Australia Constitution in Hindi: – ऑस्ट्रेलिया संविधान क्या है? ऑस्ट्रेलिया को जानवरों का देश कहा जाता है क्योकि यहाँ मनुष्य से अधिक जानवर पाए जातें हैं दुनिया के सबसे खतरनाक सांप यहाँ पाए जातें है
यहाँ लगभग 14 प्रतिशत जनसंख्या गाँव तथा 86 प्रतिशत जनसंख्या शहर में निवास करती है ऑस्ट्रेलिया में सुंदर हरियाली का द्रश्य एंव अन्य आकर्षित पर्यटक स्थल, पर्यटकों को यहाँ घुमने-फिरने के लिए उत्साहित करते हैं
क्योकि ऑस्ट्रेलिया का लगभग 91 प्रतिशत हिस्सा हरियाली से भरा हैं ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा ( Canberra ) हैं परन्तु हमारे लिए ऑस्ट्रेलिया का संविधान एंव इतिहास को समझना अधिक महत्वपूर्ण हैं
राजनीतिक विज्ञान को पढने के दौरान हमें ऑस्ट्रेलिया संविधान को पढ़ाया जाता है जिससे सम्बंधित कुछ इस तरह के प्रश्न एग्जाम में उत्तर लिखने के लिए दिए जातें है कि
- ऑस्ट्रेलिया संघवाद पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए?
- ऑस्ट्रेलिया संविधान किसे कहतें हैं इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए?
- ऑस्ट्रेलिया विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका क्या है?
इसीलिए हमें सर्वप्रथम ऑस्ट्रेलिया संविधान का निर्माण समझना होगा जिसके लिए हमें ऑस्ट्रेलिया संविधान के इतिहास पर चर्चा करना शुरू करेंगे
ऑस्ट्रेलिया संविधान क्या है PDF संविधान सभा का निर्माण -Samvidhan Kya Hai in Hindi ( ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ).
लगभग 19वीं शताब्दी के बीच में ऑस्ट्रेलिया के समस्त छोटे-बड़े उपनिवेशों को एक संघ बनाने के लिए राजनीतिक आन्दोलन होना शुरू हो गए थें उस समय इन छोटे-बड़े उपनिवेशों में तनाव रहता था
परन्तु वर्ष 1889 में जर्मन एंव फ्रांसीसी के उपनिवेशों की प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती उपस्थिति के कारण संघीय परिषद ( ऑस्ट्रेलेशिया ) को स्थापित किया गया कुछ विषयों पर संघीय परिषद ( ऑस्ट्रेलेशिया ) के द्वारा कानून का निर्माण किया जा सकता था
यहाँ न्यू साउथ वेल्स ( ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा उपनिवेश ) संघीय परिषद ( ऑस्ट्रेलेशिया ) में शामिल नहीं था उस दौरान विभिन्न सम्मेलनों के द्वारा ऑस्ट्रेलिया संघवाद पर चर्चा किया जाता था
इन सम्मेलनों को हेनरी पार्क्स ( ऑस्ट्रेलिया के प्रभावशाली राजनेता एंव लेखक हैं ) के द्वारा बढ़ावा दिया जाता था हेनरी पार्क्स न्यू साउथ वेल्स के रहने वाले थें उस दौरान मेलबर्न ( वर्ष 1890 ) में पहला सम्मेलन तथा सिडनी ( वर्ष 1891 ) में,
दुसरा सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें उपनिवेशों के अधिकांश राजनेताओं के द्वारा भाग लिया गया था इन सम्मेलनों ( खासकर वर्ष 1891 वाला ) के कारण ऑस्ट्रेलिया संघवाद के महत्त्व पर अत्यधिक जोर दिया जाने लगा था
तथा यह विचार किया जाने लगा कि उचित प्रणाली संघीय ( केंद्र ) सरकार के लिए क्या होनी चाहिए?
