Trade Union Meaning in Hindi: – ट्रेड यूनियन क्या है? श्रामिकों के कल्याण के लिए किये गए कार्य श्रम कल्याण के अंतर्गत हैं परन्तु ट्रेड यूनियन ( व्यापार संघ ) किसी कंपनी या उद्योग में एक ऐसा संगठन होता हैं
जिसका उद्देश्य श्रमिकों के हितो की रक्षा करना होता है जब हम ग्रेजुएशन ( बीए ) के दौरान समाजशास्त्र को पढ़ते है तो ऐसी स्थिति में हमें श्रम कल्याण और व्यापार संघ के बारे में पढ़ना जरुरी होता है
इसका मुख्य कारण एग्जाम के दौरान ट्रेड यूनियन और श्रम कल्याण से सम्बंधित प्रश्नों का एग्जाम में पूछा जाना होता हैं
यही कारण है कि इस लेख में श्रम कल्याण और ट्रेड यूनियन का पूरा कांसेप्ट अच्छे से समझाया गया है जिसमे ट्रेड यूनियन के द्वारा किए जाने वाले कार्य सहित औद्योगिक संगठन में भूमिका को समझाया गया हैं
चलिए अब हम यह समझने का प्रयास करते है कि श्रम कल्याण किसे कहते हैं?
श्रम कल्याण क्या हैं? ( Labour Welfare Meaning in Hindi )
श्रमिकों को मिलने वाली उन सुविधाओं से हैं, जिन सुविधाओं से उनका जीवन सरल होता है मतलब श्रमिकों के लिए किये गए वह सभी कार्य जिनके परिणामस्वरूप, श्रमिकों की समस्या को दूर करके, उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाया जाता हैं
वह श्रम कल्याण कहलाता हैं साधारण भाषा में श्रम कल्याण का अर्थ श्रमिक को स्वास्थ्य, आवास, चिकित्सा सहायता, शिक्षा, बीमा, नौकरी की सुरक्षा, मनोरंजन आदि जैसी अनेक सुविधाओं को प्रदान करने से होता हैं
क्योकि ऐसी सुविधाएं श्रमिक और उसके परिवार को एक अच्छा कार्य जीवन और सामाजिक जीवन जीने में सक्षम बनाती हैं।
Oxford Dictionary – के अनुसार श्रमिक कल्याण वे प्रयास हैं जो श्रमिक के जीवन को जीने लायक बनाते हैं
International Labour Organisation ( ILO ) – के अनुसार किसी भी कंपनी ( संस्था ) में काम करने वाले श्रमिकों को उस संस्था की चार दीवारों के अंदर मिलने वाली सुविधाएं और उन श्रमिकों के बाहर जाने पर भी जो सुविधाए दी जाती है
वह सभी श्रमिक कल्याण के अंतर्गत आती हैं इन सभी सुविधाओं को देने का उद्देश्य काम करने वाले श्रमिकों का अच्छा स्वास्थ्य और मनोबल को उच्च बनाये रखना, जिससे श्रमिकों के द्वारा संस्था के विकास में अच्छा सहयोग दिया जा सकें
Types Of Labour Welfare ( श्रम कल्याण के प्रकार )
श्रमिक कल्याण को मुख्य रूप से दो आधारों के रूप में विभाजित करके देखा जा सकता है
- स्थान के आधार पर
- कार्यान्वयन प्राधिकरण के आधार पर
स्थान के आधार पर
1963 में ILO द्वारा औद्योगिक श्रमिकों के लिए कल्याण सुविधाओं पर विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई थी। इस समिति ने कल्याण सेवाओं को दो समूहों में विभाजित किया
- Intramural Welfare – कल्याण की वह सुविधाएं जो श्रमिकों को किसी संस्था की चार दीवारों के अंदर प्रदान की जाती है उदहारण के लिए, पीने का पानी, शौचालय, विश्राम कक्ष, कैंटीन, क्रेच, सुरक्षात्मक, कपड़े, चिकित्सा |
- Extramural Welfare – कल्याण की वह सुविधाएं जो श्रमिकों को किसी संस्था की चार दीवारों से बाहर प्रदान की जाती हैं उदहारण के लिए, आवास, शिक्षा, परिवहन, खेल, सामाजिक बीमा |
कार्यान्वयन प्राधिकरण के आधार पर
क्योकि भारतीय संविधान के अंतर्गत श्रम संबंधी प्रावधान होते हैं या कहा जा सकता है कि श्रम भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में शामिल हैं जिसके कारण, श्रम से सम्बंधित नियम या कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के पास होता हैं
- Statutory Welfare
- Voluntary Welfare
Statutory Welfare – कल्याण की वह योजना जिनका पालन करना श्रमिकों के लिए अनिवार्य होता हैं और इनका पालन न करने की स्थिति में श्रमिकों के ऊपर पैनलिटी और क़ानूनी कार्यवाही की जा सकती है
यह वैधानिक ( Statutory ) योजना केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा बनाई जाती हैं जिनको लागू करने के लिए नियोक्ता भवन ( Employer Building ) होता है इसमें सरकार अप्रत्यक्ष ( Indirect ) तरीके से कल्याण सुविधाओं को प्रदान करती हैं
मतलब यह सुविधाएं Employer के माध्यम से प्रदान करवाई जाती है यहाँ सरकार का कार्य मात्र वह नियम ( कानून ) बनना होता हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है उदहारण के लिए, Factories Act 1948, E.S.I Act 1948, M.B Act 1961.
Voluntary Welfare – यह वह कल्याण सुविधाएं होती हैं जिनका पालन करना या प्रदान करना अपनी इच्छा पर निर्भर करता हैं और इनको प्रदान करने वाली संस्थाएं नियोक्ता, ट्रेड यूनियन, अन्य एजेंसियां होती हैं
जितनी भी कानून बनाये जाते हैं वह भारतीय संविधान में दिए हुए Article पर आधारित होते है उदहारण के लिए,
- Article 19 – अभिव्यक्ति, संगठन की स्वतंत्रता का अधिकार
- Article 23 – जबरन श्रम का निषेध
- Article 24 – बाल रोजगार का निषेध
- Article 39 – पुरुषों और महिलाओं के लिए समान वेतन
- Article 41 – काम, शिक्षा, सार्वजनिक सहायता का अधिकार
- Article 42 – काम और मातृत्व की न्यायसंगत और मानवीय स्थितियाँ
- Article 43 – जीवनयापन की मजदूरी
- Article 43. A – प्रबंधन में श्रमिक की भागीदारी
कर्मचारी कल्याण के उद्देश्य
- श्रमिकों को सामाजिक सुविधा मिलता हैं क्योकि जब कंपनी श्रमिकों को अलग से कुछ सुविधाएं देती हैं तो श्रमिकों को यह लगता है कि मेरी कंपनी मेरे बारे में सोचती है
- जब कंपनी के द्वारा श्रमिकों को अलग से कुछ सुविधाएं मिलती हैं तो यह मौजूदा कार्यबल को बनाए रखता है
- ऐसी स्थिति में श्रमिक कंपनी को छोड़ने से पहले बहुत बार विचार करते हैं क्योकि उनको कंपनी के द्वारा तनखा से अलग सुविधाए भी मिलती हैं
- जब कंपनी के द्वारा श्रमिकों को अलग से कुछ सुविधाएं मिलती हैं तो कार्यस्थल पर कर्मचारियों की उत्पादकता और दक्षता में सुधार होता हैं
- श्रमिकों को अलग से कुछ सुविधाएं मिलने से कर्मचारियों और परिवारों तथा समाज की बेहतरी सुनिश्चित हो रही है
- श्रमिकों को अलग से कुछ सुविधाएं मिलने के कारण संगठन में एक वफ़ादार, संतुष्ट कार्यबल का निर्माण होता हैं मतलब श्रमिक उस संस्था को कभी धोखा नहीं देंगें
- कर्मचारियों के मन में कंपनी की बेहतर छवि विकसित होती हैं क्योकि जब कर्मचारियों को कंपनी की तरह से वेतन से अलग सुख सुविधाएं मिलती है और श्रमिकों के मन में कंपनी से जुड़ाव की भावना विकसित होती हैं
- जब कंपनी, श्रमिकों को बेहतर सुविधाए देती है तो कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर काम करने की स्थिति में सुधार होता हैं
ट्रेड यूनियन क्या है? ( Meaning Of Trade Union in Hindi )
ट्रेड का मतलब व्यापार और यूनियन का अर्थ संघ ( संगठन ) होता है एक ट्रेड यूनियन श्रामिकों की स्थिति में सुधार के उद्देश्य से गठित श्रामिकों का एक संघ हैं इसका गठन श्रामिकों के हितों की रक्षा के लिए किया गया हैं
क्योकि असंगठित होने पर श्रामिकों में सौदेबाजी की क्षमता बहुत कम होती है, पूंजीवादी व्यवस्था के तहत कुछ प्रबंधनों द्वारा श्रामिकों के शोषण के खिलाफ ट्रेड यूनियन आंदोलन शुरू हुआ
ट्रेड यूनियन किसी भी क्षेत्र में श्रामिकों का एक संगठन है, जो अपने सदस्यों के लिए काम करते हुए प्रबंधन और श्रमिकों के बीच एक कड़ी प्रदान करते हैं यह स्वैच्छिक संगठन होते हैं इनको श्रमिक संघ भी कहा जाता हैं
इनका निर्माण श्रामिकों की समाजिक और राजनीतिक स्थिति में सुधार करने के लिए किया जाता हैं यह अपने सदस्यों के हितों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए बनाए जाते हैं उदहारण, चित वेतन, काम का अच्छा माहौल, काम के घंटे आदि |
मतलब एक श्रामिक संघ या ट्रेड यूनियन, श्रामिकों का एक संगठन हैं जो मजदूरी और काम करने की स्थिति जैसे क्षेत्रों में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ जुड़ गए हैं
यूनियन कर्मचारियों की सन्तुष्टि को उच्च रखते हुए और असुरक्षित या अनुचित कार्य परिस्थितियों से श्रामिकों की रक्षा करते हुए, नियोक्ताओं के साथ अनुबंध और शर्तों पर बातचीत करती है
वेब – के अनुसार ट्रेड यूनियन को उनके कामकाजी जीवन की स्थितियों को बनाए रखने या सुधारने के उद्देश्यों के लिए मजदूरी कमाने वालों का एक निरंतर संघ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है
लेस्टर – के अनुसार एक ट्रेड यूनियन मुख्य रूप से अपने सदस्यों के रोजगार की स्थिति को बनाएं रखने या सुधारने के लिए डिजाइन किए गए कर्मचारियों का एक संघ हैं
भारतीय ट्रेड यूनियन अधिनियम ( 1926 ) – के अनुसार कोई भी संयोजन चाहे अस्थायी या स्थायी रूप से हो सकता है जिसका उद्देश्य कर्मचारी और प्रबंधन के बीच में संबंधों को विनियमित करना और
किसी भी व्यापार या कारोबार के संचालन पर प्रतिबंधात्मक शर्तें लागू करना होता हैं
ट्रेड यूनियन के उद्देश्य ( Role in industrial organization )
- श्रामिकों को बेहतर वेतन देकर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना
- श्रामिकों के हितों को सुरक्षा प्रदान करना
- श्रामिकों के लिए काम करने की बेहतर स्थिति ( कार्य स्थिति ) सुनिश्चित करना उदहारण, लाइटिंग, पानी, विश्राम कक्ष, अच्छी मशीने |
- कर्मचारियों के कार्य घंटों से सम्बंधित समस्या का समाधान करना
- संगठन के मुनाफे से श्रामिकों के लिए बोनस सुरक्षित करना
- कर्मचारियों के स्थानांतरण ( Transfers ) और पदोन्नति ( Promotions ) से सम्बंधित समस्या का हल निकालना
- श्रामिकों के लिए स्थिर रोजगार सुनिश्चित करना और प्रबंधन की योजनाओं का विरोध करना जो रोजगार के अवसरों को कम करती हैं
- कर्मचारियों और प्रबंधन ( मालिक ) के बीच एक अच्छा और शांतिपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखना
- काम और मजदूरी के भुगतान के सम्बन्ध में विवादों के सम्बन्ध में श्रामिकों को क़ानूनी सहायता प्रदान करना
- कर्मचारियों की बात को टॉप अथॉरिटी के सामने सही तरह से रखना
- यह सुनिश्चित करना कि श्रामिकों को नियमानुसार भविष्य निधि, पेंशन एंव अन्य लाभ मिले |
- श्रामिकों के लिए बेहतर सुरक्षा और स्वास्थ्य कल्याण योजनाओं को सुरक्षित करना
ट्रेड यूनियन के लाभ
- एक कार्यकर्ता जब अकेला होता हैं तब ऐसी स्थिति में वह बहुत कमजोर महसूस करता हैं परन्तु, संघ उसे अपने साथी सहयोगियों के समर्थन से अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता हैं
- संघ श्रामिकों के आर्थिक हितों की रक्षा करता हैं और उनके लिए उचित मजदूरी दरों और मजदूरी योजनाओं को सुनिश्चित करता है
- संघ उच्च वेतन के आलावा भी श्रामिकों को उनके लिए कुछ सुविधाएं प्राप्त करने में मदद करता है
- संघ कुछ मामलों में बीमारी या कुछ आपात स्थितियों के समय नकद सहायता भी प्रदान करता हैं
