Applied Sociology in Hindi: – अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र क्या हैं? अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र को समझने के लिए हमे समाजशास्त्र को अच्छे से समझना होगा जिसके लिए आप समाजशास्त्र क्या है? लेख पढ़ सकते हैं
क्योकि ऐसा करने से आपको समाजशास्त्र का विकास समझने का मौक़ा मिल जाएगा हम सब जानते है कि ऑगस्ट कॉम्टे ( फ्रांसीसी विचारक ) ने समाजशास्त्र के बारे में बताया है कि समाज का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन करना समाजशास्त्र होता हैं
परन्तु, अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र में हम अपने ज्ञान का उपयोग करके सामाजिक समस्या का समाधान निकालकर, उनको दूर करने के लिए मुख्य रूप से किया जाता हैं साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र, समाजशास्त्र की एक उपशाखा हैं
एग्जाम के उद्देश्य से यह प्रश्न महत्वपूर्ण हो जाता हैं कि अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र क्या हैं?, प्रकृति, महत्व और दायरा?
यही कारण है कि स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र की परिभाषा सहित उसके महत्त्व और प्रकृति के विषय पर बेहतर इनफार्मेशन देने का प्रयास किया गया है यह लेख सामाजिक समस्याओं को भी परिभाषित करता हैं
अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र क्या हैं? ( Applied Sociology in Hindi )
अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र, समाज की वह शाखा है जो क्या होना चाहिए? में रूचि लेती हैं उसको हम अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र कहते हैं मतलब अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र, समाज की वह शाखा है जो समाज शास्त्रीय सिद्धांतों का प्रयोग सामाजिक समस्याओं एंव
व्याधिकीय स्थिति को ज्ञात करने, उन्हें दूर करने के उपाय सुझाने एंव सामाजिक पुननिर्माण करने के लिए करती हैं
साधारण भाषा में हम यह कह सकते है कि जब समाजशास्त्र का प्रयोग ऐसे ज्ञान की खोज के लिए किया जाता हैं जो व्यवाहरिक समस्याओं के समाधान के लिए उपयोगी हो, उसे अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र कहते है
इसका उद्देश्य समाज में व्याप्त संघर्षों का अध्ययन करना, उनकी प्रकृति तथा कारणों को ज्ञान करना तथा संघर्षों को दूर करने के लिए उपयुक्त समाधान करना होता हैं
लेस्टर फ्रैंक वार्ड ( अमेरिकी समाजशास्त्र ) ने अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र को परिभाषित करते हुए कहा कि जब पेशेवर रूपी समाजशास्त्रीय ज्ञान को समाज की भलाई में सुधार करने वाले हस्तक्षेपों में व्यवस्थित किया जाता हैं तब अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र होता हैं
अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र का क्षेत्र ( Scope of Applied Sociology )
अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र बहुत व्यापक हैं क्योकि प्रत्येक समाज के विभिन्न पक्षों में कुछ समस्याएं जरुर होती हैं इसके बाद भी विभिन्न समाजों, संस्कृतियों तथा विभिन्न अवसरों में अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र में कुछ भिन्नता देखने को मिलती हैं
क्योकि अगर किसी समाज में कोई व्यवहार एक समस्या हैं तो वह किसी दुसरे समाज एंव संस्कृति में एक सामान्य व्यवहार हो सकता हैं इसीलिए विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न संस्कृतियों में भिन्न भिन्न उपचार आवश्यक होते है
इसके फलस्वरूप वहां अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र में भी कुछ भिन्नता उत्पन्न हो जाना स्वाभाविक हैं इस बात से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रत्येक समाज में सामाजिक व्याधिकी, सामाजिक विघटन और सामाजिक पुननिर्माण ऐसे महत्वपूर्ण विषय हैं
जिनका अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र में अध्ययन करना आवश्यक समझा जाता है इस द्रष्टिकोण से अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र को निम्न तीन भागों में विभाजित करके समझा जा सकता है
- सामाजिक व्याधिकी
- सामाजिक विघटन
- सामाजिक विघटन
सामाजिक व्याधिकी – सामाजिक व्याधिकी के कथन को स्पष्ट करते हुए जॉन लेविस का कहना है कि सामाजिक व्याधिकी वह अध्ययन है जिससे पता चलता है कि मनुष्य स्वयं अपने से तथा अपने जीवन के लिए उपयोगी संस्थाओं से अभियोजन करने में असफल क्यों रहता है
इससे यह स्पष्ट है कि किसी भी समाज में विभिन्न सामाजिक समस्याओं की उत्त्पत्ति का मूल कारण, व्यक्ति के द्वारा अपनी परिस्थितियों से समुचित अभियोजन न कर पाना होता है
अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र का अध्ययन विषय सर्वप्रथम ऐसी स्थिति की प्रकृति को ज्ञात करना तथा उसके कारणों का पता लगाना होता है
सामाजिक विघटन – सामाजिक व्याधिकी का जल्द प्रभावपूर्ण उपचार न होने के कारण, साधारण समस्याएं, गंभीर समस्याओं का रूप लेकर सम्पूर्ण जीवन को विघठित कर देती हैं इसी दशा को हम सामाजिक विघटन कहते है
सामाजिक पुननिर्माण – अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र विभिन्न सामाजिक समस्याओं की प्रकृति और कारणों को ज्ञात करने के अतिरिक्त उन व्यवहारिक आधारों की भी खोज करता हैं जिनकी सहायता से सम्पूर्ण समाज का पुन निर्माण किया जा सकें
इसका तात्पर्य यह है कि व्यवहारिक समाजशास्त्र एक कल्याणकारी सामाजिक विज्ञान हैं उदहारण के लिए, श्रम कल्याण, पिछड़ी और अनुसूचित जातियों का कल्याण, बाल कल्याण, आदि व्यवहारिक समाजशास्त्र की अध्ययन वस्तु हैं
इसी प्रकार नगरीय पुननिर्माण, ग्रामीण पुननिर्माण, शिक्षा व्यवस्था में सुधार तथा समाज के लिए व्यवहारिक नीतियों का निर्माण भी अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र के अंतर्गत हैं
नोट – अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र कल्याणकारी होते हुए भी, वैज्ञानिक पद्धति से समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है इसका कार्य विभिन्न समस्याओं के वास्तविक कार्यों, सम्पूर्ण समाज की परिस्थितियों तथा प्राप्त साधनों पर ध्यान रखते हुए
सामाजिक पुननिर्माण की योजना प्रस्तुत करना हैं यह द्रष्टिकोण अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र को विज्ञान में ले जाता हैं
व्यवहारिक समाजशास्त्र की उपयोगिता ( अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र का महत्व )
- ज्ञान की सार्थकता उसकी उपयोगिता हैं मतलब समाजशास्त्त्री का यह मानना है कि अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र की वास्तविक उपयोगिता तभी संभव है जब इसके सिद्धांतों से सामाजिक जीवन को अधिक अच्छा बनाया जा सकें
- इसी धारणा को लेकर विभिन्न सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करने तथा उनका सामाधान प्रस्तुत करने में अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
- अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र ज्ञान की वह शाखा है जो सामाजिक पुननिर्माण के लिए एक सही दिशा देती है क्योकि अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र से समाजशास्त्री सामाजिक पुननिर्माण के लिए व्यवहारिक कार्यक्रम तथा नीतियाँ प्रस्तुत कर सकते है
- अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र, सिद्धान्तिक समाजशास्त्र के द्वारा समाज से सम्बंधित ज्ञान को दैनिक जीवन के व्यवहारिक जीवन में उसका प्रयोग करके समाजसुधार या समाज पुननिर्माण का कार्य करता है
- अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र का ज्ञान समाजशास्त्रीयों को विभिन्न प्रकार की परिवर्तन दशाओं के अंतर्गत मानवीय संबंधों का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करता है जिससे कारण समाजशास्त्रीय जिन सिद्धांतों को ज्ञात करते है
- उनकी सहायता से ऐसी पद्धतियों का विकास होना संभव होता है जो स्वस्थ सामाजिक अभियोजन के कार्यक्रम और नीतियों को वास्तविक रूप प्रदान कर सकें
- अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र मानव ( मनुष्य ) के बदलते संबंधों का अध्ययन करता हैं तथा समाज में, सामाजिक समस्याओं एंव समायोजन को दूर करने के लिए नीतियाँ एंव कार्यक्रम प्रदान करता है
सामाजिक समस्या ( Resolution of Social Problem )
सामाजिक समस्या को समझने से पहले हमे समस्या किसे कहते हैं? को समझना होगा
कोई भी कार्य तब समस्या बनता है जब वह अधिकांश लोगो को प्रभावित करता हैं और समाज के हित में नही होता हैं ऐसे कार्य का विद्रोध करने के लिए लोग आवाज उठना शुरू कर देते है और उस कार्य को रोकने की मांग करते हैं
ठीक उसी प्रकार, सामाजिक समस्या दो शब्दों ( सामाजिक + समस्या ) से मिलकर बना हैं जिसमे समाज से सम्बंधित सामजिक मूल्यों, नैतिक नियमों का उलंघन करना यह सामाजिक समस्या में आते हैं
यह एक ऐसी दशा ( स्थिति ) हैं जिसका प्रभाव समाज के अधिकांश लोगो पर पड़ता हैं ऐसी सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए राज्य ( देश ) में मौजूदा सरकार विशेष रूप से कार्य करती हैं इसके साथ कुछ सहायक संगठन भी होते हैं
प्रो ग्रीन – ने कहा कि सामाजिक समस्या ऐसी दशाओं की समग्रता हैं जिन्हें नैतिक आधार पर समाज के अधिकांश व्यक्तियों द्वारा अनुचित समझा जाता है
सामाजिक समस्या के प्रकार ( Types Of Social Problem )
सामाजिक समस्याओं के चार प्रकार के बारे में हम चर्चा करने वाले हैं
- संरचनात्मक समस्याएं
- पारिवारिक समस्याएं
- विकास जनित समस्याएं
- विघटनकारी समस्याएं
संरचनात्मक समस्याएं – ऐसी समस्याएं जो हमारे समाज की संरचना को प्रभावित करती है उदहारण, निर्धनता, लैंगिक असमानता, धार्मिक एंव क्षेत्रीय असमानता, दलित एंव पिछड़े वर्गों की समस्याएँ |
पारिवारिक समस्याएं – ऐसी समस्याएँ जो हमारे परिवार को प्रभावित करती है उदहारण, दहेज़, घरेलू हिंसा, विवाह विच्छेद, वृद्धजनों की समस्याएँ |
विकास जनित समस्याएं – ऐसी समस्याएं जो हमारे समाज में विकास के कारण उत्पन्न होती हैं उदहारण, पर्यावरण प्रदूषण, उपभोक्तावाद |
विघटनकारी समस्याएं – ऐसी समस्याएँ जिनका समाधान केवल कानून के पास सजा या जुर्माने के रूप में होता है क्योकि यह ऐसी समस्या होती है जिसमे व्यक्ति या समाज का विघटन होता हैं उदहारण, अपराध, बाल अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, ड्रग्स एडिशन |
नोट – सामाजिक नीति का निर्माण समझने के लिए आप सामाजिक नीति पर लिखा लेख पढ़ सकते हैं और सामाजिक नियोजन को पढने के लिए आप सामाजिक नियोजन का लेख पढ़ सकते हैं
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- समाजशास्त्र क्या है? समाजशास्त्र की परिभाषा
- सामाजिक नीति क्या है? विशेषताएँ, निर्माण, कार्य
- समाजशास्त्र की परिभाषा?
- औद्योगिक संगठन का अर्थ?
- ट्रेड यूनियन क्या है? श्रम कल्याण
- एनजीओ क्या है? एनजीओ के फायदे,
- औद्योगिक प्रबंधन, क्षेत्र, श्रमिक भागीदारी
निष्कर्ष
यहाँ अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र, उपयोगिता, सामाजिक समस्या का अर्थ परिभाषा एंव प्रकार के बारे में विशेष चर्चा किया हैं क्योकि जब स्टूडेंट अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र से सम्बंधित एग्जाम के उद्देश्य से इन्टरनेट पर खोजते हैं
तो उनको सही इनफार्मेशन नहीं मिल पाती हैं परन्तु इस लेख में सरल भाषा में समझाया गया हैं
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें