समाज मनोविज्ञान का स्वरूप, परिभाषाएं, कार्य-क्षेत्र ( 2025 ) Social Psychology in Hindi

Social Psychology in Hindi: – समाज मनोविज्ञान का स्वरूप समझने के लिए हमारा मनोविज्ञान को समझना महत्वपूर्ण होता है परन्तु समाज मनोविज्ञान बीए सेकंड समेस्टर के स्टूडेंट्स के लिए बहुत ख़ास होता है

समाज मनोविज्ञान के विषय में अक्सर स्टूडेंट्स को एग्जाम में कुछ इस तरह के सवालों का सामना करना पड़ता है –

  • सामाजिक मनोविज्ञान का अर्थ तथा प्रकृति का वर्णन करें?
  • सामाजिक मनोविज्ञान के प्रकृति का वर्णन करें?
  • समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए? सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विधियों का वर्णन कीजिए?

अधिकतर एग्जाम में समाज मनोविज्ञान से सम्बंधित क्वेश्चन को दीर्ध क्वेश्चन में पूछा जाता हैं इसीलिए इस सवाल का सही और अच्छा उत्तर लिखने के लिए हमारा यह लेख बहुत उपयोगी हैं

समाज मनोविज्ञान का स्वरूप, परिभाषाएं, कार्य-क्षेत्र ( 2025 ) Social Psychology in Hindi

समाज मनोविज्ञान में हम मनुष्य के सामाजिक व्यवहार का अध्ययन करते है इसको विस्तार में समझने के लिए हमे यह जानना होगा कि सामाजिक मनोविज्ञान क्या हैं? ( Samajik Manovigyan Kya Hai ).

समाज मनोविज्ञान का स्वरूप? समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दें? Definition of Social Psychology.

Table of Contents

सामाजिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध समाज के साथ होता हैं क्योकि समाज मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का वह भाग हैं जिसमे मनुष्य के द्वारा की जाने वाली सभी अंत:क्रियाओं का अध्ययन किया जाता हैं

सामाजिक स्थिति, मनुष्य की सामाजिक अंत: क्रिया, सामाजिक व्यवहार और सामाजिक समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन समाज मनोविज्ञान में होता हैं

समाज मनोविज्ञान की स्थापना का सबसे मुख्य कारण मनुष्य के सामाजिक व्यवहार को समझना था मनुष्य के सामाजिक व्यवहार को समझने का प्रयास आदिकाल से किया जा रहा था

परन्तु मनुष्य के व्यवहार को समझने का वैज्ञानिक अध्ययन 20वी शताब्दी से शुरू हुआ सामाजिक मनोविज्ञान के विकास का श्रय किसी एक मनोवैज्ञानिक को नहीं दिया जा सकता है

क्योकि सामाजिक मनोविज्ञान के विकास और स्थापना में अलग अलग मनोवैज्ञानिक ( विद्वानों ) ने अपना-अपना योगदान दिया है

प्लेटो ( 427-347 ई ) – मनुष्य का व्यवहार उसकी सामाजिक परिस्थितियों का परिणाम होता है

अरस्तु ( 384-323 ई ) – व्यक्ति में जन्मजात मूल प्रवृत्तियां होती है जिन्हें परिवर्तित नहीं किया जा सकता है

इन दोनों महान वैज्ञानिकों ( विद्वानों ) का सामाजिक मनोविज्ञान के लिए यह मत 17वी शताब्दी तक बहुत प्रभावशील रहा था लेकिन 17वी शताब्दी के प्रारंभ होने तक उनके इन मतों का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगा

17वी शताब्दी के विचारक ( थॉमस हॉब्स ) का कहना था कि मनुष्य एक स्वार्थ केन्द्रित प्राणी है वह अपने लक्ष्यों को पाने के लिए ही प्रयत्नशील रहता हैं

