Constitution of Switzerland in Hindi: – स्विट्जरलैंड का संविधान क्या है? भारत से लगभग 6155 किलोमीटर दूर बसा यह देश मध्य यूरोप में स्थित हैं स्विट्जरलैंड की खूबसूरती को लेकर पूरी दुनिया में उसका बहुत नाम हैं
यह सच्चाई है कि यहाँ हर व्यक्ति हर वर्ष लगभग 43,195 डॉलर कमाता है घुमने-फिरने के उद्देश्य से यह देश बहुत अच्छा विकल्प हैं परन्तु स्विट्जरलैंड की खूबसूरती तथा ख़ास-बातों के विषय पर हम फिर कभी बताएँगे
यहाँ हम स्विट्जरलैंड के संविधान का निर्माण तथा विशेषताओं को विशेषकर राजनीतिक विज्ञान पढने वाले स्टूडेंट्स के लिए बताने वाले है क्योकि एग्जाम में स्विट्जरलैंड से सम्बंधित कुछ इस तरह के प्रश्नों को पूछ लिया जाता है कि
- स्विट्जरलैंड की व्यवस्थापिका व कार्यपालिका के संबंध में संक्षिप्त नोट लिखिए?
- स्विट्जरलैंड के संविधान की विशेषताएँ लिखिए?
- स्विट्जरलैंड का संविधान विश्व का सबसे सर्वश्रेष्ठ संविधान हैं स्विस संविधान की विशेषताओं का वर्णन करते हुए व्याख्या कीजिए?
यही कारण है कि हमें स्विट्जरलैंड विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका क्या है? इत्यादि को समझना चाहिए हम स्विट्जरलैंड का संविधान PDF के लेख में स्विट्जरलैंड संविधान का इतिहास समझते हैं
स्विट्जरलैंड का संविधान क्या है PDF? स्विट्जरलैंड का संविधान कब लागू हुआ ( Constitution of Switzerland in Hindi ) Constitution in Hindi – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि.
एक तटस्थ स्थिति यूरोप के इतिहास में स्विट्जरलैंड ने बनाई हैं वर्तमान में एक संघीय लोकतंत्र पर, स्विट्जरलैंड की संवैधानिक व्यवस्था आधारित हैं जिसका विकास पिछले कई दशकों में देखने को मिला हैं
यह सच्चाई है कि स्विट्जरलैंड को विश्व की सबसे प्रमुख राजनीतिक प्रयोगशाला कहा जाता है
क्योकि राजनीतिक विज्ञान में समस्त राजनीतिक सिद्धांतों को यूरोप के इस छोटे-से देश में प्रत्यक्ष रूप से लागू करके देखा गया हैं उदहारण के लिए, प्रत्यक्ष लोकतंत्र अपनाया गया हैं
इसीलिए हम यूरोप या अन्य बड़े देशो को छोड़कर इस छोटे देश ( स्विट्जरलैंड ) की राजनीतिक व्यवस्था को पढ़ते हैं भले ही यह यूरोप का एक छोटा-सा देश हैं परन्तु राजनीतिक विषय को पढने के दौरान,
स्विट्जरलैंड का अध्ययन बहुत अधिक गहराई से दिलजस्पी के साथ किया जाता है विशेषकर चार भागों में स्विट्जरलैंड का इतिहास समझा जा सकता हैं –
- वर्ष 1291 से 1798 तक स्विट्जरलैंड में कैंटन व्यवस्था का होना
- वर्ष 1798 से 1803 तक स्विट्जरलैंड में हैल्वेटिक प्रजातंत्र का होना
- स्विट्जरलैंड का नैपोलियन काल वर्ष 1803 से 1815 तक
- 1815 से 1848 तक संघ राज्य ( स्विट्जरलैंड )
वर्ष 1291 से 1798 तक स्विट्जरलैंड में कैंटन व्यवस्था का होना
वर्ष 1291 में 1 अगस्त के दिन ( मध्यकाल के दौरान ) स्विट्जरलैंड में कैंटन व्यवस्था को स्थापित किया गया जिसमें 3 संप्रभु राज्यों स्वेज, उरी एंव स्विट्जरलैंड ने मिलकर आस्ट्रिया के प्रभुत्व को कम करने एंव आत्मरक्षा के लिए एक स्थायी संघ बनाया था