उस समय वर्ष 1891 में सम्मेलन के दौरान सर्वप्रथम संविधान का मसौदा ( ड्राफ्ट ) सैमुअल ग्रिफ़िथ के मार्गदर्शन में तैयार किया गया परन्तु उसमें बैठकों को लोकप्रिय समर्थन कम मिलना तथा मसौदा में टैरिफ नीति का न होना इत्यादि समस्याएँ थी
वर्ष 1891 में उपनिवेश संसदों के सामने तैयार किए गए मसौदा ( ड्राफ्ट ) को प्रस्तुत किया गया परन्तु न्यू साउथ वेल्स में इसको समाप्त कर दिया गया था जिसके बाद उपनिवेश इस मसौदा पर आगें बढ़ने के लिए तैयार नहीं थें
एक नया सम्मेलन स्थापित करने पर ऑस्ट्रेलिया के 6 उपनिवेशों के प्रधानमंत्रियों के द्वारा वर्ष 1895 में सहमति के बाद, वह सम्मेलन ऑस्ट्रेलिया में ( वर्ष 1897-1898 तक ) चला जिसके दौरान एक नया ड्राफ्ट तैयार किया गया
इस ड्राफ्ट में अतिरिक्त प्रावधान, उत्तरदायी सरकार के लिए थें तथा सरकार के सिद्धांतों को ( वर्ष 1891 में तैयार ड्राफ्ट ) से लिया गया था यहाँ ड्राफ्ट में कुछ प्रतिनिधियों ने अधिकार विधेयक ( अमेरिका के संविधान से लेने ) को सपोर्ट किया
परन्तु ऐसा नहीं किया गया उस दौरान यह ड्राफ्ट प्रत्येक कॉलोनी के निर्वाचकों के सामने लोकप्रिय समर्थन के लिए प्रस्तुत किया गया यह प्रयास असफल रहा जिसके बाद एक संशोधित मसौदा प्रत्येक कॉलोनी के निर्वाचकों के,
सामने ( पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर ) प्रस्तुत किया गया 5 कॉलोनियों के द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद, उसे ब्रिटिश इंपीरियल संसद में भेजा गया जहाँ ड्राफ्ट को अधिनियमित करने के लिए महारानी विक्टोरिया से अनरोध किया गया
उस समय ड्राफ्ट में अंतिम परिवर्तन ( संशोधन ) इसीलिए किया गया क्योकि प्रिवी काउंसिल की न्यायिक समिति में सर्वोच्च न्यायालय से अपील करने का अधिकार बना रहना चाहिए था इस दौरान लंदन में कई उपनिवेशों के मुख्य न्यायाधीशों ने,
संशोधन करने के लिए मांग उठाई और प्रस्तावित विधेयक ( ड्राफ्ट ) पर ब्रिटिश सरकार के द्वारा आपत्ति जताई गई क्योकि –
- व्यापरियों को यह भय था कि स्थानीय हितों से ऑस्ट्रेलिया न्यायालय अनुचित रूप से प्रभावित होगा
- ब्रिटेन ( यूनाइटेड किंगडम ) चाहता था कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई स्थानीय निर्णय ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत शर्मिंदगी का कारण नहीं बनना चाहिए
- सम्पूर्ण साम्राज्य के लिए एक नया अपील न्यायालय बनाने की योजनाओं के खिलाफ प्रतिबंध था
संशोधन एंव कुछ अन्य बदलावों के बाद वर्ष 1900 में 9 जुलाई के दिन ऑस्ट्रेलिया के संविधान को शाही स्वीकृति मिलने के बाद वह अधिनियम कानून बना फिर वर्ष 1900 में 17 सितंबर के दिन संघ के वास्तविक अधिनियम की घोषणा रानी विक्टोरिया के द्वारा की गई
जिसके बाद यह वर्ष 1901 में 1 जनवरी के दिन ऑस्ट्रेलिया में प्रभावी रूप से लागू किया गया इस तरह छह ब्रिटिश उपनिवेश ( न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड, तस्मानिया, विक्टोरिया, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, साउथ ऑस्ट्रेलिया ) ने मिलकर एक राष्ट्र ( ऑस्ट्रेलिया ) बनाया
परन्तु ऑस्ट्रेलिया के लिए यह सिर्फ नाममात्र स्वतंत्रता थी क्योकि अभीतक ब्रिटेन का राज विदेश नीति जैसे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर था क्योकि उस समय ऑस्ट्रेलिया एक नया देश बना था इसीलिए ऑस्ट्रेलिया के लोगो को लगता था कि यह उनके लिए आवश्यक हैं