परन्तु 17वी शताब्दी के दुसरे विचारक ( रूसों ) थॉमस हॉब्स की बातों से सहमत नहीं थें उन्होंने अपना मत दिया कि मनुष्य स्वार्थी नहीं है अपितु परोपकारी है उसका व्यवहार अच्छा हो या खाराब, सामाजिक दशाओं का परिणाम होता हैं 

जर्मनी के महान विचारक ( हीगल ) ने भी व्यक्ति के व्यवहार को उसकी सामाजिक पृष्ठभूमि के सम्बन्ध में समझने का प्रयास किया

कामटे ( समाजशास्त्र के जनक ) – समाज मनोविज्ञान की उत्पत्ति समाजशास्त्र और नैतिकता से हुई है कामटे के कथन का समाज मनोविज्ञान पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा था

सामाजिक मनोविज्ञान का अध्ययन-विस्तार मैग्डूगल ( मनोवैज्ञानिक ) की बुक Introduction of Social Psychology. ( समाज मनोविज्ञान का परिचय बुक – 1908ई ) से माना जाता हैं

मैग्डूगल ( मनोवैज्ञानिक ) का कथन था कि समाज मनोविज्ञान जीवित वस्तुओं के व्यवहार का विधायक विज्ञान हैं 

किम्बल यंग ( 1960ई ) – समाज मनोविज्ञान व्यक्तियों की पारस्परिक प्रतिक्रिया और इसमें प्रभावित व्यक्ति के विचारों, भावनाओं के संवेगों और आदतों का अध्ययन होता है

शेरिफ और शेरिफ ( 1960 ) – समाज मनोविज्ञान व्यक्ति के व्यवहार एंव अनुभवों का सामाजिक उत्तेजक स्थिति के सम्बन्ध में वैज्ञानिक अध्ययन हैं

समाज मनोविज्ञान की परिभाषाएं? ( Samaj Manovigyan Ki Paribhasha ) – Social Psychology Definition.

समाज मनोविज्ञान की कुछ परिभाषाओं ( Define Social Psychology ) को इस प्रकार बताया गया है –

सामाजिक मनोविज्ञान उन दशाओं को जानने का प्रयास करता है जिनके कारण किसी व्यक्ति का व्यवहार तथा स्वृत्तियां अन्य लोगो के व्यवहार तथा स्वृत्तियों से प्रभावित होती है – स्प्रॉट

सामाजिक मनोविज्ञान लोगो के बीच होने वाली अंत: क्रिया और इस अंत: क्रिया का व्यक्ति के विचारों, भावों, संवेगों तथा आदतों पर पढने वाले प्रभाव का अध्ययन है – किम्बल यंग 

सामाजिक मनोविज्ञान अंत: क्रियाओं का विज्ञान हैं – कुप्पूस्वामी 

इनका मानना है कि सामाजिक मनोविज्ञान को ज्ञान की एक ऐसी शाखा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमे सामाजिक परिस्थिति में लोगो के बीच होने वाली अंत:क्रिया और उन अंत:क्रियाओं से उत्पन्न संबंधों का अध्ययन किया जा सकता है

सामाजिक मनोविज्ञान को एक ऐसे विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमे वैयक्तिक सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करने वाले व्यक्तिगत एंव परिस्थितिजन्य कारकों का अध्ययन किया जा सकता है – शेवर 

What is a Social Psychologist? ( Psychological Social Psychology )

किसी मनुष्य के ऊपर समाज में स्थित मनुष्यों के व्यवहारों, भावनाओं एंव विचारों का प्रभाव किस तरह से पड़ता हैं इसका अध्ययन एक सामाजिक मनोवैज्ञानिक करता हैं सामाजिक मनोवैज्ञानिक को अग्रेजी में Social Psychologist कहा जाता है

समाज मनोविज्ञान के क्षेत्र का वर्णन करें? Scope of Social Psychology – Social Psychology in Hindi.