मतलब यह एक ऐसा समय था जब इन राज्यों पर आस्ट्रिया के द्वारा आक्रमण होने का डर था कि अगर आस्ट्रिया के द्वारा हमारे ऊपर आक्रमण किये जाने पर वह हमें जीत लेगा
परन्तु संघ बनने के बाद यह तय हो गया था कि भविष्य में जब आस्ट्रिया के द्वारा स्वेज, उरी एंव स्विट्जरलैंड में से किसी पर भी आक्रमण करने का प्रयास किया जाएगा तब वह तीनों एक साथ उस स्थिति का सामना करते हुए उसका जवाब देंगे
उस दौरान यह संघ बनने के तुरंत बाद, आस्ट्रिया के राजा के द्वारा आक्रमण किये जाने पर संघ में तीनों देशो ने मिलकर आस्ट्रिया को असफल कर दिया लगभग 100 वर्षों तक शांति स्थिति बने रहने के बाद,
वर्ष 1353 में लगभग 8 देशों ने मिलकर एक स्थायी संघ ( नाम – मैत्री संघ ) बनाया तथा फ़्रांस क्रान्ति के समय वर्ष 1789 तक यह 8 देशों से 13 देशों का संघ बना इस संघ का मुख्य उद्देश्य अपने देशों को बाहरी आक्रमण से बचाना था
परन्तु कई कारणों से इन देशों में मतभेदों के कारण यह संघ नाममात्र भौगोलिक संघ ( डाईट – Diet ) बना रह गया स्विट्जरलैंड नाम 14वीं शताब्दी तक, स्थायी संघ के लिए प्रयोग किया जाने लगा
यह कारण इस प्रकार है –
- बनाये गए संघ का निर्बल होना
- संघ में शामिल समस्त देशो में विभिन्न शासन प्रणालियों का होना
- समस्त देशों में विभिन्न धार्मिक मतों के लोगो का होना
वर्ष 1798 से 1803 तक स्विट्जरलैंड में हैल्वेटिक प्रजातंत्र का होना
यह कहना गलत नहीं होगा कि लगभग 5 वर्ष का यह समय हैल्वेटिक प्रजातंत्र था ऊपर बताए कारणों को लेकर संघ में संघर्ष देखने को मिलते थें परन्तु संघ में शामिल हर देश यह जानता था कि हमारे ऊपर संघ से बाहर न होने के लिए कोई दबाब नहीं हैं
लेकिन उन सभी देशों का एक साथ संघ में रहना, उनको बाहरी आक्रमण से बचने के लिए महत्वपूर्ण था यही कारण रहा कि संघ में देशों के बीच विवादों के कारण भी वह संघ से अलग नहीं हो पाए थें
यहाँ अबतक स्थायी संघ में शामिल समस्त देश अपनी शासन व्यवस्था, धार्मिक मतों एंव अन्य कार्यों के लिए स्वतंत्र हैं
उसके बाद वर्ष 1789 ( फ्रांस क्रांति के बाद ) स्विट्जरलैंड नामक सम्पूर्ण स्थायी संघ पर नेपोलियन ( फ्रांस से था ) ने आक्रमण करके अपना अधिकार किया तथा हैल्वेटिक गणतंत्र तथा एकात्मक संविधान को स्थापित कर दिया
ऐसी स्थिति में उस स्थायी संघ में शामिल समस्त देशों ने अपनी स्वतंत्रता को खो दिया तथा एकात्मक संविधान के अनुसार यहाँ संघ में शामिल समस्त देशों को केन्द्रीय सरकार ( डाईट – Diet ) का प्रशासनिक क्षेत्र बना दिया गया
उसके बाद सम्पूर्ण देश या संघ में शासन के लिए, विधायिका के लिए दो सदनों ( ग्राण्ड कौंसिल तथा सीनेट ) को बनाया गया जिनके अनुसार संघ में शामिल सम्पूर्ण 13 देशों में शासन व्यवस्था को चलाया जाना था
उस दौरान पाँच व्यक्तियों के संगठन का निर्माण करके, उनको कार्यपालिका शक्ति दी गई विधायिका के दो सदनों ( ग्राण्ड कौंसिल तथा सीनेट ) के द्वारा उस संगठन का निर्वाचन किया जाने लगा था