यह एक ऐसा समय था जब ब्रिटेन एक महासत्ता था उस दौरान ऑस्ट्रेलिया ( देश ) की सुरक्षा के लिए ब्रिटेन नेवी की आवश्यक थी लेकिन दुनिया में दुसरे विश्व युद्ध के दौरान ऑस्ट्रेलिया पर ब्रिटेन का दबदबा कम होने लगा था
ब्रिटेन की जगह अमेरिका को वर्ष 1941 के बाद से ऑस्ट्रेलिया ने अधिक महत्त्व देना शुरू किया जिसके बाद वर्ष 1986 में 3 मार्च के दिन ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन के दबदबे से पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया
ऑस्ट्रेलिया का संविधान कब लागू हुआ? ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में कितने देश है? ( Australia Samvidhan Kab Lagu Hua – Australia Mein Kitne Desh Hai )
ऑस्ट्रेलिया का संविधान वर्ष 1900 में निर्मित किया गया एक लिखित संविधान हैं जिसको वर्ष 1901 में 1 जनवरी के दिन लागू कर दिया गया था यह संविधान संसदीय शासन प्रणाली पर आधारित संवैधानिक राजतंत्र हैं
जो केंद्र सरकार एंव राज्यों के बीच संबंधों को स्थापित कर उनको नियंत्रित करता है ऑस्ट्रेलिया के संविधान का दुसरा नाम कॉमनवेल्थ ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया अधिनियम है ऑस्ट्रेलिया में लागू संविधान को बदलने के लिए,
वर्ष 1986 में ऑस्ट्रेलिया अधिनियम के द्वारा ब्रिटेन की संसद शक्ति को हटाकर, संविधान ( धारा 128 ) में संशोधन के लिए जनमत संग्रह प्रक्रिया को निर्धारित किया गया
आधिकारिक नाम – | ऑस्ट्रेलिया ( Australia ) |
ऑस्ट्रेलिया की राजधानी – | कैनबरा ( Canberra ) |
क्षेत्रफल – | 7.7 मिलियन वर्ग किलोमीटर (2,941,300 वर्ग मील) तुलना – भारत 3.2 मिलियन वर्ग किमी ) जिसमें 1.79 प्रतिशत जल क्षेत्र हैं |
धर्म – | ईसाई धर्म ( लगभग 43.9 प्रतिशत ), हिन्दू धर्म ( लगभग 2.7 प्रतिशत ), बौद्ध धर्म ( लगभग 2.4 प्रतिशत ), इस्लाम धर्म ( लगभग 3.2 प्रतिशत ), गैर-धार्मिक नागरिक ( लगभग 38.9 प्रतिशत ) तथा अन्य धर्म ( लगभग 1.7 प्रतिशत ). |
अर्थव्यवस्था – |
|
भूगोल – | यह प्रशांत महासागर एंव हिंद महासागर से घिरा देश हैं |
ऑस्ट्रेलिया में शामिल – | कुछ छ: राज्य ( क्वींसलैंड, तस्मानिया, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, न्यू साउथ वेल्स, साउथ ऑस्ट्रेलिया, विक्टोरिया ) एंव 2 मुख्य भूमि क्षेत्र ( ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र एंव उत्तरी क्षेत्र ) हैं |
ऑस्ट्रेलिया द्वीप समूह – | यह हज़ारों द्वीपों से, सबसे छोटा महाद्वीप हैं |
पापुलेशन या ऑस्ट्रेलिया जनसंख्या – | लगभग 26.66 मिलियन ( तुलना – भारत जनसंख्या लगभग 1300 मिलियन ) |
राजनीतिक प्रणाली ( व्यवस्था ) – | संसदीय प्रणाली, प्रतिनिधि लोकतंत्र, संवैधानिक राजतंत्र |
अंतर्राष्ट्रीय संगठन का हिस्सा – | संयुक्त राष्ट्र, राष्ट्रमंडल ( 56 देशों का एक संगठन ), ऑस्ट्रेलिया समूह ( Australia Group ), ऑस्ट्रेलियाई अंतर्राष्ट्रीय विकास परिषद ( ACFID ), आसियान ( दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ ), अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी ( AusAID ) इत्यादि. |
मुद्रा ( पैसा ) – | ऑस्ट्रेलियाई डॉलर ($) (AUD) |
ऑस्ट्रेलिया के संविधान की विशेषताएं क्या हैं? ( संविधान की विशेषता ) – Meaning of Constitution in Hindi.