मनोविज्ञान के समाज मनोविज्ञान में सामाजिक व्यवहार के अनेक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है मनुष्य के द्वारा सामाजिक परिस्थितियों में किये जाने वाला व्यवहार सामाजिक व्यवहार कहलाता है

यह सभी पहलु मिलकर सामाजिक मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र का निर्माण करते हैं समाज मनोविज्ञान के कुछ पहलुओं के बारे में बताया गया है क्योकि समाज मनोविज्ञान विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करता है

मनोवृत्ति ( Attitude ) – समाज मनोविज्ञान में मनोवृत्ति का अर्थ मनुष्य की मनोदशा से होता है व्यक्ति की किसी समाज, वस्तु, संस्था या व्यक्ति के प्रति जो मनोदशा होती है उसको हम मनोवृत्ति कहते हैं यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकती है

मनोवृत्ति समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र का विशेष अंग है जिसमे तीन तत्वों का एक संगठन पाया जाता है इन तीनो तत्वों को मिलाकर “ABC” मोडल कहा जाता है 

  • संवेगात्मक तत्व ( Affective Component ) 
  • व्यवहारपरक तत्व ( Behavioural Component ) 
  • संज्ञानात्मक तत्व ( Congnitive Component ) 

मनोवृत्ति के तीन अलग अलग पहलू भी होते हैं

  • मनोवृत्ति में परिवर्तन ( Change in Attitude )
  • मनोवृत्ति का निर्माण ( Formation Of Attitude )
  • मनोवृत्ति का मापन ( Measurement Of Attitude )

पूर्वग्रह तथा विभेद ( Prejudice and Discrimination ) – पूर्वग्रह तथा विभेद आधुनिक समाज मनोवैज्ञानिकों का एक महत्वपूर्ण कार्य क्षेत्र बन गया है

पूर्वग्रह एक ऐसी मनोवृत्ति है जो किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति प्रतिकूल या अनुकूल विचारों पर आधारित होती है लेकिन विभेद में व्यक्ति दुसरे व्यक्ति या वस्तु के प्रति वैरपूर्ण ढंग से व्यवहार करता है इसीलिए विभेद एक प्रकार का नकारात्मक व्यवहार होता है

सामाजिक प्रत्यक्षण ( Social Perception ) – दुसरे व्यक्तियों की प्रेरणाओं, इच्छाओं, मनोवृत्ति आदि से अवगत होकर उससे सम्बंधित ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता को सामाजिक प्रत्यक्षण कहा जाता है

इस कार्य में समस्त मनोवैज्ञानिकों का ध्यान मूलत: तीन पहलुओं पर अधिक गया है जो इस प्रकार है –

सामाजिक प्रभाव ( Social Influence ) – सामाजिक प्रभाव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे किसी एक व्यक्ति के व्यवहारों, भावनाओं और मनोवृत्ति में परिवर्तन, दुसरे व्यक्तियों के द्वारा कुछ कहने या करने के फलस्वरूप होता है

सामाजिक प्रभाव स्पष्ट या छिपा हुआ चेतन या अचेतन तथा औपचारिक एंव अनौपचारिक कुछ भी हो सकता है आधुनिक समाज मनोवैज्ञानिकों ने मूलरूप से तीन तरह के सामाजिक प्रभावों को महत्वपूर्ण बताया गया है –

  • अनुपालन ( Compliance ) 
  • समरूपता ( Conformity )
  • आज्ञाकारिता ( Obedience )

अंतवैयक्तिक आकर्षण ( Interpersonal Attraction ) – किसी दुसरे व्यक्ति को सकारात्मक और नकारात्मक ढंग से मूल्यांकन करना अंतवैयक्तिक आकर्षण कहलाता है हम किसी मनुष्य को पसंद करते है और किसी मनुष्य से नफरत करते हैं