यहाँ नेपोलियन के द्वारा लागू केन्द्रीय प्रशासन तथा फ्रांसीसी सत्ता आचरण स्विस जनता को बर्दाश नहीं हुआ तथा जिसके कारण संघ में शामिल समस्त देशों में जनता के द्वारा विद्रोह होने लगा इसीलिए स्विट्जरलैंड आस्ट्रिया Vs फ्रांस युद्ध में युद्ध भूमि बना
स्विट्जरलैंड का नैपोलियन काल वर्ष 1803 से 1815 तक
उस दौरान संघ की अधिकतर जनता नेपोलियन ( फ्रांस ) के खिलाफ रही ऐसी स्थिति में संघ ( स्विट्जरलैंड ) की जनता के विद्रोह के कारण वर्ष 1803 में नेपोलियन को हार स्वीकार करनी पड़ी
तथा विद्रोह शांत करने के लिए संघ से एकात्मक शासन प्रणाली को हटाकर, उसे स्वतंत्र कर दिया गया परन्तु जनता विद्रोह शांत होने के बाद मध्यस्थता अधिनियम के द्वारा नेपोलियन ने संघ ( स्विट्जरलैंड ) को एक संघात्मक राज्य बनाने का प्रयास किया
उसके बाद संघ में 6 नए कैंटन ( राज्य ) को स्थापित करके, एक सभा ( नाम – डाइट ) को केंद्र में स्थापित किया ऐसा करने के बाद संघ में 19 कैंटन( राज्य ) हो गए यह कहा जा सकता है कि लगभग 10 वर्षों तक वहाँ शांति बनी रही
उस समय वहाँ शासन व्यवस्था को सँभालने वाला व्यक्ति नेपोलियन था उसकी हार के बाद, संघ में शामिल समस्त देशों में दुबारा संघर्ष होना शुरू होने लगा तथा समस्त देशो के द्वारा नेपोलियन के बनाये संविधान की आलोचना करना शुरू कर दिया
1815 से 1848 तक संघ राज्य ( स्विट्जरलैंड )
उसके बाद वर्ष 1814 के दौरान एक नया संविधान स्विस डाइट को बनाने के लिए संघ में शामिल देशों के मित्र देशों ने कहा क्योकि जनता संविधान का विरोध कर रही थी तथा मित्र देशो का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति को शांत रखना था
तब वर्ष 1815 में वियना कांग्रेस ( यह यूरोपीय देशों का एक सम्मेलन था ) के द्वारा पेरिस समझौते के रूप में, नए संविधान को स्वीकार किया गया, नए संविधान में संघ ( स्विट्जरलैंड ) के समस्त देशों के द्वारा स्वतंत्र शासन बनाने को स्वीकार किया गया
ऐसा करके संघ ( स्विट्जरलैंड ) के लिए आन्तरिक राजनीतिक व्यवस्था तथा विदेश नीति को स्थायी रूप से वियना कांग्रेस के द्वारा निर्धारित कर दिया गया विदेश नीति के लिए संघ की केंद्र सभा ( डाइट ) को अधिक प्रभावशाली ( मजबूत ) बना दिया गया
अब तक संघ ( स्विट्जरलैंड ) में शामिल समस्त देश एक व्यवस्थित तरह से संघ में रहकर कार्य करना शुरू कर चुके हैं उसके बाद 3 अन्य सदस्यों को इस संघ में पेरिस समझौते ने जोड़ दिया जिसके बाद संघ ( स्विट्जरलैंड ) में टोटल 19 राज्य हो गए
यह 3 ऐसे राज्य थें जिनके ऊपर अधिक समय से फ्रांस ने अपना अधिकार किया था उस दौरान संघ में शामिल तीन राज्यों में अत्यधिक अलग-अलग मतों के लोग थें उन लोगो में विभिन्नता अधिक होने के कारण, उन 3 राज्यों को 6 राज्यों में बाँट दिया गया
यहाँ अब तक संघ में शामिल कुल राज्यों की संख्या 25 हो गई थी जिसमें 19 पूर्ण राज्य ( कैंटन ) तथा 6 अर्द्ध राज्य ( कैंटन) हैं उसके बाद लगभग 15 वर्षों तक ( 1815-1830 ) देश में शांति का माहोल बना रहा
परन्तु संघ ( स्विट्जरलैंड ) के संविधान से उदारवादी विचारधारा को नुकसान हो रहा था इसीलिए फ़्रांस में दुबारा वर्ष 1830 में होने वाली क्रान्ति के परिणामस्वरूप, संघ ( स्विट्जरलैंड ) में एक आन्दोलन प्रजातंत्र के सिद्धांत के आधार पर शुरू किया गया
ऐसी स्थिति में जनता के दौरान यह डिमांड होना शुरू हो गई कि हमें लोकतंत्र चाहिए यहाँ संघ ( स्विट्जरलैंड ) में होने वाले आन्दोलन का उद्देश्य संघ ( स्विट्जरलैंड ) के संविधान में संशोधन ( बदलाव ) लाना था
उस समय जब देशों तथा कैंटनो में विवाद होना शुरू हो गया तब वर्ष 1845 में उन सभी कैंटनो ने अपना अलग संघ बनाया जहाँ कैथोलिक बहुमत वाले लोग थें ऐसा करने से संघ ( स्विट्जरलैंड ) में गृहयुद्ध होने लगी
परन्तु कैथोलिक लोगो की रुढिवादिता को मात्र एक महीने में जड़ से खत्म करके राष्ट्रीय एकता के आन्दोलन को सफलता मिली उसके बाद लोगो के द्वारा लोकतंत्र की डिमांड को लेकर वर्ष 1848 में डाइट के द्वारा बनाया
तथा जनमत – संग्रह के द्वारा नए संविधान को स्वीकार किया गया उसके बाद से वर्ष 1848 में बना संविधान स्विट्जरलैंड में लागू किया गया यह संविधान स्विट्जरलैंड मे आजतक है
इस संविधान का सबसे महत्वपूर्ण ( मुख्य ) संशोधन ( बदलाव ), वर्ष 1874 मे होने वाला संशोधन माना जाता है
आधिकारिक नाम – | स्विस परिसंघ या स्विस संघ ( Swiss Confederation or Swiss Confederation ) |
स्विट्जरलैंड की राजधानी – | बर्न ( Burn ) |
क्षेत्रफल – | 0.041 मिलियन वर्ग किलोमीटर ( 15,940 वर्ग मील ) तुलना – भारत 3.2 मिलियन वर्ग किमी, जिसमें 4.34 प्रतिशत जल क्षेत्र हैं |
धर्म – | ईसाई धर्म ( लगभग 56.0 प्रतिशत, जिसमें 30.7% कैथोलिक, 19.5% प्रोटेस्टेंट एंव 5.8% अन्य ईसाई हैं ), गैर-धार्मिक नागरिक ( लगभग 35.6 प्रतिशत ), इस्लाम धर्म ( लगभग 5.9 प्रतिशत ) तथा अन्य धर्म ( लगभग 1.6 प्रतिशत ). |
अर्थव्यवस्था – |
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भूगोल – | यह मध्य यूरोप में है |
स्विट्जरलैंड में शामिल – |
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स्विट्जरलैंड द्वीप समूह – | एक स्थलरुद्ध देश ( कोई द्वीप नहीं ) |
पापुलेशन या जनसंख्या – | लगभग 8.9 मिलियन ( तुलना – भारत जनसंख्या लगभग 1300 मिलियन ) |
राजनीतिक प्रणाली ( व्यवस्था ) – | संघीय गणराज्य, प्रत्यक्ष लोकतंत्र, निर्देशकीय प्रणाली |
अंतर्राष्ट्रीय संगठन का हिस्सा – | विश्व व्यापार संगठन ( WTO ), यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ ( EFTA ), यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन ( OSCE ), अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एंव विकास बैंक ( IBRD ), आर्थिक सहयोग एंव विकास संगठन ( OECD ), यूरोप परिषद, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ( IAEA ), संयुक्त राष्ट्र इत्यादि. |
मुद्रा ( पैसा ) – | स्विस फ़्रैंक ( CHF ) |
स्विट्जरलैंड के संविधान की विशेषताएं क्या हैं? ( संविधान की विशेषता ) – Meaning of Constitution in Hindi.