ऑस्ट्रेलिया का संविधान देश की कानूनी एंव राजनीतिक प्रणाली का आधार हैं ऑस्ट्रेलिया के संविधान की विशेषताएँ निमंलिखित हैं जिनके बारे में हमने नीचे बताया हैं –
कानून निर्माण में जनमत संग्रह – ऑस्ट्रेलिया में कानून के निर्माण में जनमत संग्रह का उपयोग करके जनता को शामिल किया जाता है इसीलिए सरकार एंव संसद के द्वारा ऑस्ट्रेलिया में कोई कानून बनाने के लिए जनमत संग्रह के माध्यम से जनता का मत जरुरी है
शक्ति पृथक्करण – ऑस्ट्रेलिया संविधान में प्रथम 3 अध्यायों के अंतर्गत शक्तियों के पृथक्करण सिद्धांत के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया सरकार के तीनों अंगों ( न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका ) के बीच शक्तियों का विभाजन किया है
मतलब ऑस्ट्रेलिया संविधान का अध्याय 1 विधायिका, अध्याय 2 कार्यपालिका तथा अध्याय 3 न्यायपालिका को ऑस्ट्रेलिया में स्थापित करने का प्रावधान करता है इसीलिए यह संविधान जाँच एंव संतुलन प्रणाली सत्ता के संकेन्द्रण को रोकने के लिए सुनिश्चित करता है
न्यायिक समीक्षा – सरकार के कार्यों को असंवैधानिक घोषित करने का अधिकार ऑस्ट्रेलिया का संविधान, न्यायपालिका ( उच्च न्यायालय ) को देता है मतलब यह कहा जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया में केंद्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा बनाये गए कानूनों की संवैधानिकता जांच का अधिकार उच्च न्यायालय को हैं
संविधान प्रस्तावना – ऑस्ट्रेलिया संविधान में प्रस्तावना के अंतर्गत संविधान एंव क्राउन के तहत ऑस्ट्रेलिया के लोगो एकजुट होने के लिए सहमत हो गए है उसमें कहा या लिखा गया है कि
विनम्रतापूर्वक भरोसा सर्वशक्तिमान ईश्वर के आशीर्वाद पर करते हुए विक्टोरिया, क्वींसलैंड, न्यू साउथ वेल्स, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया एंव तस्मानिया के समस्त लोग, एक अविभाज्य संघीय राष्ट्रमंडल में आयरलैंड ( क्राउन ) एंव ग्रेट ब्रिटेन ( यूनाइटेड किंगडम ) एंव इनके द्वारा स्थापित किये गए संविधान के तहत एकजुट होने के लिए सहमत हैं
नोट – यहाँ पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया संविधान प्रस्तावना में ऑस्ट्रेलिया संघ में देरी से सहमत होने के कारण शामिल नहीं किया गया है
संविधान का कठोर होना – ऑस्ट्रेलिया में संविधान के संशोधन के लिए एक कठिन प्रक्रिया को अपनाया गया है यहाँ सर्वप्रथम संसद के दोनों सदनों मतलब सीनेट ( उच्च सदन ) एंव,
प्रतिनिधि सभा ( निचला सदन ) में संविधान संशोधन के लिए प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत के पास पारित किया जाता है जिसके बाद जनमत संग्रह के लिए उसको ऑस्ट्रेलिया के सभी राज्यों में स्वीकृति के लिए भेजा जाता है
यहाँ संविधान में संशोधन के लिए राज्यों की सहमति जरुरी है इसीलिए जिस संशोधन के विरुद्ध ( खिलाफ ), ऑस्ट्रेलिया के किसी राज्य के द्वारा वोट दिया जाता है ऐसी स्थिति में उस संशोधन को पास नहीं किया जाता है
संविधान का लिखित होना – भारत-रूस की तरह ऑस्ट्रेलिया का संविधान एक लिखित दस्तावेज हैं जिसको वर्ष 1900 में निर्मित किया गया था तथा सम्पूर्ण ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 1901 में 1 जनवरी के दिन लागू किया गया था
ऑस्ट्रेलिया के संविधान का दुसरा नाम कॉमनवेल्थ ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया अधिनियम है जिसके अनुसार ऑस्ट्रेलिया कई संघों से मिलकर एक राष्ट्र के रूप में उभरा तथा वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के अंतर्गत सर्वोच्च कानून ऑस्ट्रेलिया के संविधान को कहा जाता है
जिसके द्वारा ऑस्ट्रेलिया सरकार के समस्त अंगों ( न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका ) की रूपरेखा को स्थापित करके उनके कार्य एंव शक्तियों को बताया गया है तथा ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों के अधिकारों एंव शक्तियों को बताया गया है
संवैधानिक राजतंत्र का होना – ऑस्ट्रेलिया का संविधान एक संवैधानिक राजतंत्र मतलब यहाँ औपचारिक प्रमुख राजा/रानी होता है परन्तु उसके पास वास्तविक शक्तियाँ नहीं होती हैं
वहाँ गवर्नर-जनरल के द्वारा औपचारिक प्रमुख ( राष्ट्राध्यक्ष ) राजा/रानी का प्रतिनिधित्व होता है इसीलिए राजा/रानी के समस्त कार्य गवर्नर-जनरल के द्वारा किये जातें है
मौलिक अधिकारों का होना – अन्य संविधानों की तरह ऑस्ट्रेलिया का संविधान भी अपने नागरिकों को कई महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार देता है इसीलिए कानून एंव संविधान के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होती है
ऑस्ट्रेलिया के कुछ विशेष मौलिक अधिकारों में धर्म स्वतंत्रता ( धारा 116 ), प्रत्येक नागरिक ( 18 वर्ष या उससे अधिक ) को मतदान का अधिकार ( धारा 41 ), भेदभाव का निषेध होना, अभिव्यक्ति स्वतंत्रता, सूचना एंव राय के लिए स्वतंत्रता इत्यादि शामिल है
सर्वोच्च न्यायालय का होना – ऑस्ट्रेलिया संविधान का अध्याय 3, सम्पूर्ण न्यायपालिका की शक्तियों का प्रावधान करता है जिसके अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ( उच्च न्यायालय ) में न्यायिक क्ति निहित होती है
विशेषकर संविधान ( धारा 75 ) सर्वोच्च न्यायालय ( उच्च न्यायालय ) के अधिकार क्षेत्र का प्रावधान करती हैं जिसमें उन मामलों को बताया गया है जिनमे ऑस्ट्रेलिया का उच्च न्यायालय सीधे निर्णय लेता है
संविधान की व्याख्या करने एंव उन विवादों को हल करने का कार्य उच्च न्यायालय का हैं जो केंद्र एंव राज्य सरकार के बीच उत्पन्न है
ऑस्ट्रेलिया संघवाद – ऑस्ट्रेलिया एक संघीय राष्ट्र हैं जिसमें विशेष रूप से 6 उपनिवेश क्वींसलैंड, तस्मानिया, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, न्यू साउथ वेल्स, साउथ ऑस्ट्रेलिया, विक्टोरिया शामिल हैं यह इन 6 उपनिवेशों ( राज्यों ) से मिलकर बना एक संघ हैं
तथा ऑस्ट्रेलिया के संविधान अनुसार, वहाँ संघीय सरकार ( केंद्र सरकार ) एंव राज्य सरकार को स्थापित किया गया है यह शक्तियों का बंटवारा ऑस्ट्रेलिया के छ: राज्यों एंव 2 मुख्य भूमि क्षेत्र ( ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र एंव उत्तरी क्षेत्र ) के बीच करता है
सरकार का उत्तरदायित्व होना – ऑस्ट्रेलिया में संविधान के अनुसार, संसद के प्रति कार्यकारी सरकार ( वर्तमान सरकार ) जवाबदेह हैं ऑस्ट्रेलिया के संविधान मुताबिक समस्त कार्यकारी शक्तियों का उपयोग प्रधानमंत्री के द्वारा किया जाता है
ऑस्ट्रेलिया का प्रधानमंत्री, संसद के निचले सदन ( प्रतिनिधि सभा ) में अत्यधिक बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल का नेता होता है