यह दोनों तरह की मनोवृत्ति को अंतवैयक्तिक आकर्षण में रखता है

समूह प्रभाव ( Group Influence ) – समूह प्रभाव से मतलब भिन्न-भिन्न प्रकार के समूहों द्वारा व्यक्तियों पर पड़ने वाले प्रभावों से होता है लोगो ने इस तरह के समूह प्रभावों को सात भागों मे बांटकर अध्ययन करने की कोशिश की है

  • सामाजिक सरलीकरण ( Social Faciliation )
  • अव्यष्टीयन ( DE Individuation )
  • भीड़-भाड़ ( Crowding )
  • समूह ध्रुवण ( Group Polarization ) 
  • सामाजिक स्वैचारिता ( Social Loafing ) 
  • समूह चिंतन ( Group Think )
  • अल्पसंख्यक प्रभाव ( Minority Influence ) 

जनमत तथा प्रचार ( Public Opinion and Propaganda ) – जनमत का अर्थ जनता के मत से होता है इसीलिए जनमत ऐसे व्यक्तियों के मत को कहा जाता है जिनमे एक सामान्य अभिरुचि होती है

आधुनिक युग में जनमत का महत्त्व इसीलिए बढ़ गया है क्योकि इसके माध्यम से किसी सार्वजानिक समस्या के प्रति व्यक्तियों के विचारों एंव मतों का पता चलता है

आधुनिक युग में सिनेमा, टीवी, रेडियो, अखबार इत्यादि साधनों के माध्यम से जनमत का निर्माण होता है जनमत से जुड़ा कार्यक्षेत्र प्रचार होता है समाज मनोवैज्ञानिकों के लिए प्रचार एक ऐसे विधि है

जिसके सहारे व्यक्तियों के विचारों एंव मतों को नियंत्रण कर एक ख़ास दिशा में मोड़ा जाता है यही कारण है कि प्रचार को इन लोगो ने सामाजिक नियंत्रण का एक प्रमुख रूप माना है

उदहारण के लिए, चुनाव से पहले प्रचार करके जनता के मतों की दिशा को बदलने का प्रयास होता है इसीलिए बार बार हमारे घर के आस-पास अलग अलग राजनितिक दलों का प्रचार हमे सुनाई देता है

नेतृत्व ( Leadership ) – नेतृत्व एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमे किसी संगठित समूह की क्रियाओं को किसी निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में उन्मुख कराया जाता है

जिस व्यक्ति का प्रभाव समूह की इन क्रियाओं पर सबसे अधिक होता है उसको नेता मना जाता है उदहारण के लिए, बीजेपी में सबसे अधिक प्रभाव नरेंद्र मोदी जी का हैं इसीलिए उनको एक लीडर के रूप में आगे लाया गया है

परोपकारिता ( Altruism ) – परोपकारिता एक ऐसा सामाजिक व्यवहार है जिसमे एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति की सहायता बिना किसी प्रकार के लाभ की उम्मीद में करता है

उदहारण के लिए, किसी मनुष्य का पर्स गिरा और हमने बिना किसी लाभ के उसको वापस दिया

आक्रमणशीलता ( Aggressiveness ) – आक्रमणशीलता एक ऐसा शारीरिक या शाब्दिक व्यवहार होता है जिससे एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति को हानि पहुंचाने की कोशिश करता है

उदहारण के लिए, किसी मनुष्य पर शारीरिक रूप से हमला करना या उसको अपशब्द कहकर हानि पहुंचाना

सहयोग ( Cooperation ) – सहयोग एक ऐसा सामाजिक व्यवहार है जिसमे दो या दो से अधिक व्यक्ति एक साथ मिलकर कोई कार्य करते है यहाँ जो कार्य का प्रतिफल होता है उनका श्रेय सभी व्यक्तियों को सामानरूप से होता है

प्रतियोगिता ( Competition ) – प्रतियोगिता एक ऐसा सामाजिक व्यवहार है जिसमे प्रत्येक व्यक्ति प्राय: दुसरे व्यक्ति की कीमत पर अपना निष्पादन अधिक आगे से आगे बढ़ाना चाहता है कभी-कभी तो ऐसा होता है कि दुसरे व्यक्ति की राह में जिसे वह अपना प्रतियोगी समझता है, रोडे अटकाकर भी आगे बढ़ जाना चाहता है

Nature and Scope of Social Psychology – Nature of Social Psychology – Social Psychology Nature.