स्विट्जरलैंड के संविधान को अच्छे से समझने पर हमारे अंदर तुलनात्मक राजनीति में तुलना करना की क्षमता बढ़ जाती है इसीलिए स्विट्जरलैंड संविधान के लिए कुछ मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का होना – स्विट्जरलैंड का संविधान स्विट्जरलैंड को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाता है क्योकि यहाँ किसी एक विशेष धर्म को विशेष बढ़ावा या सुविधा नहीं दिया गया है
उदहारण के लिए, स्विट्जरलैंड का संविधान ( अनुच्छेद 49 ) में प्रत्येक नागरिक को पूजा एंव धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार तथा संविधान ( अनुच्छेद 27 ) में प्रत्येक नागरिक को प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार दिया गया है
लिखित एंव निर्मित संविधान होना – स्विट्जरलैंड के पास वर्ष 1848 में लगभग 14 लोगो के संसदीय आयोग के द्वारा बनाया या निर्मित किया गया एक लिखित संविधान हैं जिसको जनता के जनमत – संग्रह के द्वारा स्वीकार किया गया हैं
स्विट्जरलैंड के इस संविधान में 123 धाराओं को 3 अध्यायों में बांटा गया है
कानून निर्माण – स्विट्जरलैंड में नागरिकों के द्वारा जन समारोह के माध्यम से कानूनों के निर्माण किया जाता हैं क्योकि वहाँ लोकमत का बहुत अधिक महत्त्व होता हैं इसीलिए स्विट्जरलैंड में लोग काफी हद तक राजनीति से जुड़े होते हैं
संविधान का कठोर होना – स्विट्जरलैंड के संविधान की संशोधन प्रक्रिया कठिन होती हैं मतलब संविधान में किसी साधारण कानून को आसानी से बनाया जा सकता है लेकिन संविधान में संशोधन करना, भारत के संविधान की संशोधन प्रक्रिया से बहुत कठिन हैं
क्योकि इस संविधान प्रक्रिया में केंटो ( राज्यों ) एंव जनमत-संग्रह के माध्यम से जनता को सीधे जोड़ा जाता है किसी केंटन या संघीय संसद के द्वारा संविधान संशोधन का प्रस्ताव लाया जाता है
उसके बाद जनमत संग्रह के दौरान हाँ/नहीं में हर मातदाता को अपना वोट देना होता है, उसके बाद केंटो में शामिल 50 प्रतिशत से अधिक राज्यों द्वारा संशोधन को स्वीकार किया जाना जरुरी होता है
विविधता में एकता का होना – स्विट्जरलैंड के इतिहास को पढने पर हमें पता चल जाता है कि स्विट्जरलैंड कई राज्यों से मिलकर बना है जहाँ अलग-अलग जाति एंव धर्म के लोग पाए जाते है
परन्तु स्विट्जरलैंड के नागरिकों में धार्मिक भिन्नता के बाद भी राष्ट्रीयता की भावना सर्वोच्च रूप से देखने को मिलती है रिसर्च के अनुसार स्विट्जरलैंड में ईसाई धर्म ( लगभग 56.0 प्रतिशत, जिसमें 30.7% कैथोलिक, 19.5% प्रोटेस्टेंट एंव 5.8% अन्य ईसाई हैं ),
गैर-धार्मिक नागरिक ( लगभग 35.6 प्रतिशत ), इस्लाम धर्म ( लगभग 5.9 प्रतिशत ) तथा अन्य धर्म ( लगभग 1.6 प्रतिशत ) हैं
परन्तु स्विट्जरलैंड के लोगो में एक दुसरे के प्रति धार्मिक सम्मान को अत्यधिक गहराई के साथ अपनाया है कि इस धार्मिक विभिन्नता ने स्विट्जरलैंड के लोगो को एक दुसरे से दूर करने की जगह उनकी एकता को मजबूत बनाया है
संविधान का गणतंत्रीय होना – क्योकि स्विट्जरलैंड का प्रमुख जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है यही कारण है कि स्विट्जरलैंड का संविधान गणतंत्रीय हैं यूरोप का यह एक ऐसा देश हैं जहाँ प्राचीनकाल में भी राजतंत्र का उदय नहीं था
वहाँ पर प्राचीनकाल से संघीय एंव कैंटो सरकारों के द्वारा गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली को चुना गया हैं मतलब यह राज्य एंव केंद्र दोनों स्तरों पर गणतंत्र होता है
स्थायी तटस्थ होना – अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में जहाँ विभिन्न देश एक दुसरे का विरोध कर रहे है वहाँ स्विट्जरलैंड ने स्थायी तटस्थ स्थिति को अपनाकर अशांति की स्थिति में शांति की स्थिति को प्राप्त किया गया है
वर्ष 1815 में वियना कांग्रेस ( यह यूरोपीय देशों का एक सम्मेलन था ) के द्वारा स्विट्जरलैंड की स्थायी तटस्थता को मान्यता दी गई थीं इसीलिए प्रथम एंव द्वितीय वर्ड वॉर के दौरान अधिकतर देशो के बिज़नसमैंनों के द्वारा,
युद्ध में दिलजस्पी न रखने के कारण स्विट्जरलैंड जाना शुरू कर दिया क्योकि वहाँ पर वह अच्छे से शांतिपूर्ण अपना व्यापार कर सकतें थें यही कारण रहा कि स्विट्जरलैंड एक महँगा देश बना
मूल ( मौलिक ) अधिकार का होना – स्विट्जरलैंड का संविधान, जनता ( स्विट्जरलैंड के नागरिकों ) के लिए मौलिक अधिकार देता हैं जिसमें धर्म स्वतंत्रता, अपनी इच्छानुसार स्थान पर निवास करने की स्वतंत्रता, जीवन का अधिकार,
स्वतंत्र समुदाय बनाने का अधिकार, समानता का अधिकार, विधि के समक्ष समानता का अधिकार, प्रकाशन तथा प्रेस स्वतंत्रता, अपनी इच्छानुसार व्यवसाय करने का अधिकार, वोट देने का अधिकार, प्राथमिक शिक्षा नि:शुल्क प्राप्त करने का अधिकार,
सामाजिक एंव सांस्कृतिक मामलों में भाग लेने का अधिकार इत्यादि अधिकार शामिल हैं
संघवाद का होना – कुछ राज्यों ने मिलकर एक संघ का निर्माण किया है जिसको स्विट्जरलैंड कहा जाता है ऐसी स्थिति में स्विट्जरलैंड के संविधान के द्वारा संघ ( केंद्र सरकार ) एंव राज्यों ( राज्य सरकार ) दोनों में शक्तियो का विभाजन किया गया है
वर्तमान में स्विट्जरलैंड के अंतर्गत कुल राज्यों की संख्या 25 हैं जिसमें 19 पूर्ण राज्य ( कैंटन ) तथा 6 अर्द्ध राज्य ( कैंटन) हैं
न्यायपालिका का प्रशासनिक कानून पर आधारित होना – स्विट्जरलैंड का संविधान सामान्य जनता एंव प्रशासनिक कर्मचारियों ( कार्यकारी अधिकारी ) के लिए अलग अलग न्यायालय स्थापित करता है
अध्यक्षात्मक तथा संसदात्मक शासन प्रणाली का होना – यह सच्चाई है कि स्विट्जरलैंड के संविधान में हमें संसदीय ( मंत्रिमंडल होना ) एंव अध्यक्षात्मक ( राष्ट्रपति का चुनाव होना ) दोनों शासन प्रणालियों के लक्षण देखने को मिल जाते है
क्योकि स्विट्जरलैंड के मंत्रिमंडल का अध्यक्ष, स्विट्जरलैंड का राष्ट्रपति होता है लेकिन स्विट्जरलैंड के मंत्रिमंडल में उपस्थित सदस्य व्यवस्थापिका ( विधायिका ) के सदस्य नहीं होते हैं
परन्तु उनको, व्यवस्थापिका ( विधायिका ) के द्वारा चुना जाता हैं स्विट्जरलैंड के मंत्रिमंडल का कार्य अवधि 4 वर्ष होती है
बहुल कार्यपालिका का होना – स्विट्जरलैंड में कार्यपालिका की शक्तियाँ किसी एक व्यक्ति के पास न होकर, 7 सदस्यों में एक सामान रूप से विभाजित होती हैं यह 7 सदस्य मिलकार संघीय परिषद् का निर्माण करते हैं
तथा हर 7 सदस्यों में से एक-एक करके सबको एक-एक वर्ष अवधि के लिए मंत्रिमंडल का नाममात्र अध्यक्ष बनाया जाता हैं 7 सदस्यों में एक अध्यक्ष का चुनाव अन्य 6 सदस्यों के द्वारा किया जाता है
प्रत्यक्ष लोकतंत्र का होना – दुनिया के समस्त देशों में जनसंख्या अत्यधिक होने के कारण प्रत्यक्ष लोकतंत्र ( Direct Democracy ) को अपनाना पूरी तरह असंभव हैं लेकिन स्विट्जरलैंड दुनिया में एक मात्र ऐसा देश हैं
जहाँ केंद्र एंव राज्य दोनों सरकारों के द्वारा प्रत्यक्ष लोकतंत्र प्रणाली को जनमत-संग्रह, पहल के माध्यम से सफलतापूर्वक अपनाया है इसीलिए भारत, अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन इत्यादि जैसे बड़ें देशों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र का होना असंभव हैं
स्विट्जरलैंड प्रत्यक्ष लोकतंत्र क्या है? स्विट्जरलैंड प्रत्यक्ष लोकतंत्र किसे कहते हैं? ( Direct Democracy ).
एकमात्र स्विट्जरलैंड वह देश हैं जहाँ जनता के बीच प्रत्यक्ष लोकतंत्र को सफलतापूर्वक अपनाया गया हैंक्योकि स्विट्जरलैंड में जनमत-संग्रह एंव नागरिक पहल के द्वारा नागरिकों को नियमित रूप से प्रशासन एंव सरकार में भाग लेने का अधिकार होता है
संविधान में संशोधन करने एंव नया कानून बनाने के लिए स्विट्जरलैंड में जनता, जनमत-संग्रह एंव नागरिक पहल के द्वारा सीधे सरकार पर दबाब बना सकती है
प्रत्यक्ष लोकतंत्र – प्रत्यक्ष लोकतंत्र में देश के नागरिकों को प्रशासन एंव सरकार में भाग लेने तथा कानूनों एंव नीतियों पर सीधा प्रभाव डालने का महत्वपूर्ण अधिकार दिया जाता है परन्तु स्विट्जरलैंड अन्य लोकतंत्र स्थापित देशो से अलग है
क्योकि यहाँ प्रत्यक्ष लोकतंत्र के साथ-साथ प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र भी देखने के लिए मिल जाता है स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्रको कुछ पॉइंट्स के माध्यम से समझा जा सकता है
- जनमत-संग्रह ( Referendum )
- समाधान का वैकल्पिक प्रस्ताव होना
- नागरिक पहल ( Citizen Initiative )
- जनता से परमर्श करना
- स्थानीय स्वायत्तता ( प्रत्यक्ष लोकतंत्र ) का होना
जनमत-संग्रह – स्विट्जरलैंड के संविधान में जनमत-संग्रह का वर्णन करने के साथ-साथ विधायिका के द्वारा उसके ऊपर कानून बना दिया गया हैं यही कारण है कि स्विट्जरलैंड के नागरिक जनमत-संग्रह की माँग, किसी नए कानून के बनने पर कर सकतें है
परन्तु ऐसा करने के लिए स्विट्जरलैंड में लगभग 50 हजार नागरिकों के हस्ताक्षर जरुरी है जिसके बाद स्विट्जरलैंड के नागरिकों की माँग के अनुसार कानून को हटाने के लिए, उसको सार्वजानिक मतदान ( वोट ) के लिए,
स्विट्जरलैंड की जनता के बीच प्रस्तुत करते है उस दौरान अगर सार्वजानिक मतदान में,, कानून हटाने के पक्ष में अधिक बहुमत प्राप्त हो जाती है उस स्थिति में कानून को तुरंत हटा ( रद्द ) कर दिया जाता है
समाधान का वैकल्पिक प्रस्ताव होना – स्विट्जरलैंड में कई बार ऐसी स्थिति देखने को मिलती है जब स्विट्जरलैंड के नागरिकों के द्वारा नागरिक पहल के माध्यम से लाए प्रस्ताव पर सहमति बनने में कठिनाई होती है
उस दौरान समाधान के लिए एक वैकल्पिक प्रस्ताव संसद अपनी तरफ से प्रकट कर सकती है जिसके बाद उन दोनों वैकल्पिक प्रस्तावों को जनता के सामने, जनमत संग्रह के द्वारा रखा जाता है
नागरिक पहल – स्विट्जरलैंड में यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण शब्द होता है जिसके द्वारा, संविधान में संशोधन के लिए स्विट्जरलैंड के नागरिक प्रस्ताव ( आवेदन ), नागरिक पहल पर लगभग 1 लाख नागरिकों के हस्ताक्षर के साथ रख सकतें हैं
ऐसा करने के बाद सरकार के द्वारा, यह प्रस्ताव स्विट्जरलैंड की जनता के बीच, राष्ट्रीय जनमत-संग्रह के माध्यम से लाया जाएगा तथा संविधान संशोधन के पक्ष में अधिक बहुमत मिलने पर संविधान में संशोधन प्रक्रिया को आगे बढाया जाएगा
जनता से परमर्श करना – स्विट्जरलैंड में सरकार के द्वारा, संगठनों एंव स्विट्जरलैंड के नागरिकों से बड़े निर्णयों एंव कानूनों के निर्माण में परामर्श किया जाता है सरकार के द्वारा स्विट्जरलैंड में विचार-विमर्श करके,
स्विट्जरलैंड के नागरिकों की व्यापक भागीदारी को नीति-निर्माण प्रक्रिया में सुनिश्चित किया जाता है
स्थानीय स्वायत्तता ( प्रत्यक्ष लोकतंत्र ) – स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र को केंद्र स्तर, राज्य स्तर एंव स्थानीय स्तर ( नगर पालिकाओं ) के द्वारा भी अपनाया गया है मतलब यह कहा जा सकता है कि स्विट्जरलैंड के नागरिक के द्वारा,
विकास योजनाओं पर अपना पक्ष ( राय ) तथा अपने क्षेत्रीय मुद्दों पर स्विट्जरलैंड का नागरिक सीधा मतदान कर सकता है
यही कारण है कि स्विट्जरलैंड देश में नागरिकों के द्वारा सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बल्कि स्थानीय एंव राज्य स्तर पर भी जनमत-संग्रह एंव नागरिक पहल का उपयोग किया जा सकता है
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र के लाभ ( गुण ) – महत्त्व
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र के कारण यहाँ बहुमत से मिलने वाली राय को प्राथमिकता दी जाती है इसीलिए यहाँ जनसमर्थन ( जनता के समर्थन ) के अनुसार निर्णयों को लिया जाता है जिसके कारण स्विट्जरलैंड समाज में संतुलन एंव स्थिरता बनी रहती है
- स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र के अंतर्गत नागरिकों को कानून एंव नीति निर्माण तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया में सीधे भाग लेने का अधिकार प्राप्त होता है यह स्थिति स्विट्जरलैंड के नागरिकों में स्विट्जरलैंड के प्रति जिम्मेदारी एंव जागरूकता को बढ़ावा देती है
- स्विट्जरलैंड में अंतिम निर्णय जनता के बहुमत का होने से राजनीतिक दलों का प्रभाव कम होता है
- स्विट्जरलैंड में सरकार, स्विट्जरलैंड की जनता के प्रति जवाबदेही होती है इसीलिए सरकार को जनता के सामने अपने निर्णयों को स्पष्ट करना होता है
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र के हानि ( दोष )
- अंतिम निर्णय जनता के पास हैं तब यहाँ स्विट्जरलैंड में विधायिका में लापरवाह की स्थिति तथा उत्तरदायित्व की भावना में निर्बलता देखने को मिलती हैं
- कई बार विधेयकों पर निर्णय लेना अधिक जटिल होने के कारण जनता के द्वारा यह कार्य योग्य स्थिति में नहीं रहता है मतलब ऐसी स्थिति के अंतर्गत इस शक्ति ( अधिकार ) का उपयोग जनता के द्वारा सही से नहीं हो सकता है
- स्विट्जरलैंड में जनमत संग्रह के दौरान सिर्फ हाँ/नहीं होता है परन्तु अगर नागरिक प्रस्ताव के सिर्फ कुछ हिस्से से सहमत नहीं हैं तब भी उनको वह प्रस्ताव पूरी तरह से स्वीकार या अस्वीकार करना होता है
- क्योकि कानून निर्माण में अंतिम निर्णय जनता के पास होता है इसीलिए स्विट्जरलैंड विधायिका के सम्मान तथा नागरिकों के द्वारा विधायिका का सदस्य बनने की इच्छा में कमी देखने को मिलती हैं
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FAQ
स्विट्जरलैंड के संविधान की क्या विशेषताएं हैं?
स्विट्जरलैंड के संविधान में हमें संसदीय ( मंत्रिमंडल होना ) एंव अध्यक्षात्मक ( राष्ट्रपति का चुनाव होना ) दोनों शासन प्रणालियों के लक्षण देखने को मिल जाते है क्योकि स्विट्जरलैंड के मंत्रिमंडल का अध्यक्ष, स्विट्जरलैंड का राष्ट्रपति होता है
लेकिन स्विट्जरलैंड के मंत्रिमंडल में उपस्थित सदस्य व्यवस्थापिका ( विधायिका ) के सदस्य नहीं होते परन्तु उनको, व्यवस्थापिका ( विधायिका ) के द्वारा चुना जाता हैं
स्विट्जरलैंड का संविधान किसने लिखा था?
वर्ष 1848 में लगभग 14 लोगो के संसदीय आयोग के द्वारा स्विट्जरलैंड का संविधान निर्मित एंव लिखा गया हैं जिसको जनता के जनमत – संग्रह द्वारा स्वीकार किया गया हैं स्विट्जरलैंड के इस संविधान में 123 धाराओं को 3 अध्यायों में बांटा गया है
निष्कर्ष
यह लेख विशेषकर स्विट्जरलैंड का संविधान हमें विस्तार से समझाता है राजनीतिक विज्ञान में स्विट्जरलैंड के संविधान का एक अलग महत्व हैं क्योकि स्विट्जरलैंड के इतिहास मे राजनीतिक सिद्धांतों को प्रत्यक्ष रूप से लागू करके देखा गया है
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लेखक – नितिन सोनी
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