समाजशास्त्र की परिभाषा? समाजशास्त्र का अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ संबंध ( 2024 )

समाजशास्त्र की परिभाषा? समाजशास्त्र का अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ संबंध ( 2024 )

What is Sociology in Hindi: – समाजशास्त्र की परिभाषा? जब हम किसी विषय को पढ़ते हैं तब उसका एक पाठ्यक्रम होता है यह हर किसी कक्षा के अनुसार होता हैं परन्तु हर विषय का एक विषय क्षेत्र होता हैं यह मुख्य रूप से इसीलिए होता है

क्योकि कोई छात्र अपनी पसंदीदा फिल्ड में अपना करियर बना सकें और ऐसी स्थिति में सभी विषयों का पाठ्यक्रम मिक्स न हो जाए, उदहारण के लिए, अगर मुझे राजनेता बनाना हैं तब मैं राजनीति विज्ञान को पढना पसंद करूंगा

परन्तु राजनीति विज्ञान में मुझे जिस पाठ्यक्रम को पढ़ना होगा वह राजनीतिक विज्ञान की विषय वस्तु होती है इसी तरह अन्य विषयों में रसायन विज्ञान में, कैमिकल रिएक्शन, भौतिक विज्ञान में फिजिकल चीजों, बायोलॉजी में जीव का अध्ययन होता है

समाजशास्त्र की परिभाषा? समाजशास्त्र का अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ संबंध ( 2024 )

लेकिन समाजशास्त्र का अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ संबंध अपना अलग महत्त्व रखता हैं क्योकि समाजशास्त्र का दर्शनशास्त्र, मानव विज्ञान, सामाजिक कार्य, इतिहास, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र के साथ गहरा रिश्ता हैं

जिसको समझने के लिए आपको यह लेख पूरा पढ़ना होगा एग्जाम के उद्देश्य से भी यह इनफार्मेशन बहुत महत्वपूर्ण हैं

समाजशास्त्र की परिभाषा? अर्थशास्त्र का समाजशास्त्र के साथ संबंध ( अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र ) – Economics & Sociology

Table of Contents

अर्थशास्त्र धन का विज्ञान हैं क्योकि इसमें हम जो भी पढ़ते हैं उसका सम्बन्ध पैसे से होता हैं अर्थशास्त्र ने धन के उत्पादन, वितरण, विनिमय ( एक्सचेंज ) आदि की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता हैं

इन सभी के पीछे समाजिक संबंधों और रीति रिवाजों और परम्पराओं का प्रभाव दिखाई देता हैं क्योकि अक्सर परिवार में, परिवार का मुखिया पैसे कमाता हैं इसीलिए वह स्ट्रोंग होता हैं परन्तु परिवार की स्त्री, पैसा न कमाने के कारण गरीब ( कमजोर ) होती है

कुछ रीति रिवाजों और परम्पराओं में स्त्री का काम घर को देखना होता हैं वहां घर और बच्चो को सँभालने में ही स्त्री का अधिकांश जीवन बीत जाता हैं परन्तु, सामाज में केवल पुरुषों का कार्य पैसा कमाना होता हैं

मतलब कहा जा सकता है कि पैसे का वितरण केवल पुरुषों के पास होता हैं कुछ स्टूडेंट्स को पता होगा कि कार्ल माक्स का भी कहना है कि समाज में जिसके पास पैसा होता हैं, यह उत्पादन की शक्ति होगी,

वह व्यक्ति समाज में सबसे ज्यादा स्ट्रोंग व्यक्ति होता है और वह समाज में पैसो के डीएम पर लोगो का शोषण करते है

अर्थशास्त्र को मानव कल्याण से भी जोड़ने का प्रयास किया जाता हैं क्योकि जो मनुष्य अर्थशास्त्र पढता है वह ऐसी चीजों का अध्ययन करता है जिससे लोगो का भला हो सकें

उदहारण के लिए, मंत्री के द्वारा बजट पास करने के दौरान, उसमे यह कोशिश की जाती हैं कि गरीब लोगो पर अधिक भार न पड़ें ऐसा न हो कि उसके लिए रोटी कपडा और मकान इतना महंगा हो जाए कि उस गरीब व्यक्ति का जीना मुश्किल हो जाए

इसीलिए, नेताओं के द्वारा सरकार से देश के गरीब लोगो के लिए कुछ ऐसी सुविधाएं पास की जाती हैं जिससे उनकी मदद की जा सकें

सामाजिक विचारकों के द्वारा कुछ पुस्तक ऐसी हैं जिसमे सामाजिक विचारकों ने समाजशास्त्र को अर्थशास्त्र से जोड़ा हैं उदहारण के लिए, कार्ल मार्क्स की पुस्तक Das Capital ( दास कैपिटल ),

गुन्नार म्यर्दल की पुस्तक Asian Drama ( एशियन ड्रामा ),  मैक्स वेबर की पुस्तक The Protestant Ethic and The Spirit Of Capitalism ( प्रोटेस्टेण्ट आचार और पूंजीवाद की आत्मा ),

Bert F. Hoselitz की पुस्तक Sociological Aspects Of Economic Growth ( आर्थिक विकास के समाजशास्त्रीय पहलू )

कार्ल मार्क्स ने अपनी पुस्तक Das Capital में बताया है कि पैसा समाज को कण्ट्रोल करने का काम करता हैं इतना ही नहीं, पैसा समाज में सोच विचार करना, समाज के रीति-रिवाज, परम्पराओं, रहन-सहन हर एक चीज को पैसा कण्ट्रोल करता हैं

मतलब जिस मनुष्य के पास पैसा हैं वह समाज को कण्ट्रोल करता हैं उदहारण के लिए अगर 10 लाख लोगो में से, 1 लाख लोग अमीर हैं, उनके पास बड़ी बड़ी कंपनी हैं, वह लोग समाज के अन्य गरीब लोगो को नौकरी देते है

अपनी कंपनी में उत्पादन के नाम पर गरीब लोगो से मजदूरी करवातें हैं जिसके बदले में वह अमीर लोग, उन गरीब लोगो को कुछ पैसा मजदूरी के रूप में देते हैं जिसके आधार पर उनका घर चलता है, वह अपने घर परिवार का पालन पोषण करते हैं

कुल मिलाकर कार्ल मार्क्स का कहना है कि समाज में जहाँ पैसा होता हैं मतलब जिन लोगो के पास पैसा होता है वह समाज की हर चीज को वह प्रभावित करते हैं यहाँ तक कि धर्म को भी |

मैक्स वेबर ने अपनी पुस्तक The Protestant Ethic and The Spirit Of Capitalism में मैक्स वेबर ने धन को समाज से जोड़ा हैं उन्होंने विश्व के बहुत सारे अलग अलग धर्मों का अध्ययन किया

जिसका उद्देश्य यह पता करना था कि कैसे पैसे का समाज से सम्बन्ध हैं? मतलब इस दौरान उन्होंने यह पता लगाने का प्रयास किया कि जो समाज विकसित समाज हैं या जो समाज विकसित हो रहा हैं, इसका उस समाज में स्थित धर्म से क्या संबंध हैं?

इस अध्ययन में उन्होंने देखा कि जिन लोगो के समाज में ऐसा धर्म हैं जो उन्हें यह सीखाता हैं कि आप कड़ी मेहनत करों, किसी के ऊपर निर्भर मत रहो, कठिन परिश्रम करो, जितना पैसा कमाओगे उतना अधिक ईश्वर आपसे खुश होंगे

मतलब जिस समाज के धर्म में लोगो को भौतिक आधार पर आगे बढ़ने की बाते सीखाई गई वहां के देश एक विकसित देश पाए गए, बाकि अन्य देशों में भुखमरी, बेरोजगारी, अधिक जनसंख्या आदि समस्या देखने को मिली

कुछ ऐसे विषय हैं जिनको हम अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र दोनों में पड़ते हैं जिसमे नगरीकरण, आर्थिक प्रगति, श्रम विभाजन, बेरोजगारी, औद्योगिकीकरण, सामाजिक कल्याण, जनसंख्या शामिल हैं 

अर्थशास्त्र ( Economics ) समाजशास्त्र ( Sociology )
अर्थशास्त्र आर्थिक पहलू का अध्ययन करता हैं मतलब अर्थशास्त्र मनुष्य के जीवन विशिष्ट पक्ष ( आर्थिक पहलू ) का अध्ययन करता हैं समाजशास्त्र सामाजिक पहलू का अध्ययन करता हैं मतलब समाजशास्त्र मनुष्य के सम्पूर्ण सामाजिक जीवन का अध्ययन करता हैं
अर्थशास्त्र एक विशिष्ट विज्ञान हैं समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान हैं
अर्थशास्त्र में आगमन – निगमन पद्धति का उपयोग होता हैं समाजशास्त्र में सामाजिक सर्वेक्षण पद्धति, निरीक्षण पद्धति का उपयोग होता हैं
अर्थशास्त्र के नियम आर्थिक क्रियाओं के आधार पर बनाते हैं समाजशास्त्र के नियम सामाजिक व्यवहार से सम्बंधित होते हैं

 

मानवशास्त्र का समाजशास्त्र के साथ संबंध ( मानवशास्त्र और समाजशास्त्र ) – Sociology & Anthropology

M.J Herskovits के अनुसार, मानवशास्त्र मनुष्य एंव उसकी कृतियों का अध्ययन हैं मतलब एक मनुष्य और उसके सभी कार्यों का अध्ययन मानवशास्त्र करता है, मनुष्य ने ऐसी बहुत सारी चीजो को बनाया है जिनमे,

कुछ दिखाई देती हैं और कुछ नहीं दिखाई देती हैं मनुष्य ने हमारी संस्कृति को बनाया हैं मतलब हमारे दिमाग में जो संस्कृति, परम्परा चल रही है और हम वर्तमान में जिस भी वस्तु या टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे है उन सभी का निर्माण मनुष्य ने किया हैं

इसीलिए मानवशास्त्र भौतिक एंव अभौतिक दोनों प्रकार की संस्कृतियों का अध्ययन करता हैं

मानवशास्त्र में मनुष्य का उद्धिकास ( पहले मनुष्य कैसा था? धीरे धीरे उसका विकास कैसे हुआ? ) और मानव के द्वारा निर्मित ( बनाया गया ) संस्कृति, सभ्यता आदि का अध्ययन होता हैं

Adamson E. Hoebel ने बताया कि मानवशास्त्र और समाजशास्त्र दोनों में रिलेशनशिप का अध्ययन किया जाता हैं मतलब यह दोनों विषय मानव के संबंधों व उनके अंत: संबंधों का अध्ययन करते हैं 

क्रोबर का मानना है कि मानवशास्त्र और समाजशास्त्र दोनों में इतना गहरा सम्बन्ध है कि यह दोनों शास्त्र जुड़वाँ बहनों की तरह हैं क्योकि हम समाजशास्त्र की शाखा को देख सकते हैं

जिसका नाम सामाजिक मानवविज्ञान या संस्कृतिक मानवविज्ञान हैं समाजशास्त्र की इस शाखा में हम समाज की चीजों को मानवविज्ञान या मानवशास्त्र से जोड़कर उनका अध्ययन करते हैं

ऐसे बहुत सारे समाजशास्त्री ( Sociologist ) हैं और यही लोग मानव विज्ञानी ( Anthropologist ) भी हैं

उदहारण के लिए, L.H Morgan, Robert Redfield, A.R Radcliff Brown.

मानवशास्त्र में हम मुख्य रूप से छोटी इकाई वाले समुदायों का सांस्कृतिक परीप्रेक्ष्य ( Cultural Perspective ) से अध्ययन करते हैं मतलब उनकी संस्कृति, रहन-सहन, तौर तरीके, शरीर की बनावट, प्रजाति, का अध्ययन करते हैं

परन्तु समाजशास्त्र में आधुनिक और जटिल समाजों पर अधिक फोकस करते हैं और उनका महत्त्व समकालीन विषय वस्तु होता है मानवशास्त्र के बीच में आदिवासियों इत्यादि का अध्ययन बहुत प्रचलित हैं

मानवशास्त्र में धर्म, जादू, विवाह, कला, परिवार, नातेदारी व्यवस्था आदि का सहभागी अवलोकन ( जिन लोगो का अध्ययन करना हैं उनके साथ रहकर चीजों का अध्ययन करना ) से अध्ययन करते हैं 

समाजशास्त्र में हम सामाजिक अंत: क्रियाओं एंव उनसे उत्पन्न सामाजिक सम्बन्ध, समूह एंव विभिन्न संस्थाएं आदि का अध्ययन प्रश्नावली और अनुसूची के माध्यम से करते हैं 

समाजशास्त्र ( Sociology )  मानवशास्त्र ( Anthropology )
समाजशास्त्र में वर्तमान समाज का अध्ययन किया जाता है मतलब यह आधुनिक या विकसित समाज का अध्ययन करता हैं यह विषय मुख्य रूप से आदिम समाजों का अध्ययन करता हैं मतलब सरल समाज ( जनजातीय एंव कृषक ) का अध्ययन करता हैं
इसमें सामाजिक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाता है इसमें सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाता है
समाजशास्त्र की अध्ययन पद्धति सामाजिक सर्वेक्षण, सांख्यिकीय पद्धति हैं मानवशास्त्र की अध्ययन पद्धति सहभागी निरीक्षण पद्धति हैं
समाजशास्त्र व्यापक सामाजिक प्रक्रिया का अध्ययन हैं मानवशास्त्र छोटे समूह या समुदाय का अध्ययन करता है

 

मनोविज्ञान का समाजशास्त्र के साथ संबंध ( मनोविज्ञान और समाजशास्त्र ) – Sociology & Psychology

मनोविज्ञान में हम मानव व्यवहार का अध्ययन करते हैं और समाजशास्त्र में ग्रुप के व्यवहार का अध्ययन किया जाता हैं मतलब समाजशास्त्र का फोकस पुरे ग्रुप पर रहता हैं कि ग्रुप का व्यवहार क्या हैं?

समाजशास्त्र में समाज का अध्ययन किया जाता हैं और समाज में भीड़, संस्था, संघ, समुदाय का अध्ययन किया जाता हैं मतलब

भी समाज के लोगो के व्यवहार का अध्ययन करता हैं परन्तु समाजशास्त्र में पुरे ग्रुप का अध्ययन किया जा रहा हैं मनोविज्ञान का रिलेशन समाजशास्त्र के साथ बहुत गहरा है क्योकि मनोविज्ञान की एक शाखा सामाजिक मनोविज्ञान हैं

मतलब मनोविज्ञान में ग्रुप व्यवहार का भी अध्ययन किया जाता हैं परन्तु मनोविज्ञान प्रत्येक मानव के व्यवहार का अध्ययन करता है एक मनुष्य कैसा हैं? या उसका व्यक्तित्व कैसा हैं? यह मनोविज्ञान के अंदर इसके अध्ययन पर अधिक फोकस होता हैं

एक मनुष्य के अंदर उसकी मानसिक विशेषताएं, व्यक्तिगत व्यवहार, व्यक्ति, संवेगन ( इमोशन ), मनोवृति,अभिप्रेरणा ( मोटिवेशन ), प्रत्यक्ष ज्ञान, सीखना ( अधिगम ), व्यक्ति पर पड़ने वाला प्रभाव आदि का अध्ययन मनोविज्ञान में होता हैं

मनोविज्ञान की शाखा सामाजिक मनोविज्ञान में भीड़ व्यवहार, समूह गतिकी, जनमत प्रचार आदि का अध्ययन किया जाता हैं और समाजशास्त्र में समूह, संस्था, समाज पर पड़ने वाला प्रभाव, परिवर्तन आदि का अध्ययन होता हैं

मानसिक प्रक्रिया प्रत्येकक्षण व्यक्तियों की अंत:क्रियाओं और सामाजिक पर्यावरण द्वारा प्रभावित होता है मतलब मानसिक प्रक्रिया जैसे – सोचना, समझना यह समाज के पर्यावरण के द्वारा प्रभावित होती हैं

समाजशास्त्र ( Sociology ) मनोविज्ञान ( Psychology )
समाजशास्त्र समाज और सामाजिक संबंधों से हैं मतलब इसका मौलिक सम्बन्ध समाज और सामाजिक प्रक्रियाओं से हैं मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यक्ति और उसकी मानसिक प्रक्रियाओं से हैं
समाजशास्त्र की इकाई समाज या समूह है मनोविज्ञान की इकाई व्यक्ति है
समाजशास्त्र में सामाजिक व्यवहार का आधार सामाजिक सम्बन्ध और अंत:क्रियाएं होती हैं मनोविज्ञान में मनुष्य के प्रत्येक व्यवहार का आधार स्वयं मनुष्य की मानसिक विशेषताएं होती हैं
समाजशास्त्र में अध्ययन की पद्धति में प्रशनावली, अनुसूची पद्धति का उपयोग होता है मनोविज्ञान में प्रयोगात्मक, विकास सम्बन्धी पद्धति का प्रयोग होता है
समाजशास्त्र का क्षेत्र व्यापक है और समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान है मनोविज्ञान का क्षेत्र सीमित हैं और मनोविज्ञान एक विशेष ( विशिष्ट ) विज्ञान है

 

राजनीतिक विज्ञान का समाजशास्त्र के साथ संबंध ( राजनीतिक विज्ञान और समाजशास्त्र ) – Sociology & Political Science

राजनीतिक विज्ञान में हम कानून, संप्रभुता, राज्य, प्रशासन, राजनीतिक प्रक्रिया आदि का अध्ययन किया जाता है परन्तु समाजशास्त्र सामाजिक जीवन की सम्पूर्णता का अध्ययन होता है

मतलब, समाजशास्त्र पढने वाले स्टूडेंट को भी राजनीतिक विज्ञान पढ़ना होगा क्योकि हमारे समाज के अंदर का भाग राजनीतिक विज्ञान हैं परन्तु, समाजशास्त्र में सम्पूर्ण राजनीतिक विज्ञान को नहीं पढ़ा जाता हैं

समाजशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान दोनों में संघर्ष सहयोग की प्रक्रियाओं का अध्ययन होता हैं परन्तु राजनीतिक विज्ञान में हम राजनीतिक पक्ष को लेते हैं मतलब राजनीतिक विज्ञान में अधिक फोकस राजनीतिक पक्ष पर किया जाता हैं

समाजशास्त्र में अध्ययन की इकाई राजनीतिक विज्ञान की तुलना में छोटी होती हैं मतलब राजनीतिक विज्ञान में हम बड़ी चीजों का अध्ययन करते हैं क्योकि राजनीतिक विज्ञान में राज्य, सरकार, शासन तंत्र, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध का अध्ययन होता हैं

परन्तु समाजशास्त्र में जाति, फॅमिली, ग्रुप, समूह, संस्था का अध्ययन होता हैं 

समाजशास्त्र ( Sociology ) राजनीतिक विज्ञान ( Political Science )
समाजशास्त्र यह बताता है कि मनुष्य क्यों और कैसे राजनीतिक प्राणी बना हैं राजनीतिक विज्ञान मनुष्य को सामाजिक प्राणी मानकर अध्ययन करता हैं
समाजशास्त्र के अंदर राजनीतिक समाजशास्त्र एक शाखा हैं समाजशास्त्र का दृष्टिकोण समग्र ( चारो तरफ फैला ) हैं

राजनीतिक विज्ञान का दृष्टिकोण एक पक्षीय एंव विशिष्ट हैं

समाजशास्त्र का ज्ञान जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए उपयोगी हो सकता है व्यवहारिकता की दृष्टि से राजनीतिक विज्ञान का ज्ञान केवल राजनीतिक विज्ञान के लिए सिद्ध होगा
समाजशास्त्र सामाजिक नियंत्रण के समस्त साधनों का अध्ययन करता है उदहारण के लिए, प्रथा, विधान, संस्थाएं, रूढ़ियाँ | राजनीतिक विज्ञान केवल उन्ही नियंत्रण का अध्ययन करता है, जिनको राज्य द्वारा मान्यता मिली हैं उदहारण के लिए, कानून, स्वतंत्रता, राज्य |

 

इतिहास का समाजशास्त्र के साथ संबंध ( इतिहास और समाजशास्त्र ) – Sociology & History

सामाजिक इतिहास, इतिहास की एक शाखा हैं कार्ल मार्क्स ( महान समाजशास्त्री ) ने ऐतिहासिक भौतिकवाद की अवधारण को दिया जिसमे इन्होने समाज को इतिहास से जोड़ दिया

Arnold Toynbee ने अपनी बुक A Study Of History में समाज का अध्ययन किया हैं यह समाजशास्त्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण बुक हैं इतिहास में पुराने समय में समाज का अध्ययन किया जाता हैं

इतिहास और समाजशास्त्र में बहुत समानता है परन्तु यह पुरी तरह से एक नहीं है क्योकि इतिहास में वर्णानात्मक और विशिष्ट अध्ययन होता हैं मतलब चीजों का वर्णन करता है कि चीजे कैसी हैं? यह बहुत विशिष्ट होता है

मतलब यह केवल ऐतिहासिक चीजों की ही बात करता हैं कि इतिहास में समाज या कोई वस्तु कैसी थी लेकिन समाजशास्त्र में चीजों का विश्लेषणात्मक अध्ययन होता हैं

मतलब चीजों का विश्लेषण करता है कि चीजे कैसी हो रही हैं? और यह समान्य होता हैं समाजशास्त्र में परीक्षण और पुन:परीक्षण की संभावना रहती हैं परन्तु इतिहास में परीक्षण और पुन:परीक्षण एक मुश्किल काम हैं

क्योकि इतिहास में चीजे हो गई हैं वह इतिहास बन चुकी हैं उसमे कोई बदलाव नहीं हो सकता हैं समाजशास्त्र को इतिहास की प्राचीन घटनाओं के अध्ययन से सहायता ( सामग्री ) प्राप्त होती हैं

सामाजिक परिस्थितियों का भी ऐतिहासिक स्वरूपों पर भी प्रभाव पड़ता है यदि इतिहास युद्ध का वर्णन करता है तो समाजशास्त्र युद्ध को सामाजिक घटना के रूप में मानकर उसका अध्ययन करता है 

इन दोनों के संबंधों पर जी. ई. हावर्ड ( G. E Horward ) का कहना ( कथन ) है कि इतिहास अतीत का समाजशास्त्र हैं जबकि समाजशास्त्र वर्तमान समाज का इतिहास हैं 

समाजशास्त्र ( Sociology )

इतिहास ( History )
समाजशास्त्र का सम्बन्ध वर्तमान से है मतलब इसमें वर्तमान की घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता हैं इतिहास का सम्बन्ध अतीत से होता हैं क्योकि इसमें अतीत की घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता हैं
समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान हैं इतिहास एक विशेष विज्ञान हैं
समाजशास्त्र में निष्कर्षों एंव सिद्धांतों का परीक्षण, पुन:परीक्षण संभव हैं इतिहास में घटनाओं का परीक्षण, पुन:परीक्षण संभव नहीं हैं क्योकि इतिहास में होने वाली घटना को बदला नहीं जा सकता हैं
समाजशास्त्र एक अमूर्त विज्ञान हैं इतिहास मानव अनुभव और मानव प्रकृति का मूर्त विज्ञान हैं
समाजशास्त्र भविष्य की ओर संकेत करने की क्षमता रखता हैं इतिहास केवल इतिहास का निरूपण करता है
समाजशास्त्र आँकडे संग्रह करने के लिए अन्य सामाजिक पद्धतियों के साथ ऐतिहासिक पद्धति को भी एक पद्धति के रूप में अपनाता हैं इतिहास में अन्य पद्धतियों के उपयोग की संभावना नहीं की जा सकती हैं

 

दर्शनशास्त्र का समाजशास्त्र के साथ संबंध ( दर्शनशास्त्र और समाजशास्त्र ) – Sociology & Philosophy

आधुनिक दर्शनशास्त्र और समाजशास्त्र का जन्म 19वी शताब्दी में हुआ था जब यूरोप में सामाजिक उथल -पुथल चल रही थी उस दौरान, उस सामाजिक उथल -पुथल को समझाने के लिए आधुनिक दर्शनशास्त्र और समाजशास्त्र ने जन्म लिया

दर्शनशास्त्र में समाज में जो चल रहा हैं उसमे रियलटी ( वास्तविकता ) का अध्ययन किया जाता हैं उदहारण के लिए भारत में बहुत सारे अपराध हो रहे है परन्तु इन अपराधों का अध्ययन नहीं बल्कि इन अपराधों के पीछे क्या कारण ( वास्तविकता ) हैं

उसका अध्ययन करना दर्शनशास्त्र का काम होता हैं परन्तु, समाजशास्त्र में सामाजिक फैक्ट्स का अध्ययन करने के लिए, शुरुआत में दार्शनिक सिद्धांत बनाती है, उसके बाद निष्कर्ष पर पहुँचती हैं

अगस्त कॉम्टे ( समाजशास्त्री ) ने अपनी बुक “The Positive Philosophy of Auguste Comte” लिखी परन्तु, इन समाजशास्त्री ने Positive Philosophy ( पॉजिटिव दर्शनशास्त्र ) में कहा कि

समाज तीन चरणों से गुजरता हैं धार्मिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक |

Herbert Spencer ने एक सिद्धांत दिया जिसका नाम Revolutionary Theory Of Society ( समाज का क्रांतिकारी सिद्धांत ) था दुर्खीम ने कहा कि समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र को अपना सुधार करने में बहुत अधिक मदद करती हैं

मतलब समाजशास्त्र किसी भी अन्य विज्ञान की तुलना में दर्शन में अधिक योगदान देता है

सामाजिक दर्शन ( Social Philosophy ) समाजशास्त्र और दर्शनशास्त्र का मिलन बिंदु हैं और इसका सम्बन्ध सामाजिक जीवन के मौलिक सिद्धांतों और अवधारणाओं के स्वयंसिद्ध पहलुओं के अध्ययन से होता हैं

समाजशास्त्र का सम्बन्ध समाज में मनुष्यों के व्यवहार से है, क्योकि यह अक्सर अन्य लोगो में भी विद्यमान होते हैं और उनको प्रभावित करते हैं इस तरह यह व्यवहार मूल्यों ( सामाजिक दर्शन ) या आदर्शों के रूप में स्थापित हो जाता हैं 

अत: समाजशास्त्री सामाजिक व्यवहार का विश्लेषण दार्शनिक तरीके से नहीं करता, बल्कि वह मूल्यों का अध्ययन सामाजिक तथ्य के रूप में करता हैं और इनके सामाजिक व्यवहार पर जो प्रभाव पड़ता हैं

उनका विश्लेषण करता हैं उदहारण के लिए, यदि समाजशास्त्री भारतीय संस्कृति के दार्शनिक आधार से परिचित नहीं हैं तो वह भारतीय समाज का विश्लेषण एंव व्याख्या करने में सफल नहीं होगा लेकिन थोड़ी बहुत सामाजिक दर्शन की ट्रेनिंग के बाद,

समाजशास्त्री लोगो के कार्य करने के तरीके एंव स्वभाव, जो परम्पराओं में निहित हैं उनको जान जाता हैं तब उसका अध्ययन एंव विश्लेषण वास्तविक हो जाता है

निष्कर्ष – कहा जा सकता है कि एक दार्शनिक जो सामाजिक विज्ञान से परिचित हैं, एंव एक समाजशास्त्री जो दार्शनिक पक्ष को अध्ययन में सम्मिलित करता हैं

जैसा कि वीरकांत ने भी कहा है कि समाजशास्त्र की उपयोगिता तभी संभव हैं, जब वह दार्शनिक आधार को अपनाता है 

सामाजिक कार्य का समाजशास्त्र के साथ संबंध ( सामाजिक कार्य और समाजशास्त्र ) – Sociology & Social Work

सामाजिक कार्य और समाजशास्त्र में सम्बन्ध शुद्ध विज्ञान और अनुप्रयुक्त विज्ञान की तरह हैं क्योकि शुद्ध विज्ञान में सम्पूर्ण विज्ञान की बात होती हैं और अनुप्रयुक्त विज्ञान जो चीज हम अपने जीवन में लाये हैं उसके ऊपर बात होतीं है

ठीक उसी तरह, समाजशास्त्र में सम्पूर्ण समाज का अध्ययन किया जाता है लेकिन सामाजिक कार्य में हमारे द्वारा समाज में किये गए कार्यों का अध्ययन किया जाता हैं सामाजिक कार्य एक ऐसा तरिका हैं जिसे मनुष्य के जीवन को अच्छा किया जाता हैं

मतलब सामाजिक कार्यो में समाज के लोगो की मदद की जाती है मानव कल्याण के उद्देश्य से लोग सामाजिक कार्य करते हैं 20वी सदी के आरंभ में देखा गया था कि सामाजिक वैज्ञानिक, समाज किस तरह से कार्य कर रहा हैं?

इसका अध्ययन करते थें लेकिन यह सवाल उठा कि अच्छा समाज क्या होना चाहिए? परन्तु, किस तरह से एक अच्छा समाज बनाया जा सकें? इसके ऊपर अधिक ध्यान नहीं दिया गया

20वी सदी में समाज के अंदर बहुत सारे बदलाव देखने को मिले मतलब गरीब और अमीर के बीच में अंतर बढ़ता चला गया अमीर – अमीर होता चला गया और गरीब – गरीब होता चला गया

इस दौरान कुछ लोग ऐसे भी हो गए, जो इतने अधिक गरीब थे जिनके पास खाने के लिए खाना भी नहीं था इन लोगो के ऊपर एक सवाल उठा कि किस तरह से इन लोगो की स्थिति को सुधारा जा सकता है?

उदहारण के लिए, मान लेते है कि आपके पास जानकारी हैं परन्तु इस जानकारी का तब तक फायदा नही हैं जब तक इस जानकारी का आप उपयोग न करें उसी तरह, अगर कोई समस्या हैं और आपके पास उस समस्या का समाधान हैं

तो वह समाधान तब तक काम नहीं आयेगा जब तक आप उस समाधान को लागू नहीं करते हैं

इन लोगो की स्थिति को सुधारने के लिए सामाजिक कार्य ( Social Work ) सामने आया जिसके बाद, लोगो का जीवन बेहतर करने के लिए लोग सामाजिक कार्य करने लगे लेकिन कुछ भी कार्य करने के लिए,

हमे यह पता होना चाहिए कि समाज की स्थिति कैसी है? यह इनफार्मेशन हमे समाज शास्त्र के अध्ययन से मिलती हैं समाज शास्त्र में हमे समाज के बारे में इनफार्मेशन मिलता है

इसमें हमे इनफार्मेशन ( ज्ञान ) का कैसे लागू करना हैं? के बारे में पता चलता हैं समाजशास्त्र की वह शाखा जो अनुप्रयोग के क्षेत्रों पर विचार करती है, अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र कहलाती है

समाजशास्त्र और सामाजिक कार्यों के बीच में अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र आता हैं अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र में उन क्षेत्रों के बारे में इनफार्मेशन इकट्ठा किया जाता हैं जहाँ पर हम समाज से सम्बंधित इनफार्मेशन पा सकते हैं

परन्तु समाजशास्त्री खुद यहाँ कार्य नहीं करते हैं समाजशास्त्री का उन सभी चीजो पर ध्यान रहता है कि कार्य कैसे करना हैं? क्या करना हैं? परन्तु सामाजिक कार्यों को करने वाले मनुष्य सिर्फ प्लान नहीं करते है वह उस कार्य को खुद करते है

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निष्कर्ष

समाज में हर एक विज्ञान का अपना एक महत्व हैं क्योकि हर एक विज्ञान अपने विषय का विशेष रूप से अध्ययन करता हैं परन्तु, हर एक विषय को एक दुसरे की जरुरत हैं ऐसा नहीं है कि कोई एक विषय, केवल अपनी विषय वस्तु का उपयोग करेगा

किसी अन्य विज्ञान की विषय वस्तु का उपयोग करने की जरुरत उसको नहीं होगी मतलब हर एक विज्ञान एक दुसरे को मिलकर पूरा करता हैं इसीलिए हर एक विज्ञान को एक दुसरे की जरुरत हैं

लेकिन हर एक विज्ञान विशिष्ट हैं उसकी अपनी पहेचान और ख़ास विषय वस्तु होती हैं ऐसे में अगर किसी मनुष्य को किसी एक विषय पर ख़ास इनफार्मेशन चाहिए तो वह आसानी से उससे सम्बंधित विषय को चुन सकता हैं

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

लेखक – नितिन सोनी 

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