समाज मनोविज्ञान की प्रकृति को वैज्ञानिक माना जा सकता हैं क्योकि मनोविज्ञान के इस ( समाज मनोविज्ञान ) भाग में भी वह सभी आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं जिसके कारण सामाजिक मनोविज्ञान एक वैज्ञानिक प्रकृति कहलाता हैं

  • वैज्ञानिक पद्धति 
  • प्रमाणिकता 
  • वस्तुनिष्ठता 
  • भविष्यवाणी की योग्यता 
  • सार्वभौमिकता 

वैज्ञानिक पद्धति – मनोविज्ञान के समाज मनोविज्ञान भाग में वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग किया जाता हैं क्योकि इसमें कुछ ऐसी विधियां हैं जो वैज्ञानिक हैं तथा जिनके आधार पर निकाले गए परिणाम वैज्ञानिक होते हैं इसीलिए मनोविज्ञान में समाज मनोविज्ञान की विषय सामग्री वैज्ञानिक हैं 

प्रमाणिकता – समाज मनोविज्ञान में अध्ययन की जाने वाली विषय वस्तु प्रमाणिक होती हैं क्योकि जब व्यक्ति किसी विषय की समस्याओं का अध्ययन वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करके करता है तब निश्चित रूप से उस विषय की विषय वस्तु प्रमाणिक हो जाती हैं

वस्तुनिष्ठता – जब किसी मनुष्य के द्वारा किसी घटना का निरीक्षण किया जाता हैं तब उससे प्राप्त परिणाम प्रमाणिक होते हैं तब उसे ही वस्तुनिष्ठ कहा जाएगा क्योकि अगर पुनः उसका अवलोकन किया जाए तब वह परिणाम सामान रूप से प्राप्त होना वस्तुनिष्ठ का गुण बन जाता हैं जो मनोविज्ञान के समाज मनोविज्ञान शाखा में पाया जाता हैं 

भविष्यवाणी की योग्यता – समाज मनोविज्ञान में भविष्यवाणी की योग्यता भी पायी जाती हैं

सार्वभौमिकता – समाज मनोविज्ञान में प्रयोग होने वाला सिद्धांत सभी जगह सामान रूप से लागु किया जा सकता है

सामाजिक व्यवहार का अध्ययन करने के तरीके – Methods of Studying Social Behavior – सामाजिक मनोविज्ञान PDF.

मनोविज्ञान की समाज मनोविज्ञान शाखा में अध्ययन के लिए कुछ मुख्य विधियों का प्रयोग किया जाता है जो इस प्रकार है –

  • प्रयोगात्मक विधि ( Experimental Method ) 
  • सर्वे विधि ( Survey Method )
  • इतिहास लेखन विधि ( Case History Method ) 
  • समाजमितीय विधि ( Sociometric Method )

प्रयोगात्मक विधि ( Experimental Method ) – प्रयोगात्मक विधि का मुख्य आधार प्रयोग होता है समाज मनोविज्ञान में प्रयोगात्मक विधि का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है जिसमे हम एक मनोवैज्ञानिक प्रयोग करते है

मनोवैज्ञानिक प्रयोग की ख़ास बात यह होती है कि उसको कभी भी दोहराया जा सकता है प्रयोगात्मक विधि को अच्छे से समझने के लिए प्रयोगात्मक विधि क्या होती हैं? लेख पढ़ सकते हैं

सर्वे विधि ( Survey Method ) – सर्वे विधि में शोधकर्ता किसी सामाजिक समस्या के प्रति व्यक्तियों की मनोवृत्ति, मत, विचार आदि का अध्ययन साक्षात्कार विधि या प्रश्नावली विधि के माध्यम से करते है

इसमें प्राय: एक बड़ी जनसंख्या के भिन्न-भिन्न वर्गों के लोगो को प्रतिदर्श के रूप में सम्मिलित किया जाता है उदहारण के लिए – यदि कोई शोधकर्ता टीवी पर दिखाए जाने वाले फिल्मों के गुण के प्रति लोगो की राय जानने के लिए सर्वे विधि का उपयोग करता है

तब इस अध्ययन में वह अपने प्रतिदर्श में भारत के प्रत्येक राज्य से कुछ व्यक्तियों का चयन करेगा फिर प्रत्येक राज्य से चुने गए व्यक्ति प्रत्येक वर्ग, धर्म, आय समूह, उम्र समूह से लिए जायेंगे

चयन प्रत्येक स्तर पर जहाँ तक संभव हो, यादृच्छिक ( Randomly ) ढंग से होगा ऐसा करने से अध्ययन किये जाने वाले व्यक्तियों का जो समूह तैयार होगा वह एक प्रतिनिधिक प्रतिदर्श होगा

सर्वे विधि द्वारा अध्ययन करने में एक प्रतिनिधिक प्रतिदर्श पर इसीलिए जोर डाला जाता है कि इस तरह के प्रतिदर्श से प्राप्त निष्कर्ष पुरी जनसंख्या के लिए अधिक सही एंव उचित होगा

सर्वे विधि में किस विषय का अध्ययन किया जाएगा और किस तरह के व्यक्ति उसमे सम्मिलित किये जायेंगे यह सर्वे के उद्देश्य पर निर्भर करता है सर्वे का उद्देश्य मात्र वर्णनात्मक ( Descriptive ) या सहसम्बन्धात्मक ( Correlational ) हो सकता है

इतिहास लेखन विधि ( Case History Method ) – इसमें समाज मनोवैज्ञानिक किसी व्यक्ति, समूह, संस्था के जीवन की घटनाओं से सम्बंधित तथ्यों का एक लेखा-जोखा तैयार किया जाता है जिसके लिए हम केस स्टडी विधि का उपयोग करते है

लेखा तैयार करने में वह घटना विशेष से सम्बंधित कुछ प्रश्नों को पूछता हैं ताकि उसे इस निष्कर्ष पर पहुँचने में सुविधा हो कि कौन से सामाजिक कारकों तथा सामाजिक परिस्थितियों के कारण व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को अमुक व्यवहार करना पडा हैं

इस विधि की सफलता बहुत हद तक शोधकर्ता की व्यक्तिगत कार्यकुशलता तथा बुद्धिमता पर अधिक निर्भर करती है इस विधि की व्याख्या को एक उदहारण से समझा जा सकता हैं

उदहारण – एक शोधकर्ता हैं जो तलाक के ऊपर अध्ययन करना चाहता है तब वह ऐसे मनुष्यों ( स्त्री और पुरुष ) से मिलेगा जिनका तलाक हो चूका हैं या जिनका केस अभी तक कोट में चल रहा है

जिसके बाद वह पति-पत्नी से यह जानने का प्रयास करेगा कि ऐसी कौन सी समस्या थी जिसके कारण आज वह उस स्थिति में आये हैं कि उनको तलाक लेना पड़ रहा हैं

समाजमितीय विधि ( Sociometric Method ) – समाजमितीय विधि समाज मनोविज्ञान के क्षेत्र में प्रयोग होने वाला एक प्रमुख विधि हैं समाजमितीय विधि का प्रतिपादन मोरनो ( 1934 ) द्वारा अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “हू शैल सरभाईभ” में किया गया है

इस विधि में समूह में सदस्यों का एक-दुसरे के प्रति स्वीकरण ( Acceptance ) तथा अस्वीकरण ( Rejection ) के सहारे समूह की संरचना, सामाजिक पद  तथा सदस्यों के पारस्पारिक सम्बन्ध आदि का अध्ययन किया जाता है

स्टेनले एंव हॉपकिन्स ( 1972 ) – समाजमिति विधि समूह के सदस्यों के अंतसंबंधों अथार्त इसके सामाजिक संरचना यानी प्रत्येक तरह से किया जाता है का अध्ययन है

Social Psychology Books List – Social Psychology Notes – Introduction of Social Psychology.

  • बुक का नाम – Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान), लेखक का नाम – डॉ. एम. के सोलंकी.
  • बुक का नाम – Social Psychology,लेखक का नाम – Floyd Henry Allport.
  • बुक का नाम – Essential Social Psychology, लेखक का नाम -Richard J. Crisp, ‎Rhiannon M. Turner.
  • बुक का नाम – Social Psychology: Sociological Perspectives, लेखक का नाम -Morris Rosenberg, ‎Ralph H. Turner.
  • बुक का नाम – Advanced Social Psychology: The State of the Science, लेखक का नाम – Roy F. Baumeister, ‎Eli J. Finkel.

Read More – 

FAQ

सामाजिक मनोविज्ञान का स्वरूप क्या है?

सामाजिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध समाज के साथ होता हैं क्योकि समाज मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का वह भाग हैं जिसमे मनुष्य के द्वारा की जाने वाली सभी अंत:क्रियाओं का अध्ययन किया जाता हैं

समाज मनोविज्ञान के जनक कौन थे?

समाज मनोविज्ञान का जनक कर्ट लेविन जी को माना जाता है हाँ यह सामाजिक मनोविज्ञान के संस्थापक हैं इनका जन्म पोलैंड में 9 September 1890 को हुआ था

सामाजिक व्यवहार क्या है परिभाषा एवं प्रकार बताइए?

मनुष्य के द्वारा सामाजिक परिस्थियों में किये जाने वाला व्यवहार सामाजिक व्यवहार कहलाता है

सामाजिक मनोविज्ञान में कितने क्षेत्र हैं?

मनोविज्ञान के समाज मनोविज्ञान में कई सामाजिक व्यवहार के अनेक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है यह सभी पहलु मिलकर सामाजिक मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र का निर्माण करते हैं समाज मनोविज्ञान विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करता है

जिसमे मनोवृत्ति ( Attitude ), पूर्वग्रह तथा विभेद ( Prejudice and Discrimination ), सामाजिक प्रत्यक्षण ( Social Perception ), सामाजिक प्रभाव ( Social Influence ), अंतवैयक्तिक आकर्षण ( Interpersonal Attraction ),

समूह प्रभाव ( Group Influence ), जनमत तथा प्रचार ( Public Opinion and Propaganda ), नेतृत्व ( Leadership ), परोपकारिता ( Altruism ), आक्रमणशीलता ( Aggressiveness ), सहयोग ( Cooperation ), प्रतियोगिता ( Competition ) शामिल है

सामाजिक मनोविज्ञान किसकी शाखा है?

सामाजिक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक ख़ास शाखा हैं जिसका अध्ययन बीए पढने के वाले स्टूडेंट 2nd समेस्टर में करतें हैं

निष्कर्ष

यह लेख विशेष रूप से समाज मनोविज्ञान क्या होता है? को समझाता हैं क्योकि समाज मनोविज्ञान में मनुष्य के सामाजिक व्यवहार को समझने का प्रयास होता है इसीलिए सामाजिक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान पढने वाले स्टूडेंट्स के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है

मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कंटेंट में दी गई इनफार्मेशन आपको पसंद आई होगी अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट का उपयोग करके शेयर करने में संकोच ना करें अपने फ्रिड्स को यह लेख अधिक से अधिक शेयर करें

लेखक – नितिन सोनी 

Spread the love

Leave a Comment