सर्वोच्चता का गुण ( संविधान ) – ऑस्ट्रेलिया के संविधान अनुसार सविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसीलिए ऑस्ट्रेलिया में बनाए जाने वाले सरकार के सभी कार्यों एंव सभी कानूनों का ऑस्ट्रेलिया संविधान के अनुरूप होना अत्यंत जरुरी होता है
ऐसा न होने पर उनको अमान्य घोषित किया जाएगा क्योकि ऑस्ट्रेलिया में संविधान, अन्य सभी कानूनों में सर्वोच्च स्थान पर है
संविधान संशोधन – ऑस्ट्रेलिया का संविधान ( अध्याय 8 ) के अंतर्गत संविधान संशोधन का प्रावधान देता है यहाँ कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया में संविधान के संशोधन के लिए दोहरे बहुमत से जनमत संग्रह को मंजूरी मिलना आवश्यक होता है
जहाँ बहुमत राष्ट्रीय स्तर एंव अधिकांश ऑस्ट्रेलिया राज्यों में किया जाएगा तभी वह जनमत संग्रह वैध होगा
द्विसदनीय संसद होना – ऑस्ट्रेलिया के संविधान के अनुसार यहाँ द्वि-सदनीय विधायिका हैं इसीलिए यहाँ संसद के दो सदन है
- पहला – सीनेट ( उच्च सदन )
- दूसरा – प्रतिनिधि सभा ( निचला सदन )
सीनेट ( उच्च सदन ) ऑस्ट्रेलिया का प्रथम सदन है जिसके द्वारा राज्यों का प्रतिनिधित्व किया जाता है तथा प्रतिनिधि सभा ( निचला सदन ) दूसरा सदन होता है जिसके द्वारा जनसंख्या ( जनता ) का प्रतिनिधित्व किया जाता है
सीनेट में सदस्यों की कुल संख्या 76 ( जिसमें प्रत्येक स्वशासित क्षेत्र में 2 तथा प्रत्येक राज्य में 12 सदस्य ) हैं तथा प्रत्येक सदस्य का चुनाव अनुपातिक प्रणाली के माध्यम से होता है तथा प्रतिनिधि सभा में सदस्यों की कुल संख्या 151 है
विशेषरूप से यहाँ प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधियों की संख्या को निर्धारित किया जाता है
ऑस्ट्रेलिया कार्यपालिका क्या है? कार्यपालिका क्या होती है ( Karyapalika Kya Hai ) Executive.
ऑस्ट्रेलिया संविधान ( अध्याय 2 ) कार्यपालिका का प्रावधान करता है जिसके अनुसार सम्राट ( राजा ) में कार्यकारी शक्तियाँ निहित हैं परन्तु सरकार का वास्तविक मुखिया प्रधानमंत्री होता है इसीलिए प्रधानमंत्री के द्वारा सरकार, कार्यपालिका एंव,
विधायिका का नेतृत्व किया जाता है कार्यपालिका में विशेषकर गवर्नर-जनरल, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री ( मंत्रिमंडल ) इत्यादि शामिल होते है संघीय कार्यकारी परिषद के द्वारा कार्यपालिका के निर्णयों को औपचारिक रूप से मंजूरी दी जाती है
गवर्नर-जनरल – ऑस्ट्रेलिया में यह पद राजा ( सम्राट ) के प्रतिनिधि का होता है जिसको ऑस्ट्रेलिया में राजा के द्वारा तथा प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्त किया जाता है राजा का प्रतिनिधि, सम्राट की सलाह पर कार्य करता है
संघीय कार्यकारी परिषद तथा मंत्रियों की नियुक्ति करने एंव हटाने का अधिकार गवर्नर-जनरल के पास होता है यह कहा जा सकता है कि गवर्नर-जनरल के द्वारा राजा में निहित कार्यकारी शक्तियों का उपयोग किया जाता है
गवर्नर-जनरल के लिए प्रधानमंत्री एंव मंत्रिमंडल की मौजूदगी एंव सलाह पर कार्य करना जरुरी होता है गवर्नर-जनरल के कार्यों में शाही स्वकृति संसद में पारित होने वाले विधेयकों को देना, प्रधानमंत्री, राजदूतों, न्यायाधीशों एंव,
अन्य मंत्रियों को औपचारिक रूप से नियुक्त करना, रिट चुनावों के लिए जारी करना इत्यादि शामिल हैं गवर्नर-जनरल के लिए कार्यकाल अवधि संविधान में नहीं बताई गई हैं
ऑस्ट्रेलिया का प्रधानमंत्री कौन होता है?
क्योकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख व्यक्ति होता है इसीलिए राष्ट्रीय एंव अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व, देश के मुखिया प्रधानमंत्री के द्वारा किया जाता है ऑस्ट्रेलिया में प्रतिनिधि सभा ( निचला सदन ) में अत्यधिक बहुमत प्राप्त करने वाले गठबंधन या राजनीतिक दल के नेता को प्रधानमंत्री चुना जाता है
इसीलिए यह कहा जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री संसद का सदस्य होता है यह संसद के प्रति उत्तरदायी एंव जवाबदेह होता है यही कारण है कि उनके द्वारा की जाने वाली कार्यवाही ऑस्ट्रेलिया संसद की जाँच के अधीन होती है
जिससे प्रधानमंत्री एंव गवर्नर-जनरल के द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न किया जाए औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री को गवर्नर-जनरल के द्वारा नियुक्त किया जाता है तथा सरकार का संचालन प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के साथ मिलकर करता है
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को वेतन के रूप में 586,950 ऑस्ट्रेलिया डॉलर हर वर्ष मिलता है
मंत्रिमंडल – ऑस्ट्रेलिया में समस्त मंत्रिमंडल कैबिनेट का हिस्सा हैं मंत्रिमंडल में शामिल प्रत्येक मंत्री का चुनाव, प्रधानमंत्री की सलाह पर गवर्नर-जनरल के द्वारा किया जाता है मंत्रिमंडल के द्वारा सरकार के विभिन्न कार्यकारी विभागों
तथा मंत्रालयों का नेतृत्व किया जाता है नीति-निर्माण कार्य करने एंव नीति को लागू करने के लिए कैबिनेट ( मंत्रिमंडल ) जिम्मेदार होता है मंत्रिमंडल में शामिल हर मंत्री अपने अपने विभागों के द्वारा लिए गए निर्णयों के लिए जिम्मेदार होता है
ऑस्ट्रेलिया प्रधानमंत्री की शक्तियाँ एंव कार्य – कार्यपालिका का क्या कार्य है? ( कार्यपालिका के कार्य )
ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री के लिए कार्य एंव शक्तियाँ निमंलिखित हैं जिनको नीचे बताया गया है –
कार्यकारी शक्तियाँ – कैबिनेट बैठकों में प्रधानमंत्री के द्वारा अध्यक्षता की जाती है उस दौरान बैठक की प्रक्रिया एंव उसका एजेंडा तय करने का कार्य प्रधानमंत्री का होता है मंत्रिमंडल में शामिल सभी विभागों के मंत्रियों को प्रधानमंत्री के द्वारा चुना जाता है
परन्तु कैबिनेट के बिना प्रधानमंत्री स्वतंत्र रूप से नीति-निर्माण निर्णय लेने का अधिकार रखता है जिसको कैप्टन कॉल्स कहा जाता है और विदेश नीति को निर्धारित करने के कार्य में प्रधानमंत्री का अहम् रोल होता है
विधायी शक्तियाँ – विधेयक ( कानून ) को पास करने में प्रधानमंत्री का संसद में अहम् रोल होता है प्रतिनिधि सभा में, प्रधानमंत्री या उसके राजनीतिक दल के पास अत्यधिक बहुमत होने के कारण कानून को पारित करने का प्रस्ताव पास हो जाता है
लेकिन कानून के प्रस्ताव को पारित करने के लिए, सीनेट ( ऊपरी सदन ) में भी बहुमत आवश्यक होती है
ऑस्ट्रेलिया विधायिका क्या है विधायिका किसे कहते हैं? ( Vidhayika Kise Kahate Hain – Vidhayika Kya Hai )
ऑस्ट्रलिया विधायिका में संसद का प्रावधान, संविधान ( अध्याय 1 ) के अंतर्गत किया गया है यहाँ द्वि-सदनीय विधायिका होने के कारण संसद के दो सदन है प्रतिनिधियों को दोनों सदनों में सीधे मतदाताओं के द्वारा चुना जाता है
संसद के दोनों सदनों को संविधान से बराबर शक्तियाँ मिलती हैं विधेयक को पेश करने का कार्य संसद के दोनों सदनों के द्वारा किया जा सकता है लेकिन धन विधेयक का अधिकार सीनेट को नहीं हैं परन्तु अधिकतर विधेयकों को मंत्रिमंडल के द्वारा,
संसद में पेश किया जाता है जिसके बाद उसको गवर्नर-जनरल के द्वारा स्वीकृति मिलना आवश्यक होता है
- पहला – सीनेट ( उच्च सदन )
- दूसरा – प्रतिनिधि सभा ( निचला सदन )
पहला – सीनेट ( उच्च सदन )
उच्च सदन के रूप में ऑस्ट्रेलिया सीनेट को मान्यता देता है जहाँ लगभग 76 सदस्य ( प्रत्येक स्वशासित क्षेत्र में 2 तथा प्रत्येक राज्य में 12 सदस्य ) हैं जिनमे प्रत्येक सदस्य का चुनाव अनुपातिक प्रणाली के माध्यम से होता है
सीनेट ( उच्च सदन ) में प्रतिनिधियों के कार्यकाल अवधि 6 वर्ष होती है परन्तु राज्य के लगभग आधें प्रतिनिधियों के कार्यकाल 3 वर्ष में समाप्त होते है और वह दुबारा चुनाव लड़ते है क्योकि प्रतिनिधि सभा के विघटन पर क्षेत्रों के सीनेटरों का कार्यकाल समाप्त होता है
कार्यकारी सरकार ( सत्ताधारी सरकार ) के गठन में सीनेट का कोई रोल नहीं होता हैं तथा धन विधेयक को पेश करने एंव संशोधित करने का अधिकार सीनेट को प्राप्त नहीं है परन्तु सीनेट के द्वारा धन विधेयक को अस्वीकार एंव स्थागित किया जा सकता है
सीनेट में बहुमत प्राप्त करना किसी एक राजनीतिक दल के लिए बहुत कठिन कार्य हैं इसीलिए विधेयक के अस्वीकार होने की संभावना अधिक बनी रहती है
जब सीनेट ( उच्च सदन ), सदन के द्वारा पारित किये गए किसी कानून को पास करने से मना कर देता है उस स्थिति में दोहरा विघटन तंत्र का उपयोग सीनेट को भंग करने के लिए किया जाता है तथा सभी सीनेट सीटें खाली हो जाती है
दूसरा – प्रतिनिधि सभा ( निचला सदन )
ऑस्ट्रेलिया में संसद का निचला सदन प्रतिनिधि सभा को कहा जाता है जहाँ वर्तमान में लगभग 151 सदस्य हैं जिसमे प्रतिनिधियों की संख्या को निर्धारित प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है
क्योकि संविधान ( धारा ) 24 का यह कहना है कि सीनेट से तुलना करने पर ऑस्ट्रेलिया प्रतिनिधि सभा में लगभग दोगुनी संख्या में प्रतिनिधि होने चाहिए
इसका हर सदस्य ( प्रतिनिधि ) जनता ( जनसंख्या ) का प्रतिनिधित्व करता है इस सदन में जिस राजनीतिक दल या गठबंधन का अत्यधिक बहुमत होता है उसको ऑस्ट्रेलिया में सरकार बनाने का हक़ मिलता है
इसीलिए सत्ता में रहने के लिए निचले सदन का विश्वास कार्यकारी सरकार के ऊपर होना जरुरी होता है तथा निचले सदन ( प्रतिनिधि सभा ) की कार्यकाल अवधि 3 वर्ष ( अधिकतम ) होती हैं
परन्तु कार्यकाल अवधि के पूर्ण होने से पहले भी प्रतिनिधि सभा को भंग किया जा सकता है तथा प्रतिनिधि सभा के द्वारा प्रस्तावित कानून, सीनेट के द्वारा वह अस्वीकार कर दिया जाता है जिसके बाद सीनेट के द्वारा प्रस्तावित कानून के लिए दिए संशोधन,
सुझाव के साथ या उसके बिना प्रतिनिधि सभा के द्वारा उस प्रस्तावित कानून को दुबारा पारित करने पर, सीनेट के द्वारा वह दुबारा अस्वीकार कर दिया जाता है
उस स्थिति में गवर्नर-जनरल सीनेट के पास यह अधिकार होता है कि वह प्रतिनिधि सभा एंव सीनेट को एक साथ भंग कर सकता है
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निष्कर्ष
यह लेख विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया के संविधान एंव उसके इतिहास ( ऑस्ट्रेलिया संघवाद ) को समझाने के लिए शेयर किया गया है यहाँ ऑस्ट्रेलिया के संविधान की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं को एग्जाम के उद्देश्य से समझाया गया है
मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें
लेखक – नितिन सोनी
नमस्ते! मैं एनएस न्यूज़ ब्लॉग पर एक राइटर के रूप में शुरू से काम कर रहा हूँ वर्तमान समय में मुझे पॉलिटिक्स, मनोविज्ञान, न्यूज़ आर्टिकल, एजुकेशन, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट जैसे अनेक विषयों की अच्छी जानकारी हैं जिसको मैं यहाँ स्वतंत्र रूप से शेयर करता रहता हूं मेरा लेख पढने के लिए धन्यवाद! प्रिय दुबारा जरुर आयें