- संघ श्रामिकों और प्रबंधन के बीच बातचीत का आयोजन करता हैं और विवादों के निपटारे के लिए साधन हैं
- ट्रेड यूनियन श्रामिकों को आत्मविश्वाश प्रदान करता हैं और उन्हें लगता हैं वे संगठन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं
ट्रेड यूनियन के कार्य
- ट्रेड यूनियन के द्वारा वेतन और शर्तों पर नियोक्ताओं के साथ बातचीत करना
- कार्यस्थल में बड़े पैमाने पर होने वाले बदलावों पर चर्चा करना ट्रेड यूनियन का कार्य होता है
- नियोक्ताओं के साथ सदस्यों की चिंताओं पर चर्चा ट्रेड यूनियन करती है
- ट्रेड यूनियन के द्वारा अनुशासनात्मक और शिकायत बैठकों में सदस्यों का साथ दिया जाता हैं
- सदस्यों को क़ानूनी और वित्तीय सलाह प्रदान करना ट्रेड यूनियन का काम हैं
- शिक्षा सुविधाएँ और कुछ उपभोक्ता लाभ उदहारण, रियायती बीमा प्रदान करना |
- जरुरत पड़ने पर वित्तीय सहायता भी ट्रेड यूनियन के द्वारा प्रदान की जाती है
- सामाजिक दायित्व प्रदान करती हैं मतलब अपने श्रामिकों को कानून और पालिसी के लिए शिक्षित करती है
संवैधानिक प्रावधान
- संघ बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान में वर्णित हैं
- अनुच्छेद 19 (1) ( ग ) सभी नागरिकों को संगम या संघ या सहकारी समितियाँ बनाने का अधिकार देता है
भारत में ट्रेड यूनियन का इतिहास ( ट्रेड यूनियन का इतिहास )
- वर्ष 1874 में शशिपाद बनर्जी ने भारत श्रमजीवी नामक अखबार का प्रकाशन शुरू किया
- एन. एम. लोखंडे ने 1880 में “दीनबंधु” साप्ताहिक पत्रिका निकाली और 1890 में बम्बई मिल हैंड्स एसोसिएशन की स्थापना की
- भारत के पहले ट्रेंड यूनियन की स्थापना मद्रास लेबर यूनियन के रूप में 1918 में बी. पी. वाडिया ने की थी
- वर्ष 1920 में महात्मा गांधी ने मजूर महाजन संघ की स्थापना की इसका उद्देश्य श्रमिकों और मालिकों के बीच शांतिपूर्वक संबंध बनाकर समाज सेवा करना था
- वर्ष 1920 में बम्बई में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस ( AITUC ) की स्थापना हुई जिसके प्रथम अध्यक्ष लाला लाजपत राय थे यह भारतीय श्रमिकों का प्रधान संगठन था
- ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस ( AITUC ) के प्रमुख नेताओं में एन. एम. जोशी, बी.पी. वाडिया, दीवान चमनलाल आदि शामिल थे
- वर्ष 1929 में रॉयल कमीशन ऑन लेबर के बहिष्कार के मुद्दे को लेकर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस ( AITUC ) मे पहला विभाजन हुआ इसी दौरान V. V गिरी की अध्यक्षता में इंडियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई
- दुसरा विभाजन वर्ष 1931 में हुआ जब कम्युनिस्टो ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस ( AITUC ) को छोड़ दिया
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निष्कर्ष
इस लेख में विशेष रूप से श्रम कल्याण का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य और ट्रेड यूनियन ( व्यापार संघ ) का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, लाभ कार्य और भारत में ट्रेड यूनियन के इतिहास पर चर्चा किया है
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लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें