक्षीकरण में संगठन की विषमता एक महत्वपूर्ण विशेषता है
- व्यक्ति का आत्म प्रत्यक्षीकरण उसकी मनोवृति का निर्माण करता है
निर्धारक – Person Perception Determinants.
मौखिक जानकारी का प्रभाव – इसमे आप किसी व्यक्ति के मौखिक संचार से उसके गुणों, व्यक्तित्व एंव विचार के बारें में अनुमान लगातें हैं
मौखिक लक्षणों से अनुमान- इसमें हम मौखिक संचार से जानकारी प्राप्त करतें हैं उसका विश्लेषण करतें हैं
- स्वर और लहजे से मूड विचारों का अनुमान लगाना
- शब्दों का चयन से व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता हैं
- भाषा और शैली से शैक्षिक स्थर, संस्कृति, पृष्ठभूमि का पता लगना
- वाक्यों का निर्माण हमें विचारों के प्रवाह, संगठन के बारे में बताता है
- भावनात्मक अभिव्यक्ति से मूड, विचारों का पता चलना
प्राथमिक प्रभाव – किसी व्यक्ति का व्यवहार और कम्युनिकेशन स्किल, प्राथमिक प्रभाव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं यह हमारे दिमाग में प्राइमरी इम्प्रैशन बन जाता हैं
जब हम किसी व्यक्ति से बात करतें है तो उसके अंतिम व्यवहार और कम्युनिकेशन स्किल को ज्यादा याद रखतें हैं
अशाब्दिक जानकारी से अनुमान – इसमें हम बोलकर नहीं बल्कि इशारों, हाव भाव आदि से अनुमान लगाते हैं
अशाब्दिक लक्षण – इसमें हम बिना संचार के हाव भाव से ही जानकारी प्राप्त करतें है
प्रभाव निर्माण – Impression Formation ( Person Perception ).
यह एक जटिल संज्ञानात्मक प्रक्रिया हैं यह उन सूचनाओं द्वारा प्रभावित होती है जो एक व्यक्ति को दुसरे व्यक्ति के बारे में प्राप्त होती हैं सूचना प्राप्त करने वाला व्यक्ति उन सूचनाओं को अलग-अलग ढंग से संशोधित करता हैं
उसके अनुसार उस व्यक्ति के बारे में छवि बनाता है इसे ही छवि निर्माण या सूचना संसाधन की प्रक्रिया कहतें हैं सामान्यत: छवि निर्माण तीन परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं
- प्रत्यक्षणकर्ता को दुसरे व्यक्तियों के सम्बन्ध में निर्णय करतें समय प्राप्त सूचनाओं की मात्रा क्या हैं?
- प्रत्यक्षणकर्ता और दुसरे व्यक्तियों के मध्य किस प्रकार की अंत:क्रिया हैं?
- प्रत्यक्षणकर्ता और दुसरे के मध्य संबंधों की स्थापना किस मात्रा में हुई हैं?
छवि निर्माण के निर्धारक ( Person Perception ).
शारीरिक निर्धारक – रंग-रूप, कपडें, पतला-मोटा, लंबा-छोटा आदि से छवि निर्माण का निर्धारक कर सकते हैं
सामाजिक निर्धारक – समाज में कैसे रहता है और कैसी बातें करता है
राजनैतिक निर्धारक – कुछ लोग राजनैतिक कार्यों में अधिक लगे रहतें हैं क्योकि उनका मानना होता है कि नेता बनने में अलग ही Swag होता है
आर्थिक निर्धारक – पहनावा अच्छा होगा, महंगी गाड़ी से चलता होगा
धार्मिक निर्धारक – विभिन्न धर्म हमारे देश भारत में है जिनके प्रति श्रद्धा का भाव है
सामाजिक अनुभूति किसे कहते हैं? सामाजिक संज्ञान क्या हैं? – Social Cognition in Social Psychology.
सामाजिक व्यवहारों के विकास या अर्जन एंव उनकी अभिव्यक्ति में सामाजिक संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ऐसी प्रक्रियाएँ ही व्यक्ति को उसके परिवेश के साथ सामजस्य एंव समझ विकसित करने में सहायक होती है
हम किसी अन्य व्यक्ति या परिस्थिति के बारे में कैसा सोचते है, यह हमारे सामाजिक संज्ञान द्वारा ही निर्धारित होता है
उदहारण के लिए, आपको सूचना प्राप्त होती है कि किसी व्यक्ति का सड़क पर एक्सीडेंट हो गया हैं और आप उस व्यक्ति को पहले से जानते हैं और आपको पता है कि वह व्यक्ति रोजाना शराब पीता है
इस स्थिति में आप अपने सामाजिक संज्ञान के आधार पर यह अनुमान लगा सकते हैं कि हो सकता हैं उस व्यक्ति ने शराब पी हुई हो जिसके कारण उसका सड़क पर एक्सीडेंट हो गया
सामाजिक संज्ञान में सामाजिक वातावरण, विशेषकर दुसरे व्यक्तियों से प्राप्त सूचना का हम कैसे विश्लेषण एंव उपयोग करतें है, उस पर किस प्रकार सोच-विचार करते है,
उसे कैसे याद रखते हैं तथा उसका प्रतिनिधित्व स्मृति में कैसे करते है इन सभी विषयों का अध्ययन करतें हैं
Baron & Byme ( 2012 ) – सामाजिक संज्ञान से तात्पर्य सामाजिक संसार के बारे में उपलब्ध सूचनाओं की व्याख्या, विश्लेषण, स्मरण तथा उपयोग करने से हैं
रेबर एवं रेबर – सामाजिक संज्ञान इस बात पर ध्यान केन्द्रित करता है कि व्यक्ति किस तरह से दूसरों तथा अपने द्वारा की गई क्रियाओं का प्रत्यक्षण, प्रत्याहान, चिंतन तथा उसकी व्याख्या करता हैं
टेलर, पेपलाऊ तथा सीयर्स – वातावरण में सामाजिक सूचनाओं से व्यक्ति किस तरह से अनुमान लगाता हैं का अध्ययन सामाजिक संज्ञान कहलाता हैं
चेरी ( 2020 ) – सामाजिक संज्ञान का आशय इस बात से है कि किस प्रकार लोग अन्य व्यक्तियों एंव सामाजिक परिस्थितियों सम्बन्धी सूचनाओं का प्रक्रमण ( Process ), भण्डारण ( Store ) एंव उनके प्रति उसका उपयोग ( Use ) करते हैं
सरल शब्दों में – सामाजिक संज्ञान का अर्थ बहुत व्यापक है और इसका व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार पर व्यापक प्रभाव पड़ता है इसपर सामाजिक अधिगम, ज्ञानात्मक, प्रक्रियाओं एंव वैयक्तिक भिन्नताओं का स्पष्ट रूप से प्रभाव पड़ता है
उदहारण के लिए, अगर हम किसी मनुष्य से मिलतें है और वह मनुष्य यह बोलता है कि मैं ब्राह्मण हूँ तब हम यह सोच सकतें हैं कि क्योकि यह ब्राह्मण है तो यह रोजाना पूजा-पाठ करता होगा
सामाजिक अनुभूति ( संज्ञान ) से मतलब है कि हम दुसरे लोगो के बारे में कैसे धारणा बनातें हैं यह उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जो सामाजिक स्थितियों में हमारे दिमाग में चलती है जो हमे इस दुनिया को समझने में मदद करती हैं
सामाजिक धारणा के चार मुख्य घटक होतें हैं –
- अवलोकन ( Observation )
- आरोपण ( Attribution )
- एकीकरण ( Integration )
- पुष्टि ( Confirmation )
अवलोकन ( Observation ) – यह सामाजिक धारणा का कच्चा डेटा हैं हम अपने आस-पास के लोगो का अवलोकन करतें है और धारणा बनाने के लिए सबूत ढूढ़ते हैं ये उनकी शारीरिक बनावट, व्यवहार, स्थिति का सन्दर्भ आदि हो सकतें हैं
उदहारण के लिए, हम देखतें हैं कि कोई छात्र कक्षा में देर से आ रहा हैं
आरोपण ( Attribution ) – इसके बाद अपने अवलोकन के आधार पर हम व्यक्ति के व्यवहार के कारण को समझने और तर्कसंगत बनाने के लिए उसके विभिन्न लक्षणों को जिम्मेदार ठहरातें हैं
उदहारण के लिए, हम देखते है कि कोई छात्र कक्षा में देर से आता है तब हम इसका कारण छात्र का ख़राब समय प्रबंधन या फिर किसी अपरिहार्य स्थिति में फस जाना मानते है
एकीकरण ( Integration ) – अब हम सभी उपलब्ध सूचनाओं को एकीकृत करके एक एकीकृत धारणा बनातें है
उदहारण के लिए, हम देखतें है कि छात्र फिर से कक्षा में देर से आ रहा हैं तब सभी सूचनाओं के आधार पर हम यह धारणा बना लेतें है कि छात्र का समय प्रबंधन बहुत ख़राब हैं
पुष्टि ( Confirmation ) – अंत में हम अपनी धारणा की पुष्टि करते हैं हम व्यवहार का निरीक्षण करते है कि हमने जो धारणा बनाई है वह सही है या नहीं |
उदहारण के लिए, छात्र फिर से कक्षा में देर से आता है और हमने उनकी देरी के बारे में अपनी धारणा की पुष्टि कर ली है
सामाजिक संज्ञान के प्रकार – Types of Social Cognition – Social Cognition in Psychology.
- व्यक्ति धारणा और रुढिवादिता
- सामाजिक भावनात्मक चयनात्मक
- सहयोगात्मक अनुभूति
- नैतिकता
- सकारात्मक मनोविज्ञान
सामाजिक संज्ञान की विशेषताएँ – Characteristics of Social Cognition – Social Cognition Psychology.
सामजिक संज्ञान की कुछ मुख्य विशेषताएँ होती है जो इस प्रकार हैं –
- सामाजिक संज्ञान का आशय यह है कि हम किस रूप में दूसरों के बारे में सोचते है
- यह एक विकासात्मक प्रक्रिया है क्योकि जिस तरह कोई मनुष्य बड़ा होता हैं उसका इंटेलिजेंस लेवल बढ़ता हैं
- इस पर सामाजिक अधिगम तथा अन्य कारकों का भी प्रभाव पड़ता है कई बार हमारे आस-पास के लोग किसी मनुष्य को अच्छा बता देतें हैं तब हम उसको अच्छा मान लेतें है
- इसमें चिंतन, स्मरण, कल्पना एंव पूर्वानुभव आदि सम्मिलित है
- यह परिवर्तनशील होता है क्योकि जब हम किसी मनुष्य के बारे में कोई विचार बना लेतें हैं तब कुछ समय बाद वह विचार बदल भी जातें है
उदहारण के लिए, पहली मुलाकात में मुझे एक बिगड़ी हुई बत्तमीज लड़की दिखी जिसके बाद मुझे वह बुरी लगने लगी लेकिन अगली मुलकात में वह लड़की जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद करतें हुई दिखाई दी जिसके बाद वह अच्छी लगने लगी
- संज्ञान के विकास तथा संगठन में चयनात्मकता पाई जाती है क्योकि मनुष्य हर विषय या व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं रखता है वह जिस मनुष्य या विषय में दिलजस्पी रखता है सिर्फ उसके बारे में सामाजिक संज्ञान या जानकारी रखता हैं
- इसपर वैयक्तिक भिन्नताओं का स्पष्ट प्रभाव दिखाई पड़ता है क्योकि हर मनुष्य की क्वालिटी अलग-अलग होती हैं
स्कीमा क्या है? Schema Meaning in Hindi – Schemas Meaning in Hindi. ( Schema Kya Hai ).
स्कीमा मानसिक ढाँचे या ज्ञान संरचनाएं हैं जो किसी अवधारणा, उसकी विशेषताओं और अन्य अवधारणाओं से उसके संबंधों के बारे में पर्याप्त जानकारी रखता हैं
उदहारण के लिए, नृत्य ( Dance ) के लिए एक स्कीमा में गति, लय, संगीत जैसे विचार शामिल हो सकते है साथ ही रोमांस, कला और शायद ख़ुशी या शर्मिंदगी जैसी भावनाओं से जुड़ाव भी शामिल हो सकता हैं
स्कीमा के प्रकार – Types Of Schemas in Hindi ( Define Schema ).
विशेष रूप से हमने यहाँ स्कीमा के पांच प्रकारों के ऊपर प्रकाश डाला है जो इस प्रकार है –
- व्यक्ति स्कीमा ( Person Schema )
- सेल्फ स्कीमा ( Self Schemas )
- इवेंट स्कीमा या स्क्रिप्ट ( Event Schemas Or Scripts )
- समूह स्कीमा ( Group Schema )
- भूमिका स्कीमा ( Role Schema )
व्यक्ति स्कीमा ( Person Schema ) – ये विशिष्ट व्यक्तियो के बारे में ज्ञान संरचनाएं हैं हम किसी व्यक्ति के विभिन्न कार्यों के आधार पर स्कीमा बनाते है और तय करते है कि वह किस प्रकार का व्यक्ति है
उदहारण के लिए, आपके सबसे अच्छे दोस्त के लिए आपकी स्कीमा में यह शामिल हो सकता है कि वह दयालु, बुद्धिमान, अंतमुर्खी है, उसको पढ़ना पसंद है आदि
सेल्फ स्कीमा ( Self Schemas ) – यह आपके अपने बारे में ज्ञान पर केन्द्रित हैं इसमें आप अपने वर्तमान स्व ( Self ) के बारे में जो जानतें हैं उसके साथ-साथ आपने आदर्श या भविष्य स्व ( Self ) के बारे में विचार भी शामिल हो सकतें है
इवेंट स्कीमा या स्क्रिप्ट ( Event Schemas Or Scripts ) – यह व्यवहार के पैटर्न पर केन्द्रित होता है जिनका सामाजिक स्थिति में कुछ घटनाओं के लिए पालन किया जाना चाहिए यह एक स्क्रिप्ट की तरह काम करता हैं
जो आपको बताता हैं कि आपको क्या करना चाहिए, आपको कैसे कार्य करना चाहिए और किसी विशेष स्थिति में आपको क्या कहना चाहिए स्कीमा का उदाहरण के लिए,
किसी कैफ़े में जाने की स्कीमा में मेनू पढ़ना, ऑर्डर करना, खाना या पीना, बिल का भुगतान करना आदि शामिल हैं
समूह स्कीमा ( Group Schema ) – हम किसी विशेष समूह के बारे में एक योजना बना लेते है और फिर उस समूह के प्रत्येक व्यक्ति से अपेक्षा करतें है कि वह उस रूढ़ि या निर्णय में फिट बैठेगा
भूमिका स्कीमा ( Role Schema ) – समाज में हमारी किसी विशेष भूमिका या भूमिकाओं से अपेक्षाओं के बारे में बनाई गई योजनाएं
हमे स्कीमा की आवश्यकता क्यों है?
स्कीमा जटिल जानकारी को सरल बनाती हैं और व्यवहार को निर्देशित करती हैं उदहारण के लिए, यदि कोई आपको नृत्य ( Dance ) करने के लिए आमंत्रित करता हैं तो आपकी स्कीमा आपको संगीत के लिए तैयार रहने,
उचित जूते पहनने और शायद रोमांटिक सन्दर्भ की अपेक्षा करने के लिए कहती है वे दैनिक जीवन के लिए अपेक्षाएँ निर्धारित करने में भी मदद करते है जिससे बिना ज्यादा सोचे-समझें नियमित घटनाओं को संसाधित करना आसान हो जाता है
स्कीमा की कमियाँ ( Disadvantages ) – लेकिन कभी-कभीं मौजूदा स्कीमा नई जानकारी सीखने में बाधा बन सकती है यह पूर्वागृह पैदा कर सकती हैं और हमे दुनिया को वैसा देखने से रोक सकती है जैसी वह है
स्कीमा कभी कभी रुढिवादिता को भी जन्म दे सकती हैं उदहारण के लिए, हमारे समाज में मौजूदा लैंगिक स्कीमा हम सभी के मन में स्त्री और पुरुष के रूप में देखी जाने वाली एक छवि होती है और इससे लैंगिक भेदभाव और उत्पीडन होता है
नई स्कीमा बनाने की प्रक्रिया – Processes Of Creating a New Schema.
- आत्मसात्करण ( Assimilation )
- आवास ( Accommodation )
- संतुलन ( Equilibriation )
आत्मसात्करण ( Assimilation ) – हमे किसी चीज को समझाने के लिए नई जानकारी की आवश्यकता नहीं है क्योकि पहले से मौजूदा स्कीमा ही उस घटना को समझाने के लिए पर्याप्त हैं
आवास ( Accommodation ) – नई जानकारी आती हैं और हम उसे मौजूदा स्कीमा से नहीं जोड़ पातें है इस प्रकार हम समायोजन में लग जाते हैं
संतुलन ( Equilibriation ) – हम एक स्थिर स्कीमा बनाना चाहते है इस प्रकार समायोजन या परिवर्तन प्रेरित होता है
स्कीमा को प्रभावित करने वाले कारक ( Factors Affecting Schema ).
- प्रमुखता ( Salience ).
- भड़काना ( Priming ).
- व्यक्तिगत भिन्नताएं ( Individual Differences ).
- प्राकृतिक आकृतियाँ ( Natural Contours ).
- लक्ष्य ( Goals ).
प्रमुखता ( Salience ) – वह स्थिति या गुण जो किसी अवधारणा को अन्य अवधारणाओं से अलग करता है किसी चीज की प्राथमिक छवि.
भड़काना ( Priming ) – वह तकनीक जिसके माध्यम से एक उत्तेजना के संपर्क में आने से अगली उत्तेजना के प्रति प्रतिक्रिया प्रभावित होती हैं
व्यक्तिगत भिन्नताएं ( Individual Differences ) – अलग-अलग लोग समान परिस्थितियों में अलग-अलग स्कीमा का उपयोग करतें है क्योकि व्यक्तिगत रूप से निर्मित स्कीमा के परिणामस्वरूप व्यक्तिगत अंतर उत्पन्न होते है
प्राकृतिक आकृतियाँ ( Natural Contours ) – पर्यावरण हमें उपयोग की जाने वाली स्कीमा के प्रकार के बारे में संकेत प्रदान करता है
लक्ष्य ( Goals ) – हमारी योजनाएं उन लक्ष्यों से आकार लेती हैं जिन्हें हमे पूरा करना होता है
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FAQ
व्यक्तित्व प्रत्यक्षीकरण क्या है?
जब हम किसी नए मनुष्य/व्यक्ति से मिलते है तब हम सबसे पहले उसको जानने का प्रयास करते है जिसमे वह क्या कार्य करता है, उसके विचार क्या है, उसकी भावनाएं क्या है, उसको क्या चीजें पसंद और नापसंद हैं इसको हम व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण कहते है
प्रत्यक्षीकरण का क्या मतलब है?
प्रत्यक्षीकरण एक जटिल मानसिक प्रक्रिया हैं जिसमे मनुष्य उद्दीपक का तात्कालिक ज्ञान प्राप्त करता हैं और संवेदना में पूर्व अनुभव के आधार पर सही अर्थ जोड़ देता हैं प्रत्यक्षीकरण प्रक्रिया के दौरान हम नई नई इनफार्मेशन को प्राप्त करते हैं
सामाजिक अनुभूति से आप क्या समझते हैं?
सामाजिक अनुभूति ( संज्ञान ) से मतलब है कि हम दुसरे लोगो के बारे में कैसे धारणा बनातें हैं यह उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जो सामाजिक स्थितियों में हमारे दिमाग में चलती है जो हमे इस दुनिया को समझने में मदद करती हैं
सामाजिक अनुभूति की विशेषताएं क्या हैं?
सामाजिक अनुभूति ( संज्ञान ) परिवर्तनशील होता है क्योकि जब हम किसी मनुष्य के बारे में कोई विचार बना लेतें हैं तब कुछ समय बाद वह विचार बदल भी जातें है
उदहारण के लिए, पहली मुलाकात में मुझे एक बिगड़ी हुई बत्तमीज लड़की दिखी जिसके बाद मुझे वह बुरी लगने लगी लेकिन अगली मुलकात में वह लड़की जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद करतें हुई दिखाई दी जिसके बाद वह अच्छी लगने लगी
बच्चों में सामाजिक अनुभूति कैसे विकसित होती है?
सामाजिक अनुभूति एक विकासात्मक प्रक्रिया है क्योकि जिस तरह कोई मनुष्य/बच्चा बड़ा होता हैं उसका इंटेलिजेंस लेवल बढ़ता हैं उसके साथ साथ बच्चे में सामाजिक अनुभूति का विकास भी होता हैं
स्कीमा का मतलब क्या होता है? स्कीमा किसे कहते हैं?
स्कीमा मानसिक ढाँचे या ज्ञान संरचनाएं हैं जो किसी अवधारणा, उसकी विशेषताओं और अन्य अवधारणाओं से उसके संबंधों के बारे में पर्याप्त जानकारी रखता हैं
निष्कर्ष
यह लेख व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण को समझाने के लिए लिखा गया है सरल शब्दों में किसी मनुष्य को समझना व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण कहा जा सकता है क्योकि जब कोई नया व्यक्ति हमसे मिलता है तब हम उसको जानने की कोशिश जरुर करते है
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें
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